हवा पानी धूप और कविता विश्व कविता : एक दृश्य चयन , अनुवाद एवं प्रस्तुति नरेन्द्र जैन -- परिचय नरेन्द्र जैन जन्म 2 अगस्...
हवा पानी धूप और कविता
विश्व कविता : एक दृश्य
चयन, अनुवाद एवं प्रस्तुति
नरेन्द्र जैन
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परिचय
नरेन्द्र जैन
जन्म 2 अगस्त 1948 मुलताई, जिला बैतूल, मध्यप्रदेश। अब तक 4 कविता संग्रह प्रकाशित यथा-दरवाज़ा खुलता है (1980) तीता के लिये कविताएँ (1984) यह मैं हूँ पत्थर (1985) और उदाहरण के लिए (1994) सराय में कुछ दिन (2004) पुनरावलोकन कहानी संग्रह (2005)। अलेक्सांद्र सेंकेविच द्वारा 27 कविताओं का रूसी भाषा में रूपांतर एवं प्रकाशन ‘बरगद का पेड़' ;मॉस्को (1990)। अर्नेस्तो कार्देनाल, निकानोर पार्रा, कार्ल सैण्डबर्ग, नाज़िम हिकमत, एन्जान्स बर्गर, ऑडेन, पाब्लो नेरूदाऔर गिलविक की कविताओं के अनुवाद प्रकाशित। अफ्रीकी लोक कविताओं की चर्चित कृति ‘अपने बच्चे के लिए शेरनी का गीत' पहल द्वारा प्रकाशित। ज्याँ पाल सार्त्र के नाटक ‘इन कैमरा' का रूपांतर ‘नरक' संवाद प्रकाशन मेरठ द्वारा शीघ्र प्रकाशय। 1987 में कविता पर म.प्र. का राज्य स्तरीय प्रथम पुरस्कार माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार, 1994-1995 के मध्य ‘उदाहरण के लिए' कविता संग्रह पर चार उल्लेखनीय पुरस्कार विजय देवनारायण साही पुरस्कार, उ.प्र. हिन्दी संस्थान, रघुवीर सहाय पुरस्कार ;विष्णु खरे के साथद्ध दिल्ली, गिरिजा कुमार माथुर पुरस्कार, दिल्ली अश्क सम्मान, इलाहाबाद, शमशेर सम्मान, खंडवा, वागीश्वरी पुरस्कार म.प्र. हिन्दी साहित्य सम्मेलन।
पता : 132, श्रीकृष्ण नगर, विदिशा
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प्रसंगवश
अनुवाद की प्रक्रिया मेरे लेखन के समानांतर लगभग शुरुआत से चल रही है। इसमें वह अविच्छिन्न खुशी रहती आयी है कि यह काम अब तक कहीं देखा ही नहीं। और कि मेरा प्रयास इसका माध्यम बनने जा रहा है। आमतौर पर विगत दो तीन दशकों से मेरी कहानी, कविता और अनुदित रचनाओं के दो अभिन्न पाठक-श्रोता रहे हैं। एक कवि अखिल पगारे और दूसरे अनिल गोयल, लेकिन कथाकार हरि भटनागर (जो अब संपादक भी हैं) का साथ मिलना डूबकर काम करने वाले लोगों के लिए एक नियामत है। आप जो चाहते हैं वह हरि हर हाल में पूरा करते हैं और हरि जो चाहते हैं, हर हाल में आपसे करवा लेते हैं। यह जुगलबंदी दुर्लभ है।
अफ्रीकी मूल के जो कवि यहाँ उपस्थित हैं उनकी कविताओं में मनुष्य की आज़ादी और अमानवीय शोषण के ख़िलाफ़ एक सतत् कारगर कार्यवाही देखी जा सकती है। जीवन की वैविध्यपूर्ण झांकी और शब्द की सत्ता का तार्किक उद्घोष यहाँ मिलता है। अपने संघर्ष में मुब्तिला अफ्रीकी मनुष्य के जीवन का एकांत भी हम देखते हैं। सब कुछ सहज और पारदर्शी।
विश्व के शीर्षस्थ कवियों में पॉब्लो नेरुदा, गेब्रियॅला मिस्त्राल, नाज़िम हिक़मत और ब्रेख़्त के बारे में कुछ कहना अपनी बात का क़द छोटा करना होगा। अमरीकी कवि ऑडेन मुझे हमेशा पसंद रहे हैं और मेक्सिको के आक्तोविया पॉज़ हमारे अंतरंग हैं। एक अल्पज्ञान अमरीकी कवि शेल सिल्वरस्टिॅन की कविताएं एक दुर्लभ अनुभव हैं।
