20वीं सदी के महान जर्मन लेखक गुंटर ग्रास के निधन पर विशेष

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राजीव आनंद     1959 में विश्व साहित्यिक फलक पर 'द टीन ड्रम' नामक उपन्यास से छा जाने वाले नोबल पुरूस्कार विजेता जर्मन लेखक गुंटर ग्रा...

राजीव आनंद
    1959 में विश्व साहित्यिक फलक पर 'द टीन ड्रम' नामक उपन्यास से छा जाने वाले नोबल पुरूस्कार विजेता जर्मन लेखक गुंटर ग्रास का 13 अप्रैल को 87 वर्ष के उम्र में देहांत हो गया। इतिहास के धुंधले चित्रों को अपने उपन्यासों में स्पष्ट तौर पर उकेरने वाले गुंटर ग्रास को 1999 में साहित्य का नोबल पुरूस्कार से नवाजा गया था।


    शांतिवादी लेखक गुंटर ग्रास अपने आखरी साक्षात्कार में तृतीय विश्वयुद्ध की तरफ नींद में चलते हुए मानवजाति को देख भयभीत लग रहे थे। गुंटर ग्रास अपनी कविता 'व्हाट मस्ट बी सेड' के लिए वर्ष 2012 में काफी चर्चा में रहे, ग्रास अपनी कविता के द्वारा कहना क्या चाहते थे, उसका हिन्दी भवान्तरण इस प्रकार है-


        'व्हाट मस्ट बी सेड' अर्थात जिसे कह देना बेहद जरूरी है
मैं क्यों चुप रहा, छुपाता रहा इतने लंबे समय तक,
उसे जो खूले आम अपनाया जाता है युद्ध के खेल में
जिसके अंत में हममें से जो बचेगें, वो ज्यादा से ज्यादा हशिए पर रहेगें।
यह पहले आक्रमण का कथित अधिकार, जो कर सकता है ईरानी जनता को बर्बाद
चिल्लाते है संगठित रैलियों में इकटठे होकर,
झूकाते है चिल्ला कर शायद हो रहा है एटम बम तैयार
क्यों झिझक रहा हूँ मैं आज तक, उस दूसरे भूमि का नाम लेने से
जहां यद्यपि रहस्मय रखा गया वर्षों से, मौजूदा बढ़ती आणविक शक्ति को
जांच या सत्यापन से परे, किसी अनुसंधान के विषय से बाहर
इन तथ्यों पर आम चुप्पी के, आगे झूक जाती है मेरी चुप्पी
एक परेशां करनेवाला जबरन झूठ, लगता है मुझे जो संभावित सजा की ओर ले जाएगा
उसी पल जब यह बोला जाएगा, 'यहूदी विरोध' का निर्णय आ जाएगा
लेकिन अब मेरे अपने देश को, समय समय पर कहा जाता है करने प्रस्तूत
अपने अपराधों का लेखा जोखा, जो गहरी और तुलना से है परे
इसरायल को दे देता है एक और पनडूब्बी
शुद्ध व्यापारिक डील के नाम पर, यद्यपि छलने के नियत से घोषित,
करता है प्रायश्चित का एक कार्य
जिसकी खासियत उसकी योग्यता में है, जो भेज सकती है आणविक प्रक्षेपास्त्रों को
उस भूभाग में जहां एक भी एटम बम, का वजूद साबित नहीं हो सका है
उसका डरा हुआ वजूद इसका पर्याप्त सबूत है।
मैं कहूँगा जो कहना जरूरी है, परंतु मैं अब तक चुप क्यों रहा ?
क्योंकि मैं सोचा अपनी उत्पत्ति, जिसपर लगा है एक ऐसा दाग
जिसे कभी नहीं जा सकता हटाया, अर्थात मैं नहीं करता आशा इजरायल से
वो जमीन जहां का मैं हूँ और हमेशा, जुड़ा रहूंगा,
कि वो अंगीकार करे खुले सत्य की घोषणा को
क्यों सिर्फ अब, जब मैं बूढ़ा हो गया हूँ, और जो भी स्याही बची है, मै कहता हूँं
इजरायल के आणविक शंक्ति से, खतरा है पहले से ही क्षणभंगूर, विश्वशांति को
क्योंकि यह कहना जरूरी था, शायद कल बहुत देर हो जाती
और क्योंकि काफी वोझ है जर्मन होने के नाते, हम शायद अपराध के लिए समान दे रहे है
जो देखा जा सकता है इसलिए हमलोगों, की अपराध में संलिप्त्ता को साधारण
क्षमायाचना से क्षम्य नहीं किया जा सकेगा।
और इसलिए मैंने अपनी चुप्पी तोड़ी, क्योंकि मैं खिन्न हूँ पश्चिम के पांखड़ से
और मैं आशा करता हूँ कि बहुतो अपने चुप्पी से आजाद हो जायेगें और मांग
करेगें कि जिस खुले खतरे को हम झेलते है, इसके जो लोग जिम्मेवार है
शक्ति के प्रयोग का त्याग करें, ये मांग भी कर सकते है कि ईरान और इजरायल
       दोनों की सरकारें अंतरराष्ट्रीय संस्था, को इजाजत दें बेरोकटोक और खुले जांच की
दोनों के संभावित आणविक क्षमता की
और कोई तरीका मददगार नहीं हो सकता, इजरायलियों और फिलिस्तीनियों को
और उन तमाम लोगों को जो रहते है इस, इलाके के आसपास आपसी दुश्मनी के साथ
और भ्रम से ग्रसित, और अतंत हम सबों के लिए।

