सिन्धी कहानी - कर्ज की दरख्वास्त

SHARE:

सिन्धी कहानी कर्ज़ की दरख़्वास्त मूल: लाल पुष्प अनुवाद: देवी नागरानी अब तक शायद हेड क्लार्क की नज़र उस पर नहीं पड़ी थी। लगता है जैसे वह सार...

सिन्धी कहानी

कर्ज़ की दरख़्वास्त

clip_image002 मूल: लाल पुष्प अनुवाद: देवी नागरानी

अब तक शायद हेड क्लार्क की नज़र उस पर नहीं पड़ी थी। लगता है जैसे वह सारा वक़्त दीवारों से बात करता रहा हो।

‘प्लीज़ सर’, उसने फिर नए सिरे से अपनी बात कहनी चाही।

‘एक मिनट ठहरो’ हेडक्लार्क कहकर फिर फाइल्स में गुम हो गया।

‘ज़रूरी केस है।’

वह फैसला नहीं कर पाया कि कहे गये शब्द उसके लिए कहे गये थे या फ़क़त हवा में उछाले गए थे। ज़ाहिर है, और अगर उसे शक है तो वह बेवकूफ़ है। उसको अभी और इन्तज़ार करना पड़ेगा। उसने चारों ओर देखा, सबकी ओर देखा, हालाँकि उसे पूरा विश्वास था कि किसी का भी ध्यान उसकी ओर नहीं गया है, उसकी बात किये हुए लफ़्ज़ों को सुनना तो दूर की बात है, इसके बावजूद भी उसके वहाँ होने और अपनी कही बात अनसुनी हो जाने की बात खटकती रही।

उसे वक़्त का होश नहीं रहा, बस हेडक्लार्क के सामने अड़ा रहा।

‘आज मैं बहुत बिज़ी हूँ।’ उसने सुना और कहना चाहा कि - अगर यह सच है तो फिर सुबह पूरा एक घंटा कैफेटीरिया के एक कोने में मिसेज़ देशपांडे के साथ चाय की चुस्कियाँ कौन भर रहा था, और लबों के बीच में वह वाहियात मुस्कराहट किसकी थी?

लेकिन उसने कुछ नहीं कहा, उसे पता था कि उसका बोलना नाजायज़ है। कुछ बातें सिर्फ़ सुनने के लिये और सोचने के लिये होती है। वैसे भी भला वह हेडक्लार्क को कैसे बता सकता था कि उसमें और क्लार्क में कोई फ़र्क नहीं है। सवाल यह है कि वह खुद भी ऑनड्यूटी था और कैफ़ेटीरिया के सबसे दूर कोने में बैठकर हेडक्लार्क की वाहियात मुस्कुराहट को पूरा घंटा जाँचता रहा, इसमें से साफ़ ज़ाहिर है कि वह खुद हेडक्लार्क से पहले आया था और देर से निकला था।

‘तुम्हें कुछ कहना है ?’

‘मैं अपनी दरख़्वास्त के लिये आया हूँ।’

‘किस बात की दरख़्वास्त ?’

‘प्रविडेंट फंड - कर्ज़ की !’

‘दरख़्वास्त कब दी थी ?’

‘सर, आपको यह तो मालूम है, हफ़्ता पहले आपने कहा था कि सुपरिटेन्डेन्ट की सैंक्शन लेकर अकाउंट्स ऑफिस में भेजेंगे।’

‘तो क्या अभी तक नहीं भेजी ?’

‘सर, कल मैं अकाउंट्स ऑफ़िस गया था, इनचार्ज ने बताया कि ऐसे कोई दरख्वास्ट उनके हाथों में नहीं आई है।’

‘डिस्पैच क्लार्क से जांच कर लेते ?’

‘सर, वह मैटरनिटी-लीव पर है।’

‘तो उसकी जगह पर दूसरा क्लार्क होना चाहिए। क्या तुम यह कहने की कोशिश कर रहे हो कि डिस्पैच क्लार्क के बिना काम चलाना मुमकिन है।’

‘यह ठीक बात है सर, पर पता पड़ा कि वह आज से छुट्टी पर गई है और उसकी जगह पर किसी और क्लार्क को मुक़र्रर करने के अभी ऑर्डर नहीं निकाले गए हैं।’

‘तो इसमें मैं क्या कर सकता हूँ, कहो.... ?’

