महाराजा सयाजीराव : चरित्रसंपन्न, अनासक्त और संप्रभु राजा लेखक - बाबा भांड अनुवादक - डॉ. विजय शिंदे

SHARE:

महाराजा सयाजीराव : चरित्रसंपन्न, अनासक्त और संप्रभु राजा लेखक - बाबा भांड अनुवादक - डॉ. विजय शिंदे पिछले ढाई साल से इस प्रोजेक्ट के प्रमुख ...

महाराजा सयाजीराव : चरित्रसंपन्न, अनासक्त और संप्रभु राजा

लेखक - बाबा भांड

अनुवादक - डॉ. विजय शिंदे

पिछले ढाई साल से इस प्रोजेक्ट के प्रमुख के नाते बाबा भांड काम कर रहे हैं और फिलहाल 26 खंड प्रकाशित हुए हैं। मराठी, हिंदी और अंग्रेजी भाषा के भीतर महाराजा सयाजीराव की साधन सामग्री प्रकाशित हो रही है। इसमें हिंदी के खंडों को लेकर डॉ. विजय शिंदे की जिम्मेदारी है। इस महीने के अंत तक हिंदी के 12 खंड प्रकाशित हो रहे हैं और एक-एक खंड 500 से 600 पन्नों का है। 'महाराजा सयाजीराव - गौरवगाथा युगपुरुष की' इस ग्रंथ में कई विद्वानों के आलेख हैं। यह आलेख महाराजा सयाजीराव की चरित्रसंपन्न, अनासक्त और संप्रभुता पर प्रकाश डालता है। 11 मार्च को महाराजा की जयंती थी।


छत्रपति शाहू महाराजा के कालखंड में बड़े बाजीराव की मराठी सेना ने दिल्ली तक कूच किया था। उस समय मराठी सेना के सेनापति खंडेराव दाभाडे ने गुजरात में मौजूद मोगलों को सीधे काठीवाड तक पीछे धकेलने की शूरता दिखाई थी। उस समय उनके साथ दमाजीराव गायकवाड एक मराठा सरदार थे। वे पुणे जिले हवेली तहसील के भरे गांव के थे। आगे चलकर वे खेड तहसील के दावडी गांव में रहने के लिए गए। उनके वंश के आरंभिक पुरुष का नाम नंदाजी था। वे भोर रियासत में किलेदार थे। सन 1720 को राक्षसभुवन की लड़ाई में मराठों ने निजाम को पराजीत किया था। मराठी सेना के साथ नंदाजी का पोता दमाजी गायकवाड भी था। दमाजी की बहादुरी को देखकर महाराजा शाहू ने दमाजी को शमशेर बहादुर किताब बहाल किया। इसके बाद खंडेराव दाभाडे इस मराठी सेना के सेनापति ने गुजरात के मोगलों का पराजय करते हुए उन्हें काठीवाड तक भागने के लिए मजबूर किया। इस जीत में उनके साथ दमाजीराव गायकवाड के बेटे पिलाजी की मौजूदगी थी। सन 1720 में पिलाजीराव ने मोगलों के कब्जेवाले सोनगढ़ पर जीत हासिल की। पहाड़ पर किला बनाया और यहीं से गायकवाड परिवार की सत्ता की स्थापना गुजरात में हुई। आगे चलकर पिलाजीराव ने गुजरात में बडोदा तक मराठी सत्ता का विस्तार किया। और बडोदा रियासत में गायकवाडों के राज्य का आरंभ हुआ।

