महावीर सरन जैन का आलेख : संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की आधिकारिक भाषाएं एवं हिन्‍दी

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विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक – हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा में क्योंकर तत्काल शामिल किया ज...

विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक – हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा में क्योंकर तत्काल शामिल किया जाना चाहिए  – कारणों की पड़ताल कर रहे हैं केंद्रीय हिन्दी संस्थान के पूर्व निदेशक – महावीर सरन जैन

 

संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की आधिकारिक भाषाएं एवं हिन्‍दी :

प्रोफेसर महावीर सरन जैन

एम00, डी0फिल, डी0लिट्0

संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की आधिकारिक भाषाएँ :

संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की 6 आधिकारिक भाषाएँ हैं : 1. अरबी, 2. चीनी 3. अंग्रेजी 4. फ्रेंच, 5. रूसी 6. स्‍पेनिश

(दे0 Year Book of the United Nations 1955, Vol. 49, pp. 1416-17, New

York )

संयुक्‍त राष्‍ट्र की ये 6 आधिकारिक भाषाएं अन्‍य अन्‍तर्राष्‍ट्रीय संगठनों की भी आधिकारिक भाषाएँ हैं। उदाहरणार्थ : (1) अन्‍तर्राष्‍ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) (2) अन्‍तर्राष्‍ट्रीय विकास एजेंसी (IDA) (3) अन्‍तर्राष्‍ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) (4) संयुक्‍त राष्‍ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्‍कृतिक संगठन (UNESCO) (5) विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) (6) संयुक्‍त राष्‍ट्र औद्‌योगिक विकास संगठन (UNIDO) (7) संयुक्‍त राष्‍ट्र अन्‍तर्राष्‍ट्रीय बाल-आपातिक निधि (UNICEF)

संयुक्‍त राष्‍ट्र की आधिकारिक भाषाएं एवं हिन्‍दी :

सन् 1998 के पूर्व, मातृभाषियों की संख्‍या की दृष्‍टि से विश्‍व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं के जो आंकड़े मिलते थे, उनमें हिन्‍दी को तीसरा स्‍थान दिया जाता था। सन् 1991 के सैन्‍सस आफ इण्‍डिया का भारतीय भाषाओं के विश्‍लेषण का ग्रन्‍थ जुलाई, 1997 में प्रकाशित हुआ (दे0 Census of India 1991 Series 1 - India Part I of 1997, Language : India and states - Table C - 7) यूनेस्‍को की टेक्‍नीकल कमेटी फॉर द वर्ल्ड लैंग्‍वेजिज रिपोर्ट ने अपने दिनांक 13 जुलाई, 1998 के पत्र के द्वारा यूनेस्‍को-प्रश्‍नावली के आधार पर हिन्‍दी की रिपोर्ट भेजने के लिए भारत सरकार से निवेदन किया। भारत सरकार ने उक्‍त दायित्‍व के निर्वाह के लिए केन्‍द्रीय हिन्‍दी संस्‍थान के तत्‍कालीन निदेशक प्रोफेसर महावीर सरन जैन को पत्र लिखा। प्रोफेसर महावीर सरन जैन ने दिनांक 25 मई ,1999 को यूनेस्‍को को अपनी विस्‍तृत रिपोर्ट भेजी।

