सुमन त्यागी की कहानी - ईगो

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ईगो मिस्टर शर्मा के घर आज काफी चहल-पहल है। उनका बेटा मयंक अपनी पत्नी ऋचा को अपने साथ दिल्ली ले कर जा रहा है। सारी तैयारियाँ लगभग पूरी कर ली...

ईगो

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मिस्टर शर्मा के घर आज काफी चहल-पहल है। उनका बेटा मयंक अपनी पत्नी ऋचा को अपने साथ दिल्ली ले कर जा रहा है। सारी तैयारियाँ लगभग पूरी कर ली गईं हैं। सामान भी एक-एक करके गाड़ी में रखा जा रहा है। कभी मयंक का सूटकेस तो कभी ऋचा का बैग। मिसेज शर्मा ने गृहस्थी के लिए जरुरी कुछ चीजें भी उनके साथ रख दी हैं। मिसेज शर्मा काम करते-करते बीच-बीच में ऋचा को गृहस्थी के बारे में समझाती जा रही हैं।"नया शहर है ध्यान से रहना,मयंक का ख्याल रखना,"मिसेज शर्मा ने ऋचा को अचार की बरनी पकड़ाते हुए कहा। ऐसे ही और न जाने कितने लेकिन जरुरी सुझाव मिसेज शर्मा अपनी बहू को दिए जा रही हैं। "ट्रेन में किसी से कुछ लेना नहीं,पहुँचते ही फोन करना,दोनों प्यार से रहना,छोटा-मोटा झगड़ा हो जाये तो जल्दी सुलह कर लेना अब दोनोँ अकेले हो एक दूसरे का ख्याल रखना और हाँ जल्दी ही खुशखबरी सुनाना," मिसेज शर्मा बहू के सिर पर प्यार से हाथ फिराती हुई बोलीं। मिसेज शर्मा की बेटी टीना भी माँ और भाभी के साथ काम में हाथ बँटा रही है लेकिन उसके काम करने के ढंग से स्पष्ट मालूम हो रहा है कि उसका ध्यान काम में न होकर कहीं दूसरी जगह है। काम करते हुए बार-बार कोई न कोई गड़बड़ उससे हो ही जाती। तभी कुछ सामान ले जाते हुए टीना गैलरी में रखे फूलदान से टकरा गई और फूलदान धम्म की आवाज करता हुआ जमीन पर बिखर गया।

"टीना तेरा ध्यान किधर है,"मिसेज़ शर्मा चिल्लाईं। "जा जाकर सोफे पर बैठ तेरे हेल्प करने से तो अच्छा है में अकेले ही सब कर लूँ,"मिसेज शर्मा सोफे की तरफ इशारा करते हुए बोलीं। टीना का तो मन वैसे भी काम में नहीं था । इससे अच्छा और क्या है ? वह जाकर सोफे पर बैठ गई। उसका मन अतीत की स्मृतियों में खोता जा रहा है और बैकग्राउंड में,"ये लड़की भी न, कभी नहीं सुधरेगी, सुबह-सुबह नुकसान कर दिया,पता नहीं कहाँ खोई रहती है,"मम्मी का म्यूजिक जारी है।

ऋचा और टीना पहली बार एक शादी में मिली थी। ऋचा और टीना हमउम्र थी इसलिए दोनों की मुलाकात जल्दी ही दोस्ती में बदल गई। फिर टीना ने अपनी फैमिली को ऋचा के बारे में बताया। ऋचा थी तो टीना की दोस्त लेकिन शर्मा फैमिली को वह बहुत पसन्द आई जिसकी परिणीति ऋचा और मयंक की शादी की बात में हुई। शादी की बात आगे बढ़ी और ऋचा व मयंक की मंगनी हो गई। अब तो टीना और ऋचा का मिलना अक्सर हो ही जाता। फोन पर भी दोनों काफी टाइम चैटरबॉक्स बनी रहती। दोनों ही अपनी पर्सनल बातें शेयर करती फिर चाहे वो स्टडी से रिलेटेड हों या फैमिली से। दोनों में से किसी के भी साथ कुछ भी स्पेशल हो तो एक-दूसरे को बिना बताये उनके पेट में कोई भी बात पच नहीं सकती थी।

व्हाटसप्प,फेसबुक,जीमेल किसी न किसी बहाने दोनों एक दूसरे से जुडी रहती। दोनों का चैट ऑप्सन हमेशा ऑन रहता और घंटों बातें होती। जैसे वे दोनों होने वाली ननद-भाभी न हों बेस्ट फ्रेंड्स हों।

