कहानी // अहसास // आभा सिंह

SHARE:

"अहसास" डॉली ने अपना बैग बिस्तर पे पटका और गुसलखाने में आईने के सामने खड़ी होकर अपना मुंह निहारने लगी थी। उसने देखा कि आज उसका चेहर...

image

"अहसास"

डॉली ने अपना बैग बिस्तर पे पटका और गुसलखाने में आईने के सामने खड़ी होकर अपना मुंह निहारने लगी थी। उसने देखा कि आज उसका चेहरा अलग ही तरह के आभा में नहाया हुआ था। मुख पर चंचलता छलाँगें लगा रही थी। आँखों में परिपक्वता झांक रही थी। उसने अपने आँखों के बिखरे स्याह को देखा वह भी अपने बिखराव को सरलता के सुन्दर तराजू के दो पलड़ों में बराबर बराबर बाट जैसे नपे तुले खूब भा रहे रहे थे मानो फैले स्याह ने आंखों को और मनमोहक बना दिया था। डाली की उम्र 28 वर्ष थी। वह एक भावुक लड़की थी। छोटी कहानियां लिखती थी। सही मायने में डॉली एक कलाकार थी।

डॉली को कुछ समझ तो नहीं आया था पर उसको ये अहसास किसी सृजन शक्ति को उत्पन्न करने से पहले जो मानस पटल में एक छवि सी उभरती है उस सा ख़याल मन में एक भिन्न अनुभूति को जन्म दे चुकी थी। उसने जल्दी से अपने मुख पर पानी की छींटे मारी और बाहर आकर उसने रसोईघर में जाकर काली चाय बनाई और अपने कमरे में किताबों की मेज पर आकर बैठ गयी। उसने सिगरेट के डिब्बी में से एक सिगरेट जलाई, चाय की एक चुस्की ली और सिगरेट का एक कश लेती रही। कुछ देर तक एक टक सिगरेट के धुएं को निहारती रही जिसमें वो अपने जीवन में घट चुकी उस सुन्दर सपने को या यूँ कहें कि कुछ पल के उस सुन्दर सपने, जो की अब टूट कर बिखर चुका था अब सुन्दर नहीं बस एक टीस बनाकर सिगरेट के धुंएँ में दर्द बन कर उड़ रही थी। सोचने लगी थी की काश! उस दिन ही वह उस रिश्ते को अलविदा कर देती जिस दिन वो रिश्ता बिना बने टूट चूका था, बिखर चुका था। जिसकी बुनियाद ही खोखले ईंटों पर रखी थी। लेकिन मैंने न जाने किस लालच में इस रिश्ते को आगे बढ़ाया बिना उसके भावनात्मक जुड़ाव के जिसे सिर्फ एक मशीनी रिश्ते का नाम दिया था उसने।

image

दरअसल डॉली के जीवन की सबसे बड़ी घटना महज़ कुछ चन्द महीने पहले की ही थी। डॉली कुछ महीने पहले एक आदमी से जुडी जिसकी उम्र ३५ साल की थी जिसका नाम विक्रम था। डॉली को शादी में कोई दिलचस्पी नहीं थी परन्तु जब उसने विक्रम से बात की तब उसे ऐसे लगा की आज तक जिस इंसान को वो ढूंढ रही थी... यही तो था वो। डॉली को लगा कि बचपन से लेकर आजतक जिस छवि की कल्पना करती आयी थी वही साक्षात् उसके समक्ष खड़ा था। वही गंभीरता, कला के प्रति आदर भाव, और किताबों से मोहब्बत ये सब था उसमें हाँ बस वो दिखता कैसा हो इसकी परवाह नहीं थी डॉली को। सब कुछ तय कर लिया था दोनों ने बस एक मिलना रह गया था।