‘सर, आपने हफ़्ता पहले अंजाम किया था कि आप देखेंगे कि मुझे एक हफ़्ते के अन्दर कर्ज़ मिले। आपको पता है कि मेरी हालत, मेरा केस बिलकुल जेन्युन है।’

‘ऐड्मिनिसट्रेशन को इस बात से कोई वास्ता नहीं, कि तुम्हारा केस जेन्युन है कि नहीं। मुख्य बात है कि लागू फ़ार्म भरकर उसके साथ सर्टिफिकेट पेश किया गया है या नहीं, तुम्हारी हालत में.. !.’

‘हाँ, सर, मैंने ज़रूरी फ़ार्म भरे, उसके साथ अपने फ़ैमिली डॉक्टर का सर्टिफिकेट भी पेश किया है कि मेरी पत्नी को इस ज़हीन इलाज की ज़रूरत है और उसके लिये दवाओं वगैरह का बिल हमको भरना है।’

हेडक्लार्क ने कहा - ‘अच्छा तो तुम थोड़ी देर ठहरकर आ जाओ, तब तक मैं इस फाइल से फारिग़ हो जाऊँ।’

उसने कहना चाहा - ‘सर, हफ़्ता पहले भी आपने...’

लेकिन उसने कुछ न कहा, उसे पता था कि उसे कुछ भी नहीं कहना है। कुछ बातें सिर्फ़ सुनने के लिए होती हैं और सोचने के लिये। जबकि कुछ घड़ियाँ ऐसी भी आती हैं जब वह सोचता है। आखिर बात भी ग़ैर ज़रूरी है, सोचना ग़ैर ज़रूरी-बेमानी !

वह वहाँ से उठकर बाहर निकला, वक़्त जो गुज़ारना था। कितना ? थोड़ा ! लेकिन वह थोड़ा न जाने कितना होता है। कहने वाला अपने हिसाब से वक़्त को माप लेता है, मज़े की बात यह है कि ख़ुद उसे अपनी ‘माप’ पूरी तरह से पता नहीं होती।

और फिर भी हम हर लफ़्ज़ की माइने समझने में मात खा जाते हैं ! ‘माइने’ कौन से लफ़्ज़ की होती है ? ग़ौर करने पर यह बात बेकार लगी। रोज़मर्रा के गर्दिशी जीवन की तरफ़ हम इतने ईमानदार हैं कि उस धुआँधार सच की तरफ़ बेईमान बन गए हैं।

‘वह’, जहाँ नहीं जाना था, वहाँ भी गया कि हेडक्लार्क का कहा वह ‘थोड़ा’ पूरा हो जाए। वहीं खड़े सभी ताज़ी अख़बारों की हेडलाइन्स पढ़ ली। हालाँकि यह बात उसे बिलकुल अच्छी नहीं लगती थी। उन ख़बरों में और ऑफ़िस के फाईलों में न जाने कहाँ और कैसी समानता महसूस होती रहीं। वह हर जगह गया, और हर कहीं खड़ा रहा। जितनी जगहों पर वह गया, जितना वक़्त खड़ा रहा, उससे उसे यक़ीन होने लगा कि काफ़ी वक़्त गुज़र गया होगा और हेडक्लार्क का वह ‘थोड़ा’ कब का पूरा हो गया होगा। यक़ीन करने के लिये जब उसने प्लैटफार्म पर लगे राक्षसी घड़ियाल की तरफ़ देखा तो वह भीतर से बिलकुल खाली हो गया, सिर्फ़ और सिर्फ़ दस मिनट गुज़रे थे।

वक़्त सिर्फ़ कैफ़िटीरिया में गुज़रता है, यही सोचकर वह भीड़ के होते हुए भी एक कोने में बैठने का स्थान पा गया। उसने जान-बूझकर कॉफ़ी का ऑर्डर देर से दिया। जब दिया, और कॉफ़ी आई तो वह जान-बूझकर छोटी-छोटी चुस्कियाँ बहुत ही धीरे-धीरे लेने लगा। यह सारा वक़्त वह खुद को इस सोच से अलग न कर सका कि दरख़्वास्त के साथ डॉक्टर का सर्टीफ़िकेट उसने अच्छी तरह से लगाया था या नहीं, कहीं पिन, हालाँकि उसने अच्छी तरह से टाँकी थी, कहीं गिर तो नहीं गई... क्योंकि उस हालत में उसे फिर नए सिरे से उसी कर्ज़ के लिए उन्हीं हालातों से गुज़रना होगा। वैसे भी यह बात अनहोनी नहीं है, कितनी ही बार कितनों को उस छोटी-सी पिन ने ऊपर नीचे करवाया है। ताज़ा मिसाल कपूर का है, बिचारे ने अपनी शादी के लिये कर्ज़ की दरख़्वास्त की थी, महीने के बाद उसे ऑफिशियल लेटर मिला, तब जब शादी में सिर्फ़ छः दिन बाक़ी बचे थे, यह कहते हुए कि - ‘तुम्हारी दरख़्वास्त वापस भेज रहे हैं। माँगे हुए सर्टीफ़िकेट के साथ फिर से पेश करो।’

