कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन -91- देवी नागरानी की कहानी : ऐसा भी होता है

SHARE:

कहानी ऐसा भी होता है देवी नागरानी कहाँ गई होगी वह? यूं तो पहले कभी न हुआ कि वह निर्धारित समय पर न लौटी हो। अगर कभी कोई कारण बन भी जाता त...

कहानी

ऐसा भी होता है

देवी नागरानी

clip_image002

कहाँ गई होगी वह? यूं तो पहले कभी न हुआ कि वह निर्धारित समय पर न लौटी हो। अगर कभी कोई कारण बन भी जाता तो वह फोन ज़रूर कर देती। मेरी चिंता की उसे चिंता है, बहुत है, लेकिन आज मैं उसकी चिंता की बेचैनी मुझे यूं घेरे हुए है, कि मेरे पाँव न घर के भीतर टिक पा रहे हैं और न घर बाहर के बाहर क़दम रख पाने में सफल हो रहे हैं। कहाँ जाऊँ, किससे पूछूँ ? जब कुछ न सूझा तो फोन किया, पूछने के पहले प्रयास में असफलता मिली क्योंकि उस तरफ़ कोई फोन ही नहीं उठा रहा था, निरंतर घंटियाँ बजती रहीं, ऐसे जैसे घर में बहरों का निवास हो। जी हाँ, मेरी समधन के घर की बात कर रही हूँ।

अब तो कई घंटे हो गए हैं, रात आठ बजे तक लौट आती है, अब दस बज रहे हैं। बस उस मौन-सी घड़ी की ओर देखती हूँ, तकती हूँ, घूरती हूँ, पर उसे भी क्या पता कि जीवन अहसासों का नाम है, उसे क्या पता कि अहसास क्या होता है? छटपटाहट क्या होती है? इंतज़ार क्या होता है?

और अचानक दिल कि धड़कन तेज़ हो गई। फ़ोन ही बज रहा था। हड़बड़ाहट में उठाने की कोशिश में बंद करने का बटन दब गया और बिचारा फोन अपनी समूची आवाज़ समेटकर चुप हो गया। मैंने अपना माथा पीट लिया। आवाज़ तो सुन लेती, पूछ तो लेती कहाँ हो, क्यों अभी तक नहीं लौट पाई हो?

मैंने अपनी सोच को ब्रेक दी, लंबी सांस ली, पानी का एक गिलास पी लिया और फिर एक और पी लिया। शांत होने के प्रयासों में पलंग पर बैठ गई, और फ़ोन को टटोलकर देखा, कोई अनजान नंबर था, उसका नहीं जिसका इंतज़ार था।

बिना सोचे समझे मैंने वही नंबर दबा दिया। घंटी बजी, बजती रही और फिर बंद हो गई। अब मेरा डर मुझे सहम जाने में सहकार दे रहा था, मेरे हाथ-पाँव ठंडे हो रहे थे, एक सिहरन अंदर बिजली की तरह फैली। मैंने फ़ोन फिर दबाया, घंटी बजी, किसी ने उठाया और फिर रख दिया। अब मेरी परेशानी और बढ़ गई। रात का वक़्त, बेसब्री से उसका इंतज़ार और बातचीत का सिलसिला बंद, जैसे हर तरफ करफ़्यू लगा हुआ हो!

आख़िर फ़ोन की घंटी बजी, एक दो तीन बार...! मैंने सँभालकर उसे उठाया, कान के पास लाई ही थी कि कर्कश आवाज़ कानों से टकराई- ‘परेशान मत करो, आज वह घर लौटने वाली नहीं। अभी एक घंटे में उसकी शादी हो रही है, डिस्टर्ब मत करना।“ बेरहमी से कहते हुए फ़ोन काट दिया और मैं बेहोशी की हालत में बड़बड़ाई, कंपकंपाई और वहीं पलंग पर औंधे मुंह गिर पड़ी।

