फ्रेंक्‍वाइस सागा की कहानी - दूर का कज़िन

SHARE:

फ्रेंक्‍वाइस सागा की कहानियाँ दूर का कज़िन जब मौसम अच्छा होता है तो खनिज पानी के झरने दुर्गति को प्राप्त हो जाते हैं, लेकिन बरसात आत्महत्या...

फ्रेंक्‍वाइस सागा की कहानियाँ

दूर का कज़िन

जब मौसम अच्छा होता है तो खनिज पानी के झरने दुर्गति को प्राप्त हो जाते हैं, लेकिन बरसात आत्महत्या की भावना लेकर आती है। चार्ल्स हेनसी दिंहाल दिसम्बस नाम के तेरहवें ............ अपने आप से जोर जोर से उस दिन छठवीं बाररकम को गिनते हुए कहा जो उसने कमरे के बीच में रखे कपड़ों की तलाशी हुए किए। उसने अड़तीस सिक्कों को हाथ में रख कसकर पकड़ा। अड़तीस घटिया से लौद (सिक्के)। पूरी जिंदगी वह उन्हें उड़ाता चला आया था। एक बार भी बिना भविष्य का सोचे, लेकिन पिछले कुछ दिनों से वह उनके बहाव को रोकने को पूरी ताकत से कोशिश कर रहा था। सप्ताहांत तक पूरे दस के थेलर्म (सिक्के) में बदलते पर ब्रोनर के सूट के किराए में बह जाएंगे, वही तो एकमात्र ठीक-ठाक हो रहा है बाटने बाटने में। आंखों के सामने थी एक मात्र शिकार, उसकी एक मात्र आशा की किरण थी फ्राकलिन हैटिंगेत्र- सुंद ब्रुनहिल्डे। ब्रुनहिल्डे के पास स्वाभाविक फ्राउ हैटिंगेन दबंग नर्स थी जो साथी सहेली नौकरानी नर्म थी, जिनके साथ चिपकी थी उनकी फ्रेंच सहेली मेडम डि क्रेवेलम। चालोहेनरी ने पूछताछ कर पता चला लिया मेडम कि जेवेलस है। हैटिगेत्र की दूर की कजिंन है। बहुत दूर की रही है होगी, उनकी देहयष्टि और देवदामिन भाव बातें।

इन दो महिलाओं का मित्र जो चालीस के ऊपर थी, वह खुद तैंतालीस का है- को भीतर से आशंका लग रही थी कि उसकी समस्या का हल आम यह पर ही दिखता है। विषम परिस्थिति के बावजूद इस युवती को वह विवाह मंच पर ले जाकर ही रहेगा भले ही उसे इसके लिए उसे पहले पटाना ही क्यों न पड़े। यही एक राह थी जिसके द्वारा वह अपने वंश का नाम और बदनाम जिंदगी को बचा सकता है। फिलहाल तो दोनों ही संकट की कगार पर है।

चार्ल्स-हेनरी वालड एम्ब्रन की नजर भयानक आंखों से झांकते अपने आप पर पड़ी उसने वहां एक परेशान हाल घटिया से आदमी को देखा। गर्व से उसे वह स्वयं ही सीधा तनकर खड़ा किया, कंधों को खींचा और अपनी मूंछों पर ब्रश किया। अपने सुंदर दांतों को देख वह मुस्करा दिया और अपने परिवर्तन को देख उसने राहत की सांस ली- सामने स्वस्थ सुंदर युवक था। जिसे पिछले बीस वर्षों से वह किसी तरह बनाए हुए है।

