कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन -82- अमरीक सिंह कंडा की कहानी : झूठा सच

SHARE:

कहानी झूठा सच अमरीक सिंह कंडा द फ़्तर का मेन बोर्ड एक तरफ से टूट कर हवा में लटका हुआ है। यह कभी भी गिर सकता है। दफ़्‍तर में सिर्फ़ सहगल ...

कहानी

झूठा सच

अमरीक सिंह कंडा

फ़्तर का मेन बोर्ड एक तरफ से टूट कर हवा में लटका हुआ है। यह कभी भी गिर सकता है। दफ़्‍तर में सिर्फ़ सहगल जी और रिसैप्‍शन पर बैठी लड़की रोज़ी है जो उनकी मुलाज़िम है। उनके बिना वहाँ और कोई नहीं है। कभी ऐसा समय भी था कि यहाँ लोगों का मेला लगा होता था। क्‍या अचानक वक्‍त लंगड़ा बन कर खड़ा हो गया है? इस तरह लग रहा है, जैसे सभी जीव जन्‍तु बड़ी बेपरवाही से धीरे धीरे और लापरवाही से चले जा रहे हैं। ए.सी. वाले इस ठण्‍डे कमरे में भी सहगल साहब को पसीना आ रहा है।

अगर....नहीं.....नहीं।

इन दस सालों में ‘‘सहगल ट्रैवल्‍ज़ ऐंड मेरिज़ ब्यूरो'' पर इस तरह का आर्थिक संकट नहीं आया। झूठ बोलकर, धोखा दे कर और किसी न किसी तरह बड़ी से बड़ी रकम इक‍ट्ठी करने की होशियारी सहगल जी में थी।

 

---

रु. 15,000 के 'रचनाकार कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन' में आप भी भाग ले सकते हैं. अपनी अप्रकाशित कहानी भेज सकते हैं अथवा पुरस्कार व प्रायोजन स्वरूप आप अपनी किताबें पुरस्कृतों को भेंट दे सकते हैं. कहानी भेजने की अंतिम तिथि 30 सितम्बर 2012 है.

अधिक व अद्यतन जानकारी के लिए यह कड़ी देखें - http://www.rachanakar.org/2012/07/blog-post_07.html

image

----

 

‘‘पर आज मेरी होशियारी को क्‍या हुआ.....? एक करोड़ कोई मामूली रकम नहीं होती। साला मेरे साथ करोड़ों की ठग्‍गी मार गया। मैं लोगों की टोपी घुमाता हूँ, वह मेरी घुमा गया।'' सहगल जी बड़़बड़ा रहे थे।

मन में ज़रा भी चैन नहीं था। सहगल साहब बीती बातों पर पछता रहे थे। झूठे इश्‍तिहार छपवाना, झूठे लड़के लड़कियाँ दिखाना, लोगों से ऐंट्री फीसें लेना, पर जिन दस लड़कों से करोड़ों रूपये इकट्ठे किए थे, उनका क्‍या बनेगा? अभी थोड़ी देर में फ़ोन में या मेरे सामने आ कर लोग मुझे बोलेंगे। कुछ गालियाँ निकालेंगे और कुछ और भी बुरा करेंगे।

मैं उनसे बचने के लिए कौन कौन सी कहानियाँ गढ़ूँगा? कौन से बहाने लगा कर उनको विदा करूँगा? ऐसे विचार सोचते सोचते सहगल ट्रेवल्‍ज़ के मालिक सहगल जी इधर उधर अपने केबिन में घूम रहे थे। माथे पर चिन्‍ता की लकीरें पड़ गईं थीं। सब कुछ बिक जाएगा। नींद और बेचैनी से आँखें कुम्‍लहा गईं थीं। पिछले दस सालों से सहगल जी ने अगर कोई काम किया है तो केवल ऐशपरस्‍ती, लाटरी डालना और अफ़ीम खाना जो अब पिछले दस सालों से उनके लिए नशा बन गया था। फर्निश्ड दफ्‍तर में इत्र गुलाबों की खुशबू और हर दो या तीन महीने के बाद नयी से नयी लड़की रखना। बहुत लड़कियाँ आईं और चली गईं। अब केवल पहले केबिन में रिसेप्‍शन और फोन सुनने के लिए एक ही लड़की है। उसका काम केवल झूठ बोलना है। सहगल मौका परस्‍त आदमी हैं। समय देख कर बात करने की और काम निकालने का ढंग वह खूब जानते हैं, इनको इनकी इन बातों ने बड़ा बना दिया है। इनके पास अपना निजी पैसा कभी भी, किसी तरह भी नहीं हुआ था। दूसरों के पैसों पर ही सारा काम निर्भर था। दफ़्‍तर कार में ही आना और कार में ही जाना, बड़े बड़े अफ़सरों या साधुओं का दफ़्‍तर में आना। इस लिए आस पास रहते लोगों में इनका अमीर होना दर्शाता था। किसी तरह इधर उधर से पैसे इकट्ठे करके सहगल जी ने एक बढ़िया कालोनी में प्‍लाट ले कर एक कोठी बनवा ली थी। लोगों ने चाहे पैसे कर्ज़ा ले कर बाहर जाने के लिए दिए हों, पर इधर कर्ज़ की किस को परवाह थी।

