ओम प्रकाश शर्मा की कहानी - नया मोड़

SHARE:

नया मोड़ उस दिन नागेश ने जल्दी-जल्दी अपना कार्य समाप्त किया । अपने औजार बैग में ड़ाले और साहब के आने की प्रतीक्षा करने लगा। थोड़ी देर के बाद स...

नया मोड़

उस दिन नागेश ने जल्दी-जल्दी अपना कार्य समाप्त किया । अपने औजार बैग में ड़ाले और साहब के आने की प्रतीक्षा करने लगा। थोड़ी देर के बाद साहब तो नहीं उनका अर्दली बाहर आया । नागेश ने उसे सभी स्विच ऑन करके दिखाए तथा अन्य ठीक किया सामान उसको सौंपते हुए उससे बोला,‘‘सारा काम हो गया है। साहब से पूछ कर बताएँ कि क्या अब मैं जा सकता हूँ।“ थोड़ी देर में साहब अन्दर से आए उन्होंने स्वयं सभी चीज़ों का निरीक्षण किया और बोले ,‘‘धन्यवाद, तुम्हें कष्ट दिया । ठहरो जरा चाय पी कर जाना। ’’ और अर्दली रामलाल की ओर इशारा किया ।

“ सर, चाय पीने का मेरा जरा भी मन नहीं है, यदि आपकी अनुमति हो तो मैं जाऊँ।“

‘‘ फिर जैसी तुम्हारी इच्छा ”

नागेश ने साहब को स्लूट किया अपना बैग उठाया और चल पड़ा । वह शीघ्र ही ऐसे स्थान पर जाना चाहता था जहाँ वह थोड़ी देर तक पढ़ सके । उसने बी. ए. प्रथम का दाखिला भर रखा था । परीक्षा का निकट का समय नजदीक आ गया था पिछले कल रोल नम्बर भी पहुँच चुका था। कार्य की व्यस्तता के कारण उसे अपनी पाठ्य पुस्तकों को एक बार भी सही तरीके से पढ़ने का अवसर भी नहीं मिला था। पुलिस की नौकरी और साथ में तकनीकी कार्य। कहीं न कहीं किसी अधिकारी के कार्यालय या घर पर बिजली खराब हो जाती थी और तत्काल फोन पर बुलावा आ जाता था। यूँ भी पुलिस लाईन की बैरक मैं रह कर पढ़ाई करना उस समय अपने आप में एक नई बात थी।

यूँ भी एक हाल नुमा कमरे में दोनों ओर बीस-बीस पुलिस कर्मियों के बिस्तर लगे रहते हैं । कोई डयूटी पर जा रहा है तो कोई आ रहा है, तो कभी कोई जोर जोर से किसी घटना का वर्णन कर रहा है। अन्य साथी उसका आनन्द ले और आगे सुनाने के लिए कह रहे है,कभी जोर जोर से ठहाका लगाते है तो कभी उसकी बात में अपनी बात जोड़ कर कुछ कहने लगते है। उधर किसी कोने में चार लोग ताश की बाजी लगाए बैठे हैं तो साथ ही दो चार दर्शक उन्हें घेर कर खड़े हो जाते हैं तथा खिलाड़ियों बाजी देखने के साथ-साथ बीच -बीच में अपनी सलाह देते रहते हैं और बाजी खत्म होने पर अपना-अपना तपसरा देने से पीछे नहीं रहते। ऐसे वातावरण में पढ़ना असंभव नहीं तो एक दुष्कर कार्य अवश्य है ।

यदि हम गहराई से देखें तो पुलिस कर्मी का हर दिन एक नवीन अनुभव ले कर आता है। प्रतिदिन नए-नए लोगों से सम्पर्क होता है। नौकरी ही ऐसी है कि कभी कभी तो खाना खाने का समय नहीं लगता । वैसे भी आठ पहर यानि कि चौबीस घण्टे की नौकरी है। काम नहीं भी है तब भी अपने क्षेत्र को छोड़कर बाहर नहीं जाया जा सकता न जाने कब कोई अमरजैंसी आ पड़े। कब बिगुल बज जाए और फालन होना पड़े। यही कारण है कि वरिष्ठ अधिकारी भी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के अवकाश के प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए हिचकिचाते हैं। वे सोचते हैं कि भगवान न करे अचानक कोई दुर्घटना घटित हो गई या बीच में किसी विशिष्ट व्यक्ति का कार्यक्रम आ गया और नफ़री की कमी पड़ गई तो वे अपने उच्च अधिकारियों को क्या उत्तर देंगे। यूँ भी कमरों में बैठे व्यक्तियों को एकत्रित करने उनके वर्दी पहनने तथा नियत स्थान में पहुँचने में कुछ तो समय लगता ही है। इसी अवधि के दौरान लोगों में हलचल मच जाती है, दूरदर्शन पर तत्काल ब्रेकिंग न्यूज आने लगती है कि पुलिस प्रशासन स सोया है मौके पर अभी कोई पुलिस कर्मी नहीं पहुँचा। वे इतना नहीं समझते कि दुर्घटनाएँ कभी बता कर नहीं आती। यदि कोई पूर्व नियोजित कार्यक्रम हो और पुलिस कर्मी न पहुँचे तो बात जँचती है परन्तु अकस्मात हुए हादसों में एक दम ही पुलिस की छवि को धूमिल करना उनके उत्साह को कम करना ही कहा जा सकता है।

