देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–3 : 11 सोने के तीन पहाड़ों की रानी // सुषमा गुप्ता

SHARE:

8 सोने के तीन पहाड़ों की रानी [1] एक बार एक बहुत ही गरीब आदमी था जिसके तीन बेटे थे। यह आदमी बहुत बीमार था और बहुत दर्द में था। एक दिन उसने अप...

clip_image002

8 सोने के तीन पहाड़ों की रानी[1]

एक बार एक बहुत ही गरीब आदमी था जिसके तीन बेटे थे। यह आदमी बहुत बीमार था और बहुत दर्द में था।

एक दिन उसने अपने तीनों बेटों को बुलाया और बोला — “मेरे बेटों, तुम खुद देख रहे हो कि मैं बहुत बीमार हूँ और मरने वाला हूँ। मुझे बहुत अफसोस है कि मेरे पास तुम लोगों को देने के लिये कुछ भी नहीं है।

मैं बस तुम लोगों से इतना कहना चाहता हूँ कि तुम लोग अच्छे इन्सान बन कर रहना और ऐसे ही काम करना जैसे मैं करता रहा हूँ। भगवान तुम्हारी सहायता जरूर करेंगे।” और इतना कह कर वह आदमी मर गया।

सबसे बड़े लड़के ने कहा — “चलो बाहर चल कर कहीं काम ढूँढते हैं जैसा कि पिता जी ने कहा है।” सो वे तीनों दुनिया में अपनी रोजी रोटी कमाने के लिये बाहर निकल गये।

चलते-चलते जब रात हुई तो उन्होंने देखा कि वे एक बहुत सुन्दर महल के पास खड़े हैं। सो रात को सोने के लिये उन्होंने उस महल का दरवाजा खटखटाया।

उन्होंने आवाज भी लगायी और चारों तरफ देखा भी पर वहाँ उनको कोई दिखायी नहीं दिया। सो वे अन्दर चले गये। उन्होंने अन्दर जा कर देखा तो अन्दर एक मेज पर बहुत अच्छे-अच्छे खाने सजे हुए थे।

उन खानों को देख कर वे भौंचक्के रह गये पर फिर सबसे बड़ा बेटा बोला — “क्योंकि घर में कोई भी नहीं है तो चलो बैठ कर खाना खाते हैं। अगर कोई आयेगा भी है तो हम उससे इजाज़त माँग लेंगे।”

सो वे तीनों खाना खाने बैठ गये। उन्होंने पेट भर खाना खाया और मन भर कर पिया। खा पी कर वे महल देखने के लिये निकले।

घूमते-घूमते वे एक कमरे में आये जिसमें एक पलंग बिछा हुआ था और उसके ऊपर फूलों की माला पड़ी हुई थी। फिर वे एक दूसरे कमरे में आये। उसमें भी एक पलंग था और उसके ऊपर सोने की पत्तियों का सिरहाना लगा हुआ था।

लड़कों ने आपस में कहा — “ऐसा लगता है कि ये पलंग हमारे लिये ही लगे हैं सो इन पर सोया जाये।” उन्होंने अपने-अपने सोने के लिये एक-एक कमरा चुन लिया।

सबसे बड़े लड़के ने कहा — “ध्यान रखना कि तुम लोग यहाँ से जाने के लिये सुबह सवेरे जल्दी ही उठ जाना। मैं यहाँ से जाने के लिये किसी का इन्तजार नहीं करूँगा।”

सुबह को सबसे बड़ा लड़का काफी जल्दी उठ गया और किसी से बिना कुछ कहे ही वहाँ से चला गया। हालॉकि यह उसके लिये कुछ अजीब सी बात थी क्योंकि वह ऐसा कभी करता नहीं था।

जब बीच वाला लड़का उठा तो वह अपने बड़े भाई के कमरे में उसको देखने के लिये गया। वहाँ जा कर उसने देखा तो वह तो वहाँ था नहीं। वह वहाँ से चला गया था सो वह भी तैयार हुआ और वह भी घर छोड़ कर चला गया।

सबसे छोटा भाई काफी देर तक सोता रहा। जब वह उठा तो उसने देखा कि उसके दोनों भाई तो पहले ही जा चुके हैं।

फिर उसने देखा कि मेज पर नाश्ता लगा हुआ है सो उसने नाश्ता किया और बाहर देखने के लिये खिड़की पर जा खड़ा हुआ। उसके सामने बहुत सुन्दर बागीचा था। उसको लगा कि उसे उस बागीचे को जा कर देखना चाहिये।