सहगल जी का कहना था कि ‘‘आदमी को काम करते रहना चाहिए। नतीजा चाहे कुछ भी हो।'' इस बात को उन्‍होंने बड़ी दृढ़ता से अपना लिया है। इन दस सालों में लड़के लड़कियों को बाहर भेजना, पेपर मेरिज़ करवाने के इश्‍तिहार, ये सब उन में झूठ बोलने के गुण हैं। उन पर माँ लक्ष्‍मी की कृपा थी। उनके अच्‍छे भाग्‍य सहायक थे। उस समय तो लोगों ने झूठी और छल कपट भरी बातों को सच माना और वो इतनी सफलता हासिल कर सके, पर अब लक्ष्‍मी की कृपा दृष्‍टि हट गई है और सौभाग्‍य का साथ छूट गया है। अब लोगों को इनकी सच्‍ची बातें भी झूठी लगने लगीं है और उन्‍होंने इनका साथ छोड़ दिया है। पासपोर्ट की फोटोस्‍टेटों को आग लगा दी गयी है। यहाँ कोई सात सौ के करीब पासपोर्ट की फोटोस्‍टेटें होंगीं। इन सबसे दो दो हज़ार ले कर इन को अरब कंट्री में भेजने का बचन दिया गया था। यह स्‍कीम पिछले तीन महीनों से सहगल जी के दिमाग में थी। सहगल जी अब शरीरक पक्ष से भी थक चुके हैं। वो अपनी घूमने वाली कुर्सी पर बैठ जाते हैं। उनके दोनों हाथ अपने आप गालों को छूने लगते हैं। वो गहरी सांसें भरते हैं। उनके बिल्‍कुल सामने लक्ष्‍मी माता की बहुत बड़ी तस्‍वीर लगी हुई है। शर्मा जी दफ़्‍तर आ कर कभी कभी इनकी पूजा करते हैं। अचानक तस्‍वीर में बैठी लक्ष्‍मी जी खड़ी हो जाती हैं। वे ज़ोर ज़ोर से हंसतीं हैं। पैरों से फूलों को मसल देती हैं कुचल देती हैं। फोन की घंटी बजती है। स्क्रीन पर नम्‍बर देखते हैं। वर्कशाप से फ़ोन है। दो दिन कार सर्विस को हो गए हैं। उनका कहना है कि बिल दे कर कार ले जाएँ। यह पाँचवीं बार फ़ोन आया है।

‘‘गाड़ी खड़ी रहने दो, मेरे पास समय नहीं है, मैं मसूरी जा रहा हूँ, गाड़ी सेफ से खड़ी कर दो।''

यह एक और झूठ है। वर्कशाप वालों से पीछा छुड़वाया है। फ़ोन की घंटी बजती है। सहगल जी फ़ोन नहीं उठाते। वे सामने हंस रही लक्ष्‍मी को देख रहे हैं।

‘‘झूठ मेरे जैसे आदमियों के लिए वरदान है, इतने सालों तक मैं झूठ की पूजा से ही खाता रहा हूँ।''

सहगल अपने आप को कोसते हैं। अचानक फ़ोन की स्क्रीन पर नम्‍बर देखते हैं। यह तो घर का नम्‍बर है। अचानक एक और डर अन्‍दर घर कर जाता है। जल्‍दी जल्‍दी घर फ़ोन मिलाते हैं।

‘‘हैलो शान्‍ति..........मैं बोल रहा हूँ।''

‘‘आप फ़ोन नहीं उठा रहे मैंने दो तीन बार रिंग की थी।''

‘‘मैं बिज़ी था हमारी मीटिंग चल रही थी।'' यह एक और झूठ था।

‘‘दो बज गए हैं आपने खाना खा लिया?''

