एक शख्सियत........कृष्ण बिहारी 'नूर' : विजेंद्र शर्मा का आलेख

SHARE:

कृष्ण बिहारी ' नूर ' ज़मीर काँप तो जाता है आप कुछ भी कहे वो हो गुनाह के पहले कि हो गुनाह के बाद एक ...

कृष्ण बिहारी 'नूर '

clip_image002

ज़मीर काँप तो जाता है आप कुछ भी कहे

वो हो गुनाह के पहले कि हो गुनाह के बाद

एक शख्सियत........कृष्ण बिहारी 'नूर '

ज़मीर नाम का परिंदा हर इन्सान के अन्दर होता है। कोई उसको ज़िन्दा रखता है और कोई उसकी ह्त्या कर देता है। जब भी इन्सान किसी गुनाह को अंजाम देता है तो ये परिंदा उसे आगाह ज़रूर करता है। इसी ख़याल को जब एक शे'र के ज़रिये सुना तो बस सन्न रह गया। दिल से सिर्फ़ ये ही लफ़्ज़ निकले वाह - वाह , वो शे'र यूँ था :-------

ज़मीर काँप तो जाता है आप कुछ भी कहें

वो हो गुनाह के पहले कि हो गुनाह के बाद

पड़ताल की गई कि ये शानदार मिसरे किनके हैं तो पता चला लखनऊ के शाइर है कृष्ण बिहारी 'नूर ' उनका है ये शेर बस तब से मैं कृष्ण बिहारी "नूर" का मुरीद हो गया।

कृष्ण बिहारी नूर का जन्म लखनऊ में जनाब कुंजबिहारी लाल श्रीवास्तव के घर 8 नवम्बर 1925 को हुआ। शायरी का सफ़र कृष्ण बिहारी नूर का 1942 में शुरू हुआ जब उनकी उम्र सिर्फ़ सत्रह साल की थी। नूर साहब ने अपनी पहली ग़ज़ल अपनी मौसी को सुनाई ,मौसी जी भी शायरी का ज़ौक़ रखती थी। मौसी जी को लगा कि बच्चे में शायरी की लो है सो उन्होंने ये ग़ज़ल मोहन लाल माथुर 'बेदार' साहब को दिखाई ,बेदार साहब ने भी महसूस किया कि कृष्ण बिहारी को अगर कोई उस्ताद मिल जाए तो ये बच्चा शायरी में एक मुकाम हासिल कर सकता है और उन्होंने हज़रत फ़ज़्ल नक़वी साहब से गुज़ारिश की के वे कृष्ण बिहारी श्रीवास्तव को अपना शागिर्द कुबूल फरमा लें। हज़रत फ़ज़्ल नक़वी कृष्ण बिहारी साहब के बाकायदा उस्ताद हो गये और उन्होंने कृष्ण बिहारी को क़लमी नाम दिया 'नूर ' लखनवी और तब से 'नूर' लखनवी अदब के आसमान के एक चमकदार सितारा हो गये।

कृष्ण बिहारी नूर को जितना पढ़ा ,समझा मुझे लगा कि रिवायत के तराज़ू पे ग़ज़ल सिर्फ़ महबूब से गुफ़्तगू करना नहीं है महबूब की आँखों में ख़ुदा की इबादत भी शायरी है । नूर साहब की शायरी का ये मिज़ाज वाकई अनूठा है :------

देखा जो उन्हें सर भी झुकाना रहा याद

दरअसल नमाज़ आज अदा हमसे हुई है

*****

जबीं को दर पे झुकाना ही बन्दगी तो नहीं

ये देख, मेरी मुहब्बत में कुछ कमी तो नहीं

हज़ार ग़म सही दिल में मगर ख़ुशी ये है

हमारे होंठों पे मांगी हुई हँसी तो नहीं

कृष्ण बिहारी 'नूर' शायरी की रिवायत को निभाते हुए उसमें दर्शन ,अध्यात्म और अपने कलंदराना मिज़ाज को ऐसे मिलाते हैं कि इन तीनों को फिर अलग करना उतना ही मुश्किल हो जाता है जितना कि पानी में कोई रंग मिला दिया जाए और फिर उसमें से पानी को अलग करना । दर्शन और अध्यात्म के मोतियों को शायरी की माला में पिरोने का फ़न वाकई ख़ुदा ने कृष्ण बिहारी 'नूर' को अता किया उनके अशआर इस बात की गवाही देते हैं :--------------

