उत्तराखण्ड की लोक कथा - मछली क्यों हँसी ? - डॉ. उमेश चमोला

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उत्तराखण्ड की लोक कथा मछली क्यों हँसी ? - डॉ. उमेश चमोला एक राजा था । उसने अपने महल के निकट एक सुन्दर तालाब बना रखा था । इस तालाब में अनेक ...

उत्तराखण्ड की लोक कथा

मछली क्यों हँसी ?

- डॉ. उमेश चमोला

एक राजा था । उसने अपने महल के निकट एक सुन्दर तालाब बना रखा था । इस तालाब में अनेक प्रकार की मछलियां अठखेलियां करती रहती थीं । एक दिन रानी मछलियों की क्रीड़ा का आनन्द ले रही थी । उसे एक मछली हँसती हुई दिखाई दी । उस समय वहाँ से एक महात्मा गुजर रहे थे । रानी ने उनसे मछली के हँसने का कारण पूछा । उन्होंने रानी से

कहा,‘‘ बेटी! मछली का हँसना भावी विपत्ति की आशंका को दिखा रहा है ।‘‘

रानी ने यह बात राजा को बता दी । राजा इस बात को टालने की कोशिश करता रहा । रानी जिद पर अड़ी रही । राजा ने सोचा, ‘‘ मछली के हँसने के राज को जानने के बहाने राज्य की सुरक्षा के बारे में बहुत सी बातें पता चल जाएंगी ।‘‘ दूसरे दिन राजा ने वजीर को आदेश

दिया,‘‘ एक महीने के अन्दर मछली के हँसने का राज हमें बताओ । नहीं तो तुम्हें दण्ड दिया जाएगा ।‘‘

शाम को वजीर घर पहुंचा । वह चुपचाप बिस्तर पर लेटा हुआ था । पत्नी और बच्चों ने उसकी उदासी का कारण पूछा । वजीर ने सारी बात उन्हें बता दी । वजीर के दो बेटे थे । छोटा बेटा माधव बुद्धिमान था । उसने वजीर से कहा, ‘‘ पिताजी ! मछली के हँसने का रहस्य मैं पता कर लूंगा । इसके लिए मुझे महल से बाहर इस राज्य में कुछ दिनो के लिए जाना

पड़ेगा ।‘‘

माधव की बात को सुनकर उसकी माँ बोली, ‘‘ बेटा! तुम अभी बहुत छोटे हो । मैं तुम्हें घर से बाहर जाने नहीं दूंगी ।‘‘

माधव जिद पर अड़ा रहा । अंत में वजीर और उसकी पत्नी ने कुछ रुपए देकर उसे विदा किया ।

माधव घर से निकल पड़ा । रास्ते में उसे एक बूढ़ा मिला । दोनों साथ -साथ चलने

लगे । रास्ते में एक गदेरा पड़ा । बूढ़ा आदमी माधव से बोला,‘‘ अपने जूते और पैन्ट उतार दो । तब गदेरे को पार करना ।‘‘

माधव ने उसकी बात को अनसुना करते हुए अपनी पैन्ट के निचले हिस्से को जूते से बांधकर गदेरा पार कर दिया । वे दोनो आगे बढ़ते रहे । उन्हें एक जगह पर एक बड़ी कोठी दिखाई दी । कोठी को देखकर माधव बोला, ‘‘ यह तो कब्रिस्तान है ।‘‘

माधव की बात को सुनकर बूढ़ा जोर -जोर से हँसा । वह मन ही मन में बोला, ‘‘ यह लड़का तो पागल है ।‘‘

आगे रास्ते में उन्हें बांस के पेड़ दिखाई दिए । माधव ने अपने थैले से चाकू निकाल कर बूढ़े को देते हुए कहा,‘‘ आप तो बहुत धीरे- धीरे चल रहे हो । इस चाकू से एक घोड़ा ला

दो । ‘‘ बूढ़ा राहगीर अपने घर की ओर चल पड़ा । घर पहुंच कर बूढ़े ने अपनी बेटी चिदंबरा को माधव के साथ घटी सारी बातें बता दी । वह बोला, ‘‘ बेटी! तुम्हीं बताओ । वह लड़का पागल नहीं तो और क्या था ? तभी चिदंबरा की नजर अपने पिता के पैरों पर पड़ी । वह आश्चर्य से बोली , ‘‘ खून! पिताजी! आपके पैरों से खून क्यों आ रहा है ?‘‘