प्रोफेसर जैन ने विभिन्‍न भाषाओं के प्रामाणिक आंकड़ों एवं तथ्‍यों के आधार पर यह सिद्ध किया कि प्रयोक्‍ताओं की दृष्‍टि से विश्‍व में चीनी भाषा के बाद दूसरा स्‍थान हिन्‍दी भाषा का है। रिपोर्ट तैयार करते समय प्रोफेसर जैन ने ब्रिटिश काउन्‍सिल आफ इण्‍डिया से अंग्रेजी मातृभाषियों की पूरे विश्‍व की जनसंख्‍या के बारे में तथ्‍यात्‍मक रिपोर्ट भेजने के लिए निवेदन किया। ब्रिटिश काउन्‍सिल ऑफ इण्‍डिया ने इसके उत्‍तर में गिनीज बुक आफ नालेज (1997 संस्करण, पृष्ठ-57) फैक्‍स द्वारा भेजा। ब्रिटिश काउन्‍सिल द्वारा भेजी गई सूचना के अनुसार पूरे विश्‍व में अंग्रेजी मातृभाषियों की संख्‍या 33,70,00,000 (33 करोड़, 70 लाख) है। सन् 1991 की जनगणना के अनुसार भारत की पूरी आबादी 83,85,83,988 है। मातृभाषा के रूप में हिन्‍दी को स्‍वीकार करने वालों की संख्‍या 33,72,72,114 है तथा उर्दू को मातृभाषा के रूप में स्‍वीकार करने वालों की संख्‍या का योग 04,34,06,932 है। हिन्‍दी एवं उर्दू को मातृभाषा के रूप में स्‍वीकार करने वालों की संख्‍या का योग 38,06,79,046 है जो भारत की पूरी आबादी का 44.98 प्रतिशत है। प्रोफेसर जैन ने अपनी रिपोर्ट में यह भी सिद्ध किया कि भाषिक दृष्‍टि से हिन्‍दी और उर्दू में कोई अंतर नहीं है। इस प्रकार ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, आयरलैंड, आस्‍ट्रेलिया, न्‍यूजीलैंड आदि सभी देशों के अंग्रेजी मातृभाषियों की संख्‍या के योग से अधिक जनसंख्‍या केवल भारत में हिन्दी एवं उर्दू भाषियों की है। रिपोर्ट में यह भी प्रतिपादित किया गया कि ऐतिहासिक, सांस्‍कृतिक एवं सामाजिक कारणों से सम्‍पूर्ण भारत में मानक हिन्‍दी के व्‍यावहारिक रूप का प्रसार बहुत अधिक है। हिन्‍दीतर भाषी राज्‍यों में बहुसंख्‍यक द्विभाषिक-समुदाय द्वितीय भाषा के रूप में अन्‍य किसी भाषा की अपेक्षा हिन्‍दी का अधिक प्रयोग करता है जो हिन्‍दी के सार्वदेशिक व्‍यवहार का प्रमाण है। भारत की राजभाषा हिन्‍दी है तथा पाकिस्‍तान की राज्‍यभाषा उर्दू है। इस कारण हिन्‍दी-उर्दू भारत एवं पाकिस्‍तान में संपर्क भाषा के रूप में व्यवहृत है।

विश्‍व के लगभग 93 देशों में हिन्‍दी का या तो जीवन के विविध क्षेत्रों में प्रयोग होता है अथवा उन देशों में हिन्‍दी के अध्‍ययन अध्‍यापन की सम्‍यक् व्‍यवस्‍था है। चीनी भाषा के बोलने वालों की संख्‍या हिन्‍दी भाषा से अधिक है किन्‍तु चीनी भाषा का प्रयोग क्षेत्र हिन्‍दी की अपेक्षा सीमित है। अंग्रेजी भाषा का प्रयोग क्षेत्र हिन्‍दी की अपेक्षा अधिक है किन्‍तु हिन्‍दी बोलने वालों की संख्‍या अंग्रेजी भाषियों से अधिक है।

विश्‍व के इन 93 देशों को हम तीन वर्गों में विभाजित कर सकते हैं -

( I ) इस वर्ग के देशों में भारतीय मूल के आप्रवासी नागरिकों की आबादी देश की जनसंख्‍या में लगभग 40 प्रतिशत या उससे अधिक है। इन अधिकांश देशों में सरकारी एवं गैर-सरकारी प्राथमिक एवं माध्‍यमिक स्‍कूलों में हिन्‍दी का शिक्षण होता है। इन देशों के अधिकांश भारतीय मूल के आप्रवासी जीवन के विविध क्षेत्रों में हिन्‍दी का प्रयोग करते हैं एवं अपनी सांस्‍कृतिक पहचान के प्रतीक के रूप में हिन्‍दी को ग्रहण करते हैं। इन देशों में निम्‍नलिखित देश उल्‍लेखनीय हैं- 1.मारीशस 2. फिजी 3. सूरीनाम 4. गयाना 5. त्रिनिडाड एण्‍ड टुबेगो। त्रिनिडाड के अतिरिक्त अन्‍य सभी देशों में हिन्‍दी का व्‍यापक प्रयोग एवं व्‍यवहार होता है।