कौन है ये? किसकी आवाज़ है ये? क्या चाहता है वह, क्यों गुमराह कर रहा है, मुझे, मेरी सोच को, और उसके साथ उसको भी, जो मेरी साँसों की धड़कन है? वही तो मेरे जिगर का टुकड़ा है, उसके बिना मेरा जीवन सूना है, अधूरा, अपूर्ण! वह मेरे ज़िंदा होने का सबब है, और उसी सबब के साथ बेसबब यह क्या कुछ हो रहा है, जिसकी कल्पना मात्र से मेरे बदन में डर, ज़हर बन कर फैलता जा रहा है। ऐसा तो होना ही है, ज़रूर होगा, वह मेरा ख़ून है, मेरे वंश की आख़िरी निशानी, जिसे मैंने सीने से लगाकर पाला, बड़ा किया और उसे छत्रछाया देते-देते मैं ख़ुद एक हरा शजर बन गई। पुराने सड़े गले सब पत्ते झड़ गए, जहां प्रकृति के हर झोंके से बचाकर अपने आँचल की छाँव दी, वहीं उर्मिला के रूप में एक नया कोंपल उग आया। बारह महीने से बाईस साल तक का अरसा कोई कम लंबा तो नहीं होता!

अचानक दरबान ख़बर लाया था, बुरी! हाँ, बहुत बुरी ख़बर मेरे अभय और सविता के अंत की, और उनकी आख़री निशानी ‘उर्मिला’ को लाकर गोदी में डाल दिया। ग्यारह महीने की ही तो थी वह रेशम की गुड़िया, जिसके मुलायम छुहाव से मन में ठंडक फैल जाती, जिसके गाल अपने गाल से सहलाने से ख़ून में संचार बढ़ता, एक ताज़गी नसों में बहने लगती, जीवन-जीवन सा लगता, उसकी किलकारी साँसों को महका देती।

मेरी रातें दिनों में बदल गईं। क्या सोना, क्या खाना, क्या हंसना, क्या रोना सब उसके साथ ही होता रहा। हाँ, उर्मि के साथ, वह धूप मैं साया ! वह उठे तो मैं उठूँ, वह जागे तो मैं जागूँ, वह सोये तो मैं सोऊँ... एक चित, एक मन से समर्पित हो गयी मासूम जान पर, और वह मेरे जीने का सबब बन गई।

वह मनहूस, हाँ मनहूस दिन ही तो था दिवाली का, जो कुछ घंटे पहले घर से निकले, उर्मि को गोद में थामे। पाँव छूते हुए अभय और सविता ने कहा था- “माँ दो घंटे में लौट आते हैं, आते ही दिवाली की पूजा साथ करेंगे। मिठाई लेकर कुछ दोस्तों से मिल आते हैं।“

और जाने वाले न लौटने के लिए चले गए। लौट आई मेरे दिल की धड़कन उर्मि के रूप में, शायद इसलिए मैं ज़िंदा हूँ।

घंटी फिर बजी, अतीत से वर्तमान में आते ही मेरी बेबसी मेरे साथ छटपटाने लगी। अब क्या करूँ ? फ़ोन उठाऊँ, न उठाऊँ? न उठाऊँ तो कैसे पता चलेगा कि मेरी बालिग बच्ची कहाँ है और कैसी है? फ़ोन उठाते ही रख दिया जैसे हज़ार बिच्छुओं का डंक एक साथ लगा हो- ‘मैं थोड़ी देर में उसके साथ आपसे आशीर्वाद लेने आ रहा हूँ।“ बस इतना सुन पायी...!!

कौन है ये, किसकी आवाज़ है जिसमें गैरत के साथ-साथ अपनाइयत भी है। पर वह कहाँ है जिसकी आवाज़ सुनने को मेरे कान तरस रहे हैं? जिसे देखने के लिए मेरी आँखें बेचैनियों की सहरा में भटक रही है।

अचानक फ़ोन की घंटी फिर बजी, उठाते ही सभ्यता के दाइरे से बाहर आकर उबल पड़ी—“तुम कौन हो और क्यों बार-बार परेशान कर रहे हो? मेरी बात मेरी पोती से करा दो।“

“अभी तो वह गृह-प्रवेश करके अपने सास-ससुर का आशीर्वाद ले रही है। मैं अभी आपके पास उसके साथ आ रहा हूँ, फिर आप जितनी चाहें उससे बातें कर कर लेना।“

“पर तुम हो कौन ?”