मयंक की शादी के बाद वह अपनी जॉब के लिए दिल्ली चला गया और ऋचा अपनी स्टडी कंपलीट करने के लिए बंगलूर। लेकिन ऋचा और टीना के लिए तो अब भी सबकुछ पहले की तरह ही था।

लेकिन जिंदगी में कोई टिवस्ट न हो तो जिंदगी,जिंदगी न होकर फ़िल्मी कहानी बन जाती है जहाँ सब कुछ अच्छा ही होता है। लेकिन ऋचा और टीना की लाइफ रील लाइफ न होकर रियल लाइफ थी जिसमें एक छोटी सी बात भी बड़ी बनकर रिश्ते की मिठास को खटास में बदल देती है। ऐसी ही एक छोटी सी बात हुई ऋचा और टीना के साथ।

एक दिन दोनों फोन पर ऋचा की शादी के बारे में बातें कर रही थीं। ये बातें बढ़ते-बढ़ते शादी में मिले सामान के बारे में होने लगी। इसी बीच टीना के मुँह से कुछ ऐसा निकल गया जो ऋचा को बिल्कुल भी पसंद नहीं आया। इसके बाद ऋचा ने टीना से कुछ कहा और उनकी बातें बहस में बदल गईं। उसके बाद दोनों ने ही फोन डिसकनेक्ट कर दिया। लेकिन फोन रखने के बाद से ही टीना लगातार रोये जा रही थी। उसे ऐसा लग रहा लग रहा था मानो किसी ने सीसा पिघलाकर उसके कानों में उड़ेल दिया हो। एक मामूली सी बात के लिए रिट्ज ने पूरी फैमिली को दहेज के लिए ब्लेम कर दिया। एक ऐसी बात जिसका अर्थ रिट्ज ने ही गलत लगाया।जिसके लिए वह अपनी सफाई दे चुकी थी। वह बात जिसका परपज रिट्ज को दुःख पहुचाना नहीं था। फिर भी रिट्ज ने उससे सब कहा अनकहा कह दिया। ऐसे ही न जाने कितने विचार टीना के दिमाग में चलते जा रहे थे। टीना को समझ नहीं आ रहा था कि रिट्ज ऐसा क्यों कह रही थी वो भी एक नॉर्मल बात पर। टीना जो रिट्ज के छोटे से दुःख से भी दुःखी हो जाती थी आज अपने आप को ठगा सा महसूस कर रही थी। रिट्ज के लिए उसकी फ्रेंडशिप का कोई महत्व नहीं रह गया था। रिट्ज ने बिल्कुल भी परवाह नहीं की कि उसके इतना कहने पर टीना पर क्या बीतेगी। आज टीना एक दहेज लोभी ननद से ज्यादा कुछ नहीं थी जो अपनी भाभी को परेशान कर रही थी। वह टीवी शोप की वैम्प बनकर रह गई थी । ये वही रिट्ज है जो हमेशा कहती थी,"हे टी ! मैं तुम्हें इतना प्यार करुँगी कि जब भी कोई तुम्हें प्यार करे तो तुम्हें मेरी याद आए। मैं चाहती हूँ कि मेरी टी हमेशा मुझे एक लविंग और केयरिंग फ्रेंड की तरह याद करे। हमारा रिलेशन स्पेशल हो,सबसे स्पेशल"।

वही आज आज कहती है कि मुझे भी कोई ऐसे ही परेशान करे। एक छोटी सी बात के लिए उसने ऐसा कह दिया। टीना के दिमाग में विचारों की उहा-पोह लगातार जारी थी। वह जितना उनको इग्नोर करने की कोशिश कर रही थी वो उतने ही उलझते जा रहे थे। टीना को इस बात का दुःख नहीं था कि रिट्ज ने ये सब कहा । उसे दुःख था अपनी फ्रेंडशिप का जिसमें जरा भी गहराई नहीं थी,जिसमें जरा भी अंडरस्टैंडिंग नहीं थी। क्या इतनी ही थी उनकी फ्रेंडशिप ? क्या एक छोटी सी बात भी इतनी बड़ी बन सकती है ? वह भी तब जबकि टीना सफाई दे चुकी थी सॉरी कह चुकी थी। ऐसे ही विचारों ने टीना को कई दिनों तक घेरे रखा। बात तो आई-गई हो गई लेकिन ऋचा के लिए टीना पूरी तरह बदल गई।