( II ) इस वर्ग के देशों में ऐसे निवासी रहते हैं जो हिन्‍दी को विश्‍व भाषा के रूप में सीखते हैं, पढ़ते हैं तथा हिन्‍दी में लिखते हैं। इन देशों की विभिन्‍न शिक्षण संस्‍थाओं में प्रायः स्‍नातक एवं / अथवा स्‍नातकोत्‍तर स्‍तर पर हिन्‍दी की शिक्षा का प्रबन्‍ध है। कुछ देशों के विश्‍वविद्यालयों में हिन्‍दी में शोध कार्य करने तथा डाक्‍टरेट की उपाधि प्राप्‍त करने की भी व्‍यवस्‍था है। इन देशों में निम्‍नलिखित देशों के नाम उल्‍ल्‍ेखनीय हैं -

महाद्वीप देश

(क) अमेरिका महाद्वीपः 6. संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका 7. कनाडा 8. मैक्‍सिको 9. क्‍यूबा

(ख) यूरोप महाद्वीप : 10. रूस 11. ब्रिटेन (इंग्‍लैण्ड) 12. जर्मनी 13. फ्रांस 14. बेल्‍जियम 15. हालैण्ड (नीदरलैण्‍ड्स) 16. आस्‍ट्रिया17. स्‍विटजरलैण्ड 18. डेनमार्क 19. नार्वे 20. स्‍वीडन 21. फिनलैंड 22. इटली 23. पौलैंड 24. चेक 25. हंगरी 26. रोमानिया 27. बल्‍गारिया 28. उक्रैन 29. क्रोशिया

(ग ) अफ्रीका महाद्वीप : 30. दक्षिण अफ्रीका 31. री-यूनियन द्वीप

(घ) एशिया महाद्वीप : 32. पाकिस्‍तान 33. बंग्‍लादेश 34. श्रीलंका 35. नेपाल 36. भूटान 37. म्‍यंमार (बर्मा) 38. चीन 39. जापान 40. दक्षिण कोरिया 41. मंगोलिया 42. उजबेकिस्‍तान 43. ताजिकस्‍तान 44. तुर्की 45. थाइलैण्ड

(ड. ) आस्‍ट्रेलिया : 46. आस्‍ट्रेलिया

( III ) इसका उल्‍लेख किया जा चुका है कि भारत की राजभाष्‍ाा हिन्‍दी है तथा पाकिस्‍तान की राज्यभाषा उर्दू है। इस कारण हिन्‍दी-उर्दू भारत एवं पाकिस्‍तान में संपर्क भाषा के रूप में व्‍यवहृत है। भारत एवं पाकिस्‍तान के अलावा हिन्‍दी एवं उर्दू मातृभाषियों की बहुत बड़ी संख्‍या विश्‍व के लगभग 60 देशों में निवास करती है। इन देशों में भारत, पाकिस्‍तान, बंगलादेश, भूटान, नेपाल आदि देशों के आप्रवासियों / अनिवासियों की विपुल आबादी रहती है। इन देशों की यह आबादी सम्‍पर्क-भाषा के रूप में हिन्‍दी-उर्दू' का प्रयोग करती है, हिन्‍दी की फिल्‍में देखती है; हिन्‍दी के गाने सुनती है तथा टेलीविजन पर हिन्‍दी के कार्यक्रम देखती है। इन देशों में संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका , कनाडा , मैक्‍सिकोे , ब्रिटेन (इंग्‍लैण्ड) , जर्मनी, फ्रांस ,हालैण्ड (नीदरलैण्‍ड्स) , दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, उजबेकिस्‍तान, ताजिकस्‍तान, थाइलैण्ड, आस्‍ट्रेलिया आिद देशों के अलावा निम्‍नलिखित देशों के नाम उल्‍लेखनीय हैं :- 47. अफगानिस्‍तान 48. अर्जेन्‍टीना 49. अल्‍जेरिया 50. इक्‍वेडोर 51 ़इण्‍डोनेशिया 52. इराक 53. ईरान 54. उगांडा 55.ओमान 56. कजाकिस्‍तान 57. क़तर 58. कुवैत 59. केन्‍या 60. कोट डी ' इवोइरे 61.ग्‍वाटेमाला 62 ़ जमाइका 63. जाम्‍बिया 64. तंजानिया 65. नाइजीरिया 66. निकारागुआ 67 ़न्‍यूजीलैण्ड 68. पनामा 69. पुर्तगाल 70. पेरु 71.पैरागुवै 72 ़ फिलिपाइन्स 73. बहरीन 74. ब्राजील 75.ब्रुनेई 76 ़ मलेशिया 77. मिस्र 78 ़ मेडागास्कर 79. मोजाम्‍बिक 80.मोरक्‍को 81 ़मौरिटानिया 82 ़ यमन 83. लीबिया 84. लेबनान 85 ़वेनेजुएला 86. सऊदी अरब 87. संयुक्‍त अरब अमीरात 88. सिंगापुर 89 ़सूडान 90. सेशेल्स 91. स्‍पेन 92. हांगकांग (चीन) 93 ़होंडूरास

