रमाशंकर शुक्ल का आलेख :पुरुष मनोविज्ञान और नारी

SHARE:

भारतीय पांडित्य परंपरा के पोषक संस्कारों के बीच पलने के बाद भी मेरा मन नारी के सम्बन्ध में प्राचीन संस्कारों को हूँ-ब-हूँ स्वीकार करने को न...


भारतीय पांडित्य परंपरा के पोषक संस्कारों के बीच पलने के बाद भी मेरा मन नारी के सम्बन्ध में प्राचीन संस्कारों को हूँ-ब-हूँ स्वीकार करने को नहीं करता. मैंने मनु स्मृति पढ़ी तो आस्था की बजाय क्रोध और चिढ़ फूटता रहा. यद्यपि आनन-फानन नारी विषयक धारण बदलने वाली नहीं है, फिर भी प्रगति के स्वरुप को देखकर मन में संतोष होता है. साथ ही स्त्रियों के अनेक व्यवहारों को लेकर आपत्ति भी.
मैंने वशिष्ठ, व्यास, ब्रह्मा, चन्द्रमा, परासर आदि दिव्य पुरुषों के जीवन की अनेक किम्वदंतियों को पढने-जानने के बाद पाया कि स्त्री-पुरुष के बीच बनाये गए मानदंड वस्तुतः छलावे के अलावा और कुछ नहीं हैं. पूरा का पूरा मामला यौन शुचिता का है. यदि किसी को किसी स्त्री के साथ पर पुरुष के संबंधों पर आपत्ति है तो इसलिए कि वह उस महिला को लेकर या तो उस पुरुष से ईर्ष्या कर रहा है या फिर अपने अस्तित्व को लेकर असुरक्षित महसूस कर रहा है.

महिला को रोकने के लिए पुरुष धार्मिक आख्यानों का सहारा लेता है, जहाँ पर पुरुष गमन घोर पाप के रूप में दर्शाया गया है. अब जब ज्ञान के सारे रास्ते खुल चुके हैं या फिर खुलते जा रहे हैं तो एक बात स्पष्ट होती जा रही है कि यौन शुचिता का मामला पाप और पुण्य का तो कम से कम नहीं ही है. क्योंकि खुद प्रकृति इस वर्जना और गर्जना को नहीं स्वीकार करती. एक मानव समाज को छोड़ दें तो प्रकृति के हर उपादान यौनिक स्वच्छंदता को स्वीकार करते हैं. समाजशास्त्र के अध्येता इस बात को बखूबी जानते हैं कि विवाह नामक संस्था यौनिक अराजकता से बचने के लिए बनाई गयी थी. क्योंकि तब के लोगों को डर लगाने लगा था कि कहीं खूबसूरत महिलाओं को पाने के लिए अनेक पुरुष आपस में भिड़ न जाएँ. और यह चिंता आज भी कायम है. कहते हैं कि सुन्दर पत्नी खुद में एक मुसीबत है. इसलिए कि पति को जीवन भर उसकी रखवाली करनी होगी.

बतौर पत्रकार, साहित्यकार, समाजसेवी और शिक्षक मैंने जो दुनिया आज तक की तारीख में देखी है, उसके मुताबिक पवित्र से पवित्र व्यक्ति की भी कामना स्त्री को भोगने की होती है. बल्कि धार्मिकता का प्रदर्शन करने वाले लोग इस दिशा में तो और भी लोलुप और जागरूक हैं. सामान्य बात हैं कि विश्वास पाने के लिए वेश, भाषा और भूषा का बहुत महत्व होता है. आज के ज़माने में इसे विज्ञापन कहा जा रहा है. यह अपना हित साधने का एक सशक्त साधन है. चन्दन, चोटी, खडाऊं और संस्कृतनिष्ठ भाषा विश्वास प्राप्ति के लिए इसी रूप में बहुत से लोगों का विज्ञापन है. पंडित लोग बुरा न मानें. आखिर इस सवाल का क्या उत्तर है कि जब आपके हृदय में ईश्वर का निवास है और आप परमानंद में डूबे हुए हैं तो चोटी-चन्दन का औचित्य क्या है? इसके उपयोग से तो यही साबित होता है कि उत्पाद में अभी विश्वास नहीं हुआ है, इसलिए कम लोग आकर्षित हो रहे हैं. ज्यादा से ज्यादा लोग आकर्षित हों, इसलिए चन्दन ब्रांड और चोटी ध्वज के रूप में इस्तेमाल किया जाय. 