अब ऋचा रिट्ज न रही वह भाभी बन चुकी थी। टीना ने भी अपने आप को टी से दीदी में बदलवा लिया। उस दिन के बाद फोन पर उनकी बातें ज्यादा लंबी न होती। यदि ऋचा बात करने की कोशिश भी करती तो टीना बहाना बनाकर टाल जाती। अब उनकी बातें भाभी और ननद की बातें बनकर रह गई थी, उनमें से फ्रेंडशिप की खुशबू तो जाने कब की खत्म हो चुकी थी। टीना जब भी ऋचा से बात करती तो उसे ऋचा की उस दिन कही हुई बातें याद आ जाती जिन्हें वह लाख कोशिशों के बाद भी नहीं भूल पा रही थी।

दो महीने बाद ऋचा स्टडी कंप्लीट करके ससुराल आई। सबकुछ पहले जैसा ही था वहां सिवाय टीना के। अब ऋचा और टीना में ज्यादा बातें नहीं होती थी। टीना हमेशा अपने आप को किसी न किसी काम में बिजी रखती। जब कुछ काम होता या कोई जरुरी बात होती तभी वह ऋचा से बात करती। टीना ने अपने आप को एक अच्छी ननद के रूप में ढ़ाल लिया। एक भाभी के लिए ननद की जितनी भी ड्यूटीज होती टीना उन्हें हमेशा पूरा करती। ऋचा भी टीना के बदले हुए व्यवहार को समझ गई थी और शायद कारण भी जानती थी लेकिन उसे सही करने की उसने (ऋचा) कभी कोशिश भी नहीं की। लेकिन पता नहीं क्यों आज टीना को बार-बार वह दिन याद आ रहा जब ऋचा शादी के बाद पहली बार अपने मायके गई थी तब न जाने कितने मैसेज किये थे टीना ने ऋचा को बस एक लाइन 'आई मिस यू ' के। आज भी उसके दिल में ऋचा के लिए वही फ्रेंडशिप जिन्दा थी जिसे उसके ईगो ने लगभग मार दिया था। लेकिन आज भी उसका ईगो उसे (टीना) उस फ्रेंडशिप को जिन्दा करने की इजाजत नहीं दे रहा था।

विचारों की तन्द्रा से इतर टीना को अपने कंधे पर हिलने का एहसास हुआ। यह ऋचा थी जो टीना के कंधे को झकझोरते हुए कह रही है," हे टी !खड़ी हो जाओ यार,गले नहीं मिलोगी क्या ? टीना ऋचा को देखे जा रही है और ऋचा लगातार बोले,"मैं बहुत दिनों से आपसे कुछ कहना चाह रही थी लेकिन मेरा ईगो इसकी इजाजत नहीं दे रहा था। लेकिन आज ऐसा ईगो जाये भाड़ में जो एक फ्रेंड को फ्रेंड से दूर कर दे। अगर आज सबकुछ ठीक नहीं हुआ तो शायद ही कभी हो। शायद एक बहुत अच्छी फ्रेंड से मैं हमेशा के लिए दूर हो जाऊँ। पिछले कई महीनों से बड़ी मुश्किल से झेला है आपकी बेरुखी को। अब नहीं झेलना चाहती। अगर कभी कपड़ों पर दाग लग जाये तो हम दाग ही हटाते हैँ न, कपडे तो नहीं। तो फिर रिश्ते में दरार आने पर दरार मिटाइये न,रिश्ता क्यों ? मैने उस दिन आपसे जो भी कहा उसके लिए दिल से सॉरी ,प्लीज मुझे माफ कर दो। मेरी पहले वाली टी बन जाओ प्लीज.................. मेरी अपनी टी "। ऋचा का गला कहते-कहते रुंध गया।

टीना भी जैसे इसी इंतजार में थी। वह झट से सोफे से खड़ी हुई और अपनी दोनों बाँहों को फैलाते हुए बोली,"कम"। उनके गले मिलने से दिल भी मिल गए जो मानों कह रहे हों कि अब कोई ईगो प्रॉब्लम नहीं होगी,कभी नहीँ। उनका ईगो उन दोनों की आँखों से बहने वाले आंसुओं के साथ कहीँ दूर बह गया है।

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रचनाकार: सुमन त्यागी की कहानी - ईगो
सुमन त्यागी की कहानी - ईगो
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