पी.के. का भूत / प्रमोद यादव ‘ गुरूजी.. नमस्कार.. ’ गजोधर ने दोनों हाथ जोड़े बैठक में प्रवेश करते कहा. ‘ नमस्कार..नमस्कार.. आओ गजोधर..आओ..बड़...
पी.के. का भूत / प्रमोद यादव
‘ गुरूजी.. नमस्कार.. ’ गजोधर ने दोनों हाथ जोड़े बैठक में प्रवेश करते कहा.
‘ नमस्कार..नमस्कार.. आओ गजोधर..आओ..बड़े दिनों बाद दिखे..कहाँ खो गए थे भई ? ‘ गुरूजी ने उसकी ओर स्टूल खिसकाते पूछा.
‘ कहीं नहीं गुरूजी..मैं भला कहाँ खोऊँगा ?..वैसे कहीं खो ही गया होता तो ज्यादा अच्छा रहता ..ये नंगाई तो नहीं देखना पड़ता !..’ गजोधर ने गंभीर हो कहा.
‘ क्या हुआ ? किसकी नंगाई की बातें कर रहे हो गजोधर ? किसी ने कुछ कह दिया क्या ? ‘ गुरूजी ने उसे टेंशन में देख पूछा.
‘ नहीं गुरूजी..मुझे भला कोई क्या कहेगा ? पर ये सब देखकर बड़ा दुःख होता है..’
‘ अरे यार..फिर वही बात !.. तुम पहेलियाँ बहुत बुझाते हो ..बताओ माजरा क्या है ? किसकी नंगाई ने तुम्हें इतना आहत कर दिया ? ‘ गुरूजी में फिर पूछा.
‘ गुरूजी ..मैं “ पी.के.” की बात कर रहा हूँ..’
‘ निगम वाले पी. के. वर्मा की बात कर रहे हो जो कई-कई दिनों से तुम्हें नल कनेक्शन के लिए घुमा रहा था ? ‘ गुरूजी ने अनुमान लगाते कहा.
‘ नहीं गुरूजी.. मैं आमिर खान की फिल्म “ पी.के.” की बात कर रहा हूँ..’
‘ तो ऐसा कहो न यार..तुम पी.के.-पी.के. कर रहे हो तो लगा प्रदीप कुमार की बात कर रहे हो..खैर..बताओ पी.के. ने तुम्हें क्यों परेशान कर रखा है ? ..’ गुरूजी ने कहा.
‘ गुरूजी.आप तो जानते ही हैं कि इस फिल्म के पोस्टर ने जिसमें आमिर ट्रांजिस्टर लिए नंगा खडा है, रिलीज के पहले ही पूरे देश में बवाल मचाया..फिर इसके रिलीज होने पर देश के अनेक धर्मावलम्बियों ने इसके प्रदर्शन पर रोक लगाने हंगामा किया..इस फिल्म ने पूरे देश को हलाकान किया..तो मेरा होना भी स्वाभाविक है..’ गजोधर ने एक सांस में कहा.
‘ अरे भई.. पहले ये बताओ तुम हंगामे से हलाकान हो या आमिर के न्यूड सीन से ? मुझे तो इसमें कहीं भी नंगाई नजर नहीं आता.. वे मिस्टर परफेक्टनिस्ट कहे जाते हैं..उनका हर काम “परफेक्ट” होता है ..अब एलियन का किरदार किया है तो नंगा तो रहेगा ही न ? क्या तुमने कभी किसी एलियन को सफारी-सूट या धोती-कुरता में देखा है ? ‘ गुरूजी ने समझाइश देते पूछा..
‘ गुरूजी बात धोती-कुरता..सफारी-सूट या एलियन की नहीं ..बात इस देश की संसकृति..परंपरा और मर्यादा की है..जिसमे यह सब वर्जित माना जाता है..’
गुरूजी ने बात काटते कहा- ‘ वर्जित तो इस देश में और भी बहुत कुछ माना जाता है गजोधर जैसे आवारागर्दी.. चार सौ बीसी.. जुआ..शराब..रिश्वतखोरी..वेश्यावृत्ति.. बलात्कार..पर क्या ये सब होता नहीं ?
‘ पर गुरूजी मैं नग्नता की बात कर रहा हूँ.. क्या एक पुरुष का यूं नग्न होना अश्लीलता नहीं ?’
‘ तुम किस युग की बातें कर रहे हो गजोधर ? आज सब कुछ उन्मुक्त और खुला-खुला है..नारी संसार ने तो एक अरसे से सारी हदें तोड़ दिया है..इनकी न्यूडिटी इतनी आम हो चुकी है कि अब कोई एतराज भी नहीं जताता..आज एक मर्द के नंगा होने पर इतनी बौखलाहट क्यों ? समझ नहीं आता..हर मामले में तो महिलायें पुरुषों से होड़ करती है ..अब एकाध में पुरुष उनसे होड़ कर ले तो बुराई क्या है ? ’ गुरूजी विवाद के मूड में आ गए.