कपूर भी इरादे का पक्का था, पढ़े हुए जासूसी नॉवल मददगार साबित हुए। बड़े अफ़सर की ऑफिस के बाहर उधम मचाया - ‘अगर मैंने सर्टीफिकेट अटैच नहीं किया तो फिर दरख़्वास्त-फार्म के कोने पर टाचनी (पिन) के निशान कहाँ से आए ?’

नतीजे में हेडक्लार्क का हुक्म मिला, तुरंत जाँच करो, सर्टीफ़िकेट ट्रेस करो, फिर मेरी टेबल पर सबमिट करो, सिग्नेचर लेकर ख़ुद अकाउंट्स ऑफ़िस में जाओ, रू-ब-रू कर्ज़ पास कराओ। मुख्तसर में मतलब यह है कि मिस्टर कपूर को चौबीस घंटों में क़र्ज़ के पैसे मिलने चाहिये। ऑफ़िसर ने यह भी जोड़ा, इस राट्न कंट्री में शादी फिर नहीं होती, कि किसी की शादी के कर्ज़ की दरख़्वास्त ऐसे ...।

उसने ख़ुद को फटकारा कि वह कपूर के जैसा स्मार्ट क्यों नहीं हो पाया। अच्छे साहित्य और गंभीर किताबों की बजाए जासूसी नॉवल उसने क्यों नहीं पढ़े। अगर वो ऐसे करता तो आज इतना हौसला और इतनी दहशत समेट पाता ! हो न हो, फ़र्ज़ करो अब यहाँ से उठने के बाद, ऑफ़िस में हे्डक्लार्क के सामने खड़ा होकर वही हालात पैदा करे तो भी कपूर की तरह शायद ही हौसला और दहशत दिखा पाए।

शायद

शक है

नहीं

यक़ीन है

नहीं

अगर, उस हालत में, वह चिल्लाना चाहेगा तो उसकी आवाज़ नहीं निकलेगी, हाथ हिलाकर रह जाएगा वह। बहुत बोलना चाहेगा पर ख़ामोश रह जाएगा। दूसरी हालत में अंट-शंट बोल देगा बहुत ही तेज़ रफ़्तार के साथ फिर अचानक रुक जाएगा, राह गंवाँ बैठेगा जैसे स्पीड में दौड़ती ट्रेन अचानक पटरियों से उतरकर ढेर हो जाए... या फुग्गे में गैस जल्दी-जल्दी भर दी जाए और फुग्गा फूलता फूलते अचानक ही फुस करके फट जाए... या... !

हेड क्लार्क उसे देखकर मुस्कराया और कहा - ‘क्यों बहुत देर लगा दी ?’ तो उसका चेहरा चमक उठा। चेहरे पर तनी हुए रेखाएँ ढीली पड़ गईं।

‘तुम्हारी दरख़्वास्त मिल गई है।’

‘ओह ! थैंक यू सर !’

‘अब एक काम करो !’

‘यस सर !’

‘तुम तुरंत मिस्टर गुजराल से मिलो।’

‘गुजराल से क्यों सर’

‘जैसे मैं कह रहा हूँ, करो !’

‘ओ.के. सर !’

‘हाँ यह लो, अपनी दरख्वास्त उसके पास ले जाओ’

‘सर...’

‘जैसे कह रहा हूँ वैसे करो, तुम्हारी भलाई के लिये है’

‘दरख़्वास्त में कोई ग़लती हुई है ?’

‘नहीं, तुम्हारी कोई ग़लती नहीं है।’

‘सर, मुझे खुलासा करके बताएँ कि दरख़्वास्त में किसकी ग़लती है और कौन-सी ग़लती है। अगर किसी और की ग़लती है तो, दूसरी किसी की इसलिये कह रहा हूँ कि आपने ख़ुद कहा कि ग़लती है, पर मेरी नहीं है। पर अब तो यह ज़ाहिर है कि कहीं न कहीं किसी की कोई न कोई ग़लती अवश्य है, मुख्य बात यही है, मेरा मतलब है कि ग़लती है फिर चाहे वह किसी से भी हुई हो। पर मैं खुद पर दोष लेने को तैयार हूँ, चाहे उसमें मेरा कोई भी दोष न हो, मुझे पैसों की सख़्त ज़रूरत है। मैं आपको पहले ही बता चुका हूँ, मेरी पत्नी का इलाज और ज़ारी रखना चाहिए, यह डॉक्टर का कहना है। उसे और सुइयाँ लगवानी है... सुइयाँ, दवाइयाँ, गोलियाँ, टॉनिक... आपने हफ़्ता पहले कहाथा!’

