अश्विनी केशरवानी का पंडित किशोरीमोहन त्रिपाठी पर आलेख

SHARE:

आलेख छत्तीसगढ़ के कर्मवीर पंडित किशोरीमोहन त्रिपाठी -प्रो. अश्विनी केशरवानी नदी घाटी सभ्यता के प्रतीक हैं। अत: कहा जा सकता है कि नदी केव...




आलेख

छत्तीसगढ़ के कर्मवीर पंडित किशोरीमोहन त्रिपाठी

-प्रो. अश्विनी केशरवानी

नदी घाटी सभ्यता के प्रतीक हैं। अत: कहा जा सकता है कि नदी केवल ज़मीनों को सिंचित ही नहीं करती बल्कि एक सभ्यता को जन्म देकर उसका पोषण करती है। कदाचित् इसी कारण जीवन के अवशेष नदियों के तट पर मिलते हैं। सिंधु घाटी, महानदी घाटी, बोराई नदी घाटी की सभ्यता इसके उदाहरण हैं। महानदी छत्तीसगढ़ की पवित्र, प्राचीन और मोक्षदायी नदी है। उसकी पवित्रता से हर कोई लाभान्वित होना चाहता है। ऐसे पवित्र नदी के तट पर स्थित नगर सांस्कृतिक तीर्थ माने गये। क्यों कि यहां पर ऋषि-मुनियों का वास होता है और उनकी तपोभूमि होने के कारण वह पवित्र होता है। सिहावा, राजिम, सिरपुर से लेकर मल्हार, खरौद, शिवरीनारायण, चंद्रपुर, बालपुर, पुजारीपाली, संबलपुर, सोनपुर और कटक तक महानदी के तटवर्ती ग्राम सांस्कृतिक तीर्थ माने गये। यहां साहित्यिक प्रतिमाएं के जन्म और कर्म भूमि होने के कारण इसे साहित्यिक तीर्थ भी माना गया। यह मेरा परम सौभाग्य है कि मेरी काया का जन्म भी महानदी के तट पर स्थित सांस्कृतिक और साहित्यिक तीर्थ शिवरीनारायण की पवित्र भूमि में हुआ है. और ऐसे लब्ध प्रतिष्ठ साहित्यकारों की श्रृंखला में अंतिम छोर पर मेरा भी नाम जुड़ा है। मुझसे पहले न जाने कितने साहित्यकारों के नाम है, कहां से शुरू करूं समझ में नहीं आ रहा है। बहरहाल, बालपुर का समूचा पाण्डेय परिवार साहित्य को समर्पित हो गया। लेकिन राजिम, धमतरी, रायपुर, बिलासपुर, खरौद, शिवरीनारायण, सारंगढ़, रायगढ़ भी साहित्य के क्षेत्र में कभी पीछे नहीं रहा है। बल्कि छत्तीसगढ़ के बिखरे साहित्यकारों को एक सूत्र में पिरोने का सत्कार्य भारतेन्दु हरिश्चंद्र के सहपाठी और सुप्रसिद्ध कवि, आलोचक और उपन्यासकार ठाकुर जगमोहनसिंह ही थे। वे सन् 1880 से 1882 तक धमतरी में तथा सन् 1882 से 1889 तक शिवरीनारायण तहसील के तहसीलदार थे। उन्होंने बनारस में ''भारतेन्दु मंडल'' की तर्ज में शिवरीनारायण में ''जगमोहन मंडल'' की स्थापना की थी और इनके माध्यम से उन्होंने यहां के बिखरे साहित्यकारों को जोड़कर लेखन की एक दिशा प्रदान की। एक प्रकार से छत्तीसगढ़ ही उनकी कार्यस्थली थी। महानदी का तटवर्ती अंचल सभ्यता और साहित्य प्रतिभा से सम्पोषित है। उन्हीं में सरिया भी एक उड़िया भाषी कस्बा है जहां पंडित किशोरीमोहन त्रिपाठी का जन्म हुआ। वे साहित्य के कर्मवीर पंडित थे।

