देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–8 : 8 एक शानदार राजकुमारी // सुषमा गुप्ता

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8 एक शानदार राजकुमारी [1] बहुत समय के बाद आज यह कहानी फिर से कही जा रही है कि एक राजा था जिसकी एक बेटी थी जो शादी के लायक थी। वह लड़की बहुत स...

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8 एक शानदार राजकुमारी[1]

बहुत समय के बाद आज यह कहानी फिर से कही जा रही है कि एक राजा था जिसकी एक बेटी थी जो शादी के लायक थी। वह लड़की बहुत सुन्दर थी।

एक दिन राजा ने उसको बुलाया और उससे कहा — “बेटी अब तुम्हारी उम्र शादी के लायक हो गयी है इसलिये अब तुमको शादी कर लेनी चाहिये।

मैं अपने सभी साथी राजाओं और दोस्तों को यह खबर भिजवा देता हूँ कि फलाँ दिन एक बड़ा जश्न मनाया जायेगा और वे सब उसमें जरूर आयें। जब वे सब यहाँ आ जायेंगे तो तुमको उनमें से अपनी पसन्द का दुलहा चुनने का मौका मिल जायेगा।”

बेटी ने हाँ कर दी और राजा ने यह सन्देश सबको भिजवा दिया। तय किया हुआ दिन भी आ पहुँचा। सारे राजा उस दिन वहाँ आ पहुँचे थे। उन सबके परिवार भी वहाँ आये थे।

जो भी राजा और राजकुमार वहाँ आये थे राजकुमारी ने उनमें से राजा गारनर[2] के बेटे को पसन्द किया। सब लोगों ने बहुत खुशियाँ मनायीं।

दोपहर हुई तो सब लोग खाना खाने बैठे। खाने में 57 चीज़ें बनी थीं। मीठे में अनार भी परोसे गये। अब अनार हर देश में तो मिलते नहीं और राजा गारनर के देश में तो उनका नाम भी कोई नहीं जानता था सो राजकुमार ने जब अनार उठाया तो उसका एक दाना नीचे गिर पड़ा।

यह सोच कर कि वह दाना बहुत कीमती होगा वह उसको उठाने के लिये नीचे झुका। उधर राजकुमारी राजकुमार पर से अपनी नजर ही नहीं हटा पा रही थी सो उसने यह देख लिया कि राजकुमार नीचे से अनार का एक दाना उठाने की कोशिश कर रहा था।

उसको गुस्सा आ गया और वह गुस्से में भर कर मेज से उठी और अन्दर चली गयी। अपने कमरे में जा कर उसे अन्दर से बन्द करके बैठ गयी।

उसका पिता उसके पीछे पीछे यह देखने के लिये गया कि उसकी बेटी को क्या हो गया है। वह वहाँ गया तो उसने देखा कि उसकी बेटी तो अपने कमरे में बैठी रो रही है।

राजा ने अपनी बेटी के रोने की वजह जाननी चाही तो वह बोली — “पिता जी, मैं उस लड़के को बहुत पसन्द करती हूँ पर मुझे अब लगा कि वह तो बहुत ही छोटे दिमाग का आदमी है और अब मैं उसके साथ कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती।”

राजा खाने की जगह वापस आया। सब राजाओं को धन्यवाद दिया और उनको गुड बाई कह कर विदा कर दिया। पर यह बात राजा गारनर के बेटे के लिये कुछ जरा ज़्यादा ही हो गयी सो उसने राजकुमारी को सबक सिखाने की कुछ और तरकीब सोची।

बाकी सारे राजा तो वहाँ से अपने अपने घर चले गये पर राजा गारनर का बेटा महल से जाने के बाद अपने घर नहीं गया। असल में वह भी राजकुमारी को बहुत पसन्द करने लगा था। वह उसको किसी भी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहता था सो उसने एक तरकीब सोची।

