हरिशंकरी : पौराणिक एवं पर्यावरणीय महत्व -डॉ दीपक कोहली-

SHARE:

हरिशंकरी : पौराणिक एवं पर्यावरणीय महत्व -डॉ दीपक कोहली- हरिशंकरी, जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि हरि अर्थात भगवान विष्णु एवं शंकर अर्थात भगवान ...

हरिशंकरी : पौराणिक एवं पर्यावरणीय महत्व

-डॉ दीपक कोहली-

हरिशंकरी, जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि हरि अर्थात भगवान विष्णु एवं शंकर अर्थात भगवान शिव, की छायावाली। दूसरे शब्दों में कहें तो हिन्दू मान्यता में पीपल को श्री विष्णु व बरगद को श्री भोले शंकर का स्वरूप माना जाता है। मत्स्य पुराण के अनुसार पार्वती जी के श्राप वश विष्णु-पीपल, शंकर-बरगद व ब्रहमा-पाकड़ वृक्ष बन गये। इसीलिए पीपल, बरगद व पाकड़ के सम्मिलित रोपण को ‘हरिशंकरी‘ कहते हैं। हरिशंकरी की स्थापना एक परम पुण्य व श्रेष्ठ परोपकारी कार्य है। हरिशंकरी के तीनों वृक्षों अर्थात पीपल, बरगद और पाकड़ को एक ही स्थान पर इस प्रकार रोपित किया जाता है कि तीनों वृक्षों का संयुक्त छत्र विकसित हो व तीनों वृक्षों के तने विकसित होने पर एक तने के रूप में दृष्टिगोचर हों। हरिशंकरी का रोपण वैसे तो पूरे भारतवर्ष में किया जाता है किन्तु उत्तर प्रदेश के बलिया, गाजीपुर, मऊ व आसपास के जनपदों में विशेष रूप से किया जाता है।

हरिशंकरी के तीन वृक्षों में प्रथम है पीपल। पीपल को संस्कृत में पिप्पल (अर्थात इसमें जल है), बोधिद्रुम (बोधि प्रदान करने वाला वृक्ष), चलदल (लगातार हिलने वाली पत्तियों वाला), कुन्जराशन (हाथी का भोजन), अच्युतावास (भगवान विष्णु का निवास), पवित्रक (पवित्र करने वाला), अश्वत्थ (यज्ञ की अग्नि का निवास स्थल) तथा वैज्ञानिक भाषा में फाइकस रिलिजिओसा कहते हैं, जो मोरेसी कुल का सदस्य है।

यह सर्वाधिक ऑक्सीजन प्रदान करने वाला वृक्ष है। चिड़िया इसके फलों को खाकर जहां मल त्याग करती हैं वहां थोड़ी सी नमी प्राप्त होने पर यह अंकुरित होकर जीवन संघर्ष करता है। दूर-दूर तक जड़ें फैलाकर जल प्राप्त कर लेना इसकी ऐसी दुर्लभ विशेषता है जिसके कारण इसका नाम संस्कृत में पिप्पल (अर्थात इसमें जल है), रखा गया है। वैज्ञानिक भी इसे पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यधिक महत्व का वृक्ष मानते हैं। औषधीय दृष्टि से पीपल शीतल, रूक्ष, वर्ण को उत्तम बनाने वाला तथा पित्र, कफ एवं रक्तविकार को दूर करने वाला है।

इस वृक्ष में भगवान विष्णु का निवास माना जाता है। भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है कि वृक्षों में मैं पीपल हूँ (अश्वत्थः सर्व वृक्षाणाम)। इस वृक्ष के रोपण, सिंचन, परिक्रिमा, नमन-पूजन करने से हर तरह से कल्याण होता है और सभी दुर्भाग्यों का नाश होता है। जलाशयों के किनारे इस वृक्ष के रोपण का विशेष पुण्य बताया गया है, (इसकी पत्तियों में चूना अधिक मात्रा में होता है जो जल को शुद्ध करता है)। ध्यान करने के लिए पीपल की छाया सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है, रामचरितमानस में वर्णन है कि काकभुशुण्डि जो पीपल के वृक्ष के नीचे ध्यान करते थे (पीपर तरू तर ध्यान जो धरई)। वृक्षायुर्वेद के अनुसार, ‘जो व्यक्ति विधि पूर्वक पीपल वृक्ष का रोपण करता है, वह चाहे जहाँ भी हो, भगवान विष्णु के लोक को जाता है।‘