शख्स मामूली वो लगता था ,मगर ऐसा था

सारी दुनिया जेब में थी , हाथ में पैसा था

****

सच घटे या बढ़े,तो सच रहे

झूठ की कोई इंतिहा ही नहीं

इतने हिस्सों में बंट गया हूँ मैं

मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं

****

मैं एक क़तरा हूँ मेरा अलग वजूद तो है

हुआ करे जो समन्दर मेरी तलाश में है

****

आग है, पानी है, मिट्टी है, हवा है मुझमें

और फिर मानना पड़ता है ,ख़ुदा है मुझमें

आईना ये तो बताता है मैं क्या हूँ लेकिन

आईना इस पे है ख़ामोश कि क्या है मुझमें

नूर साहब उस्ताद- शागिर्द रिवायत के बहुत बड़े हिमायती थे ,अपने ग़ज़ल संकलन "समन्दर मेरी तलाश में है"में अपने सफ़रनामें में उन्होंने लिखा है कि 'मैं एक बात का एतराफ खुले दिल से करता हूँ कि अदब की दुनिया में मैं आज जिस भी मुकाम पे हूँ अपने उस्तादे -मोहतरम के फैज़ाने करम से हूँ। 'नूर साहब अपने से वरिष्ठ शायरों का बड़ा आदर करते थे और अपने से छोटों के लिए उनकी मुहब्बत का दरवाज़ा हमेशा खुला रहता था।

नूर साहब की शख्सीयत की सबसे बड़ी ख़ूबी ये थी कि उनकी एक - एक अदा शायराना थी । असल में शायरी ज़िन्दगी को सलीक़े से जीने का ही तो नाम है ,उनका सिगरेट सुलगाना , उनका मुशायरे में शेर पढ़ना ,उनका चलना , गुफ़्तगू का अंदाज़ ,ख़ूबसूरत कुर्ते पहनना सब शायरी के लिबास में लिपटा हुआ था।

मुरादाबाद के मशहूर शाइर मंसूर उस्मानी कह्ते है कि "कृष्ण बिहारी 'नूर' महबूब के दरवाज़े पे जाके भी याद ख़ुदा को ही करते थे "। यारों के यार थे नूर साहब और दुश्मन तो वे दुश्मनों के भी नहीं थे।

नूर की शायरी महबूब के परदे में कहीं ख़ुद को और कहीं ख़ुदा को तलाश करने की वह साधना है जो लफ़्ज़ों से तस्वीर बनाती है तो महबूब का चेहरा बन जाता है और अर्थ में डूबती है तो अध्यात्म का मंज़र बिखेर देती है। नूर साहब ने अपनी शायरी की फ़िक्र के बाग़ में ग़म का बिस्तर बिछाया ,इश्क़ की चादर ओढ़ी और ख़्वाबों का वो तकिया लगाया जिसने उन्हें न तो ख़ुद से दूर किया न ख़ुदा से। नूर साहब को अपनी शख्सीयत की उस सच्चाई का एहसास हो गया जहाँ ख़ुदी और ख़ुदा का फ़र्क़ भी साफ़ हो जाता है।

डॉ. मलिकज़ादा मंज़ूर नेनूर साहब के बारे में कहा कि कृष्ण बिहारी 'नूर' वो आँखें है जो माज़ी के रोशनदानों से दुनिया देखती है। मक़बूलियत का इतना बड़ा हल्क़ा बहुत कम शायरों का मुक़द्दर होता है और उनके कितने ही अशआर उर्दू ग़ज़ल का ज़िन्दा रह जाने वाला कारनामा है।

कृष्ण बिहारी 'नूर' ने ग़ज़लों के साथ -साथ बहुत कामयाब नज़्में भी लिखी ,उनकी नज़्मों में गंगा - जमुनी तहज़ीब की झलक साफ़ देखी जा सकती है :--