हिन्‍दी की फिल्‍मों, हिन्‍दी के गानों तथा टी0वी0 कार्यक्रमों का प्रसार :

हिन्‍दी की फिल्‍मों, गानों, टी0वी0 कार्यक्रमों ने हिन्‍दी को कितना लोकप्रिय बनाया है - इसका आकलन करना कठिन है। केन्‍द्रीय हिन्‍दी संस्‍थान में हिन्‍दी पढ़ने के लिए आने वाले 67 देशों के विदेशी छात्रों ने इसकी पुष्‍टि की कि हिन्‍दी फिल्‍मों को देखकर तथा हिन्‍दी फिल्‍मी गानों को सुनकर उन्‍हें हिन्‍दी सीखने में मदद मिली। लेखक ने स्‍वयं जिन देशों की यात्रा की तथा जितने विदेशी नागरिकों से बातचीत की उनसे भी जो अनुभव हुआ उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि हिन्‍दी की फिल्‍मों तथा फिल्‍मी गानों ने हिन्‍दी के प्रसार में अप्रतिम योगदान दिया है। सन् 1995 के बाद से टी0वी0 के चैनलों से प्रसारित कार्यक्रमों की लोकप्रियता भी बढ़ी है। इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि जिन सेटेलाईट चैनलों ने भारत में अपने कार्यक्रमों का आरम्‍भ केवल अंग्रेजी भाषा से किया था; उन्‍हें अपनी भाषा नीति में परिवर्तन करना पड़ा है। अब स्‍टार प्लस, जी0टी0वी0, जी न्‍यूज, स्‍टार न्‍यूज, डिस्‍कवरी, नेशनल ज्‍योग्राफिक आदि टी0वी0 चैनल अपने कार्यक्रम हिन्‍दी में दे रहे हैं। दक्षिण पूर्व एशिया तथा खाड़ी के देशों के कितने दर्शक इन कार्यक्रमों को देखते हैं - यह अनुसन्‍धान का अच्‍छा विषय है।

सन् 1984 से सन् 1988 के बीच लेखक ने यूरोप के 18 देशों की यात्राएं कीं। यूरोप के देशों में कोलोन, बी0बी0सी0, ब्रिटिश रेडियो, सनराइज, सबरंग के हिन्‍दी सेवा कार्यक्रमों को हिन्‍दी प्रेमी बड़े चाव से सुनते हैं। यूरोप के देशों में ऐसी गायिकाएं हैं जो हिन्‍दी फिल्‍मों के गाने गाती हैं तथा स्‍टेज शो करती हैं ।

( अपने विदेश प्रवास की उक्त अवधि में जो फिल्‍मी गाने विभिन्‍न यूरोपीय देशों में सर्वाधिक लोकप्रिय थे उनके नाम इस प्रकार हैं - 1. आवारा हूँ 2. मेरा जूता है जापानी 3. सर पर टोपी लाल, हाथ में रेशम का रूमाल, हो तेरा क्‍या कहना 4. जब से बलम घर आए जियरा मचल मचल जाए 5. आई लव यू 6. मुड़-मुड़ के न देख, मुड़-मुड़ के 7. ईचक दाना, बीचक दाना, दाने ऊपर दाना, छज्‍जे ऊपर लड़की नाचे, लड़का है दीवाना 8. मेघा छाये आधी रात, निदिंया हो गई बैरन 9. मौसम है आशिकाना, है दिल कहीं से उनको ढूँढ लाना 10. दम मारो दम, मिट जाये गम 11. सुहाना सफर है 12. तेरे बिना जिन्‍दगी से कोई शिकवा तो नहीं 13. बोल रे पपीहरा 14. चन्‍दो ओ ! चन्‍दा 15. यादों की बारात निकली है या दिल के द्वारे 17. जिन्‍दगी एक सफर है सुहाना, यहां कल क्‍या हो, किसने जाना 17. न कोई उमंग है, न कोई तरंग है, मेरी जिन्‍दगी है क्‍या ? एक कटी पतंग है 18. बहारों ! मेरा जीवन भी संवारों, 19. आ जा रे परदेसी, मैं तो खड़ी इस पार ।)

