इटली की लोक कथाएँ–1 : 10 तीन किले // सुषमा गुप्ता

SHARE:

एक बार एक लड़के के दिमाग में आया कि वह कहीं बाहर जा कर चोरी करे। यह बात उसने अपनी माँ से कही तो उसने उसको बहुत डाँटा। वह बोली — “तुमको शरम न...

clip_image002

एक बार एक लड़के के दिमाग में आया कि वह कहीं बाहर जा कर चोरी करे। यह बात उसने अपनी माँ से कही तो उसने उसको बहुत डाँटा।

वह बोली — “तुमको शरम नहीं आती ऐसा कहते हुए। जाओ चर्च जाओ और वहाँ जा कर अपना यह पाप कनफैस करो और सुनो कि पादरी ने तुमसे क्या कहा।”

लड़का कनफैशन करने के लिये चर्च गया तो पादरी ने कहा — “चोरी करना पाप जरूर है पर सिवाय चोरों के यहाँ चोरी करने के।” उसकी समझ में आ गया।

वहाँ से वह लड़का जंगल चला गया। जंगल के पास एक मकान था। उसने उस मकान का दरवाजा खटखटाया तो उसमें अन्दर कुछ लोग थे।

उसने उनसे कहा कि वह कोई काम चाहता है। उन्होंने उसको अपने घर का काम करने के लिये घर में नौकर रख लिया। इत्तफाक से वे सब चोर थे।

चोरों ने उसको बताया कि “हम लोग चोर हैं और चोरी करते हैं। पर हम कोई पाप नहीं करते क्योंकि हम टैक्स लेने वालों के घर चोरी करते हैं और उनसे लिया हुआ पैसा गरीबों में बाँट देते हैं।”

एक दिन जब वे चोर एक टैक्स लेने वाले के घर चोरी करने गये हुए थे तो उस लड़के ने उन चोरों की घुड़साल से उनका सबसे अच्छा खच्चर निकाला, उस पर सोने के कुछ टुकड़े लादे और वहाँ से भाग लिया।

उसने वह सोना तो अपनी माँ को दे दिया और फिर काम ढूँढने शहर चला गया। उस शहर के राजा के पास 100 भेड़ें थीं पर उन भेड़ों की देखभाल करने के लिये कोई तैयार नहीं था। उस लड़के ने राजा से कहा — “मैं आपकी भेड़ों की देखभाल करूँगा।”

राजा बोला — “देखो हमारे पास 100 भेड़ें हैं। कल सुबह तुम इन सबको घास खिलाने के लिये मैदान ले जाओ। वहाँ एक नाला है। ध्यान रखना कि ये भेड़ें उस नाले के उस पार न जाने पायें क्योंकि उधर एक साँप रहता है। अगर वे उधर गयीं तो वह साँप उनको खा जायेगा।

अगर तुम बिना किसी भेड़ को खोये हुए वापस आ गये तो मैं तुमको इनाम दूँगा और अगर सारी भेड़ों को वापस ले कर नहीं आये तो मैं तुमको वहीं का वहीं निकाल दूँगा जब तक कि वह साँप तुमको ही न खा जाये।”

उस घास के मैदान तक पहुँचने के लिये उसको राजा के महल की खिड़कियों के पास से हो कर जाना पड़ता था। उस दिन उस महल की एक खिड़की पर राजा की बेटी खड़ी थी। उसने जब उस लड़के को भेड़ ले जाते देखा तो वह उस पर मोहित हो गयी।

राजा की बेटी के हाथ में एक केक थी सो अपनी खिड़की से ही उसने वह केक उस लड़के की तरफ फेंक दी। उस लड़के ने वह केक लपक ली और यह सोच कर रख ली कि वह उस केक को मैदान में खायेगा।

जब वह मैदान में पहुँचा तो वहाँ उसको घास में पड़ा एक बड़ा सा सफेद पत्थर दिखायी दिया। उस पत्थर को देख कर उसने सोचा कि मैं इस पत्थर बैठ कर राजा की बेटी की दी हुई यह केक खाता हूँ पर उसे ध्यान से देखने पर पता चला कि वह पत्थर तो उस नाले के उस पार पड़ा हुआ था।

हालाँकि राजा ने उसे पहले ही चेतावनी दे रखी थी कि वह उस नाले के उस पार न जाये पर फिर भी उस लड़के ने इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और वह नाले के उस पार कूद गया।

