होरी के रंग / कहानी / धर्मेंद्र निर्मल

SHARE:

होरी के रंग तोर मुंड़ म टंगिया परय ! रोगहा ! कीरहा ................... कहते हुए फूलों पटापट अपनी उंगलियां फोड़ने लगी।  फागुन का दिन है। फूलो ...

होरी के रंग

तोर मुंड़ म टंगिया परय ! रोगहा ! कीरहा ................... कहते हुए फूलों पटापट अपनी उंगलियां फोड़ने लगी। 

फागुन का दिन है। फूलो गालियों की फाग गा रही है। गाँव के बीच चैपाल पर फाग का फड़ जमा हुआ है। चौपाल से नगाड़ों की थाप गली-गली घूमती गाँव के छोर तक गूँज रही है। 

मस्ती में सराबोर इन थापों ने फूलो की फाग को कोई तवज्जो नहीं दी। फाग के शोर की भीड़ में शामिल होकर फूलो की गालियाँ भी दूर जाती रही। गलियों ने भी मुँह फेर लिया। वे जल्दी ही अगली मोड़ पर मुँह बिचकाती मिटकाती मुड़ गई - हूँ, बड़ी आई ..........। दीवारें, छप्पर का मुँह लगटकाए यूँ ही खड़ी रही। बोकबाय देखती। मानो कह रही हो - तुम्हें क्या फर्क पड़ता है फूलो ! तुम तो शेरनी हो न ? शेरनी ! हाँ!! यहीं तो कहती है अपने आपको फूलो। कहती क्यो ? है भी फूलो, शेरनी।

संगी-जहुँरियों में ऐसा कोई नहीं जो इसकी बात पर आरी चला सके। सब पर अपनी मर्जी चलाती है फूलो। मुहल्ले के सारे बच्चे डरते हैं इससे। दरसल मुहल्ले के बच्चों में सबसे बड़ी है फूलो। बड़ी नहीं बल्कि बराबर ही है। लेकिन भरी पूरी उँची देह की होने के कारण इसे सब बड़ी मानते-समझते हैं। ऊपर से बड़ी चंचल शरारती और मुँहफट भी। इसलिए लोग चाहकर भी इसके मुँह नहीं लगते।

गली के किसी भी चैरे को अपना आसन बनाकर बैठ जाती है। दरबार लगा लेती है। जिस-तिस पर अपना हुकुम झाड़ने लगती है। सारे मुहल्ले में एकछत्र राज है फूलो का।

होरी भी इसी मुहल्ले में रहता है। होरी की उम्र फूलो की उम्र के बराबर है। चाहता तो होरी भी मुहल्ले के बच्चों पर शासन कर सकता है। लेकिन मजबूर है बेचारा! मुहल्ले में इसकी उमर का छोकरा भी तो नहीं है ,जो साथ दे सके। लाला और मिलन है, मगर वे इन लोगों के तीन पाँच में पाँव नहीं धरते। करना-धरना चाहते है तो भी नहीं कर सकते। दरसल मुहल्ले में लड़कियों की संख्या ज्यादा है लड़कों से। ज्यादा नहीं बहुत ज्यादा है। लोग तो यहाँ तक कहते है कि पूरा लड़कियों का मुहल्ला है - भरका पारा। 

जी हाँ! यही नाम है इस मुहल्ले का। जहाँ फूलों सी कोमल और तितलियों सी चंचल फूलो अपना हुकुम चलाती है। जहाँ होरी मंडराता रहता है। नंग-धडंग। कभी इधर-कभी उधर। नंग-धडंग होरी। पता नहीं उसे किसी ने आज तक चड्डी पहने पहले देखा भी है या नहीं। देखा भी होगा तो याद नहीं। वैसे भी बच्चे किसे याद रखे किसे बिसरे। दुनिया को इससे मतलब न बच्चों को। 

मुहल्ले में होरी का राज नहीं चलने का एक यह भी कारण है। होरी का नंग-धडंग रहना। दूसरा कारण है फूलो की शरारत। शरारत में होरी के नंग-धडंग होने का फायदा उठाना। इसलिए होरी फूलो से दूर-दूर रहता है। मगर फूलो बड़ी चालाक छोरी है। किसी न किसी बहाने बुला ही लेती है, होरी को। 

अभी कल ही की तो बात है। सब रामलीला-रामलीला खेल रहे थे। गाँव में जब कभी कोई लीला की मण्डली आती है। कभी नाच होता है। बच्चे उसकी नकल उतारा करते हैं। अपने-अपने मुहल्ले में, अपने-अपने तरीके से। बाकी मुहल्ले का जैसा भी हाल हो। भरकापारा में फूलो का अपना तरीका है नाटक-नौटंकी खेलने का। नाटक-नौटंकी की क्यों ? सुर्रे-फल्ली, खो-खो, कबड्डी, डण्डा पचरंगा कोई भी खेल हो। फूलो अपने ही अंदाज में खेलती है।