‘ बौखलाहट नहीं गुरूजी..ये अश्लीलता है..इसलिए हंगामा है..आज इसने एलियन के बहाने खुद को नंगा दिखाया..कल कोई और स्टार किसी और बहाने नंगा नाचेगा..हाँ.. नाचने से ख्याल आया गुरूजी कि बैंग बैंग स्टार ऋतिक भी इनकी तरह “मोहनजोदड़ो” फिल्म में नंगा नाचने जा रहे मतलब कि नंगा होने जा रहे..बालीवुड की यही नंगाई है..किसी एक स्टार ने विवादास्पद रोल कर करोड़ कमाया तो दूसरा उससे भी ज्यादा बढ़-चढ़कर कमाना चाहता है..उससे भी बड़ा नंगा होना चाहता है..अब नंगा तो बस नंगा ही होगा न ! इसमें क्या बड़ा और क्या छोटा...’ गजोधर बोलते-बोलते हाँफने लगा.
‘ गजोधर..महिलाओं की नग्नता पर तो कुछ बोलते नहीं ..पुरुष नग्नता से इतने असहज क्यों हो रहे भई ? नग्नता तो कुदरत की देन है ..यह विश्व का शाश्वत सत्य है..इसे स्वीकारो..और फिर फिल्म तो फिल्म है.. आधी हकीकत-आधा फ़साना..इसे ज्यादा सीरियसली क्यों लेते हो ? ’
‘ गुरूजी..आप लाख कह लो कि फिल्म तो फिल्म है..इससे क्या ? पर सच यही है कि आज के दौर में युवा वर्ग फिल्मों से ही तो बनते-बिगड़ते हैं. वे स्टार्स को ही अपना आदर्श मान चलते हैं.. जैसा वे फिल्मों में करते हैं-वैसा ही ये रीयल लाइफ में करना चाहते हैं..अब आप ही देख लो..सलमान ने फिल्मों में बाडी दिखाना क्या शुरू किया सारे स्टार दिखाने तुले गए..जिसे देखो वही शर्ट फाड़ बाडी दिखा रहा.. इनके चक्कर में जिम वालों के वारे-न्यारे हो गए..हर छोटे-बड़े शहरों में जिम खुल गए.. दर्शक बेचारे तो पिद्दी के पिद्दी रहे जिमवाले मुटा गए..अच्छा हुआ हमारे जमाने में दारासिंह और किंगकांग बहुत बाद में आये.. पचास-साठ के दशक में आये होते तो सोचिये बेचारे दिलीप कुमार ,देवानंद राजकपूर किस तरह बाडी दिखाते या कुश्ती करते और उनकी बाडी भला देखता भी कौन ? ‘
‘ गजोधर..तब की बात छोडो..उन दिनों तो ये आलम था कि एक फिल्म की शूटिंग के दौरान सुरैया का आँचल थोडा ढलक क्या गया एक जबरदस्त विवाद हो गया था..अब तो कई मौकों पर कुछेक अभिनेत्रियाँ खुद ऐलान करती हैं कि अमुक मौके पर वह पब्लिकली निर्वस्त्र होना चाहती है तब भी कोई उसे तवज्जो नहीं देता..विवाद तो दूर की बात..इतने सेच्युरेतेड हो गए लोग महिलाओं की नग्नता से..ऐसे में पुरुष नग्नता एक नई करवट ..नया बदलाव है ..हर पल आदमी को बदलाव ही तो चाहिए..और फिर नंगापन आज कहाँ नहीं है ये बताओ ? जानते हो नंगा होना और निर्वस्त्र होना दो अलग-अलग बाते हैं..’
‘ कैसे गुरूजी ? ‘
‘ देखो.. निर्वस्त्र होना नंगा होना नहीं है..नंगाई का सम्बन्ध विचार.. आदत.. कर्म और व्यवहार से होता है..इसमें जो नंगा होता है वही नंगाई है..कपड़ों से नंगा होना कोई नंगाई नहीं..कपडे का आविष्कार तो इंसान ने ही किया..अब देखो पशु-पक्छी तो नंगे ही होते है ..बताओ.. क्या इसे देख कोई अश्लीलता का बोध होता है ? हर कोई संसार में नंगा आता है और उसका नंगा जाना भी तय होता है..तो फिर नग्नता पर इतनी हाय-तौबा क्यों ? जहाँ श्लील-अश्लील स्त्री देह से जुडा मामला है वहीं पुरुष नग्नता ताकत और सौष्ठव से जुडा मामला है..इसमें कोई अश्लीलता नहीं.. जिसके पास है वो ही तो बाडी दिखाएगा..इसमें बुराई क्या ?...’