उस कालखंड में विदेशों से अंग्रेजी व्यापारी हिंदुस्तान में व्यापार करने के लिए आ रहे थे। उनके द्वारा व्यापार हेतु ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापन की गई और कंपनी ने हिंदुस्तान के तटीय इलाकों में धीरे-धीरे पैर फैलाना शुरू किया। वैसे ही उनका विस्तार गुजरात में भी होने लगा। गायकवाडों की भी सत्ता गुजरात में विस्तारीत हो रही थी। समय-समय पर इन दो सत्ताओं के बीच संघर्ष भी होता रहा। सन 1779 में पेशवों की गुजरात में अंग्रेजों के ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ लड़ाई हो गई। उस समय बडोदा के तत्कालीन महाराज फत्तेसिंह गायकवाड ने ब्रिटिश जनरल गार्ड के साथ दोस्ती का एक कदम आगे बढ़ाया था। पेशवों के विरोध में एक मराठी सरदार हमें मदद कर रहा है यह ईस्ट इंडिया कंपनी के चालाक अधिकारियों ने पहचान लिया। ब्रिटिशों ने एक देशी मछली हमारे जाल में फंस रही है यह देखकर इस मौके का तुरंत लाभ उठाते हुए बडोदा रियासत की ओर दोस्ती और सहयोग हेतु पहल की।

बडोदा और इंडिया कंपनी में दोस्ती के समझौते का अनुबंध –

बडोदा के महाराजा आनंदराव गायकवाड और ईस्ट इंडिया कंपनी में 6 जून 1802 में दोस्ती का अनुबंध बनाया गया। इस समय बडोदा में दीवान के नाते रावजी अण्णाजी फणसे कार्य देख रहे थे। इस अनुबंध से बडोदा शासन और ईस्ट इंडिया कंपनी दोस्त बन गए। आगे पानीपत की लड़ाई के पश्चात ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकार ब्रिटिश शासन के हाथों में आ गए। इसमें मूल सन 1802 के अनुबंध को जैसे के वैसे मान्यता दी गई। मुंबई के गर्वनर माऊंट स्टूअर्ट एल्फिस्टन स्वयं 2 अप्रैल 1820 में बडोदा आए। उस समय दूसरे सयाजीराव को गर्वनर ने कहा था कि "मैं आपको स्वतंत्रता के साथ राजकाज करने का संपूर्ण अधिकार देने हेतु आया हूं।" इसके पहले 1818 में मराठा साम्राज्य की पराजय हुई और संपूर्ण देश में ब्रिटिश सत्ता का अमल शुरू हुआ था। सन 1857 में ईस्ट इंडिया कंपनी की संपूर्ण सत्ता ब्रिटिश सरकार के पास सपूर्द की गई। भारत की छोटी-बड़ी 565 रियासतें ब्रिटिश शासन के अधीनस्थ हो गई थी। लेकिन सन 1802 और सन 1818 में बडोदा और ब्रिटिश शासन के बीच दोस्ती के मूल अनुबंध को जैसे के वैसे स्वीकारा गया था; अतः इसका अर्थ यह होता है कि बडोदा रियासत ब्रिटिशों शासन की दोस्त थी।