सबसे छोटा भाई जिसका नाम सैन्ड्रीनो[2] था एक बहुत ही सुन्दर नौजवान था। जब वह बागीचे में घूम रहा था तो उस रास्ते के आखीर में जिस पर वह चल रहा था उसको एक बड़ा सा तालाब दिखायी दे गया।

उस तालाब में पानी की सतह के ऊपर गरदन तक एक सुन्दर लड़की का सिर निकला हुआ था जो बिल्कुल भी नहीं हिल रहा था।

सैन्ड्रीनो आश्चर्य से बोला — “मैम, आप यहाँ क्या कर रही हैं?”

लड़की ने जवाब दिया — “तुम तो भगवान के भेजे हुए नौजवान लग रहे हो। मैं सोने के तीन पहाड़ों की रानी हूँ।

मेरे ऊपर जादू डाल दिया गया था कि मैं तब तक यहीं इसी पानी में रहूँ जब तक कि मैं किसी ऐसे आदमी से न मिलूँ जो कि इतनी हिम्मतवाला हो जो इस महल में तीन रात लगातार सो सके।”

सैन्ड्रीनो ने जवाब दिया — “अगर तुम्हारा जादू तोड़ने के लिये यही कुछ करना है तो मैं खुद यहाँ लगातार तीन दिन तक सोऊंगा। तुम बिल्कुल चिन्ता न करो।”

लड़की बोली — “जो भी यहाँ लगातार तीन दिनों तक सोयेगा मैं उस आदमी से शादी कर लूँगी। जब तुम यहाँ सोओगे तो तुमको अगर कुछ सुनायी दे या जंगली जानवर अपने कमरे में आते दिखायी दें तो तुम डरना नहीं।

अगर तुम जहाँ होगे वहीं रहोगे तो वे तुमको छुएँगे भी नहीं और तुम्हारे पास से चले जायेंगे।”

“तुम चिन्ता न करो मैं बिल्कुल नहीं डरूँगा और मैं वैसा ही करूँगा जैसा तुमने कहा है।”

रात को सैन्ड्रीनो सोने के लिये चला गया। जैसे ही रात के बारह बजे उसे कुछ आवाजें सुनायी दीं तो उसको लगा कि वह तो जंगली जानवरों के चिल्लाने की आवाजें थीं।[3]

सैन्ड्रीनो ने सोचा कि अब वह देखेगा कि वहाँ क्या होता है।

इतने में उसके कमरे में भेड़िये, भालू, चीलें, सांप और अनगिनत दूसरे किस्म के जंगली और बहुत भयानक जानवर आ कर उसके पलंग के चारों तरफ इकठ्ठा हो गये। पर सैन्ड्रीनो बिल्कुल भी नहीं डरा।

कुछ पल में ही वे सब जानवर वहाँ से बाहर चले गये, और बस उनके जाने के बाद सब कुछ शान्त हो गया। सुबह होने पर वह लड़का तालाब पर वापस आया।

उसने देखा कि रानी अब पानी से कमर तक बाहर निकल आयी है। वह बहुत खुश थी और उसकी बहुत तारीफ कर रही थी।

अगली रात को सैन्ड्रीनो के कमरे में और ज़्यादा जानवरों का संगीत गूँज उठा पर उस रात भी सैन्ड्रीनो डरा नहीं और चुपचाप वहीं लेटा रहा।

अगली सुबह जब वह तालाब पर आया तो रानी केवल आधी टॉगों तक ही पानी में थी। उस दिन तो रानी ने उसकी तारीफ में आसमान तक पुल बाँध दिये। सैन्ड्रीनो मुस्कुराता हुआ नाश्ते के लिये चला गया।

आज उसके वहाँ सोने की आखिरी रात थी। उस रात जानवर बहुत ज़ोर से चिल्लाये और उसके पलंग के बहुत पास भी आ गये। पर उस दिन भी सैन्ड्रीनो डरा नहीं और वे उसे ऐसा का ऐसा ही छोड़ कर चले गये।

अगले दिन सुबह जब वह तालाब पर गया तो रानी के केवल पैर ही पानी में थे। उसने रानी का हाथ पकड़ा और उसको तालाब से बाहर निकाल लिया।

रानी की दासियाँ भी वहाँ आ गयीं और फिर सब लोग नाश्ते के लिये चले गये। तीन दिन के बाद की उनकी शादी की तारीख भी पक्की हो गयी।

शादी के दिन सुबह रानी ने सैन्ड्रीनो से कहा — “शादी से पहले मैं तुमको एक बहुत ही जरूरी बात बता देना चाहती हूँ। जब तुम चर्च में प्रार्थना वाली बैन्च पर अपने घुटने टेकोगे तब तुम सो नहीं जाना क्योंकि अगर तुम सो गये तो मैं वहाँ से भाग जाऊंगी और फिर तुमको मैं कहीं दिखायी नहीं दूँगी।”

सैन्ड्रीनो हॅंस कर बोला — “अरे बस यही बताना था? मैं वहाँ उस जगह सो कैसे सकता हूँ?”