कविता की शक्ति अप्रतिम है। आला दर्जे़ की कविताएँ पढ़कर हम सिहर जाते हैं। वे एक आईना होती हैं जिसमें हमारे क़द की असलियत प्रतिबिंबित हुआ करती है। लेकिन उन कविताओं की मौजूदगी से कविता संसार निरंतर बदलता रहता है और नयी कविता लिखी जाती रहती है। सुदूर किसी अंचल में कवि अपना क़दम बढ़ाता है -अंतरंग और मार्मिक अभिव्यक्ति की दिशा में।
- नरेन्द्र जैन
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फिनुएला डॉलिंग
हरा घर
अपनी बच्ची
और तीन कुत्तों के संग
रहती हूं मैं एक हरे घर में
यहाँ आपको
मेरी बहन भी मिलेगी
बेशक भाई भी
और दादी अम्मा
कोई पति नहीं
और कोई बिल्ली भी नहीं
लोग-बाग
कभी-कभार दरियाफ़्त करते हैं
बिल्लियों के बारे में
मेजी महोला
गली में
वह गली में उतरा
अपने एक हाथ में
पंखों से ज़िंदा मुर्ग़ा लटकाये हुए
और दूसरे हाथ में
प्याज़ और आलुओं से भरा
एक झोला
बोंजेनी खुमालो
फलाँ फलाँ
फलाँ फलाँ, फलाँ फलाँ से
प्यार करता है और
फलाँ फलाँ, फलाँ फलाँ से
ठाने हुए है दुश्मनी
इसलिये फलाँ फलाँ, फलाँ फलाँ का
मुखौटा धारण करता है
अब हरेक फलाँ फलाँ
करता है विरोध फलाँ फलाँ का
फलाँ फलाँ दुखी है कि फलाँ फलाँ
क्षमाप्रार्थी नहीं है फलाँ फलाँ से
इसलिये फलाँ फलाँ, फलाँ फलाँ से मिलकर
रचता है षडयंत्र ताकि किया जा सके
बहिष्कृत फलाँ फलाँ को
लेकिन फलाँ फलाँ
इतना शालीन है कि कहता है
यह कभी नहीं होगा
क्योंकि फलाँ फलाँ
अंतरंग दोस्त है फलाँ फलाँ का
मेज़वांडिले माटीवाना
मैंने खो दी एक कविता
मेरी आत्मा चीत्कार करती है
और मैं तब तक ख़ुश नहीं होऊंगा
जब तक मैं उस कविता को न पा लूं
जो मैंने खो दी है
मैं
तुम्हें कैसे प्यार करता था वाली कविता
हमारे मिलन के पहले दिन
मैंने जिस तरह तुम्हें चूमा वाली कविता
क़लम
काग़ज़ के एक टुकड़े पर
स्याही से दागते हुए
अंतहीन शब्द
हम युद्धरत रहे
और हमने विजय पायी
अपने दो शत्रुओं पर
दूरी और
एकांतवास
एलन कोल्सकी हारविज़
सत्ता जनता के लिए
सारी सत्ता
जागरूक जनता के लिए
तानाशाह कांपे और भाग खड़े हों
सारी सत्ता
जागरूक जनता के लिए
डकैत आत्मसमर्पण करें
गिरोहबाज़ छिप जायें
कारावास के भय से
सारी सत्ता
जागरूक जनता के लिए
जनता काहिली से बचे
और रहे पारदर्शी
जनता रखे याद
अपने ज़ख़्मों की कहानियाँ
जनता के नेता करें सम्मान अपनी
जनता का
जनता पेश आये उनके प्रति खुलूस से
हवा
जो जाये सराबोर
सैकड़ों फूलों की ख़ुशबू से
जनता जागे
खू - न की बेचैनी भरी नींद से
सारी सत्ता
जागरूक जनता के लिए
सारी सत्ता
समूची सत्ता
सिर्फ़
सारी जनता के लिए
डेविड श्मेट
दोपहर की झपकी
यह सृष्टि में एक सुराख ढूंढने जैसा है
एक ऐसा द्वार
जिसे कोई जानता नहीं
तुम खोलते हो उसे और उसमें से
रेंगते हुए पहुंच जाते हो एक छोटे से
क़स्बे में
तुम पार करते हो नाई की दूकान,
दवाफ़रोश, बैंक और परचून की दूकान
शायद
कस्बे के छोर से
अन्न से लदी गाड़ियाँ आती हों इस तरफ़
यहाँ
सारे घर सफ़ेद हैं
लोग-बाग बैठे हैं अपने बरामदों में
गोया उन्हें उम्मीद हो तुम्हारे आने की
वे अपने हाथ हिलाते हैं और
कहते हैं कुछ शब्द
कोई कहता है तुमसे, आओ
और यहाँ कुछ वक़्त बिताओ
वे जानना चाहते हैं कि नींद में डूब जाने से
पहले तुम क्या किया करते थे
और अब जाग उठने के बाद तुम्हारी
क्या कार्ययोजना है?
