जीवन चक्र - राजेश माहेश्वरी की प्रेरक कहानियाँ

SHARE:

- राजेश माहेश्वरी परिचय राजेश माहेश्वरी का जन्म मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में 31 जुलाई 1954 को हुआ था। उनके द्वारा लिखित क्षितिज, जीवन कैसा ह...

- राजेश माहेश्वरी

परिचय

राजेश माहेश्वरी का जन्म मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में 31 जुलाई 1954 को हुआ था। उनके द्वारा लिखित क्षितिज, जीवन कैसा हो व मंथन कविता संग्रह, रात के ग्यारह बजे एवं रात ग्यारह बजे के बाद ( उपन्यास ), परिवर्तन, वे बहत्तर घंटे, हम कैसे आगे बढ़ें एवं प्रेरणा पथ कहानी संग्रह तथा पथ उद्योग से संबंधित विषयों पर किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं।

वे परफेक्ट उद्योग समूह, साऊथ एवेन्यु मॉल एवं मल्टीप्लेक्स, सेठ मन्नूलाल जगन्नाथ दास चेरिटिबल हास्पिटल ट्रस्ट में डायरेक्टर हैं। आप जबलपुर चेम्बर ऑफ कामर्स एवं इंडस्ट्रीस् के पूर्व चेयरमेन एवं एलायंस क्लब इंटरनेशनल के अंतर्राष्ट्रीय संयोजक के पद पर भी रहे हैं।
आपने अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी, फ्रांस, इंग्लैंड, सिंगापुर, बेल्जियम, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड, हांगकांग आदि सहित विभिन्न देशों की यात्राएँ की हैं। वर्तमान में आपका पता 106 नयागांव हाऊसिंग सोसायटी, रामपुर, जबलपुर (म.प्र) है।

