आलेख // विज्ञान साइंस का पर्याय नहीं है // विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी // विज्ञान-कथा : जुलाई-सितम्बर 2018

SHARE:

आलेख विज्ञान साइंस का पर्याय नहीं है विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी आलेख इ स आलेख को लिखने का उद्देश्य विज्ञान बालकहानी और बाल विज्ञानकथा के अन्तर ...

आलेख

image

विज्ञान साइंस का पर्याय नहीं है

विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी

आलेख

इ स आलेख को लिखने का उद्देश्य विज्ञान बालकहानी और बाल विज्ञानकथा के अन्तर को स्पष्ट करना है। कई समीक्षक इनमें अन्तर नहीं कर पाते और बाल विज्ञानकथा के मानदण्डों के आधार पर विज्ञान बालकहानियों की समीक्षा कर रहे हैं। कई संपादक विज्ञान गल्प को विज्ञानकथा कह कर छाप रहे हैं।

आज विज्ञान का बोलबाला है। विज्ञान खोजों के आधार पर बने उपकरणों ने मानव जीवन में इतना स्थान बना लिया है कि इनके बिना जीवन गुजारना मुश्किल लगने लगा है।

आजकल प्राथमिक कक्षाओं से ही विज्ञान एक प्रमुख विषय के रूप में पढ़ाया जाता है। विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों व विज्ञान की कक्षा की अपनी मजबूरियां होती हैं। पाठ्यपुस्तकें विज्ञान के क्षेत्र में हो रही नवीनतम घटनाओं के विषय में बच्चों से संवाद नहीं कर पाती हैं। पाठ्यक्रम पूरा कराने की जिम्मेदारी के बोझ से दबा विज्ञान शिक्षक भी पाठ्यक्रम की चारदीवारी से बाहर नहीं आ पाता। ऐसे में विज्ञान बालसाहित्य ही बच्चों के ज्ञान की प्यास को बुझाता है। बच्चों में विज्ञान की समझ उत्पन्न करता है।

विज्ञान बालसाहित्य की विधाएं :

वर्तमान में साहित्य की सभी विधाओं यथा कहानी, कविता, नाटक, लेख, जीवनी, यात्रावृतान्त चित्रकथा, विज्ञान समाचार, विज्ञान प्रश्नोत्तर, विज्ञान कार्टून (साईटून) आदि में विज्ञान बाल साहित्य रचा जारहा है। विज्ञान बाल साहित्य की सर्वाधिक लोकप्रिय विधा कहानी है। विज्ञान कहानी को लेकर अभी भी भ्रान्तियाँ हैं। विज्ञान कहानियाँ तीन प्रकार लिखी जा रही हैं। विज्ञान आधारित कहानियों में विज्ञान के तथ्यों को स्पष्ट करने के लिए किसी घटना का सृजन किया जाता है। इन कहानियों में विज्ञान के ज्ञात तथ्यों को ही प्रस्तुत किया जाता है। वैज्ञानिक कल्पना का इनमें कोई स्थान नहीं होता। कहानीकार विज्ञान क्षेत्र की प्रमुख जानकारियों को कहानी रूप में प्रस्तुत कर बच्चों को विज्ञान की प्रकृति से परिचित कराता है।

विज्ञान कहानी विधाओं में अन्तर : पत्र पत्रिकाओं के संपादक विज्ञानकथा की तकनीकी शैली से परिचित नहीं होते। संपादक विज्ञान जानकारी युक्त गद्य रचनाओं पर ‘विज्ञानकथा’ का छाता उदारता से तान देते हैं।

वे बाल विज्ञानकथाएं, विज्ञान बालकथा व विज्ञान गल्प (फेन्टेसी) में अन्तर नहीं करते जबकि यह तीन अलग विधाएं हैं। बाल विज्ञानकथा तथा विज्ञान बालकथा में लेखक विज्ञान की मर्यादा से बंधा होता है। ये रचनाएं पाठक की विज्ञान की समझ को बढ़ाती है। इनमें विज्ञान के ज्ञात तथ्यों से विपरीत बात नहीं कही जा सकती। विज्ञानगल्प या ‘फेन्टेसी’ में लेखक वैज्ञानिक शब्दावली का उपयोग करते हुए अपनी कल्पना के बेलगाम घोड़े दौड़ता है। मनोरंजन ही इन रचनाओं का प्रमुख ध्येय होता है। ऐसे में लेखक, विज्ञान की सीमाओं का उल्लघंन कर देता है। विज्ञान गल्प (फेन्टेसी) पाठक की वैज्ञानिक समझ को बढ़ाने की जिम्मेदारी नहीं निभाती। बाल पाठक के मन में उलझाव ही उत्पन्न करती है।