वह दिन भी आया जब दोनों एक दूसरे से मिले पर वही हुआ जो शायद नहीं होना चाहिये था। विक्रम ने डॉली को एक झलक देखते ही मन बना लिया था की वो उससे शादी नहीं कर सकता परन्तु डॉली को फ़ौरन नहीं बताया उसने। दूसरे दिन डॉली को विक्रम ने फ़ोन पर साफ मना कर दिया कि उससे शादी नहीं कर सकेगा। डॉली ने जानने की बहुत कोशिश की.. कि आखिर इतने दिनों से हम बातें की थीं कि शादी के बाद कैसे अपनी दुनिया बसानी है और एक झलक में ही मुझे मना कैसे कर दिया। डॉली बहुत चिल्लाई चीखी, उसके आंसुओं की धारा जाने कितने दिनों के बादल की प्यास बनकर बरस पड़ी थी मनो जन्मों से प्यासी हो आंसुओं की। डॉली को लगाने लगा था की कहीं जाकर वह अपनी जान देदे, समुन्दर में कूद जाये। सिगरेट के धुएं में कहीं उड़ जाये धुआँ बनकर कि किसी को नज़र नहीं आये। डॉली का जीवन फिर से उस सूखे रेगिस्तान के जैसे तपने लगा था। उसकी आँखें बारिश ख़त्म होने के बाद अंगारे जैसी लाल हो गयी थीं। लेकिन उसके हाथ से वह छूट गया था जो उसने कभी अपने उँगली में लपेट रखा था - एक घरौंदा बनाने का धागा। जिससे वो अपने सपनों का आशियाना बनाना चाहती थी खूब सुंदर नक़्क़ाशीदार घरौंदा।

जैसे तैसे उसने अपने आपको सँभालने की कोशिश की थी और ख़ुद के सुकून के लिए बस वह विक्रम से जुड़ा रहना चाहती थी, भावनात्मक रूप से। डॉली ने विक्रम को एक मशवरा दिया था कि क्यों न विक्रम जब तक तुम्हें कोई न मिल जाये तब तक हम एक साथ रहें और जब तुम इस संसार में अकेला महसूस करना, थका हुआ, हारा हुआ समझना, खीझ गए हो और मानसिक पीड़ा में हो तो मेरे पास आ जाना और मेरे गोद में अपना सर रखकर जी भर रो लेना। मैं हमेशा उस वक़्त तुम्हारे साथ रहूंगी। लेकिन कहाँ पता था की विक्रम को डॉली पसंद ही नहीं थी और उसने डॉली प्रस्ताव को कुछ और ही समझ लिया था - 'मशीनी रिश्ता' मतलब जरुरत का रिश्ता। हाँ! जरुरत तो थी डॉली को लेकिन सिर्फ़ एक ऐसी जरुरत जिसमें भावना हो, एक सुकून की जरुरत, मन की जरुरत इससे ज्यादा कुछ नहीं। आह! कितना दर्द भरा था यह सब डॉली के लिए फिर क्या था, वो विक्रम से भावनात्मकता से जुडी थी तो उसके होने का अहसास ही डॉली के लिये काफी था। वो उसके होने के अहसास से ही संतुष्ट थी। उसे इससे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए था लेकिन विक्रम को ये भी गवारा नहीं था। इस बात से डॉली बहुत दुखी रहती थी की उसने कभी तो ऐसा नहीं चाहा था।

सोचते सोचते डॉली के मन एक और बात आयी थी कि उसका मासिक धर्म नहीं शुरू हुआ, कई दिन हो गए थे। डॉली ने जैसे ही ऐसे सोचना शुरू किया था कि उसकी साँस फूलने लगी थी कि ऐसे तो कभी नहीं हुआ था उसके साथ। उसने जैसे तैसे अपने हाथों से टटोलते हुए फोन का रिसीवर उठाकर फ़ौरन अपनी बचपन की सहेली को फोन लगाया और उससे सब कुछ बताया। मृदा थोड़ा तो घबराई लेकिन उसने हिम्मत बांधते हुए डॉली को भी हिम्मत बंधाया और कहा कि तू घबरा मत मैं आती हूँ। मृदा डॉली की बचपन की सहेली थी। डॉली मृदा के आने तक बेसुध होकर पड़ी रही। दरवाजे की घंटी बजी डॉली भागकर दरवाजे पर गयी जल्दी से दरवाजा खोला। मृदा को देखते ही डॉली उससे लिपट गयी और फूटफूट कर रोने लगी। मृदा ने डॉली को संभलकर बैठाया और उससे कुछ प्रश्न पूछे- डॉली! अच्छा ये बता कि क्या तेरे स्तनों में कुछ भारीपन सा है क्या? डॉली ने सर हिलाकर हामी भरी और सोचने लगी कि तभी मेरे स्तन कुछ दिनों से भीनी सी दर्द में हैं और मैं मूरख कुछ समझ नहीं सकी तभी उसने सिगरेट की डिब्बी से एक और सिगरेट निकालकर जलाया और एक कश लगते हुए आहें भरी और मृदा से पूछा की बता मृदा अब क्या करूँ ? क्या सच में ऐसा है जैसा तुम्हें लग रहा मृदा ? कुछ देर तक दोनों गंभीर मुद्रा में एक दूसरे की तरफ देखते रहे और मृदा ने सिगरेट के धुएं को देखते हुए कहा.. सुन डॉली! अब तू बस कर दे ख़ुद को सिगरेट के साथ जलना।