बाहर निकल कर उसने एक किसान का वेश रखा और काम की तलाश में महल के आस पास चक्कर काटने लगा। राजा को एक माली की जरूरत थी और क्योंकि वह राजकुमार बागीचों के बारे में कुछ जानता था सो उसने राजा से प्रार्थना की वह उसको अपने बागीचे में माली का काम दे दे।

राजा को वह लड़का पसन्द आ गया सो उसके बारे में कुछ जानकारी हासिल करने के बाद उसकी तनख्वाह निश्चित कर दी गयी और उसे नौकरी पर रख लिया गया।

बागीचे में ही उसको एक छोटा सा मकान दे दिया गया और वह अपने एक बक्से के साथ उस मकान में चला गया।

राजकुमार के बक्से में उसकी वह भेटें थीं जो वह अपनी होने वाली पत्नी के लिये ले कर आया था पर अब जब राजकुमारी ने उसको स्वीकार ही नहीं किया तो वे सब भेंटें अभी उसी के पास थीं।

जब वह अपना बक्सा ले कर उस मकान में आया तो उसने यही दिखाया कि उस बक्से में उसके पहनने के कपड़े थे। उस मकान में पहुँच कर उसने अपने मकान की खिड़की के सामने एक शाल टाँग लिया जो सुनहरे तारों की कढ़ाई से कढ़ा हुआ था।

राजकुमारी के महल की खिड़की बागीचे की तरफ खुलती थी और उसी बागीचे में वह माली रहता था। सो एक दिन जब उसने अपनी खिड़की से बागीचे में झाँका तो उसको माली के घर की खिड़की पर टँगा वह सोने के तारों से कढ़ाई किया गया शाल दिखायी दे गया।

उसने माली को बुलाया और उससे पूछा — “यह जो शाल तुम्हारी खिड़की पर फैला हुआ है किसका है?”

माली बोला — “राजकुमारी जी, यह शाल मेरा है।”

राजकुमारी ने उससे फिर पूछा — “क्या तुम इस शाल को मुझे बेचोगे? मैं तुम्हारा यह शाल खरीदना चाहती हूँ।”

माली बोला — “ओह नहीं, कभी नहीं। यह शाल बेचने के लिये नहीं है।” कह कर वह वहाँ से चला गया।

यह सुन कर राजकुमारी ने अपनी दासियों से कहा कि वे उस माली को वह शाल उसे बेचने पर मनायें।

दासियों ने माली को उस शाल के बदले में कितने भी पैसे देने के लिये कहा। यहाँ तक कि उसको अगर पैसा नहीं चाहिये तो उस के बराबर की कीमत की कोई और चीज़ लेने के लिये भी कहा पर किसी का कोई नतीजा नहीं निकला क्योंकि वह तो उस शाल को किसी भी कीमत पर बेचने को तैयार ही नहीं था।

जब उसको बहुत कहा गया तो वह बोला — “मैं यह शाल बेचता तो नहीं, हाँ उनको यह शाल मैं भेंट कर सकता हूँ अगर वह मुझको अपने महल के पहले कमरे में सोने दें तो।”

यह सुन कर वे दासियाँ बहुत ज़ोर से हँस पड़ीं और यह बात राजकुमारी से कहने के लिये दौड़ गयीं। राजकुमारी से बात करते समय वे कह रही थीं कि वह अगर इतना ही बेवकूफ है जो आपके महल के पहले कमरे में सोना चाहता है तो उसे सोने दीजिये। कोई अक्लमन्द आदमी ऐसा क्यों करेगा। वह जरूर ही कोई बेवकूफ है।

और फिर इसके लिये तो हमको कुछ देना भी नहीं पड़ेगा। इसमें हमारा कुछ नुकसान भी नहीं होगा और आपको शाल भी मिल जायेगा। सो राजकुमारी राजी हो गयी।

जब सारा घर सो रहा था तो राजकुमारी की दासियाँ उस माली को राजकुमारी के महल के अन्दर ले गयीं और उसके महल के पहले कमरे में उसको सोने के लिये छोड़ गयीं।