सन् 1995 के बाद टेलिविजन के प्रसार के कारण अब विश्व के प्रत्‍येक भूभाग में हिन्‍दी फिल्‍मों तथा हिन्‍दी फिल्‍मी गानों की लोकप्रियता सर्वविदित है ।

संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की आधिकारिक भाषाओं की तुलना में हिंदी ।मातृभाषियों की संख्‍या :

सन् 1998 के बाद विश्‍व स्‍तर पर हिन्‍दी की संख्‍या के आंकड़ों में परिवर्तन आ गया।भाषिक आंकड़ों की दृष्‍टि से सर्वाधिक प्रामाणिक ग्रन्‍थों के आधार पर संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की 6 आधिकारिक भाषाओं की तुलना में हिंदी के मातृभाषा वक्‍ताओं की संख्‍या निम्‍न तालिका में प्रस्‍तुत है (मिलियन में )

संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की 6 आधिकारिक भाषाओं की तुलना में हिन्‍दी के मातृभाषियों की संख्‍या के आंकड़े

भाषा स्रोत (1) स्रोत (2) स्रोत (3) स्रोत (4)

चीनी 836 800 874 874

हिन्‍दी 333 550 366 366

स्‍पेनिश 332 400 322-358 322-358

अंग्रेजी 322 400 341 341

अरबी 186 200 ----- ----

रूसी 170 170 167 167

फ्रांसीसी 072 090 077 077

(1) Encarta Encyclopedia--- article of Dr. Bernard Comrie (1998)

(2) D. Dalby: The Linguasphere Register of the World’s Languages and Speech

Communities, Cardiff, Linguasphere Press (1999)

(3) Ethnologue, Volume 1. Languages of the World: Edited by Barbara F. Grimes, 14th. Edition, SIL International (2000)

(4) The World Almanac and Book of Facts, World Almanac Education Group(2003)

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(1)एनकार्टा एन्‍साइक्‍लोपीडिया में भाषा के बोलने वालो की संख्‍या की दृष्‍टि से जो संख्‍या है वह इस प्रकार है :

1. चीनी 836 मिलियन (83 करोड़ 60 लाख)

2. हिन्‍दी 333 मिलियन (33 करोड़ 30 लाख)

3. स्‍पेनिश 332 मिलियन (33 करोड़ 20 लाख)

4. अंग्रेजी 322 मिलियन (32 करोड़ 20 लाख)

5. अरबी 186 मिलियन (18 करोड़ 60 लाख)

6. रूसी 170 मिलियन (17 करोड़)

7़ फ्रांसीसी 72 मिलियन (7 करोड़ 20 लाख)

(2) दूसरे स्रोत के ग्रन्‍थ में संख्‍या इस प्रकार है -

1 ़ चीनी 800 मिलियन (80 करोड़)

2 ़ हिन्‍दी 550 मिलियन (55 करोड़),

3 ़ स्‍पेनिश 400 मिलियन (40 करोड़)

4 ़ अंग्रेजी 400 मिलियन(40 करोड़ ),

5 ़ अरबी 200 मिलियन (20 करोड़)

6 ़ रूसी 170 मिलियन (17 करोड़)

7 ़ फ्रैंच 90 मिलियन (9 करोड़)।

(3) तीन एवं चार स्रोतों के ग्रन्‍थों के आंकड़े एक जैसे हैं। इसका कारण यह है कि द वःल्‍ड अल्‍मानेक एण्‍ड बुक ऑफ फैक्‍ट्स (The World Almanac and Book of Facts) के आंकड़ों का आधार एथनोलॉग ही है।

इन दोनो ग्रन्‍थों में प्रतिपादित संख्‍या इस प्रकार है :

1 ़ चीनी 874 मिलियन (87 करोड़ 40 लाख)

2 ़ हिन्‍दी 366 मिलियन (36 करोड़ 60 लाख)

3 ़ स्‍पेनिश 322-358 मिलियन (32 करोड़ 20 लाख से 35 करोड़ 80 लाख)