सरिया, सारंगढ़ से लगभग 45 कि.मी., रायगढ़ जिला मुख्यालय से 70 कि.मी. और सारंगढ़ होकर लगभग 95 कि.मी. और बरगढ़ से लगभग 75 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यहां उड़िया भाषी लोगों का बाहुल्य है। सरिया पूर्व में संबलपुर रियासत का एक अभिन्न अंग था जिसे एक सैन्य सेवा के बदले संबलपुर के राजा द्वारा सन् 1688 ई.में सारंगढ़ के राजा को प्रदान किया गया था। सरिया परगना पूरे सारंगढ़ रियासत में महत्वपूर्ण और सर्वाधिक धान उत्पादक क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। आज यह छत्तीसगढ़ और उड़ीसा प्रांत को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण नगर है। यहां 06 नवंबर सन् 1912 (दीपावली की रात) को पंडित किशोरीमोहन त्रिपाठी का जन्म हुआ। बचपन की किलकारियों में माता पिता के स्नेह और वात्सल्य का महत्वपूर्ण योगदान होता है। मगर जन्म के कुछ ही दिन गुजरे होंगे कि उनके पिता पंडित बलभद्रप्रसाद त्रिपाठी का निधन हो गया और वे पिता के स्नेह से वंचित हो गये। लेकिन पूरी सरिया बस्ती बालक किशोरीमोहन को पुत्रवत् स्नेह दिया जिसके संबल पर वे रायगढ़ जिले से स्वतंत्र भारत के प्रथम सांसद बनने का गौरव हासिल किये। यही नहीं बल्कि उनकी साहित्यिक प्रतिभा से पूरा क्षेत्र परिचित हो गया था। तभी तो वे कहा करते थे-''चारों धामों से बढ़कर मेरे लिए सरिया भी एक धाम है। उस गांव की माटी मेरे लिए चंदन है जिसे मैं अपने माथे से लगाये रखना चाहता हूं।''

किशोरीमोहन जी की प्राथमिक शिक्षा दीक्षा सरिया में ही हुई। शुरू से ही वे मेधावी थे। भाषा की शुद्धता के लिए वे एक बार शाला निरीक्षक श्री श्यामलाल पोद्दार से पुरस्कृत भी हुए थे। उनके पिता और दादा जी दोनों शिक्षक थे और इस प्रकार वे भाषा की शुद्धता का संस्कार विरासत में पाये थे। दृढ़ निश्चियी तो वे बचपन से ही थे-एक बार जो सोच लिया उसे वे पूरा करके ही मानते थे। हाई स्कूल की पढ़ाई करने के लिए वे सरिया से रायगढ़ आये तो रायगढ़ के ही होकर रह गये। यहां सन् 1930 में उन्होंने हाई स्कूल की शिक्षा नटवर हाई स्कूल रायगढ़ से पूरी की। मेट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद त्रिपाठी जी की शिक्षा में ठहराव सा आ गया। इस समय आर्थिक विपन्नता के दौर से गुजर रहे थे.. और राजनीतिक कारणों से तत्कालीन राजा चक्रधरसिंह द्वारा प्रदत्त 30 रुपया मासिक की छात्रवृत्ति रद्द कर दी गई थी। तब उन्हें पहली बार अपनी गरीबी पर बहुत दुख हुआ था। उन्होंने अपनी डायरी के पन्नों में लिखा है :-''इस तरह गरीबी ने मेरे भविष्य पर पहला नकारात्मक हमला किया और मैं देख रहा हूं कि आज भी सैकड़ों-हजारों होनहार लोगों का भविष्य पूर्णत: या आंशिक रूप से बरबाद होता चला जा रहा है और दुनिया ऐसी है कि इस गरीबी को दूर करने के लिए या तो चांद सूरज से परामर्श लेने जा रही है या गरीबों को ही समाप्त करती जा रही है, यह पागलपन नहीं तो और क्या है..?'' गरीबी से जूझने के लिए वे कमर कस लेते हैं और तब वे 06 रुपये मासिक वेतन पर खादी भंडार में नौकरी करने लगते हैं। बाद में वे नगरपालिका रायगढ़ के ग्रंथालय में ग्रंथपाल के रूप में नौकरी करने लगते हैं। तब नगरपालिका का ग्रंथालय टाउन हाल के एक भाग में लगता था। सन् 1938 में वे नटवर हाई स्कूल में शिक्षक नियुक्त हुए। एक शिक्षक के रूप में त्रिपाठी जी की उपलब्धियाँ अक्षुण्ण है। वे स्वयं लिखते हैं-''एक शिक्षक के रूप में अपनी उपलब्धि या सफलता का मूल्यांकन करना मेरे लिए उचित नहीं है, इतना कहना यथेष्ट होगा कि आज भी रायगढ़ की जनता ''गुरु'' के रूप में मेरा सम्मान करती है, विधायक या सांसद के रूप में नहीं..।''