‘‘हाँ हाँ खा लिया, ओके।'' सहगल साहब फ़ोन रखने लगे थे।

‘‘बात सुनो बंटी को बहुत बुखार है.......और कैनेडा से ममता का फ़ोन आया था। वह बहुत ही दुःखी है, कह रही थी मम्‍मी मैं आत्‍महत्‍या कर लूँगी।''

‘‘तुम चिन्‍ता मत करो, तुम जा कर डाक्‍टर सिंगले से बंटी की दवाई ले आओ।''

‘‘चिन्‍ता कैसे न करूँ, अगर लड़की को कुछ हो गया तो मैं ज़हर खाकर मर जाऊंगी। आपको बीस बार कहा है कि ये टेन्‍शन वाला काम छोड़ दो, न आप अपनी सेहत का ध्‍यान रखते हैं और न बच्‍चों का, बंटी की हालत बहुत ही खराब है।''

‘‘तुम चिन्‍ता मत करो मैं यह काम छोड़ने ही वाला हूँ।''

यह एक और झूठ था।

‘‘ओह! दो बज गए, पता ही नहीं चला।'' क्‍लाक पर नज़र डाली तो दो ही बजे थे। खाने का टिफन उ.टी.जी. में पड़ा है, पर भूख नहीं है। भूख मर गई है। यह घटिया काम छोड़ दूँगा कुछ भी हो जाए अब यह काम नहीं करूँगा। ..........को फ़ोन करूँ। बताऊं कि मेरी बेटी को परेशान कर रहे हैं। यह सब मेरे कारण ही हुआ है। मैंने पता नहीं कितने लड़कों और कितनी लड़कियों से ठगी मारी है। कितनों की ज़िन्‍दगी बर्बाद की है। पर अब यह काम ही छोड़ दूँगा। इन्‍टरकाम की घंटी बजती है। सहगल साहब जी खुद को कोस कर पसीना पोंछ कर फ़ोन उठाते हैं।

‘‘सर, जबरजंग सिंह का फ़ोन है, होल्‍ड किया हुआ है।''

इसको क्‍या जवाब दूँ। मैं समझ नहीं पा रहा। इसको जो चेक दिया था उसे बैंक वालों ने डिसआनर कर दिया होगा और रेफ्‍र टू उ्रायर कह कर मोड़ दिया होगा। अब क्‍या कह कर पीछा छुड़ाऊं ?

‘‘हाँ जी सर......?''

‘‘अजी सहगल साहब आप अपना नाम बदल कर बेशर्म साहब रख लो, साले एक तो बहुत दिनों के बाद पैसे वापिस करने का नाम लिया और खाते में पाँच पैसे तक नहीं हैं।''

‘‘साहब मेरी बात तो सुनें, मैंने लड़के को कहा था कि पेमेंट जमा करा आए पर उस साले ने दूसरी बैंक में जमा करा दिया। आज शनिवार है, कल को संडे, आप मंडे को कटवा कर पैसे निकलवा लें।''

‘‘अगर मंडे को पैसे न मिले तो देख लेना, साले तुम्‍हारे गोली आर पार कर दूँगा।''

सहगल जी ने रूमाल से पसीना पोंछा। झूठ का भार बढ़ता जा रहा था। सहगल जी अन्‍दर से काँप रहे थे। वे रिसीवर को उठा कर नीचे रख देते हैं। लोग मुझे नहीं छोड़ेंगे। मैं कहीं भाग जाता हूँ। पर कहाँ जाऊं ? मुझे लगता है मेरा अन्‍त आ गया है। दिल बैठता जा रहा है। अपनी उँगलियाँ बालों में घुमाते हैं। बाल और भी खराब हो जाते हैं। ऐनक उतार कर मेज़ पर रख देते हैं। सामने रखी सूई पिनों में से एक सूई पिन उठा कर मेज़ खुर्चते हैं। फिर पेपर वेट घुमाते हैं। ठण्‍ड में भी पसीना लगातार आ रहा है। फ़ोन का रसीवर उठा कर फ़ोन पर रख देते हैं। तभी घंटी बजती है। स्क्रीन पर नम्‍बर देखते हैं। बाहर से फ़ोन है। कांपते हाथों से शर्मा जी फोन उठाते हैं।

‘‘हैलो.......कौन........?''

‘‘सहगल मैरिज़ ब्यूरो?''

‘‘जी हाँ बोलिए।''

‘‘जी हमारी लड़की के लिए कोई बाहरी लड़का चाहिए, आपके पास है कोई पेपर वाला लड़का?''

‘‘बहुत जी बहुत, आप फ़ोटो और बायोडाटा दे जाएँ, बाकी सब बाद में देख लेते हैं।''

