विज्ञान कथा / इलेक्ट्रोस सॉस / डॉ. राजीव रंजन उपाध्याय

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बारहवें देवासुर संग्राम के उपरान्त देवताओं,असुरों और दानवों में समझौते की बातचीत प्रारम्भ हुयी। यह निश्चित हुआ कि असुर, गण दजला और फरात नद...

सोनल गुप्ता की कलाकृति

बारहवें देवासुर संग्राम के उपरान्त देवताओं,असुरों और दानवों में समझौते की बातचीत प्रारम्भ हुयी। यह निश्चित हुआ कि असुर, गण दजला और फरात नदियों के बीच वाले समस्त भू-भाग पर अपना साम्राज्य स्थापित करें और दानव लोग जो जननी दनु की संतान थे, मध्य क्षेत्र की उस तीव्र गति से बहती हुयी नदी, जिसका नामकरण दनूब हुआ था के उस पार के समस्त भू-क्षेत्र पर अपना अधिपत्य जमायें। सभी ने बात मान ली यह जान कर उनके पिता महर्षि कश्यप और माताएँ, दिति, अदिति और दनु प्रसन्न हों गयीं। महर्षि कश्यप आधुनिक कैस्पियन सागर-उन्हीं के नाम पर विख्यात कश्यप सागर की सुरम्य भूमि पर स्थित, अपने आश्रम में आनन्द से,पत्नियों के साथ रहने लगे। '

दानव, असुरों को अपेक्षा अधिक शक्तिशाली थे। उन्होंने उस नदी का नाम अपनी माता दनु पर रखा और यह नदी आज भी किंचित परिवर्तित नाम- दनाउ डेन्यूल के नाम से विख्यात है।

दानवों में विख्यात बलि था, जिससे भयभीत होकर, कश्यप पुत्र विष्णु तीन पग भूमि मागने गये थे। उसी के वंश में विख्यत मय नामक दानव हुआ था जो महान शिल्पी था तथा उसी के वंशज वृद्धि के फलस्वरूप फैले और अपने पूर्वज मय के नाम पर जिस सभ्यता और स्थापत्थ को जन्म दिया- वह आज मय सभ्यता के नाम से विख्यात है । मय मेधावी इंजीनियर था। इन्हीं दानवों का एक वैज्ञानिक राजा था, सुयोग्य शासक था और था साइबरनेटिक्स का विशेषज्ञ। उसका .राज्य मात्र एक हजार किलोमीटर के क्षेत्र में था, परन्तु उसकी प्रजा सम्पन्न थी समृद्धि हर तरफ दिखती थी। राजा पोलोमा को एक ही शौक या, वह भी युद्ध का। पर उससे कोई टकराना नहीं चाहता था- वह साईबरनेटिक्स का विशेषज्ञ जो ठहरा। अपने शौक को पूरा करने के लिए उसने एक अनोखा रास्ता निकाला। |

. राजा पोलोमा के राज्य में विवेकवान मशीनों की भरमार हो गयी। राजा के आदेश से वे वेथशालाओं, पहाड की चोटियों , स्कूलों, राजपथों, वृक्षों, दीवालों, तालाबों, नदी तर्टों, और सुदूर गगन में भी स्थापित करा दी गयीं, जिससे उसके नागरिकों को, कहीं भटकना न पडे, वृक्षों में फलों के विषय में सूचना मिल सके, नदियों में बाढ का पूर्वानुमान हो सके तथा वर्षा की सूचना- अग्रिम सूचना प्राप्त हो सके। इतना ही नहीं उसने अपनी पुरानी राजधानी के नाम को बदल कर उसे पालोमा- साइब्रामा, रख दिया। इस तरह पालोमा-साइब्रोमा में मशीनों से बच कर निकल पाना असम्भव था।

राजाज्ञा से विवेकवान मशीनों का निर्माण बहुधर्मिक हो गया। राज्य में साइबर- पक्षी थे, साइबर पतंगे थे, साइबर -सर्प थे, साईबर मक्खियाँ थीं, साईबर मधुमक्षिकाएं थीं, साइबर मछलियाँ थीं साइबर के कडे और कछुए थे, साइबर पक्षी थे- और जिन वस्तुओं की, जीवों की आप कल्पना कर सकते हैं उस सभी के साइबर प्रतिरूप राज्य में विद्यमान थे। इन वस्तुओं के उपरान्त पालोमा के राज्य में युद्ध मशीनें भी बहुतायत से थीं। राजा के युद्ध प्रेम ने इन विविध युद्ध मशीनों को असंख्य कर दिया। |