उसके पीछे पीछे उसकी भेड़ें भी नाले के उस पार चली गयीं। उधर की तरफ की घास बड़ी थी सो भेड़ें आराम से उस घास को चरने लगीं।

लड़का उस सफेद पत्थर पर बैठ गया और अपना केक खाने लगा। अचानक उसका वह पत्थर इतनी ज़ोर से हिला कि उसको लगा जैसे सारी दुनियाँ हिल गयी हो। लड़के ने चारों तरफ देखा पर जब उसको कहीं कोई दिखायी नहीं दिया तो वह फिर अपना केक खाने लगा।

कुछ पल बाद उसको एक बार फिर से धक्का लगा जो पहले वाले धक्के से कहीं ज़्यादा जोर का था पर उस लड़के ने इस धक्के पर भी कोई ध्यान नहीं दिया। कुछ पल बाद उसको तीसरा धक्का लगा तो उसने देखा कि एक तीन सिर वाला साँप उस पत्थर के नीचे से निकल रहा था।

उसने अपने तीनों मुँहों से लड़के की तरफ देखा तो लड़के ने देखा कि उसके तीनों मुँहों में एक एक गुलाब था। ऐसा लग रहा था जैसे वह साँप वे गुलाब उस लड़के को दे रहा हो।

वह लड़का उन गुलाबों को लेने ही वाला था कि उस साँप ने अपने तीनों मुँहों से उसके ऊपर इतनी ज़ोर से फुंकार मारी जैसे वह उसको तीन कौर में ही खा जायेगा।

पर वह छोटा सा लड़का उससे ज़्यादा तेज़ था। उसने अपना डंडा अपने सिर के ऊपर उठाया और जल्दी जल्दी उसके तीनों सिरों पर मार दिया। डंडे की मार से वह साँप नीचे गिर पड़ा तो उस लड़के ने उसके तीनों सिर काट लिये।

उसके दो सिर तो उसने अपनी शिकारी वाली जैकेट की जेब में रख लिये और तीसरे सिर को उसने यह देखने के लिये कि इसके अन्दर क्या है कुचल कर तोड़ डाला। उस सिर के अन्दर उसको एक क्रिस्टल की चाभी मिली।

उस लड़के ने वह चाभी तो निकाल ली और फिर उस सफेद पत्थर को वहाँ से हटाया तो वहाँ उसको एक चोर दरवाजा मिला जिसमें एक ताला लगा हुआ था।

उसने वह क्रिस्टल की चाभी उस दरवाजे को खोलने के लिये इस्तेमाल की तो वह दरवाजा उस चाभी से खुल गया।

ताला खोल कर वह अन्दर गया तो वहाँ तो एक बड़ा शानदार महल था जो खालिस क्रिस्टल का बना हुआ था। उस क्रिस्टल के महल के दरवाजे से बहुत सारे क्रिस्टल के नौकर निकल पड़े और बोले — “आपका स्वागत है मालिक। आपको क्या चाहिये।”

लड़का बोला — “मुझे अपना सारा खजाना देखना है।”

वे लोग उसको क्रिस्टल की सीढ़ियों से ऊपर ले गये। वहाँ उन्होंने उसको क्रिस्टल की बनी घुड़सालें दिखायीं जिनमें क्रिस्टल के घोड़े थे, क्रिस्टल के हथियार थे और क्रिस्टल के ही जिरहबख्तर थे।

फिर उन्होंने उसको क्रिस्टल के बागीचे दिखाये जिनके रास्तों पर क्रिस्टल के पेड़ लगे थे और जिन पर क्रिस्टल की चिड़ियें गा रही थीं। वह क्यारियों से हो कर गुजरा तो उसने देखा कि वहाँ तो क्रिस्टल के ही फूल भी खिले हुए थे।

वहाँ क्रिस्टल के तालाब थे जिनके चारों तरफ क्रिस्टल के फूलों के पौधे लगे हुए थे। लड़के ने उन क्रिस्टल के फूलों में से एक छोटा सा फूलों का गुच्छा तोड़ा और अपने टोप में लगा लिया।

उस शाम जब वह भेड़ें चरा कर घर वापस लौटा तो उसने देखा कि राजा की बेटी तो तभी भी उसी खिड़की पर खड़ी बाहर की तरफ देख रही थी।

उसके टोप में लगा वह फूल देख कर वह बोली — “क्या मैं तुम्हारे टोप का यह फूलों का गुच्छा ले सकती हूँ?”

