साहित्यिक चोरी (प्लेगारिज़्म) // डॉ. मधु संधु

SHARE:

प्लेगारिज़्म डॉ. मधु संधु प्लेगारिज़्म यानी साहित्यिक चोरी, बौद्धिक संपत्ति की चोरी- आज की शब्दावली में कॉपी पेस्ट- यानी गुपचुप तरीके से चोरी ...

प्लेगारिज़्म

डॉ. मधु संधु

प्लेगारिज़्म यानी साहित्यिक चोरी, बौद्धिक संपत्ति की चोरी- आज की शब्दावली में कॉपी पेस्ट- यानी गुपचुप तरीके से चोरी के माल पर अपने नाम का ठप्पा। राम- नाम जपना, पराया माल अपना। सपाट बुद्दि पर बुद्धिजीवी होने का मोहर। आँख के अंधे द्वारा नयनसुख कहलवाने का षड्यंत्र ।

प्लेगारिज़्म के अनगिनत फायदे हैं। हींग लगे न फिटकरी रंग चौखा होय। धर्म अर्थ काम मोक्ष, यश में से साहित्यिक चोर का छपा हुया नाम उसे बहुत कुछ देगा। यू. जी. सी. ने पीएच. डी. की डिग्री का एक सोपान शोध पत्र प्रकाशन भी रखा हुआ है। पहले शोध पत्र चोरी करो और फिर शोध ग्रंथ उड़ा लो- यानी डाका। इस उपलब्धि में धर्म, अर्थ, यश, मोक्ष- सभी आपका पानी भरने लगते हैं। शोध पत्रों, शोध ग्रन्थों की लूट मची है, जितना लूट सकते हो लूट लो- दोनों हाथों से- वैतरणी पार कर जाओगे। हो क्या जाएगा ? डरने की जरूरत ही नहीं। चोरी वह उजागर होती है, जो सुरक्षा घेरों में हो। ताले- कुंजी के अंदर हो, आपने कौन सा किसी का ताला तोड़ा है। बाकी नैतिक- अनैतिक कुछ नहीं होता। साहित्यिक चोर कामचोर भी होते हैं और सीनाजोर भी। आँखें झुकाते नहीं, दिखाते हैं। न इसे अनैतिक मानते हैं, न वर्षों तक, दशकों तक, प्रलय काल तक उनका भेद उजागर होने की संभावना होती है। कभी नसीब नसीबा बन जाये तो वर्षों बाद भेद खुल सकता है कि जिस डिग्री ने आपको नौकरी दिलाई, वही चोरी की थी।

प्लेगारिज़्म बौद्धिक मौलिकता की इतिश्री है। “coping, borrowing, theft, appropriation इसके समानार्थी हैं।“[1]

विकिपीडिया के अनुसार,

“किसी दूसरे की भाषा, विचार, उपाय, शैली आदि का अधिकांशत: नकल करते हुये अपनी मौलिक कृति के रूप में प्रकाशित करना साहित्यिक चोरी कहलाती है। ....जब हम किसी के द्वारा लिखे हुये साहित्य को बिना उसका संदर्भ दिये अपने नाम से प्रकाशित कर लेते हैं, इस प्रकार से लिया गया साहित्य अनैतिक बन जाता है और इसे साहित्यिक चोरी कहा जाता है। वर्तमान में प्लेगारिज़्म अकादमिक बेईमानी समझी जाती है। प्लेगारिज़्म कोई अपराध नहीं है बल्कि नैतिक आधार पर अमान्य है।“[2]

अमेरिकन हेरिटेज डिक्शनरी में साहित्यिक चोरी को ऐसे परिभाषित किया है-

“किसी अन्य लेखक के विचारों तथा भाषा का अनधिकृत उपयोग या नक़ल करके उसको अपनी मूल कृति के रूप में प्रस्तुत करना। [3]

