प्रविष्टि क्र. 103 संस्मरणात्मक कविताएँ डॉ लता अग्रवाल 1- आज की नारी झिमिलाती रोशनी के शहर में बैठा है घनघोर अॅंधेरा खोखली हुई हैं संवेदनाए...
प्रविष्टि क्र. 103
संस्मरणात्मक कविताएँ
डॉ लता अग्रवाल
1- आज की नारी
झिमिलाती रोशनी के शहर में
बैठा है घनघोर अॅंधेरा
खोखली हुई हैं संवेदनाएं
प्राण भी हैं बेसहारा
गम की परछाइयों के पीछे
तुझको जाने न दॅूंगी,
आईना हॅूं तेरा मैं
दरकने तुझको न दॅूंगी।
भूख और लाचारी का
द्वार पर सन्नाटा है पसरा
खौफ का बियावान
ऑंगन में तेरे है उतरा
मंजिल पर पहॅुंचने से पहले
कदम ये रूकने न दॅूंगी,
हौंसला हॅूं तेरा मैं
यॅूं टूटने तुझको न दॅूंगी।
पत्थरों के देघ् में
दिल भी पत्थर के हुए हैं
जिन्दगी हुई खेल के मानिंद
आज है और कल नहीं
पाषाण प्रतिमाओं के बीच
सिमटने तुझको न दूंगी,
अस्मिता हॅूं तेरी मैं
मनुजता तेरी खोने न दूंगी।
कुरूक्षेत्र की रणभूमि है ये
फिजाओं में विष है भरा
नफरतें भी होगी, साजिशें भी
चक्रव्यूह कोई रचने न दूंगी,
साजिशों के दुष्चक्र में
अभिमन्यु कोई फंसने न दूंगी।
ऑंखों से मोह की पट्टियॉं
सारी उतार दी है मैंने
द्रोपदी की लाज को अब
दुशासन के हाथों लुटने न दूंगी,
भारत में महाभारत कोई
होने न दूंगी ।
श्रापित हो पाषाण में निर्दोष
अहिल्या कोई ढलने न दॅूंगी,
धर्म के ठेकेदारों को
सीता कोई छलने न दॅूंगी,
आज की नारी हॅूं मैं
खुद को कर लिया
बुलंद मैंने
मैं चलूंगी
जग चलेगा साथ मेरे
फिर कोई इतिहास अब
कलंकित मैं रचने न दॅूंगी।
. पेड़ नहीं कराते सोनोग्राफी
अपनी डालियों को सहेजते हैं पेड़! जानते हैं,
ये डालियां हैं
उसका हरा भरा संसार
बिना डालियों के सूना है
पेड़!
तोड़कर फेंक नहीं देते डालियों को
फूलों की चाह में
मानते हैं पेड़,
डालियाँ ही करेंगी वंश वृद्धि
न होंगी डालियाँ तो
कहाँ से आएंगे,
फल, फूल और बीज
कौन बनाएगा नीड़?
कहाँ करेंगे पंछी कलरव?
डालियाँ ही तो हैं
जो रचती सुनहरा संसार
हरती सूनेपन का संताप
मानता है
पेड़!
जितनी होंगी डालियाँ
उतना मजबूत होगा तना
इन्हीं डालियों में तो छिपे हैं
बीज
जो देंगे वंश को विस्तार
जानता है पेड़
डालियों का खिलना ही काफी है।
इसलिए
संस्कारों की परखनली में
नहीं आतुर
जानने को भ्रूण लक्षण
पेड़!
