भगवान विष्णु के छठे अवतार - महावीर परशुराम की गाथा - / दीपक कुमार त्यागी

SHARE:

भगवान विष्णु के छठे अवतार महावीर परशुराम की गाथा हस्तक्षेप / दीपक कुमार त्यागी स्वतंत्र पत्रकार, स्तंभकार व रचनाकार आज देश जगत के पालनहार भग...

भगवान विष्णु के छठे अवतार महावीर परशुराम की गाथा

हस्तक्षेप / दीपक कुमार त्यागी

स्वतंत्र पत्रकार, स्तंभकार व रचनाकार

आज देश जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी के छठे अवतार  भगवान परशुराम जी के जन्मोत्सव का पावन पर्व मना रहा है। हमारे वैदिक सनातन धर्म की धार्मिक मान्यताओं व पौराणिक वृत्तान्तों के अनुसार भृगुकुल तिलक, अजर-अमर, अविनाशी, विश्व के अष्ट चिरंजीवियों में सम्मिलित, शस्त्र व शास्त्र के महान ज्ञाता परम वीर भगवान परशुराम जी का जन्म वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया अर्थात अक्षय तृतीया के पावन दिन माता रेणुका के गर्भ से हुआ था। भगवान परशुराम जी राजा प्रसेनजित की पुत्री रेणुका और भृगुवंशीय सप्तऋषि महर्षि जमदग्नि के पाँचवें पुत्र थे। भगवान परशुराम जी के पिता महर्षि जमदग्नि वेद-शास्त्रों के महान ज्ञाता थे और वो सप्तऋषियों में से एक थे। हमारे शास्त्रों के अनुसार भगवान परशुराम अजर-अमर हैं और वह किसी समाज विशेष के आदर्श ना होकर, बल्कि वो संपूर्ण वैदिक सनातन धर्म को मानने वालें सभी हिन्दूओं के आदर्श हैं। उनको अष्ट चिरंजीवियों में से एक चिरंजीवी माना गया हैं, उनका उल्लेख हमें रामायण में माता सीता के स्वंयवर के समय भगवान श्रीराम के काल में भी मिलता है, तो उनका उल्लेख हमें महाभारत के भगवान श्रीकृष्ण के काल में भी मिलता है। उन्होंने ही भगवान श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र उपलब्ध कराया था। श्रीमद्भागवत पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण तथा कल्कि पुराण में भी भगवान परशुराम जी का उल्लेख मिलता है। धर्म के ज्ञाता कहते हैं कि वे कलिकाल के अंत में उपस्थित होंगे, ऐसी धार्मिक मान्यता है। ऐसा माना जाता है कि वे कल्प के अंत तक धरती पर ही तपस्यारत रहेंगे। पौराणिक कथा में वर्णित है कि महेंद्रगिरि पर्वत पर भगवान परशुराम जी की तपोस्थली है और वह उसी पर्वत पर कल्पांत तक के लिए तपस्यारत होने के लिए चले गए।

भगवान परशुराम जी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। वह भगवान शिव के अनन्य परम भक्त हैं। इन्हें भगवान शिव से ही विशेष परशु प्राप्त हुआ था। जिसके चलते इनका नाम परशुराम हो गया। वैसे इनका नाम तो राम था, किन्तु शंकर के द्वारा प्रदत्त अमोघ परशु को सदैव धारण किये रहने के कारण इनका नाम परशुराम पड़ गया था। परशुराम भगवान विष्णु के दस अंशावतार में से छठे अवतार थे, जो वामन अवतार एवं राम के मध्य में आता है। सप्तऋषि महर्षि जमदग्नि के पुत्र होने के कारण इन्हें 'जामदग्न्य' भी कहा जाता हैं। भृगु कुल में उत्पन्न परशुराम जी सदैव अपने गुरुजनों तथा माता-पिता की आज्ञा का पालन हर हाल में करते थे। भगवान परशुराम के कथनानुसार राजा का कर्तव्य होता है वैदिक सनातन धर्म के अनुसार राजधर्म का पालन करते हुए प्रजा के हित में कार्य करे, न कि प्रजा से अपनी आज्ञा का पालन करवाए और राजा उसके अधिकारों पर अंकुश लगाए।