एक बार मै लखनऊ  में एक कमाऊ विभाग में एक बड़े अफसर से मिलने गया. उनके गेट पर मोटे-मोटे अक्षरों के लिखा था कि "कृपया ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिये संपर्क न करें." बाद में मालूम हुआ कि कर्मचारियों और अधिकारियों के ट्रांसफर करने और मोटी रकम वसूलने के लिए वे कुख्यात हैं. अक्सर चारदीवारियों पर लिखा मिल जाता है कि "यहाँ पेशाब करना मना है"  और लोग उसी जगह पर पेशाब करते हैं. इसका मतलब यह हुआ कि जो विज्ञापित किया जाता है, वस्तुतः वह वहाँ नहीं होता. इसी तरह जिस व्यक्ति द्वारा यौन शुचिता की बात की जाती है, तो उसका अर्थ यह नहीं होता कि वह उससे परहेज करता है. बल्कि मतलब यह हुआ कि उसके घर में यौनिक स्वच्छंदता का खतरा मंडरा रहा है और वह परोक्षतः उसे रोकने की कोशिश कर रहा है.


यहाँ एक शब्द की और ध्यान दिलाना आवश्यक है. संस्कृत में एक शब्द है संभ्रांत. यह उस व्यक्ति, समूह और समाज के लिए प्रयोग किया जाता है, जो पढ़ा-लिखा और सौम्य हो. उसमे लोगों को सम्मान देने और रिश्तों को समझाने का कौशल निहित हो. अर्थात उद्दंड न हो. लेकिन यह प्रचलित अर्थ रूढ़ है. वस्तुतः संभ्रांत शब्द का मुख्यार्थ है "सं" उपसर्ग के साथ "भ्रांत" व्यक्ति. भ्रांत का अर्थ है भ्रमित. तब इसका सीधा अर्थ होता है कि जो भली-भांति भ्रमित ओह और लोगों को भ्रमित कर सके.


नारी विषयक पुरुष की सोच में इस अवधारणा को समझा जा सकता है. वाकई यह संभ्रांत वर्ग नारी को लेकर भ्रमित है. मनुष्य की पांच इन्द्रियां होती हैं. पांच कर्मेन्द्रियाँ होती हैं. ये पाँचों मिलकर पचीस की संख्या बनती है. संभ्रांत लोग पेट की भूख के बाद भोजन को जायज मानते हैं. आवश्यक मानते हैं. नींद की मांग पर सोने को जायज मानते हैं. विचार आने पर उसकी अभिव्यक्ति को जायज मानते हैं. कुल मिलकर शारीर की समस्त मांगों पर आपूर्ति को उचित और आवश्यक मन जाता है. साथ ही नवीनता को जीवन का प्राणत्व माना जाता है. क्योंकि स्थिरता को मृत्यु की संज्ञा दी जाती है. फिर क्यों यौनिक नवीनता के लिए स्थिरता का आग्रह? अकेले इसी सुख से देवता और ईश्वर क्यों नाराज होते हैं. इस मामले में ईश्वर को या फिर किसी देवता को नाराज होते तो कभी नहीं देखा गया, लेकिन देवदूतों को अक्सर नाराज होते देखा जाता है.


एक प्राकृतिक व्यवस्था के तहत मानव मन स्वतंत्रता का आकांक्षी है. वर्जनाएं इन्ही आकांक्षाओं का हनन कराती हैं. परस्त्रीगमन या पर पुरुष गमन की लालसा शाश्वत है. या दूसरे शब्दों में विजातीयता के प्रति आग्रह जीव समुदाय मात्र की मूल चेतना और प्रकृति है. इसके हनन के प्रयास से यह आकांक्षा समाप्त नहीं बलवती होती है. जैसे पानी के प्रवाह को कुछ दिन के लिए तो रोका जा सकता है, किन्तु लम्बे समय तक नहीं. पानी का दबाव ज्यादा हुआ तो सारे तटबंध टूट जायेंगे. और तटबंधों का टूटना सदैव विनाशकारी होता है. क्योंकि तब वह अनुशासन की सीमायें पार कर चुका होता है.


डा० रमा शंकर शुक्ल
पुलिस अस्पताल के पीछे
तरकापुर रोड, मिर्ज़ापुर
उप्र. २३१००१
मो- ०९४५२६३८६४९
प्रकाशित पुस्तकें :
१- "ब्रह्मनासिका" उपन्यास
२- "ईश्वर खतरनाक है" व्यंग्य काव्य संग्रह
३- "एक प्रेत यात्रा" काव्य संग्रह
शीघ्र प्रकाश्य
"पितर" कहानी संग्रह
लेखक शिक्षक, पत्रकार और समाजसेवी हैं. समकालीन पात्र-पत्रिकाओं में शताधिक लेख, कहानियां, कवितायें प्रकाशित.

COMMENTS

BLOGGER: 1
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: रमाशंकर शुक्ल का आलेख :पुरुष मनोविज्ञान और नारी
रमाशंकर शुक्ल का आलेख :पुरुष मनोविज्ञान और नारी
http://lh4.ggpht.com/-iWA7hHIqoqw/UAZeDfx8xzI/AAAAAAAAM3o/_7EL_3K7Z9M/image%25255B2%25255D.png?imgmax=800
http://lh4.ggpht.com/-iWA7hHIqoqw/UAZeDfx8xzI/AAAAAAAAM3o/_7EL_3K7Z9M/s72-c/image%25255B2%25255D.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2012/10/blog-post_4998.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2012/10/blog-post_4998.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content