प्राची // जून 2017 // कविताएँ

SHARE:

काव्य जगत विज्ञान व्रत दर्द पुराना है अपने घर. एक खजाना है अपने घर. घर में सबकुछ तो अपना है, क्या अपनाना है अपने घर. दुनिया को अपनाने वाला, ...

काव्य जगत

विज्ञान व्रत

दर्द पुराना है अपने घर.

एक खजाना है अपने घर.


घर में सबकुछ तो अपना है,

क्या अपनाना है अपने घर.


दुनिया को अपनाने वाला,

खुद बेगाना है अपने घर.


खुद को बाहर भी देखा है,

पर पहचाना है अपने घर.


अब तो खुद को देखे-भाले,

उसको जाना है अपने घर.

--


छांव छुपी तहखानों में.

धूप नहीं दालानों में.


खोया शहर सयानों में,

जब हम थे दीवानों में.


महल कहां महफूज रहे,

खौफजदा दरबानों में.


सूरज कब से उलझा है,

अंधे रोशनदानों में.


खुद को ही खो बैठे हैं,

हम घर के सामानों में.


सम्पर्कः एन-138, सेक्टर-25, नोएडा-201301 (उ.प्र.)

---


यूनुस अदीब

ग़ज़ल

आंखों से मेरी दूर वो जा भी नहीं सकता.

दिल के किसी कोने में समा भी नहीं सकता.


सब मेरी तबाही का सबब पूछ रहे हैं,

मैं खुल के तेरा नाम बता भी नहीं सकता.


दुखती रगों पे रखती है वो इस तरह उंगली,

दुनिया से मैं ग़म अपने छुपा भी नहीं सकता.


उल्फ़त के शज़र ऐसे लगे दिल की ज़मीं पर,

नफ़रत का जोर इनको हिला भी नहीं सकता.


खुशफ़हमी में जीता है ये मग़रूर समन्दर,

प्यासा है अपनी प्यास बुझा भी नहीं सकता.


ऐ मौत तरस खा मेरे बीमार बदन पर,

अब बोझ मैं सांसों का उठा भी नहीं सकता.


इस तरह गिरफ़्तार है जुल्फ़ों में ग़ज़ल की,

पल भर को अदीब अब कहीं जा भी नहीं सकता.


सम्पर्कः 2898, स्टेट बैंक के सामने, गढ़ा बाजार, जबलपुर (म.प्र.)-482003

---


डॉ. सुरेश उजाला

ग़ज़ल

मैली चादर को धोया है.

हंसते-हंसते वह रोया है.

वही काटना सदा पड़ेगा,

जीवन में जो कुछ बोया है.

आज उसे अहसास हो गया,

क्या पाया है क्या खोया है.

नब्ज़ समय की पकड़ में आई,

शुष्क आंत को अब टोया है.

उसकी क्यों कर कमर झुकेगी,

जिसने भार नहीं ढोया है.

सपनों में चुसका लेने दो,

बच्चा रो कर के सोया है.

सम्पर्क : 108, तकरोही, पं. दीनदयाल मार्ग, इन्दिरा नगर, लखनऊ (उ.प्र.)

---


दो कविताएं

अशोक सिंह

मुझे ईश्वर नहीं, तुम्हारा

कंधा चाहिए

पता नहीं ऐसा क्यों होता है अक्सर

जब-जब मैं दुखी और उदास होता हूँ

ईश्वर से ज्यादा तुम याद आती हो

मैं ईश्वर को मानता तो हूँ

पर उसे जानता नहीं

और न ही चाहता हूँ जानना भी

मुझे सिर झुकाने के लिए

ईश्वर नहीं

सिर टिकाने के लिए

कंधा चाहिए

और वो ईश्वर नहीं

तुम दे सकती हो!

काली लड़की

(एक)

काली लड़की को बहुत छलता है

सपनों में गोरा रंग

नदी में स्नान करती काली लड़की

छुड़ा रही है रगड़-रगड़कर अपना कालापन

अब तो पानी पर से उठ गया है विश्वास

यह साबुन और छह हफ्तों में निखार देने वाला

प्रसिद्ध क्रीम भी किसी काम का नहीं

क्या कश्मीर जाने से बदल जाएगा मेरा रंग!