चार्ल्स हेनरी का न तो किस काम में विश्वास था न उसके लिए आवश्यक गुणों में यहां तक कि पुराने मूल्यों पर भी नहीं, उसकी आस्था केवल लेटिन मूल में थीं- जिसका अर्थ साहर्यदा कभी-कभार उसे लगता था कि उसकी रंगरेलियों को बनाए रखने के लिए मूल्यों से कहीं अधिक साहस की आवश्यकता है। कई बार उसके सद्‌भावना से भरे रिश्तेदारों ने पारिवारिक यश, नाम व स्वास्थ्य की बर्बादी देख उसका विवाह किसी साधारण सी किन्तु संपन्न और प्रसिद्ध परिवार की महिला से कराने का निश्चय किया- ऐसी महिला जो यह प्रसन्नता से करने को तत्पर हो जावे। यदि वह चाहता तो सुख-शांति पूर्ण जीवन पत्नी छोड़ी, नौकरों के हुजूम ओर आपेरा में रखैलों के साथ व्यतीत कर सकता था। किंतु चार्ल्स हेनरी समझोतों को ठुकराता था अपनी स्वतंत्रता के गर्व -भगर्व दिखा देने में वह शहर दर शहर, राजधानी दर राजधानी, पलंग दर पलंग और मिटाने वाली प्रत्येक स्त्री को प्यार के अंतर्गत मानता था। उसकी संपत्ति या अपने पिता की - इन क्रियाकलापों में गुम गई थी, और इसलिए आज रात वह ब्रूनेहाइड हैट्टिंगेन के सपने देख रहा था जो क्यूनिया हाउस ऑफ हैट्टिगेन और आदाफमेहर की मालकिन जिसकी पूंजी एस सौ हजार थेलर्स की है।

जब महिलायें ग्यारह बजे सुबह जलक्रीड़ा के लिए पहुंच गई थी। उस समय चार्ल्स-हेनरी गहरी नींद में और चार बजे शाम को भी उसने अपनी योजना को कार्य रूप देना प्रारंभ करना था। उसके पुराने होटल सहायक दोस्त के माध्यम से एक नकली मरक्वेज से वे मीटिंग तय करा दी थी। परिचय के बाद चार्ल्स-हेनरी ने अपना टूटे दिल की दुःखांत नाटक शुरूकर दी थी जो सांत्वना पाने के लिएबनाये था। ब्रुने हिल्से ने यह कार्य हाथों-हाथ ले लिया टौर अपनी हड़बड़ाहट कुछ गललियों के बावजूद कुछ सफलता भी प्राप्त कर ली थी। मां ने कुछ अधिक समय लिया किंतु डेजर्ट के समय वायलिन की सहायता और सीढ़ी दही जीम के पास वे साठवें दराउ के बेत्तीया की फंदान्तर की बाद में कि गई। बिल्हेम हैट्टिगेन से पहले वाकपटुता और अपनी दार्दो ने के येटापू की सहायत से और इन महिलाओं की उम्मीदों और स्मृतियों की सहायत से चार्ल्स हेनरी उसी शाम के अंत होता? वह अपने उद्देश्य में सफल भी हो गया होता। यदि वहां बूम की जिन होत तो, जिसने दूर विशेरूण की संबंधों से कुछ अधिक निकान्त से प्राप्त किया होता। उसने निहायत ठंडेपन के साथ निराश वाह काउेन्ट की चालों को ध्यान से देखते परखती रही थी, यही नहीं उसने अपने कजिंन ड्‌यूफ एडमांड को चर्चा पर सहमति से मिल हिल देखा था और दादोनेग थे एकड़ों की संखया पर चलाइै से समाप्त कर दिया था।

विचित्र बात यह थी उनकी सहमति से उसे उत्साह न मिल एक प्रकार की थकान महसूस हो रही थी। सबसे पहली बात तो यही कि दोनों ट्‌यूटांम अधिक ब्लॉक उनका रंग अधिक गुलाबी और आंखे अधिक नीली थीं। अंधेरीदिन के बाल काले थे, इतने काले कि वे नीेले जेसे दिखते थे। यह उसका प्रिय बालों का रंग था बाल ही पूरी आंखे कालिया से थी वे पिछले युग की प्रसन्नता श्रेय झिलमिला रही थी, ऐी झिलमिलाहट जो उसके अनुसार उसकी दितोडू दास्तान में कही मेल नहीं रखती थी। वो एक साथ मजहबी, अलगाव और प्राप्त दिख रही थी, एक ऐसी मानसिक स्थिति जिसका जन्म अपार संपत्ति और उसके उपयोग से उत्पन्न होती है। उसके अनुसार वे दोनों ही दुनिया के निवासी थे। किंतु वह उसने निहायत अफसोस के साथ सोचा। आत्मनिर्भर है इसकी भी पर्याप्त संभावना है कि उसी के हाथ में जमीन पय की ये नही यदि इस बात पर गौर करें जिस तरह से दोनों उसकी ओर सम्मान और आश्विस्त भाव से देखती हैं। मेरी का यह सुझाव है मेरी की राय से मेरी यह चाहेगी कि दोनों मुखयतः कभी के विषय से बात करती रहती हैं, उसकी इच्छाओं चायिे। यदि उसे सफलता मिलेगी चार्ल्स हेनरी ने पाया तो वह उसका विवाह भी उसी की सहमति और इच्छा पर निर्भर करेगा।