बडोदा राजगद्दी के उत्तराधिकारी की खोजबिन –

बडोदा में महाराजा खंडेराव का शासन था। महारानी जमनाबाई को कोई बच्चा नहीं था। दुर्भाग्य से छोटी बीमारी के चलते सन 1870 में महाराजा खंडेराव का स्वर्गवास होता है। उनके भाई मल्हारराव राजगद्दी पर विराजमान हो जाते हैं। लेकिन महाराजा खंडेराव के स्वर्गवास के समय महारानी जमनाबाई गर्भवती थीं। मल्हारराव में राजकाज के गुण मौजूद नहीं थे। उन्होंने खंडेराव के नजदीकी और भरोसेमंद लोगों को तकलीफ़ देना आरंभ किया। राज्य की प्रजा का जुल्म और शोषण करना शुरू किया। अन्याय, अत्याचार, भ्रष्टाचार और अराजकता बढ़ती गई। इसी दौरान महारानी जमनाबाई की प्रसूति हुई और उन्हें कन्या पैदा हो गई तो मल्हारराव अत्यधिक खुश हुए। चार सालों के भीतर ही भीतर बडोदा में अराजकता का माहौल बना था। महारानी जमनाबाई बार-बार ब्रिटिश गर्वनर जनरल के पास इसकी शिकायत करती रही। आखिरकार 13 जनवरी 1875 में मल्हारराव को ब्रिटिशों ने पदच्यूत किया। महारानी जमनाबाई को दत्तक पुत्र लेने की इजाजत दी गई। लेकिन शर्त यह रखी गई थी कि वह दत्तक पुत्र गायकवाड वंश का हो और किशोरावस्था का हो। बडोदा में गायकवाडों के वंश में चार बच्चे थे; लेकिन उनमें से एक तीस, दूसरे दो अठ्ठाईस और चौथा पच्चीस वर्ष का था। महारानी जमनाबाई की उम्र उस समय बाईस साल की थी। इसलिए बडोदा के बाहर गायकवाड वंश की खोजबिन शुरू हुई। मालेगांव के नजदीक कवलाने गांव में पानिपत के युद्धोपरांत प्रतापराव गायकवाड वंश के काशीराव खेती कर रहे थें। यह जानकारी नासिक के कलेक्टर ने प्राप्त की थी। कवलाने के चार बच्चों में से गोपाल (गोपाळ) का दत्तक पुत्र के नाते चुनाव हो गया। 27 मई 1875 को गुरुवार के दिन दत्तक विधि और राज्य का उत्तरराधिकारी विधि संपन्न होकर तीसरे सयाजीराव के नाते महाराजा राजगद्दी पर विराजमान हो गए।

निरक्षर राजा का लिखना, पढ़ना और राजनीतिक शिक्षा का आरंभ हो गया। केशवराव पंड़ित और भाऊ मास्तर ने राजा की शिक्षा का आरंभ किया। दीवान टी. माधवराव ने अंग्रेजों के पास अंग्रेजी अध्यापक की मांग की। वर्‍हाड प्रांत के शिक्षा विभाग के संचालक मिस्टर एफ. ए. एच. इलियट इस युवा अधिकारी की अध्यापक के नाते नियुक्ति हो गई। उन्होंने 10 दिसंबर 1875 में कार्यग्रहण किया। इलियट उत्साही व्यक्ति थे। उनके प्रसन्न चेहरे पर बुद्धिसंपन्नता की झलक थी। आते ही उन्होंने साथी अध्यापकों के सहयोग से सयाजीराव के लिए सुनियोजित पाठ्यक्रम का निर्माण किया। ब्रिटिश पब्लिक स्कूल के प्रणाली की योजना तैयार की गई। बारह वर्ष उम्रवाले सयाजीराव की नया सीखने की संकल्पनिष्ठता और समझने की दृढ़ता देखकर इलियट को अत्यधिक खुशी हुई। इस हीरे को चमकाने का और विविध आयामों से विकसित करने का कार्य आगे छः सालों तक लगातार जारी रहा। अक्षर-अंक की पहचान करते-करते एक संवेदनशील किशोर उम्र का राजा निर्माण होता रहा।