उसके साइबर वायुयानों, तोपों, सैनिकों, मशीन-गनों, राइफलों और यहाँ तक कि उसके कारतूसों का मुकाबला करने वाला कोई दूसरा देश अथवा राजा नहीं था। राजा को यही चिन्ता सता रही थी, कि वह युद्ध किससे करे - वह रणवाँकुरा जो ठहरा।

अपने युद्ध प्रेम की पूर्ति हेतु राजा ने अपने इंजीनियरों को साइबर सौनिकों के निर्माण का आदेश दिया। वह साइबर सैनिकों से युद्ध कर अपनी युद्ध पिपासा शान्त करता था। और वह सदा विजयी रहता था राजा के इन युद्धों से प्रजा परेशान रहती थी। -

राजा विजय के बाद युद्ध क्षेत्र के आस पास के रहने वालों के मकानों को, खेतों को, वृक्षों को, पशुओं को मार डालता, नष्ट कर देता और बाद में वह प्रजा को इसका हरजाना देता था। मरने वाले- मारने वालों की तरह ही साइबर होते वृक्ष और पशु भी पर नुकसान तो प्रजा का था जो मानव थे। हरजाना पाने के बाद कुछ दिनों के लिए प्रसन्न होते पर भविष्य के युद्ध की कल्पना उन्हें बेचैन कर देती थी।

राजा पालोमा को प्रजा के मन: स्थिति का पता चला। उसने इंजीनियरों को बुलाया और कहा धरा अभियान के बाद अब हमें अन्तरिक्ष युद्धों का प्रारम्भ करना चाहिए। भविष्य को ध्यान में रखते हुए आवश्यक है यह युद्ध अभ्यास।

राजा के इंजीनियरों ने बात मान ली। उन्होंने इस कार्य हेतु कृत्रिम तारों और एक चाँद भी बना दिया। इतना ही नहीं उन्होंने उस चन्द्रमा पर एक कम्यूटर भी स्थपित कर दिया। यह अति विकसित कम्यूंटर था। इस कार्य हेतु राजा ने अपनी प्रजा पर कर बढा दिये। प्रजा के पास विकल्प था ही नहीं । वह यह सोच कर टैक्स देने के लिए तैयार. थी कि इस प्रकार प्रत्येक वर्ष हमारा युद्ध अभ्यास के समय होने वाला नुकसान तो बन्द होगा। रणवाँकुरा राजा अन्तरिक्ष युद्ध में व्यस्त रहे यह उत्तम विकल्प है।

 

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राजा के शिल्पियों ने इंजीनियरों ने उस चन्द्रमा पर जो कम्यूटर लगाया था वह युद्ध के लिए सैनिकों की सेना तैयार कर सकता था, उन्हें युद्ध के लिए से सज्जित कर सकता था, कम होने पर उन्हें गोला- बारूद उपलब्ध कराने में समर्थ था। राजा यह सूचना पाकर अतीव प्रसन्न हुआ। उसके मन में युद्ध करने की इच्छा बलवती हो उठी क्योंकि चन्द्रमा स्थित कम्पयूटर सभी प्रकार के कार्यों को करने में समर्थ. था। _

राजा ने चन्द्रमा स्थित कंप्यूटर को 'इलेक्ट्रो एसाल्ट" शुरू करने का संदेश भेजा। संदेश भेजने में हुयी त्रुटि के कारण. चन्द्र स्थित कम्यूटर ने उसे इलेक्ट्रोसारस, पढ लिया। संदेश का पालन करने हेतु उसने तैयारी शुरू कर दी ।

- इसी बीच साइबर सेना को सजाकर राजा ने अपने राज्य के सुदूर क्षेत्र में कब्जा जमाये बैठे साइबर दस्युओं का सफाया कर डाला वह इस अभियान में विजयी होकर अपने महल में लौट आया। वह अपने मित्रों के साथ हर्षोल्लास में डूबा था। इतने में एक अप्रत्याशित घटना घटित हो गयी। _