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने दिन दोगुनी रात चौगुनी फल फूल रही प्लेगारिज़्म की इस बीमारी की रोक-थाम और अनुसंधान की शुचिता बनाए रखने के लिए छात्रों, अध्यापकों और दूसरे स्टाफ के लिए नए कड़े नियमों का प्रावधान किया है। उनके लिए दंड योजना का आयोजन किया है। यू. जी. सी. कहती है कि ..साहित्यिक चोरी के दुष्परिणामों को स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम का हिस्सा बना कर लेखन, शोध और अनुसंधान में ईमानदारी और जागरूकता लाई जाये। इस विषय पर सेमिनार, वर्कशाप, भाषण करवाए जाए। यू. जी. सी. साहित्यिक चोरी का पता लगाने और उसे रोकने के लिए शैक्षिक और अनुसंधान केन्द्रों में अलग तंत्र स्थापित करने, आधुनिक तकनीकी टूल्स के प्रशिक्षण से चोरी पकड़ने की भी अनुशंसा करती है। .........विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियम स्पष्ट कहते हैं कि साहित्यिक चोरी का मामला सामने आने पर एकेडेमिक मिसकंडक्ट पेनल (ए. एम. ( पी डिसिप्लिनरी अथॉरिटी ऑफ प्लेगारिज़्म)डी. ए. पी.) को जांच सौंपी जाएगी। इसके बाद कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। प्लेगारिज़्म की पुष्टि होने पर अध्यापक की नौकरी और विद्यार्थी का पंजीकरण समाप्त हो सकता है।[4] 2017 में साहित्यिक चोरी पर बने रेग्युलेशन में ज़ीरो टोलरेंस का समर्थन किया गया है।[5] उत्तर प्रदेश के तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पी. के गर्ग साहित्यिक चोरी को अपराध मानते कहते हैं - ‘आयोग इसे लेकर सख्ती के मूड में है।‘

लेकिन चतुर, लालची, बेबाक, निडर, मुंहजोर चोरों पर इसका कोई असर नहीं। वे आश्वस्त हैं कि मूल लेखक इस चोरी को पकड़ ही नहीं सकता। कभी कभार ही इनके औंधे मुँह गिरने की नौबत आती है। जैसे गुरु नानक देव विश्वविद्यालय की रिसैप्शनिस्ट- कम-क्लर्क अविन्दर कौर ने प्राइवेट कैंडिडेट के रूप में 1997 में पीएच. डी. शुरू की और 2000 में उपाधि ले ली। इसी दौरान कुछ शिकायतें आने पर सिंडीकेट ने अविन्दर कौर के पीएच. डी. के थीसिस और गाइड डॉ बेदी के डी. लिट. के थीसिस की जांच कारवाई और दोनों में शत - प्रतिशत नकल पाई गई। ऐसे ही अन्य विभागों से भी प्लेगारिज़्म के चार आँय केस भी थे। डॉ मधु संधु की सन्मार्ग प्रकाशन, दिल्ली से 1984 में प्रकाशित पुस्तक ‘साठोतरी महिला कहानीकार’ को ही टाइप करवा कर डिग्री लेने वाली अविन्दर कौर को टरमिनेट भी किया गया और उसकी डिग्री भी वापिस ले ली गई। क्योंकि अन्य दोषियों को कोई खास सज़ा नहीं दी गई थी, 23 अगस्त 2017 को उसे फिर से नौकरी पर बहाल करने का फैसला आया। यह प्लेगारिज़्म नाक के नीचे होने वाला प्लेगारिज़्म था। उसी विश्व विद्यालय के उसी विभाग से चोर, लेखक और गाइड थे।[6] एक दूसरी आपबीती/ दुर्घटना का भी उल्लेख करना चाहूंगी। 'जनकृति'  के वर्ष 2, अंक 23, जनवरी-मार्च 2017 में प्रकाशित आलेख –‘प्रवासी एवं भारतीय महिला कथा साहित्य में नारी उत्पीड़न एवं सशक्तिकरण’ – (सोनिया माला, शोधार्थी, पंजाब विश्वविद्यालय) प्रकाशित हुआ। जिसे डॉ मधु संधु की पुस्तक -'हिन्दी का भारतीय एवं प्रवासी महिला कथा लेखन ' – (नमन प्रकाशन, दिल्ली, 2013) के षष्ठ अध्याय - 'नारी उत्पीड़न एवं सशक्तिकरण के संदर्भ में भारतीय एवं प्रवासी महिला लेखन का तुलनात्मक अध्ययन ' में से शब्दशः कॉपी किया गया । इस चोरी का पता उन्हें मई 2018 को चला. रहा नहीं गया और संपादक से संपर्क किया और संपादक कुमार गौरव मिश्रा ने तुरंत अपनी प्रतिक्रिया देते कॉपी करने वाली सोनिया माला को भविष्य में पत्रिका में न छापने का निर्णय लिया । यही सूचना फेसबुक पर डाली, तो परिणाम चौंकाने वाले थे – कि सोनिया माला के गाइड लुधियाना कॉलेज के प्रो. सिंह हैं, कि उसे 2017 में डिग्री मिल चुकी है, कि वह लुधियाना के सरकारी कॉलेज में पढ़ा रही है। ढेरों प्रतिक्रियाए मिली। इसे दुखद, अनैतिक, अनुचित, दण्डनीय, अपराध मानते, गाइड और सोनिया माला – दोनों के दोषी होने की आशंका और ऑथोरिटीज द्वारा दोनों को कटघरे खड़े करने की डॉ. शैली जग्गी, प्रिन्सिपल ज्योति ठाकुर, और मित्रों ने पुष्टि की। डॉ. अंजना शर्मा (मोनू शर्मा) टिप्पणी में लिखती हैं- मैंने अपनी यूनिवर्सिटी में एक बार हू-ब-हू एक जैसी दो किताबें देखी थी। लेखक अलग- अलग थे। पूरी चोरी की हुई। जिन्होंने चोरी की थी, उनका नाम यहाँ नही ले सकती।

