1. परमेश्वर(श्री कृष्ण) जब मेरे जीवन में आयी कठिनाई तुमने बचाया अब छीटी सी ही उलझन में क्यों इतना फंसाया अखिल ब्रम्हाण्ड नायक अब तक ...
1. परमेश्वर(श्री कृष्ण)
जब मेरे जीवन में आयी कठिनाई तुमने बचाया
अब छीटी सी ही उलझन में क्यों इतना फंसाया 
अखिल ब्रम्हाण्ड नायक अब तक दिया सहारा
तु़झ को सदा किया भरोसा इतना क्यों बिसारा
हर उलझन से, हर संकट से मुझे लिया उबार
अब न लो इतनी कठिन परीक्षा हे पालनहार
   
मांगने वाले को सदा भिखारी कहते ये जग वाले
दान,धर्म की केवल बातें करते ये बेदिल मतवाले
अनेकों देखे नाते रिश्ते सब केवल चालबाज
दया करो मुझे अब बहुत उलझन है महाराज
  
दूसरों का हक भी छिनकर ले रहे हैं अत्याचारी
लड़ना चाहें तो भगवन बनो सारथी हे वंशीधारी
पांचजन्य लेकर आओ आवश्यक है अब भारी
वर्ना छीन लेंगे सारे जग को ये लुटेरे अत्याचारी
बड़ी अद्भभुत है यहां माया तुम्हारा हे वंशी वाले
आओ बचाओ मुझे अब बहुत सताते जग वाले
आस केवल है तुम्हारा तुम ही मेरे पालनहार
संकट बहुत है और किसे पुकारू हे सरकार
 कपट किया अनेकों ने मेरा किया इस्तेमाल
शरण पड़ा हूं आस तुम्हारे अब लो सम्हाल
गांव में न्याय के लिए किया बड़ों से गुहार
न्याय नहीं मिला कहीं मिला केवल दुत्कार
न्याय नहीं मिलता अब भी बेटों को गांव में
बाप के अन्याय को न्याय कहते मतलब में
कमजोरों का न्याय करते केवल भगवान 
गांवों में न्याय पाते दबंग,धूर्त और धनवान
भगवान का न्याय भी होता है समय आने पर
भगवान न्याय करते हैं केवल अपने विधि पर
लीला किए अनेकों मेरे संग अब क्यों हो देरी
भगवन दो सहारा अब मुझ पर संकट है भारी
मैं  सुना हूं रामेश्वर में जब बन रहा था पूल
गिरहरी के धूल को भी किया आपने कबूल
मेरे साथ ही ये देरी क्यों?क्या वादा गये हो भुल
देहरी इंतजार में है अज्ञानियों को चटाओ धूल
साधनाओं से हुआ निराश आप पर किया आस
पुर्व कर्म से हुआ सम्पर्क स्वामी श्री रामसुखदास
लिया सलाह उनसे गुरू मान पत्र के माध्यम से 
किया साधना श्री कृष्ण का गीता जी के मंत्रों से
गुरू के पत्र को देखना चाहे यदि कोई सज्जन
रखा हूं उसे सुरक्षित घर में, प्यारे भगवत जन
रात को किया साधना छुपकर में घर वालों से
डर था कहीं जान न जाएं पिछले अनुभवों से
कुछ रातों तक पता न चला मन संशय अनेक 
  फिर एक रात मिला संकेत,मानो निज विवेक
श्री राधे संग सपने में आए सफल हुआ साधना
अब क्यों इतनी देरी मुझ पर है संकट जो घना
बचन दिये हो मुझे छोटी बातों से न घबराना
करने हैं बड़े काम तुम्हें चाहे कुछ हो न डरना
बातें हुई सपने में तब हुआ अचानक से जागना
कुछ देर में सो गया करते प्रभु दर्शन की कल्पना
कुछ दिनों बाद किया में एक विशेष कामना
यह पूरा हो जाए तो सफल मानुंगा साधना
सपने की बातें होंगी केवल मन का कौतुक
ऐसा हो कि लगेअब अवश्य कुछ रोमांचक
मित्रों कुछ दिनों बाद मेरा कामना सफल हुआ
कहना नहीं चाहता उसे पर विस्मय मुझे हुआ
  
