सुशील यादव का व्यंग्य - आ बैल...

SHARE:

आ बैल ....... बैल को, शायद ही किसी ने आक्रमक होते देखा हो ?शायद इसी कारण इस निरीह प्राणी को हर कोई लड़ने के लिए , दावत देने की, हिमाकत और ह...

आ बैल .......

बैल को, शायद ही किसी ने आक्रमक होते देखा हो ?शायद इसी कारण इस निरीह प्राणी को हर कोई लड़ने के लिए , दावत देने की, हिमाकत और हिम्मत कर लेता है ,....चैलेंज दे डालता है.... आ ..मार।

सांड को लड़ने के लिए ललकारने वालों का इतिहास, न समाज में और न ही राजनीति में कहीं मिलता है। इस विषय में शोध करने वाले व्यर्थ माथा –पच्ची न करें, वरना आपके गाइड सालों –साल आपको, सब्जी-भाजी लाने के लिए थैला टिकाते रहेगा ,अंत में मिलेगा कुछ नहीं। खैर, सांड टाइप शख्शियत, जो बिना कहे लड़ने-लडाने के लिए हरदम तैयार रहता है ,लोग उससे बच के निकलने में ही बुद्धिमानी समझते हैं।

सांड से कितना भी बचना चाहो, तो भी वो आपके सायकल,मोटर सायकल,स्कूटर,गाडी के सामने आम चौराहे पर खडा हो जाता है। दम है तो निकल के देख ?

गाहे –बगाहे, बिना कारण आफत को न्योता देना, “आ बैल मुझे मार” के तार्किक मायने कहे जाते हैं। मैं कुछ लोगों को करीब से जानता हूँ ,उनके दिमाग में ‘बैल से नूरा कुश्ती’ का कीड़ा कुलबुलाते रहता है।

बैल को पता नहीं किन कारणों से हमने राष्ट्रिय स्तर पर सजग ‘प्राणी’ होने की मान्यता नहीं दी ? हालांकि उससे हल जुतवाये ,गाड़ी में भर-भर के सामान खिंचवाया ,मगर जब श्रेय देने की बात हुई तो हम अच्छे मौसम और उत्तम बीज की चर्चा करके रुक गए। ये कभी नहीं कहा कि “दो जोड़ी बैलों” ने इज्जत रखने में अपना अहम् रोल निभाया।

बैलों ने भी कभी इंसानों से, अपनी उपेक्षा की शिकायत नहीं की| उन्हें कभी किसी बात पे वाहवाही लूटने ,अपनी प्रशंसा सुनने का सरोकार नहीं रहा| वे निरपेक्ष बने रहे। उनके चेहरों में शिकन भी देखने को नहीं मिला कि कैसे मालिक से पाला पड़ा है ?यहाँ तक कि ,उनके हिस्से का चारा खाने वालो के खिलाफ भी वे निरपेक्ष बने रहे। वे अमीर-गरीब,ऊँचे-नाटे ,सभी मालिकों के वफादार रहे। नियत समय पर खेत जोत देने और गोबर कर देने के उनकी दिनचर्या के अनिवार्य क्षणों में कोई तब्दीली नहीं हुई। कितनी भी परिस्थतियाँ बदली ,उन्हें कितनी भी प्रतारणायें मिली ,उनको दल बदलते कभी देक्खा ही नहीं गया।

मैंने बैलों में, श्रंगार की अनुभूति का आनन्द लेते, सिर्फ प्रेमचन्द जी की कहानी ‘हीरा-मोती’ में महसूस किया|वैसे सजे –सजाये बैल फिर कभी सुने-दिखे नहीं।

बैल जोडी के निशाँन को लेकर एक पार्टी का बरसों राज चला। सचमुच में वे दिन बैलों की तरह निश्चिन्त ,निसफिक्र,निर्विवाद थे महंगाई के मुह खुले न थे। कालाबाजारी ,घूसखोरी भ्रस्टाचार पर नथे हुए बैलों की तरह लगाम लगे थे।

बैल को बैल की तरह देखने की प्रवित्ति में एक अलग भाव तब उत्पन्न होता है, जब हम शिवालय जाते हैं। अगाध श्रद्धा उमड़ती है| वहां के ‘नंदी’ को बैल जैसा कोई कह नहीं पाता, लगभग सभी भक्तों को खाते –पीते मस्त ‘सांड’ के माफिक दिखता जो है।

आज की पीढ़ी को कोल्हू के बैल की कथा सुनाने व् महसूस कराने में शायद हम कामयाब न हों मगर हमने अपनी आंखों से कोल्हू के बैल को तिल की घानी में घूमते हुए देखा है। पांच कंडील, सदर बाजार जाने के रास्ते एक खुफिया किस्म का मकान आता था ,तेल से बजबजाता एक अब-तब टूटने लायक फाटक ,एक मिली-कुचैली सी साडी में लिपटी हुई बुजुर्ग सी औरत ,एक तेल पेरने की घानी, और नथुनों में समा जाने वाली तिल के तेल की गंध। बहुत दूर से पता चल जाता था कि कहीं तेल निकल रहा है। उस जमाने का समझो वो ऑटोमेटिक मशीन था ,एक बार तिल डाल दो ,बैल चक्कर पे चक्कर मार के तेल निकालता रहेगा। सुबह-दोपहर –शाम ,सर्दी –गर्मी बरसात ,आप सुबह दातून करते वक्त, या रात सेकंड शो पिक्चर से लौटते समय, कभी भी देख लो, बैल का अनवरत चक्कर चलते रहता था।

बैल के नाम पर कर्ज लेने वाले किसान आजकल नदारद से हो गए। इन दिनों कभी आपने सूना है कि, किसान अपनी पत्नी से गंभीर मंत्रणा कर रहा हो कि मंगलू की अम्मा ,सोच रहा हूँ ,इस साल एक जोड़ी बैल खरीद लेते ?खेत पिछले कई सालों से ठीक से जुते ही नहीं, फसलें बिगड़ रही हैं।

इन संवादों के पीछे मंगलू की अम्मा को, भ्रम यूँ होने लग जाता है कि उनके पति को भूत –परेतों का साया तो नहीं लग गया है। वे चुड़ैल के चक्कर में तो नहीं फंस गए कहीं ?आज बैल खरीदने की बाध्यता या मजबूरी कहाँ रह गई ?