वे लोग इन सब बातों से होते हैं अभिभूत
इस क़स्बे का मुख्य धर्म
नींद में ग़र्क़ रहना है
क़स्बे में हर ओर
नींद में डूबे संतों की छवियाँ हैं
यहाँ तक कि
रविवार को वे लोग
अपने अपने तकिये और कंबल लिए
चर्च में प्रविष्ट होते हैं
और नींद में ग़र्क़ अपने महान ईश्वर की
पूजा करते हैं
यह
एक ऐसा दुर्लभ क़स्बा है
कि इसे छोड़ने से होगी
तुम्हें कोफ़्त बेतरह
माईक अलफ्रेड
संक्षिप्त जीवनी
और एक संक्षिप्त इतिहास
थोड़े से बच्चों के पैदा होने का
और छोटे से कामधंधे का
और थोड़ी बहुत कविताओं का
और थोड़े से थोड़ा ज़्यादा प्यार का
और थोड़ी बहुत शराब का
और तेईस जोड़ी जूतों का
और बहुत सी बातचीत का
और बहुत से ख़्यालों का
और थोड़ी सी कार्यवाही का
और थोड़े से ...
और थोड़े से ...
और
और
फालूदी जॉर्ज
62, बिर्कबेक रोड
62, बिर्कबेक रोड
यही पता है हमारी छोटी सी
रिहाईश का
हमारा फर्नीचर हो सकता है पुराने ढर्रे का
लेकिन
पढ़ने के लिये हमारे पास ढेरों किताबें हैं
हमें किसी चीज़ की तलब नहीं
हम ख - ुश हैं कि हम ज़िंदा हैं
और सीख रहे हैं
होना, न कि कुछ पाना
यहूदी प्रज्ञा
एक बुिद्धमान पादरी का कथन है
ईश्वर कितना मेधावी था जो उसने
अपने लिये स्वर्ग चुना, नरक नहीं
क्योंकि
इस नरक में,
हाय मेरे खुदा,
उसकी खिड़कियों के शीशे
रोज़ रोज़ तोड़े जाते होंगे!
शेल सिल्वरस्टिन
गड्डमड्ड कमरा
ये जिसका भी कमरा है
उसे
इसके लिये शर्मिन्दा होना चाहिये
लैम्प पर टंगी है उसकी चड्डी
कुर्सी पर चीज़ों के लबादे के ऊपर पड़ी है
उसकी बरसाती
कुर्सी क्या है, कूड़े-करकट का एक ढेर!
उसकी नोटबुक उलझी है खिड़की में
और पड़ा है फर्श पर उसका स्वेटर
ग्लूबंद टीवी के नीचे
और लापरवाही से टंगी है दरवाज़े पर पतलून
किताबें दराज़ों में ठूंसी हुईं
और जाकिट फर्श के कोने में
एड नामक एक छिपकली
उसके बिस्तर पर सोयी है
और बदबूदार जुर्राबें ठुंसी हैं दीवार में
ये कमरा जिस किसी का भी हो
उसे होना ही चाहिये शर्मिन्दा
वह डोनाल्ड हो या रॉबर्ट
या विली या...
ऊंह
तुम कहते हो यह कमरा मेरा ही है?
ओह यार, मुझे लग ही रहा था
यह सब कितना जाना पहचाना है!