नागेश था तो पुलिस कर्मी ही परन्तु उसने क्योंकि इलैक्ट्रीशियन का भी डिप्लोमा कर रखा था इसलिए उससे तकनीकी कार्य अधिक लिया जाता था परन्तु जब कभी फोर्स की कमी होती थी तो उसे वर्दी पहन कर भी अपने कर्त्तव्यों का पालन करना पड़ता था। इन परिस्थितियों में भी वह अपनी आगामी शिक्षा को जारी रखना चाहता था। वह कोई न कोई पुस्तक अपने बैग में रखता था। वह कभी एकांत मार्ग में चलते चलते या किसी उचित स्थान में एकांत में बैठ कर पुस्तक के कुछ पन्ने पढ़ लेता था ।

आज भी जैसे वह साहब के बँगले से बाहर निकला वह जल्दी-जल्दी लक्कड़ ब़ाजार होते हुए मालरोड़ पहुँचा और रेलवेबोर्ड की बिल्ड़िंग की ओर चल पड़ा। उसे रास्ते में कई जान पहचान वाले मिले परन्तु उसने उनसे चलती सी बात की । वह रेलवे बोर्ड की बिल्ड़िंग पार कर गार्डन कैसल जिसमें महालेखाकार का कार्यालय है के पास पहुँचा । वह अक्सर इसकी बाईं ओर से विधान सभा को जाने वाले मार्ग के किनारे बने बैंच पर बैठ कर पढ़ लिया करता था । आज भी उसने मन ही मन विचार किया कि वह वहाँ बैठ कर कुछ समय पढे़गा । अपनी मन की एकाग्रता बनाने के लिए उसने दाहिनी ओर पनवाड़ी की दुकान से चार फोर सक्वेयर की सिगरेट खरीदी । डिब्बी से एक सिगरेट निकाल उसने पास की जलती हुई रस्सी सें जलाई और फिर वह उसी बैंच की ओर चल पड़ा। बैंच पर उसने अपना बैग एक ओर रखा और पुस्तक निकाल कर पढ़ने लगा।

उसी समय एक श्वेत वस्त्रधारी महाशय जिनकी लम्बी दाढ़ी थी मूछें कुछ कटी हुई थी और सिर पर मुसलमानी टोपी पहने हुए थे बैंच से थोड़ी दूर पर आकर खड़े हुए। उन्होंने अपने बाएँ हाथ में पकड़ी बाँस की टोकरी से एक छोटी सी चादर निकाली, उसे दोहरा कर ज़मीन पर बिछा दिया व अपनी चप्पल एक ओर खोल स्वयं उस पर बैठ गए। तत्पश्चात उन्होंने एक अखबार का टुकड़ा उस चादर पर बिछाया, टोकरी से दो आम निकाले और उस कागज़ पर रख दिए। थोड़ी देर बाद अपनी जेब चाकू निकाल कर उन्होंने उन आमों को करीने से काटा और खाने लगे।

नागेश ने अभी दो चार पृष्ठ ही पढ़े थे और उसकी सिगरेट जल कर फिल्टर तक आ गई थी । उसके पास माचिस नहीं थी इसलिए उसने दूसरी सिगरेट निकाली और पहली सिगरेट के साथ जोड़ कर सुलगा ली । उधर वे महाशय आम काट कर बड़े आराम से उसे खाने का आनन्द ले रहे थे। उधर कुछ समय बाद नागेश ने तीसरी सिगरेट भी पहले की तरह सुलगाई । यद्यपि वह पढ़ने में इतना मग्न हो जाता था कि सिगरेट बिना कश लगाए ही सुलगते सुलगते समाप्त हो जाती थी और जब अंगुली के पास गर्मी का आभास होता तो वह दूसरी सुलगा लेता । लगभग आधा पौने घंटे के बाद जब बैठे बैठे वह थकान का सा अनुभव करने लगा तो उसने खड़े हो पढ़ने क निश्चय किया | वह उठा और फिर इधर उधर टहलते हुए पढ़ते लगा। इस समय उसकी तीसरी सिगरेट भी समाप्त होने जा रही थी । वह थोड़ी देर रुक कर चौथी सिगरेट निकालने ही जा रहा था कि उस महाशय जो नागेश के लिए अजनबी था ने नागेश को सम्बोधित कर अंग्रेजी में कहना आरम्भ किया, ‘‘जंटलमैन यू आर स्मोकिंग एण्ड आई एम टेकिंग मैंगोज़ आर यू राईट और एम आई। ’’

