देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–6 - 1 बिल्लियों की कहानी : // सुषमा गुप्ता

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देश विदेश की लोक कथाएं — यूरोप–इटली–6 : इटली की लोक कथाएं–6 संकलनकर्ता सुषमा गुप्ता Cover Page picture: Roman Forum, Rome, Italy Published U...

देश विदेश की लोक कथाएं — यूरोप–इटली–6 :

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इटली की लोक कथाएं–6

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संकलनकर्ता

सुषमा गुप्ता

Cover Page picture: Roman Forum, Rome, Italy

Published Under the Auspices of Akhil Bhartiya Sahityalok

E-Mail: sushmajee@yahoo.com

Website: http://sushmajee.com/folktales/index-folktales.htm

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Copyrighted by Sushma Gupta 2014

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Map of Italy

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विंडसर, कैनेडा

मार्च 2017


Contents

सीरीज़ की भूमिका

इटली की लोक कथार्ऐं6

1 बिल्लियों की कहानी

2 चिक

3 राजकुमारियॉ जो पहले राहगीर से ब्याही गयीं

4 तेरह डाकू

5 तीन अनाथ

6 सोती हुई सुन्दरी और उसके बच्चे

7 तीन चिकोरी इकठ्ठा करने वाले

8 सात पोशाकों वाली सुन्दरी

9 सॉप बादशाह

10 सोने के अंडे वाला केंकडा़

11 निक मछली

12 बदकिस्मत

13 पिपीना सॉप


सीरीज़ की भूमिका

लोक कथाएं किसी भी समाज की संस्कृति का एक अटूट हिस्सा होती हैं। ये संसार को उस समाज के बारे में बताती हैं जिसकी वे लोक कथाएं हैं। आज से बहुत साल पहले, करीब 100 साल पहले, ये लोक कथाएं केवल ज़बानी ही कही जातीं थीं और कह सुन कर ही एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को दी जाती थीं इसलिये किसी भी लोक कथा का मूल रूप क्या रहा होगा यह कहना मुश्किल है।

आज हम ऐसी ही कुछ अंग्रेजी और कुछ दूसरी भाषा बोलने वाले देशों की लोक कथाएं अपने हिन्दी भाषा बोलने वाले समाज तक पहुँचाने का प्रयास कर रहे हैं। इनमें से बहुत सारी लोक कथाएं हमने अंग्रेजी की किताबों से, कुछ विश्वविद्यालयों में दी गयी थीसेज़ से, और कुछ पत्रिकाओं से ली हैं और कुछ लोगों से सुन कर भी लिखी हैं। अब तक 1200 से अधिक लोक कथाएं हिन्दी में लिखी जा चुकी हैं। इनमें से 400 से भी अधिक लोक कथाएं तो केवल अफ्रीका के देशों की ही हैं।

इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि ये सब लोक कथाएं हर वह आदमी पढ़ सके जो थोड़ी सी भी हिन्दी पढ़ना जानता हो और उसे समझता हो। ये कथाएं यहाँ तो सरल भाषा में लिखी गयी है पर इनको हिन्दी में लिखने में कई समस्याएं आयी है जिनमें से दो समस्याएं मुख्य हैं।

एक तो यह कि करीब करीब 95 प्रतिशत विदेशी नामों को हिन्दी में लिखना बहुत मुश्किल है. चाहे वे आदमियों के हों या फिर जगहों के। दूसरे उनका उच्चारण भी बहुत ही अलग तरीके का होता है। कोई कुछ बोलता है तो कोई कुछ। इसको साफ करने के लिये इस सीरीज़ की सब किताबों में फुटनोट्स में उनको अंग्रेजी में लिख दिया गया हैं ताकि कोई भी उनको अंग्रेजी के शब्दों की सहायता से कहीं भी खोज सके। इसके अलावा और भी बहुत सारे शब्द जो हमारे भारत के लोगों के लिये नये हैं उनको भी फुटनोट्स और चित्रों द्वारा समझाया गया है।