सुदूर स्थित राजा के इंजीनियरों द्वारा रचित एक मिजाइल राजा के महल पर आ गिरी। राजा के महल का वह भाग विविध एन्ड्रयड्रों का केन्द्र था, वे सभी नष्ट हो गये। . |

क्रोध में भर कर राजा ने चन्द्रमा स्थित कम्पयूटर से इस घटना > का स्पष्टीकरण माँगा। सूचना भेज दी गयी पर चन्धमा का कम्पयूटर मौन था। राजा कम्प्यूंटर' की इस हरकत पर नाराज और परेशान था

वहाँ पर पूर्व 'सूचना! द्वारा' उत्पन्न हुंये इलेव्ट्रोसारस ने कम्यूटर को अपनीं पूँछ में चिंपका' लिया था। इलेक्ट्रोसॉरस ने अतिविशॉलकाय स्वरूप धारण कर लिया था।

क्रोध से झल्लांते" हुए राजा ने अपने साइबर सैनिकों के साथ एक दूसरा शक्तिशाली कम्पयूटर चन्द्रमा पर चढ़ाई करने हेतु भेज दिजा। । '

वह कम्यूटर वास्तविक: योद्धा था उसने उस मदान्ध इतेक्ट्रोंसारस को ललकारा। पर वह कुछ करना सका । राजा को मात्र खइखडाहटों, टकराहटों को छोड कर कुछ भी, अपने: महल स्थित मास्टर कम्पयूटर पर सुनाई नहीं दिया। '

- "राजा' ने आवेश 'में आकर साईबरनान्टों, साइबर इंजीनियरों, साईबर मशीनों; साइबर लेफ्टीनेन्टों और एक साईबर जनरल को रवाना कर दिया। पर वे भी उस इलेक्ट्रोसारस के सम्मुख टिक न सके।

राजा अपनी वेधशला की दूरबीन से देख रहा था। वह यह देख देख कर हाथ मल रहा था कि उसकी सारी सेना को वह इलेक्ट्रोसारस किस प्रकार नष्ट किये डाल रहा था। इतना ही नहीं वह इलेक्ट्रोसारस लगातार अपना विस्तार कर रहा था। उसका शरीर बढ रहा था, वह उस कृत्रिम चन्द्रमा को अपने _ पेट में समेटने का प्रयास कर रहा था। चन्द्रमा घट रहा था और इलेक्ट्रोसारस- विशालकाय होता जा रहा था राजा सोचने लगो-क्या करूँ।

-- मेरी सेना-मेरे रोबो हार चुके हैं

-- चंद्रमा को वह धीरे 'धीरे'खा रहा है।

- 'यदि मैं सेना लेकर युद्ध करूँ तो परिणाम 'क्या हों सकता है, यह सोच कर वह' काँप उठा। *

जीवन में पहली बार राजा भयभीत हुआ था!

_ वह बेचैनी से अपने राजसी कक्ष में घूम रहा था।

एकाएक उसके कम्यूटर का स्वर्ण जटित प्रिंटर चल _ पडा। खट-खट-खट-खट की आवाज के बाद जो प्रिंट निकला । उसे राजा ने उत्सुकता से पढा......... ''राजा पोलोमा तुम । अपना राज्य सिंहासन तुझे दे दो...तुम राज्य से दूर चले । जाओ...अन्यथा......... ' इससे अधिक राजा पढ न सका।

.. वह सर थाम कर बैठ गया। ' कुछ पलों के बाद वह अपने नाइट-सूट और चप्पलों को पहने वह दौडता हुआ अपने महल के भूगर्भ स्थित –आपदाहारी मशीन के पास जा पहुँचा।

इस इलेक्ट्रोसारस के पहले राजा अपने मंत्री से, सैनिक सलाहकारों से विचार विमर्श करने के बाद अपना युद्ध अभियान प्रारम्भ करना था। पर आज परिस्थिति बदल गयी " . थी। उसको जीवन राज्य और सुख सुविधाओं पर आक्रमण की चिन्ता भयभीत किये हुई थी। उसने आपदाहारी कम्यूटर के निमार्ण के बाद, पहली बार उसे आन किया।