पठानकोट से डॉ. सुनीता डोगरा ने लिखा- यह तो अठन्नी चोर है, बड़े बड़े शातिर तो सामने डाका डाल कर बच रहे हैं। ऐसे में प्लेगारिज़्म के ढेरों केस/अपराध याद आते हैं। राजीव मल्होत्रा द्वारा एंड्रयू जे निकोलसन की नकल एक बड़ा मुद्दा था। हावर्ड के विश्वनाथन का नाम भी इसी बुराई से जुड़ा है। भारतीय मूल के अमेरिकी पत्रकार फरीद जकारिया को साहित्यिक चोरी के कारण सीएनएन और टाइम द्वारा निलंबित होना पड़ा, जिसे बाद में जिसे बाद में पत्रकारीय भूल मान उन्हें वापिस ले लिया गया।[7] दिल्ली विश्व विद्यालय के पूर्व उपकुलपति दीपक पेंटल को इसी प्लेगारिज़्म के कारण स्थानीय अदालत ने प्रो. पी सारथी की अपील पर गिरफ्तार करने का आदेश दिया।[8] जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रो. गौस मशकूर खान की नियुक्ति को साहित्यिक चोरी के कारण चुनौती दी गई और हर बार कोर्ट में न पहुँचने पर उन पर 25000 का जुर्माना किया गया।[9] बेंगलुरु से अनविता वाजपेयी ने भी चेतन भगत पर प्लेगारिज़्म का आरोप लगाया और अदालत ने उनकी पुस्तक ‘ वन इंडियन गर्ल’ को बिक्री से कुछ देर के लिए रोक दिया।[10] द कपिल शर्मा शो के किकू शारदा पर भी चुटकला चोरी का आरोप लगा।[11] पिछले दिनों शायद फेसबुक पर ही सुधा ओम ढींगरा ने अपनी एक कविता और स्मृति आदित्य ने आलेख की चोरी का जिक्र किया था। थोड़ा सा गहरे पानी उतारो, छोटे- बड़े नकलचियों के अंबार मिल जाएँगे। आम बुद्धिजीवी के लिए यह भिड़ों के छत्ते को छेड़ने जैसा है। मगर से वैर लेने जैसा।

भारत में शोध कार्यों की नकल में लगातार हो रही वृद्धि शोध व्यवस्था की जड़ों को खोखला कर रही है। यह कार्य छात्र ही नहीं, विश्वविदयालयों में बरगद बन कर बैठे लोग भी कर रहे हैं। प्रतियोगिता में बने रहने का यह सर्वाधिक सुगम/ कुटिल ढंग है। यह अकादमिक दिवालियापन ही नहीं, कॉपी राइट का अतिक्रमण भी है, जो अपराध के घेरे में आता है।