*धरती को पाप से मुक्त करने के लिए अवतार :-*

जब परशुराम का धरती पर जन्म हुआ तब उस समय दुष्ट व राक्षसी प्रवृत्ति के बहुत सारे राजाओं का पृथ्वी पर बोलबाला था। उन्हीं में से एक राजा ने उनके पिता महर्षि जमदग्नि को मार दिया था। इससे परशुराम बहुत कुपित हुए और उन्होंने उस दुष्ट राजा का वध किया। उन्होंने राक्षसी प्रवृत्ति के सभी राजाओं का वध करके पृथ्वीवासियों को भयमुक्त किया था। कुछ कथाओं के आनुसार परशुराम ने पृथ्वी पर क्षत्रियों का अनेक बार विनाश किया। उस समय के क्षत्रियों के अहंकारपूर्ण दमन से व पापियों से विश्व को मुक्ति दिलाने के लिए ही भगवान परशुराम का जन्म हुआ था।

*भगवान परशुराम जन्म कथा :-*

भृगु ने अपने पुत्र के विवाह के विषय में जाना तो बहुत प्रसन्न हुए तथा अपनी पुत्रवधू से वर माँगने को कहा। उनकी पुत्रवधू सत्यवती ने अपने तथा अपनी माता के लिए पुत्र की कामना की। भृगु ने उन दोनों को 'चरु' भक्षणार्थ दिये तथा कहा कि ऋतुकाल के उपरान्त स्नान करके सत्यवती गूलर के पेड़ तथा उसकी माता पीपल के पेड़ का आलिंगन करे तो दोनों को पुत्र प्राप्त होंगे। माँ-बेटी के चरु खाने में उलट-फेर हो गयी। दिव्य दृष्टि से देखकर भृगु ऋषि पुनः वहाँ पधारे तथा उन्होंन सत्यवती से कहा कि तुम्हारी माता का पुत्र क्षत्रिय होकर भी ब्राह्मणोचित व्यवहार करेगा तथा तुम्हारा बेटा ब्राह्मणोचित होकर भी क्षत्रियोचित आचार-विचार करने वाला होगा। सत्यवती के बहुत अनुनय-विनय करने पर भृगु ने मान लिया कि सत्यवती का बेटा ब्राह्मणोचित रहेगा, किंतु पोता क्षत्रियों की तरह कार्य करने वाला होगा। सत्यवती के पुत्र जमदग्नि मुनि हुए। उन्होंने राजा प्रसेनजित की पुत्री रेणुका से विवाह किया। रेणुका के पाँच पुत्र हुए, जो क्रमशः रुमण्वान, सुषेण, वसु, विश्वावसु तथा पाँचवें पुत्र का नाम परशुराम था और वही क्षत्रियोचित आचार-विचार वाला पुत्र था।

*परशुराम की गाथाएं :-*

भगवान परशुराम की शिक्षा महर्षि विश्वामित्र एवं ऋचीक के आश्रम में प्राप्त होने के साथ ही महर्षि ऋचीक से सारंग नामक दिव्य वैष्णव धनुष और ब्रह्मर्षि कश्यप से विधिवत अविनाशी वैष्णव मन्त्र प्राप्त हुआ। तदनन्तर कैलाश गिरिश्रृंग पर स्थित भगवान शंकर के आश्रम में विद्या प्राप्त कर विशिष्ट दिव्यास्त्र विद्युदभि नामक परशु प्राप्त किया। शिवजी से उन्हें श्रीकृष्ण का त्रैलोक्य विजय कवच, स्तवराज स्तोत्र एवं मन्त्र कल्पतरु भी प्राप्त हुए। चक्रतीर्थ में किये कठिन तप से प्रसन्न हो भगवान विष्णु ने उन्हें त्रेता में रामावतार होने पर तेजोहरण के उपरान्त कल्पान्त पर्यन्त तपस्यारत भूलोक पर रहने का वर दिया ।

