एक शख्सियत…......शकील जमाली : विजेंद्र शर्मा का आलेख

SHARE:

शकील जमाली मैं अपने घर में अकेला कमाने वाला हूँ मुझे तो सांस भी आहिस्तगी से लेना है एक शख्सियत … ...... शकील जमाली शाइरी की सबसे ख़ूबस...

शकील जमाली

clip_image002

मैं अपने घर में अकेला कमाने वाला हूँ

मुझे तो सांस भी आहिस्तगी से लेना है

एक शख्सियत......शकील जमाली

शाइरी की सबसे ख़ूबसूरत विधा ग़ज़ल है जिसके मायने महबूब से गुफ़्तगू करना,औरतों से बात करना है। अगर रिवायती ग़ज़ल के पन्ने पलटकर देखें तो ग़ज़ल में नज़र आता है हुस्न की तारीफ़ , ज़ुल्फें,साकी ,सागर ,वफ़ा, बे-वफाई,मौसम , घटायें और शराब। अगर दूसरे लफ़्ज़ों में कहूँ कि पहले सच में ग़ज़ल कच्चे गोश्त का एक इश्तेहार सा नज़र आती थी। सत्तर के दशक के बाद ग़ज़ल ने अपना मिज़ाज बदला और ग़ज़ल महबूबा की ज़ुल्फों से निकल कर रोज़मर्रा के मसाइल ,टूटते - बिखरते रिश्तों ,सियासत पे तन्ज़ यहाँ तक कि रोटी कि गोलाई में आ गई। ग़ज़ल के इसी बदले हुए चेहरे का एक नाम शकील जमाली भी है।

1980 में मुंबई के एक उर्दू रिसाले में एक शे'र छपा :----

ये सरकशी कहाँ है हमारे खमीर में

लगता है अस्पताल में बच्चे बदल गये

ये शेर पढ़कर इस सदी के बहुत बड़े शाइर डॉ. बशीर बद्र ने कहा कि यह शे'र ग़ज़ल में इज़ाफ़ा है। वाकई जिस तरह ये शे'र ग़ज़ल में इज़ाफ़ा है ठीक उसी तरह इसे कहने वाले शाइर शकील जमाली अदब में इज़ाफ़ा है। जदीद शाइरी में ग़ज़ल को हुस्न- ओ -शबाब के क़ैद ख़ाने से जिन सुख़नवरों ने आज़ाद करवाने की उम्दा और कामयाब कोशिश की उनमें से एक अहम् नाम है शकील जमाली ,रिवायत से हटकर शे'र कहने का अंदाज़ उनके इस मतले और शे'र से साफ़ ज़ाहिर है :---

ज़ुल्फें, लब, रूख़सार उठाये फिरते हैं

सब कल का अख़बार उठाये फिरते हैं

आँगन में टकसाल लगा ली लोगों ने

हम जैसे किरदार उठाये फिरते हैं

जिनके हाथ में गुड़िया -गुड्डे होने थे

पैमाना परकार उठाए फिरते हैं

शकील जमाली का क़लाम अवाम तक पहले पहुंचता है उनका नाम बाद में यूँ तो हर शाइर का शे'र कहने का अंदाज़ मुख्तलिफ़ होता है मगर कई बार लहजा और तेवर शाइर के नाम पे भी भारी पड़ जाते हैं। ऐसा शकील जमाली के साथ हुआ है। लहजों की भीड़ में अपने फ़िक्रों-फन और कहन के तेवर से शकील जमाली का लहजा भीड़ में भी बा-आसानी पहचाना जा सकता है। शकील जमाली के लहजे में लफ़्ज़ों के जानदार तीर भी होते हैं और तन्ज़ के ख़ूबसूरत नश्तर भी जो सुनने वाले के सीने में जब लगते है तो कोई ज़ख्म तो नहीं देते हाँ एक मीठा सा दर्द ज़रूर छोड़ जाते हैं :---

सब के होते हुए लगता है के घर खाली है

ये तकल्लुफ़ है के जज़बात की पामाली है

आसमानों से उतरने का इरादा हो तो सुन

शाख़ पर एक परिंदे की जगह खाली है

जिसकी आँखों में शरारत थी,वो महबूबा थी

ये जो मजबूर सी औरत है ये घरवाली है

(पामाली =पतन )