अगले दिन उन्होंने माली को सुबह सवेरे जल्दी उठाया और उसको महल के बाहर छोड़ आयीं। इसके बदले में माली ने अपना शाल राजकुमारी को दे दिया।

एक हफ्ते बाद उस माली ने एक और शाल उस खिड़की पर टाँग दिया। यह शाल उस पहले वाले शाल से भी ज़्यादा खूबसूरत था। जब राजकुमारी ने यह शाल देखा तो वह अपनी दासियों से बोली — “मुझे तो यह शाल चाहिये।”

जब माली से इस शाल को राजकुमारी को बेचने के बारे में बात की गयी तो माली बोला कि में इस शाल को बेचता तो नहीं पर अगर राजकुमारी जी मुझे अपने महल के दूसरे कमरे में एक रात सोने की इजाज़त दें तो मैं उनको यह शाल भेंट कर सकता हूँ।”

राजकुमारी की दासियों ने राजकुमारी से कहा — “जब आपने उसको अपने महल के पहले कमरे में सोने दिया तो अब आप उसको अपने महल के दूसरे कमरे में भी सोने दे सकती हैं।”

सो अगले दिन माली राजकुमारी के महल के दूसरे कमरे में सो गया और इसके बदले में उसने उसको अपना वह दूसरा शाल दे दिया।

फिर एक हफ्ता गुजर गया। तीसरे हफ्ते माली ने सोने के तारों से कढ़ी हुई और हीरे मोती से सजी हुई एक बहुत ही खूबसूरत पोशाक अपनी खिड़की पर टाँग दी।

जब राजकुमारी ने अपनी खिड़की से उस पोशाक को माली के घर की खिड़की पर टँगा देखा तो उससे रहा नहीं गया। माली से उसकी कीमत पूछने पर उसने कहा कि यह पोशाक तो बिल्कुल भी बिकाऊ नहीं थी।

पर काफी कुछ कहने सुनने के बाद माली ने कहा कि वह उसको भी बेचेगा तो कभी नहीं पर वह उसको राजकुमारी को भेंट दे सकता है अगर राजकुमारी उसको अपने महल के तीसरे कमरे में सोने की इजाज़त दे तो। तीसरा कमरा यानी राजकुमारी के सोने के कमरे के बिल्कुल बराबर वाला कमरा।

राजकुमारी ने सोचा “इसमें इतना डरना किस बात का? यह गरीब माली तो लगता है कि बस पागल है। इससे मुझे कोई नुकसान नहीं पहुँचने वाला।” सो पिछली रातों की तरह से इस रात भी उसको राजकुमारी के महल के तीसरे कमरे में नीचे फर्श पर सुला दिया गया।

जब वह वहाँ लेट गया तो उसने सोने का बहाना किया और उस समय का इन्तजार करने लगा जब महल में सब कोई सो जाने वाला था।

जब उसने पक्का कर लिया कि महल में सब लोग सो गये तो उसने ठंड से काँपना शुरू कर दिया। ठंड की वजह से उसके दाँत भी ज़ोर ज़ोर से बजने लगे।

इस काँपने में वह राजकुमारी के सोने के कमरे से जा टकराया। उसके काँपते हाथ पैर जब उसके दरवाजे को छूते थे तो ढोल के से बजने की आवाज आती थी।

इस आवाज से राजकुमारी जाग गयी और फिर दोबारा सो भी नहीं पायी। उसने माली को चुप रहने को भी कहा पर वह कुछ कराहता हुआ सा बोला — “मुझे बहुत ठंड लग रही है राजकुमारी जी।” और यह कह कर वह और ज़ोर ज़ोर से काँपने लगा।

जब वह माली को किसी तरह भी शान्त नहीं कर सकी तो उसको डर लगा कि महल में सोने वाले दूसरे लोग उसकी आवाज सुन लेंगे और माली के साथ किये गये सौदे के बारे में जान जायेंगे।

