व्यंग्य लेख - सरकारी भोजन लेखक - कमल किशोर वर्मा कन्नौद

SHARE:

एक देश था देश में राजा होते ही हैं, सो वहाँ भी था । उसकी सरकार भी थी और गाँव के सरपंच से लेकर प्रधानमंत्री तक सब नियुक्त थे । उसने जनता की उ...


एक देश था देश में राजा होते ही हैं, सो वहाँ भी था । उसकी सरकार भी थी और गाँव के सरपंच से लेकर प्रधानमंत्री तक सब नियुक्त थे । उसने जनता की उन्नति के लिये जनता को बहुत अधिकार दिये जैसे जिन्दा रहने का अधिकार, खाने का अधिकार, लेटरिंग जाने का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, बिना पढे़ पास होने का अधिकार, वगैरह-वगैरह ......अब वह तो जन कल्याणकारी राजा था, उसको खुद को भी तो कुछ अधिकार चाहिये ? सो उसने अपने लिये भी अधिकार तय किये जैसे घोटाले का अधिकार, दलाली का अधिकार, वोट बैंक का अधिकार, विपक्षी की हर बात को बुरी बताने का अधिकार, अपने ऐशोआराम के लिये जनता के धन का मनमाना इस्तेमाल का अधिकार , भ्रष्टाचार का अधिकार, और इन सब में प्रमुख था-वह अधिकार जिसके तहत हम कुछ भी बोलें वह सही, दूसरा कुछ भी बोले वह गलत, हम पक्षपात करें तो सही दूसरा करे तो गलत । हम धार्मिक पक्षपात करें तो भी हम धर्म निरपेक्ष और दूसरा कोई यह बात करे तो वह साम्प्रदायिक , वगैरह- वगैरह ..................

खैर साहब जलने वाले तो जलते ही रहते हैं अब उनकी किस्मत में ये सुख नहीं तो हम क्या करें ? तो हम कह रहे थे एक किस्सा - वहाँ गरीब बहुत थे, सो राजा के मन में खयाल आया- क्यों न गरीबी रेखा से नीचे वालों के लिये एक सरकारी भोजनालय खोल दिया जाय ? जहाँ गराबों को दस रू. में भोजन कराया जाय । बस खयाल आते ही आनन फानन में मिटिंग बुलाई गई एक भोजन मंत्रालय का गठन किया गया, एक बडा बजट आवंटन हुआ। भोजन मंत्री बने, मंत्री से जिला, जिला से तहसील और तहसील से गाँव स्तर तक समितियाँ बनी, सभी समितियों में अपनी पार्टी के लोंगों की नियुक्ति की गई । कई अधिकारी नियुक्त किये गये उनके लिये कई वाहन खरीदे गये कई भवन बनवाये गये उनके लिये फर्नीचर खरीदा गया उन पर बडे-बडे बोर्ड लगवाये गये, एक पोर्टल बनवाया गया, जिस पर भोजनालय और उससे जुड़ी हर जानकारी दर्ज की गई । प्रत्येक हितग्राही की जानकारी और आवेदन आनलाइन रजिस्टर्ड किये जाने का प्रावधान किया गया। बडे बडे साहब ने पैसे लेकर प्रत्येक गाँव में भोजन सहायक की नियुक्ति की। एक विशेष पर्व पर समारोह पूर्वक उनका उद्घाटन किया गया, सभाएं हुई, उनमें लोग लाये गये । मंत्रीजी आये ,उनके लिये फाइव स्टार से खाना बुलवाया गया । इन सब में जमकर भ्रष्टाचार हुआ ऐसा लोग कहते हैं, मै नहीं कहता । खूब भाषण हुए, जनता को बार-बार ये अहसास कराया गया कि हम तो आपके सेवक है ये सब आपकी भलाई के लिये ही है ।

राजा तो अपनी इस योजना पर फूला न समाता था। अब चूँकि योजना सरकारी थी उसका खूब प्रचार किया गया नुक्कड़ सभाएँ हुई , हर चौराहे और पुल पर बोर्ड लगवाये गये, इन सब में करोड़ों का व्यय हुआ। अधिकारियों ने निर्देश दिए कि जो भी आदमी भोजन करने आए उसका फोटो वाट्सअप पे भेजें और पोर्टल पे अपलोड करें। तर्क दिया गया कि इससे कार्य में पारदर्शिता आएगी !