ब्रेनर-टेरेस पर एक दिन वह श्वेत लिननशूट पहिने भला क्या घड़ी पर हाथ स्थित, टिकारए सामने ब्रेदी और पानी से वह जेब में बिना एक पैसे रखे बैठा था,लेकिन परिष्कृत, घमंड और लापरवाह अभी भी दिख रहा था, चार्ल्स-हेनरी कि वहां कि एम्ब्रन इस निश्कर्ष के इस बिंदु पर पहुंच रात कि उसे मेडम कि क्रेबिला के सामना कर ही लेना चाहिए। उसे यह स्वीकारना होगा कि वह नाकारा है हालांकि पश्चाताप कर रहा है या पश्चावात करने को भेज रहा है। अपने पत्ते वह टेबिल पर रख देना ही उसके लिए बेहत्तर होगा।

अथवा वह अपने आंसू बहाए, नरक को चालू रखे, जिसे खींचते रहना उसके लिए कठिन से कठिनतर होता जा रहा था।

वह अपने आप में इतना खोया हुआ था कि उसने उस अधेड़ जोड़े पर उसका कोई ध्यान ही नहीं गया जो केसिनों में अंडरवर्ल्ड से निकले आतंकि की तरह निकल कर उसके पास रखी, कुर्सियों पर निढ़ाल होकर बैठ गए थे। वे अस्तव्यस्त उब तो चलते पीले ओर मुंह में बुदबुदाती बैठे थे।

यह इस जोड़े से प्रायः ही टकराता रहा है, जो विश्व प्रसिद्ध है और उनके उपयुक्त भी है, उन सभी कसिनों शहरों में जहां भी वह गया है। वे पुराने युग के रूसी थे जिन्होंने दस वर्षों में अपनी पारिवारिक संपत्ती हो, जमीदारियों को बेचते चले जा रहे है। अपने समस्त प्रयासों से- भाग्य कभी कभार इतना निष्ठुर होता है किवह नशिर शिकारों पर मुस्कराने लगता है- ऐसा कहा जाता था कि मास्को और सेंटपीटर्सबर्ग में उनके पास अभी भी महल है। अपनी लालसाओं और कामनाओं के गुलाम वे इस सदी में बिना उन पर एक नजर डाले भी जीवित बचे जा रहें। यह तो उनके विषय में सर्वविदित और प्रचलित था, भला उनकी इस कामना की सहभागिता ळे, अनियतिम जीवन जिसे वे जीने चले आ रहे हैं औरउनकी फिजूलखर्ची भरी उदारता। उनकी राह में गरीब शैतानों से भरी पड़ी थी जो भीख की उम्मीद में खड़े रहते थे। उनमें टकराते रहते थे। केवल उनकी जुएं की झड और लगातार चलते रहने से ही इन चिपउओं से वे बच पा रहे थे।

चार्ल्स- हेनरी इस जोड़े की घृणा और दया के मिश्रण के साथ कुछ वैसे देख रहा था जैसे कोई अपंगों को देखता है, लेकिन वह अपनी योजनाओं और अनिश्चितताओं में कुछ ऐसा किया हुआ था कि उसने उनकी बातचीत का एक टुकड़ा जो न सुना होता यदि एक नाम बार-बार वृद्ध सज्जन और उनकी पत्नी नही बोलते होतें, वह अंततः उसकी चेतना में जा उसने घंटी बजा दी। यह वही नाम था जिसे वह पिछले कई दिनों से अपनी पत्नी और उनकी मां से सुनता आ रहा था। मैरी! इस संयोग से वहसचेत हो गया और ध्यान से सुनने लगा।

यहां से जाने के पहले हमें मेरी के लिए कुछ न कुछ करना ही होगा, सज्जन कह रहे थे। मुझे वो इस सीजन में पर्याप्त पीली सी दिखती रही है।

सौराफ के पास फूटी कौड़ी तक नही है। स्त्री ने उत्तर दिया, मेरी यह जानती है निकोलाई की तीन संतानों को देख बात करती रही थी इस अेरोज स्त्री के लिए पढ़ने का काम स्वीकारने के पहले तक और अब...

