स्वराज और सुराज - सलिल सरोज

SHARE:

​​ "स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और हम इसे लेकर रहेंगे "-लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के द्वारा उद्घोषित इस वाक्य ने भारतीय स...

​​

"स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और हम इसे लेकर रहेंगे "-लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के द्वारा उद्घोषित इस वाक्य ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा प्रदान की थी और आम मानस में इक नई ऊर्जा का प्रवाह किया था। प्रकृति का हर अवयव स्वाधीनता से जीना चाहता है और मानव इस प्रकृति की सर्वश्रेष्ठ कृति है अतः उसके लिए स्वाधीनता और भी जरूरी अंग है, जैसे कि साँस लेना और धमनियों में खून का प्रवाह होना। स्वराज की परिकल्पना लोकमान्य बालगंगाधर तिलक और ऐनी बेसेंट के द्वारा चलाए गए होम रूल मूवमेंट से भी परिभाषित होती है।

​​

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की ये पंक्तियाँ भी स्वराज की प्राथमिकता को दर्शाती हैं -

​​

"छीनता हो स्वत्व कोई,
और तू त्याग-तप से काम ले ,
यह पाप है,
पुण्य है विच्छिन्न कर देना उसे ,
बढ़ रहा तेरी तरफ जो हाथ है "

​​

और भी

​​

" जला अस्थियाँ बारी-बारी,
फैलाई जिसने चिंगारी,
चढ़ गए जो पुष्प-वेदी पर,
बिना लिए गर्दन का मोल,
कलम आज उनकी जय बोल "

​​

भारत को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हुई अर्थात अक+अस्त -अँधेरे का दुरागमन हुआ ,लेकिन यह बहस आज भी कई बार और कई जगहों पर सुनने को मिलती है कि क्या पिछले 77 सालों में वह सब हासिल हो पाया जिसकी परिकल्पना देश के स्वतंत्रता नायकों और वीरों ने की थी। क्या कई मायनों में ब्रिटिश हुकूमत की शासन आज से बेहतर थी ? क्या हम स्वतंत्रता को सही ढ़ंग से सम्भाल नहीं पाए और प्रजातंत्र कई टुकड़ों में बाँटा हुआ राजतन्त्र बन कर रह गया है ? क्या देश और राष्ट्र की सुनिश्चित परिभाषा से हम आज भी कोसों दूर है ? अरस्तू ने कहा था किसी भी राष्ट्र (नेशन स्टेट ) की सही परिभाषा यह है कि पूरी प्रजा किसी एक चीज़ से खुद को जोड़ कर देखती हो, देश की सीमा बिलकुल निर्धारित हो और देश की साक्षरता दर सौ प्रतिशत हो या इसके बहुत करीब हो। हम एक विकासशील राष्ट्र के रूप में आज भी इन परिधियों से खुद को काफी दूर पाते हैं। स्वराज प्राप्त कर लेना और उसको संचालित करना दोनों में ज़मीन-आसमान का फर्क नज़र आता है। भारत के साथ कई और राष्ट्र स्वाधीन हुए लेकिन पाकिस्तान, दक्षिण कोरिया ,म्याँमार आज एक फेल्ड नेशन (असफल राष्ट्र) के रूप में जाने जाते हैं। हम भिन्न होकर भी आज अपनी स्वाधीनता को बरकरार रख पाए हैं परन्तु जितना अपेक्षित था हमसे ,उससे काफी दूर खड़े नज़र आते हैं।

​​

"उतरा कहाँ स्वराज ,
बोल दिल्ली तू क्या कहती है ,
तू तो रानी बन गई ,
वेदना जनता क्यों सहती है ,
किसने,किसके भाग्य ,
दबा रखे हैं अपने कर में
उतरी थी जो विभा ,
बंदिनी बोल हुई किस घर में ?"