बडोदा साम्राज्य की संप्रभुता का बीजारोपण –

अठारवें साल में बडोदा का राजकाज अपने हाथ में लेने के पश्चात सयाजीराव को गुरु इलियट ने बडोदा राज्य के इतिहास का अच्छे से आकलन करवाया। पेशवों के विरोध में मदत करनेवाले गायकवाडों के साथ ईस्ट इंडिया कंपनी ने बडोदा रियासत के साथ दोस्ती और सहयोग की प्रथम पहल की थी। इससे आगे चलकर 6 जून 1802 में ईस्ट इंडिया कंपनी और बडोदा के राजा आनंदराव गायकवाड के बीच दोस्ती का अनुबंध हुआ था। इस अनुबंध से ब्रिटिश कंपनी और बडोदा मित्र हुए थे। इस अनुबंध में दो-तीन बार सुधार करके सन 1818 में उसे स्थायी स्वरूप दिया गया था। इसमें दो बातें अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। बडोदा की संप्रभुता संपन्न होना लेकिन ब्रिटिशों की मित्रता के साथ। हिंदुस्तान की छोटी-बड़ी 565 रियासतें ब्रिटिश शासन के अधीनस्थ बन गई थी; लेकिन बडोदा शासन मूल अनुबंध के तहत ब्रिटिशों के लिए संप्रभु स्वतंत्र मित्र रहे। यह बात इलियट ने महाराजा सयाजीराव के दिलों-दिमाग पर अंकित की थी; अतः इस महाराजा ने इसे हमेशा याद रखा और ताकतवर ब्रिटिश शासन के साथ संघर्ष करते हुए स्वतंत्रता सेनानियों के समर्थक बन गए। महाराजा सयाजीराव स्वतंत्र और संप्रभु राजा है यह आगे चलकर सन 1912 लंदन हायकोर्ट और वहां के सुप्रीम कोर्ट ने एक निर्णय में घोषित किया था, यह अत्यधिक अहं बात महाराजा सयाजीराव के चरित्र संपन्नता राजा होने के दूसरे पहलू को उजागर करती है।

जनसेवा और जरूरतमंदों को दान करके मोक्ष प्राप्ति खोजनेवाला राजा –

आजादी के पूर्व जनता की मेहनत पर अपने शौक और धन-संपत्ति का मजा लूटने वाले राजाओं की बहुत अधिक संख्या थी; लेकिन उसके लिए अपवाद सयाजीराव थे। इस राजा ने अबकारी (महसूल) विभाग की ओर जिस प्रकार से ध्यान दिया उससे कई गुना अधिक ध्यान राजमहल और उसके आस-पास के खानगी विभाग के खर्चे में कटौती करके राज्य के कोषागार को मजबूत किया। इसलिए कुछ लाखों में नुकसान में चल रहा बडोदा राज्य पच्चीस वर्षों के भीतर ही भीतर दुनिया के चुनिंदा अमीर राज्यों में गिना जाने लगा। दुनियाभर में सातवें नंबर का अमीर राज्य के नाते उसकी गिनती हो गई। इस संपन्नता के उपयोग से जनता को शिक्षा, स्वास्थ्य कृषि और उद्योग में जितनी मदद की जा सकती है उससे कहीं अधिक देशभर के जरूरतमंद विद्यार्थियों को शिक्षा हेतु छात्रवृत्ति देकर की है। इसमें डॉ. बाबासाहब आंबेडकर, विट्ठल रामजी शिंदे जैसे हजारों विद्यार्थियों का समावेश होता हैं। इन विद्यार्थियों को उस कालखंड में 89 कोटी रुपयों की छात्रवृत्तियां देनेवाले अकेले दानवीर महाराजा सयाजीराव थें। इतना ही नहीं तो वे अपने अछूत-पीछड़े समाज के उत्थानार्थ हिंदुस्तान में कानून बनाकर अमल करनेवाले सुप्रशासक भी थे। साहित्य, कला, संगीत, शिल्पकला यह राष्ट्र की संपत्ति है। इस संपत्ति का संवर्धन-संरक्षण करना राजा का ही कर्तव्य हैं मानकर सैकडों कलाकार, साहित्यकार और प्रतिभासंपन्न लोगों की मदद करके वे सांस्कृतिक विरासत के पोषणकर्ता भी बने हैं। राजा स्वयं साक्षर और शिक्षित बनकर लोककल्याण के जुनून से अगर प्रयासरत है तो ही जनता का भला कर सकता है, मदत कर सकता है इसको पहचाननेवाले सयाजीराव स्वयं प्रज्ञावंत राजा थे। लक्ष्मी और सरस्वती का इकट्ठा निवास हो और उन दोनों का बड़ी शांति के साथ जहां निवास रहा ऐसे छत्रपति शिवाजी महाराजा के बाद वे अकेले राजा थें।