पात्रों के चरित्रों से उसका कोई लेना-देना नहीं। वह वही खेल निभाती है जिसमें उसकी दबंगई चले। चौरे पर बैठ जाती है। एक पैर को दूसरे पैर पर रख लेती है। हो गई रामलीला शुरू। 

छमियाँ नाच शुरू किया जाय हा..हा...हा -रावण की तरह गरजती है फूलो।

छोटी-छोटी लड़कियाँ नाचने लगती है छमियाँ बनकर। 

ऐसे ही रामलीला चल रही थी कल। फूलो अपने आसन में विराजमान थी रावण की मुद्रा में। होरी भी बैठा था दर्षक दीर्घा में। फूलो से बेपरवाह छमियाँ नाच देखने में मस्त। अचानक फूलो को मस्ती सूझी। यह मस्ती बीच-बीच में फूलो को सूझती रहती है। यही मस्ती और शरारत भी फूलो के शासन का राज है।

फूलो को अचानक मस्ती सूझी। उसने आवाज लगायी - होरी!

होरी बेपरवाह छमियाँ नाच देखने में मस्त। उसने सुना भी कि नहीं कोई नहीं जानता। हो न हो होरी सुनकर भी अनसुना कर रहा हो। हो भी सकता है। क्योंकि होरी अच्छी तरह वाकिफ है फूलो की शरारत से। फूलो फिर चिल्लाई - होरी! इस बार आवाज जरा तेज थी। सो होरी को सुनना पड़ा। मन-मारकर उसकी ओर देखना पड़ा होरी को। उसने देखा फूलो बुला रही है उसे। होरी जाना नहीं चाहता फूलो के पास। फूलो के पास गया, माने होरी का फिर छीछालेदर होना है। यही एक करलाई है होरी का फूलो के संग -साथ खेलना। 

होरी ने देखा - फूलो बुला रही है उसे। नहीं! इस बार नहीं जाना है। नहीं फँसना है मुझे फूलो के चंगुल में। अनदेखा-अनुसना कर दिया होरी ने। एक कौतूहल और भय। दोनो ही आ जा रहे थे होरी के दिमाग में। बारी-बारी से । रह-रहकर। कुछ देर रूककर होरी ने कनखियों से देखा - इस बार फूलो अलग ही अंदाज में बुला रही है। शायद! अपने बाजू में बैठने का इषारा कर रही है। इस बार रोक नहीं पाया होरी अपने आपको। सोचा मंच में बैठने के लिए बुला रही है। मुहल्ले का लीला मंच और होरी की यह पूछ-परख। होरी उठकर चलने लगा। धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। एक मन संकोच और एक मन उछाह लिए। सामने बैठे बच्चों को आजू -बाजू सरकाते। उनके उपर से अपनी नन्हीं टाँग कूदाकर पार करते।

फूलो देह भर अदाओं से, नैन भर प्यार से देख रही है। होंठ भर-भर मुस्कान निछावर कर रही है। होरी चलकर पास आ रहा है। पास आकर खड़ा हो भी नहीं पाया था। इससे पहले कि होरी कुछ सोच -समझ पाता। फूलो ने चप्प से होरी की चोटली धर ली । दूसरे हाथ से पीछे की ओर धकिया दिया होरी को। सबके सब हँस पड़े। 

होरी कलबला गया। तिलमिलाता हुआ बेतहाशा भागा-

कुत्ती ! कमीनी ! हरामजादी ! साली ...........

प्राण बचाकर भाग रहा है होरी। पीछे -पीछे फूलो की आवाज भी दौड़ लगा रही हैं- आओ न। अरे ! होरी इधर आ। इधर आ ।

जाल से छुटा शिकार पीछे मुड़कर कब देखता है भला। वह सीधे अपने ठिये में जाकर सुकून पाता है। 

बस ! यही एक दर्द है होरी का फूलो के साथ।

होरी का यह दर्द कोई नहीं समझता मुहल्ले में। न बड़े न बच्चे। बच्चे तो समझने से रहे। बड़े शिकायत के बाद भी ध्यान नहीं देते। बच्चे हैं। 10-12 साल के बच्चे खेलेंगे तो खेलेंगे भी क्या। वे मजे लूटने लगते हैं। मजा लूटने में ज्यादातर औरतें होती है। वे पल्लू से मुँह ढाँपकर हँसती है। आपस में बतियाती है - वो फूलो है न ..............।

भीतर ही भीतर अपने आपको गुदगुदाती गदगद रहती हैं वे।

गलियों और दीवारों को कोई  फर्क नहीं पड़ता इन घटनाओं से। वे हमेशा बेपरवाह रहते है। गली उसी तरह मुँह बिदकाकर मिटकाती मुड़  जाती है दूसरी ओर ......हूँ बड़े आए....

और दीवारें ! दीवारें उसी तरह छप्पर का मुँह लटकाए खड़ी रहती हैं। बोकबाय।

पारा- मुहल्ला की औरतों की तरह मुँह ढाँपकर नहीं हँसती । न ही अपने आपको गुदगुदाती है भीतर ही भीतर। न गदगद होती है। न कभी बतियाती है पारे की औरतों की तरह - वो फूलो है न ....