4 ़अंग्रेजी 341 मिलियन (34 करोड़ 10 लाख)।

इन ग्रन्‍थों में अरबी को रिक्‍त दिखाया गया है। इसका कारण इन ग्रन्‍थों में यह प्रतिपादित है कि अरबी एक क्‍लासिकल लैंग्‍वेज है तथा इन्‍होंने भाषाओं के जो आँकड़े दिये हैं, वे मातृभाषियों के हैं, द्वितीयभाषा वक्‍ताओं (सैकेन्‍ड लैंग्‍वेज स्‍पीकर्स) के नहीं। इस कारण इन्‍होनें टेबिल में अरबी लैंग्‍वेज को नहीं रखा है।

रूसी भाषियों की संख्‍या 167 मिलियन (16 करोड़ 70 लाख) तथा फ्रेंच भाषियों की संख्‍या 77 मिलियन (7 करोड़ 70 लाख) है।

मातृभाषियों की संख्‍या का अन्तर :-

तालिका का अध्‍ययन करने से यह स्‍पष्‍ट है कि इन ग्रन्‍थों में विभिन्‍न भाषाओं के मातृभाषियों की संख्‍या के आँकड़ों में एकरूपता/समानता नहीं है। तालिका में स्रोत-2 के ग्रन्‍थ में हिन्‍दी भाषियों की संख्‍या है - 550 मिलियन(55 करोड़), किन्‍तु तीन एवं चार स्रोत के ग्रन्‍थों में हिन्‍दी भाषियों की संख्‍या प्रतिपादित है - 366 मिलियन (36 करोड़ 60 लाख) । जब वैज्ञानिक ढंग से आँकड़े इकट्‌ठे हो रहे हैं तथा मातृ भाषियों की दृष्‍टि से आँकड़े प्रस्‍तुत किये जा रहे हैं तो यह अन्‍तराल क्‍यों है ? स्रोत 3 एवं 4 के ग्रन्‍थों का ध्‍यान से अध्‍ययन करने के बाद आंकड़ों के अन्‍तर का रहस्‍य उद्‌घाटित हो जाता है। इन ग्रन्‍थों में हिन्‍दी के क्षेत्रगत भेदों एवं शैलीगत भेदों को अलग-अलग भाषाओं के रूप में प्रदर्शित किया गया है। हिन्‍दी भाषा क्षेत्र के अन्‍तर्गत बोले जाने वाले इन क्षेत्रगत एवं शैलीगत भेदों के मातृभाषियों की जो संख्‍याएँ प्रतिपादित हैं उन संख्‍याओं को 366 मिलियन (36 करोड़ 60 लाख) संख्‍या में जोड़ने पर हिन्‍दी के मातृभाषियों की संख्‍या पहुँच जाती है - 553 मिलियन(55 करोड़ 30 लाख) । स्रोत-2 में हिन्‍दी भाषियों की संख्‍या का योग है- 550 मिलियन( 55 करोड़)। स्रोत-3 एवं स्रोत-4 के ग्रन्‍थों में हिन्‍दी भाषा के जिन 11 क्षेत्रगत (Regional) तथा शैलीगत (Stylistic) भेदों के मातृभाषियों की संख्‍या को अलग-अलग प्रदर्शित किया गया है, उनकी संख्‍याओं का योग कर देने पर इन दोनो ग्रन्‍थों में हिन्‍दी भाषियों की संख्‍या हो जाती है - 553 मिलियन (55 करोड़ 30 लाख)

संसार में ऐसा कोई भाषा क्षेत्र नहीं होता, जिसमें क्षेत्रगत भेद नहीं होते। कहावत है - चार कोस पर बदले पानी, आठ कोस पर बानी। चीनी भाषा के बोलने वालों की संख्‍या 700-800 मिलियन (70 करोड़ से 80 करोड़) है तथा उसका भाषा क्षेत्र हिन्‍दी भाषा क्षेत्र की अपेक्षा बहुत विस्‍तृत है। चीनी भाषी क्षेत्र में जो भाषिक रूप बोले जाते हैं वे सभी परस्‍पर बोधगम्‍य नहीं हैं। जब पाश्‍चात्‍य भाषा वैज्ञानिक चीनी भाषा की विवेचना करते हैं तो किसी प्रकार का विवाद पैदा नहीं करते किन्‍तु स्रोत-3 एवं 4 जैसे ग्रन्‍थों के विद्वान जब हिन्‍दी भाषा की विवेचना करते हैं तो हिन्‍दी भाषा क्षेत्र के अन्‍तर्गत बोले जाने वाले हिन्‍दी भाषा के उपभाषा रूपों को भाषा का दर्जा दे देते हैं। हिन्‍दी भाषा क्षेत्र के अन्‍तर्गत भारत के निम्‍नलिखित राज्य/केन्‍द्र शासित प्रदेश समाहित हैं :-1. उत्‍तर प्रदेश 2. उत्‍तराखंड 3. बिहार 4. झारखण्ड 5. मध्‍य प्रदेश 6़. छत्‍तीसगढ़ 7. राजस्‍थान 8. हिमाचल प्रदेश 9. हरियाणा 10. दिल्‍ली 11. चण्‍डीगढ़।