​​

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के परिदृश्य पर जब महात्मा गाँधी का उदय हुआ तो पहली बार आम नागरिकों को और स्त्रियों को आंदोलन से जुड़ने का मौका मिला। मजदूरों,खेतिहर,कृषकों कास्तकारों सबको अपने भाग्य के सूरज को उदय करने की किरण दिखी। महात्मा गाँधी केवल स्वतंत्रता और स्वराज की बात नहीं करते थे बल्कि उन्होंने पूरे संग्राम को जन-संग्राम में परिवर्तित किया और पहली बार सुराज की बात की। सुराज=सु +राज़ का अर्थ है अच्छा शासन। कुछ स्कूलों का मत है कि सुराज ,गैर-मुल्की शासक भी कर सकता है जैसे क़ि अकबर और शेर शाह सूरी और अपने शासक भी कई दफे कुशासन की मिसाल पेश करते हैं।पनामा पेपर्स, विकिलिंक्स के द्वारा कई राष्ट्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल खुल गई ,सरकारें गिर गई और जनता परेशान हो गई। दक्षिणी अमेरिका में वेनेज़ुएला , मेक्सिको और अफ्रीका में दक्षिणी सूडान और ज़िम्बाबे अच्छी प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण होने के बावजूद आर्थिक संकट के दौर से गुज़र रहे हैं। अर्थवादी राष्ट्र मानव मूल्यों की वजह क्रोनी केप्टलिज़्म के शिकार नज़र आते हैं। जॉन रस्किन अपनी किताब "अन्टू डी लास्ट"  में लिखते हैं -" कतार में खड़े सबसे अंतिम व्यक्ति को सबसे पहला अधिकार प्राप्त होना चाहिए।" महात्मा गाँधी ने स्वयं अपनी किताब  "हिन्द स्वराज " में जॉन रस्किन से प्रभावित होने की बात की है। महात्मा गाँधी के द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन ,भारत छोडो आंदोलन सब में इस सूक्ति का प्रभाव साफ़-साफ़ दिखता है। महात्मा गाँधी द्वारा चलाए गए सर्वोदय आंदोलन, दलितों को हरिजन के नाम से एक करने की कोशिश और आंदोलन में हर एक की भागीदारी और जिम्मेदारी इसी अवधारणा से प्रेरित है। कालान्तर में जे पी मूवमेंट भी अंतिम आदमी के अधिकारों की बात करता नज़र आता है।

​​

महात्मा गाँधी ने कहा था -"मेरा कार्य तब तक सम्पूर्ण नहीं होता जब तक क़ि मैं हर गरीब के आँखों से आँसू नहीं पोंछ देता,उनकी यह बात उनके द्वारा दिए गए तिलिस्म में भी साफ नज़र आती है।
'मैं आपको एक मंत्र देता हूँ। जब आपको शंका हो या फिर स्वार्थ भारी पड़ने लगे, आपको इसे आजमाना चाहिए। आप उस सबसे गरीब और कमजोर आदमी का चेहरा याद करें जिसे आपने देखा है। खुद से पूछिए, आप जो करने जा रहे हैं क्या उससे उनको कोई फायदा पहुँचेगा? क्या इससे उनका कोई भला होगा? क्या इससे उनके जीवन और भाग्य पर उनका नियंत्रण हो पाएगा? साफ शब्दों में कहें तो आप जो कदम उठाने जा रहे हैं क्या उससे भूखे और आध्यात्मिक रूप से भूखे मर रहे लाखों लोगों का भला होगा या नहीं? तब आप देखेंगे कि आपकी शंकाएँ भी दूर हो जाएँगी और स्वार्थ भी भारी नहीं पड़ेगा।" सुराज की मूल भावनाओं को समझते हुए महात्मा गाँधी  ने हर एक के अधिकारों को सुरक्षित रखने की कोशिशें जारी रखी। और अंत में इस कोशिश में उन्होंने अपने प्राणों की आहुति भी दे दी।

​​

आज पूरे विश्व में गुड गवर्नेन्स की बात होती है न कि सेल्फ गवर्नेन्स की। आज जनता जागरूक है, उन्हें अपनी मूलभूत आवश्यकताओं से आगे भी कई अधिकार चाहिए और वो अधिकार वो किसी भी हालत में लेना चाहते हैं। चिली में प्रदर्शन, थाईलैंड में राजशाही के खिलाफ जुलूस, कई राष्ट्रों में बेरोज़गारों के खिलाफ उग्र पथराव और अपने देश में ही आए दिन छात्रों का धरना कहीं न कहीं गुड़ गवर्नेन्स के सही स्तर तक न पहुँच पाने को यथार्थ रूप में दर्शाते हैं। यूनाइटेड नेशंस सुशासन और सुराज की परिभाषा इस तरह से प्रस्तुत करता है। सुशासन (Good governance) से तात्पर्य किसी सामाजिक-राजनैतिक ईकाई (जैसे नगर निगम, राज्य सरकार आदि) को इस प्रकार चलाना कि वह वांछित परिणाम दे। सुशासन के अन्तर्गत बहुत सी चीजें आतीं हैं जिनमें अच्छा बजट, सही प्रबन्धन, कानून का शासन, सदाचार आदि। इसके विपरीत पारदर्शिता की कमी या सम्पूर्ण अभाव, जंगल राज, लोगों की कम भागीदारी, भ्रष्टाचार का बोलबाला आदि दुःशासन के लक्षण हैं।