कप्यूटर आन हुआ यह देख कर राजा ने गिडगिडाए हुए स्वर में उस से पूछा 'हे कम्पूटर! इलेक्ट्रोसारस | चन्द्रमा स्थित वह विकराल कम्पयूटर मेरा राज्य, मेरा सिंहासन, मेरा सर्वस्व ले लेना चाहता है। तुम मुझे बताओ मैं क्या करूँ? कम्पयूटर में कुछ संकेत चमके और वह कहने लगा''

तुमने आज तक मुझसे सलाह नहीं ली थी ...अब गिडगिडा रहे हो अपनी बुद्धिमत्ता पर ! पहले तुम मुझे आदरणीय फेरोमैग्नेटिक महामात्य! महामंत्री! कहना सीखो, फिर मैं तुम्हारे निवेदन पर विचार करूँगा।

राजा के नेत्रों में आशा की क्षीण रेखा चमक उठी। उसने कहा ''महामात्य! महामंत्री !! कृपा कर मेरी समस्या का

निराकरण कैसे हो बताएँ।।' महामात्य!

कम्प्यूटर कुछ पलों तक मौन रहा। यह मौन राजा के लिए बेचैनी उत्पन्न करने वाला था। वह कातर दृष्टि से कम्प्यूटर को देख रहा था।

कंप्यूटर की ध्वनि ने उसे सचेष्ठ कर दिया 'हम एक अतिशक्तिशाली इलेक्ट्रासारस का निर्माण करेंगे जो चन्द्रमा के इलेक्ट्रोसारस को पराजित कर देगा और इस के द्वारा तुम्हारी समस्या सुलझा दी जायेगी। प्रसन्नता राजा के चेहरे पर नाच उठी। उसने विनीत स्वर में महामात्य कम्यूटर से कहा ''उस अतिशक्तिशाली इल्ट्रोसारस का ब्लूप्रिंट आप कब तैयार करेंगे?'' "इसी क्षण" कहते हुए उस कम्पयूटर ने खटखटाहटों, सरसराहरों, भनभनाहटों के सिलसिले को शुरू कर दिया। और राजा ने देखा कि कम्यूटर के बंगल में एक विशाल चमकती आँखों वाला दो पंजों पर चलने काले रंग का जीव! बनकर, खडा हो रहा था उस देखकर राजा घबरा गया। उसकी आवाज बन्द हो गई। वह पसीने पसीने हो उठा। कुछ मन को मजबूत कर उसने महामात्य कम्यूटर से कहा 'नहीं इसकी आवश्यकता नहीं हैं यह तो चन्द्रमा के इलेक्ट्रोसारस की तरह बेकाबू हो सकता है। यह तो मुझे भी मर सकता है। हे मंत्री। हे मेरे आदरणीय महामात्य! इसको नष्ट करो राजा की आवाज कांप रही थी।

'तुम्हें मुझे पहले इसके विषय में बताना था। तुम अपने शब्दों का उचित प्रयोग नहीं कर पाये, इसी कारण यह समस्या उत्पन्न हुयी है। ठीक है रुको!" कहता कम्पयूटर मौन हो गया। वह सोच रहा था, राजा को लगा।

फिर उस कम्पयूटर में पुरानी सरसराहट! घरघराघट, खटखट शुरू हुई और उसके बाद आवाज गूँजी। 'ठीक है! एक एन्टीमून और एन्टी इलेक्ट्रोसारस को हम बना दें? उसे चन्द्रमा के आरबिट में, कक्षा में स्थापित कर दें तो? बात ठीक है, पर उसके पहले वह कुछ प्रश्नों का उत्तर दे।

""ठीक है उस इलेक्ट्रोसारस से चन्द्रमा स्थित इलेक्ट्रोसारस से क्या प्रश्न करना होगा?"