शकील जमाली का जन्म 01 अगस्त 1958 को बिजनौर जनपद के चांदपुर क़स्बे में जनाब हशमत उल्लाह "आशिक़ " साहब के यहाँ हुआ। शकील साहब के वालिद भी शाइर थे और रिवायती शाइरी के बहुत बड़े हिमायती भी ,शाइरी शकील जमाली की रगों में थी पर अपने वालिद के रिवायती लहजे से वे बचपन से ही इतेफ़ाक नहीं रखते थे। शकील जमाली ने अपनी शुरूआती पढाई चांदपुर से की और राजनीति शास्त्र में एम्. ऐ भी चांदपुर से ही किया। उसके बाद वे पी-एच. डी करने जामिया, दिल्ली गये मगर अपनी माँ के इन्तेकाल के बाद उन्हें पी-एच. डी बीच में ही छोड़नी पड़ी। यूँ तो बचपन से ही शकील जमाली अदब की दुनिया से वाकिफ़ हो गये थे पर बीस बरस की उम्र में उन्होंने बा-क़ायदा शे'र कहने शुरू किये। अदब की काँटों भरी राह पर इमानदारी से बिना किसी बैसाखी के चलने का पहला सबक शकील जमाली को अपने अब्बू से मिला जिन्होंने कहा कि बेटे शे'र कहने के बाद इस्लाह के लिए किताबें पढ़ना ना कि किसी से पूछना क्यूंकि हर आदमी अधूरा है ,किताबें ही है जो मुकम्मल है। ऐसा सबक जो इन्सान अपने अदब से रब्त के शुरूआती दिनों में ही सीख ले, तो फिर आप उसके तेवर भी समझ सकते है। शाइरी से जुड़ी दो शख्सियात ने शकील जमाली को बहुत मुतास्सिर (प्रभावित ) किया एक डॉ. बशीर बद्र और दूसरी परवीन शाकिर हालांकि शकील जमाली के क़लाम में इनकी कोई छाप नज़र नहीं आती इसकी वजह ये है कि शे'र कहने का अंदाज़ उनका अपना है और ज़ुबान भी उनकी अपनी है।

उल्टे सीधे सपने पाले बैठे हैं

सब पानी में काँटा डाले बैठे हैं

एक बीमार वसीयत करने वाला है

रिश्ते-नाते जीभ निकाले बैठे हैं

बस्ती का मामूल पे आना मुश्किल है

चौराहे पर वर्दी वाले बैठे हैं

अभी जाने कितना हंसना रोना है

अभी तो हमसे पहले वाले बैठे हैं

(मामूल =यथास्थिती )

शकील जमाली अपने क़लाम को सबसे पहले ख़ुद तनक़ीद (समीक्षा /आलोचना ) के पैमाने पे नापते , परखते हैं फिर एक हफ़्ते बाद अपने मिसरों को दोबारा जांच की भट्टी पे चढ़ा देते हैं और नतीजे में कुंदन की तरह निखरा और तपा हुआ शे'र उन्हें मिलता है। अपने शे'र के साथ मशक करने का ये उनका अपना अंदाज़ है। शकील जमाली स्वयं पे मुग्ध नहीं होते अपने हुनर को वो ऐसा चश्मा लगा के देखते है जिसमे उनको ऐब नज़र आये और फिर उसपे वो और मशक कर सकें ,उनकी यही मशक्कत पैदा करती है शकील जमाली की मुहर लगे ये अशआर :----

पेट की आग बुझाने का सबब कर रहे हैं

इस ज़माने के कई मीर मतब कर रहे हैं

कोई हमदर्द भरे शहर में बाक़ी हो तो हो

इस कड़े वक़्त में गुमराह तो सब कर रहे हैं

कहीं ख़तरे में पड़ जाए बुज़ुर्गी अपनी

लोग इस खौफ़ से छोटों का अदब कर रहे हैं

(मतब=दवा बेचना )

******

रिश्तों की दलदल से कैसे निकलेंगे

हर साज़िश के पीछे अपने निकलेंगे

चाँद सितारे गोद में आकर बैठ गये

सोचा ये था, पहली बस से निकलेंगे

अपने खून से इतनी तो उम्मीदें हैं

अपने बच्चे भीड़ से आगे निकलेंगे

शकील जमाली समाज में फैली बुराइयों को आँख मूंदकर और बहरे बनके सहन नहीं कर सकते ,बेशर्मी की डोर तहज़ीब की पतंग को आसानी से काटती चली जा रही है ऐसे में शकील जमाली की क़लम ख़ामोश नहीं रह सकती या यूँ कहूँ कि शकील जमाली ने अपनी क़लम के ज़रिये निज़ाम (वयवस्था ) के खिलाफ़ विरोध भी जताया है और अपने जज़बात का इज़हार भी किया है। शकील जमाली ने उस सियासतदाँ का एहतराम किया है जो दरवाज़े पे आने वाले शख्स का नाम नहीं बल्कि उसका काम पूछता है। समाज के तमाम मोज़ूआत को शकील जमाली ने शाइरी बनाया है :---