विज्ञानकथा विश्वस्तर पर मान्य विधा ‘साइन्स फिक्शन’ का देशज रूप है। विज्ञानकथा से अर्थ लेखक मेरी शैली के विज्ञान उपन्यास फ्रैन्केंन्स्टीन (1818) व आईजक आसीमोव की शैली में लिखी गई कथाओं से है। विज्ञानकथा का उद्देश्य समाज पर विज्ञान के प्रभाव की अग्रिम झलक पाठक को दिखाना होता है। ये प्रभाव अच्छे व बुरे दोनों के प्रकार हो सकते हैं। विज्ञान के ज्ञात तथ्यों का ठोस आधार बना कर भविष्य की वैज्ञानिक कल्पना करना विज्ञानकथा की अनिवार्य शर्त होती है। इस कारण विज्ञानकथा लम्बी व कुछ तकनीकी होती है।

बाल विज्ञानकथा की कठिनाईयाँ :

विज्ञानकथा बच्चों के लिए लिखी जाय या बड़ों के लिए उपरोक्त मानदण्डों को पूर्ण करना आवश्यक है। बालसाहित्य में वर्तमान में 1200 शब्दों तक की गद्य रचनाओं को प्रकाशित किया जा रहा है। इतने कम शब्दों में विज्ञानकथा का लेखन असम्भव नहीं है तो कठिन अवश्य है। बच्चों के लिए विज्ञानकथा लिखना इस कारण भी कठिन होता है कि विज्ञानकथा का आधार ज्ञात वैज्ञानिक तथ्यों पर खड़ा किया जाता है बच्चों का विज्ञान ज्ञान इतना विस्तृत नहीं होता। बच्चों के विज्ञानकथा लिखना कठिन कार्य है, फिर भी बाल विज्ञानकथा के क्षेत्र में कुछ कार्य हुआ है। कई बालपत्रिकाएं बाल विज्ञानकथा के विशेषांक निकालती रही है।

विज्ञान बालकथाएं :

बालकथा समीक्षक गोविन्द शर्मा का मानना है कि विज्ञान बालकथाएं दोहरी भूमिका निभाती हैं। विज्ञान की दुरूह अवधारणाओं को कथा का आधार बनाकर न केवल कहानी को शिक्षा का सहज माध्यम बनाती हैं बल्कि बच्चों की जिज्ञासु प्रवृत्ति को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाती हैं। यह एक दोहरा काम है जो कई तरह के खतरों से भरा है। खतरे इस मायने में कि एक और तो आपको सही वैज्ञानिक तथ्यों का ध्यान रखना है और दूसरी ओर बाल मनोविज्ञान के दायरे में कथा की रोचकता भी बनाए रखनी है। गोविन्द शर्मा ने विज्ञान गल्प व विज्ञान बालकथाओं में अन्तर स्पष्ट करते हुए लिखा है कि विज्ञान बालकथाएं कल्पना की अनोखी उड़ान नहीं होकर वास्तविक विज्ञान है। प्रमाणिक ज्ञान है।

नए विषयों पर लिखना :

अब समय आ गया जब बाल विज्ञानकथा तथा विज्ञान बालकथा को दो अलग अलग विधाएं मान कर उनकी समीक्षा की जाय जिससे रचना के साथ अन्याय नहीं हो। विज्ञान बालकथा का मूल्याकंन इस आधार पर ही हो सकता है कि उसमें विज्ञान की किस जानकारी को सम्मिलित किया गया है।

विज्ञान की जानकारी के आधार पर विज्ञान बालकथा की शैली में परिवर्तन करना होता है। विज्ञान को बच्चों तक पहुँचाने हेतु विज्ञान बालकहानी में मैंने कई प्रयोग किए हैं। इनमें एक प्रयोग यह भी है कि पहले कहानी सुना कर जिज्ञासा पैदा की जाती है फिर कहानी में आए वैज्ञानिक पक्ष की विवेचना अलग से की जाती है। विज्ञान बालकहानी की यह शैली इतनी लोकप्रिय हुई कि राजस्थान पत्रिका के कार्यालय पहुँचते ही रविवारीय परिशिष्ट पर विज्ञान बालकहानी छप जाती थी। कुछ ही महीनों में इतनी कहानियाँ हो गईं कि एक स्थानीय प्रकाशक ने ‘कहो कैसी रही’ शीर्षक से पुस्तक के रूप में प्रकाशित कर दिया।

1998 में राजस्थान साहित्य अकादमी ने बालसाहित्य का पुरस्कार मुझे दिया था।

यह सही है कि बच्चों के सम्मुख जानकारी को घटना के रूप में प्रस्तुत किया जाना अच्छा रहता है। समस्या यह है कि विज्ञान की प्रत्येक जानकारी को घटना के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता। बच्चों को परमाणु संरचना या कोशिका के सूक्ष्म अंगों की जानकारी देनी हो तो घटना सर्जन कैसे होगा? उसे वार्तालाप से ही स्पष्ट करना होगा।