“आपका जमाई, आपकी पोती का पति।”

‘पति ...!’ मैं विस्मित, अति आश्चर्य जनक रूप से ठगी हुई। रिसीवर मेरे हाथों से छूटते-छूटते बचा, पर लाइन कट गई।

उसी समय दरवाज़े पर दस्तक ने मुझे दहला दिया। डरी-सी सहमे-सहमे काँपते हाथों से कुंडी खोली। सामने सजी-धजी, मांग में सिंदूर सजाये, लाल साड़ी में उर्मि खड़ी थी और दुल्हा अपना चहरा सर पर सजे मुकुट की लड़ियों में छुपाने में कामयाब रहा।

मैं सकते में थी, मन ज़ोरों से मंथन का कार्य करता रहा, अब डर के साथ गुस्सा भी मन में घुस आया था। उर्मी बालिग हुई है तो क्या हुआ, मुझे बताए बिना किसी ऐरे-गैरे के साथ व्याह कर लिया और अब आकार सामने खड़ी हो गई है।

मुझे अभी तक यह सब कांड ही लग रहा था, भयंकर कांड, उर्मि भी पथराई सी खड़ी थी मेरे सामने। उसकी मुस्कराहट, जो उसका श्रिंगार है, जाने कहाँ गायब हुई थी। कहना तो नहीं चाहती, सोचना भी नहीं चाहती की ऐसे क्यों लग रहा है जैसे कोई अनचाहा षडयंत्र हुआ है, जिसमें उर्मि जकड़ी हुई है, इसलिए तो मुस्कराहट पर भी करफ़्यू लगा हुआ है। जितना मैं सुलझे हुए विचारों से हर पहलू पर रोशनी डालती, उतनी ही उलझनों में मैं धँसती जाती। कभी भावहीन मूर्ति उर्मि की ओर देखूँ जो अपने पति के साथ ऐसे खड़ी है जैसे मैं उनका स्वागत करने की तैयारी में खड़ी हूँ।

न शोर, न गुल, न बैंड, न बाजा, बस फूल, फूलों की माला, लाल दमकती साड़ी, और लड़के की वेषभूषा से प्रतीत होता कि दोनों नवविवाहित दंपति हैं। बस, और कुछ नहीं था, न शहनाई, न मंडप, न फेरे (जो मैंने नहीं देखे) न मेहमानों की हलचल, न खाना, न पीना, ऐसा कुछ भी नहीं जिससे लगे कि यह शादी हुई है। और मैं उसकी दादी अपरिचित सी खड़ी देख रही हूँ, उन्हें घर कि दहलीज़ के उस पार और मैं सोचों में डूबी इस पार।

‘सदा सुहागन का आशीर्वाद दीजिये दादी’ अचानक सोच के सभी बंधन टूटे। मैंने उर्मि की ओर देखा जो मिली-जुली भावनाओं से मेरी ओर देखे जा रही थी। मैंने सब नज़र अंदाज़ करते हुए बिना मुस्कराये, लगभग गरजती आवाज़ में उस अनजान दूल्हे की ओर मुख़ातिब होते हुए कहा- ‘क्या अपना चेहरा दिखाने के लिए तुम्हें मुंह दिखाई देनी पड़ेगी?’

‘मेरा हक़ तो बनता है...!’ वह फुसफुसाया।

निशब्दता अब भी माहौल पर हावी रही। अब दूल्हे के शरीर में हरकत हुई, वह धीरे-धीरे झुका, पूरी तरह झुका जैसे उसके हाथ पाँवों को स्पर्श कर पाए।

जाने क्या था उस स्पर्श में कि मेरे हाथ ख़ुद-ब-ख़ुद उसके माथे पर चले गए और मुंह से निकला ‘सदा खुश रहो’ और मैं मुग्ध भाव से उस फूलों वाले नक़ाब के पीछे से अपनी उर्मि का दुल्हा देखने की ललक को रोक न पायी। जैसे ही वह पाँव छूकर सर ऊपर उठाने को हुआ, मैंने उसके मुकुट से लटकती फूलों और मोतियों की लड़ियों को हटाया तो एक सलोनी मुस्कराहट से सामना हुआ। सुंदर नयन नक़्श, चमकती आँखें, लुभावनी मुस्कान लिए दोनों हाथ जोड़े खड़ा था सुजान।