- परशुराम गुरुजनों, माता-पिता की आज्ञा का पालन हर हाल में करते थे। एकबार जमदग्नि मुनि ने क्रोध के आवेश में बारी-बारी से अपने चारों बेटों को माँ रेणुका की हत्या करने का आदेश दिया। किंतु कोई भी तैयार नहीं हुआ। जमदग्नि ने अपने चारों पुत्रों को जड़बुद्ध होने का शाप दिया। फिर उन्होंने परशुराम को आदेश दिया कि वो अपनी माँ की हत्या करें। आज्ञाकारी परशुराम ने तुरन्त पिता की आज्ञा का पालन किया। जमदग्नि ऋषि ने प्रसन्न होकर परशुराम से वर माँगने के लिए कहा। परशुराम ने सबसे पहले वर से माँ का पुनर्जीवन माँगा और फिर अपने भाईयों को क्षमा कर देने के लिए कहा। जमदग्नि ऋषि ने परशुराम को आशीर्वाद देते हुए  कहा कि वो सदा अजर-अमर रहेगा।

- एक दूसरी कथा के अनुसार ऋषि वशिष्ठ से शाप का भाजन बनने के कारण सहस्त्रार्जुन की मति मारी गई थी। तब सहस्त्रार्जुन ने परशुराम के पिता महर्षि जमदग्नि के आश्रम में एक कपिला कामधेनु गाय को देखा और उसे पाने की लालसा से वह कामधेनु को बलपूर्वक आश्रम से ले गया। जब परशुराम को यह बात पता चली तो उन्होंने पिता के सम्मान के खातिर कामधेनु वापस लाने की सोची और सहस्त्रार्जुन से उन्होंने युद्ध किया। इस युद्ध में उन्होंने सहस्त्रार्जुन की भुजाएं और मस्तक काट दिया था।

- ऐसा भी कहा जाता है कि उस काल में हैहयवंशीय क्षत्रिय राजाओं का अत्याचार था। भार्गव और हैहयवंशियों की पुरानी दुश्मनी चली आ रही थी। हैहयवंशियों का राजा सहस्रबाहु अर्जुन भार्गव आश्रमों के ऋषियों को सताया करता था। एक समय सहस्रबाहु के पुत्रों ने जमदग्नि ऋषि के आश्रम की कामधेनु गाय को लेने तथा परशुराम से बदला लेने की भावना से परशुराम के पिता का वध कर दिया। जब परशुराम घर पहुँचे तो बहुत दुखी हुए और क्रोधवश उन्होंने हैहयवंशीय क्षत्रियों की वंश-बेल का विनाश करने की कसम खाई।

पिता के वियोग में भगवान परशुराम की माता चिता पर सती हो गयीं। पिता के शरीर पर 21 घाव को देखकर भगवान परशुराम ने प्रतिज्ञा ली कि वह इस धरती से समस्त क्षत्रिय वंशों का संहार कर देंगे। इसके बाद पूरे 21 बार उन्होंने पृथ्वी से क्षत्रियों का विनाश कर अपनी प्रतिज्ञा पूरी की। इसी कसम के तहत उन्होंने इस वंश के लोगों से बार-बार युद्ध कर उनका 21बार समूल नाश कर दिया था। तभी से शायद यह भ्रम फैल गया कि भगवान परशुराम ने धरती पर से क्षत्रियों का समूल नाश कर दिया था, लेकिन धर्म के ज्ञाता कहते है कि परशुराम ने महिलाओं का वध नहीं किया था जिससे बाद में वंश चलता रहा। उन्होंने संमत पंचक क्षेत्र (कुरुक्षेत्र) में क्षत्रियों के रुधिर से पाँच कुंड भर दिये थे। रुधिर से परशुराम ने अपने पितरों का तर्पण किया। उस समय ऋचीक ऋषि साक्षात प्रकट हुए तथा उन्होंने परशुराम को ऐसा कार्य करने से रोका। ऋत्विजों को दक्षिणा में समस्त पृथ्वी प्रदान की। ब्राह्मणों ने कश्यप की आज्ञा से उस वेदी को खंड-खंड करके बाँट लिया, अतः वे ब्राह्मण जिन्होंने वेदी को परस्पर बाँट लिया था, खांडवायन कहलाये।

