संस्मरण लेखन पुरस्कार आयोजन - प्रविष्टि क्र. 2 : डॉक्टर प्रकृति // विकेश कुमार बडोला

SHARE:

प्रविष्टि क्र. 2 विकेश कुमार बडोला डॉक्टर प्रकृति ------------------------------------ उसने एक क्षण में ही निश्चित कर लिया कि अब वह भीड़ भरे ...

image


प्रविष्टि क्र. 2

विकेश कुमार बडोला

डॉक्टर प्रकृति

------------------------------------

उसने एक क्षण में ही निश्चित कर लिया कि अब वह भीड़ भरे शहर को छोड़ देगा। अभी तक न जाने कितनी विवशताएं थीं, जो शहर छोड़ कर जाने के उसके संकल्प में रोड़ा बनी हुई थीं। शहर में बीत रहा हर दिन उसे भावनात्मक रूप में निरंकुश बना रहा था। पता नहीं कौन सी आसुरी शक्ति थी, जो उसे तन-मन से दुर्जन बनाने पर तुली हुई थी। वह कितना चाहता था कि घर-समाज में सभी के साथ उठे-बैठे, तन-मन-धन से किसी जरूरतमंद की मदद करे। लेकिन जीविका के लिए घर से बाहर निकलते, भीड़ का हिस्सा होते ही उसे न जाने क्या काट खाता कि वह बेचैन हो उठता। भीड़, शहर और देश के तंत्र के विरुद्ध विद्रोही मानसिकता से बुरी तरह घिर जाया करता। इतनी बुरी तरह कि सिर दीवाल पर दे मारने की इच्छा ही उसमें शेष बची रहती।

अब तक तो वह जीविका से बंधे होने के कारण शहर में रुका हुआ था। जैसी भी थी लेकिन इस नौकरी पर उसके परिवार की जिंदगी टिकी हुई थी। वह परिवार के लिए ही उस शहर में विष के घूंट पिए जा रहा था। लेकिन नौकरी के जाते ही, उसकी समस्याएं अचानक पारिवारिक हो गईं। अभी तक वह अपनी सज्जन कल्पना से विपरीत शहरी समाज को देखकर ही जहर गटक रहा था, लेकिन अब तो उसके परिवार के सामने रोजी-रोटी का आसन्न संकट उभर आया था। मकान के किराए से लेकर रोजमर्रा की जरूरी चीजों की आमद कर्ज पर टिकी हुई थी। इस मुसीबत में भी मनुष्यों की भीड़ से पटा पड़ा शहर उसके लिए ऐसा व्यक्ति नहीं ढूंढ पाया, जो उसे ऐसी मरणासन्न हालत में केवल सूखी सांत्वना ही दे देता, उसकी पीठ पर अपनत्व के भाव से भरा हाथ ही रख देता।

कोई राह न मिली तो आखिर एक दिन उसने गृहस्थी का समान उठाया और परिवार सहित अपने गांव के नजदीक एक छोटे कस्बे में आ गया। वहां आकर उसे मालूम हुआ कि उसका मूल व्यक्तित्व क्या है। वहां उसे छोटी-मोटी नौकरी भी मिल गई। कस्बे का जीवन गांव की तरह ही था। वहां जाकर रोजमर्रा का खर्चा भी बहुत कम हो गया।

वहां का जीवन शहर से बिलकुल अलग प्रकृति की शांत-विश्रांत बांहों में पसरा हुआ था। वह भी दिन-प्रतिदिन शांत व संयत होने लगा। वह अपने मूल मानुषिक स्वरूप में लौटने लगा। शहर द्वारा दिए विष के दंश उसके भीतर से बाहर निकलने लगे। उसे लगने लगा कि प्रकृति की शरण में अकेले ध्यानमग्न होने पर कोई भी व्यक्ति साधारण नहीं होता। वह प्रकृति का ही एक चेतन अंश बन जाया करता है।

लेकिन ऐसा आजकल होता नहीं। व्यक्ति अधिकांश समय शहरी घर और कार्यालय की दीवारों के भीतर बंद रहता है। वह बाहर निकलता भी है तो भीड़ के साथ, भीड़ में मिल जाने, भीड़ के दुर्गुणों में लिप्त हो जाने के लिए। लोगों, उनके विवादों-कुतर्कों-मतभेदों-हिंसा जनित झगड़ों से सांसारिक दुर्गति उसे स्पष्ट दिखाई दे रही है। आश्चर्य कि भीड़ में लिप्त लोगों को अपना पतन महसूस नहीं होता। लोगों ने जैसे भीड़भाड़ के बीच अपने दुर्दांत पतन को अपनी दिनचर्या, जीवनचर्या और इन सबसे बढ़कर अपनी नियति मान लिया है। उन्हें इसी तरह की दुनिया में विकास करने, आगे बढ़ने, तरह-तरह के कंपीटीशन में फर्स्ट आने पर गर्व बोध हो रहा है।