इसी कड़ी में दूसरा वृक्ष है बरगद। इसे संस्कृत में वट (घेरने वाला), न्यग्रोध (घेरते हुए बढ़ने वाला), बहुपाद, रोहिण व यज्ञावास कहते हैं। अंग्रेजी भाषा में इसे बैनयन ट्री तथा वनस्पति विज्ञान की भाषा में फाइकस बेन्गालेन्सिस कहते हैं, जो कि मोरेसी कुल का सदस्य है।

यह सदाहरित विशालकाय छाया वृक्ष है, जो पूरे भारत में पया जाता है। इसकी शाखाओं से जड़ें निकल कर लटकती हैं जो जमीन में प्रवेश करने के बाद अपनी शाखा को अपने माध्यम से पोषण व आधार प्रदान करने लगती है। इस प्रकार बरगद का वृक्ष अपना विस्तार बढ़ाता जाता है। इसी कारण यह अक्षयकाल तक जीवित रहने की क्षमता रखता है। अतः अत्यधिक पुराने बरगद वृक्षों को प्राचीन काल में अक्षय वट कहा जाता था। इसकी छाया घनी होती है।

इसके फलो को मानव व पशु-पक्षी खाते हैं, जो शीत व पौष्टिक गुणयुक्त होते हैं। इसके दुग्धस्राव को कमरदर्द, जोड़ों के दर्द, सड़े हुए दांत का दर्द, बरसात में होने वाली फोड़े-फुन्सियों पर लगाने से लाभ मिलता है। इसकी छाल का काढ़ा बहुमूत्र में तथा फल मधुमेह में लाभप्रद है।

इस वृक्ष में भगवान शंकर का निवास माना जाता है। कथा सुनने के लिए इस वृक्ष की छाया उत्तम मानी जाती है। वटवृक्ष के विस्तार करने की अदम्य क्षमता व अक्षयकाल तक जीवित रहने की सम्भावना इसे पूज्य बनाती है। कहा जाता है कि सीता जी ने वनवास की यात्रा में बरगद के वृक्ष की पूजा की थी।

वट सावित्री व्रत पति की लम्बी आयु के लिए ज्येष्ठ अमावस्या को महिलाओं द्वारा किया जाता है। वृक्षायुर्वेद के अनुसार घर के पूरब में स्थित बरगद वृक्ष सभी कामनाओं की पूर्ति करने वाला होता है।

बरगद का वृक्ष भारत का राष्ट्रीय वृक्ष भी है। यह अत्यंत पवित्र वृक्ष माना जाता है एवं इसके नीचे मंदिर भी बनाये जाते हैं। इसके बढ़े आकार के कारण यह अत्यंत छायादार वृक्ष भी है। भारत में बरगद के दो सबसे बड़े पेड़ कोलकाता के राजकीय उपवन में और महाराष्ट्र के सतारा उपवन में हैं। आज भी बरगद के वृक्ष को ग्रामीण जीवन का केंद्र बिंदु माना जाता है और आज भी गांव की पंचायत इसी पेड़ की छाया में सम्पन्न होती है।

हरिशंकरी का तीसरा वृक्ष पाकड़ है। पाकड़ को संस्कृत में प्लक्ष (नीचे जाने वाला), पर्कटी (सम्पर्क वाली), पर्करी, जटी कहते हैं। वनस्पति विज्ञान की भाषा में इसे फाइकस इनफेक्टोरिया कहते हैं जो कि मोरेसी कुल का सदस्य है।