गुंटर ग्रास अपनी कविता 'व्हाट मस्ट बी सेड' में तृतीय विश्वयुद्ध की संभावना व्यक्त करते हुए कहते है कि वो क्यों चुप रहकर इतने लंबे समय तक युद्ध के खेल में जो खुलेआम अपनाया जाने वाले उन तौर तरीकों को छुपाते रहे और अगर कहीं युद्ध हो गया तो हममें से जो भी बचेंगें वो ज्यादा से ज्यादा हशिए पर रहेंगें अर्थात सभी मौलीक सुविधाओं से बंचित। कवि आगे कहते है कि पश्चिम जो संगठित रैलियों में इकटठे होकर चिल्ल-चिल्ला कर ईरान को यह कह कर झूकाते है कि वह एटम बम बना रहा है और इसलिए पश्चिम का पहले आक्रमण करने का यह अधिकार ईरान की जनता को बर्बाद कर सकता है। कवि आगे कहते है कि वो क्यों झिझक रहा है इसरायल का नाम लेने से जहां वर्षों से रहस्मय ढ़ंग से आणविक शक्ति बढ़ रहीं है क्योंकि पश्चिम का वरदहस्त इसरायल को प्राप्त है इसलिए वहां आणविक शक्ति की जांच या सत्यापन अनुसंधान के विषय से बाहर है और इस बावत कोई कुछ नहीं बोलता इसलिए आम चुप्पी के समक्ष उनकी चुप्पी झूक जाती है अर्थात हार जाती है। कवि पहले से ही इस संभावना को अपने कविता में व्यक्त कर चुके है जो उनकी कविता के छपने के बाद हुआ। ग्रास कहते है कि अगर ऐसा वे बोले तो उन्हें ऐसा लगता है कि एक परेशान करने वाला जबरन झूठ बना दिया जायेगा जो संभावित सजा की ओर ले जायेगा और उनके 'यहूदी विरोधी' होने का फतवा जारी कर दिया जायेगा।