ये सब कथाएं “देश विदेश की लोक कथाएं” नाम की सीरीज के अन्तर्गत छापी जा रही हैं। ये लोक कथाएं आप सबका मनोरंजन तो करेंगी ही साथ में दूसरे देशों की संस्कृति के बारे में भी जानकारी देंगी। आशा है कि हिन्दी साहित्य जगत में इनका भव्य स्वागत होगा।

सुषमा गुप्ता

मई 2016

इटली की लोक कथाएं–6

इटली देश यूरोप महाद्वीप के दक्षिण पश्चिम की तरफ स्थित है। पुराने समय में यह एक बहुत ही शक्तिशाली राज्य था। रोमन साम्राज्य अपने समय का एक बहुत ही मशहूर राज्य रहा है। उसकी सभ्यता भी बहुत पुरानी है – करीब 3000 साल पुरानी। इसका रोम शहर 753 बीसी में बसाया हुआ बताया जाता है पर यह इटली की राजधानी 1871 में बना था। इटली में कुछ शहर बहुत मशहूर हैं – रोम, पिसा, फ्लोरैन्स, वेनिस आदि। यहाँ की टाइबर नदी बहुत मशहूर है। यूरोप में लोग केवल लन्दन, पेरिस और रोम शहर ही घूमने जाते हैं।

रोम में कोलोज़ियम और वैटिकन अजायबघर सबसे ज़्यादा देखे जाते हैं। पिसा में पिसा की झुकती हुई मीनार संसार का आदमी द्वारा बनाये गये आठ आश्चर्यों में से एक है। इटली का वेनिस शहर नहरों में बसा हुआ एक शहर[1] है। इस शहर में अधिकतर लोग इधर से उधर केवल नावों से ही आते जाते हैं। यहाँ कोई कार नहीं है कोई सड़क पर चलने वाला यातायात का साधन नहीं है, केवल नावें हैं और नहरें हैं। शायद तुम्हें मालाूम नहीं होगा कि असल में वेनिस शहर कोई शहर नहीं है बल्कि 118 द्वीपों को पुलों से जोड़ कर बनाया गया है इसलिये ये नहरें भी नहरें नहीं हैं बल्कि समुद्र का पानी है और वह समुद्र का पानी नहर में बहता जैसा लगता है।

इटली का रोम कैसे बसा? कहते हैं कि रोम को बसाने वाला वहाँ का पहला राजा रोमुलस था। रोमुलस और रेमस दो जुड़वाँ भाई थे जो एक मादा भेड़िया का दूध पी कर बड़े हुए थे। दोनों ने मिल कर एक शहर बसाने का विचार किया पर बाद में एक बहस में रोमुलस ने रेमस को मार दिया और उसने खुद राजा बन कर 7 अप्रैल 753 बीसी को रोम की स्थापना की। इटली के रोम शहर में संसार का मशहूर सबसे बड़ा कोलोज़ियम[2] है जहाँ 5000 लोग बैठ सकते हैं। पुराने समय में यहाँ लोगों को सजाएं दी जाती थीं।

इटली में ही वैटीकन सिटी है जो ईसाई धर्म के कैथोलिक लोगों का घर है पर यह एक अपना अलग ही देश है। वहाँ इसके अपने सिक्के और नोट हैं। इसकी अपनी सेना है। पोप इस देश का राजा है। इसका अजायबघर बहुत मशहूर है। यह संसार का सबसे छोटा देश है क्षेत्र में भी और जनसंख्या में भी – 842 आदमी .4 वर्ग मील के क्षेत्र में बसे हुए।