सो वह उठी और उसने यह सोचते हुए अपना दरवाजा खोला कि यह तो बहुत ही सीधा लड़का है यह मुझे कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकता। अब वह सीधे दिमाग वाला था या नहीं, यह तो पता नहीं, पर उस रात के बाद से राजकुमारी को बच्चे की आशा हो गयी।

राजकुमारी के गुस्से और शरम की कोई हद नहीं थी। इस बात की चिन्ता करके कि अभी या देर से लोग उसके बच्चे के बारे में जान तो जायेंगे ही सो उसने माली से कहा — “अब तुम्हारे लिये यहाँ करने के लिये कुछ नहीं बचा सिवाय इसके कि तुम यहाँ से मेरे साथ भाग चलो।”

“तुम्हारे साथ? इससे तो मैं मर जाना ज़्यादा पसन्द करूँगा।”

“ठीक है तो फिर यहीं रहो जब तक सबको पता न चल जाये।”

पर फिर भी किसी तरह उसने माली को अपने साथ भाग जाने पर तैयार कर लिया। उसने अपने कुछ सामान की एक गठरी बाँधी, थोड़ा सा पैसा साथ में लिया और वे दोनों पैदल ही एक रात वहाँ से भाग निकले।

रास्ते में उनको गाय चराने वाले मिले, भेड़ चराने वाले मिले, वे खेतों से गुजरे, वे मैदानों से निकले। ये सब देख कर राजकुमारी ने पूछा — “ये सब जानवर किसके हैं?”

माली बोला — “ये सब जानवर राजा गारनर के हैं।”

“ओह बेचारी मैं।”

माली ने पूछा — “क्यों? तुम बेचारी क्यों? क्या बात है?”

राजकुमारी बोली — “बेचारी मैं इसलिये कि मैंने उसके बेटे से शादी करने से मना कर दिया।”

माली बोला — “यह तुमने बहुत बुरा किया।”

राजकुमारी ने फिर पूछा — “और यह जमीन किसकी है?”

“यह भी राजा गारनर की है।”

राजकुमारी फिर बोली — “ओह बेचारी मैं।”

अब तक चलते चलते राजकुमारी बहुत थक गयी थी। चलते चलते वे एक नौजवान के घर पहुँचे। उस नौजवान ने उनको बताया कि वह राजा गारनर के नौकर का बेटा था। यह घर राजा के महल के पास ही था।

उसका सारा घर धुँए से काला हुआ पड़ा था। उसमें एक पुराना पलंग पड़ा था, एक स्टोव रखा था और एक घर को गरम रखने वाली अंगीठी थी।

उस घर के बराबर में ही एक जानवर रखने का बाड़ा और एक मुर्गीखाना था। वह नौजवान रात को ही अपना मकान माली को दे कर चला गया।

माली ने वहाँ जाते ही राजकुमारी से कहा — “मुझे बहुत भूख लगी है। एक मुर्गा मारो और उसे मेरे लिये पका दो।”

राजकुमारी ने वैसा ही किया। वह रात उन्होंने वहाँ उस छोटे से मकान में ही गुजारी।

सुबह को माली वहाँ से यह कह कर चला गया कि वह शाम होने से पहले घर वापस आ जायेगा। अब राजकुमारी उस मकान में अकेली थी कि अचानक उसने दरवाजे पर दस्तक सुनी। उसने दरवाजा खोला तो वहाँ राजा गारनर का बेटा अपने शाही कपड़ों में सजा खड़ा था।

उसने राजकुमारी से पूछा — “तुम कौन हो और यहाँ तुम क्या कर रही हो?”