एक आदमी ने ये सब सुना ..... उसने सोचा राजा कितना भला है ? उसके दिमाग में आया कि सरकार बहुत दयालु है , चलो मै आज वहाँ जाकर भोजन कर लूँ ।

साधारण कद-काठी का आम आदमी लोक लुभावन नारों से सुसज्जित दीवारों वाले आलीशान भवन में डरते-डरते प्रवेश करता है। दरवाजे के समीप स्टूल पर बैठा दरबान उसे झिड़की देता हुआ बोला - क्या बात है ? कहाँ रहते हो ? गरीब होने का प्रमाणपत्र लाये ? साब मीटिंग में है देर से आना ...... बेचारा भूखा स्वयं को निरीह प्राणी समझकर जवाब देता रहा परन्तु दरबान शायद पिछले जन्म में कंस का दरबान था जब तक उसने पाँच रू. रिश्वत नहीं ले ली तब तक उसके सवाल खत्म नहीं हुए। अब बेचारा अन्दर गया अब उसका सामना एक शालीन कर्मठ दिखने वाले विशिष्ट व्यक्ति से हुआ , उसने एक ठण्डी साँस लेते हुए कहा - भोजन के दस रू. जमा करा दो । आम आदमी का भूख से बुरा हाल था उसने तत्काल दस रू. जमा कराये । पैसे जमा कराने के बाद उसे एक रसीद और एक फार्म देकर वह विशिष्ट व्यक्ति विशिष्ट सरकारी लहजे में बोला - इसे भरकर सामने वाले काउन्टर पर जमा कर दो । फार्म पढ़कर वह बेचारा भूल गया कि वह किस देश का नागरिक है ? उस फार्म में जो जानकारी भरी जाना थी उनमें प्रमुख थी आवेदक का नाम, पता ,जाति, उम्र, व्यवसाय,गरीबी रेखा सूची का क्रमांक, आधार नम्बर, आईडी नम्बर, आप कितना रोटियाँ खाएंगे ? गेहूँ का प्रकार लिखें, रोटी की लम्बाई चौडाई लिखें ,रोटी गैस अथवा चूल्हे पर बनाई जाय ? सही विकल्प पर टिक करें , दाल सादी या ऐगमार्क वाली ? किस ब्रांड की ? उसमें पानी का प्रतिशत और चाहे गये मसालों के नाम और उनकी मात्रा का ब्यौरा दें , अन्य अचार पापड़ आदि के बारे में भी इसी प्रकार की जानकारियाँ थी । गराबी रेखा के नीचे वाले राशनकार्ड की फोटोकापी आधार कार्ड की फोटोकापी , उस वार्ड के पार्षद से लिखा हुआ , यहीं रहते हो इस बात के लिये तहसीलदार का स्थाई निवासी प्रमाणपत्र संलग्न करें । उस फार्म को भरने में बेचारे की रही-सही ऊर्जा भी खत्म हो गई ,निढाल होकर उसने फार्म जमा किया और भोजन का इन्तजार करने लगा बहुत देर बाद उसको उस कहावत का अर्थ समझ में आया जो उसने कभी पाँचवी कक्षा में रटी थी कि हर चमकने वाली वस्तु सोना नहीं होती। हर शालीन कर्मठ दिखने वाले विशिष्ट व्यक्ति ................नहीं होते । कुछ घण्टे व्यतीत हो जाने पर ,बार-बार पूछे जाने पर उसको यह बताया गया साहब अभी मीटिंग में है आप का आवेदन पहुँचा दिया गया है जैसे ही साहब की स्वीकृति मिलेगी आपके भोजन का प्रबन्ध हो जायेगा । गरीब देश का गरीब नागरिक इन्तजार के सिवाय कर ही क्या सकता ? पैसे तो जमा कर ही चुका था, पर देखिये देर है अंधेर नहीं ! आखिर साहब बाहर निकले और मंत्रीजी को फोन पर बधाई देते हुए बताया - सर हमने जो गरीबों के हित में योजना बनाई है उसमें पहला आवेदन आ चुका है इसके लिये हम भोजन उत्सव का आयोजन करेंगे, पडौसी मुल्क के प्रधानमंत्री को आमंत्रित करेंगे इससे विदेशों में हमारी छबि सुधरेगी हमारे विपक्षियों का मुँह बन्द हो जायेगा, अगले चुनाव में भी इसका लाभ मिलेगा , मंत्रीजी अपने अफसर की बुद्धिमानी देख कर खुश हो गये और उसके प्रमोशन पर विचार करने लगे तथा अपने मंत्रालय की कर्त्तव्यनिष्ठा का बखान कर प्रधानमंत्री से और अधिक आवंटन की मांग कर डाली ।

