भारत की प्रमुख भाषाओं का विवरण तथा हिन्दी-उर्दू एवं मैथिली की स्थिति के सम्बंध में टिप्पण प्रोफेसर महावीर सरन जैन भारत की प्रमुख 20 भाषाए...
भारत की प्रमुख भाषाओं का विवरण तथा हिन्दी-उर्दू एवं मैथिली की स्थिति के सम्बंध में टिप्पण
प्रोफेसर महावीर सरन जैन
भारत की प्रमुख 20 भाषाएँ निम्न हैं -
क्रम | भाषा का नाम | 2001 की जनगणना के अनुसार वक्ताओं की संख्या | भारत की जनसंख्या में भाषा के वक्ताओं का प्रतिशत | 1991 की जनगणना के अनुसार वक्ताओं की संख्या | भारत की जनसंख्या में भाषा के वक्ताओं का प्रतिशत |
1 | हिन्दी (परिगणित) | 422,048,642 | 41.03 % | 329,518,087 | 39.29 % |
2 | बांग्ला / बंगला (परिगणित) | 83,369,769 | 8.11 % | 69,595,738 | 8.30 % |
3 | तेलुगू (परिगणित) | 74,002,856 | 7.19 % | 66,017,615 | 7.87 % |
4 | मराठी (परिगणित) | 71,936,894 | 6.99 % | 62,481,681 | 7.45 % |
5 | तमिल (परिगणित) | 60,793,814 | 5.91 % | 53,006,368 | 6.32 % |
6 | उर्दू (परिगणित) | 51,536,111 | 5.01 % | 43,406,932 | 5.18 % |
7 | गुजराती (परिगणित) | 46,091,617 | 4.48 % | 40,673,814 | 4.85 % |
8 | कन्नड़ (परिगणित) | 37,924,011 | 3.69 % | 32,753,676 | 3.91 % |
9 | मलयालम (परिगणित) | 33,066,392 | 3.21 % | 28,061,313 | 3.62 % |
10 | ओडिया / ओड़िआ (परिगणित) | 33,017,446 | 3.21 % | 28,061,313 | 3.35 % |
11 | पंजाबी (परिगणित) | 29,102,477 | 2.83 % | 23,378,744 | 2.79% |
12 | असमिया /असमीया (परिगणित) | 13,168,484 | 1.28 % | 13,079,696 | 1.56 % |
13 | मैथिली (परिगणित) | 12,179,122 | 1.18 % | हिन्दी के अन्तर्गत परिगणित | |
14 | भीली / भिलोदी | 9,582,957 | 0.93 % | 5,572,308 | |
15 | संताली (परिगणित) | 6,469,600 | 0.63 % | 5,216,325 | 0.622 % |
16 | कश्मीरी / काश्मीरी (परिगणित) | 5,527,698 | 0.54 % | विवरण अनुपलब्ध | |
17 | नेपाली (परिगणित) | 2,871,749 | 0.28 % | 2,076,645 | 0.248 % |
18 | गोंडी | 2,713,790 | 0.26 % | 2,124,852 | |
19 | सिंधी (परिगणित) | 2,535,485 | 0.25 % | 2,122,848 | 0.253 % |
20 | कोंकणी (परिगणित) | 2,489,015 | 0.24 % | 1,760,607 | 0.210 % |
इनमें हिन्दी एवं उर्दू भाषिक दृष्टि से भिन्न भाषाएँ नहीं हैं। मैथिली 1991 की जनगणना में हिन्दी के अन्तर्गत ही समाहित थी। नेपाली एवं सिंधी का भारत में भाषा-क्षेत्र नहीं है। भीली, संताली एवं गोंडी को छोड़कर शेष भाषाएँ मानचित्र में इस प्रकार प्रदर्शित की जा सकती हैं।
1. हिन्दी – उर्दू *
यद्यपि भारतीय संविधान के अनुसार हिन्दी और उर्दू अलग अलग भिन्न भाषाएँ हैं मगर भाषिक दृष्टि से दोनों में भेद नहीं है।
इस दृष्टि से विशेष अध्ययन के लिए देखें –
1. प्रोफेसर महावीर सरन जैन: हिन्दी-उर्दू का सवाल तथा पाकिस्तानी राजदूत से मुलाकात, मधुमती (राजस्थान साहित्य अकादमी की शोध पत्रिका), अंक 6, वर्ष 30, पृष्ठ 10-22, उदयपुर (जुलाई, 1991))। 2. प्रोफेसर महावीर सरन जैन: हिन्दी-उर्दू, Linguistics and Linguistics, studies in Honor of Ramesh Chandra Mehrotra, Indian Scholar Publications, Raipur, pp. 311-326 (1994))। 3. प्रोफेसर महावीर सरन जैन: हिन्दी – उर्दू का अद्वैत, संस्कृति (अर्द्ध-वार्षिक पत्रिका) पृष्ठ 21 – 30, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली, (2007))। 4. हिन्दी एवं उर्दू का अद्वैतः (रचनाकार, 06 जुलाई, 2010) http://www.rachanakar.org/2010/07/2.html 1. हिन्दी-उर्दू का अद्वैतः अभिनव इमरोज़, वर्ष – 3, अंक – 17, सभ्या प्रकाशन, नई दिल्ली, पृष्ठ 34 – 43 (जनवरी, 2014) |
2. मैथिली की स्थिति –