देर रात गये जगकर सोचती है काली लड़की

और उदास हो जाती है

अपने को काला कहे जाने पर

टूट जाती है काली लड़की

जब टूट जाता है कोई रिश्ता

कालेपन की वजह से

(दो)

काली लड़की के सपनों में आता है

अक्सर एक गोरा लड़का

जिसे छूकर इन्द्रधनुषी हो जाना चाहती है वह

अफसोस

गोरा लड़का नहीं मिलना चाहता

दिन के उजाले में काली लड़की से

और काली लड़की डरती है

गोरे लड़के संग रात के अंधेरे में मिलने से

काली लड़की नहीं जानती

उसकी दूध-सी निश्छल उजली हँसी

किस-किस गोरे लड़के के सपनों में गड़ती है

वह जानती है तो बस इतना

एक दिन उसके गोरेपन के सपनों को तोड़ता

सामने आयेगा कोई काला-भुच्च-आदमी ही

जो आगे बढ़कर थामेगा उसका हाथ

बाबजूद

काली लड़की प्रेम में पड़ी देखती है सपने गोरेपन का

और नदी में स्नान करती छुड़ाती है रगड़-रगड़कर

अपना कालापन.

सम्पर्क : जनमत शोध संस्थान

पुराना दुमका, केवटपाड़ा,

दुमका-814101 (झारखण्ड)

---


कविता

चीखती आदमीयत

कन्हैयालाल गुप्त ‘साहिल’

हैवान की हद में, इन्सां खड़ा है,

कहां खत्म होगा सफर आदमी का.

कहीं कोठियां हैं, कहीं झोंपड़ी है,

कहो, कौन-सा है शहर आदमी का.

कहां से चले थे, कहां आ गये हम,

उगाते मिलावट की नायाब फसलें.

सुनाती है प्रवचन, मुखौटों की मण्डी,

कहां हो गयीं गुम, शराफत की शक्लें.

ये सांपों से ज्यादा विषैला असर में,

बिके रैपरों में जहर आदमी का

कहां खत्म होगा सफर आदमी का.

ये सच का गला घोंटने की दलीलें,

कफन के लिए झूठ की पैरवी है.

प्रदूषित पवन, जल, गगन भी प्रदूषित,

बमों की हिफाजत में दुनिया टिकी है.

कयामत भी अचरज में चुप देखती है,

ढहे आदमी पर कहर आदमी का.

कहां खत्म होगा सफर आदमी का.

सलीबों पे लटके हुए हैं फरिश्ते,

सड़क पर गिरे गोलियां खा अहिंसा.

धड़कती है दहशत, हर इक के जेहन में,

विवश-शान्ति को मुंह चिढ़ाती है हिंसा.

दफन कर रहा है स्वयं आदमीयत,

पतन हो चुका इस कदर आदमी का.

कहां खत्म होगा सफर आदमी का.

सम्पर्कः 29-ए/2, कर्मचारी नगर,

कानपुर-208007 (उ.प्र.)

---


अभिनव अरुण की दो गजलें

वो जुबां न दे जो शहद न हो न दे लब कि जिन पे दुआ न हो.

दे जिगर तो साथ दे नेकियां वो बयान दे जो डिगा न हो.


दे हयात गर दे फकीर सी, दे मिजाज गर तो मलंग सा,

मुझे मंज़िलें ही दिखा करें मुझे रास्तों का पता न हो.


मेरी हर ग़ज़ल रहे खूं से तर मेरे हक में दर्दे जहान कर,

मुझे जख्म दे तो मेरे खुदा दे वो जख्म जिसकी दवा न हो.


ये सियाहियाँ भले ही मुझे मेरे हर कदम पे मिलें मगर,

वो चराग दे मेरे हाथ में जो कि आँधियों से डरा न हो.


कभी आरजू ये नहीं रही कि फरिश्तों सी हो ये जिन्दगी,

बनूँ आदमी तो वो आदमी जो नज़र से अपनी गिरा न हो.


इसी मोड़ पर हुए हम जुदा यहीं हमने चुन लीं थीं दूरियाँ,

इसी मोड़ पर मेरे वास्ते वो चिराग ले के खड़ा न हो.