और अब तो हालत बद्‌तर हो गए हैं, सज्जन दुख भरी आवाज में कहे जा रहे थे। क्या तुम सपनों में भी कल्पना कर सकते हो उन आंखो को सभ्य समाज की तरह व्यवहार सिखाने भी है। तुम्हें पता है कि नही, कि मां अपने को कजिन ;चचेरीद्ध बतलाती रहती है। जर्मन तो टाइटल पर जान छिड़कते हैं। काश उसे पता होता कि इस समय ब्रेवेल्स गुआयना में कठोर परिश्रम कर रहा हैं तुम ठीक हो रही हो, हमें मेरी के लिए कुछ न कुछ देना ही होगा। और उसने इतने जोर से बोदका का आर्डर दिया कि टेरेस में बैठे सभी लोग घूम कर देखने लगे सिवाय चार्ल्स-हेनरी कि वाल कि एम्ब्रज जो सुभ हो जमा सा बैठा था।

पांच मिनिट बाद ही महिलायें बाहर आईं। डिस्काउंट पास से वे कियोस्क की ओरकंसर्ट सुनने बढ़ गई। चमन मेसनेट ने किया था। दोनों ब्लांड महिलाओं ने संगीत के पहले कई बार अपने आंसू पोंछे। बाइकांडट जो आसपास रूप से ध्यान मानस और परेशान था। उसने कजिन मेरी के इस सुझाव को स्वीकार कर लिया कि वे केसीनो बाल में शाम ;रातद्ध ग्यारह बजे मिलेगा। उसने उन्हें एक किराए की घोड़ा गाड़ी में अपनी पारंपारिक दरबारी शिष्टाचार के साथ बैठाया किंतु जवान ब्रूनेहिल्डे के चेहरे पर निराशा थी पर्तभी छोड़ दी क्योंकि उसने उनका हाथ कसकर नहीं दबाया था जैसा वह पिछले दो दिनों से करता आया है था सच यह थ कि वह चला गया था। दोनों जर्मन महिलाओं बेहद फेलकर बैठी गई थी और अपनी दूर की कजिन को अपने सामने ही जंपसीट पर बैठाया था बदतर तो यह थ कि वह अपनी ओर से उसी पर टिकाए रहा था, जब तक गाड़ी सामने चलती और उसी को देख वह हाथ भी हिलाता रहा था। कजिन ने मुस्कराहट का जवाब मुस्कराहट से दिया और अचानक वो दस वर्ष छोटी लगने लगी थी। ऐसा ब्रुनहिल्डे को लगा, जब उसने देखा था। क्योंकि गाड़ी सूरज की ओर मुड गई थी और रोशनी मेडम कि क्रेवेल्स के चेहरे पर सीधे पड़ रही थी। वापसी पर बातचीत पर्याप्त सीमित रहे,दोनों महिलाऐं अचानक खर्चे की ले चिंतित हो उठी थी और बेहद कड़बाहट है साथ फ्रेंच स्त्री के लिए किराए पर लिए कमरे के किराए की चचा्र कर रही थी।

मुझे करना क्या चाहिए तुम्हारे काम क्या है?

मेरी क्रेबेल्स ने उत्तर में उसके हाथ को छोड़ दिया हंसते हुए जो उनके साथी के परेशानी भरे चहरे के भाव से कतई मेल नही रखता था। आधी रात बीत चुकी थी। बाद केसिनों हजारों रोशनियों से जगमगा रहा था टोर भीड़ उस ऊष्मा भरी रात के उत्साह के साथ बाल्व्ज नृत्य में मग्न थी।

मेरी सलाह तो यह है कि तुम फ्रायोलिन हेहिंग के साथ नृत्य करो मुझे छोड़कर, किन्तु पहले तो मेरे लिए कए लाभ आरेंजड ले आओ। प्यास से मैं मरी जा रही हूँ।

वो एक बेहद प्यारी सी खूबसूरत हल्की ग्रे लेस की ड्रेस पहने जिससे उसकी आंखें समुद्री हरी हो उसकी कमनीयता में वृद्धि कर रही थी। चार्ल्स-हेनरी मन ही मन आश्चर्य कर रहा था कि भला वह और किसी स्त्रीपर ध्यान कैसे देता रहा था। किंतु कम से कम एक बार मुझे मुखय मौके पर ध्यान रखना चाहिए, उसने सोचकर अपनत्व और आत्मदृष्टि के साथ सोचा। मेरी के पीछे वह बगीचे की राह दे बुफ्रे की ओर पढा जो हर समय इसीतरह जनशून्य था। जब उसने उसे ग्लास लेते, खाली करते निश्चतता के साथ प्रसन्न देख वह सब कुछ जिसे वह अपनी जिदंगी में प्यार करता है। उसका आत्म संतोष हवा हो गयी ईश्वर हमारी सहायता करे, अपने आपसे उसने कहा। हम एक ही दुनिया के भले ही रहने वाले न हो रहने वाले है लेकिन हम दोनों की मुसीबतों में है।