--

जीवन चक्र 

म.प्र. के सुप्रसिद्ध शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. कंवर किशन कौल (86 वर्ष) मूलतः काश्मीर के निवासी है। वे मेडिकल कॉलेज जबलपुर में शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष रहे है एवं मेडिकल कॉलेज के डीन के पद से सेवानिवृत्त होने के पश्चात चार वर्ष के लिये सऊदी अरब के दम्माम विश्वविद्यालय में शिशु रोग विभाग में प्रोफेसर के पद पर अपनी सेवाएँ प्रदान कर अब अपने गृहनगर में सेवाएँ दे रहे है।
डॉ. कौल ने बताया कि हमें अपने खाली समय का सदुपयोग करना चाहिए यही जीवन का मूल मंत्र है। मैं ऐसे समय का सदुपयोग कम्प्यूटर सीखने के साथ साथ, अंग्रेजी और हिंदी में कविताएँ एवं उर्दू में शेरों शायरी लिखने में करता हूँ। मुझे भारतीय शास्त्रीय संगीत से बहुत लगाव है। मेरी साहित्य में भी बहुत रूची है और मेरे द्वारा लिखित एक पुस्तक ‘व्हेन माय वैली वास ग्रीन’ काफी प्रसिद्ध हुई है।
मेरे एक विद्यार्थी ने एक बार पूछा कि आप कैसे है ? मैंने उससे कहा कि मैं वृद्धावस्था के प्रथम चरण में हूँ, उसने हैरान होकर मुझसे पूछा कि जीवन में वृद्धावस्था के कितने चरण होते है? मैंने मुस्कुराते हुए उससे कहा कि तीन चरण होते है। पहला चरण जीवित और क्रियाशील रहना, दूसरा चरण जीवित रहना परंतु निष्क्रिय रहना और तीसरा व अंतिम चरण जीवन में कुछ भी ना करके जीवित रहने के लिये खेद प्रकट करना। जीवन और मृत्यु के लिए कुछ कहना मेरी क्षमता से बाहर है परंतु इतना कह सकता हूँ कि इस विषय को विस्तारपूर्वक समझने के लिए श्रीमदभगवद्गीता को पढे। हमारे सभी प्रश्नों एवं शंकाओं का उत्तर उसमें समाहित है। हम सभी को यह मालूम है कि मृत्यु एक दिन होना ही है हमे ईश्वर से यही प्रार्थना करना चाहिए कि यह शांतिपूर्ण, दर्द एवं पीडारहित हो।
डॉ कौल ने एक घटना के विषय के में बताया जिसके दर्द की टीस आज भी उनके मन को विचलित कर देती है। यह बात अगस्त 1956 की है, एक सडक दुर्घटना में मेरा परिवार बुरी तरह से प्रभावित हुआ। इस कार दुर्घटना में मैंने अपनी माँ, बडी बहन और उनकी सास को खो दिया। यह दुर्घटना श्रीनगर के पास ही हुई थी। बारिश के कारण सडक किनारे कीचड हो गया था और कार फिसल कर उलट गई। इससे उसमें आग लग गई। आसपास के गांव वाले बमुश्किल मेरी सबसे बडी बहन और एक रिश्तेदार का बचा पाए जो जलने से जख्मी हो गए थे। जीवन में स्थापित होने और अपना परिवार होने के बाद मेरी माँ का एक दिन मेरे साथ आकर रहने का सपना था और वे अपने पोते के जन्म का इंतजार कर रही थी पर मौत के क्रूर हाथों द्वारा हमसे छीन लिए जाने के पाँच महीने बाद इसका जन्म हुआ। उनकी मौत का डरावना अनुभव मुझे आज भी सताता है खासकर उनके आधे जले शरीर को चिता पर रखकर मुखाग्नि देना जो एक बेटे के रूप में मैंने किया और पीडा को मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता।
हमें समाज के प्रति सेवाभावी दृष्टिकोण रखना चाहिए। एक दिन मुझे मालूम हुआ कि एक साध्वी महिला गरीब बच्चों के लिए निशुल्क शिक्षा प्रदान करती है एवं गरीबों की यथा संभव मदद अपने सीमित साधनों से करती आ रही है। मुझे उनके द्वारा किये जा रहे अच्छे कार्यों को देखने का सुअवसर प्राप्त हुआ। इससे प्रभावित होकर मैं पिछले चार वर्षों से वहाँ अध्ययनरत विद्यार्थियों को निशुल्क चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध करा रहा हूँ जिससे मुझे अत्याधिक मानसिक शांति, संतोष एवं खुशी प्राप्त होती है। अंत में उन्हेंने कहा कि हमें जीवन में यह नहीं सोचना चाहिए कि हमारे परिवारजन और समाज के लोग हमारे लिए क्या कर रहे है ? बल्कि हमें बिना किसी आशा के उनकी मदद करनी चाहिए। मेरा यही कहना है कि जब तक जीवन है तब तक संघर्षशील रहकर नैतिकता एवं ईमानदारी से अपने कार्य के प्रति समर्पित रहते हुए जीवन जिये।                               