मैंने होश में आते हुए दोनों को गले लगाया, आरती, टीका करके उन्हें घर में प्रवेश कराया। अब मन में डर का, सिहरन का कोहरा छंट गया। अपनाइयत की रोशनी में गैरत का अंधेरा गुम हो गया। मन के सारे भ्रम रफ़ूचक्कर हो गए और अब सामना था मनमोहन मुस्कान के मालिक सुजान के साथ, मेरी बहू सविता का छोटा भाई, मेरी उर्मि का पति।

मैं रसोईघर की ओर भागी, जहां से मुंह मीठा कराने के लिए और कुछ न पाकर शक्कर का डिब्बा ले आई। बारी-बारी दोनों को चुटकी भर खिलाई और पानी पिलाया। घर में सादगी से शुभ प्रवेश तो हुआ पर मन में एक अनसुलझी गुत्थी मुझे बेक़रार कर रही थी।

‘दादी आप बैठें, ज़ियादा परेशान न होइए।‘

लेकिन मैंने उनकी एक न सुनी, फ़ोन उठाया और लगाया उर्मि की नानी को.....

’बधाई हो दादीजी’ उधर से पहल हुई।

‘आपको भी नानी जी, पर यूं लुकाछुपी में ये सब......?’

‘क्यों और कैसे, आप सब जानने को आतुर हैं, हमें इसका एहसास है। आपको तो पता ही होगा, जब नातिन अपने मामा से शादी करती है तो चोरी छुपे सिर्फ़ लड़के के परिवार में ही की जाती है, अगर सविता होती तो वह भी शामिल नहीं होती। हम अभी आपके पास आ ही रहे हैं, पाँच सात मिनिट में पहुँच रहे हैं ‘ और फ़ोन कट गया।

उर्मि के नाना-नानी आ रहे हैं, यानि मेरे संबंधी। संबंधी तो वे थे ही, अब रिश्ता और मुकम्मिल हुआ है और मेरी हर चिंता का समाधान सहजता से सजता गया....। उसी वक़्त दरवाजे पर फिर दस्तक हुई। रसोई से बाहर निकलते ही देखा उर्मि ने दरवाज़ा खोलने की पहल की थी और अब अपनी नानी, सुजान की माँ को सास का दर्जा देते हुए पाँव छू रही थी। फ़जाँ में खुशियाँ घुल-मिल गईं। बधाइयाँ अदला-बदली हुई, मुंह मीठा किया और मिलकर चाय-नाश्ते के साथ बातें होतीं रहीं। कुछ कही जा रही थी, कुछ सुनी जा रही थी, पर सब की सब सुखद और खुशनुमां थीं।

बातों के बीच कई अनजानी बातों से पर्दा उठा कि उस रात उर्मि और सुजान ने सम्पूर्ण धार्मिक रीति-रस्मों से मंदिर में अपने माता-पिता के सामने शादी की, और वे दादी को सर्प्राइज़ देना चाहते थे। हक़ीक़त में दादी को यह पता तो था कि आंध्राप्रदेश में कुछ खास परिवारों में यह प्रथा थी कि बहन की लड़की का व्याह रहस्यमय ढंग से मामा के साथ करवा दिया जाता, और तद्पश्चात मां और बेटी समधन बन जातीं। भाई, बहन का जमाई बन जाता है और लड़की की नानी उसकी सास बन जाती है। दादी आज सविता की जगह खड़ी सभी रिश्ते स्वीकार करके बहू की याद में रो रही थी, पर इसमें एक खुशी भी पोशीदा थी, कि उसे उर्मि के लिए उसका मामा, पति के रूप में एक वरदान स्वरूप मिला, एक रक्षक, एक कवच बनकर!!