भूख से व्याकुल उस आदमी को बताया गया - हमारे खरीदी इन्सपेक्टर एगमार्क वाली दाल और सब सामान का कोटेशन लेने गये है जैसे ही कोटेशन प्राप्त होंगे, बड़े साहब खरीदी का आर्डर देंगे , आप बिल्कुल चिन्ता न करें । पर भूख तो किसी कानून को नहीं मानती ! सो उस आदमी ने उस विशिष्ट कर्मचारी से कहा कि कोई बात नहीं जब तक भोजन नहीं बन जाता अपन चलें पास के होटल से नाश्ता करके आते है, विशिष्ट कर्मचारी तो आग्रह के कच्चे होते ही है , वे दोनों पास के होटल में गये ,ष्जी भर के नाश्ता किया तथा वह आदमी बोला आप यहीं बैठिये मै आपके लिये गुटका लाता हूँ यह कह कर वह आदमी (बिना बिल चुकाये) जो बाहर गया तो कभी वापस न लौटा । उसने हिकारत भरी नजर से देखा उस दिव्य इमारत पर लिखा था पुनः पधारें , हम आपका सहयोग करने के लिये कृतसंकल्पित है ।

न जाने कैसे विपक्ष को इस पूरे मामले की भनक हो गई उन्होने सरकार गिरा देने की योजना बना डाली , अविश्वास प्रस्ताव लाया गया ,सांसद खरीदे गये , भ्रष्टाचार निवारण समिति बना दी गई , जिसके ऊपर भ्रष्टाचार के कई आरोप थे उसको समिति का अध्यक्ष बना दिया गया उस जाँच में भी भ्रष्टाचार हुआ । लीपापोती करने के लिए एक सदस्यीय जाँच आयोग बैठा दिया गया। एक रिटायर्ड व्यक्ति को जाँच आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। रिटायर्ड व्यक्ति को रोजगार मिल गया, ( अब यह अलग बात है कि कार्य क्षमता खत्म होने पर ही तो उसे रिटायर्ड किया गया था ) आयोग की अवधि बार बार बढ़ाई गई। कई साल बाद, करोड़ों रू. खर्च करके आयोग ने रिपोर्ट पेश की - वह व्यक्ति भूखा नहीं गया था उसे हमारे कर्मचारी ने अपने व्यय से नाश्ता कराया था । कर्त्तव्यनिष्ठ कर्मचारी को समारोह पूर्वक राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया, मंत्रीजी को देश रत्न दिया गया , मंत्रीजी की फोटो छपी और नीचे लिखा गया हम किसी को भूखा नहीं रहने देंगे हम आपका सहयोग करने के लिये कृतसंकल्पित है ।

फिर भी आम आदमी इन सब का लाभ न ले पाये तो यह उसका भाग्य , इसमें सरकार का क्या दोष ?

---

लेखक - कमल किशोर वर्मा कन्नौद


लेखक परिचय

कमल किशोर वर्मा , दुर्गा कालोनी कन्नौद जिला देवास म.प्र.

शिक्षा - बी. एससी . एम.ए. बी.एड.