---


       मुश्किलों से कह दो, मेरा खुदा बडा है

प्रोफेसर वीणा तिवारी (75 वर्ष) कैंसर से ग्रस्त होने के बाद भी अपनी सकारात्मक दृष्टि, दृढ़ इच्छाशक्ति और आत्मबल से इस रोग से निजात पा सकी है। वे शिक्षाविद् होने के साथ ही कवियत्री भी है। साहित्य के क्षेत्र में उनका नाम बडे ही सम्मान के साथ लिया जाता है। वे धार्मिक कार्यक्रमों में बडे श्रद्धा भाव से सम्मिलित होकर सामाजिक रूप से सतत् सक्रिय रहती हैं।
उनका कथन है कि अगर हम गहराई से विचार करें तो भय रोग का नहीं मृत्यु का होता हैं। वैसे मृत्यु एक अनिवार्य सत्य है परंतु कारण, समय और प्रकार अज्ञात रहता है। इस सत्य पर हम चाहकर भी विश्वास नहीं करना चाहते है। कोई भी रोग मृत्यु का कारण हो सकता है पर कैंसर का नाम ही आपके शरीर से जीवन नहीं छीनता, जीवन शक्ति छीन लेता है। आपके अदम्य साहस को पटकनी दे देता है। आप अपने को बेचारा समझने लगते है और यह मानना ही आपको निराशा के गर्त में ढकेलता है। आप अपनी बची हुई अनगिनत सांसों की तरफ, उनमें छिपे भविष्य के सुख, उपलब्धियों, नये अनुभवों से पीठ कर लेते हैं। हर पल आप चिंता करते है मात्र मृत्यु की।
प्रश्न उठता है कि आपका यह व्यवहार आपके लिए आपके परिवार के लिये और समाज के लिए ठीक है क्या? भागवत में एक प्रसंग आता है- राजा परीक्षित को श्राप मिलता है कि सातवें दिन उनकी मृत्यु तक्षक नाग के काटने से होगी। यह जानकर परीक्षित संतों और विद्वानों के पास अंतिम सत्य को जानने बैठ गये। अभी तक प्राप्त ज्ञान के बाद भी अंतिम सत्य को जानने के प्रयास में जुट गये। इस ज्ञान ने उन्हें इतना साहसी बना दिया कि वे समय आने पर गंगा तट पर बैठ गये। उन्हेंने तक्षक की राह में फूल बिछा दिये और उसके स्वागत में दूध का कटोरा रख दिया और उसकी प्रतीक्षा करने लगे।
हम राजा नहीं है। गंगा तट पर प्रतीक्षा में नहीं बैठ सकते। फिर हम क्या करें ? यह प्रश्न सभी के जीवन का है। हर व्यक्ति के पास सात ही दिन है। हम इस तक्षक के जहर से बचने के लिये समय पर दवा करें। यदि रोग हो ही गया है तो उससे बाहर आने संकल्पित होकर प्रयास करें। प्राण शक्ति व आंतरिक ऊर्जा बढाये। निराशा के भरे पल न जियें। सहानुभूति व दया के पात्र न बनें। इस गर्त से बाहर आयें कि यह अपराध है वह भी इस जन्म का या पूर्व जन्म का। यह मात्र एक रोग है। संतुलित आहार लें। दवा समय पर लें व दिनोंदिन रोग में बदलते अपने रंग रूप को स्वीकार करें। उसे नकारने से आपका दुख बढेगा। जब आप प्रतिदिन खुली हवा में प्रकृति से सुबह मिलकर स्वयं को प्रसन्नता से भर लेंगे तो आपके आसपास, आपसे जुडे लोगों पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पडेगा।
आप योग से जुडे आशावादी साहित्य पढे। ध्यान, जप आपकी आत्मशक्ति को बढायेगा। स्वयं से वादा करें कि न तो मैं डरूंगा और न ही मृत्यु के पहिले भय से मरूंगा। खुश रहूँगा व खुश रखूंगा। सात दिन तो सबके पास है, पर पूर्व के छः दिनों में अपनी अधूरी योजनाओं का पूरा करूंगा। हर पल जीना चाहूँगा। कभी निराशावादी माहौल में न तो स्वयं रहूँगा न ही किसी को अपने कवच को भेदकर निराशा में डुबाने दूँगा।
कितने सात दिनों का चक्र बीतेगा, पता नहीं ? तो इतवार को ही अंतिम क्यें मानूँ। प्रकृति हर मौसम में सुंदर है चाहे वसन्त हो या पतझर। वैसे तो आजकल मुझे एक गीत की एक कडी बहुत अच्छी लग रही है -

‘ये मत कहो खुदा से, मेरी मुश्किलें बडी हैं।
       इन मुश्किलों से कह दो, मेरा खुदा बडा है।‘

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: जीवन चक्र - राजेश माहेश्वरी की प्रेरक कहानियाँ
जीवन चक्र - राजेश माहेश्वरी की प्रेरक कहानियाँ
https://lh3.googleusercontent.com/-NEOp7IKnBn4/W3u4u7ufVFI/AAAAAAABD80/tiK4qTgohiI7JthgvFDnEAT2iQkwvXxaACHMYCw/image_thumb%255B3%255D?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-NEOp7IKnBn4/W3u4u7ufVFI/AAAAAAABD80/tiK4qTgohiI7JthgvFDnEAT2iQkwvXxaACHMYCw/s72-c/image_thumb%255B3%255D?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2019/10/blog-post_55.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2019/10/blog-post_55.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content