नागेश उसके अंग्रेजी में कहे इस वाक्य को सुन स्तब्ध रहा और विस्फरित नेत्रों से उसको निहारने लगा। वह वे्यभूड्ढा से एक सिर पर टोकरी में फल उठाकर फल बेचने वाले फल विक्रेता से अधिक कुछ नहीं लगता था। उसके मुख से इस प्रकार अन्तर-राष्ट्रीय भाषा में वाक्य को सुन थोड़ा विचलित हुआ । सिगरेट का टुकड़ा कब उसके हाथ से नीचे गिर गया उसे पता ही नहीं चला । थोड़ी देर सोचने के बाद उसने उत्तर दिया , ‘‘सर यू आर एब्सोल्यूटलि राईट।’

इस वाक्य को सुन कर उन महाशय ने इतना ही कहा, “ दैन जैण्टलमैन लीव इट ।“

फिर अपना सामान एकत्रित किया और उस स्थान से चले गए । नागेश उनके बारे में सोचता ही रह गया । इससे पूर्व भी कई बार लोगों ने उसे सिगरेट पीने से मना किया था परन्तु उसका उसके मन पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ा था परन्तु आज उस अजनबी व्यक्ति के शब्दों ने उसके मानस पटल को हिला कर रख दिया था । वह अब और नहीं पढ़ सका| बैंच पर से उसने अपना बैग उठाया पुस्तक उसमें ड़ाली और पुलिस लाईन की ओर चल पड़ा। रास्ते में पनवाड़ी की दुकान के सामने उसने सिगरेट लेनी चाही लेकिन ज्योंही उसने पैसों के लिए जेब में हाथ ड़ालना चाहा तत्काल उसकी आँखों में उसी महाशय का उपदेश देता हुआ चेहरा सामने आ गया । वह सिगरेट नहीं खरीद सका व आगे चल दिया। इस घटना ने उसके जीवन में नया मोड़ ला दिया।

आज इस घटना को कई वर्ष व्यतीत हो चुके हैं परन्तु नागेश ने सिगरेट को हाथ भी नहीं लगाया न पीने की बाट तो दूर रही। जितनी बार भी उसने सिगरेट को हाथ लगाने का प्रयास किया वही आकृति उसको अपनी आँखों के सामने घूमती दिखाई दी। वह अब भी अपने साथियों के मध्य इस घटना की चर्चा कर दिया करता है और उन महाशय को एक ऐसे गुरु का दर्जा प्रदान करता है जिसे ईश्वर या ईश्वरीय दूत माना जा सकता है। वास्तव में गुरु है ही वही जो व्यक्ति को अंधकार के मार्ग से निकाल कर संमार्ग की ओर ले जाए।

 

(ओम प्रकाश शर्मा )

एक ओंकार निवास,सम्मुख आँगरा निवास,

छोटा शिमला, शिमला-171002

COMMENTS

BLOGGER: 4
  1. शर्माजी,
    कहानी का मुद्दा सटीक है, आपका संप्रेषण भी बहुत अच्छा लगा. कुल मिला कर कहानी बहुत बढ़िया बन पड़ी है. मेरी शुभकामनाएँ.
    अयंगर.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आयंगर जी नमस्कार एवं सकारात्मक टिप्पणी के लिए धन्यवाद |

      हटाएं
  2. गीता दुबे7:31 pm

    कभी-कभी इंसान के साथ कुछ ऐसी घटनाएँ हो जातीं हैं जो हमेशा के लिए उसके मानस पटल पर अंकित हो जातीं हैं, कुछ ऐसी ही घटना घटती है कहानी के नायक नागेश के साथ| कहानी के लिए बधाई ओम प्रकाश जी|

    जवाब देंहटाएं
  3. गीता जी कहानी पढ़ प्रतिक्रया देन हेतु धन्यवाद ,भविष्य में भी आपसे यही अपेक्षा रहेगी |

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: ओम प्रकाश शर्मा की कहानी - नया मोड़
ओम प्रकाश शर्मा की कहानी - नया मोड़
http://lh4.ggpht.com/-f2sKLOUz2EM/VJaCX6UuCLI/AAAAAAAAcPQ/upF-IviZW-E/image_thumb%25255B2%25255D.png?imgmax=800
http://lh4.ggpht.com/-f2sKLOUz2EM/VJaCX6UuCLI/AAAAAAAAcPQ/upF-IviZW-E/s72-c/image_thumb%25255B2%25255D.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/03/blog-post_74.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/03/blog-post_74.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content