पर फ़ोन पर वे शब्द ‘परेशान मत करो, एक घंटे में उसकी शादी हो रही है॥‘ अब एक सुखद यादगार बन गई।

‘दादी हम सभी ने तय किया कि यह शादी रहस्यमय ढंग से सम्पूर्ण करके हम आपके पास आशीर्वाद लेने आएँ। हमें पता है कि आप उर्मि को खुद से जुदा करके हमारे घर की बहू बनाने के लिए राज़ी नहीं होंगी।‘ कहते हुए उर्मि की नानी ने उठकर दादी को गले लगाया और उनके आँसू ही पोंछे। सभी का दर्द सांझा था, सभी की खुशियाँ सांझी थीं।

आँखों में एक मंज़र तैर आया, बारह महीने की नन्ही उर्मि और बाईस साल की नौजवान उर्मि अपनी ही नानी की बहू बनी, अपनी मां की इच्छा पूरी की और अब भावभीनी-सी दादी के चरणों की ओर झुकी तो दादी ने उसे उठाकर अपने सीने से लगा लिया।

कल रात और आज सुबह तक के बीच का वह सिहरता समय अब खुशियों की फुहार में बदल गया। आज दादी ने महसूस किया कि दो पीढ़ियों को पाटने वाला प्यार ऐसा भी होता है।

---

नाम: देवी नागरानी

जन्मः ११ मई 1941

जन्म स्थान: कराची ( तब भारत )

शिक्षाः स्नातक, NJ में हासिल गणित की डिप्लोमा,

मातृभाषाः सिंधी, सम्प्रतिः शिक्षिका, न्यू जर्सी.यू.एस.ए.(Now retired) .

प्रकाशित कृतियां : 1. "ग़म में भीगी ख़ुशी" , 2. "आस की शम्अ" सिंधी गज़ल-संग्रह, 3. "उडुर-पखिअरा" सिंधी-भजन, 4. "सिंध जी आँऊ ञाई आह्याँ" सिंधी-काव्य, "चराग़े -दिल" , 6. “ दिल से दिल तक", 7. "लौ दर्दे -दिल की" हिंदी ग़ज़ल-संग्रह, 8. "द जर्नी " अंग्रेजी काव्य-संग्रह. 9. “भजन-महिमा” हिन्दी भजन संग्रह २०१२, 10. “ग़ज़ल” सिन्धी ग़ज़ल संग्रह -२०१२.

प्रसारणः कवि-सम्मेलन, मुशायरों में भाग लेने के सिवा नेट पर भी अभिरुचि. कई कहानियाँ, गज़लें, गीत आदि राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित। समय समय पर आकाशवाणी मुंबई से हिंदी, सिंधी काव्य, ग़ज़ल का पाठ.

सन्मानः न्यू यार्क में अंतराष्ट्रीय हिंदी समिति, विध्या धाम संस्था, शिक्षायतन संस्था की ओर से 'Eminent Poet' , "काव्य रतन", व " काव्य मणि" पुरुस्कार, न्यू जर्सी में मेयर के हाथों “Proclamation Awarad” रायपुर में अंतराष्ट्रीय लघुकथा सम्मेलन में सृजन-श्री सम्मान, मुम्बई में काव्योत्सव, श्रुति संवाद साहित्य कला अकादमी , महाराष्ट्र हिंदी अकादमी, राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद की ओर से वर्ष २००८ में सन्मानित. , जयपुर में ख़ुशदिलान-ए-जोधपुर के रजत जयंती समारोह में, २०१० 'भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम" ओस्लो में सन्मानित. 18 मार्च 2012 भारतीय भाषा संस्कृति संस्थान –गुजरात विध्यापीठ अहमदाबाद, के निर्देशक श्री के॰ के॰ भास्करन, प्रोफेसर निसार अंसारी, एवं डॉ॰ अंजना संधीर के कर कमलों से सुत माला, सुमन, शाल से सन्मानित

संपर्कः dnangrani@gmail.com , URL://charagedil.wordpress.com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन -91- देवी नागरानी की कहानी : ऐसा भी होता है
कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन -91- देवी नागरानी की कहानी : ऐसा भी होता है
http://lh5.ggpht.com/-HKjSvIA_Pnk/UGbOFx6v_nI/AAAAAAAAOmw/WZXKiDaNwao/clip_image002%25255B6%25255D.jpg?imgmax=800
http://lh5.ggpht.com/-HKjSvIA_Pnk/UGbOFx6v_nI/AAAAAAAAOmw/WZXKiDaNwao/s72-c/clip_image002%25255B6%25255D.jpg?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2012/09/91.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2012/09/91.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content