कहाँ तो एक रपये-दो रुपये में मजे से चांवल-गेहूं मिल रहे हैं ?क्या करेंगे बैल जोडी लेकर ?जगह भी कहाँ है इनको रखने की?नौकर कहाँ है जो देख –रेख करे ?पत्थर ,सीमेंट या टाइल्स बिछे घरों को अब गोबर से लीपता कौन है?

अब जब टी वी , फिज, मोबाइल -मकान के नाम पर आधा गाँव लोन उठा रहा हो , बैलों के नाम पर लोन की कोई सोचे तो लोग पागल ही कहेंगे ना ?

फिल्मों से भी ये सब्जेक्ट कब का उठ गया है। अब कोई सुक्खी लाला ,’राधा रानी के बैलों को’ छुड़ाने के पीछे, हाथ धोकर पड़े नहीं मिलता। गरीब प्रोडूसर जो सौ –दो सौ करोड़,बिना बैल डाले , मेहनत से कमा रहे है ,अगर बैल-नुमा एक सीन डाल दें तो फ़िल्म अगले दिन ही फ्लाप हो जाए।

मुझसे अक्सर यह पूछा जाता है कि ,शहरों में अब बैल होते नहीं ,कोई भला किससे कहे कि आ बैल मुझे मार ?

मैं पूछने वालों की बुद्धि पर तरस खा जाने वाली निगाह से देखता हूँ। इस निगाह से देखने का मतलब ये भी होता है, कि मुझे आज के जमाने के, दिमागी तौर से तंग लोगो पर हैरानी ,कोफ्त,या गुस्से का मिला-जुला भाव आ रहा होता है। स्सालों , हर शाख पे उल्लू बैठा है की तर्ज पर ,यहाँ हर गली में दो पैरों वाले ,पते –लिखे ,अपढ ,गंवार ,ढीठ ,जिद्दी ,अकडू ,येडा , कोल्हू के बैल बैठे हैं, घूम रहे हैं, तुझे दिखाई नहीं देता ?

राजनीति वाले, ‘बैलों’ को यूँ बुलाते हैं ,धारा १४४ लगी हो, तो तोड़ो ,आचार संहिता है, तो उलंघन करो।

किसी ने अपने दल की जरा तारीफ की, तो उसका पिछ्ला इतिहास ढूंढ कर बखिया उधेडो|

भाई भतीजा ,माँ-बहन की तह तक जा कर मीडिया के सामने परोस के रख दो जनता मायने निकलते रहेगी।

जनता तुम्हारे वादे पर एतबार करके, तुम्हें राज करने भेजती है , तुम जनता को तंग करने लग जाते हो ?

अपनी नीयत न सम्हाल सकने वाले, अरबों कमान वाले बाबा , “आ बैल की गुहार” बुढापे में लगा बैठते हैं ?

लालच पे लगाम न रखने वाले ,छोटे-छोटे जोखिम उठाने वाले, सैकड़ों लोग हैं जो अकारण ही “बैल के गले की घंटी बनने” का नित प्रयास करते हैं।

हमारी जनता ‘प्रगति’ के ‘मिल्खा सिंग’ के पीछे भागने की जिद किये रहती है।

भागो मगर इसका भी एक कायदा है|अर्थ-हीन मत भागो,आगे लक्ष्य का कहीं न कहीं ‘मैडल’ अवश्य हो। उस रफ्तार को अगर पाना है तो मेहनत -मशक्कत-तैय्यारी- सोच तो रहनी चाहिए न ?

अपना मतदान अवश्य करें,गंभीरता-गहराई से करें, भूले से भी किसी बैल को दावत न भेजे,कि आ मार .....

सुशील यादव

न्यू आदर्श नगर दुर्ग (छ ग) 6.3.14

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. Bail vo praani hai jo mehnat sabse jyada karte hain aur aanand unki kismat men nahi hota aur saand vo praani hai jo mehnat to nahi karta par maja sabse jyad use hi prapt hota hai aur virodhabhas dekhiye log bail ko to lalkarten hain par saand ko lalkarte maine kisi ko nahin dekha ki "AA SAAND MUJHE MAAR" ye bhi apni apni kismat ki baat hai uttam lekhan ke liye Bhai Shusheel ji ko hamari badhaii

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: सुशील यादव का व्यंग्य - आ बैल...
सुशील यादव का व्यंग्य - आ बैल...
http://4.bp.blogspot.com/-0oXh_kNgjiw/TvwWmMVVnhI/AAAAAAAAASI/k2eeKYYaji8/s220/sushil_photo.jpg
http://4.bp.blogspot.com/-0oXh_kNgjiw/TvwWmMVVnhI/AAAAAAAAASI/k2eeKYYaji8/s72-c/sushil_photo.jpg
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2014/03/blog-post_9.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2014/03/blog-post_9.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content