हिन्‍दी भाषा का क्षेत्र बहुत व्‍यापक है। हिन्‍दी भाषा क्षेत्र में ऐसी बहुत सी उपभाषाएँ हैं जिनमें पारस्‍परिक बोधगम्‍यता का प्रतिशत बहुत कम है, किन्‍तु ऐतिहासिक एवं सांस्‍कृतिक दृष्‍टि से सम्‍पूर्ण भाषा क्षेत्र एक भाषिक इकाई है तथा इस भाषा-भाषी क्षेत्र के बहुमत भाषा-भाषी अपने-अपने क्षेत्रगत भेदों को हिन्‍दी भाषा के रूप में मानते एवं स्‍वीकारते आए हैं। भारत के संविधान की दृष्‍टि से यही स्‍थिति है। सन् 1997 में भारत सरकार के सैन्‍सस ऑफ इण्‍डिया द्वारा प्रकाशित ग्रन्‍थ में भी यही स्‍थिति है।

खड़ी बोली' हिन्‍दी भाषा क्षेत्र का उसी प्रकार एक भेद है, जिस प्रकार हिन्‍दी भाषा के अन्‍य बहुत से क्षेत्रगत भेद हैं। प्रत्‍येक भाषा क्षेत्र में अनेक क्षेत्रगत, वर्गगत एवं शैलीगत भिन्‍नताएँ होती हैं। प्रत्‍येक भाषा क्षेत्र में किसी क्षेत्र विशेष के भाषिक रूप के आधार पर उस भाषा का मानक रूप विकसित होता है, जिसका उस भाषा-क्षेत्र के सभी क्षेत्रों के पढ़े-लिखे व्‍यक्‍ति औपचारिक अवसरों पर प्रयोग करते हैं। पूरे भाषा क्षेत्र में इसका व्‍यवहार होने तथा इसके प्रकार्यात्‍मक प्रचार-प्रसार के कारण विकसित भाषा का मानक रूप भाषा क्षेत्र के समस्‍त भाषिक रूपों के बीच संपर्क सेतु का काम करता है तथा कभी-कभी इसी मानक भाषा रूप के आधार पर उस भाषा की पहचान की जाती है। प्रत्‍येक देश की एक राजधानी होती है तथा विदेशों में किसी देश की राजधानी के नाम से प्रायः देश का बोध होता है, किन्‍तु सहज रूप से समझ में आने वाली बात है कि राजधानी ही देश नहीं होता।