कवि, लेखक, गीतकार, संगीतकार, चि़त्रकार, ज्योतिषी, हस्तरेखा विशेषज्ञ, सामुद्रिकशास्त्र, वास्तुशास्त्र विशेषज्ञ, आयुर्वेद के ज्ञाता, प्राचीन भारतीय संस्कृति के मर्मज्ञ इतिहासकार

लिखी गई पुस्तकें -

काव्यांजलि निहारिका भाग 1 तथा भाग 2 ( काव्य संग्रह )

एक चम्मच सच ( र्व्यंग्य लेख व कहानी संग्रह )

मुगल काल का काला सच ?

राजा राममोहन राय का सच ?

कैसा महात्मा था गाँधी ?

सिन्धु का विनाश कारण और विश्लेषण

देव चर्चा

पुस्तक परिचय - देव चर्चा

पुस्तक देवचर्चा का कथानक इस प्रकार प्रारम्भ होता है कि भगवान विष्णु ने एक बार नारदजी से कहा कि हे नारद, हमारे प्रिय आर्यावर्त भारतखंड से हमें श्रीकृष्ण रूप से आए लगभग 5000 साल हो गए हैं आप भारत में जाकर 6 माह रहिए और हमें वहाँ का सब बात हाल समाचार विस्तार से बताइये । तब नारदजी भारत आए और यहाँ के हालात का विस्तार से वर्णन किया .. यहाँ के दुःख-दर्द, लाचारी, चोरी, बेइमानी, सत्तालोलुपता, भ्रष्टाचार, अन्याय और अत्याचार की कथा विस्तार से कही । वही कथानक है ।

पुस्तक परिचय - सिन्धु का विनाश कारण और विश्लेषण

सिन्धु घाटी की सभ्यता के बारे में आज बहुत सी बातें जानी जा चुकी है । सब जानते हैं कि सिन्धु घाटी की सभ्यता बहुत विकसित थी । परन्तु खुदाई से प्राप्त कुछ बर्तन औजार मकान गली सड़क से उस समय की भौतिक जानकारी ही प्राप्त होती है, मानसिक वैचारिक कर्तव्यनिष्ठा कार्यशैली आपसी तालमेल, विचारधारा, शासन व्यवस्था अधिकारियों कर्मचारियों की कार्य शैली उनके कार्य व्यवहार नियम रीति-रिवाज और भ्रष्टाचार के बारे में खुदाई से पता नहीं चल सकता ! अब सबसे बड़ा प्रश्न है कि इतनी विकसित सभ्यता नष्ट क्यों हो गई ? सिन्धु घाटी की सभ्यता नष्ट होने का कारण मै जानता हूँ । सिन्धु घाटी में उस समय लगभग 38 विभाग थे जिनमें लगभग 5000 नियम, कानून, योजना, कार्य, कार्यशैली, और कार्यपद्धति मूर्खतापूर्ण और भ्रष्ट थी। ये योजनाएँ सिर्फ इस लिये बनाई गई थी कि राजा और अधिकारियों को कमीशन और रिश्वत मिल सके ! समाज देश मानवता का क्या होगा ? इसका न तो उनको ज्ञान था न इससे उनको मतलब ? वे सिर्फ वही योजना बनाते थे जिसमें उनको धन मिले ! उन सब मूर्खतापूर्ण योजनाओं का वर्णन इस पुस्तक में है । राजा और अधिकारियों की सत्तालोलुपता जिद तानाशाही भ्रष्टता और मूर्खता से कैसे विनाश हो जाता है यही विवेचना है ।

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. मजेदार व्यंग्य | सरकारी काम काज की सटीक प्रस्तुति | बधाई | सुरेन्द्र वर्मा |

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: व्यंग्य लेख - सरकारी भोजन लेखक - कमल किशोर वर्मा कन्नौद
व्यंग्य लेख - सरकारी भोजन लेखक - कमल किशोर वर्मा कन्नौद
https://lh3.googleusercontent.com/-Zklz29G330o/W2wYHQ6_EaI/AAAAAAABD2s/jaCcHhtowbIItt--lZSIqP13xkMnP2scACHMYCw/image_thumb%255B1%255D?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-Zklz29G330o/W2wYHQ6_EaI/AAAAAAABD2s/jaCcHhtowbIItt--lZSIqP13xkMnP2scACHMYCw/s72-c/image_thumb%255B1%255D?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/08/blog-post_15.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/08/blog-post_15.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content