​​

'शासन' शब्द में 'सु' उपसर्ग लग जाने से 'सुशासन' शब्द का जन्म होता है। ’सु’ उपसर्ग का अर्थ शुभ, अच्छा, मंगलकारी आदि भावों को व्यक्त करने वाला होता है। राजनीतिक और सामाजिक जीवन की भाषा में सुशासन की तरह लगने वाले कुछ और बहुप्रचलित-घिसेपिटे शब्द हैं जैसे - प्रशासन, स्वशासन, अनुशासन आदि। इन सभी शब्दों का संबंध शासन से है। ’शासन’ आदिमयुग की कबीलाई संस्कृति से लेकर आज तक की आधुनिक मानव सभ्यता के विकासक्रम में अलग-अलग विशिष्ट रूपों में प्रणाली के तौर पर विकसित और स्थापित होती आई है। इस विकासक्रम में परंपराओं से अर्जित ज्ञान और लोककल्याण की भावनाओं की अवधारणा प्रबल प्रेरक की भूमिका में रही है। इस अर्थ में शासन की सभी प्रणालियाँ कृत्रिम हैं। इस प्रकार हम कह सकते है कि सुशासन व्यक्ति को भ्रष्टाचार एवं लालफीताशाही से मुक्त कर प्रशासन को स्मार्ट S(simple)साधारण,M(moral)नैतिक,A(accountable)उत्तरदायी,R(responsible)जिम्मेदारी योग्य,T(transparent)पारदर्शी बनाता है ।
संयुक्त राष्ट्रसंघ के अनुसार सुशासन के निम्नलिखित आठ विशेषताएँ होतीं हैं-

​​

विधि का शासन (rule of law)
समानता एवं समावेशन (equity and inclusiveness)
भागीदारी (participation)
अनुक्रियता (responsiveness)
बहुमत/मतैक्य (consensus oriented)
प्रभावशीलता दक्षता (effectiveness and efficiency)
पारदर्शिता (transparency)
उत्तरदायित्व (accountability)
निष्पक्ष आकलन
सुराज के प्रत्यक्ष रूप कई जगहों पर आज देखने को मिल रहे हैं। भूटान विश्व का पहला देश है जिसने सकल राष्ट्रीय खुशी सूचकांक जारी की। जीएनएच इंडेक्स में नौ डोमेन शामिल हैं

​​

मनोवैज्ञानिक स्वस्थ्य
स्वास्थ्य
शिक्षा
समय का सदुपयोग
सांस्कृतिक विविधता और लचीलापन
सुशासन
सामुदायिक जीवन शक्ति
पारिस्थितिक विविधता और लचीलापन
जीवन स्तर
जीएनएच इंडेक्स में सामाजिक-आर्थिक चिंता के दोनों पारंपरिक क्षेत्रों जैसे जीवन स्तर, स्वास्थ्य और शिक्षा और संस्कृति और मनोवैज्ञानिक कल्याण के कम पारंपरिक पहलू शामिल हैं। यह अकेले खुशी ’की व्यक्तिपरक मनोवैज्ञानिक रैंकिंग के बजाय भूटानी आबादी की सामान्य भलाई का एक समग्र प्रतिबिंब है।
भारत में मध्य प्रदेश में पहली बार डिपार्टमेंट ऑफ़ हैप्पीनेस की स्थापना की गई। हाँलाकि ऐसा नहीं है कि सुराज लाने की कोशिश पहली बार हो रही है।
राजस्थान के नागौर में पंचायती राज़ का अवलोकन, जंगल में रह रहे आदिवासियों को माइनर प्रोडट्स बेचने का अधिकार एवम उनकी जल,जंगल ,ज़मीन की नीति को मजबूती प्रदान करना , फंडामेंटल राइट्स और संविधान के भाग चार के अनुच्छेद 36 से 51 कहीं न कहीं गुड गवर्नेन्स की ही बात करते हैं। लेकिन क्या हम सही मायनों में सुशासन के करीब भी आ पाए हैं ? प्रजातंत्र संख्याओं का खेल है लेकिन संख्या कभी भी स्वयं नहीं बोलते।  संख्या वही बोलते हैं जो उनसे बोलबाया जाता है। अगर हम नीचे दिए है कुछ तथ्यों का अध्ययन करें तो सुराज की वर्तमान स्थिति का सही आँकलन करना आसान हो जाएगा।
भारत द्वारा 2018 में निम्न अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षणों में हासिल किया गया स्थान-