छोटा लड़का और बूढ़ा आदमी
कहा छोटे लड़के ने
‘कई बार मैं अपना चम्मच गिरा देता हूं'
बूढ़े आदमी ने कहा, ‘मैं भी कई बार यही करता हूं'
छोटा लड़का बुदबुदाया
‘मैं अपनी पतलून गीली कर देता हूं'
‘यह मैं भी कर बैठता हूं'
हँसते हुए बूढ़ा बोला
छोटे लड़के ने कहा
‘मैं अक्सर रोता हूं'
बूढ़े आदमी ने सिर हिलाया
‘मैं भी अक्सर रोया करता हूं'
‘लेकिन सबसे बुरा तो ये है',
छोटे लड़के ने कहा,
‘बड़े लोग मुझ पर कोई ध्यान ही नहीं देते'
और छोटे लड़के ने बूढ़े आदमी के
झुर्रियों से भरे हाथ की गर्माहट महसूस की
‘मैं जानता हूं, तुम्हारा क्या आशय है',
बूढ़े आदमी ने कहा
एक इंच ऊंचा
यदि तुम होते एक इंच ऊंचे
तुम किसी कीड़े पर सवार होकर
स्कूल जाते
विलाप करती चींटी के आंसुओं का सैलाब
तुम्हारा संतरणकुंड होता
केक का एक टुकड़ा
तुम्हारी दावत होता जो चलती पूरे सप्ताह भर
यदि तुम होते
एक इंच ऊंचे
एक मक्खी होती तुम्हारे लिये
भयावह पशु
यदि तुम होने
केवल एक इंच ऊंचे
तुम निकल जाते दरवाज़े के नीचे से
और नीचे बाज़ार में दूकान तक जाते जाते
लग जाता तुम्हें महीना
रोयें का एक टुकड़ा होता तुम्हारा बिस्तर
और मकड़ी के जाले के एक तार पर
तुम झूलते झूला
यदि तुम होते
एक इंच ऊंचे
करते धारण मस्तक पर एक छल्ला
तुम नहीं कर पाते अपनी माँ का आलिंगन
सिर्फ़
उसके अंगूठे का ही स्पर्श कर पाते तुम
लोगों की पदचाप सुन
तुम भयभीत होकर भाग उठते
और अपनी क़लम उठाने में
लग जातीं तुम्हें सारी रात
;इस कविता ने लिखे जाने के लिये
व्यतीत कर दिये मेरे चौदह साल
क्योंकि
मैं हूं
महज़
एक
इंच ऊंचा
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सादी यूसुफ़
अलहमरा में रात
एक मोमबत्ती लंबे रास्ते पर
एक मोमबत्ती सोते घरों में
एक मोमबत्ती खौफ़ज़दा दुकानों के लिए
एक मोमबत्ती नानबाइयों के लिए
एक मोमबत्ती ख़ाली दफ़्तर में कांपते पत्रकार के लिए
एक मोमबत्ती योद्धा के लिए
एक मोमबत्ती मरीज़ के पास खड़े चिकित्सक के लिए
एक मोमबत्ती घायल के लिए
एक मोमबत्ती बातचीत के लिए
एक मोमबत्ती सीढ़ियों के लिए
एक मोमबत्ती शरणार्थियों से अँटे होटल के लिए
एक मोमबत्ती गायक के लिए
एक मोमबत्ती सुरक्षित जगह से प्रसारण करने वाले के लिए
एक मोमबत्ती पानी के लिए
एक मोमबत्ती वीरान घर में दो प्रेमियों के लिए
एक मोमबत्ती शुरुआत के लिए
एक मोमबत्ती इन्तिहा के लिए
एक मोमबत्ती आिख़री फ़ैसले के लिए
एक मोमबत्ती चेतना के लिए
एक मोमबत्ती मेरे हाथ में
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बहुत सुन्दर अनुवाद
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंसभी कविताएँ अच्छी लगीं ख़ास कर' कलम.'
अनुवादक को बधाई.
....
रचनाकार साईट की रचनाओं को पढ़कर कभी नहीं लगा कि समय व्यर्थ गया.
हिंदी की अच्छी रचनाओं को आगे लाने और पढवाने हेतु यह बहुत ही सार्थक और सराहनीय प्रयास है.
बधाई.
बहुत ही शानदार प्रस्तुति रवि जी . नरेन्द्र जी को बधाई .
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