कह दो मंदिर में चले आएँ पुजारी सारे

आसमानों से है उम्मीद पयाम आएँगे

देवता ले के कोई ताज़ा निजाम आएँगे

अब रसूल आएँगे दुनिया में राम आएँगे

सिर्फ़ इन्सान ही इन्सान के काम आएँगे

कृष्ण बिहारी 'नूर ' की शायरी में दर्शन और अध्यात्म के अलावा भी मुख्तलिफ - मुख्तलिफ रंग जैसे खुद्दारी ,महबूब से गुफ़्तगू ,ज़माने की फ़जां देखने को मिलते हैं। उनके ये अशआर इस बात की ज़मानत दे सकते हैं :----------

किस तरह मैं देखूं भी, बातें भी करूँ तुमसे

आँख अपना मज़ा चाहे दिल अपना मज़ा चाहे

******

मैं जिसके हाथ में एक फूल दे के आया था

उसी के हाथ का पत्थर मेरी तलाश में है

******

मैं जानता हूँ वो क्यूँ मुझसे रूठ जाते हैं

वो इस तरह से भी मेरे करीब आते हैं

****

बुझी प्यास तो ख़त्म अपनी ज़िन्दगी कर ली

नदी ने जा के समन्दर में ख़ुदकुशी कर ली

****

अच्छी लगती थी मुझे भी अच्छी अच्छी सूरतें

हाँ मगर उस वक़्त तक जब तक तुम्हें देखा था

******

देना है तो निगाह को ऐसी रसाई दे

मैं देखूं आईना तो मुझे तू दिखाई दे

****

सुबह से ता- शाम समझौतों पे कटती है हयात

वो भला किस तरह जीते होंगे जो खुद्दार है

*****

हक़ बोलने का जिनको था ,बोलने लगे

हद है ,हमारे साये भी लब खोलने लगे

****

लाख ग़म सीने से लिपटे रहें नागन की तरह

प्यार सच्चा था, महकता रहा चन्दन कि तरह

कृष्ण बिहारी नूर साहब के तीन ग़ज़ल संग्रह मंज़रे आम पे आये "दुःख-सुख " (1978 ) ,"तपस्या " (1984 )उर्दू में और "समन्दर मेरी तलाश में है " नागरी में (1994 ) में।

बहुत सी अदबी संस्थाओं ने नूर साहब को एज़ाज़ और इनामात से नवाज़ा जिसमे मुख्य है :--अमीर खुसरो ग़ज़ल अवार्ड, उर्दू अकादमी अवार्ड ,मीर अकादमी ,लखनऊ से इम्तियाज़े मीर अवार्ड ,दया शंकर नसीम अवार्ड , निराला सच्चाई अवार्ड आदि।

हिन्दुस्तान के तक़रीबन सभी ग़ज़ल गायकों ने कृष्ण बिहारी 'नूर' साहब की ग़ज़लों को आवाज़ दी जिसमे प्रमुख है जगजीत सिंह , गुलाम अली ,पीनाज़ मसानी, रविन्द्र जैन, अहमद हुसैन मोहम्द हुसैन और भूपेंद्र।

नूर साहब ने बहुत मयारी दोहे भी लिखे उनके दोहे भी गंगा - जमुनी तहज़ीब की ही ज़ुबान में है :--------

वार करो तलवार का, चाहे जितना सख्त

पानी तो कटता नहीं, कट जाता है वक़्त। ।

******

साँझ हुई तो सज गये ,कोठों का बाज़ार

मन का गाहक ना मिला ,बदन बिका सौ बार। ।

उनका ये दोहा तो एक दिन हक़ीक़त में ही तब्दील हो गया.....

मैंने आँखें मूँद लीं ,बदन पड़ा बेजान

अब चाहे सम्मान हो, चाहे हो अपमान। ।

नूर साहब ने उर्दू के अलावा जिस ज़ुबान के लफ़्ज़ को अपने मिसरे में इस्तेमाल किया तो वो लफ़्ज़ यूँ लगा कि वो सिर्फ़ उसी मिसरे के लिए बना हो उनकी एक बड़ी मकबूल ग़ज़ल के एक शे'र में उन्होंने अंग्रेज़ी के लफ़्ज़ फ्रेम का इस्तेमाल किया और जब शे'र हुआ तो फ्रेम यूँ लगा जैसे इस शब्द की उत्पत्ति इसी शे'र के लिए ही हुई हो :--

