नाराज हैं प्रकृति और परमेश्वर

SHARE:

डॉ. दीपक आचार्य पिण्ड और ब्रह्माण्ड का सीधा रिश्ता है जो दिखता भले न हो लेकिन इसके मुकाबले संबंधों की प्रगाढ़ता कहीं और देखी नहीं जा सकती।...

image

डॉ. दीपक आचार्य

पिण्ड और ब्रह्माण्ड का सीधा रिश्ता है जो दिखता भले न हो लेकिन इसके मुकाबले संबंधों की प्रगाढ़ता कहीं और देखी नहीं जा सकती। जिन पंच तत्वों से प्राणियों का निर्माण हुआ है वे प्रकृति से ही प्राप्त हैं और उन्हीं का पुनर्भरण करते हुए जीव अपनी निर्धारित आयु पूर्ण करता हुआ स्वाभाविक जीवन जीता है।

सृष्टि में रहने वाले हर जड़ और चेतन तत्व का संबंध प्रकृति से सीधा जुड़ा हुआ है। अंश और अंशी का संबंध ही है ये। इन सभी में जो चैतन्य तत्व है वह परमात्मा का ही अंश है। प्रकृति को मातृभाव से देखने और आदर-सम्मान देने पर वह हमारा भरण-पोषण, संरक्षण, पल्लवन, पुष्पन और फलन आदि सब कुछ बड़ी ही प्रसन्नतापूर्वक करती है और खुद धन्य होती है।

लेकिन यह सब तभी तक था जब तक कि प्रकृति और हमारा संबंध आत्मीयता भरा और श्रद्धायुक्त था। जब से हमने प्रकृति का शोषण करना आरंभ कर दिया है, भगवान और धर्म के नाम पर अधर्म का आचरण प्रारंभ कर दिया है, धर्म की अपने-अपने हिसाब से परिभाषाएं गढ़ ली हैं, हिंसा, अन्याय, अत्याचार का ताण्डव मचाने लगे हैं, हरामखोरी की आदत बना डाली है, मानवीय मूल्यों का गला घोंट कर रख दिया है और मानवता को फांसी दे दी है, तभी से प्रकृति भी रुष्ट है और भगवान भी।

प्रकृति पहले संतुलित थी, हर कोई प्रसन्नता और आनंद के साथ जीवननिर्वाह करता था, आत्म संतोष का माहौल था और मानवीय मूल्यों का अखूट खजाना इतना भरा हुआ था कि सब तरफ इसका प्रभाव साफ-साफ नज़र आता था।

आज सब कुछ उलटा-पुलटा होता जा रहा है। मर्यादाओं की सारी सीमाएं हम लाँघ चुके हैं, प्रकृति के मनमाने शोषण को हम अपनी जीवनचर्या का अहम् हिस्सा बना चुके हैं, वह सब कुछ करने को अपना अधिकार मान चुके हैं जो एक अच्छे इंसान को कभी नहीं करना चाहिए।

नैतिक मूल्यहीनता के भयानक दौर में गुजरते हुए हम हर व्यक्ति और वस्तु का मूल्य आंक कर ही व्यवहार करने लगे हैं। अपने मूल्य को बढ़ाने के लिए हम दूसरों के मूल्य को कम आंकने और उन्हें मूल्यहीनता की स्थिति में लाने के लिए जो कुछ कर रहे हैं वह अपने आप में सारी की सारी लक्ष्मण रेखाओं की सायास हत्या कर दिए जाने से कम नहीं है।

एक तरफ हम प्रकृति का शोषण कर रहे हैं और दूसरी तरफ मूल्यविहीन जीवन जीते हुए धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के मामले में भी भेदभाव अपना रहे हैं। पुरुषार्थ चतुष्टय में से हमने धर्म और मोक्ष को भुला दिया है जबकि हमारी पूरी जिन्दगी अर्थ और काम पर ही केन्दि्रत होकर रह गई है और उसी के पीछे हम पड़े हुए हैं। हमने यह समझ लिया है कि प्रकृति हमारे अपने ही लिए है और जो कुछ सामने दिख रहा है उसे हथियाते रहो, बाद वालों की चिन्ता हमने कभी नहीं की।

इसी प्रकार भगवान और धर्म को भी हमने अपने-अपने ढंग से भुनाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है। हमें पता है कि धर्म और भगवान के नाम पर श्रद्धा, विश्वास और आस्थाओं का सदियों से बना-बनाया ऎसा मंच हमें मिल गया है कि जिसमें हमें कुछ करने की आवश्यकता नहीं है।

औरों को भरमाने की थोड़ी सी कला सीख लेने पर धर्म के नाम पर श्रद्धा को किसी भी तरह से और किसी भी हद तक भुनाया जा सकता है। कभी गुरुओं के नाम पर, कभी भगवान के नाम पर भरमाने का चलन देश के हर हिस्से में परवान पर रहा है। और लोग बड़ी ही विनम्रता और प्रसन्नता के साथ गुमराह होते हुए भी कृतज्ञता ज्ञापित करते रहकर हमारे लिए हमेशा लाभदायी बने रहेंगे। जो जितना अधिक इस कला में माहिर है वही जमाने भर के बादशाहों में अपनी गिनती करवा लेता है।