संदर्भ:


[1] https://www.collinsdictionary.com-

[2] http://hi.m.wikipedia.org

[3] https://hindi.yourstory.com/read/766f0c2bbf/-39-revitalization-20, 7 सितम्बर, 2017 से उद्धृत

[4] http://www.newspost.live/ugc-comes-out-with-stringent-rules-to-curb-theft-of-intellectual-property/

छात्रों पर यह होगी कार्रवाई
लेवल 1: 10% से 40% साहित्यिक चोरी- इस मामले में छात्र को किसी भी प्रकार से कोई अंक या क्रेडिट प्रदान नहीं किया जाएगा। साथ ही छह महीने के अंदर दोबारा साहित्यिक चोर से मुक्त शोध सामग्री जमा कराने का मौका दिया जाएगा।
लेवल 2: 40% से 60% साहित्यिक चोरी- ऐसे मामले में संबंधित छात्र को कोई अंक या क्रेडिट प्रदान नहीं किया जाएगा। साथ ही शोध पुन: जमा करने के लिए अधिकतम 18 महीने का समय दिया जाएगा।
लेवल 3: 60% से अधिक की साहित्यिक चोरी- ऐसे प्रकरण में संबंधित छात्र को कमेटी द्वारा कोई अंक या क्रेडिट प्रदान किया जाएगा। साथ ही मामले की गंभीरता को देखते हुए रजिस्ट्रेशन भी रद्द कर दिया जाएगा।

फैकल्टी व स्टाफ पर यह होगी कार्रवाई
लेवल 1: 10% से 40% साहित्यिक चोरी- मामले में मैनूस्क्रिप्ट (हस्तलिपी) वापस लेने को कहा जाएगा। साथ ही किसी भी प्रकार के प्रकाशन पर एक वर्ष का प्रतिबंध।
लेवल 2: 40% से 60% साहित्यिक चोरी- मामले में मैनूस्क्रिप्ट वापस लेने को कहा जाएगा। किसी भी प्रकार के प्रकाशन पर दो वर्ष के प्रतिबंध के साथ ही एमफिल या पीएचडी स्कॉलर के गाइड के रूप में कार्य करने पर प्रतिबंध।
लेवल 3: 60% से अधिक की साहित्यिक चोरी- अगले दो साल तक वेतनमान में वृद्धि पर रोक। प्रकाशन के लिए दी गई मैनूस्क्रिप्ट स्वीकार नहीं की जाएगी। तीन वर्ष तक प्रकाशन पर प्रतिबंध व एमफिल या पीएचडी स्कॉलर के गाइड के रूप में कार्य करने पर 3 वर्ष का प्रतिबंध।

[5] https://hindi.yourstory.com/read/766f0c2bbf/-39-revitalization-20, 7 सितम्बर, 2017

[6] http:// Indiankanoon.org-doc

[7] https://khabar.ndtv.com/topic/plagiarism/news, august 11, 2012

[8] वही, 25 नवंबर, 2014

[9] https://news.raftaar.in/delhi-high-court-assistant-professor-plagiarism-खबर-jnu-असिस्‍टेंट-प्रोफेसर-साहित्यिक-चोरी-आरोप-कोर्ट-हजार-रुपया-जुर्माना/

[10] वही, 28 अप्रैल, 2017

[11] वही, 26 अप्रैल, 2017

madhu_sd19 @yahoo.co.in

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: साहित्यिक चोरी (प्लेगारिज़्म) // डॉ. मधु संधु
साहित्यिक चोरी (प्लेगारिज़्म) // डॉ. मधु संधु
https://lh3.googleusercontent.com/-NxU1onGSEIY/Vy4eE4B2z-I/AAAAAAAAtfw/XW-P4mpqpVM/image_thumb.png?imgmax=200
https://lh3.googleusercontent.com/-NxU1onGSEIY/Vy4eE4B2z-I/AAAAAAAAtfw/XW-P4mpqpVM/s72-c/image_thumb.png?imgmax=200
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/05/blog-post_665.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/05/blog-post_665.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content