‘ पर गुरूजी..कमीज फाड़ बाडी दिखाए यहाँ तक तो ठीक है अब कोई कमीज के साथ नीचे का पेंट भी उतार फेंके तो इसे क्या कहें ? ‘ गजोधर ने कहा.
‘ इसे कहानी का डिमांड ही कहो..और क्या कहोगे ?..अब अरसे तक पी.के. का भूत दर्शकों पर हावी रहेगा..अब तो ऐसी ही फ़िल्में आएँगी देखना..और सेंसर बोर्ड किसी का एक फ्रेम भी नहीं कुतर सकेगा..’ गुरूजी ने चेप्टर बंद करने के लिहाज से कहा.
‘ अच्छा गुरूजी..एक बात बताइये..आपको अगर कोई पी.के. जैसी फिल्म बनाने का आफर दे तो आप क्या बनायेंगे ? ‘ गजोधर ने अचानक एक बेतुका सवाल उछाल दिया.
‘ ए.एम.‘ बनाऊंगा..’ गुरूजी ने भी उसी तत्परता से जवाब दिया.
‘ ए.एम.? ये क्या बला है गुरूजी ? अब तक पी.एम.. सी. एम...एफ.एम. सुनते आये..ये ए.एम क्या है ? ‘
‘ ए.एम. मतलब “आदि मानव”...मल्टी स्टारर फिल्म बनाऊंगा..जिसमें सारे के सारे किरदार नंगे होंगे..चारों हीरो नंगा..चारों हिरोइने नंगी..खलनायक नंगा..बाप नंगा..नौकर नंगा..दोस्त नंगा.. सब नंगा ही नंगा..’
‘ गुरूजी.. ऐसी फिल्म बनायेंगे तो सेंसर इसे पास कैसे करेगा ? चलो.. बाई द वे पास कर भी दिया तो प्रदर्शित होते ही फिल्म बैन नहीं हो जायेगी ?.. ‘ गजोधर ने मासूमियत से कहा.
‘ गजोधर..अब जब आज के युवा वर्ग को यही सब देखना है तो जरा तबियत से ही क्यों न दिखाएँ..अब आदि मानव की कहानी में हीरो को सूट-बूट में दिखाऊँगा तो दर्शक मुझे शूट नहीं कर देंगे ? समय,काल और कहानी के अनुसार तो सब कुछ नंगा ही दिखाना होगा..तुम्हे भी अगर मेरे फिल्म में काम करना हो तो अभी से बता दो..पी.के.की तरह दो-चार न्यूड फोटो खिंचवा लो..तुम्हारे लायक कोई रोल निकाल ही लूंगा फिर न कहना कि “आस्कर” ले लिए और हमें पूछा तक नहीं..’
इतना कह गुरूजी एकाएक कमीज और पाजामा उतारने लगे...गजोधर सकपका गया,.
‘ अरे.. अरे..ये क्या कर रहे गुरूजी ?..आप अभी से क्यों नंगा हो रहे ?..मैं तो यूं ही मजाक कर रहा था..’
‘ अरे तो मैं कौन सा हकीकत में नंगा हो रहा हूँ..जोरों का प्रेशर आया है यार इसलिए उतार रहा हूँ..’ गुरूजी ने अजीब सा मुंह बनाते कहा.
‘ क्या गुरूजी..आस्कर अभी आया नहीं और प्रेशर आ गया.. चलिए ..शौचालय में बैठ फिल्म की “ हैप्पी एंडिंग” भी सोच लीजिये..इससे बढ़िया माकूल स्थान और कहीं नहीं मिलेगा..तो ठीक है भई निपटो..बाकी नंगाई मतलब कि बातचीत कल कर लेंगे..विश यू आल द बेस्ट..चलता हूँ..’
इतना कह गजोधर हाथ हिलाते बाहर निकल गया और गुरूजी चड्डी का नाडा थामें टायलेट में घुस गए.
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प्रमोद यादव
गया नगर, दुर्ग , छत्तीसगढ़
रोचक लेख। वैसे ये पहली मरतबा नहीं हुआ है कि किसी कलाकार को निर्वस्त्र दिखाया गया हो। इससे पहले नील नितिन मुकेश की भी एक फिल्म आई थी जिसमे ऐसा कुछ था , फिर सवारियाँ में भी रणबीर कपूर के साथ भी ऐसा ही कुछ था।
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखा है pk
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