यह लगभग सदा हरा भरा रहने वाला वृक्ष है जो शीत ऋतु के अंत में थोड़े समय के लिए पतझड़ में रहता है। इसका छत्र काफी फैला हुआ और घना होता है। इसकी शाखायें जमीन के समानान्तर काफी नीचे तक आ जाती हैं। जिससे घनी शीतल छाया का आनन्द बहुत करीब से मिलता है। इसकी विशेषता के कारण इसे प्लक्ष या पर्कटी कहा गया जो हिन्दी में बिगड़कर क्रमशः पिलखन व पाकड़ हो गया। यह बहुत तेज बढ़कर जल्दी छाया प्रदान करता है। शाखाओं या तने पर जटा मूल चिपकी या लटकी रहती है। फल मई-जून तक पकते हैं व वृक्ष पर काफी समय तक बने रहते हैं। गूलर की तुलना में इसके पत्ते अधिक गाढ़े रंग के होते हैं जो सहसा काले प्रतीत होते हैं। जिसके कारण इस वृक्ष के नीचे अपेक्षाकृत अधिक अंधेरा प्रतीत होता है।

यह घनी और कम ऊँचाई पर छाया प्रदान करने के कारण सड़कों के किनारे विशेष रूप से लगाया जाता है। इसकी शाखाओं को काटकर रोपित करने से वृक्ष तैयार हो जाता है। औषधीय दृष्टि से यह शीतल एवं दाह, पित्त, कफ, रक्त विकार को दूर करने वाला है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार नौ द्वीपों में एक द्वीप का नाम प्लक्ष द्वीप है जिस पर पाकड़ का वृक्ष है। मान्यता के अनुसार पाकड़ वनस्पति जगत का अधिपति व नायक है और याज्ञिक कार्यों हेतु श्रेष्ठ छाया वृक्ष है। नारद पुराण के अनुसार ब्रह्रमा जी ने विश्व में साम्राज्यों का बंटवारा करते समय पाकड़ को वनस्पतियों का राजा नियुक्त किया। वृक्षायुर्वेद के अनुसार घर के उत्तर में पाकड़ का वृक्ष लगाना शुभ होता है।

इस प्रकार हरिशंकरी के तीनों वृक्षों पीपल, बदगद व पाकड़ का अत्यन्त ही महत्व है। हरिशंकरी में तमाम पशु-पक्षियों व जीव-जन्तुओं को आश्रय व खाने को फल मिलते हैं। इस प्रकार हरिशंकरी के रोपण से इन जीव-जन्तुओं का आशीर्वाद मिलता है, इस पुण्यफल की बराबरी कोई भी दान नहीं कर सकता।

हरिशंकरी कभी भी पूर्ण पूर्णरहित नहीं होती है, वर्षभर इसके नीचे छाया बने रहने से पथिकों, विश्रान्तों एवं साधकों को छाया मिलती है। इसी की छाया में दिव्य औषधीय गुण व पवित्र आध्यात्मिक प्रवाह निसृत होते रहते हैं, जो इसके नीचे बैठने वाले को पवित्रता, पुष्टता और ऊर्जा प्रदान करते हैं।

पर्यावरण संरक्षण व जैव विविधता संरक्षण की दृष्टि से पीपल, बरगद व पाकड़ सर्वश्रेष्ठ प्रजातियां मानी जाती हैं। हरिशंकरी का रोपण हर प्रकार से महत्वपूर्ण एवं पुण्यदायक कार्य है। इसे धर्म स्थलों, विश्राम स्थलों पर रोपित करना चाहिए। हमें इसके पौराणिक एवं पर्यावरणीय महत्व के सम्बन्ध में सभी को विशेषकर बच्चों को बताना चाहिए ताकि हमारी यह धरोहर अनन्तकाल तक बनी रहे और इसके लाभ प्राप्त करती रहे।

--

लेखक परिचय

*नाम - डॉ दीपक कोहली

*जन्मतिथि - 17 जून, 1969

*जन्म स्थान- पिथौरागढ़ ( उत्तरांचल )