ऐसी भीड़ का किसी के लिए क्या लाभ। भीड़ का लाभ देश, समाज और स्वयं भीड़ को तब मिलता, जब भीड़ में शामिल सभी लोग अपने विचारों से अपने को देखते, अपनी वैचारिक प्रक्रिया में वे आत्मप्रेरणा से समझ-बूझ रखने वाले संवेदनशील प्राणी बनते।

परंतु वह...., वह इन सबसे मर्माहत था। उसे इस सांसारिक भ्रम से चिढ़ होने लगी थी।

….भीड़ से दूर गांव के उस कस्बे में रहते हुए उसे जीवन से गहन प्रेम होने लगा। इस प्रेमानुभूति में उसे भीड़ द्वारा बसाई गई दुनिया अत्यंत कुरूप लगने लगी। उसे महसूस हुआ कि वह अब एकांत-शांत हो स्वयं से प्रेम करने लगा है। उसे स्वयं से प्रेम क्या हुआ, वह अचानक परिवार और कस्बे वालों के लिए देवपुरुष जैसा बन गया। सभी के दुख-सुख में उसका अपनत्व भाव हमेशा जाग्रत रहने लगा।

.....इस नए जीवन में वह संवेदना के इतने गहन तल पर पहुंच चुका था कि उसे अनिद्रा रोग ने घेर लिया। हालांकि एकांत, शांत रहने से, स्वयं से लगाव बढ़ते जाने से उसे सामान्यतः अनिद्रा से कोई शारीरिक समस्या नहीं थी। लेकिन एक दिन.....उस दिन के ढलने के बाद देर रात तक उसे नींद नहीं आई। वह तरह-तरह के विचारों के आंदोलन से अपने मस्तिष्क को पिसता हुआ महसूस करने लगा। उसे शहरों में मजबूरी से रह रहे अपने जैसे लोगों का खयाल आया। भीड़ में पिसती उनकी मानवीय भावनाओं से वह विचलित हो उठा। ऐसे विचारों पर नियंत्रण कर उन्हें थामने का आत्मोपाय सफल तो हुआ, पर उसका सिर दर्द से तपने लगा। किसी तरह रात्रि व्यतीत हुई...सुबह हुई, पर सुबह से लेकर शाम तक भी सिर दर्द ठीक न हुआ।

उस दिन सन्ध्या से पहले उसके शहर के ऊपर काले बादल घिर आए थे। भादों की ऋतु थी। वर्षा किसी पूर्वानुमान के बिना ही आ जाती थी। उस सन्ध्या में भी रिमझिम करती वर्षा बूंदों ने धरती, वृक्ष लताओं, पौधों सहित सब कुछ भिगो दिया था। वह घर पर अकेला ही था। घरवाले कहीं गए हुए थे। सिर दर्द विचित्र बेचैनी उत्पन्न करने लगा। वह उठा और सीधे छत पर चला गया। बूंद-बूंद गिरती वर्षा में भीगते हुए वायु का स्पंदन उसे अपनी श्वासों, त्वचा, मुख और शरीर के खुले अंगों के लिए अत्यंत अमृतमयी लगा।

वह सन्ध्याकाल उसके जीवन में अपरिमित प्राकृतिक आनन्द लेकर आया। बारिश की बूंदें भी धीरे-धीरे वायु के मद्दिम स्पर्श से भाप बन उड़ गईं। गगन में काले मेघों के आवरण जितनी तेजी से बने थे, उससे अधिक तीव्रता से बिगड़ने-बिखरने लगे। आंखों के देखते-देखते ही गगन ने रंगों का उत्सव मनाना शुरू कर दिया।

क्या कल्पनातीत रंग थे! जैसे रंग अग्नि में जलकर रंगीले धुंए से नभ की रूप सज्जा कर रहे थे। कुछ पल के लिए धुंधली छवि में इन्द्रधनुष भी पूर्व दिशा के दाईं ओर दिखाई पड़ा था। उत्तर दिशा से आरंभ हुई नभ की रंगोली पश्चिम और दक्षिण दिशा तक फैल गई। क्षण-क्षण बदलते रंगों के अतुल सौन्दर्य से छनकर जो सूर्य प्रकाश धरती पर बिखरता, उसमें धानी-हरियाली धरती आंखों को चुंधियाने वाली चमक से भर उठी। वर्षा ऋतु से सीले-गीले मानवजनित भवन, संरचनाएं सभी पावन उजाले में उसकी आंखों के लिए सुंदर हो उठे।

रात घिरने लगी। सन्ध्या के रात्रि में बदलते रहने से विभिन्न रंगी मेघ, नभ को जैसे अपने अद्वितीय रंगाकर्षण से विस्मयभूत कर देना चाहते थे। नीले, पीले, संतरी, लाल, गुलाबी, श्वेत-श्याम रंगों के परस्पर मिश्रण से जो श्रेष्ठ रंग-रूप मेघों का बन सकता था, उसी से दक्षिण-पश्चिम दिशा का आकाश संवरता रहा। दक्षिण-पश्चिम दिशा की सीमा पर, व्योम की ओर ऊपर अपने नुकीले कोनों को फैलाए अर्द्धचन्द्र प्रकट हो गया। रुई के स्वर्णरंगी फाहों जैसे पारदर्शी मेघों से ढका हुआ चन्द्रमा सन्ध्या और रात्रि के मिलन का सबसे अद्भुत संकेत था। ध्रुव तारा भी उससे कुछ नीचे टिमटिम करता दिखने लगा था। वर्षाजनित कीट-पतंगों, झींगुरों की कुर..कुर..कुर.. किर...किर...किर करती ध्वनियां परिवेश को प्रकृति के विचित्र-विचित्र अनुभवों से भर रही थीं।