फागुन का दिन है आज। बड़े - बूढ़े बच्चे सब मस्त है फाग में। होरी अपने दुवार में पिचकारी लिए मस्त है। उसे भीड़ से डर लगता है। माँ भी मना करती है । कहीं मत जाना। यहीं खेल। 

होरी अकेले ही मस्त है।

खेलते - खेलते अचानक उसने देखा। गाँव की छोर से फूलो आ रही है। फूलो का घर गाँव के छोर में ही है। वह अपनी धुन में मस्त मंद- मंद मुस्कराती - गुनगुनाती आगे बढ़ रही है । होरी के मन में यक-ब-यक भय और कौतूहल दोनों साथ जाग उठे। पहले वह डरा कि कहीं फूलो....

दूसरे ही क्षण वह संभल गया। नहीं..नहीं. वह फाग देखने जा रही है। ऐसे समय में वह ऐसा नहीं करेगी।

उसने देखा। फूलो गजब खुश नजर आ रही है। थोड़ी शरमाती - इठलाती बल-खाकर चल रही है फूलो। गजब का उमंग है उसके चेहरे पर। उनकी अदाओं का साथ उसके तन भी दे रहे हैं पूरे मन से झूम- झूमकर। मचल-मचलकर।

होरी उसे अचरज से देखता रहा। 

उधर फूलो यही सोच रही थी कि होरी मुझे देख रहा है । उसकी नजर मेरे ऊपर है। शायद ! फूलो यही चाह भी रही थी कि कोई उसे नजर भर देखे। 

कोई क्यों ? होरी क्यों नहीं ?

उसके तन - मन की सारी गतिविधियों से तो यही लग रहा था।

मगर जब ऐसा नहीं हुआ , होरी ने अपनी नजर उस पर से फेर ली। आखिर फूलो को ही कहना पड़ा:- कोई अगर मेरे ऊपर रंग डालेगा न तो मैं उसको खूब मजा चखाउँगी। 

इतने पर भी होरी का ध्यान फूलो पर नहीं गया या यों कहना चाहिए कि होरी की उस नजर से फूलो का मन नहीं भरा। तब  फूलो आगे बोली - आज मैं नई ब्लाउज पहनी हूँ , बाबूजी आज ही बाजार से लेकर आए हैं।

होरी ने अचानक गौर किया। फूलो सचमुच नई ब्लाउज पहन रखी है। चुक्क लाल। ..अच्छा ! अब समझ में आया। तभी तो मैं सोच रहा था कि फूलो आज इतनी इतरा क्यों रही है ?

होरी कुछ नहीं बोला। न कुछ ऐसे हाव- भाव दिखाए कि वह ऐसी कोई हरकत करे। फूलो अब बेफिक्र उसी मस्ती में इतराती शरमाती इठलाती बढ़ती रही। वह अब बेफिक्र है। उसका ध्येय केवल अपनी नई ब्लाउज दिखाना था , सो वह दिखा चुकी।

लेकिन फूलो के ब्लाउज का चुक्क लाल रंग होरी की आँखो में गड़-सा गया। 

वही उसे जाते देख रहा है। चुपचाप। खड़े-खड़े। उसकी आँखो में गड़़ा ब्लाउज का चुक्क लाल रंग उसके मन को चुभने लगा। वह सोचने लगा - अच्छा ! तो मुझे बताने के लिए ही फूलो ने कहा कि कोई उसे रंग न डाले।

होरी सोच रहा है। शायद !् वह रंग डलवाना ही चाहती हो। शायद !!

तब तक फूलो होरी को पार कर कुछ दूर जा चुकी। होरी देख रहा है। फूलो अब इस गली को अलविदा कर दूसरी गली में मुड़ने को है।

फिर पता नहीं होरी को एकाएक क्या सूझा। पीछे से चुपचाप गया और पिचकारी का सारा रंग उड़ेल दिया फूलो की नई ब्लाउज पर......सर्र सर्र....

..और भाग गया। 

फूलो पटापट उँगलियाँ फोड़ती बखानती रही होरी को .....

 

धर्मेन्द्र निर्मल

ग्राम पोस्ट कुरूद भिलाईनगर 

जिला दुर्ग छ.ग.-490024

9406096346

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: होरी के रंग / कहानी / धर्मेंद्र निर्मल
होरी के रंग / कहानी / धर्मेंद्र निर्मल
http://lh4.ggpht.com/-gU7jeTLF9t0/VIK9poL_zZI/AAAAAAAAb9M/1u2TRVOHy_Q/image_thumb%25255B7%25255D.png?imgmax=200
http://lh4.ggpht.com/-gU7jeTLF9t0/VIK9poL_zZI/AAAAAAAAb9M/1u2TRVOHy_Q/s72-c/image_thumb%25255B7%25255D.png?imgmax=200
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2016/03/blog-post_56.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2016/03/blog-post_56.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content