गुंटर ग्रास आगे कहते है कि उनके अपने देश जर्मनी को समय-समय पर नाजियों द्वारा बरपा अपराध जो कि बहुत ही गहरा और अतुलनीय है के लिए खिचाई की जाती है परंतु फिर उनका देश जर्मनी आधुनिक हथियारों से लैश पनडूब्बी जिसे अपने किए गए जुर्म के प्रायश्चित के नाम पर इसरायल को देता है जबकि यह एक शुद्ध व्यापारिक डील है। इस पनडूब्बी की खासियत यह है कि इसके जरिए आणविक प्रक्षेपास्त्रों को ईरान भेजा जा सकता है जहां अभी तक एक भी एटम बम होने का सबूत नहीं मिला है। ईरान का डरा हुआ वजूद इस बात का सबूत है कि वहां कोई एटम बम नहीं बनाया जा रहा है। कवि आगे कहते है कि यद्यपि जो कहना जरूरी है वह कहेगें परंतु वो जवाब भी दे रहे है कि वे इतने दिनों तक ऐसा क्यों नहीं कहा। कवि कहते है कि क्योकि वे अपने उत्पत्ति के बारे मे सोच रहे थे जिसपर नाजीजुर्म का ऐसा बदनुमा दाग लगा हुआ है जिसे कभी हटाया नहीं जा सकता और वे यह भी कहते है कि इसरायल से उन्हें यह आशा भी नहीं है कि उनके द्वारा किया गया खूले सत्य की घोषणा को वो मान ले। हालांकि इसरायल से अपनी लगाव और जुड़ाव की बात भी ग्रास अपनी कविता में करते है।

अब जबकि वे बुढ़े हो गए है और उनके दवात में कम स्याही बची है अर्थात उनके कुछ दिन दुनिया में रहने का द्योतक है, क्योंकि कल बहुत देर हो जाती कवि यह कहना जरूरी समझता है कि इसरायल के आणविक शक्ति से पहले से ही क्षणभंगूर विश्वशांति को खतरा है और जर्मन होने के नाते उनके उपर पहले से ही काफी अपराध का बोझ है और शायद अभी भी वे जर्मन अपराध का सामान दे रहे है इसलिए अपने को अपराध में संलिपत पाते हुए कहते है कि साधारण क्षमा याचना से उनका अपराध क्षम्य नहीं होगा। कवि आगे कहते है कि इसलिए उन्होनें अपनी चुप्पी तोड़ी क्योंकि वे पश्चिम के पाखंड़ से खिन्न है और आशा करते है कि ऐसा करने से बहुत लोग जो ऐसा कहना चाहते है उनकी भी चुप्पी टूटेगी और जिस युद्ध के खुले खतरे में हम सब जी रहे है और इसके लिए जो लोग जिम्मेवार है उनसे शक्ति के प्रयोग नहीं करने की मांग करेगें और यह भी मांग कर सकते है कि इसरायल और ईरान दोनों देशों की सरकारें अंतरराष्ट्रीय संस्था को बेरोकटोक और पारदर्शी तरीके से दोनों देशों के आणविक क्षमता की जांच करने की इजाजत दें। कवि आगे कहते है कि इसके अलावा और कोई तरीका, इसरायली और फिलिस्तीनियों के साथ-साथ उस इलाकों में आपसी दुश्मनी और भ्रमित होकर रहने वाले तमाम लोगों के लिए और अंतत हमसबों के लिए है ही नहीं, जो मदद कर सकता है।


जर्मन के एक प्रसिद्ध नोबल पुरूस्कार विजेता मारियो वरगॉस लोसा ने गुंटर ग्रास के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि निसंदेह 20वीं सदी के महत्वूपर्ण लेखकों में ग्रास का नाम शुमार है और उनका उपन्यास 'द टीन ड्रम' कथ्य और शिल्प में 20वीं सदी की महानतम रचना है। गुंटर ग्रास के निधन से आम आदमी के साथ दिन गुजारने वाले लेखकों के जमाने का अंत हो गया। विश्व के महान लेखक गुंटर ग्रास को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि

राजीव आनंद
प्रोफेसर कॉलोनी, न्यू बरगंडा
गिरिडीह-815301, झारखंड
संपर्क-9471765417

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रचनाकार: 20वीं सदी के महान जर्मन लेखक गुंटर ग्रास के निधन पर विशेष
20वीं सदी के महान जर्मन लेखक गुंटर ग्रास के निधन पर विशेष
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