इटली की बहुत सारी लोक कथाएं हैं। इटली की सबसे पहली लोक कथाएं 1550 में लिखी गयी थीं। इतालो कैलवीनो[3] का लोक कथाओं का यह संग्रह इटैलियन भाषा में 1956 में संकलित करके प्रकाशित किया गया था। इनका सबसे पहला अंग्रेजी अनुवाद 1962 में छापा गया। उसके बाद सिलविया मल्कही[4] ने इनका अंग्रेजी अनुवाद 1975 में प्रकाशित किया। फिर मार्टिन ने इनका अंग्रेजी अनुवाद 1980 में किया। ये लोक कथाएं हम मार्टिन की पुस्तक से ले कर अपने हिन्दी भाषा भाषियों के लिये यहाँ हन्दी भाषा में प्रस्तुत कर रहे हैं। आशा है कि ये लोक कथाएं तुम लोगों को पसन्द आयेंगी।

इतालो ने इस पुस्तक में 200 लोक कथाएं संकलित की हैं। हमने उन 200 लोक कथाओं में से 125 लोक कथाएं चुनी हैं। फिर भी क्योंकि वे बहुत सारी लोक कथाएं हैं इसलिये वे सब पढ़ने की आसानी के लिये एक ही पुस्तक में नहीं दी जा रही हैं। इससे पहले हम इटली की लोक कथाओं के पाँच संकलन[5] प्रकाशित कर चुके हैं जिनमें हमने वहाँ की क्रमशः 15, 17, 10, 11 और 18, यानी अब तक 71 लोक कथाएं, प्रकाशित कर चुके हैं। तुम सब लोगों को यह जान कर प्रसन्नता होगी कि वे सभी पुस्तकें बहुत पसन्द की गयीं।

तो अब यह प्रस्तुत है तुम्हारे हाथों में इटली की लोक कथाओं का छठा संकलन – “इटली की लोक कथाएं–6”। इसमें हम वहाँ की नम्बर 129 से 150 तक की 13 लोक कथाएं प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा ही नहीं बल्कि पूरा विश्वास है कि यह छठा संकलन भी तुम लोगों को पहले पाँच संकलनों की तरह ही बहुत पसन्द आयेगा और मजेदार लगेगा।

1 बिल्लियों की कहानी[6]

एक स्त्री के दो बेटियाँ थीं – एक तो उसकी अपनी बेटी थी और दूसरी उसकी सौतेली बेटी थी। वह अपनी बेटी को तो बहुत प्यार करती थी पर अपनी सौतेली बेटी को नौकर की तरह से रखती थी।

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एक दिन उसने अपनी सौतेली बेटी को चिकोरी[7] इकठ्ठी करने के लिये जंगल भेजा पर काफी ढूँढने के बाद भी उसको चिकोरी तो मिली नहीं उसको एक बहुत बड़ा गोभी का फूल दिखायी दे गया। उसने उस गोभी के फूल को उखाड़ने की कोशिश की पर वह उसको काफी कोशिशों के बाद ही उखाड़ पायी।

उस फूल को उखाड़ने से वहाँ एक बहुत बड़ा गड्ढा बन गया – एक कुँए जितना बड़ा। उस कुँए में नीचे जाने के लिये एक सीढ़ी बनी हुई थी। वह लड़की यह जानने के लिये बहुत उत्सुक थी कि उस कुँए में क्या था सो वह उस सीढ़ी के सहारे सहारे उस कुँए में नीचे उतर गयी।

नीचे जा कर उसको एक घर मिला जो बिल्लियों से भरा हुआ था। सारी बिल्लियाँ अपने अपने कामों में लगी हुई थीं। कोई घर की सफाई कर रही थी, तो कोई कुँए से पानी खींच रही थी, तो कोई सिलाई कर रही थी। कोई कपड़े धो रही थी तो कोई डबल रोटी बना रही थी।

लड़की ने एक बिल्ली के हाथ से झाड़ू ले ली और उसकी घर की सफाई में मदद करने लगी। फिर एक दूसरी बिल्ली से उसने मैली चादरें ले लीं और उसकी उनको धोने में मदद करने लगी। फिर उसने उनकी पानी खींचने में मदद की और एक बिल्ली को डबल रोटी ओवन में रखने में मदद की।