रायगढ़ के जनकवि श्री आनंदी सहाय शुक्ल उनके प्रिय शिष्य हैं। त्रिपाठी जी के बारे में वे लिखते हैं-''नपी तुली देहयष्टि, कंचन सी चमकती त्वचा, चश्मे से झाँकती आंखें और आकर्षक हंसी, धवल दंत पंक्ति, न देवता न दैत्य, एक साधारण मनुष्य पर हजारों में एक पुस्तकालय में मैं उन्हें देखा। पढ़ने की इच्छा मुझमें प्रायमरी स्कूल के बाद से ही बलवती हो उठी थी। महज एक लड़का जो पाँचवी कक्षा का एक छात्र था, गुरुदेव त्रिपाठी जी का प्रसाद अनायास पा गया। पुस्तकालय में उनका पुत्रवत् स्नेह और एक साथी की तरह व्यवहार पाकर मैं निसार हो गया। कठोर पहलवान पिता की फौलादी बंदिशों में तड़पता मन जैसे देवदार की गझिन छांव पा गया। गुरुदेव भी मेरी पठन क्षमता पर खुश होते थे। देवकीनंदन खत्री, शरद बाबू, और प्रेमचंद जैसे महारथियों की कृतियां उनकी कृपा से मेरे मानस पटल पर विचरने लगी। टाउन हाल की ऊपरी मंजिल पर स्थित पुस्तकालय मेरी बाल स्मृति में एक मंदिर की भांति छाप छोड़ गया। कुर्सी पर बैठे गुरुदेव उस समय मुझे अलौकिक प्राणी लगते थे। उन वर्षों में मैं उनसे बराबर निर्देश प्राप्त करता रहा। धीरे धीरे कितने सूर्य ढले, कितनी रातें गई, ग्रीष्म, वर्षा, हेमंत और वसंत जलवे दिखाकर जाते आते रहे.. और एक दिन गुरुदेव नटवर हाई स्कूल में शिक्षक होकर आ गये। आठवीं तक उनसे विद्यादान लेता रहा। इससे मेरी साहित्यिक अभिरुचि विकसित हुई और मेरे चक्षु यह जानकर विस्फारित हो गये कि गुरुदेव एक कवि हैं, और श्रद्धा का एक पायदान और बढ़ गया। बाहरी पढ़ाई के कारण मैं स्कूली पढ़ाई में साधारण था, खासकर गणित से तो मेरा जन्मजात बैर था। वैसे किसी भी विषय में मैं औसत ही था और हर शिक्षक मेरी शारीरिक समीक्षा अवश्य करता था। उस समय स्कूली शिक्षा में पिटाई सबसे महत्वपूर्ण था। केवल गुरुदेव ही ऐसे थे जिन्होंने मुझे फूल की छड़ी से भी नहीं छुआ। मुझे क्या, उस युग में उनके द्वारा मैंने किसी छात्र को पिटते नहीं देखा। नाइन्थ के बाद मेरी पढ़ाई छूट गई और मैं कविता लिखने लगा। तब इस क्षेत्र में मुझे किसी ने प्रोत्साहित किया तो वे पंडित किशोरीमोहन त्रिपाठी जी ही थे। उनके ही प्रोत्साहन से मैं आज कविता के इस मुकाम तक पहुंचा हूं।''

त्रिपाठी जी एक क्रांतिकारी भी थे। देश की गुलामी के बारे में वे हमेशा चिंतन किया करते थे। इसी कारण सन् 1945 में शासकीय नौकरी का परित्याग करके वे स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गये। देश आजादी की राह पर था। देश में स्वतंत्र भारत के संविधान निर्माण की प्रक्रिया चल रही थी। संविधान निर्माण समिति में त्रिपाठी जी को भी 17 जुलाई 1947 को शामिल कर लिया गया। इसके बाद उन्हें देश की पहली संसद में संसद सदस्य मनोनीत किया गया। सांसद के रूप में उन्होंने कुछ उल्लेखनीय कार्य किया। सबसे पहले योजना आयोग के गठन का सुझाव त्रिपाठी जी ने ही दिये। इसी प्रकार नागरिकता नियंत्रण कानून आयोग, नये सिक्कों का प्रचलन, लेखा के लिए दशमलव प्रणाली और रिजर्व बैंक के राष्ट्रीयकरण का प्रस्ताव रखने वालों में वे प्रमुख थे।