बड़ी मुश्किल से राजकुमारी की आवाज निकली — “मैं आपके नौकर के बेटे के दोस्त की पत्नी हूँ।”

राजकुमार बोला — “हो सकता है पर तुम मुझे कोई ईमानदार स्त्री नहीं लगती। अगर तुम चोर हो तो? क्योंकि अक्सर ही यहाँ कोई न कोई मेरी मुर्गियाँ चुराने आता रहता है।”

फिर राजकुमार ने मुर्गियों को आवाज दी और उनको गिन कर बोला — “अरे इसमें तो एक मुर्गी कम है। कल तक तो यहाँ सब थीं।”

कह कर उसने वहाँ रखा सारा सामान छानना शुरू कर दिया। जब वह स्टोव के पास आया तो उसको मुर्गी के कुछ पंख पड़े मिल गये। ये उस मुर्गी के पंख थे जो कल रात राजकुमारी ने माली के लिये पकायी थी।

उन पंखों को देख कर राजकुमार ने कहा — “इसका मतलब यह है कि तुम चोर हो। तुमने मेरी एक मुर्गी चुरा कर खा ली है। भगवान को धन्यवाद दो कि मैंने तुमको पकड़ा है, अगर किसी और ने पकड़ा होता तो उसने तुमको कानून के हवाले कर दिया होता। पर चलो, मैं तुमको राजा के दरबार में नहीं ले जाता। अब आगे से कुछ मत चुराना।”

यह सब सुन कर राजकुमारी की ऑखों से तो झर झर ऑसू बह निकले। तभी रानी वहाँ आ गयी और उसने देखा कि वह बेचारी लड़की तो रोये जा रही है।

वह उसको धीरज बँधाते हुए बोली — “तुम चिन्ता न करो बेटी। यह मेरा बेटा भी बस बड़ा ही अजीब आदमी है। चलो जब तक तुम यहाँ हो तुम मेरे पास काम कर लेना।

मेरे पोता होने वाला है तो मुझे उसके लिये कुछ कपड़े तैयार करवाने हैं। तुम उनकी सिलाई में मेरी सहायता कर देना।” यह कह कर रानी उसको बच्चे के लिये कुछ कपड़े सिलने के लिये दे कर चली गयी।

शाम को जब माली घर आया तो राजकुमारी बहुत रोयी और उसको दिन में हुई राजकुमार और रानी की घटना बतायी और बोली कि इस सबकी जिम्मेदार केवल वह खुद है।

माली ने किसी तरह उसे शान्त किया और उसे वहीं रहने के लिये मना लिया।

राजकुमारी ने पूछा — “लेकिन हम यहाँ रहेंगे कैसे। अभी हमारे बच्चा होगा तो हमारे पास तो इतना भी नहीं है कि हम उसको कुछ पहना सकें।”

माली बोला — “जब रानी यहाँ कल आयें और तुमको सिलाई का और काम दें तो तुम उनके कपड़ों में से एक पोशाक निकाल कर छिपा लेना।”

सो अगले दिन जब रानी उसको कपड़े दे कर वापस जा रही थी तो राजकुमारी ने उतनी देर इन्तजार किया जब तक रानी ने अपना मुँह पूरी तरह से नहीं फेर लिया। फिर जैसे ही रानी का मुँह पूरी तरह से फिरा उसने उन पोशाकों में से एक पोशाक चुरा कर रख ली।

कुछ मिनट बाद ही वहाँ राजकुमार आ गया और अपनी माँ से बोला — “माँ, आपके साथ यहाँ कौन काम कर रहा है?”

और फिर राजकुमारी की तरफ देख कर बोला — “अरे क्या यह चोर फिर यहाँ? आपको मालूम है क्या कि यह कुछ भी चुराने की हिम्मत कर सकती है?”

यह कह कर उसने राजकुमारी की छिपायी हुई बच्चे की पोशाक बाहर निकाल कर उसको दिखा दी। फिर बोला — “यह तो फर्शों के अन्दर जाने तक की भी ताकत रखती है माँ। आप कहाँ इसके चक्कर में पड़ीं।”

यह सुन कर राजकुमारी की ऑखों से फिर से ऑसू बहने लगे पर रानी उसकी तरफदारी करती हुई बोली — “ये मामले स्त्रियों के हैं तुम यहाँ उनके बीच में क्या कर रहे हो?”