कोई विज्ञान बालकहानी अंधविश्वास को प्रेरित नहीं कर सकती। किसी कहानी में परी शब्द आ जाने से ही कोई बालकथा परिकथा नहीं हो जाती। मंत्र या ओम शब्द का प्रयोग अंधविश्वास का पर्याय नहीं हो सकता। मुख्य बात यह होती है कि कहानी क्या संदेश दे रही है।

विज्ञान सांइस का पर्याय नहीं है :

विज्ञान बालकहानी की बात हो तो विज्ञान की बात होना आवश्यक है। कई विज्ञान समीक्षक माध्यमिक कक्षाओं तक पढ़ाए जाने वाले भौतिकी के नियमों को ही विज्ञान मान कर अपने को ज्ञानी और लेखक को अज्ञानी सिद्ध करने का प्रयास करते हैं। भारतीय मान्यताओं को बिना समझे ही उस पर प्रहार करते हैं। ऐसा करके वे वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विपरीत आचरण करते हैं। अपने विश्वास को दूसरे पर लादना वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है।

अधिकांश लोग विज्ञान को साइंस शब्द का हिन्दी अनुवाद समझते हैं। विज्ञान शब्द साइंस की तुलना में बहुत पुराना है। विद्वानों का कहना है कि भारत में विज्ञान शब्द का प्रयोग ईसा से हजारों वर्ष पूर्व से होता आ रहा है।

लिखित रूप में विज्ञान शब्द का प्रथम प्रयोग ऋग्वेद में देखने को मिलता है। बाद में अथर्ववेद में भी इस श्लोक को लिया गया है :

सुविज्ञानं चिकितुषे अनाय सच्चासच्च वचसी पस्पृधाते।

तयोर्यत् सत्यं यतरहजीव स्तदित् सोयांडऽवति हन्त्यासत्।।

ज्ञानी पुरुष के लिए विज्ञान सुगम है। सच व असच एक दूसरे के विरोधी होते हैं। राजा सत्य और सरल बात को स्वीकारता है और असत्य को नष्ट करता है।

संस्कृत के लोकप्रिय शब्दकोश अमरकोश के अनुसार - मोक्षे धीर्नानम् अन्यत्र विज्ञानं शिल्पशात्रयों अर्थात मोक्ष के लिए उपयोगी जानकारी ज्ञान है तथा अन्य शास्त्रों व शिल्पों की जानकारी विज्ञान है। विज्ञान के अन्तर्गत व्याकरण, आयुर्वेद, ज्योतिष्य, संगीत, नाटक, ललितकला आदि सभी आ जाते हैं।

स्पष्ट है कि विज्ञान शब्द साइंस की तुलना में बहुत व्यापक है।

प्राचीन भारत में शिक्षा व्यवस्था भी इसी के अनुरूप थी। मोक्ष के लिए अध्ययन को शिक्षा तथा विज्ञान के अध्ययन को अविद्या कहा जाता था। शिक्षा की पाठ्यचर्या में दोनों को बराबर का महत्व प्राप्त था।

भारत के संविधान में देशवासियों से वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की अपेक्षा की गई है। विज्ञान बालकथा से भी यह अपेक्षा की जाती है कि वह पाठकों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करे। वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाले व्यक्ति का एक गुण प्रशंसाभाव होता है। सूर्य पर हमारी निर्भरता स्वीकारते हुए प्रशंसाभाव से ओम सूर्याय नमः कहने से विज्ञान बालकथा में रोचकता उत्पन्न होती है, नहीं कि अंधविश्वास।

सनातन मूल्य कभी पुराने नहीं होते, बदलते भी नहीं हैं। विज्ञान की प्रवृति भी सनातनता की ही है। विज्ञान के नियम सम्पूर्ण सृष्टि पर सर्वकाल में समान रूप से लागू होते हैं। भारत में सनातन धर्म का अर्थ विज्ञान अर्थात प्रकृति की सत्ता को स्वीकारना ही रहा है। प्रकृति को ललकारना नहीं। ‘क्लाईमेट चेन्ज’ से भयभीत विश्व भारत की इस सोच की मुग्ध भाव से प्रशंसा कर रहा है। पश्चिम ने अपने सोच में परिवर्तन कर लिया है मगर हमारे वामपंथी मित्र अडिग हैं। आवश्यकतानुसार उपभोग व वृक्षों के महत्व को स्वीकार उन्हें पवित्र घोषित किया गया तो पृथ्वी की रक्षा होती रही। उस विश्वास को तोड़ने का परिणाम हम ‘क्लाईमेट चेन्ज’ के रूप में भुगत रहे है।

विज्ञान कथा व शिक्षा :