जब याद करता हूं उस कामना की पूर्ति को
होता विस्मय अब बहुत ही अधिक मुझको
   
दावा के साथ कुछ भी कहना तो उचित नहीं
पर कुछ रहस्य अनसुलझे हैं इसमें शक नहीं
देहरी विश्वास करे बहुत, आप हो सत्य जग में
लोग माने न माने ,आप आए थे मेरे सपने में
तुम बसे घट-घट में,कण-कण के संचालक हो
समझ सके तो समझ लो,जो जैसा समझता हो
   
वृंदावन में महारास रचाए सारे जग को भाए
बाबा महादेव भी गोपी बन रास देखने आए
सुना हूं तुम अब आते हो बृन्दावन के निधिवन
लेकिन कब आओगे मुझसे मिलने मेरे भगवन 
शबरी के बेर भाए बिदूर के घर भोजन खाए
भगवान कहें,खुदा कहें,नाना रूप में तुम आए
कृष्ण रूप की शोभा देखने देव भी तो आए
अनिल शोभा का दर्शन सपने में ही कर पाए
उस रूप का वर्णन कैसे करे देहरी मति हीन
अल्प समय दर्शन दिए प्रभु था में नींद लीन
जग वाले कुछ भी कहें तुम हो मेरे पालनहार
मेरे हित बिचारो जो हो सबसे उचित व्यवहार
जग वाले हैं बहुत भ्रम में, देहरी कैसे समझाए
तुम हो सब दिल में , जगवाले समझ ना पाए
लड़ने वाले लड़ रहे हैं पर देहरी देख सह न पाए
अपने अल्प मति से प्रभु महिमा कहां लिख पाए
कब तब स्वर्ग के लिए लड़ोगे भाई अब तो मानो
ज्ञान विवेक से कर्म करो,तुम सबकोअपना मानो
समस्याओं से भरी धरती मिलकर हल निकालो
देहरी की विनती ये है मन से अब मैल निकालो
अनेकों विस्मय अनुभव हुआ है मेरे जीवन में
जग वाले क्यों समझें वे तो हैं अब उलझन में
श्री गीता में ज्ञान ही नहीं है ब्रम्हाण्ड का रहस्य
जानना चाहो तो पढ़ लो अनुभव होगा अवश्य
बचपन से बच्चों को पढ़ाओ श्री गीता का अमृत
संस्कारवान बनेंगे निश्चय,न होंगें कभी भयभीत
अनंत रहस्यमय हो तुम में कहां समझा पाउंगा
संसार में केवल उपहास का पात्र बन जाउंगा
  