उसी घोंसले पे तेरी नज़र जो हुनर की एक मिसाल है,

उसे तोड़ते हुए सोचना कहीं उसमें कोई बया न हो.


दो

मुफ़लिसी फ़ाक़ाकशी बेचारगी के नाम पर.

अब कहाँ संवेदना मिलती किसी के नाम पर.


इश्क़ से वाकिफ़ नहीं ये नस्ल, तो फिर मुश्क़ क्या,

इत्र ओढ़े आ गए सब ताज़गी के नाम पर.


खो गयी शहरों में आकर गाँव की निश्चिंतता,

कर रहे कुर्बान हम क्या क्या खुशी के नाम पर.


चार पैसों के लिए साँसें तलक़ गिरवी हुईं,

हम घुटन में ही जी रहे हैं ज़िन्दगी के नाम पर.


भूलकर हम सूर तुलसी और नानक के शबद,

गा रहे फिल्मी तराने आरती के नाम पर.


सिसकियाँ ग़ज़लों की सुनकर रौब से बोले फिराक़,

कोई मर्यादा न भूले अब हंसी के नाम पर.


सम्पर्कः बी-12, शीतल कुंज, लेन-10, निराला नगर, महमूरगंज, वाराणसी-221010

---


कविता

संतोष श्रीवास्तव

आखिर क्यों ???

आदम से हव्वा तक

सदियों का अंतराल लांघ

मेरा और तुम्हारा आज

महज एक सवाल

मेरा होना

उम्र के अलाव में

धीमें धीमें पकना

दर्द को

पाँव से दिल तक

दिल से दिमाग तक

चीरे जाते हुए सहना

दर्द के न होने पर

खुद को सम्हाल न पाना

टूटना...तन्हाइयों में सिमट जाना

नींद को बाजू में सुला

पलकों को उघाड़े रखना

स्मृतियों की किताब खोल

इन सारे सवालों के जवाब ढूंढ़ना

नचिकेता बन

यम के द्वार तक पहुंच जाना

जवाब न पा खंगाल डालना

वेद, पुराण, उपनिषद, शास्त्र

विराट को समझ पाने की भूल में

बूंद भर अस्तित्व को खोकर

तिरोहित हो जाना

उस बड़े शून्य में

जहां पहुंचकर कोई

कभी नहीं लौटा

आखिर क्यों ???

---


गजल

डॉ. वेद मित्र शुक्ल

काम नहीं कुछ करना है.

जंतर-मंतर धरना है.


ग़ज़लें कहता खरी-खरी,

हिम्मत है तो सुनना है.


गर्म तवे पर रोटी है,

मैं तो कहता सपना है.


कुर्सी से लड़ बैठा हूँ,

अब तो यारो नपना है.


गाँव छोड़ कर आया हूँ,

दड़बों में अब बसना है.


खेत चुग गयी चिड़िया हैं,

अब मुझसे क्या कहना है.


भैया! कुछ भी कर लूंगा,

पर, दिल्ली में रहना है.


सरकारी नौकर बनके,

समझो मालिक बनना है.


इतना ऊपर उठ आये,

क्या नीचे अब गिरना है?


मैं हूँ कहाँ, कबीर कहाँ?

मुझको काशी मरना है.


शहरी चिड़िया थक करके,

पूछे कब तक उड़ना है?


सम्पर्कः अंग्रेजी विभाग,

राजधानी कॉलेज,

दिल्ली विश्वविद्यालय,

नई दिल्ली-110015

----


पांच कविताएं

हेमलता यादव

चिलमन

तुम भी

समझ गये थे

जब मैंने महसूस किया

तुम्हारी निगाहों का स्पर्श

मेरे अंर्तमन को छूता हुआ

तपा गया मेरी चिलमन

एक दिव्य स्वप्न

सा सजल अहसास,

सकुचाते हुए महसूस

कर ही रही थी

बिनछुए तुम्हारी छुअन

कि तुमने कहा

‘‘चाय ठंडी हो रही है

पी लो.’’


आँखमिचौनी

अजनबी व्यवहार के साथ

पहचाने चेहरे

आँख बचाकर जब

सामने से गुजरते देखे

अहसास हो गया

बुझती उम्र का


स्नेह

दो पीढ़ियों के मध्य

उभरता तीखापन

अनुभव और नवाचार

का संघर्ष

धूप में नहीं पकता

तीसरी पीढ़ी के

स्नेह से पक जाता है.