-भगवान गणेश और परशुराम के बीच युद्ध- ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार एक बार भगवान परशुराम अपने इष्ट भगवान शंकर के दर्शन के लिए कैलाश पर्वत पर गए। वहां भगवान शिव माता पार्वती के साथ विराजमान थे और वह माता पार्वती को राम-कथा सुना रहे थे। कथा में बाधा उत्पन्न न हो इसके लिए उन्होंने अपना दिव्य त्रिशूल गणेश जी को प्रदान कर दरवाजे पर यह कहकर खड़ा कर दिया था कि किसी को भी वहां न आने दे।

लेकिन जब भगवान परशुराम  कैलाश पहुंचकर सीधे भगवान शंकर के दर्शन के लिए कैलाश के द्वार में प्रवेश करने लगे। तो द्वार पर नंदी, शृंग आदि शिवगणों से उनकी भेंट हुई। भगवान परशुराम ने उनसे भगवान शिव के बारे में पूछा कि इस समय वे कहां हैं? इस पर नंदी ने कहा कि इस बात की उन्हें कोई जानकारी नहीं है कि भगवान शिव कहां हैं। इस पर भगवान परशुराम ने नंदी आदि शिवगणों पर गुस्सा करते हुए कहा कि तुम्हें यह भी नहीं पता कि तुम्हारे आराध्य देव कहां हैं। ऐसे में तुम शिवगण कहलाने के लायक ही नहीं हो।

परशुराम जी ने शिवगणों पर क्रोध किया और खुद भगवान शिव को ढूंढने कैलाश में प्रवेश कर गए। बहुत ढूंढने के बाद भी उन्हें भगवान शंकर कहीं नहीं मिले। अंत में एक घर दिखाई दिया, जहां द्वार पर एक बालक पहरा दे रहा था। भगवान परशुराम उस बालक के पास पहुंचे और वहीं से द्वार में प्रवेश करने लगे। तब भगवान गणेश जी ने उन्हें वहीं रोक दिया। इस पर परशुराम जी ने कहा तुम कौन हो जो मुझे इस तरह यहां रोकने का प्रयास कर रहे हो? इस पर गणेश जी ने कहा आप कौन हैं जो इस तरह अंतःपुर में बिना अनुमति के प्रवेश कर रहे हैं।

इतने में नंदी आदि शिवगण वहां आए और भगवान परशुराम को बताया यह गजमुख वाला बच्चा माता पार्वती के पुत्र गणेश जी हैं। साथ ही गणेश जी से कहा कि ये परशुधारी भगवान शिव के अनन्य भक्त परशुराम हैं। भगवान परशुराम ने कहा कि ये विचित्र बालक, जिसका मुंह गज का है और बाकी का शरीर इंसान का, कैसे माता पार्वती का पुत्र हो सकता है। तभी गणेश जी ने भगवान परशुराम का उपहास करते हुए कहा कि आप देखने में तो ब्राह्मण लगते हैं, लेकिन आपके हाथों में कमंडल की जगह यह परशु क्यों है? इस पर दोनों में बहस होती रही।

इसके बाद परशुराम भगवान शिव से मिलने के लिए उनके निवास स्थान पर अंदर जाने लगे। इतने में गणेश जी ने शिव जी द्वारा दिए गए त्रिशूल को परशुराम के सामने कर उन्हें युद्ध के लिए सावधान किया। उधर परशुराम जी ने भी अपना परशु तान कर चुनौती स्वीकार की। फिर दोनों के बीच भयंकर युद्ध शुरू हो गया। इस युद्ध में परशुराम जी के फरसे द्वारा गणेश जी का एक दांत काट गया जिसके चलते उनका नाम एकदंत भी पड़ा।