लिखने का साहस किया है गुणी जनों के बीच
मेरा तेरा हो रहा है अब जग में भाईयों के बीच
जन्म भोजपल्ली शुभ स्थान को मित्रो जानिए
मांता बेलमति पिता मनबोध की संतान मानिए
जिला रायगढ़ सब से सुन्दर है पंचायत लोईंग
पहाड़ किनारे मेरा गांव देखा अद्भभुत संयोग
पूर्व कर्म बस बालपन से स्नेह कबहुं न पायो
मात-पिता जन्म से भाइयों में तुलनाएं कियो
कमजोर समझ परिजनों ने किया सदा अपमान
अंत मैं शरण लिया हूं चरणों में केवल भगवान
भगवान तुम ही सच्चे परिजन अन्य और नहीं
कृष्ण बिना अब सब फीका यह असत्य नही
खाय के कंद, मुल,पत्र व फल वन में गाय चरायो
सुख में साथी सब बने थे अब अंतर बहुत कियो
समझ नहीं पाए यदि अब हम धर्म के मुल तत्व
तब तो दुख मिलना तय है ये अनुभव करो सत्य
ब्रम्हाण्ड का है संचालक कोई रहस्यमय शक्ति 
अनेकों  प्रकार से करते हैं मानव उसकी भक्ति
यदि चाहिए स्वस्थ,सुन्दर व शांतिमय जीवन
तो करना पड़ेगा शास्त्रीय नियमों का पालन
कर्म से महान और कुछ नहीं यह मेरा अनुभव
अच्छे कर्म करें फल की चिंता छोड़ें यथासंभव
कर्म को भगवान का रूप माने यदि सब इंसान
निश्चय मिलेगा सबको सुख ,शांति एक समान
हर रूह में बसे हो तुम जग के नादान हैं अनजाने
मंदिर,मस्जिद,चर्च,गुरूद्वारे आदि में जाते खोजने
ये पुजा के घर  हैं केवल मन को निर्मल करने
इन घरों में भी चाहते हैं नफरत के बीज बोने
मन से बड़ा न मंदिर है कोई जग में ओर कहां
नफरत क्यों बो रहे हैं ये जग वाले जाएंगे कहां
मिल जुल कर निकालें समस्याओं का समाधान
कण-कण में बसे ये मेरे प्यारे मनमोहन भगवान
बना लिए हैं अपने मन से ये मनमाने भगवान
कहते हैं कि हमारे वाले ही हैं असली भगवान
अयोध्या व मथुरा में तोड़े प्रभु के जन्म स्थान
हर घट में प्रभु समाये इसे कैसे तोड़ें ये नादान
मंदिर तोड़ने वाले अब मन तोड़ कहां पाओगे
तुम पर कलंक के धब्बे हैं कब तुम मिटाओगे
अब सौंप दो हमें जो स्थान हैं हमारे भगवान के
नहीं चाहते नफरत फैले हम संतान एक ईश के।
2.ब्रह्मचर्य
आओ बच्चों तुम्हें समझाएं ब्रह्मचर्य का विज्ञान
चार आश्रमों में प्रथम है यह ब्रम्हचर्य का स्थान
आश्रम व्यवस्था है सफल जीवन का आधार
प्रथम आश्रम ब्रम्हचर्य यह सफलता का द्वार
संतुलन व अनुशासन से करना ज्ञान अर्जन
सफलता की नींव है यह ऋषियों का चिंतन
माना आज जमाना है आधुनिक व यांत्रिक
पर ब्रम्हचर्य है बहुत आवश्यक व वैज्ञानिक
चाहिए यदि सुख,सफलता व संतुष्टि भरा जीवन
पालन करो ब्रम्हचर्य का जैसे बतलाएं गुरूजन
अपने माता -पिता और गुरूओं से जानो इसको
जल्दी से अमल करो उनके बतलाए अनुभव को
ब्रम्हचर्य का सरल अर्थ ब्रम्ह(ईश्वर)का आश्रय
  बनेगा शरीर बलवान और समझोगे हर विषय
भोग-विलास से दूर रहना तन मन से यह जानो
जीवन की सफलता का मूलाधार है यह मानो
सफल तुम्हारा जीवन होगा ब्रम्हचर्य पालन करो
आधुनिकता की दौड़ में विवेक का न त्याग करो
हमारे देश की जलवायु में ब्रम्हचर्य है आवश्यक
आधुनिकता के चमक में न जाना कभी  भटक
सादगी से रहना व खुद को दुर्गूणों से बचाना 
इतना कर पाए तो जीवन सफल होगा देखना
भगवान श्री राम और श्री कृष्ण थे ब्रम्हचारी
जगद्गगुरू शंकराचार्य व हनुमान भी ब्रम्हचारी
आधुनिक काल में विवेकानंद व बिनोवा
बदल दिया जिन्होंने पश्चिमी जहरीली हवा
छात्रों से देश की आशाएं बहुत हैं  बनो सफल
ऐसे काम करो जग में कि युग भी जाए बदल
बड़ों के अनुभव से सीखना है सही समझदारी
दुर्जेनों की बातें लगती हैं सरल और बड़ी प्यारी
भटके राह एक बार भी तो दुख बहुत मिलेगा
सम्हलने में बहुत लंबा सफर तय करना पड़ेगा