राजकुमारी को रोता देख कर उसने उसको फिर तसल्ली दी और उसने राजकुमारी को अगले दिन महल में आने के लिये कहा ताकि वह अगले दिन वहाँ आ कर उसके लिये मोती की कुछ मालाएं बना दे।

राजकुमारी अपने उस छोटे से मकान में वापस लौट आयी और रात को अपने पति को उस दिन की घटना के बारे में बताया।

माली बोला — “तुम उसके बारे में बिल्कुल भी न सोचो। यह राजा तो बहुत पुराना कंजूस और बहुत ही नीच आदमी है पर हाँ यह ध्यान रखना कि तुम कल एक मोती की माला वहाँ से अपने बच्चे के लिये जरूर लेती आना।”

अगले दिन राजकुमारी रानी के पास उसकी मोती की माला बनवाने के लिये फिर महल गयी। जब रानी नहीं देख रही थी तो राजकुमारी ने एक मोती की माला अपनी जेब में रख ली।

कुछ ही देर में राजकुमार भी घर आ गया तो उसने अपनी माँ से कहा — “माँ आपने इसे फिर अपने पास काम करने के लिये रख लिया। यह फिर कुछ चुरा कर ले जायेगी। आप मेरी बात मानती क्यों नहीं हैं।”

फिर इधर उधर देख कर बोला — “क्या आपने इसको मोती दिये माँ? मैं शर्त लगा सकता हूँ कि कम से कम एक मोती की माला तो इसने जरूर ही चुरा ही ली होगी।”

और यह कह कर उसने राजकुमारी की जेब में हाथ डाल दिया और उसकी जेब से एक मोती की माला निकल आयी। यह देख कर तो राजकुमारी बेहोश हो गयी। रानी ने उसको नमक सुँघाया और उसको होश में ला कर उसको फिर से धीरज बँधाया।

अगले दिन जब वह रानी के यहाँ फिर काम कर रही थी तो उसको बच्चा होने वाला हो गया तो रानी ने उसको ले जा कर राजकुमार के पलंग पर लिटा दिया। कुछ ही देर में उसको लड़का हो गया।

तभी राजकुमार आ गया और उसको अपने पलंग पर लेटा देख कर चीखा — “माँ यह क्या? यह चोर मेरे बिस्तर में?”

अब रानी मुस्कुरा कर बोली — “बेटे, बस करो। अब तुम्हारी हँसी बहुत हो गयी।”

फिर उसने राजकुमारी से कहा — “बेटी, यह मेरा बेटा ही तुम्हारा पति है जिससे तुमने शादी करने से इनकार कर दिया था। वही तुम्हारे यहाँ माली बन कर तुम्हारा दिल जीत कर तुमको यहाँ ले आया है।”

अब सारा भेद खुल गया था। राजकुमारी को जब सब कुछ पता चला तो वह अपने किये पर बहुत शरमिन्दा हुई।

राजकुमारी के माता पिता को बुलवा लिया गया, साथ में पड़ोसी राजाओं को भी। पोते के जन्म की खुशी में तीन दिन तक दावत चलती रही और सारे राज्य में खूब खुशियाँ मनायीं गयीं।



[1] The Mincing Princess (Story No 175) – a folktale from Italy from its Province of Trapani.

Adapted from the book : “Italian Folktales”, by Italo Calvino. Translated by George Martin in 1980.

[2] King Garner

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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का  विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः  - रैवन की लोक कथाएँ,  इथियोपिया इटली की  ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.

(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)

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तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड 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पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi 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रचनाकार: देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–8 : 8 एक शानदार राजकुमारी // सुषमा गुप्ता
देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–8 : 8 एक शानदार राजकुमारी // सुषमा गुप्ता
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