सन्ध्या के अन्तिम क्षणों में दक्षिण-पश्चिम का आकाश जैसे संपूर्ण प्रकृति और इसके जीव-जंतुओं के लिए परम धाम बन गया। चाहे नभ के रंग हों, चन्द्रमा-ध्रुव सितारा हो, पवन के स्पंदन हों या फिर गगन विहार करते पक्षी हों.....सभी दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर जाने के लिए व्यग्र हो उठे। जैसे वहां नभ का विवाह हो रहा हो। जैसे सभी उधर जाने के लिए व्याकुल हों। जैसे वहां न जाकर सभी की श्वासें अटकने वाली हों।

उसने जीवन में पहली बार उस ढलती सन्ध्या बेला में नभ की दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर हजारों पक्षियों को एक साथ उड़ते हुए देखा। कितना अद्भुत दृश्य था वह! प्रकृति के हर संभव रंग से सजता-संवरता नभ का वह भाग, जिस पर अनगिन पखेरू उड़ान भर रहे थे,उसके जैसे मानवों के लिए साक्षात ’स्वर्ग उद्यान’ के रूप में प्रस्तुत था। उस दिशा में कुछ दूर तक तो पखेरू उड़ते हुए दिखते रहे। फिर आंखों से ओझल होते रहे। वह आश्चर्यचकित हो सोचता रहा कि इतने पखेरू उसी रात्रि-सन्ध्या बेला में उस दिशा की ओर उड़ रहे हैं या वह पहली बार यह सब देख व अनुभव कर रहा है!

वह उत्तर-पूर्व दिशा से उड़कर दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर उड़ कर जाने वाले अन्तिम पक्षी को देखता रहा। संपूर्ण नभ ने रात्रि की घनी नीलिमा ओढ़ ली थी। अर्द्धचन्द्रमा और ध्रुव तारे उसे अपने रजत प्रकाश से आत्मविभोर करने लगे। पूरा नभ ही सितारों की रजत टिमटिम से भर गया। रात्रि का प्रथम प्रहर समाप्त होनेवाला था।

.....तभी उसे उसकी पत्नी ने कंधे से खींचकर हिलाया तो उसे आभास हुआ कि वह सिर दर्द से मुक्ति के लिए प्रकृति की शरणागत था। उसने गणना की कि प्रकृति के उपक्रम पर ध्यानस्थ हुए उसे साढ़े चार घण्टे व्यतीत हो चुके थे। उसका सिर अब दर्द से पूरी तरह मुक्त था। नभ की रंगोली, पखेरुओं की उड़ान, चन्द्रमा-सितारों की रजत किरणों और धानी-हरीतिमा वसुन्धरा को स्पर्श कर बहने वाली पवन के स्पंदनों ने उसके मस्तिष्क की अद्भुत चिकित्सा कर दी थी। उसने डॉक्टर प्रकृति को करबद्ध प्रणाम किया और कस्बे की उस सुगम, सुन्दर व प्राकृतिक जिंदगी को देर से अपनाने के लिए स्वयं को खूब कोसा। शहर की भीड़ से दूर के इस जीवन में प्रकृति उसकी सच्ची दोस्त बन गई थी। वह इस दोस्त को पाकर बहुत ज्यादा खुश था।

परिचय

विकेश कुमार बडोला

Vikesh Kumar Badola

(ब्लॉगर, विचारक और स्वतन्त्र लेखक)


COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: संस्मरण लेखन पुरस्कार आयोजन - प्रविष्टि क्र. 2 : डॉक्टर प्रकृति // विकेश कुमार बडोला
संस्मरण लेखन पुरस्कार आयोजन - प्रविष्टि क्र. 2 : डॉक्टर प्रकृति // विकेश कुमार बडोला
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiB55OpwUkmT6UmLFczCtDWKyz_DuvY7TPD90qEMHGbWWAcNyDHDOhDNTed7VWy9G5v4A3ROUFMmQNiG9arU0-3zRtOQqD5hVUXPV9icBidD-P7zfTI_P8ZEJS4ajNgW91xtZwK/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiB55OpwUkmT6UmLFczCtDWKyz_DuvY7TPD90qEMHGbWWAcNyDHDOhDNTed7VWy9G5v4A3ROUFMmQNiG9arU0-3zRtOQqD5hVUXPV9icBidD-P7zfTI_P8ZEJS4ajNgW91xtZwK/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/01/2.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/01/2.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content