उठाकर सर कभी चलने की हिम्मत ही नहीं होती

सियासी आदमी में रीढ़ की हड्डी नहीं होती

यहाँ मेहनत की रोटी भी बड़ी मुश्किल से पचती है

वो सारा मुल्क खा जाएँ तो बदहज़मी नहीं होती

भरोसा ख़त्म हो जाने पे कुछ बाक़ी नहीं रहता

ये वो काग़ज़ है जिसकी कार्बन कापी नहीं होती

*****

यहाँ इन्साफ ने आँखों पे पट्टी बाँध रखी है

शराफ़त जेल में सडती है ,गुंडा छूट जाता है

अगर कुछ देर को हम लोग लड़ना भूल जाते हैं

हमारी राजनीति को पसीना छूट जाता है

*************

टूटने की जसारत में टूट जाते हैं

कुछ आइने तो हिफ़ाज़त में टूट जाते हैं

किसी ग़रीब को इंसाफ़ मिल नहीं सकता

गवाह जा के अदालत में टूट जाते हैं

(जसारत = कोशिश)

शकील जमाली की ग़ज़लों का पहला संग्रह "धूप तेज़ है" 1999 में आया जिसने ग़ज़लों का वो गुलदस्ता अदब को दिया जिसमें फूलों की ख़ुश्बू के साथ- साथ तन्ज़ के वो कांटे भी है जिसकी चुभन ठन्डे पड़ गये खून की रवानी को बढ़ा देती है। वीनस म्यूजिक कम्पनी ने शकील जमाली के लिखे गीत और उनकी ग़ज़लों के कई एल्बम निकाले जिसमें मुख्य है :--दिल का हाल सुने दिलवाला,दिल के टुकड़े हज़ार हुए और ताज़ा हवा लेते हैं ये सब अल्ताफ राजा ने गाए हैं।

इस नकली अदब के दौर में अपनी पहचान बनाए रखना बहुत मुश्किल है ,पहली बात तो बुलंदी को छू पाना ही बहुत कम लोगों के नसीब में होता है अगर छू लो तो फिर उसपे टिके रहना, अपने मेयार को बनाए रखना भी बड़ा दुश्वार तरीन काम है जो कि शकील जमाली कर रहे हैं। बिना किसी अदबी सरपरस्ती के सिर्फ़ अपने मुतआले (अध्ययन) और सलाहियत के दम पे शकील जमाली ने अदब की ज़मीन पर अपना खूबसूरत शामियाना बड़ी मज़बूती से लगा रखा है। ये भी तय है कि मंच पर लतीफे और तरन्नुम में ग़ज़ल पढ़ने वाले मुशायारेबाज़ों की आंधी इस शामियाने को हिला भी नहीं सकती। मशहूर शाइर मुनव्वर राना ने कहा था की शकील जमाली बहुत खुशनसीब शाइर है क्यूंकि उनकी ग़ज़ल से क़ारी (पाठक) पूरे रिसाले (पत्रिका) की क़ीमत वसूल कर लेता है। शकील जमाली समाज में घटित होने वाली हर घटना और ज़िन्दगी के हर पहलू से शे'र निकालते है कुछ अशआर तो उनका हवाला भी बन गये हैं :----

अदावतों को भी शाइस्तगी से लेना है

अब इंतकाम बड़ी आजज़ी से लेना है

मैं अपने घर में अकेला कमाने वाला हूँ

मुझे तो सांस भी आहिस्तगी से लेना है

ये काम सख्त बहुत है मगर ख़ुदा की कसम

हलाल रिज़्क ,इसी नौकरी से लेना है

(अदावत =दुश्मनी ,शाइस्तगी =शालीनता ,आजज़ी =विनम्रता ,रिज़्क=अनाज़ )

शकील जमाली की शाइरी बड़ी बेबाकी से सच बयान करने के साथ - साथ सलाह मशविरे भी करती है अगर ये कहूँ तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि शकील जमाली का क़लाम नसीहतों का मानीखेज़ आइना है जिसमें हर शख्स अपनी असली तस्वीर देख सकता है और फिर उसे वहम नाम का मर्ज़ भी परेशान नहीं करता।