चाहे सोने के फ्रेम में जड़ दो

आईना झूठ बोलता ही नहीं

अपनी ज़ुबान से उन्हें बड़ी मुहब्बत थी ज़ुबान के साथ जो बर्ताव इन दिनों हो रहा था उस से नूर साहब बड़े आहत थे तभी उन्हें ये कहने पे मजबूर होना पड़ा :---

ख़ुद भी खो जाती है ,मिट जाती है , मर जाती है

जब कोई क़ौम कभी अपनी ज़बां छोड़ती है

गंगा -जमुनी तहज़ीब में रचे बसे होने कि वजह से उनकी शायरी दोनों मज़हबों को मुहब्बत का पैगाम भी देती रही :--

लब पे आए ज़िक्रे काबा ज़िक्रे काशी साथ -साथ

बात जब है हो नमाज़ और आरती भी साथ- साथ

'नूर' का मज़हब है क्या सब देखकर हैरान है

हक़परस्ती ,बुतपरस्ती ,मयपरस्ती साथ -साथ

और दंगो पे सवाल छोड़ता उनका ये शेर :---

जिसके कारण फसाद होते हैं

उसका कोई अता -पता ही नहीं

किसी भी बात को सलीके से कहना ही शायरी में बुनियादी चीज़ है , ज़हन में आए ख़याल को किस तरह शाइर काग़ज़ पे एक तस्वीर की शक्ल में उतार देता है इसकी मिसाल से रु-बरु होने का मुझे मौक़ा मिला। दिल्ली में इन्डियन आयल का एक मुशायरा था 'नूर' साहेब ने जैसे ही ये शे'र सुनाया शे'र के जो मआनी थे वो पूरे सभागार में खुल गये पूरे सामईन शे'र सुनते ही स्तब्ध हो गये :---------

मैं तो ग़ज़ल सुना के अकेला खड़ा रहा

सब अपने -अपने चाहने वालों में खो गये

पोस्टल महकमें में नूर साहब डिप्टी मैनेजर थे और मुलाज़मत से उन्हें फ़ुरसत 30 नवम्बर 1984 में मिली। 2003 के मई महीने के आख़िर में नूर साहब एक मुशायरे के सिलसिले में लखनऊ से ग़ाज़ियाबाद जा रहे थे। रेल गाडी में ऊपर की बर्थ से नीचे उतरते वक़्त गिर जाने से उनकी आंत में चोट आ गई। अगले दिन चोट की परवाह न करते हुए नूर साहब ने मुशायरे में भी शिरकत की पर फिर उसके अगले दिन यानी 30 मई 2003 को नूर साहब सभी को छोड़कर उस यात्रा पे चले गये जहाँ से कोई लौट कर नहीं आता। उनका अंतिम संस्कार भी ग़ाज़ियाबाद में ही किया गया।

उन्होंने अपना एक मतला कहा था अपनी तमाम शायरी पे :---

तुम्हारा ज़िक्र और अपना बयाने हाल रहा

ये शायरी का ज़माना तो बेमिसाल रहा

वाकई नूर साहब की शायरी बेमिसाल है। आने वाली नस्ले और शायरी से मुहब्बत करने वाले उनके क़लाम को याद रखेंगे। आख़िर में

नूर साहब के इन्ही मिसरों के साथ .....

ज़िन्दगी मौत तेरी मंज़िल है

दूसरा कोई रास्ता ही नहीं

अपनी रचनाओं में वो ज़िन्दा है

'नूर' संसार से गया ही नहीं

अगले हफ्ते फिर मिलने का वादा किसी और शख्सियत के साथ ...

--

विजेंद्र शर्मा

vijendra.vijen@gmail.com

COMMENTS

BLOGGER: 9
  1. बहुत खूब...............

    तहे दिल से.शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  2. apne hone ka saboot aur nishan chhodti hai
    koi nadi yoohi kaha rasta chhodti hai

    kya yah wala sher bhi inhi ka hai kripya bataaye aur ise poora bhi kar de
    dhanyavaad

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. परिवेश जी नूर साहब की ये ग़ज़ल यूँ है ...