एक स्वाभिमानी और मुखर सांसद के रूप में वे हमेशा चर्चित रहे। ''जिंजर ग्रुप'' नाम से गठित समाजवादी मंच के रूप में आगे बढ़ा, यह उन्हीं की देन थी। हालांकि पार्टी के अंदर कलह के कारण उन्हें 1952 के आम चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। लेकिन 1962 में धरमजयगढ़ विधान सभा क्षेत्र से वे विधायक चुने गये। राजनीतिक जीवन के उतार चढ़ाव से एक प्रकार से वे सामाजिक जीवन से कट से गये थे। अत: सन् 1967 के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से सन्यास ले लिया और 19 मई 1969 से रायगढ़ से प्रथम साप्ताहिक बयार का प्रकाशन शुरू किया। इसके माध्यम से वे जन मानस की समस्याओं की ओर शासन का ध्यान आकर्षित करने लगे। इसी समय उनका कवि मन पुन: जागृत हुआ और वे साहित्यिक गोष्ठियों में आने जाने लगे। ऐसे कई साहित्यिक गोष्ठियों में मैं उनके वक्तव्यों को सुना हूं। उनका स्नेह मुझे यथा समय मिला। एक वाकया मुझे याद आ रहा है। सन् 1987 में मेरी उनसे मुलाकात एक साहित्यिक गोष्ठी हुई, तब राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में मेरी विभिन्न विधाओं में रचनाएं प्रमुखता से प्रकाशित होती थी, इसके बावजूद बहुत कम लोग जानते थे कि मैं ही अश्विनी केशरवानी हूं। दूसरी बार एक साहित्यिक गोष्ठी में मैं हमारे महाविद्यालय के प्राचार्य और लोकप्रिय साहित्यकार डॉ. प्रमोद वर्मा को साथ लेकर गया। कार्यक्रम शुरू होने में समय था, चर्चा के दौरान उन्होंने त्रिपाठी जी से मेरा परिचय कराते हैं :- ''ये अश्विनी केशरवानी हैं, धर्मयुग, नवनीत हिन्दी डायजेस्ट, हिन्दुस्तान, जनसत्ता, नवभारत टाइम्स के अलावा सभी क्षेत्रीय अखबारों में लिखते हैं.'' उन्होंने मुझे गौर से देखा और मेरा पीठ थपथपाते हुये आशीर्वाद दिया। मुझे उनका स्नेह भाजन बनते सबने देखा और सबने मेरी रचनाओं को सराहा। उनका दर्शन करके मैं अभिभूत हो गया।

पंडित किशोरीमोहन जी उन बिरले लोगों में से हैं जो राजनीति में साहित्यकार और साहित्य में राजनीतिक होने की नियति से अभिशप्त रहे हैं। एक लाइब्रेरियन से टीचर और टीचरी से संसद और फिर मध्यप्रदेश की विधान सभा और अंत में महामाया प्रिंटिंग प्रेस में साप्ताहिक बयार के प्रकाशन में उनका जीवन वृत्त सीमित हो गया। नदी, पहाड़, जंगल और मैदान के इस कंटूर में त्रिपाठी जी की एक अंतर् धारा कविता के रूप में अपने अध्यात्म के साथ साथ सामाजिक चेतना से भी साक्षात्कार करती रही है। पत्रकारिता से सत्ता की गलियारों में छलांग लगाने वाले बहुतों को देखा लेकिन सत्ता के प्रभा मंडल में बहुत करीब से गुजरने के बाद पत्रकारिता को अपनाने वाले एक बिरले उदाहरण हैं। वे स्वयं कहते हैं:-

सेवा का व्रत वरद धर, जीत जगत मैदान।

काल कृपण डर कर करे, तुझे अमरता दान॥

वे हमेशा कर्म के प्रति सजग रहे। उससे उन्होंने कभी मुंह नहीं मोड़ा, इसलिए वे कर्मवीर हैं। देखिए कर्म के बारे में उनके विचार :-