लड़का बोला — “हाँ हाँ क्यों नहीं। ये क्रिस्टल के फूल हैं जो मेरे क्रिस्टल के किले के क्रिस्टल के बागीचे के हैं।” ऐसा कह कर उसने फूलों का वह गुच्छा अपने टोप में से निकाल कर राजा की बेटी की तरफ फेंक दिया। राजा की बेटी ने भी उसको लपक कर पकड़ लिया।

राजा उसको अपनी सारी भेड़ों के साथ वापस आया देख कर बहुत खुश हुआ।

अगले दिन वह फिर राजा की भेड़ें चराने गया। जब वह अगले दिन उस पत्थर के पास पहुँचा तो वहाँ जा कर उसने साँप का दूसरा सिर निकाल कर उसको कुचल दिया। अब की बार उसमें से उसको एक चाँदी की चाभी मिली।

साँप के सिर में से चाँदी की चाभी निकाल कर उसने वह सफेद पत्थर फिर से हटाया और अब की बार उसने वह दरवाजा चाँदी की चाभी से खोला तो वह एक ठोस चाँदी के महल में पहुँच गया। उस महल के दरवाजे से चाँदी के नौकर निकले और उन्होंने उससे कहा — “हुकुम सरकार।”

उसने उनसे भी वही कहा जो उसने क्रिस्टल के किले के नौकरों से कहा था — “हमें हमारा खजाना दिखाओ।”

वे चाँदी के नौकर उसको चाँदी का खजाना दिखाने के लिये ले गये। चाँदी का रसोईघर जहाँ चाँदी के मुर्गे भूने जा रहे थे। चाँदी के बागीचे जहाँ चाँदी के मोर अपने पंख फैलाये खड़े थे। वहाँ से भी उसने चाँदी के फूलों का एक गुच्छा तोड़ा और अपने टोप में लगा लिया।

उस रात जब वह अपनी भेड़ें ले कर राजा के घर पहुँचा तो उसने देखा कि राजा की बेटी तो अभी भी खिड़की में बैठी बाहर देख रही थी।

जब उसने इस लड़के को आते देखा तो उसको उसके टोप में लगा चाँदी के फूलों का गुच्छा बहुत अच्छा लगा। उसने उससे फिर कहा कि क्या वह उसके टोप में लगे फूलों का गुच्छा ले सकती है?

“हाँ हाँ क्यों नहीं। ये मेरे चाँदी के महल के चाँदी के बागीचे के चाँदी के फूल हैं।” और यह कह कर उसने वह चाँदी के फूलों का गुच्छा उसकी तरफ उछाल दिया। राजा की बेटी ने वह चाँदी के फूलों का गुच्छा भी लपक कर पकड़ लिया।

तीसरे दिन वह फिर राजा की भेड़ें चराने गया। जब वह लड़का उस सफेद पत्थर के पास पहुँचा तो अब की बार उसने साँप का वह बचा हुआ तीसरा सिर भी तोड़ दिया। अब की बार उसके सिर में से उसको सोने की चाभी मिली।

साँप के सिर से सोने की चाभी निकालने के बाद उसने फिर से वह पत्थर उठाया और उसके चोर दरवाजे को सोने की चाभी से खोला।

दरवाजा खुल गया और इस बार वह एक ठोस सोने के महल में घुसा जहाँ सोने के नौकर थे। वे सिर के बालों से ले कर अपने जूतों तक पूरे सोने के बने हुए थे।

उन्होंने भी उसके पास आ कर पूछा — “मालिक, हम आपके लिये क्या करें?”

उसने उनको भी वही जवाब दिया —“हमको हमारा खजाना दिखाओ।”

सो वे उसको वह सोने का महल दिखाने ले गये। वहाँ सोने के पलंग थे जिन पर सोने के बिस्तर लगे हुए थे। उन पर सोने की चादरें बिछी हुई थीं और सोने के ही तकिये थे। उन कमरों की सोने की ही छतें थीं।

उस सोने के महल के सोने के बागीचे में सैंकड़ों सोने की चिड़ियें चहचहा रही थीं। वहाँ सोने के फव्वारे लगे थे जिनमें से सोने का पानी निकल निकल कर इधर उधर बिखर रहा था।

उसने उस सोने के बागीचे की एक क्यारी से सोने के फूलों का एक छोटा सा गुच्छा तोड़ा और अपने टोप में लगा लिया।

उस रात जब वह अपनी भेड़ें ले कर राजा के घर पहुँचा तो वह राजकुमारी रोज की तरह अभी भी उसी खिड़की में बैठी हुई थी। उस लड़के को आता देख कर वह फिर बोली कि क्या मैं तुम्हारे टोप में लगे ये फूल ले सकती हूँ?