दोपहर को एक बड़ी बिल्ली आयी जो उन सब बिल्लियों की माँ थी। आ कर उसने घंटी बजायी “डिंग डौंग, डिंग डौंग” और बोली — “जिस जिसने काम किया है वह यहाँ आ कर खाना खा ले। और जिसने भी काम नहीं किया है वह आये और हमको खाना खाते देखे।”

बिल्लियाँ बोलीं — “माँ, हममें से हर एक ने काम किया है पर इस लड़की ने हम सबसे ज़्यादा काम किया है।”

बड़ी बिल्ली बोली — “तुम बहुत अच्छी लड़की हो। आओ और हमारे साथ आ कर खाना खाओ।” सो वे दोनों एक मेज पर बैठ गयीं।

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माँ बिल्ली ने उसको थोड़ा सा माँस दिया, मैकेरोनी[8] दी और भुना हुआ मुर्गा दिया पर उसने अपने बच्चों को केवल बीन्स ही दीं।

इससे वह लड़की कुछ नाखुश हो गयी क्योंकि यह अच्छा खाना केवल वही अकेले खा रही थी और बाकी सब बिल्लियाँ तो केवल बीन्स ही खा रही थीं। उसको वे भूखी भी लगीं सो उसने अपने खाने में से हर चीज़ उनको दी।

जब वे सब खाना खा कर उठे तो लड़की ने मेज साफ की, बिल्लियों की भी प्लेटें साफ कीं, कमरा बुहारा और सारा सामान जहाँ रखा जाना चाहिये था वहीं रख दिया।

फिर उसने माँ बिल्ली से कहा — “माँ बिल्ली, अब मुझे अपने घर जाना चाहिये नहीं तो मेरी माँ मुझे डाँटेगी।”

माँ बिल्ली बोली — “बेटी एक मिनट। ज़रा रुको। मैं तुमको कुछ देना चाहती हूँ।”

उनके घर के नीचे की तरफ एक बहुत बड़ा भंडारघर था जिसमें बहुत सारी चीज़ें रखी थीं – सिल्क का सामान, पोशाकें, स्कर्ट, ब्लाउज़, ऐप्रन, सूती रूमाल, गाय की खाल के जूते आदि आदि।

माँ बिल्ली उस लड़की को नीचे ले गयी और बोली — “तुमको इसमें से जो चाहिये वह ले लो।”

उस गरीब लड़की ने जो नंगे पैर थी और फटे कपड़ों में थी बोली — “बस मुझे एक ड्रैस दे दो, एक गाय की खाल का जूता दे दो और एक स्कार्फ। बस केवल इतना ही।”

माँ बिल्ली बोली — “नहीं केवल इतना ही नहीं तुमने मेरी बच्चियों की बहुत सहायता की है इसलिये मैं तुमको एक बहुत ही अच्छी भेंट दूँगी।”

कह कर उसने वहाँ से सबसे अच्छा सिल्क का एक गाउन उठाया, एक बड़ा और बहुत सुन्दर रूमाल और एक जोड़ी स्लिपर उठाये और उन सबको उस लड़की को पहना कर बोली — “अब जब तुम बाहर जाओगी तो तुमको दीवार में छोटे छोटे छेद दिखायी देंगे। तुम उनमें अपनी उँगली डालना और उसके बाद ऊपर देखना और फिर देखना कि क्या होता है।” और उसको विदा किया।

जब वह लड़की बाहर गयी तो उसको दीवार में छेद दिखायी दिये। माँ बिल्ली के कहे अनुसार उसने उनमें अपनी उँगलियाँ डालीं तो उसकी उँगलियों में बहुत सुन्दर सुन्दर अंगूठियाँ आ गयीं।

फिर उसने ऊपर देखा तो एक तारा उसकी भौंह पर आ गिरा। इस तरह वह एक दुलहिन की तरह सजी धजी घर पहुँची।

उसकी सौतेली माँ ने पूछा — “तुझको ये इतनी अच्छी अच्छी चीजें. कहाँ से मिलीं?”