*प्रारंभिक जीवन तथा शिक्षा - हाई स्कूल एवं इंटरमीडिएट की शिक्षा जी.आई.सी. ,पिथौरागढ़ में हुई।

*स्नातक - राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पिथौरागढ़, कुमायूं विश्वविद्यालय, नैनीताल ।

*स्नातकोत्तर ( एम.एससी. वनस्पति विज्ञान)- गोल्ड मेडलिस्ट, बरेली कॉलेज, बरेली, रुहेलखंड विश्वविद्यालय ( उत्तर प्रदेश )

*पीएच.डी. - वनस्पति विज्ञान ( बीरबल साहनी पुरावनस्पति विज्ञान संस्थान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश)

*संप्रति - उत्तर प्रदेश सचिवालय, लखनऊ में उप सचिव के पद पर कार्यरत।

*लेखन - विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 1000 से अधिक वैज्ञानिक लेख /शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं।

*विज्ञान वार्ताएं- आकाशवाणी, लखनऊ से प्रसारित विभिन्न कार्यक्रमों में 50 से अधिक विज्ञान वार्ताएं प्रसारित हो चुकी हैं।

*पुरस्कार-

1.केंद्रीय सचिवालय हिंदी परिषद नई दिल्ली द्वारा आयोजित 15वें अखिल भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार, 1994

2. विज्ञान परिषद प्रयाग, इलाहाबाद द्वारा उत्कृष्ट विज्ञान लेख का "डॉ .गोरखनाथ विज्ञान पुरस्कार" क्रमशः वर्ष 1997 एवं 2005

3. राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान ,उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा आयोजित "हिंदी निबंध लेख प्रतियोगिता पुरस्कार", क्रमशः वर्ष 2013, 2014 एवं 2015

4. पर्यावरण भारती, मुरादाबाद द्वारा एनवायरमेंटल जर्नलिज्म अवॉर्ड्, 2014

5. सचिवालय सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन समिति, उत्तर प्रदेश ,लखनऊ द्वारा "सचिवालय दर्पण निष्ठा सम्मान", 2015

6. राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा "साहित्य गौरव पुरस्कार", 2016

7.राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान ,उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा "तुलसी साहित्य सम्मान", 2016

8. पर्यावरण भारती, मुरादाबाद द्वारा "सोशल एनवायरमेंट अवॉर्ड", 2017

9. पर्यावरण भारती ,मुरादाबाद द्वारा "पर्यावरण रत्न सम्मान", 2018

10. अखिल भारती काव्य कथा एवं कला परिषद, इंदौर ,मध्य प्रदेश द्वारा "विज्ञान साहित्य रत्न पुरस्कार",2018

11. पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा वृक्षारोपण महाकुंभ में सराहनीय योगदान हेतु प्रशस्ति पत्र / पुरस्कार, 2019

--

डॉ दीपक कोहली, पर्यावरण , वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग उत्तर प्रदेश शासन,5/104, विपुल खंड, गोमती नगर लखनऊ - 226010 (उत्तर प्रदेश )

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: हरिशंकरी : पौराणिक एवं पर्यावरणीय महत्व -डॉ दीपक कोहली-
हरिशंकरी : पौराणिक एवं पर्यावरणीय महत्व -डॉ दीपक कोहली-
https://4.bp.blogspot.com/-MVht2Vo9q48/XohNJrmzmXI/AAAAAAABR1E/U9a3KCDdN2wECrTdTJ67pSOg1LDPoRwmwCK4BGAYYCw/s320/New%2BDoc%2B2020-02-10%2B15_34_19-1-746953.jpg
https://4.bp.blogspot.com/-MVht2Vo9q48/XohNJrmzmXI/AAAAAAABR1E/U9a3KCDdN2wECrTdTJ67pSOg1LDPoRwmwCK4BGAYYCw/s72-c/New%2BDoc%2B2020-02-10%2B15_34_19-1-746953.jpg
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2020/04/blog-post_409.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2020/04/blog-post_409.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content