बहादुर है तो ऐसा मत किया कर

कभी पीछे से हमला मत किया कर

बिखर जाएगा शख्सीयत का जादू

बहुत कालर को ऊँचा मत किया कर

रहा सहा कोई रिश्ता भी टूट जाता है

शिकायतों से कोई फ़ायदा नहीं होता

रिआयतों की दिल-आवेज़ तख्तियों पे जा

दुकानदार किसी का सगा नहीं होता

मेरे नज़रिए से शकील जमाली का क़लाम अपना हाल और मुस्तकबिल ( वर्तमान और भविष्य ) देखने के लिए किसी नज़ूमी (ज्योतिषी ) को अपनी हथेली नहीं दिखाता है क्यूंकि उनका क़लाम अपने हाथों के हुनर पे एतबार करता है ना कि हाथ की लकीरों पर। शकील जमाली को जब - जब पढ़ा या सुना तो यूँ लगा कि ये शख्स अदब की वो शख्सीयत हो गया है जो शाइरी को चूरन की तरह नहीं बेचता है बल्कि अपनी शर्तों पे सुनने के लिए सामईन को मजबूर करता है। यही शाइरी का वक़ार है और शाइर का भी। अलग - अलग मनाज़िर (दृश्य ) को शकील जमाली ने किस तरह ग़ज़ल बनाया है मुलाहिजा हो :---

सफ़र से लौट जाना चाहता है

परिंदा आशियाना चाहता है

कोई स्कूल की घंटी बजा दे

ये बच्चा मुस्कुराना चाहता है

हमारा हक़ दबा रखा है जिसने

सुना है हज को जाना चाहता है

छोटी बहर में बड़ी बात कहने का फ़न भी शकील जमाली अपनी क़लम की सियाही में रखते हैं, छोटी बहर में उनके ये अशआर इस बात की पुष्टि करते हैं :---

फ़क़त हमवार करने के लिए है

दवा बीमार करने के लिए है

ये झगडा ,ये धमाका , ये ख़ामोशी

ख़बर तैयार करने के लिए है

**

बोलता है तो पता लगता है

ज़ख्म उसका भी नया लगता है

कितने ज़ालिम हैं ये दुनिया वाले

घर से निकलो तो पता लगता है

दो क़दम पर है अदालत लेकिन

सोच लोवक़्त बड़ा लगता है

नई ग़ज़ल वाक़ई नसीब वाली है जिसे शकील जमाली जैसे शाइर मिले हैं। शकील जमाली नाम की शख्सीयत को समझने के बाद मैं इतना दावा तो कर सकता हूँ कि उनके अशआर अगर कोई मुर्दा ज़मीर सुन ले तो वो चाहे कितनी भी नींद की गोली खा ले उसे तब तक नींद नहीं आ सकती जब तक उसका सोया ज़मीर जाग न जाए। शकील जमाली की मौजूदगी अदब की रूह को सुकून देती है और आज की शाइरी को शकील जमाली की बहुत ज़रूरत है। शकील जमाली के इन्ही मिसरों के साथ इजाज़त लेता हूँ अगले हफ्ते मिलते हैं एक और शख्सीयत के साथ ...

रात दिन सिर्फ़ इंतज़ार किया

वक़्त को मसअला बनाया नहीं

वक़्त का एहतराम करते रहो

वक़्त सुल्तान है,रिआया नहीं

--

विजेंद्र शर्मा

vijendra.vijen@gmail.com

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. You have explained very well Vijendra Sir, I don't have adequate words to comment here and i don't have enough knowledge to praise you, I would say in one word it's Awesome article sir

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: एक शख्सियत…......शकील जमाली : विजेंद्र शर्मा का आलेख
एक शख्सियत…......शकील जमाली : विजेंद्र शर्मा का आलेख
http://lh5.ggpht.com/-iV6W6H6dQ_M/T5ufpHsdcpI/AAAAAAAALnc/hls0VNH6wm4/clip_image002%25255B3%25255D.jpg?imgmax=800
http://lh5.ggpht.com/-iV6W6H6dQ_M/T5ufpHsdcpI/AAAAAAAALnc/hls0VNH6wm4/s72-c/clip_image002%25255B3%25255D.jpg?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2012/04/blog-post_6088.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2012/04/blog-post_6088.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content