वह लड़की सीधे स्वभाव बोली — “माँ मुझको कुछ छोटी छोटी बिल्लियाँ मिल गयी थीं। मैंने उनका काम करने में थोड़ी सी मदद कर दी तो उन्होंने मुझे ये थोड़ी सी भेंटें दे दीं।” और उसने उनको अपनी सारी कहानी सुना दी।

यह सुन कर उसकी सौतेली माँ तो बस उस जगह अपनी आलसी बेटी को भेजने का इन्तजार करने लगी। अगले दिन उसने अपनी बेटी से कहा — “बेटी जा तू भी जा ताकि तू भी अपनी बहिन की तरह से अमीर हो कर आ सके।”

वह बोली — “मुझे नहीं चाहिये यह सब। मैं कहीं नहीं जाती।” क्योंकि उसको तो बड़े आदमियों से बात करने की भी तमीज नहीं थी।

वह फिर बोली — “और हाँ मुझे तो अभी कहीं जाना भी नहीं है। बाहर बहुत ठंडा है। मैं तो यहीं आग के पास बैठती हूँ।”

पर उसकी माँ ने एक डंडी उठायी और उससे उसको हड़काते हुए घर के बाहर निकाल दिया। सो अब तो उस बेचारी को वहाँ से उन बिल्लियों के घर जाना ही पड़ा। बड़ी मुश्किल से तो उसको वह बड़ा गोभी का फूल मिला और फिर बड़ी मुश्किल से उससे वह उखड़ा।

फूल उखाड़ कर वह भी उस कुँए में बनी सीढ़ियों से उतर कर नीचे बिल्लियों के घर में पहुँची।

जब उसने पहली बिल्ली को देखा तो हँसी हँसी में उसने उसकी पूँछ अपनी टाँगों के बीच में दबा ली। फिर दूसरी को देखा तो उसके कान खींच लिये और तीसरी की मूँछें खींच लीं।

जो बिल्ली सिलाई कर रही थी उसने उसकी सुई में से धागा निकाल दिया। जो बिल्ली पानी खींच रही थी उसकी उसने बालटी का पानी पलट दिया।

इस तरह उसने उन सब बिल्लियों के सारे काम रोक दिये जो वे उस समय कर रही थीं। वे बेचारी कुछ भी नहीं कर सकीं।

दोपहर को जब माँ बिल्ली आयी तो उसने रोज की तरह घंटी बजायी “डिंग डौंग, डिंग डौंग।” और आ कर रोज की तरह से बोली “जिस किसी ने भी काम किया है वह यहाँ आये और खाना खा ले और जिसने भी काम नहीं किया है वह हमको केवल खाना खाते देखता रहे।”

बिल्लियाँ बोलीं — “माँ, हम लोग तो काम करना चाहते थे पर इस लड़की ने हमको हमारी पूँछ पकड़ कर खींच लिया, हमारे सारे काम रोक दिये और हमारी ज़िन्दगी दूभर कर दी इसलिये हम कुछ भी नहीं कर सके।”

माँ बिल्ली बोली — “ठीक है, आओ मेज पर बैठो और खाना खाओ।”

माँ बिल्ली ने उस लड़की को सिरके में डूबी हुई जौ की केक खाने के लिये दी और अपनी बच्चियों को मैकेरोनी और माँस खाने के लिये दिया। जितनी देर तक वे सब खाना खाते रहे वह लड़की बिल्लियों का ही खाना खाती रही।

जब उनका खाना खत्म हो गया तो उस लड़की ने कुछ नहीं किया – न तो उसने मेज साफ की, न ही उसने प्लेटें साफ कीं और न ही उसने वहाँ का सब सामान वहाँ से उठा कर उनकी जगह रखा।

वह बोली — “माँ बिल्ली, मुझे वह सब सामान दो जो तुमने मेरी बहिन को दिया था।”