जिस प्रकार भारत अपने 28 राज्‍यों एवं 07 केन्‍द्र शासित प्रदेशों को मिलाकर भारतदेश है, उसी प्रकार भारत के जिन राज्‍यों एवं शासित प्रदेशों को मिलाकर हिन्‍दी भाषा क्षेत्र है, उस हिन्‍दी भाषा-क्षेत्र के अन्‍तर्गत जितने भाषिक रूप बोले जाते हैं उनकी समाष्‍टि का नाम हिन्‍दी भाषा है। हिन्‍दी भाषा क्षेत्र के प्रत्‍येक भाग में व्‍यक्‍ति स्‍थानीय स्‍तर पर क्षेत्रीय भाषा रूप में बात करता है। औपचारिक अवसरों पर तथा अन्तर-क्षेत्रीय, राष्‍ट्रीय एवं सार्वदेशिक स्‍तरों पर भाषा के मानक रूप अथवा व्‍यावहारिक हिन्‍दी का प्रयोग होता है। आप विचार करेेंं कि उत्तर प्रदेश हिन्‍दी भाषी राज्‍य है अथवा खड़ी बोली, ब्रजभाषा, कन्‍नौजी, अवधी, बुन्‍देली आदि भाषाओं का राज्‍य है। इसी प्रकार मध्‍य प्रदेश हिन्‍दी भाषी राज्‍य है अथवा बुन्‍देली, बघेली, मालवी, निमाड़ी आदि भाषाओं का राज्‍य है। जब संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका की बात करते हैं तब संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका के अन्‍तर्गत जितने राज्‍य हैं उन सबकी समष्‍टि का नाम ही तो संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका है। विदेश सेवा में कार्यरत अधिकारी जानते हैं कि कभी देश के नाम से तथा कभी उस देश की राजधानी के नाम से देश की चर्चा होती है। वे ये भी जानते हैं कि देश की राजधानी के नाम से देश की चर्चा भले ही होती है, मगर राजधानी ही देश नहीं होता। इसी प्रकार किसी भाषा के मानक रूप के आधार पर उस भाषा की पहचान की जाती है मगर मानक भाषा, भाषा का एक रूप होता है : मानक भाषा ही भाषा नहीं होती। इसी प्रकार खड़ी बोली के आधार पर मानक हिन्‍दी का विकास अवश्‍य हुआ है किन्‍तु खड़ी बोली ही हिन्‍दी नहीं है। तत्‍वतः हिन्‍दी भाषा क्षेत्र के अन्‍तर्गत जितने भाषिक रूप बोले जाते हैं उन सबकी समष्‍टि का नाम हिन्‍दी है। हिन्‍दी को उसके अपने ही घर में तोड़ने का षडयंत्र अब विफल हो गया है क्‍योंकि 1991 की भारतीय जनगणना के अंतर्गत जो भारतीय भाषाओं के विश्‍लेषण का ग्रन्थ प्रकाशित हुआ है उसमें मातृभाषा के रूप में हिन्‍दी को स्‍वीकार करने वालों की संख्‍या का प्रतिशत उत्‍तर प्रदेश (उत्‍तराखंड राज्‍य सहित) में 90.11, बिहार (झारखण्‍ड राज्‍य सहित) में 80.86, मध्‍य प्रदेश (छत्‍तीसगढ़ राज्‍य सहित) में 85.55, राजस्‍थान में 89.56, हिमाचल प्रदेश में 88.88, हरियाणा में 91.00, दिल्‍ली में 81.64 तथा चण्‍डीगढ़ में 61.06 है।

हिन्‍दी एक विशाल भाषा है। विशाल क्षेत्र की भाषा है। अब यह निर्विवाद है कि चीनी भाषा के बाद हिन्‍दी संसार में दूसरे नम्‍बर की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है।

यदि हम सम्‍पूर्ण प्रयोक्‍ताओं की संख्‍या की दृष्‍टि से बात करें जिसमें मातृभाषा वक्‍ता (First Language Speakers) तथा द्वितीयभाषा वक्‍ता(Second Language Speakers) दोनो हों तो हिन्‍दी भाषियों की संख्‍या लगभग एक हजार मिलियन (सौ करोड़) है। दूसरे स्रोत के ग्रन्थ (The Linguasphere Register of the World's Languages and Speech Communities) में इस दृष्‍टि से हिन्‍दी भाषियों की संख्‍या 960 मिलियन मानी गई है । जो प्रमाणिक तथ्य प्रस्‍तुत हैं उनसे यह निर्विवाद है कि हिन्‍दी को संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्‍यता मिलनी चाहिए।

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प्रोफेसर महावीर सरन जैन(सेवानिवृत्‍त निदेशक, केन्‍द्रीय हिन्‍दी संस्‍थान) 123, हरिएन्‍कलेव, चांदपुर रोड, बुलन्दशहर - 203001

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  1. विस्तृत जानकारी के लिए आभार. आंकडों से स्थापित हो जाता है कि हिंदी विश्व में अंग्रेजी की तुलना में अधिक बोली, समझी जाती है. अब तक इसे संयुक्त राष्ट्र के द्वारा क्यों कर मानी नहीं किया गया, यह विचारणीय है. इसके लिए शासन के स्तर पर प्रयास तत्काल होना चाहिए.

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रचनाकार: महावीर सरन जैन का आलेख : संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की आधिकारिक भाषाएं एवं हिन्‍दी
महावीर सरन जैन का आलेख : संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की आधिकारिक भाषाएं एवं हिन्‍दी
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