मृदा ने डॉली को टेस्ट करने को कहा और टेस्ट सकारात्मक निकला। डॉली की आंखें जैसे आंसुओं की नांव में चप्पू चला रहीं थी। वह अकेले ही इस अनोखे अहसास का क्या करने वाली थी उसको ख़ुद को कुछ सूझ नहीं रहा था कि वह इस खूबसूरत अहसास का जश्न मनाये की मातम में मैयत पर जा बैठे। एक तरफ उसके जिस्म में हो रहे इस परिवर्तन से उसका मन एक अनोखे अनुभूति से नहा रहा था, आँखों के चमकीले मोती चांदनी में छान कर आये हों जैसे और नयी सृजन के आने का सपना संजो रहे थे। और एक ओर उस अजन्मे को समाज में कोई सम्मान कोई आदर नहीं मिलने की सोच और लोक लाज का भय मन में गोते लगा रहा था। आखिर में डॉली ने बड़े हिम्मत से और कठोरता से ये फैसला किया कि वह इस अहसास को मार डालेगी। अपने जिस्म से निकाल बाहर फेंकेगी। उसने अपने सभी अहसासों को मार दिया और संसार के सबसे खूबसूरत अहसास का उसने गला घोंटकर अपने आप को आंसुओं के समंदर में बहा दिया था। समाज के तानों और भविष्य में होने वाले आलोचनाओं से तो ख़ुद को बचा लिया था परन्तु अपने अंतर्मन के ताने और आलोचनाओं से ख़ुद को कैसे बचा पाती।

डॉली अकेले ही सभी तकलीफों से जूझती रही। मृदा ने विक्रम को इसके बारे में बताया किन्तु विक्रम के मन में डॉली के लिए कोई भावना थी ही नहीं उसको तो सिर्फ अपनी जरुरत पूरी करनी थी सो उसने कर ली थी। डॉली भी क्या ढीठ माटी की देवी थी। उसने कभी भी इन सबके लिए विक्रम को ग़लत नहीं ठहराया था। हाँ! परन्तु डॉली ने अपने-आप उस अनोखे अहसास को मारकर ख़ुद को भी मार दिया था। वो न तो किसी से बात करती थी न कोई प्रतिक्रिया करती थी बस वो फिर कभी कोई सपने नहीं देखना चाहती थी। उसने अपने अनोखे अहसास जो की हर एक औरत के जीवन का सबसे खूबसूरत किस्सा और वाकया होता है, जिसे सभी अनुभूतियों का सबसे बड़ा गहना मानती है, एक पूर्ण स्त्री होने का। उस पूर्णता की हत्या के लिए डॉली ने अपने-आप को कभी माफ़ नहीं किया।

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: कहानी // अहसास // आभा सिंह
कहानी // अहसास // आभा सिंह
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi0EA3DI_TZXE7UQHq03a3nFZcyifo7vYCGD0gVZrL5ic9CGj_NpuJIkkQQxlFFi-O2HPkgm7_-11eHeQvG1OuUSopykVk7DigIKTqCOb_fspzVJOT0ZrH97P18GrTizdlmvnjK/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi0EA3DI_TZXE7UQHq03a3nFZcyifo7vYCGD0gVZrL5ic9CGj_NpuJIkkQQxlFFi-O2HPkgm7_-11eHeQvG1OuUSopykVk7DigIKTqCOb_fspzVJOT0ZrH97P18GrTizdlmvnjK/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/05/blog-post_438.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/05/blog-post_438.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content