​​

ग्लोबल हंगर इंडेक्स:103 / 119

​​

मानव पूंजी सूचकांक: 158/195

​​

वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट: 133/155

​​

मानव विकास सूचकांक: 130/188

​​

ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट: 108/144

​​

अरबपतियों की संख्या: 3/71

​​

व्यापार सूचकांक करने में आसानी: 77/190

​​

वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक: 58/140

​​

ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स: 57/130

​​

स्टील उत्पादन: 2/38

​​

प्रेस फ्रीडम इंडेक्स: 138/180

​​

ई-सरकार: 96/192

​​

ग्लोबल पीस इंडेक्स: 136/163

​​

पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक: 177/180

​​

गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए): 3/150

​​

शिक्षा सूचकांक: 92/145

​​

ट्रेडिंग एक्रॉस बॉर्डर्स: 80/190

​​

दुनिया का सबसे बड़ा देश: 117/168

​​

वर्ल्ड गिविंग इंडेक्स: 124/146

​​

महिला उद्यमियों का मास्टरकार्ड इंडेक्स (MIWE): 52/57

​​

स्तनपान की प्रारंभिक शुरूआत: 56/76

​​

सिगरेट पैकेज स्वास्थ्य चेतावनी: अंतर्राष्ट्रीय स्थिति रिपोर्ट: 5/206

​​

ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स 2018: 6 वीं

​​

दुग्ध उत्पादन: 2

​​

ग्लोबल एआई नौकरियां: 5 वीं

​​

चोरी रैंकिंग सूचकांक: 19 वीं

​​

प्रबंधन विकास रिपोर्ट: 44 वीं

​​

वैश्विक पासपोर्ट सूचकांक रैंकिंग: 66 वाँ

​​

स्टार्ट-अप उद्योग सूचकांक: 37

​​

एफडीआई विश्वास सूचकांक: 11 वां

​​

आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक: 130

​​

महिलाओं के लिए दुनिया के सबसे खतरनाक देश: 1

​​

मानसिक और व्यवहार संबंधी विकार सूची: 1

​​

लोगों की मदद करने की उच्चतम संख्या: 2

​​

राष्ट्रमंडल नवाचार सूचकांक: 10 वीं

​​

कुछ मामलों में हम अपने पड़ोसी राष्ट्र भूटान और श्रीलंका से भी पिछड़े नज़र आते हैं लेकिन प्रयत्न जारी रहना चाहिए। आईडिया ऑफ़ इंडिया के लेखक सुनील खिलनानी लिखते हैं मगध साम्राज्य से लेकर मुग़ल शासन तक भारत की नीतियों में सुशासन का गुण मौजूद रहा है। सुराज और राम राज्य अगर पर्याय नहीं तो कतिपय पूरक जरूर हैं। रामराज्य में सबको एक अधिकार प्राप्त होगा लेकिन सुराज में कम से कम जिनका जो अधिकार है वो जरूर प्राप्त होना चाहिए।  अगर हम सुराज की तरफ अग्रसर हैं तो राम राज्य को प्राप्त कर पाना भी बहुत कठिन नहीं होगा।

​​

हरिवंश राय बच्चन के शब्दों में -

​​

"गहन, सघन ,मनमोहक तरूवन तक मुझको आज बुलाते हैं,
किन्तु किए जो वायदे मैंने ,वो याद मुझे आ जाते हैं,
अभी कहाँ आराम बदा ,यह मूक निमंत्रण छलना है ,
अभी मुझको रूकने से पहले मीलों-मीलों चलना है। "

​​

सलिल सरोज
कार्यकारी अधिकारी
लोक सभा सचिवालय
संसद भवन
नई दिल्ली

​​

salilmumtaz@gmail.com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: स्वराज और सुराज - सलिल सरोज
स्वराज और सुराज - सलिल सरोज
http://2.bp.blogspot.com/--trdP5kJpuY/XfXMwyITCGI/AAAAAAABQgg/Eayda8WYkgsCbd9qR5MehRHQkv2XUsWZQCK4BGAYYCw/s320/29541709_10210711410893265_4160561461274935567_n-725157.jpg
http://2.bp.blogspot.com/--trdP5kJpuY/XfXMwyITCGI/AAAAAAABQgg/Eayda8WYkgsCbd9qR5MehRHQkv2XUsWZQCK4BGAYYCw/s72-c/29541709_10210711410893265_4160561461274935567_n-725157.jpg
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2019/12/blog-post_98.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2019/12/blog-post_98.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content