होता है बुरा काम करना बहुत सरल जग में
परिणाम निश्चित दुखमय होगा न रहो भ्रम में      
ब्रम्हचर्य ही बचाएगा तुम्हें बुरे रास्तों पर जाने से
ज्ञान करता है काम व्यवहार में अमल करने से
बृहस्पति पुत्र कच ने ब्रम्हचर्य का पालन किया
तभी शुक्राचार्य ने मृतसंजीवनी का ज्ञान दिया
उनकी पुत्री से रखा था केवल संतुलित व्यवहार
ब्रम्हचारी होने से ही बृहस्पति ने किया स्वीकार।
             3.दान 
मित्रों किसी जरूरत मंद को दान अवश्य करना
रोगी को दवा देना और भूखे को भोजन कराना
थोड़ा सा सहयोग ही किसी का जीवन बचाएगा
बीमार मौत से न बचे तो भी दुआ तो अवश्य देगा
जो देगा उसे मिलेगा ही शास्त्रों का है विधान
कण-कण में बसे हैं ब्रम्हाण्ड नायक भगवान
पेड़ को पानी व भटके हुओं को राह दिखाना
दान है ,कुछ न दे सके तब अच्छी बातें कहना 
देने के समान कुछ और नहीं दे कर तो देखो
पाया बहुत यारों जरा कुछ लुटा कर तो देखो
भोजन कराने का विशेष पुण्य है वो मेरे साथी
भूख से मर रहे हैं  मानव, जानवर, और हाथी
द्रोपदी ने कृष्ण और एक ऋषि को दिए थे वस्त्र
इसलिए द्रोपदी को भी मिले थे बहुत सारे वस्त्र
दान देकर प्रचार न करना है बहुत बड़ा पुण्य
दान देने के लिए खोजो कोई  जो हो सुयोग्य
दान से ही पाए सब,राजा बलि व दानवीर कर्ण
मृत्यु देखता नहीं कभी ,गरीब,अमीर और वर्ण
देहरी कहे हे जग वालों बटोरे हो बहुत अब तक
धन रहेगा भी तो केवल भगवान के चाहने तक।
            4.काश्मीर की हालत
काश्मीर से क्यों खदेड़े गये हमारे पण्डित भाई
क्या इससे नहीं हो रहा है देश की जग हंसाई
देश कर्णधारों कब तक मौन रहोगे अब बताओ
काश्मीर से अलगावादियों को जल्दी ही भगाओ
कहते कानून सबके लिए समान तो काश्मीर से
समाप्त कब करोगे बताओ धारा 370जल्दी से
भरमा रहे हो देश को अब जल्दी से बताओ भी
कब समान होगा देश में संविधान का कानून भी
आतंकवाद का सिर कुचल दो सेना को मौका दो
मावाधिकार वालों को काश्मीर से निकाल दो
मानवाधिकार का नाटक करने वाले तब कहां थे
जब पंण्डित भाई काश्मीर छोड़ने को मजबूर थे
देहरी कहे अब मेरी पुकार जरा सुनो सरकार
अंतिम आदमी के तफलीफों पर करो विचार
भाषण से कुछ नहीं होता हमें न अब सुनाओ
सब नागरिकों के लिए समान कानून बनाओ
आतंवादियों पर दया क्यों क्या दया के हैं पात्र
सुनकर हम सब को ही लगता है बहुत विचित्र
काश्मीर हमारा है क्या कहने से हो जाएगा
जल्दी उपाय करो वर्ना कहीं देर हो जाएगा
सुनते हैं सरकार के सीने में बहुत ज्यादा है दम
कुछ कहते हैं केवल पांच साल है बहुत ही कम
दिल्ली के मेरे दमदार सरकार आपसे है प्रार्थना
उम्मीदें हैं क्रांतिकारी फैसलों का न करें बहाना
माओं की आसाएं हैं, बहनों की भी  कामनाएं
अपने  देश के लिए अनेकों ठोस कदम उठाएं
आतंकवाद को ऊपर से नहीं जड़ से खत्म करें
तभी शांत होगा काश्मीर,अब तो उचित बिचारें
जड़ की खोज करें काम करने बाबत जोश भरें
जनता साथ हैं आपके और क्यों अब  देर करें
देहरी की गुहार है आप 36इंच का कमाल करें
अवसर ऐसा मिला है अब क्यों अनाकानी करें 
कर दो ऐसा कुछ कि लोग याद करें जीवन भर
इतिहास बने और लोग कहें कि कोई था जरूर
बहुत गड़बड़ा दिये हैं हमारे देश तोड़ने वाले
कुछ करो खास आप हो सरकार चलाने वाले।
        5.समय आ गया
जिस तरह बेटियों की जान 
और ईज्जत लुटी गयी
अब तो देश के हर कोने की
आम बात हो गयी
अब अपने घर की बेटी 
भी अजनबी हो गयी
लगता है अब स्वार्थ 
ही जान हो गयी
अब तो जागो मेरे भाई-बहनों
अब तो सोचने की समय आ गयी