वह चुप हो गया, और उसे यह लगा कि पहले वह समझ तो जाता कि हेडक्लार्क या उसका गुजराल क्या कहता है। इस बार उसे लगा कि सबकी, या सबमें से किन की नज़रें उसकी तरफ़ उठीं। इतनी बकवास करते वक़्त, ख़ुद को बेवकूफ़ समझते हुए ख़ुद को कोसा उसने।

मिस्टर गुजराल। गोरे बदन वाला पंजाबी पान चबा रहा था।

‘मिस्टर गुजराल... ’

‘यस मिस्टर, आओ बैठो।’

‘मुझे मिस्टर सेठ ने भेजा है’

‘इन वॉट कनेक्शन ?’

‘मेरी इस दरख़्वास्त के बारे...’

उसने दरख़्वास्त मिस्टर गुजराल के आगे रखते हुए कहा - ‘मिस्टर सेठ ने शायद आपसे इस बारे में पहले ही बात की है।’

‘मुझे कुछ याद नहीं आ रहा है, पर तुम कहो मैं तुम्हारे लिये क्या कर सकता हूँ।’

‘मेहरबानी करके गाइड कीजिये कि इस दरख़्वास्त में क्या ग़लती है?’

फिर कुछ रुककर - ‘ग़लती है ज़रूर, मिस्टर सेठ ने मुझे बताया है। हालाँकि मेरी कोई ग़लती नहीं है, पर फिर भी ग़लती है ज़रूर, सिर्फ़ यह पता नहीं पड़ रहा है कि इसमें क्या ग़लती है और किसकी ग़लती है ?’

वह फिर लंबी सांसे लेने लगा, उसे लगा कि वह अपनी बात अच्छी तरह से समझा नहीं पा रहा है। हालाँकि समझाने जैसी उसमें कोई बात भी नहीं थी। पर उसे यह जरूर लगा कि उसे बताने के लिये मनचाहे शब्द नहीं मिल पा रहे हैं।

गुजराल ने दरख़्वास्त देते हुए कहा - ‘बराबर इसमें ग़लती है, उसे जाइज़ा लेते हुए कहा।’

‘मिस्टर सेठ ठीक ही कह रहे थे।’

‘यह दरख़्वास्त नहीं चलेगी।’

‘मिस्टर गुजराल...’

‘यह फ़ार्म रद कर दिया गया है।’

‘मुझे मालूम न था।’

‘ऐडमिनिस्ट्रेशन ने इस कर्ज़ को पाने के लिये नया फ़ार्म बनवाया है।’

‘कौन-सा !’

‘भाई, उसका तो मुझे भी पता नहीं है।’

उसने बस उठकर वहाँ से चले जाना चाहा।

गुजराल ने फिर कहा - ‘मैंने सच में वह नया फ़ार्म देखा तक नहीं है। मैं जानना चाहता हूँ कि किसी ने भी देखा है क्या? फिर भी मुझे विश्वास है कि इस फ़ार्म पर तो दरख़्वास्त नहीं चलेगी। अभी कल ही भेजी हुई सब अर्ज़ियाँ अकाउंट्स ऑफ़िस से लौट आई हैं। हर एक अर्ज़ी के नीचे ‘फुट नोट’ लगा हुआ है - ‘मेहरबानी करके नये फ़ार्म पर अर्ज़ियाँ भेजी जाएँ।’

कोई फ़ायदा नहीं था, उसने सोचा - कोई भी सवाल उठाने से... और वह तत्पर उठकर वहाँ से जाना चाहता था।

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: सिन्धी कहानी - कर्ज की दरख्वास्त
सिन्धी कहानी - कर्ज की दरख्वास्त
http://lh4.ggpht.com/-8oNNDH_V2sM/UgeGb_RxwSI/AAAAAAAAVfQ/MjaZcmCoxEQ/clip_image002%25255B3%25255D.jpg?imgmax=800
http://lh4.ggpht.com/-8oNNDH_V2sM/UgeGb_RxwSI/AAAAAAAAVfQ/MjaZcmCoxEQ/s72-c/clip_image002%25255B3%25255D.jpg?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2013/08/blog-post_5835.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2013/08/blog-post_5835.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content