      अपने होने का सुबूत और निशाँ छोडती है

      रास्ता कोई नदी यूँ ही कहाँ छोडती है


      नशे में डूबे कोई, कोई जिए कोई मरे

      तीर क्या क्या तेरी आँखों की कमाँ छोडती है


      ख़ुद भी खो जाती है मिट जाती है मर जाती है

      जब कोई कौम कभी अपनी ज़बां छोडती है


      आत्मा नाम ही रखती है न मज़हब कोई

      वो तो मरती भी नहीं है मकाँ छोडती है

      हटाएं
    2. bahoot khoob likha bhai aapne..

      हटाएं
  3. सबसे पहले मैं श्री विजेंद्र शर्मा जी आपको बहुत बहुत बधाई देता हूँ कि आपने हमारे अज़ीज़ शायर जनाब नूर लखनवी साहब को सभी पाठकों को मिलवाया उनकी शायरी से/ इसके लिए आप तहे दिल से मुबारकबाद कुबुल करें .
    मेरा सबसे पहली बार वास्ता हुआ नूर साहब को मैंने 1984 के एक मुशायरे में पढ़ते हुए सुना और में उनका उसी वक़्त से आज तक फैन हूँ, अफ़सोस है की वो हमारे बीच नहीं हैं ,मगर उनकी शायरी आज भी हमारे दिलों में उनकी याद ऐसे एक फूल की तरह है जिसकी महक हमारे दिलों में कभी भी जुदा नहीं होने देगी / खूब साड़ी दुवाओं और प्रेम के साथ..आपका भाई इकबाल खां ....रियाध ,सऊदी अरब से

    जवाब देंहटाएं
  4. सबसे पहले मैं श्री विजेंद्र शर्मा जी आपको बहुत बहुत बधाई देता हूँ कि आपने हमारे अज़ीज़ शायर जनाब नूर लखनवी साहब को सभी पाठकों को मिलवाया उनकी शायरी से/ इसके लिए आप तहे दिल से मुबारकबाद कुबुल करें .
    मेरा सबसे पहली बार वास्ता हुआ नूर साहब को मैंने 1984 के एक मुशायरे में पढ़ते हुए सुना और में उनका उसी वक़्त से आज तक फैन हूँ, अफ़सोस है की वो हमारे बीच नहीं हैं ,मगर उनकी शायरी आज भी हमारे दिलों में उनकी याद ऐसे एक फूल की तरह है जिसकी महक हमारे दिलों में कभी भी जुदा नहीं होने देगी / खूब साड़ी दुवाओं और प्रेम के साथ..आपका भाई इकबाल खां ....रियाध ,सऊदी अरब से

    जवाब देंहटाएं
  5. विजेन्द्र भाई साहब नमस्कार,
    भाई साहब आपकी जितनी तारीफ कि जाये कम,
    क्या खूं लिखा है नूर साहब पे आगे भी ऐसी महान हस्तियों पर लिखते रहिये, और हमारा ज्ञान बढ़ाते रहिये।

    आग है, पानी है, मिट्टी है, हवा है मुझमें

    और फिर मानना पड़ता है ,ख़ुदा है मुझमें

    आईना ये तो बताता है मैं क्या हूँ लेकिन

    आईना इस पे है ख़ामोश कि क्या है मुझमें

    जवाब देंहटाएं
  6. कितनी ख़ूबसूरत शख़्सियत का बयान कितनी ख़ूबसूरती से किया गया है। नूर साहब का कुछ नूर आप पर भी पहुँचा और आपके ज़रिए हम पर।

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: एक शख्सियत........कृष्ण बिहारी 'नूर' : विजेंद्र शर्मा का आलेख
एक शख्सियत........कृष्ण बिहारी 'नूर' : विजेंद्र शर्मा का आलेख
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhJprJHqclcV3D5O7RmuwgJqae65c_YY3_PgVfH02j2OuJe7KZe-fhIzzdiYehIOhJ_sRUPRCZrRB3cmqyWVz2UeaoY6DVqc43Ft9QiCWONHDDWy9yKRiP6csOXgTGF6iuEHBmc/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhJprJHqclcV3D5O7RmuwgJqae65c_YY3_PgVfH02j2OuJe7KZe-fhIzzdiYehIOhJ_sRUPRCZrRB3cmqyWVz2UeaoY6DVqc43Ft9QiCWONHDDWy9yKRiP6csOXgTGF6iuEHBmc/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2012/04/blog-post_9674.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2012/04/blog-post_9674.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content