उसने उसे टेलीय े नीचे एक लकड़ी के स्कूल पर बैठाया और फिर भ्यकी ओर देखते हुए कहा-मुझे तुमसे बहुत महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करनी है यह मेरे लिए अति महत्वपूर्ण है।

मैं जानती हूं अच्छी तरह जाती हूं। उसने उत्तर दिये और अपने आप को बमुश्किल हंसने से रोका। तुम बाइकांउट चार्ल्स हेनरी कि बात कि एम्ब्रन हो जिंदगी तुम्हारे बेमुरूउत्तर ही है। तुमने अपना दिल उन्हीं स्त्रिीयों को दिया जिनके पास दिल नही और तुम हमारे विधि में अपनी इस्टेट डाइ्रमान में व्यवस्थित रहना चाहते है। है न?

तुम कुछ बढ़ा-चढ़ा कर कह रही हो चार्ल्स हेनरी ने दुर्बल पर विरोध किया और अनजाने ही शर्मिंदा हो गया। मैंने ठीक-ठीक ऐसा ही तो नहीं कहा था। तुम मेरे मामले को मुम विस्तार दे रहे हो।

क्या में! तुम तो मुझे चकित कर रहे है... मैंने तो सोचाथा कि मैंने एक घायल सज्जन की चीख सुनी है।

प्लीज कजिन ब्रेवल्स ;चार्ल्स-हेनरी ने छंलाग लगाने का निश्चय कर लिया थाद्ध

प्लीज... क्या तुमने कजिन बिल्हेम से समाचार ;मिला हैद्ध क्या म्युनिल में व्यापार संतोषजनक है?

उसकी हंसी अचानक रूक गई और फिर दोनों एक दूसरे को खामोशी से देखते रहे। अचानक मेर चालीस के ऊपर दिखने लगी और उसकी डे्रस नयी नही रही थी।

हां, ईश्वर की कृपा है, उसने शांति में उत्तर दिया। ईश्वर कृपा है व्यापार ठीक-ठाक है। हम दोनों को इसकी आवश्यकता है न?

अब बारी चार्ल्स हेनरी की थी नजरों से बचने के लिए और कहीं देखने की और उसने कुछ घबराते हुए अपनी शर्ट के कमजोर हिस्से की ओर इशारा किया बिना सोचे विचारे अपना हाथ उठता और उसकी उचित स्थान पर रख दी- एक हरकत जिससे दोनो को एक साथ अहसास हो गया जिसमें वो उसकी सहयोगी बन गई थी। दोनों ने एक दूसरे की आंखों में झांका, हल्की सी मुस्कान के साथ और स्वाभाविक थ कि अब कुछ कहने को रह नहीं गया था, थकान से परे पर्याप्त प्रसन्नता के साथ चार्ल्स हेनरी ने सोचा उसकी इस जरा सी हरकत ने सब कुछ स्पष्ट कर दिया था। उसके छोटे नाटकऔर उसका उनके आतंरिक अर्थों को समझना, वैसे सहायता जो वे तुरंत देने को तत्पर थे। वर्षों नही उसके बाद चार्ल्स हेनरी ने अपने अंतर में भावनाओं की हिलोर को सुना। दुर्बलता के साथ वह संघर्ष छाता।

मान लो मैदा उन खाई पिपियी विवाह योग्य कुमारी बछेरो को पीछे करना सफल हो जाता है तो। तुम्हारी नौकरी तो चली ही जायेगी। अच्छा तुम कितने समय में इन महिलाओं जीवित रहने का ढंग सिखा रही हो? मेरा तात्पर्य है कोशिश कर रही हो?

छै माह से उसने मुंह बनाते उत्तर दिया। और तुम मेरे बारे में तुम्हें पता कैसे चला?