जला कर्म की वन्हि पर, तपा रहा मैं प्राण।

जांच रहा हूं कांच या मैं कंचन द्युतिमान॥

तपकर कंचन निखरता, तप कर रवि द्युतिमान।

नर डर मत तू ताप से, ताप उचित पहचान॥

''...त्रिपाठी जी छायावादी युग में लिखने वाले रहस्यवाद चेतना के मधुर गायक थे। उनके दोहों में प्रेम, सौंदर्य और भक्ति का विनम्र निवेदन है। उनके गीतों में प्रेम का उच्चादर्श, साधना की उच्च तपोभूमि और संगीत की माधुरी दर्शनीय है।'' डॉ. बल्देव के इस विचार से मैं सहमत हूं। छायावाद के उत्तरार्ध में त्रिपाठी जी की कविता कर्म पूरे यौवन पर था। उनकी रचनाएं संगीत की राग रागिनियां में आबद्ध है। उनकी रचनाएं समाज परक और मानवीय पीड़ा को उजागर करने वाली है। उनकी सीख की एक बानगी पेश है :-

कर्मों की गणना क्रमिक, तथा कथित विधि लेख।

उन्नति अवनति को सखे, निज कर्मों में देख॥

पंडित जी की रचनाओं के बारे में पंडित मुकुटधर जी पांडेय के विचार दृष्टव्य है :-''कविवर पंडित किशोरीमोहन त्रिपाठी जी की रचनाओं में कालिदास के शब्दों में वागर्थ की प्रतिपत्ति पायी जाती है। अत्याधुनिक रचनाओं से निकली एक पृथक पहचान स्पष्ट है। उनके दोहों में उनके जीवन व्यापी अनुभवों का सार संक्षेप पाया जाता है। वे बिहार के ''देखन में छोटे लगे, घाव करे गंभीर'' को चरितार्थ करते हैं।'' पांडेय जी को ऐसा विश्वास है कि इनसे नई पीढ़ी को अवश्य प्रेरणा मिलेगी। इन दोहों में कवित्तपूर्ण भाषा में सत्कर्म, सेवा, धर्म, सदाचार, परोपकार, भगवत्प्रेम, मातृभूमि का अनुराग पर प्रकाश डाला गया है।

त्रिपाठी जी एक सादगीपूर्ण जीवन जीने वाले रहस्यवाद के सफल और सार्थक कवि थे। उनके कवि रूप से बहुत कम लोग ही परिचित होंगे। समय और परिस्थितियां उन्हें कई ज़िम्मेदारियाँ सौंपी और वे एक कर्मवीर की भांति उसे निभाते रहे। जीवन के आपाधापी को अपनी कविता के रूप में कागजों में उतारते रहे। उन्होंने काव्य की हर विधा में लेखन किया है। समय के साथ उनकी कविता का रूप बदलता रहा। उनकी कविताओं का एक मात्र संकलन ''मन बैरी मनमीत'' ही प्रकाशित है, शेष अप्रकाशित। उन्होंने 25 सितंबर 1994 को अंतिम सांस ली और हमें बिलखता छोड़ गये। निःसंदेह उनके निधन से साहित्यिक जगत को अपूरणीय क्षति हुई है जिसकी भरपायी संभव नहीं है। उन्हें हमारी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित है...

अथकर दुख का जन्म ने, पाया जग से प्यार।

मृत्यु रही मुंह ताकती, दे दुख से उद्धार॥

शासकीय कन्या महाविद्यालय रायगढ़ का नामकरण पंडित किशोरीमोहन त्रिपाठी के नाम पर किया गया है। यह देर से ही किंतु सही प्रयास है। उनके अवदान का रायगढ़ की जनता ने उचित आकलन करके ऐसा किया है। उनके ज्येष्ठ पुत्र श्री प्रभात त्रिपाठी सुप्रसिद्ध कवि हैं और श्री सुभाष त्रिपाठी उनके द्वारा शुरू किये गये महामाया प्रिंटिंग प्रेस और साप्ताहिक बयार का सफलता पूर्वक संचालन कर रहे हैं।

--------

रचना, आलेख एवं प्रस्तुति,

प्रो. अश्विनी केशरवानी

राघव, डागा कालोनी, चांपा-495671 (छत्तीसगढ़)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: अश्विनी केशरवानी का पंडित किशोरीमोहन त्रिपाठी पर आलेख
अश्विनी केशरवानी का पंडित किशोरीमोहन त्रिपाठी पर आलेख
http://www.blogger.com/post-edit.g?blogID=15182217&postID=443505452871357163
http://bp2.blogger.com/_t-eJZb6SGWU/R39FwgCLuRI/AAAAAAAACco/7q56sfwdX1E/s72-c/Ashwini+kesharwani+%28WinCE%29.jpg
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2008/01/blog-post_11.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2008/01/blog-post_11.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content