उसके पिता ने देखा तो पता चला कि कोई जोंक उसके पैर में घुस आई थी ।

चिदंबरा ने कहा, ‘‘पिताजी! आप जिस लड़के को पागल कह रहे हो, वह मुझे बुद्धिमान लगता है । पानी में जोंक होने की आशंका से उसने गदेरा पार करते समय आपकी सलाह नहीं

मानी ।‘‘

‘‘ तो बेटी! उसने अच्छी खासी कोठी को कब्रिस्तान क्यों कहा ?‘‘

‘‘पिताजी! क्या उस कोठी के आस-पास कोई और भी था ?‘‘

‘‘कोई नहीं था ।‘‘

‘‘कब्रिस्तान में भी कोई व्यक्ति नहीं रहता है । इसलिए उसने कोठी को कब्रिस्तान कहा ।‘‘

चिदंबरा की बातें सुनकर उसके पिता ने माधव की बुद्धिमत्ता को समझा । उसे याद आया कि बांस के पेड़ों को देखकर उसने मुझे चाकू देकर कहा था -‘‘ इस चाकू से एक घोड़ा ला दो। ‘‘ उसने चिदंबरा से इसका मतलब पूछा ।

वह बोली, ‘‘ पिताजी! जिस प्रकार घोड़ा चलने में मदद करता है उसी तरह चाकू से बांस की लाठी काट कर उसके सहारे हम तेजी से चल सकते हैं ।‘‘

चिदंबरा माधव से प्रभावित हो गई थी । वह उससे ब्याह करना चाहती थी । उसने अपने मन की बात अपने पिता को बता दी ।

दूसरे दिन चिदंबरा के पिता माधव की खोज में निकल पड़े । उनकी मुलाकात माधव से हो

गई । उन्होंने माधव को अपने घर आने का न्यौता दिया । कुछ दिन के बाद माधव और चिदंबरा की शादी हो गई । माधव ने चिदंबरा को मछली के हँसने की बात बता दी ।

चिदंबरा बोली,‘‘ मछली तालाब के अंदर हँसी । इससे संकेत मिल रहा है कि राज दरबार में कोई संकट पैदा करने वाला आदमी पहुंच चुका है ।‘‘

कुछ दिनो के बाद माधव, चिदंबरा के साथ घर लौट आया । उसने अपने माता-पिता से चिदंबरा का परिचय कराया । उसके माता- पिता उस पर व्यंग्य करते हुए बोले, ‘‘ तू मछली के हँसने का रहस्य सुलझाने निकला था और खुद ही जाल में फंस गया ।‘‘

माधव और चिदंबरा ने माता-पिता के पैर छुए । माधव ने कहा, ‘‘ चिन्ता करने की कोई बात नहीं है। राजा को मछली के हँसने का राज बताने के अभी दस दिन बाकी हैं ।‘‘

दूसरे दिन से चिदंबरा और माधव राज महल में आने जाने वाले लोगों पर नजर रखने लगे । उन्होंने पुरुष जैसे शरीर वाली एक महिला को दासी गृह में जाते हुए देखा । चिदंबरा को वह महिला रहस्यमय लगी ।

अगले दिन वजीर की सहायता से चिदंबरा ने राज महल के निकट एक गड्ढा खुदवाया । राज दरबार द्वारा घोषणा की गई कि सभी दासियों को इस गड्ढे को लांघना होगा । जो इसे लांघेगा उसे राज सम्मान दिया जाएगा । एक को छोड़कर कोई भी दासी उस गड्ढे को नहीं लांघ पाई । गड्ढे को लांघने वाली वही रहस्यमयी महिला थी । उसकी जांच की गई तो वह महिला के वेश में एक पुरुष निकला । वह दुश्मन देश का जासूस था । वह खुफिया जानकारी लेने आया था जिससे इस राज्य पर आक्रमण किया जा सके ।

उस जासूस को राजा के सम्मुख खड़ा करते हुए वजीर ने कहा, ‘‘ महाराज ! मछली के हँसने का यही रहस्य था ।‘‘ उस जासूस ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया । उसे कारावास में डालने का हुक्म सुनाया गया ।

राजा की कोई संतान नहीं थी । उसने वजीर के पुत्र की बुद्धिमानी से प्रभावित होकर उसे अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया ।

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- डॉ . उमेश चमोला, शिक्षक -प्रशिक्षक राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् उत्तराखण्ड, राजीव गांधी नवोदय विद्यालय भवन नालापानी देहरादून, उत्तराखण्ड

ई मेल – u.chamola23@gmail.com

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रचनाकार: उत्तराखण्ड की लोक कथा - मछली क्यों हँसी ? - डॉ. उमेश चमोला
उत्तराखण्ड की लोक कथा - मछली क्यों हँसी ? - डॉ. उमेश चमोला
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