नहीं कराते भ्रूण परीक्षण।
३, हस्ताक्षर थे पिता
चली आती थीं
सायकिल पर
होकर सवार
खुशियाँ,
शाम ढले
नन्हें-नन्हें उपहारों में
संग पिता के
घर का उत्सव थे पिता |
संघर्षों के
आसमान में
बरसती बिजलियों से
लेते लोहा
ऐसी अभेद दीवार थे पिता |
चिंताओं के कुहरे से
पार ले जाते
अनिश्चय के भंवर में
हिचकोले लेती
नाव के कुशल पतवार थे पिता |
चहकते रहते थे रिश्ते
महकती थी
उनसे प्रेम की खुशबू
सम्बन्धों के लिये
ऐसी कुनकुनी धूप थे पिता |
जिन्दगी की
कड़ी धूप में
नहला देते
अपने स्नेह की
शीतल छाँह से
ऐसे विशाल बरगद थे पिता |
घर -भर को
नया अर्थ देते
जिन्दगी के
रंगमंच के
अहम किरदार थे पिता ।
हर परीक्षा में
हमारी
सफलता -असफलता की
रिपोर्ट कार्ड के
महत्वपूर्ण हस्ताक्षर थे पिता |
आज
उत्सव के अभाव में
गहरा सन्नाटा है घर में
चहुँ ओर
कड़कती हैं बिजलियाँ |
जीवन नैया
फसी है भंवर में
कुनकुनी धूप के अभाव में
दीमक खा गई
रिश्तों को
एक अहम किरदार के बिना
सूना है
जीवन का रंगमंच
सफलता – असफलता के
प्रमाणपत्र
बेमानी है
एक अदद हस्ताक्षर के
बिना ।
४. भूमिपुत्र
भूमिपुत्र वह
करता है प्रार्थना
बची रहे यह धरती अम्बर
बचे रहेंगे लोग।
बोता है श्रम के बीज
सींचता है स्वेद कणों से,
लहू की लालिमा से
मेहनत की खाद से
पोषित करता जमीं को
तब कहीं अंकुरित होते है
सम्भावना के बीज
लहराती हैं खुशहाली की फसल
काटकर खलिहानों में
लगाता है उम्मीदों के ढेर
सोचता है।
कई बरस हुए
पत्नी को नहीं गढ़ाया
कोई गहना।
लगाता है हिसाब
इस साल बेटी के दहेज को
लिया कर्ज पट जाये शायद
देखता है सपने
अबकी छा लेगा पक्की छत
मांगता है मन्नत
अबकी बेटे को खरीद सकेगा ट्रेक्टर
मिलेगा आराम
बरसों से थके बैलों को
मगर अचानक
पाला मार जाता है
प्रार्थना को
जो लील लेता है
सभी संभावनाएं
बहा ले जाती है बाढ़
उसकी उम्मीदों को
बंध्या रह जाती है धरती
अन अंकुरित रह जाते है,
श्रम बीज।
भूमि पुत्र
वह लटकता रह जाता है
सम्भावनाओं के पेड़ तले
उम्मीदों की रस्सी से .
दबी रह जाती है
सारी अभिलाषाएं .
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नाम- डॉ लता अग्रवाल
शिक्षा - एम ए अर्थशास्त्र. एम ए हिन्दी, एम एड. पी एच डी हिन्दी.
जन्म – शोलापुर महाराष्ट्र
प्रकाशन - शिक्षा. एवं साहित्य की विभिन्न विधाओं में अनेक पुस्तकों का प्रकाशन| पिछले 9 वर्षों से आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर संचालन, कहानी तथा कविताओं का प्रसारण पिछले 22 वर्षों से निजी महाविद्यालय में प्राध्यापक एवं प्राचार्य का कार्यानुभव ।
सम्मान –
१. अंतराष्ट्रीय सम्मान
Ø प्रथम पुस्तक ‘मैं बरगद’ का ‘गोल्डन बुक ऑफ़ वार्ड रिकार्ड’ में चयन
Ø विश्व मैत्री मंच द्वारा ‘राधा अवधेश स्मृति सम्मान |
Ø " साहित्य रत्न" मॉरीशस हिंदी साहित्य अकादमी ।
२. राष्ट्रीय सम्मान –
अग्रवाल युवा चेतना सोसायटी द्वारा (अग्र नारी सश्क्तिकरण सम्मान ) अभिनव शब्द शिल्पी अलंकरण ,(अभिनव कला परिषद भोपाल) साहित्य सुधाकर मानद उपाधि (श्रीनाथ द्वारा ) अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता अजमेर में राष्ट्रीय शब्द्निष्ठा सम्मान, समीर दस्तक चित्तौड़ से साहित्य गौरव सम्मान,स्वतंत्रता सेनानी ओंकारलाल शास्त्री पुरस्कार सलूम्बर , महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान, शिलांग ,श्रीमती सुषमा तिवारी सम्मान,भोपाल, प्रेमचंद साहित्य सम्मान,रायपुर छत्तीसगढ़ , श्रीमती सुशीला देवी भार्गव सम्मान आगरा, कमलेश्वर स्मृति कथा सम्मान, मुंबई ,श्रीमती सुमन चतुर्वेदी श्रेष्ठ साधना सम्मान ,भोपाल ,श्रीमती मथुरा देवी सम्मान , सन्त बलि शोध संस्थान , उज्जैन, तुलसी सम्मान ,भोपाल ,डा उमा गौतम सम्मान , बाल शोध संस्थान, भोपाल , कौशल्या गांधी पुरस्कार, समीरा भोपाल, विवेकानंद सम्मान , इटारसी, शिक्षा रश्मि सम्मान, होशंगाबाद, अग्रवाल महासभा प्रतिभा सम्मान, भोपाल ,"माहेश्वरी सम्मान ,भोपाल ,सारस्वत सम्मान ,आगरा, स्वर्ण पदक राष्ट्रीय समता मंच दिल्ली, मनस्वी सम्मान , अन्य कई सम्मान एवं प्रशस्ति पत्र।
निवास - 73 यश बिला भवानी धाम फेस - 1 , नरेला शन्करी . भोपाल - 462041
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