- परशुराम भीष्म युद्ध-

भगवान परशुराम वह शूरवीर थे, जिन्होंने एक स्त्री के अनुरोध पर स्त्री की रक्षा के लिए भीष्म के साथ इसलिए युद्ध किया था ताकि भीष्म खुद अपने द्वारा अपहरण करके लाई गई अम्बा (अम्बा, अम्बिका, अम्बालिका वाली अम्बा) के साथ विवाह करें, पर वे भीष्म को आजीवन विवाह न करने की प्रतिज्ञा के चलते उन्हें डिगा नहीं सके।

भगवान परशुराम जी शस्त्रविद्या के महान गुरु थे। उन्होंने भीष्म, द्रोण व कर्ण को शस्त्रविद्या प्रदान की थी। उन्होंने एकादश छन्दयुक्त "शिव पंचत्वारिंशनाम स्तोत्र" भी लिखा। इच्छित फल-प्रदाता परशुराम गायत्री है-"ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि, तन्नोपरशुराम: प्रचोदयात्।" वे पुरुषों के लिये आजीवन एक पत्नीव्रत के पक्षधर थे। उन्होंने ऋषि अत्रि की पत्नी अनसूया, ऋषि अगस्त्य की पत्नी लोपामुद्रा व अपने प्रिय शिष्य अकृतवण के सहयोग से विराट नारी-जागृति-अभियान का संचालन भी किया था। अवशेष कार्यो में कल्कि अवतार होने पर उनका गुरुपद ग्रहण कर उन्हें शस्त्रविद्या प्रदान करना भी बताया गया है। यह भी कहा जाता है कि भारत के अधिकांश ग्राम उन्हीं के द्वारा बसाये गये। जिस मे कोंकण, गोवा एवं केरल का समावेश है। एक पौराणिक कथा के अनुसार जब उन्होंने पृथ्वी कश्यप ऋषि को दान कर दी थी तो भगवान परशुराम ने तीर चला कर गुजरात से लेकर केरल तक समुद्र को पीछे धकेल दिया था, और अपनी तपस्या के लिए नई भूमि का निर्माण किया। इसी कारण से कोंकण, गोवा और केरल में भगवान परशुराम बहुत अधिक वंदनीय हैं। वो ब्राह्मण के रूप में जन्में अवश्य थे, लेकिन वह अपने कर्म से एक महान क्षत्रिय योद्धा थे। भगवान परशुराम जी एक ऐसे सच्चे शूरवीर थे, जिनका जन्म पृथ्वी पर धर्म, संस्कृति, न्याय, सदाचार व सत्य की रक्षा करने के लिए हुआ था। आज जन्मोत्सव उन्हें हम सभी कोटि-कोटि नमन करते हैं।

।। जय हिन्द जय भारत ।।

।। मेरा भारत मेरी शान मेरी पहचान ।।

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: भगवान विष्णु के छठे अवतार - महावीर परशुराम की गाथा - / दीपक कुमार त्यागी
भगवान विष्णु के छठे अवतार - महावीर परशुराम की गाथा - / दीपक कुमार त्यागी
https://4.bp.blogspot.com/-8cQKJesi7qw/XqGMed7T23I/AAAAAAABSSY/IkKsA48vIQAdZB_U9eAr61fBG0T0MVwdACK4BGAYYCw/s320/IMG-20200227-WA0000-758343.jpg
https://4.bp.blogspot.com/-8cQKJesi7qw/XqGMed7T23I/AAAAAAABSSY/IkKsA48vIQAdZB_U9eAr61fBG0T0MVwdACK4BGAYYCw/s72-c/IMG-20200227-WA0000-758343.jpg
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2020/04/blog-post_524.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2020/04/blog-post_524.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content