जरूरी नहीं कि इस बादशाहत का स्वाद गृहस्थी और धंधेबाज लोग ही उठा सकते हों। ‘‘असारे खलु संसारे’’ का राग अलाप कर संसार छोड़ बैठे बड़े-बड़े वैरागी बाबाओं, महंतों और योगियों से लेकर आम आदमी तक भी इस पद और प्रतिष्ठा को पा सकता है जिसके पीछे वैभव और पैसों का समन्दर लहराने लगता है।

हम सारे के सारे लोग अपने आपको धर्म परायण, ईश्वर भक्त, सेवाभावी, समाजसेवी और परोपकारी कहने और कहलवाने में खुश होते हैं लेकिन धर्म के मूल मर्म से अनभिज्ञ हैं। धर्म के नाम पर हम जो कुछ कर रहे हैं वह आडम्बर से अधिक कुछ नहीं है।

हर साल अच्छी बारिश की कामना से लोग बेजुबान जानवरों की बलि चढ़ाते हैं। हालांकि हाल के वर्षो में इस पर अंकुश लगा है लेकिन यह परंपरा आज भी बहुत से स्थानों पर बदस्तूर जारी है। कई जगह हवन-यज्ञ के नाम पर कालेधन और चन्दे से बड़े-बड़े यज्ञ-यागादि और अनुष्ठान होते हैं। ऎसे ही धर्म की आड़ में बहुत सारे कर्म होते हैं।

बावजूद इस सबके सूखा, बाढ़, अतिवृष्टि, भूस्खलन, भूकंप और बहुत सारी प्राकृतिक आपदाओं का जोर हर तरफ बना रहता है। और तो और धर्म स्थलों और तीर्थों को अपने अपने स्वार्थ में इतना दूषित कर दिया है कि वे भी अब सुरक्षित नहीं रहे। दर्शन और प्रसाद के नाम पर पैसा बनाने का जो धंधा हमने चला रखा है वह यही सिद्ध करता है कि दुकानदारी के चलते भगवान कहीं पलायन कर चुके हैं और बचा रह गया है धंधा।

प्रकृति का कहर टूट पड़ने लगा है हर तरफ। जब इतने सारे कर्मकाण्ड होते रहे हैं फिर भी प्रकृति रुष्ट और कुपित क्यों है, इस प्रश्न का जवाब किसी के पास नहीं है। बरसात लाने के लिए कई जगह शिवलिंग को जलमग्न कर देने के टोटके का सहारा लिया जाता रहा है। भगवान को प्रसन्न करके मनचाही मुराद या वरदान पाना तो इतिहास सिद्ध है लेकिन भगवान को तंग करके बरसात लाने का काम हम इंसान ही कर सकते हैं। यह तंग करना अपने आप में भगवान की ब्लेकमेलिंग है। यह दुस्साहस न असुर कर सके, न पुराने जमाने के लोग।

इन दिनों सर्वत्र प्राकृतिक आपदाओं का माहौल है और इसका मूल कारण यही है कि हमने प्रकृति और भगवान को भी नहीं छोड़ा है, उनका भी इस्तेमाल करने लगे हैं। धर्म को हमने धंधा बना लिया है और भगवान के नाम पर जो कुछ कर रहे हैं वह अपने आपमें आसुरी कर्मों से भी गया बीता है।

कभी हम अपने आप में सोचें कि हम जो कुछ कर रहे हैं वह प्रकृति पूजा और धर्म है क्या? अपनी आत्मा अपने आप गवाही दे देगी। सर्वत्र फैल रहे अधर्म के कारण से प्रकृति और भगवान हमसे किस कदर नाराज है इसका अनुमान लगा पाने में आज हम नाकाबिल और नासमझ हैं मगर हम अपनी इसी नालायकी भरी औकात पर बने रहे तो यह मान लें कि यह भविष्यवाणी बेदम नहीं है कि जिसमें संकेत किया गया है कि दुनिया की आबादी आने वाले पाँच-छह वर्ष में आधी से भी कम रह जाएगी। आने वाली पीढ़ियों के लिए भी कुछ बचा कर, सहेज कर जाएं। प्रकृति का आदर करें, धर्म, सत्य और न्याय का मार्ग अपनाएं और पृथ्वी को पाप के भार से बचाएं।

 

---000---

- डॉ. दीपक आचार्य

 

dr.deepakaacharya@gmail.com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: नाराज हैं प्रकृति और परमेश्वर
नाराज हैं प्रकृति और परमेश्वर
http://lh3.googleusercontent.com/-27LaBTc3uYs/VbpXF-RjchI/AAAAAAAAlg0/ID-SZGPjJqk/image%25255B2%25255D.png?imgmax=800
http://lh3.googleusercontent.com/-27LaBTc3uYs/VbpXF-RjchI/AAAAAAAAlg0/ID-SZGPjJqk/s72-c/image%25255B2%25255D.png?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2015/07/blog-post_466.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2015/07/blog-post_466.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content