सयाजीराव : चरित्रसंपन्न, अनासक्त और संप्रभु राजा

महाराजा सयाजीराव अनासक्त और चरित्रसंपन्न राजा थे। जिस कालखंड में राजा का राजमहलों में जनता के पैसों और सत्ता के नशे में चूर होकर अनैतिक कार्यों के साथ शराब और ऐशोआराम से मौजमस्तीवाली शानोशौकत भरे जीवन का दौर था उस समय सयाजीराव इन आकर्षणों, मोह-माया से दूर रहकर जनसेवा में ही अपनी मुक्ति का मार्ग ढूंढ़ने लगे थे। लंदन में मनोरंजन और मजा करने के लिए आनेवाले राजाओं को ऐसे ऐशो-आराम, मौजमस्ती के मोह में फंसाने का कार्य ईमेस्ट इमैन्यूअल स्टैथम पत्नी की मदद से कर रहा था। उसने अपनी पत्नी को सयाजीराव के पीछे लगा दिया था। लेकिन सयाजीराव स्त्री के लालच में फंसे नहीं और एक ग्राहक अपने हाथ से फिसलते देख गुस्से में आग-बबूला हो चुके स्टैथम ने सयाजीराव के वकील के मार्फत नोटिस भेजा। उसमें लिखा कि "आपके मेरी पत्नी के साथ अनैतिक संबंध है इसलिए मैं सिविल न्यायालय में अर्जी करके डाइवोर्स (तलाक) की मांग करनेवाला हूं। इस मामले में अगर आप अपनी बदनामी नहीं चाहते हैं तो कुछ हजार पाउंड मुझे देकर मामले पर उपाय कर सकते हैं।" महाराजा सयाजीराव चरित्रहनन की ऐसी धमकी से नहीं डरे। उन्होंने कहा कि "तुम्हें जो करना है वह कर सकते हो।" स्टैथम ने लंदन के सिविल न्यायालय में पत्नी के विरोध में डाइवोर्स का मामला दाखिल किया। मेरी पत्नी और सयाजीराव के अनैतिक संबंध है इसलिए मुझे उससे डाइवोर्स मिलना चाहिए। न्यायालय ने सयाजीराव को नोटिस भेजी। जैसे ही महाराजा को नोटिस प्राप्त हो गई तो तुरंत अपने वकील को कहा कि "न्यायालय में अर्जी करो कि बडोदा गायकवाड यह संप्रभु राजा है और उनके विरुद्ध दुनिया के किसी भी कोर्ट में दावा दर्ज नहीं किया जा सकता।" महाराजा के वकील ने वैसी अर्जी दी। सिविल न्यायाधीश ने इस डाइवोर्स के मामले को उच्च न्यायालय के पास भेज दिया। लंदन हायकोर्ट ने ब्रिटिश शासन और गायकवाड के नाम से नोटिस निकाली। महाराजा सयाजीराव के वकीलों ने हायकोर्ट में अर्जी की, "महाराजा सयाजीराव संप्रभु राजा है लंदन के नागरी कानून से उनकी संप्रभुता और स्वतंत्रता में बाधा उत्पन्न नहीं की जा सकती है, अतः आगे किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा सकती।"