'. ओह! बात सीधी सी है, गणितीय! लेकिन पहले तुम उस चन्द्रमा के इलेक्ट्रोसारस को मेसेज दो कि तुम उसे अपना सिंहासन देने को तैयार हो यदि वह तीन प्रश्नों का उत्तर दे सके।' * राजा- पोलोमा ने चन्द्र स्थित इलेक्ट्रोसारस को मेसेज भेजा। वह उत्तर देने को सहमत हो गया।

राजा ने यह सूचना महामात्य कम्यूटर को दी।

"महामात्य ने कहा* इलेक्ट्रोसारस से कहो कि वह ' अपने को अपने से भाग दे। आदेश का पालन हुआ। स्वत: को स्वत: से भाग देने पर स्वत: बचता है, इस कारण वह इलेक्ट्रोसारस चन्द्रमा पर स्थिर रहा।

यह देखकर राजा घबरा उठा। वह बिना चप्पलों को पहने ऊपर की तरफ भागा।

मगर दूसरे क्षण महामात्य कम्यूटर ने कहा ''भागो मत यह गणना तो मैंने इलेक्ट्रोसारस के ध्यान को बटाने के लिए की थी। तुम अब अपने राजसी कक्ष के कम्यूटर से उस इलेक्ट्रोसारस को संदेश भेजो- मेसेज भेजो कि वह अपने को अपने धन मूल से गुणा करे। राजा ने वैसा ही किया।

इलेक्ट्रोसारस ने सभी प्रयास कर डाले उसका धन मूल उतना ही रहा। राजा अब हताश हो गया। वह कांप रहा था. भय से हो। इलेक्ट्रोसारस के आक्रमण के भय से हो।

यह देखकर महामात्य कम्पयूटर ने कहा "'राजा धैर्य धारण करो अन्तिम प्रश्न भी उस दुष्ट को भेज दो।" राजा ने कहा बताइये ''अब तुम उसको अपने में से अपने को घटाने के लिए कहो! राजा ने अपने राजसी कक्ष में जाकर इलेक्ट्रोसारस का यह संदेश भेज दिया।

उस इलेक्ट्रोसारस ने अपनी पूंछ निकाल दी, फिर, अपने विकराल पंजों को निकाल कर फेंक दिया। सर को अपने शरीर से अलग करने के पहले उसने अपने लोहे के पंखों को नष्टकर वह जीरो हो गया। अस्तित्व विहीन हो गया।

मि - राजा अपनी बेघशाला से यह दृष्य देखकर तेजी से दौडता हुआ महामात्य कंप्यूटर के पास पहुंचा और कहा कि इलेक्ट्रोसारस जीरो हो गया है। .

'आह हा हा! महामात्य कम्पयूटर ने अटटहास किया।

और अब मैं उस चन्द्रमा स्थित नष्ट हुए इलेक्ट्रोसारस की जगह खुद ले लूंगा। मैं तुम्हारी कमजीरी जान गया हूँ।''

राजा ने महामात्य कम्पयूटर की खटखटाहट, छटपटाहट सुनी। उसने देखा कि एक विशाल: पंजा निकल रहा था, उस कम्यूटर की बगल से। राजा ने घबराकर उस कम्पयूटर को . पीटना शुरू कर दिया। और उसकी की-बोर्ड पर नो-इलेक्ट्रोसारस प्रिंट करना चाहा। राजा को देखकर आश्चर्य हुआ, उसकी आँखें फटी रह गयीं, वह कम्पयूटर लाल तप्त हो उठा....वह पिघलने लगा। 'मैं जल रहा हूँ, पिघल रहा हूँ। मेरी ट्यूब जल गयी है..जलने में मजा है.. मुझे मजा आ रहा है '' की आवाज - कक्ष में गूंज उठी। उसके पिघलने से लाल लाल तरल पदार्थ कक्ष की फर्श पर फैल रहा था। कम्यूटर सॉस चुक था। राजा ने कम्पयूटर की बोर्ड पर फिर दृष्टि डाली... .वह देखकर मुस्कुरा उठा "वहाँ पर उसने घबराहट में इलेक्ट्रोसारस की जगह पर इलेक्ट्रोसॉस प्रिंट कर दिया था।

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रचनाकार: विज्ञान कथा / इलेक्ट्रोस सॉस / डॉ. राजीव रंजन उपाध्याय
विज्ञान कथा / इलेक्ट्रोस सॉस / डॉ. राजीव रंजन उपाध्याय
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