वो रशियन है ना! जुआड़ी जोड़ा! तुम उन्हें जानती हो ? है न।

अच्छी तरह से! बरबरा और दूमारे वे बेहद प्यारे हैं, वे हमेशा जोर-जोर से बातें करते है, जहां कहीं भी क्यों न हो।

वह बेहद कोमलता के साथ वह मुस्कराई, चेहरे पर जरा सी भी शिकायत या नाराजगी का रेशा न था। चार्ल्स हेनरी को यह बेहद भाया।

उसने माथे पर बल डाल कर सोचा और कहा- अच्छा तुम्हें मेरे बारे मैं कैसे पता चला?

ओह, कहते हंसते हुए उसका सिर ऊपर की ओर उठा ;एक बार फिर दो बीस वर्षों को हो गई यह तोबेहद सरल है। मुझे आजतक एक भी मुंछ आपके पुरूष नहीं मिला है जिसे बीस से केबल हृदय विहीन औरते ही मिली है। यह प्रेम ही नहीं। तुम्हारे जो तरीके है मेरे प्यारे दिसकाउंट अतिरेक पर आधारित है तुम्हें अपनी कहानी में नए मोड़ देने की आवश्यकता है।

वे दिल खोलकर हंस ले इतनी जोर से कुछ कदमों के पायलों पर अपने ही के उहलन के साथ नृत्य करती ब्रुनहिल्दे ने उनकी ओर नाराजगी भरी ओर में से जिसका कोई प्रभाव उनके अंधेरे कोने पर बिल्कुल भी नहीं पड़ी।

तुमने मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं दिया। तुमने क्या किया होता? चार्ल्स हेनरी अपने प्रश्न पर दोहरा आया। बिना इसका ध्यान रखे कि वह स्थिति में धीरे से पहुंच गया है। तुमने क्या किया होता यदि मैं तुम्हारे छात्र से विवाद कर लेता है।

ओह! मेरी पहली प्रतिक्रिया तो ले ली थी आराम की पोप होती और फिर सच बोलूं, मुझे पता नही है। मैंने तुम्हें शाप किया होता और उसी में तुम पर दया भी बहुत आती। हां, लेकिन एक बात तो बतलाओ, वो डाडेगान की वो स्टेट क्या वह भी काल्पनिक है?

बिल्कुल भी नहीं, चार्ल्स हेनरी ने सम्मानता की ओर लौटते हुए कहा, वह दरअसल डाडेगाने में है। मेरामतलब है पेरिस से बहुत दूर जमीन को बहुत समय पहले गिरवी रख दिया गया था और मैं उसे कभी बेच ही नहीं सका।

तुम ब्रुनेहेल्दे को नही ले जाने के बारे में सोच रहे थे न? उसने पूछा अनजाने में वह भूतकाल में बात कर रही थी।

अरे नही। चार्ल्स हेनरी ने कुछ ज्यादा ही जोर से सशंक्त होते कहा। नहीं, सच यह है कि मैं ऐसी किसी स्त्री से परिचित ही नहीं हूं जिसे मैं वहां ले जाऊं। वहां, या कहीं और उसने आगे जोड़ा। पेरिस के अलावा मैं कहीं रहा ही नही हूं। मेरे लिए वहां... वह वाक्य के बीच में ही रूक गया, उसे पूरा करना चाहा, फिर यह विचार ही छोड़ दिया। वो वायलिन खतरे की घंटी बजा रहे थे और साथ ही उसकी सहयोगी भी, अपनी समुद्री हरी आंखें और चिंता रहित हंसी से, उसको चेहरे पर कोमलता के माथ बेहद प्यारी ही स्मृतियां थीं, यह स्त्री जिसका भूत उदारता भरी मूर्खताओं से भरा है। उसने अपने हाथ खींच लिया जब उसने उसके हाथ पर हाथ रखा और उसके प्रश्न पूछने के पहले की उनका अनुमान कर उसने फिर हिला दिया।

लेकिन भला क्यों नहीं? मैं तो उस जगह के लिए मरी जा रही हूं उसकी मुस्कान जो आंखों में आंख किये हुए बेहदआकर्षक हो गई थी। जैसे वह आत्मविश्वास, आनन्द और राहत से उपजी हो।