माँ बिल्ली उसको नीचे बने अपने भंडारघर में ले गयी और उससे वहाँ रखे सामान को दिखा कर पूछा कि उसमें से उसको क्या चाहिये।

उस सब सामान को देख कर तो उस लड़की की आँखें चकाचौंध गयीं। वह लड़की बोली — “वह वाली पोशाक जो सबसे अच्छी है और वह वाले जूते जिनकी एड़ी सबसे ऊँची है। वह मुझे दे दो।”

माँ बिल्ली बोली — “ठीक है। तुम अपने कपड़े उतारो और यह तेल लगी ऊनी पोशाक पहन लो और ये जूते जिनकी एड़ी सारी खत्म हो चुकी है इनको पहन लो।”

उसको ये कपड़े पहना कर और उसके बालों में एक फटा स्कार्फ बाँध कर उस माँ बिल्ली ने उसको वहाँ से भेज दिया और बोली — “अब तुम जाओ और जब तुम बाहर जाओ तो तुमको दीवार में छोटे छोटे छेद दिखायी देंगे। तुम उनमें अपनी उँगलियाँ डालना और फिर ऊपर देखना और फिर देखना कि क्या होता है।”

यह सब पहन कर वह लड़की वहाँ से चली गयी। बाहर जा कर उसने दीवार में कुछ छेद देखे तो उनमें अपनी उँगलियाँ डाल दीं। उसकी उँगलियों में बहुत सारे कीड़े लिपट गये। उसने अपनी उँगलियों को उन छेदों में से जितना खींचने की कोशिश की उतनी ही वे उसमें जकड़ी रह गयीं।

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फिर उसने ऊपर देखा तो एक खून से भरा सौसेज उसके मुँह पर गिर पड़ा और वहाँ से वह नीचे गिरा भी नहीं इसलिये उसे उसको बराबर खाते रहना पड़ा।

जब वह इस पोशाक में घर पहुँची तो वह एक चुड़ैल से भी बुरी शक्ल में थी। उसकी माँ तो उसको इस शक्ल में देख कर इतना गुस्सा और परेशान हुई कि वह तो वहीं की वहीं मर गयी। और वह लड़की भी वह खून भरा सौसेज खा कर कुछ दिनों बाद ही मर गयी।

इस तरह दूसरों से अच्छे व्यवहार और बुरे व्यवहार का नतीजा ऐसा ही होता है।

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[1] City of Canals

[2] Colosseum

[3] “Italian Folktales: collected and retold by Italo Calvino”. Translated by George Martin. San Diego, Harcourt Brace Jovanovich, Publishers. 1980. 300 p.

[4] Sylvia Mulcahy

[5] “Italy Ki Lok Kathayen-1” – 15 folktales (No 1-18), by Sushma Gupta in Hindi languge

“Italy Ki Lok Kathayen-2” – 17 folktales (No 19-40), by Sushma Gupta in Hindi language

“Italy Ki Lok Kathayen-3” – 10 folktales (No-41-61), by Sushma Gupta in Hindi language

“Italy Ki Lok Kathayen-4” – 11 folktales (No 62-84), by Sushma Gupta in Hindi language

“Italy Ki Lok Kathayen-5” – 18 folktales (No-85-126), by Sushma Gupta in Hindi language

h[6] The Tale of the Cats (Story No 129) – a folktale from Italy from its Terra d’Otranto.

Adapted from the book : “Italian Folktales”, by Italo Calvino. Translated by George Martin in 1980.

[7] Chicory is a cultivated salad plant with blue flowers and with a good size root which is roasted and powdered for a substitute or additive to coffee. It looks like large thick radish. See its picture above.

[8] A kind of Italian food preparation – see its picture above.

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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का  विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः  - रैवन की लोक कथाएँ,  इथियोपिया इटली की  ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.

(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)

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पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi 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रचनाकार: देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–6 - 1 बिल्लियों की कहानी : // सुषमा गुप्ता
देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–6 - 1 बिल्लियों की कहानी : // सुषमा गुप्ता
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