पहले खुद संस्कारवान बने क्योंकि
ये अब समय की मांग हो गयी
अपराधों की जड़ों को तलाशें 
अब सब हद से पार हो गयी
क्या हम सच्चे मानव हैं,अब तो
सोचने की समय आ गयी
कुछ पहल जल्दी करें अब
बदलने की समय आ गयी
खुद सतर्क रहें और औरों को सतर्क करें 
अब सतर्कता की समय आ गयी
आप क्या सोचते हैं अब तो 
मैदान में उतरने कि समय आ गया।
7.डर के आगे जीत है
मत डरो, डर के आगे जीत है
नये रास्तों पर तुम्हें चलना है
मत डरो,डर के आगे जीत है
परिवर्तन ही संसार का नियम है,
तुम डरे तो समझो डरा जीवन है।
जब जीने का व्रत लिया डरना कैसा?
अपने हित जीना ही बड़ी भूल है
मत डरो,डर के आगे जीत है।
तुम जीतो, जमाने को अपने साथ चलाओ
जो हार गये हैं उन्हें राह दिखाओ
तुमको प्रतीक बनना है विश्व-विजय का
तुमको मानव हित का नींव बनना है
मत डरो, डर के आगे जीत है।
        8.मनुष्यता और पशुता
नरक है दुख प्राप्ति हेतु, सुख प्राप्ति हेतु स्वर्ग है
परमात्मा प्राप्ति हेतु ,यह मानव देह है
मुख्य लक्ष्य हो परमात्मा,सबमें देखो अपनी आत्मा
दृष्टि रखो ऐसे ताकि,दिखे सबमें परमात्मा
इसी जन्म में मुक्ति भी,इसी में चौरासी का चक्कर
मानव चेत जाओ अभी,रहो अधर्म से हटकर
केवल आकृति मात्र से,नहीं होता कोई मनुष्य
होता है इस जहां में, विवेकवान ही सच्चा मनुष्य
पाप करे तो मानव होता, पशुता की ओर अग्रसर
पाप भोगकर पशु,होता मनुष्यता की ओर
इंसान की सच्ची सेवा,करे तो वही है मनुष्यता
सेवा ले संसार से,यही है अमानवीयता
केवल सुनना और सीखना नहीं है मानवता
क्योंकि पशु भी सुनना और सीखना है जानता
परमतत्व की प्राप्ति ही है सच्ची मानवता
संसार में पशु तत्व प्राप्ति नहीं कर सकता
प्रारंभ को ही देखना,निशानी है पशुता की
परिणाम को देखना,निशानी है मनुष्यता की। 
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9.
मेहनत की रोटी
सुबह से शाम तक
खटते हैं वे
भूख प्यास की आग
सहकर
जब सूरज ढलता है
तब लौट के
आते हैं घर
घर में इंतजार कर रहे हैं
बुढ़े मां-बाप और
बच्चे भी
जो खेल रहे थे
निडर होकर 
चुल्हा जलाने के बाद
वह थकी हारी मां
बना रही है
मेहनत की रोटी
मेहनत की रोटी
सरलता से नहीं
मिलती है
बहाना पड़ता है
बहुत पसीना
तब पकती है 
मेहनत की रोटी
उसका स्वाद ही
निराला होता है।
10.
गांव का मुखिया
गांव में आज भी 
एक तरह 
से छाया है आदिम
युग का आतंक
जब कोई न्याय 
के लिए 
गांव के मुखिया 
से गुहार लगाता है
तब मुखिया अपना
लाभ-हानी
विचार करने 
लगता है
जिस तरफ उसका
दिखता है
फायदा उसके
पक्ष में न्याय करता है
आज का मुखिया
बहुत चतुर
और चालाक एवं
बहुत धूर्त है।
11.
खहिया चिड़िया
ओ खहिया! आप सब थे बहुत बड़े झुंड में
  कहां हैं आपके साथी कम हो गिनती में
इंसानों ने ये क्या कर दिया
स्वाद के लिए परिंदों को मार दिआ
पहले आते थे बहुत झुंड़ में
चुनते थे दाने हमारे आंगन में
में अब बहुत निराश हूं ये अनुमान कर
  कि कभी इंसान ही इंसान को खाएगा काटकर
बचाने का तुम्हें अब उपाय करूंगा
जो संभव है वो सब जरूर करूंगा
देहरी की बिनती है सबसे 
जीव-जन्तुओं को बचाएं आज से
लगता है बच्चे जीवों को देख न पाएंगे
केवल फोटो में  ही देख अनुमान लगाएंगे
स्वाद के चक्कर में न करो हत्या जीवों की
इस धरती में अधिकार है सबके जीने की
बताओ तुम्हें कोई मारे तो कैसा लगेगा
देहरी अब और कितना समझा पाएगा।
अनिल कुमार देहरी
रायगढ़(छग)
Email--anildehari2986@gmail.com
 
							     
							     
							     
							    
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