चार्ल्स हेनरी ने उस मुस्कान के प्रभाव के बहुत कठिनाई से प्रभावित करने से आनंद -प्रसन्नता के अचूक अवसर को मिस ही कर लिया होता यदि उसी पता युवती ब्रूनहिल्दे ने वहां पहुंचने का चुनाव नहीं किया होता टेबिल के सामने नीचे तनकर खड़े हो जैसे उसी लकड़ी में निर्मित हो बिजली छोड़ती आंखों और तेज आवाज के साथ उसने फ्रेंच में कहा- जो इस बार बिल्कुल सही उच्चारित हुये थी व्याकरण की दृष्टि से मेरी कजिन संभवतः आज की रात अपनी उस को भूल नही है।

निराश के साथ चार्ल्स हेनरी के मेदी के चेहरे से मुस्कराहट को गायब होते देखा, उसने उसे जल्दी से कर्मी छोड़ खड़े होते और अपने उपाय की स्वीकृति में फिर झुकाते देखा उसने गौर किया कि वो क्षमा मांगने ही वाली है और तुरंत अनुभव कर लिया कि अपने सामने वह उसे ऐसा कतई करने नहीं देगा, जो उसकी स्वाभाविक रक्षक थी और भावी प्रेमिका।

और मेरे विचार से तुम भी भूल गई हों, उसने खड़े होते कहा, तुम्हारी जवानी कोई बहना तो नहीं हो सकती फ्राकलिन हेटिगेन, उसने नकली सम्मान ओढ़ते कहा, हमारी अपनीभूलने के लिए मेडम कि केवल और मेरे भी नही यह बहाना हो सकता है तुम्हारी क्षमा मांगने में जिसकी मैं प्रतिक्षा कर रहा हूं। और वह इसी सुर में बोलता गया, यहां तक कि अपने पूर्वजों की आत्माओं को जाग्रत करते हुए मेरी कि जिन्होंने पांच वर्ष बेस्टील के जेल में तुमे चौदहवे के अपमान के कारण काटे थे।

युवती बाल्केराह को इस प्रकार के नायक को छोटे अनुभव नही था, चुप सहमी, सकी एक कदम पेर दूसरे पर डालने पर जो पूरी तरह अशोभनीय लग रहा था। ठीक के शिशु की तरह चार्ल्स हेनरी को अनजाने की इस पर ध्यान गया। उसमें मेरी ओर देखने का साहस न था हालांकि वह बिना समय गंदा एसे अपनी बाहों में घेरने को बैचेन था, क्योंकि उसके अंदर में रहने वाले किसी ने उसके लिए निर्णय कर किया था। वह कोई वह था जिसकी बातों पर चार्ल्स हेनरी ने कभी ध्यान दिया ही नही था और जो कुछ नहीं था सिवाय देहाती के पीछे पाये आदमी के जो जिंदगी को आनंद से जीता है, अपनी वेशभूषा थी चिंता करता है, अपनी पानी के प्रति ईमानदार रहता है और जिसे बेहद जल्दी क्रोध आ जाता है।

'मम्मा' युवती ने कहना शुरू किया मम्मा कहती है फिर कहते वो रूक गईउसका चेहरा अचानक लाल हो गया और जोर से चिल्लाये, मैं क्षमा प्रार्थी हूं दौड़कर तेज कदमों से तेजी से जाने के पहले कहा।

चार्ल्स हेनरी शपथ खाकर कह सकता था कि कार्य के बनि भी हिल गये थे और उसकी में पीछे में आती थी प्रतिध्वनि मिली हुए हेसी जो एक तभी जाकर तभी जब उसने दूर के कजिन को अपनी बांहों में कसकर घेर लिया।

..

अनुवाद -

इन्द्रमणि उपाध्याय

489 नारायण नगर, गढ़ा,

जबलपुर (म.प्र) 482003

..

..

 

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: फ्रेंक्‍वाइस सागा की कहानी - दूर का कज़िन
फ्रेंक्‍वाइस सागा की कहानी - दूर का कज़िन
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj2GABIZWeyI-jZqhU8vqHfeXwNMakFX2GA0prc1jcAmRW99etqWz7loLCfh2v8SRRwX9FFGAUJ7sUSiezJKFU_WxmyqVrA1soqFEyBPdQkEGgeCcz0DzIStCgqfUShyphenhyphenvOwPBQR/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj2GABIZWeyI-jZqhU8vqHfeXwNMakFX2GA0prc1jcAmRW99etqWz7loLCfh2v8SRRwX9FFGAUJ7sUSiezJKFU_WxmyqVrA1soqFEyBPdQkEGgeCcz0DzIStCgqfUShyphenhyphenvOwPBQR/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2013/10/blog-post_6449.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2013/10/blog-post_6449.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content