प्यारी बिटिया

बिटिया के जन्में माँ दुखारी

बिटिया के विदा बाबा दुखारी

बिटिया जन्म ले हारी

बिटिया विदा ले हारी

बिटिया के जीवन दादी दुखारी

बिटिया के पढ़बै दादा दुखारी

बिटिया देह गठे हारी

बिटिया पढ़बे को हारी

बिटिया के झांके भाभी दुखारी

बिटिया के घूमें भाई दुखारी

बिटिया कोठरियन मा हारी

बिटिया जंजीरन मा हारी

बिटिया के खेले आंगन दुखारी

बिटिया के नाम दे पुरखे दुखारी

बिटिया परदन मा हारी

बिटिया नाम पाये को हारी

फिर भी सगरे जीवन

खुशी देत सबको बिटिया

चूंकि सबरन पहाड़ सहे खातिर

बिटिया को कलेजो

धरती सो भारी.


आदर्श

दोगली गीली मिट्टी के

सांचे में ढले आदर्श

स्त्री के तपते शरीर पर चिपक

कठोर बन जाते हैं

चुभन देते हैं

किंतु पुरुष के सीलन भरे शरीर

पर ढह जाता है

गीले आदर्शो का आकार.

सम्पर्कः 459 सी/6, गोविन्दपुरी,

कालकाजी, नई दिल्ली-110019

-----


कविता

सांवली परी

डॉ. प्रमिला कुमारी गुप्ता

वह सांवली-सी सरल परी!

दौड़ती रहती दिन भर

इधर से उधर

कभी काम तो,

कभी फिकर

न जाने

कौन-सी मशीन

है पैरों में फिट

चकराती रहती ज्यों चकरी

वह सांवली-सी सहज परी!

उठती है भोर बिहान

झाड़ू लिए हाथ

बुहारती है घर-आंगन

करती बर्तन साफ

सिझाती भात

संधाती तरकारी

वह सांवली-सी मूक परी!

हड़बड़ अपना काम निपटा

रोज जाती

दस बारह घर

करती काम

आराम हराम

चुवाती पसीना

दिन दोपहर शाम

लौटती घर

ओरियाती सारी पसरी

वह सांवली-सी कृशकाय परी!

सम्पर्कः प्रांजल-घर, कॉलेज रोड,

कोर्रा, हजारीबाग-825301

----


कविताएं

केदारनाथ ‘सविता’

चुनाव में

हर चुनाव में

हर गधे को

बड़े प्यार से

पुचकार कर

पोलिंग बूथ तक

लाया जाता है

उसकी दुलत्ती को भी

सह लिया जाता है,

मतदान के बाद

मत देने वाले गधे को

दुलत्ती झाड़कर

भगा दिया जाता है.

विवशता

किसी की बेबसी पर

किसी को हंसते देखकर

हंसी आती है

उसकी मूर्खता पर

उसकी जड़ता पर

जी में आता है

उसे भी बेबस बनाकर

डाल दिया जाय

किसी अंधेरे भयावह

एकांत में

जहां वह हंसे

अथवा रोये

पर कोई देख न सके

काई सुन सके.

सम्पर्क : पुलिस चौकी रोड,

लालडिग्गी सिंहगढ़

गली (टिकाने टोला),

मीरजापुर-231001 (उ.प्र.)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्राची // जून 2017 // कविताएँ
प्राची // जून 2017 // कविताएँ
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiPmlvykS9GfskUjWbVww1-uz4FXOl9Y0ixKch25lC58gy5yja0A7ZnF5Zmy9LHkW49zQg33oKPhjW0Rl-CbkamFu962i0xUPMwia6HRD3Xqp2q-iHJMn_ur0EaA8XS1hYhRyoo/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiPmlvykS9GfskUjWbVww1-uz4FXOl9Y0ixKch25lC58gy5yja0A7ZnF5Zmy9LHkW49zQg33oKPhjW0Rl-CbkamFu962i0xUPMwia6HRD3Xqp2q-iHJMn_ur0EaA8XS1hYhRyoo/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/07/2017_66.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/07/2017_66.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content