लंदन न्यायालय केस क्रमांक 92 से ब्रिटिश शासन को आदेश देकर लंदन के इंडिया ऑफिस में मौजूद बडोदा और ब्रिटिश शासन से संबंधित कागजातों को प्रस्तुत करने का आदेश दिया। इंडिया ऑफिस ने भारत के वाइसराय सलाहकार समिति के पास कागजातों की मांग की लंदन से कलकत्ता कार्यालय की ओर लगातार तारे भेजी गईं और बडोदा से जुड़े राजनीतिक तूफान से हड़कंप मचा। लंदन और भारतीय कार्यालय के पास कागजात पहुंचे। ब्रिटिश शासन लंबे कालखंड में कोई राजा और ब्रिटिश सत्ता के संबंध में यह अनोखा मामला निर्माण हो गया गया था। महाराजा सयाजीराव ने उनके पास जो कागजात थे वह कोर्ट के सामने प्रस्तुत किए। एक सो बयानब्बे वर्षों के ऐतिहासिक कालखंड में पहली बार बडोदा और ब्रिटिश शासन के संबंधों को लेकर ऐसा मामला निर्माण हुआ था। ब्रिटिश शासन के निःस्पृह न्यायदेवता की वह कसौटी ही थी। लंदन हायकोर्ट के न्यायाधीश सी. मौन्टेग्यू लश ने तटस्थता के साथ सभी कागजातों की जांच की और निर्णय दिया, "बडोदा के गायकवाड संप्रभु राजा है, उनके विरुद्ध लंदन हायकोर्ट में नागरी कानून के अंतर्गत कार्रवाई नहीं की जा सकती है।" इस निर्णय से वाइसराय और लंदन के वरिष्ठ कार्यालय को जबरदस्त चोट पहुंची। ब्रिटिश शासन ने वरिष्ठ न्यायालय में बिनतीस्वरूप अर्जी पेश की। अपेलिएट जज, न्यायमूर्ति बारग्लेअर डीन ने हायकोर्ट के निर्णय को बरकरार रखा।

बडोदा के सयाजीराव गायकवाड संप्रभु राजा हैं –

छत्रपति शिवाजी महाराजा के बहादुर मावलाओं ने 75 फिसदी हिंदुस्तान पर शिवाजी महाराजा के हिंदवी स्वराज्य की पताका को बड़ी शूरता के साथ फहराया था; लेकिन आपसी भाई-भतीजावाद के चलते शत्रुओं को मदद की और मराठा साम्राज्य का एक सौ अड़तीस वर्षों के अंतराल के बाद अस्त हो गया। छत्रपति शिवाजी महाराजा का हिंदवी स्वराज्य का सपना बिखर गया। शिवाजी महाराजा ने अनेक मराठा सरदारों की मदद से स्वराज्य निर्माण किया था। उसमें बडोदा के गायकवाड भी एक थे। सन 1720 में उन्होंने मराठा साम्राज्य के एक सुभा के नाते नींव रखी थी। वह किला स्वतंत्रता तक मतलब 227 वर्षों तक शान से खड़ा रहा था। इसी सुनहरे सफर में एक मील के पत्थर के नाते साफ-सुथरे, चरित्रसंपन्न, अनासक्त और संप्रभु राजा थे सयाजीराव गायकवाड़। वर्तमान समय में इस इतिहास को जानना अत्यधिक आवश्यक है।

■■■


महाराजा सयाजीराव गायकवाड

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: महाराजा सयाजीराव : चरित्रसंपन्न, अनासक्त और संप्रभु राजा लेखक - बाबा भांड अनुवादक - डॉ. विजय शिंदे
महाराजा सयाजीराव : चरित्रसंपन्न, अनासक्त और संप्रभु राजा लेखक - बाबा भांड अनुवादक - डॉ. विजय शिंदे
http://4.bp.blogspot.com/-RdRmdOj0ARU/XnMUrReRkII/AAAAAAABRDI/h7tlANa-dh02RjVhdf8LXP_TysbICragACK4BGAYYCw/s320/%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25B9%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%259C%25E0%25A4%25BE%2B%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%259C%25E0%25A5%2580%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B5%2B%25E0%25A4%2597%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A1-734396.jpg
http://4.bp.blogspot.com/-RdRmdOj0ARU/XnMUrReRkII/AAAAAAABRDI/h7tlANa-dh02RjVhdf8LXP_TysbICragACK4BGAYYCw/s72-c/%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%25B9%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%259C%25E0%25A4%25BE%2B%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%259C%25E0%25A5%2580%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25B5%2B%25E0%25A4%2597%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A1-734396.jpg
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2020/03/blog-post_19.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2020/03/blog-post_19.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content