भारतीय भाषाओं में विज्ञान कथाएं लिखी जा रही हैं मगर उनका उपयोग शिक्षा क्षेत्र में नहीं किया जा रहा। विदेशों में विज्ञान कथा का उपयोग विज्ञान विषय को लोकप्रिय बनाने के लिए होता रहा है। कई देशों में तो विज्ञान कथा को पाठ्यचर्या का भाग बनाया हुआ। कक्षा के स्तर के अनुसार विज्ञान कथाएं लिखी व पुस्तकाकार में प्रकाशित की जा रही हैं।

वर्तमान भारत में शिक्षा के नीति निर्धारक इस विषय में अनभिज्ञ बने हैं जबकि प्राचीन भारत में विज्ञान व धर्म में विवाद नहीं रहा दोनों साथ साथ चले। भारत का आदि धर्म सनातन धर्म कहलाता है जिसका अर्थ सृष्टि के नियमों से है। वह क्या है जिसे जानने से सब कुछ जाना जा सकता है? भारत में धर्म प्रारम्भ से ही इस प्रश्न की खोज में लगा रहा है, यह वहीं प्रश्न है जिसे विज्ञान थ्योरी ऑफ एवरी थिंग कह कर आज भी तलाश रहा है। भारत में विज्ञान व धर्म के बीच वैसा टकराव कभी नहीं रहा जैसा चर्च व विज्ञान के मध्य होता रहा है।

भारतीय धर्म शास्त्रों में कहानियों के माध्यम से वैज्ञानिक सूचनाओं को दिया जाता रहा है। बालक ध्रुव की कहानी द्वारा यह जानकारी दी गई कि ध्रुव तारा उदय या अस्त नहीं होता। एक स्थान पर स्थिर रहता है। ध्रुव तारा की खोज अपने समय की एक बड़ी खोज रही होगी तथा इस जानकारी को जनसाधारण तक पहुँचाने के लिए ही किसी ऋषि ने ध्रुव तारा की कहानी लिखी होगी।

भारतीय विज्ञान कहानी का एक और रोचक उदाहरण देखिए - लीलावती पूछती है पिता जी यह पृथ्वी जिस पर हम निवास करते है किस पर टिकी हुई है? भास्कराचार्य कहते- हे बाले लीलावती कुछ लोग जो यह कहते हैं कि यह पृथ्वी शेषनाग, कुछ कछुआ या हाथी या अन्य किसी पर आधारित है तो वे गलत कहते हैं। यदि यह मान लिया जाए कि पृथ्वी किसी पर टिकी हुई है तो भी यह प्रश्न बना रहता है कि वह वस्तु किस पर टिकी हुई है। इस प्रकार कारण का कारण और फिर उसका कारण.......... यह क्रम चलता ही रहता है तो न्यायशास्त्र में इसे अनावस्था दोष कहते हैं।

लीलावती ने कहा पिता जी मेरा प्रश्न तो अभी बना हुआ है कि पृथ्वी किस पर टिकी हुई है? तब भास्कराचार्य ने कहा हम यह क्यों नहीं मान सकते कि पृथ्वी किसी पर भी आधारित नहीं है।...... यदि हम यह कहें कि पृथ्वी अपने ही बल से टिकी है और इसे धारणात्मिका शक्ति कह दें तो क्या दोष है।

तब लीलावती पूछती है यह कैसे सम्भव है? भास्कराचार्य कहते हैं पृथ्वी में आकर्षणशक्ति है। पृथ्वी आकर्षणशक्ति से प्रत्येक भारी वस्तु को अपनी ओर खींचती है और प्रत्येक वस्तु पृथ्वी पर गिरती है। पर आकाश में समान ताकत चारों ओर से लगती है तो पृथ्वी कैसे गिरे? अर्थात आकाश में ग्रह बिना सहारे हैं क्योंकि विविध ग्रहों की गुरुत्व शक्तियाँ संतुलन बनाए रखती है। यह विज्ञानकथा न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम के 559 वर्ष पूर्व की है। खोज करने पर अनेक उदाहरण और मिल जाएंगे।

---

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: आलेख // विज्ञान साइंस का पर्याय नहीं है // विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी // विज्ञान-कथा : जुलाई-सितम्बर 2018
आलेख // विज्ञान साइंस का पर्याय नहीं है // विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी // विज्ञान-कथा : जुलाई-सितम्बर 2018
https://lh3.googleusercontent.com/-3jTZhz2wvr8/Wyylv27V4lI/AAAAAAABC04/x9vyTZd_Ip8MW24zVrg-3R6KQJ2-X77FgCHMYCw/image_thumb%255B3%255D?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-3jTZhz2wvr8/Wyylv27V4lI/AAAAAAABC04/x9vyTZd_Ip8MW24zVrg-3R6KQJ2-X77FgCHMYCw/s72-c/image_thumb%255B3%255D?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/06/2018.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/06/2018.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content