उसके बाद वे दोनों चर्च चले गये। जैसे ही वह वहाँ प्रार्थना वाली बैन्च पर घुटनों के बल बैठा तो उसको इतनी ज़ोर की नींद आयी कि वह तो पल भर में ही सो गया। उसको तो पता ही नहीं चला कि कब उसकी आँख लग गयी। उसके सोते ही रानी वहाँ से भाग गयी।

कुछ मिनट बाद ही सैन्ड्रीना की आँख खुल गयी। उसने देखा तो रानी तो वहाँ पर नहीं थी। उसने कई बार उफ़ उफ़ कहा। फिर वह महल वापस आ गया। वहाँ भी उसने रानी को ढूँढा पर वह वहाँ भी नहीं थी। अब उसकी समझ में आया कि वह रानी उससे क्या कहना चाह रही थी।

उसने वहाँ से पैसों का एक थैला उठाया और रानी को ढूँढने चल दिया।

सारा दिन चलने के बाद रात को वह एक सराय में आया। वहाँ उसने उस सराय वाले से पूछा कि क्या उसने सोने के तीन पहाड़ों की रानी को कहीं देखा है।

वह बोला — “मैंने खुद तो उसको नहीं देखा पर क्योंकि मैं दुनिया के सारे जानवरों का मालिक हूँ इसलिये मैं उनसे पूछूँगा अगर उन्होंने उसे कहीं देखा हो तो।”

उसने एक सीटी बजायी और तुरन्त ही कुत्ते, बिल्ले, चीते, शेर, बन्दर और बहुत सारे और जानवर वहाँ आ गये। सराय के मालिक ने उन सबसे पूछा — “क्या तुम लोगों में से किसी ने सोने के तीन पहाड़ों की रानी को देखा है?”

जानवर बोले — “नहीं। हमने नहीं देखा।”

यह सुन कर सराय के मालिक ने सब जानवरों को वापस भेज दिया। फिर वह सैन्ड्रीनो से बोला — “कल सुबह मैं तुमको अपने भाई के पास भेजूँगा। वह सारी मछलियों का मालिक है। वहाँ जा कर उससे पूछना कि उसकी मछलियाँ क्या कहती हैं।”

अगली सुबह सैन्ड्रीनो ने सराय के मालिक को पैसों का एक थैला दिया और उसके भाई के घर चला गया। जब सराय के मालिक के भाई ने सुना कि सैन्ड्रीनो को उसके भाई ने भेजा है तो उसने उसको अपनी सराय में बुलाया और उससे कहा कि अगर वह वहाँ थोड़ा सा रुके तो वह अभी अपनी सारी मछलियों को बुलाता है और उनसे पूछता है कि अगर उनमें से किसी ने उसे देखा हो तो।

उसने भी एक सीटी बजायी और सब तरह की मछलियाँ वहाँ आ पहुँची। पूछने पर कि क्या उन्होंने सोने के तीन पहाड़ों की रानी को देखा है उन सबने भी एक आवाज में कहा कि उन्होंने तो उसको नहीं देखा।

यह सुन कर उसने उन सब मछलियों को वापस भेज दिया और सैन्ड्रीनो से कहा — “कल तुमको मैं अपने दूसरे भाई को पास भेजूँगा। वह चिड़ियों का मालिक है। शायद उसकी किसी चिड़िया ने उसे देखा हो।”

सैन्ड्रीनो अगले दिन का बड़ी बेसब्री से इन्तजार करने लगा। जैसे ही सुबह हुई उसने उस भाई को भी पैसों का एक थैला दिया और वहाँ से चल दिया। चलते चलते वह तीसरी सराय में पहुँचा।


वहाँ के मालिक ने कहा मैं अभी तुम्हारा काम करता हूँ। कह कर उसने भी एक बार सीटी बजायी तो दुनिया भर की सारी चिड़ियें वहाँ आ गयीं। बस उनमें एक चिड़िया एक गरुड़[4] गायब था।