“हाँ हाँ क्यों नहीं। ये मेरे सोने के महल के सोने के बागीचे के सोने के फूल हैं।” और यह कह कर उसने वह सोने के फूलों का गुच्छा उसकी तरफ उछाल दिया। राजा की बेटी ने वह गुच्छा भी लपक कर पकड़ लिया।

एक दिन राजा ने एक टूर्नामैन्ट का इन्तजाम किया और घोषणा की कि यह टूर्नामैन्ट तीन दिन तक चलेगा और जो कोई उन तीनों टूर्नामैन्ट्स में जीतेगा वह अपनी बेटी की शादी उसी से कर देगा।

यह सुन कर वह लड़का अपने क्रिस्टल के महल में आया और क्रिस्टल का एक घोड़ा निकाला जिसकी लगाम और जीन सब क्रिस्टल की थी। उसने फिर अपना क्रिस्टल का जिरहबख्तर पहना और अपने क्रिस्टल के घोड़े पर सवार हो कर टूर्नामैन्ट में हिस्सा लेने चल दिया। उसके हाथ में क्रिस्टल का एक भाला भी था।

उस पहले दिन के टूर्नामैन्ट में उसने सब लड़ने वालों को हरा दिया और अपने आपको दिखाये बिना ही वहाँ से वापस चला आया।

अगले दिन वह चाँदी के घोड़े पर सवार हो कर टूर्नामैन्ट में हिस्सा लेने के लिये लौटा। उस दिन वह चाँदी के घोड़े पर सवार था जिसकी चाँदी की लगाम थी, चाँदी की जीन थी और उसके पास चाँदी का भाला और चाँदी की ढाल थी। वह चाँदी का जिरहबख्तर पहने था।

इस बार भी उसने सब लड़ने वालों को हरा दिया और पहले की तरह से अपने आपको बिना दिखाये ही चला आया।

तीसरे दिन वह सोने के घोड़े पर सवार हो कर आया। उस दिन वह सोने के घोड़े पर सवार था। उसके सोने के घोड़े की सोने की लगाम थी और सोने की ही जीन थी। उसके पास सोने का भाला था और वह सोने का जिरहबख्तर पहने था। उसके पास सोने की एक ढाल भी थी।

इस बार भी उसने सब लड़ने वालों को हरा दिया और पहले की तरह से अपने आपको बिना दिखाये बिना ही जाने लगा तो वह राजकुमारी बोल पड़ी — “मैं जानती हूँ तुम कौन हो। तुम वही आदमी हो जिसने मुझे अपने क्रिस्टल के महल से क्रिस्टल के फूल, चाँदी के महल से चाँदी के फूल और सोने को महल से सोने के फूल ला कर दिये थे।”

तब उसको अपने आपको दिखाना ही पड़ा तो राजा तो उसको देखते ही हक्का बक्का रह गया। यह तो उसका अपना ही भेड़ चराने वाला था।

पर अपनी घोषणा के अनुसार उसने अपनी बेटी की शादी उस चरवाहे से कर दी और उसे राजा बना दिया।

------------

सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का  विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं की एक अन्य पुस्तक - रैवन की लोक कथाएँ में से एक लोक कथा यहाँ पढ़ सकते हैं. इथियोपिया की 45 लोककथाओंको आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.

(क्रमशः अगले अंकों में जारी...)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: इटली की लोक कथाएँ–1 : 10 तीन किले // सुषमा गुप्ता
इटली की लोक कथाएँ–1 : 10 तीन किले // सुषमा गुप्ता
https://lh3.googleusercontent.com/-yfxBbWoqZGU/Wc90oaZjIBI/AAAAAAAA7ZE/IYsIdZmLarU4_9Aj3veQGVickAO3QaJ7ACHMYCw/clip_image002_thumb?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-yfxBbWoqZGU/Wc90oaZjIBI/AAAAAAAA7ZE/IYsIdZmLarU4_9Aj3veQGVickAO3QaJ7ACHMYCw/s72-c/clip_image002_thumb?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/09/1-10_30.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/09/1-10_30.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content