भारतीय संविधान में 22 दिसम्बर, 2003 से मैथिली को हिन्दी से अलग परिगणित भाषा का दर्जा मिल गया है। लेखक ने अन्यत्र स्पष्ट किया है कि खड़ी बोली के आधार पर मानक हिन्दी का विकास अवश्य हुआ है किन्तु खड़ी बोली ही हिन्दी नहीं है। ‘हिन्दी भाषा क्षेत्र’ के अन्तर्गत जितने भाषिक रूप बोले जाते हैं उन सबकी समष्टि का नाम हिन्दी है। ‘हिन्दी भाषा क्षेत्र’ के अन्तर्गत ही मैथिली भी आती है।
इस दृष्टि से विशेष अध्ययन के लिए देखें –
1. प्रोफेसर महावीर सरन जैन: भाषा एवं भाषा-विज्ञान, अध्याय 4, भाषा के विविध रूप एवं प्रकार, लोक भारती प्रकाशन, इलाहाबाद (1985))। 2. प्रोफेसर महावीर सरन जैन: हिन्दी भाषा के विविध रूप, श्री जैन विद्यालय, हीरक जयंती स्मारिका, कलकत्ता, पृष्ठ 2-5 (1994) 3. प्रोफेसर महावीर सरन जैन: हिन्दी भाषा के उपभाषिक रूप, हिन्दी साहित्य परिषद्, बुलन्द शहर, स्वर्ण जयंती स्मारिका (1995) 4. प्रोफेसर महावीर सरन जैन: अलग नहीं हैं भाषा और बोली, अक्षर पर्व, अंक 6, वर्ष 2, देशबंधु प्रकाशन विभाग, रायपुर (1999) 5. प्रोफेसर महावीर सरन जैन: हिन्दी की अंतर-क्षेत्रीय, अंतर्देशीय एवं अंतर्राष्ट्रीय भूमिका, सातवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन स्मारिका, पृष्ठ 13-23, भारतीय सांस्कृतिक सम्बंध परिषद्, नई दिल्ली (2003) 6. प्रोफेसर महावीर सरन जैन: संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषाएँ एवं हिन्दी, गगनांचल,पृष्ठ 43 – 46, वर्ष 28, अंक 4, भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद्, नई दिल्ली, (अक्टूबर – दिसम्बर, 2005))। 7.हिन्दी भाषा का क्षेत्र एवं हिन्दी के क्षेत्रगत रूपः (रचनाकार, 05 जुलाई, 2010) http://www.rachanakar.org/2010/07/1.html 8.प्रोफेसर महावीर सरन जैन: हिन्दी, विश्व हिन्दी पत्रिका – 2011, पृष्ठ 17-23, विश्व हिन्दी सचिवालय, मॉरीशस (2011))। 9. हिन्दी भाषा के विविध रूप (रचनाकार, 14 सितम्बर, 2012) www.rachanakar.org/2012/09/blog-post_3077.html 10. http://www.scribd.com/doc/105906549/Hindi-Divas-Ke-Avasa 11. हिन्दी दिवस पर संदेश (रचनाकार, 14 सितम्बर, 2012) www.rachanakar.org/2012/09/blog-post_3077.html 12. हिन्दी भाषा के सम्बन्ध में कुछ विचार (प्रवक्ता, 20 जून, 2013) http://www.pravakta.com/reflections-in-relation-to-hindi-language 13. हिन्दी भाषा के सम्बंध में कुछ विचार (उगता भारत, 26 जून, 2013) 14. हिन्दी देश को जोड़ने वाली भाषा है (रचनाकार, 14 सितम्बर, 2013) http://www.rachanakar.org/2013/09/blog-post_14.html 15. हिन्दी देश को जोड़ने वाली भाषा है; इसे उसके अपने ही घर में न तोड़ें (प्रवक्ता, 14 सितम्बर, 2013) http://www.pravakta.com/hindi-is-the-language-of-hindustan 16. हिन्दी भाषा के सम्बंध में कुछ विचार: विश्व हिन्दी पत्रिका, पाँचवा अंक, विश्व हिन्दी सचिवालय, भारत सरकार व मॉरीशस सरकार की द्विपक्षीय संस्था, मॉरीशस (2013) |
2001 की जनगणना के अनुसार हिन्दी के वक्ताओं की संख्या 422,048,642 है। उर्दू के वक्ताओं की संख्या 51,536,111 है तथा मैथिली के वक्ताओं की संख्या 12,179,122 है। हम अलग अलग आलेखों एवं पुस्तकों में विवेचित कर चुके हैं कि भाषिक दृष्टि से हिन्दी एवं उर्दू में कोई अन्तर नहीं है।इसी प्रकार हम विभिन्न आलेखों में हिन्दी भाषा-क्षेत्र की विवेचना प्रस्तुत कर चुके हैं जिससे यह स्पष्ट है कि मैथिली सहित किस प्रकार हिन्दी भाषा-क्षेत्र के समस्त भाषिक रूपों की समष्टि का नाम हिन्दी है। इस आधार पर हिन्दी-उर्दू के बोलने वालों की संख्या (जिसमें मैथिली की संख्या भी शामिल है) है – 585,763,875 ( अट्ठावन करोड़, सत्तावन लाख, तिरेसठ हज़ार आठ सौ पिचहत्तर) । यह संख्या भाषा के वक्ताओं की है। भारत में द्वितीय एवं तृतीय भाषा के रूप में हिन्दीतर भाषाओं का बहुसंख्यक समुदाय हिन्दी का प्रयोग करता है। इनकी संख्या का योग तथा विदेशों में रहने वाले हिन्दी भाषियों की संख्या का योग सौ करोड़ से कम नहीं है।
प्रोफेसर महावीर सरन जैन
COMMENTS