सराय के मालिक ने दूसरी सीटी बजायी तब वह आया और बोला — “अफसोस मुझे थोड़ी सी देर हो गयी। मैं राजा मरोन[5] के दरबार में एक दावत में गया हुआ था। वहाँ वह सोने के तीन पहाड़ों की रानी के साथ शादी कर रहे हैं।”

यह सुन कर तो सैन्ड्रीनो की सब उम्मीदें खत्म हो गयीं पर तब सब चिड़ियों के मालिक ने उससे कहा — “तुम दुखी न हो। हम इसका भी कोई न कोई रास्ता जरूर निकालेंगे।”

उसने गरुड़ से पूछा — “क्या तुम इस नौजवान को राजा मरोन के दरबार में ले जा सकते हो?”

गरुड़ बोला — “मैं इसको अभी ले जाता हूँ। पर मेरी एक शर्त है कि जब भी मैं पानी माँगू तो यह मुझे पानी दे। जब भी मैं रोटी माँगू तो यह मुझे रोटी दे। और जब भी मैं माँस माँगू तो यह मुझे माँस दे। नहीं तो मैं इसको समुद्र में फेंक दूँगा।”

उस नौजवान ने 2 टोकरी भर कर रोटी रखीं। 2 डिब्बे भर कर पानी रखा। और 2 पौंड माँस रखा। सैन्ड्रीनो और यह सब ले कर वह गरुड़ हवा में उड़ चला। रास्ते में गरुड़ की हर चीज़ की माँग तुरन्त ही पूरी कर दी गयी।

पर माँस खत्म हो चुका था और उनको तो अभी समुद्र पार करना था। सो अगली बार गरुड़ ने जब माँस माँगा तो सैन्ड्रीनो कुछ और तो सोच नहीं सका उसने अपनी टांग का माँस काट कर उसको खिला दिया।

रानी ने उसको पहले से ही जादू का एक मरहम दे रखा था। माँस काटने के बाद उसने वह मरहम अपनी टांग पर लगा लिया तो उस मरहम से उसकी टांग तुरन्त ही ठीक हो गयी।

गरुड़ उसको सीधे रानी के कमरे में ले गया। जैसे ही उन दोनों ने एक दूसरे को देखा वे एक दूसरे से खुशी के मारे लिपट गये। फिर दोनों ने एक दूसरे से अपनी अपनी कहानी कही।

रानी सैन्ड्रीनो को राजा के पास ले गयी और उसको अपना बचाने वाला और दुल्हा कह कर उसका परिचय कराया।

राजा ने भी सोचा कि यह नौजवान तो उसकी लड़की के लिये बिल्कुल ठीक दुल्हा है सो उसने उन दोनों की शादी की घोषणा कर दी और शादी की तैयारियाँ शुरू हो गयीं।

दोनों की शादी हो गयी। शादी की ये तैयारियाँ और खुशियाँ एक महीना और एक हफ्ते तक चलीं। शादी के बाद वे दोनों खुशी खुशी रहे।


[1] The Queen of the Three Mountains of Gold (Story No 55) – a folktale from Italy from its Bologna area. Adapted from the book: “Italian Folktales”, by Italo Calvino. Translated by George Martin in 1980.

[2] Sandrino – the name of the third and the youngest brother

[3] [My Note : It is very strange that when these princes slept the previous night those animals did not come there, and they appeared only just after talking to the princess.]

[4] Translated for the word “Eagle”. See its oicture above.

[5] King Marone

------------

सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का  विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः  - रैवन की लोक कथाएँ,  इथियोपिया इटली की  ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.

(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–3 : 11 सोने के तीन पहाड़ों की रानी // सुषमा गुप्ता
देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–3 : 11 सोने के तीन पहाड़ों की रानी // सुषमा गुप्ता
https://lh3.googleusercontent.com/-UsXWyYH-zO4/WdyFQcEvQkI/AAAAAAAA7s8/l9yVRFIQtE0s3_8S7e_zQ_05aCiNsOHiACHMYCw/clip_image002_thumb%255B1%255D?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-UsXWyYH-zO4/WdyFQcEvQkI/AAAAAAAA7s8/l9yVRFIQtE0s3_8S7e_zQ_05aCiNsOHiACHMYCw/s72-c/clip_image002_thumb%255B1%255D?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/10/3-11.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/10/3-11.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content