यह भी एक और झूठ था। रिसीवर रख कर वे फिर से कमरे में घूमने लगते हैं। खुद पर गुस्‍सा आ रहा है।  मुझे बेशर्म कह दिया। वह तो बेचारा सच्‍चा है। सिर में दर्द होने लगा है। लगता है सुबह से शाम तक जितने भी झूठ बोले हैं वे सारे के सारे सिर में आ गए हैं। सिर में दर्द बढ़ रहा है। सुबह दिल्‍ली से फोन आया था। यह असामी जो आ रही है, सहगल जी के दोस्‍त ने भेजी है। दिल्‍ली ट्रैवल्‍ज़ वालों ने, जिन्‍हें वे सम्‍भाल नहीं पाते वे उन्‍हें सहगल साहब के पास भेज देते हैं। नहीं नहीं सहगल साहब एक दम अन्‍दर से कांपने लगते हैं। मैंने बहुत सी ठगी किए हैं, बहुत से झूठ बोले हैं, पर अब मैं यह सब छोड़ कर आराम की ज़िन्‍दगी व्‍यतीत करूँगा। मैं इस नर्क से निकल जाउँगा। पिछले दिनों ही पचास लाख का बीमा करवाया है, अगर मुझे कुछ हो भी गया तो बच्‍चे और घरवाली तो आराम से ज़िन्‍दगी काट लेंगे। सिर चकराने लगता है।

सहगल जी ने एलप्रैक्‍स की चार गोलियाँ पानी के साथ घोट लीं। सहगल जी का मन कर रहा है कि वह अपने किसी खास दोस्‍त को जा कर अपनी सारी ज़िन्‍दगी की सच्‍चाई बताएँ, पर इस तरह का कोई दोस्‍त नहीं है। इतने “समय में वह कभी भी इस तरह नहीं तड़पे थे। अक्‍सर हालत का सामना बड़े तगड़े दिल से किया था। खु़द के पास कोई पैसा न होते हुए भी बातों से लोगों को बस में करके लाखों रूपये ऐंठते रहे हैं, पर वो आज पहली बार घबराए हैं। पहली बार वो डर, बेचैनी और घबराहट महसूस कर रहे हैं। इंटरकाम की घंटी बजती है। सहगल जी फ़ोन उठाते हैं।

‘‘सर कार से कोई सरदार जी आए हैं। आपको मिलना चाहते हैं। उनके साथ दो औरतें भी हैं।'' ‘‘ओके  भेज दो।''

‘‘सति श्री अकाल जी।''

‘‘सति श्री अकाल सरदार जी।''

‘‘आपके दिल्‍ली वाले दोस्‍त ने हमें आपके पास भेजा है, हमने ही थोड़ी देर पहले फ़ोन किया था।''

‘‘हाँ जी सरदार जी, पहले आप बताएँ क्‍या पीएँगे, कोल्‍ड या काफी?''

सहगल जी ने इंटरकाम पर कोल्‍ड ड्रिंक्‍स कह दिए। कोल्‍ड ड्रिंक्‍स के साथ फ्राई किए काजू रोज़ी ने बिना कहे प्लेट में सजा कर उनके आगे रख दिए। ये सहगल साहब के गिने चुने स्‍टाइल हैं। आदमी देखकर चाय, काफी, कोल्‍ड ड्रिंक्‍स मंगवाते हैं।

‘‘सरदार जी आप क्‍या काम करते हैं?''

‘‘हमारी साईकिल की फैक्‍टरी है जी, लुधियाने में हमारी कोठी है, दिल्‍ली के शर्मा जी के साथ हमारे बड़े अच्‍छे लिंक हैं।''

‘‘आप बेबी को कौन देश में भेजना चाहते हैं?'' सहगल साहब असलियत पर आना चाहते थे।

‘‘अमरीका में।''

‘‘अमरीका ही क्‍यों?''

‘‘बस जी लड़की की ज़िद्द है, इसकी सभी फ्रैंड्ज़ शादी करके अमरीका चलीं गईं हैं।''

‘‘आप कितना पैसा खर्च करना चाहेंगे शादी पर?''

‘‘यह पार्टी देख कर बता देते हैं।''

‘‘नहीं फिर भी......?''

‘‘बीस लाख रूपये तक तो लगा ही देंगे।''

‘‘सरदार जी हमारे पास तो एक से बढ़ कर एक लड़के हैं। समझो के आपका काम हो गया।''

वो लड़की की फ़ोटो और बायोडाटा लिखा कर फ़ीस दे कर वापिस चले गए। सामने लगी लक्ष्‍मी जी की तस्‍वीर हंस रही है। तस्‍वीर वही है। सहगल  भी वही हैं।

1764 गुरू राम दास नगर, नज़दीक नैस्‍ले, मोगा,142001

Email:- askandamoga@gmail.com, askandamoga@yahoo.com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन -82- अमरीक सिंह कंडा की कहानी : झूठा सच
कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन -82- अमरीक सिंह कंडा की कहानी : झूठा सच
http://lh5.ggpht.com/-vd-HUPHX2bg/T26m4E8OXHI/AAAAAAAALZY/8CpU1jBGf78/image%25255B3%25255D.png?imgmax=800
http://lh5.ggpht.com/-vd-HUPHX2bg/T26m4E8OXHI/AAAAAAAALZY/8CpU1jBGf78/s72-c/image%25255B3%25255D.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2012/09/82.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2012/09/82.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content