संस्मरण लेखन पुरस्कार आयोजन - प्रविष्टि क्र. 16 : हलवा // गुलाम हुसैन

SHARE:

प्रविष्टि क्र. 16 : संस्मरणात्मक कहानी हलवा गुलाम हुसैन दोपहर का समय,घडी की सुइयां अपने न रुकने वाले अंदाज़ में टिक-टिक की धीमी आवाज़ के साथ आ...

image

प्रविष्टि क्र. 16 :

संस्मरणात्मक कहानी

हलवा

गुलाम हुसैन


दोपहर का समय,घडी की सुइयां अपने न रुकने वाले अंदाज़ में टिक-टिक की धीमी आवाज़ के साथ आगे बढ़ रही थी। घडी की टिक-टिक को दो अदद आँखें एकटक निहार रही थी,तक़रीबन 2:29 मिनट हो रहा था। जैसे ही बड़ी सुई एक मिनट आगे बढ़ी बाहर पों-पों की आवाज़ आने लगी उन दो अदद आँखें जो घड़ी की सुइयों पर टिकी थी उनमें ख़ुशी झलक उठी और बड़ी तेज़ी से किचन की ओर बढ़ गई वो दो आँखें.... किचन में चूल्हे पर कड़ाही को अपने कंपकंपाते हाथों से पलटने लगी। ये क्या....? कढ़ाही तो खाली है, फिर बर्तनों को पलटने लगी फ्रिज़ खोला पर वो मिला नहीं जिसे वो ढूंढ रही है। बाहर खड़ा वो आदमी अपने हाथों से बार बार पों-पों बजाये और घर के दरवाज़े की ओर देखे जा रहा था 65 साल की रज्जो अपने आपको किचन में असहज महसूस करती हुई उस बाहर खड़े आदमी के इशारों को सुन पश्चाताप कर रही थी ...पता नहीं क्यूँ? किसलिए? रज्जो के चेहरे पर ऐसे भाव थे जैसे वो अपने आप को बहुत कमज़ोर समझ रही हो फिर पों-पों की आवाज़ ने उसका ध्यान खींचा,रज्जो तेज़ी से किचन से निकल कर एक कमरे में गयी जिसकी दीवारें ऐसी थी जैसे किसी बुजुर्ग आदमी के चेहरे पर झुर्रियां समय के बढ़ते पहिये के साथ उनपर उभर आती है कमरे में एक चटाई ज़मीन पर बिछी थी एक पुराना मरियल तकिया... चटाई जिसे देख लगता था कि रज्जो के उम्र से एक दो साल छोटी ही होगी,एक मटका जिसके बगल में एक स्टील की लुटिया रखी है और एक पुराना टिन का बक्सा जो रज्जो अपने विदाई के समय साथ लाई थी। रज्जो उस टिन के बक्से को खोल बक्से में रखी अपनी पर्स निकालने लगी जो साड़ियों के बीच कही दबा था .. साडियां भी ऐसी कि अगर किसी जरूरतमंद को भी दी जाए तो उसे लेने से मना कर दें.। रज्जो ने बक्से से एक छोटा सा पर्स निकाला उस पर्स का चेन टूटा हुआ था पर सेफ्टी पीन से उसे ऐसा सेफ किया गया था कि एक भी सामान उसमें से गिर नहीं सकता था। पर्स से सेफ्टी पिन हटा कर रज्जो उसे अपने हथेलियों पर उल्टा कर हिलाने लगी बड़ी जल्दी थी उसे 10,20,25 पैसों के साथ कुछ दवाइयों के खाली रेपर भी गिरे वो उनमें से 25 पैसे लेकर बाहर की ओर आई। घर से ठीक बाहर लोहे की छोटी सी ग्रिल लगी थी जो घर के बाहर गली की तरफ है रज्जो वहाँ घंटों बैठती और वो पों-पों बजाने वाला आदमी हफ्ते में दो दिन बुधवार और शनिवार को रज्जो के घर के बाहर उसका इंतज़ार करता आइसक्रीम से भरी टोकरी लेकर जिसे वो अपनी साइकिल पर लादे चलता,दरवाज़े से रज्जो को आता देख वो ख़ुशी से गदगद हो गया उसके चेहरे के भाव ऐसे थे जैसे कोई छोटा बच्चा अपने हाथ पैर जोर जोर से पटकता। रज्जो धीरे धीरे 7 सीढ़ियां उतरकर उस ग्रिल के पास आकर बैठ उस आदमी को देखने लगी। वो आदमी अपनी टोकरी से एक आइसक्रीम निकाल कर रज्जो की तरफ बढ़ने लगा तभी रज्जो ने उसे देख मुंह एक तरफ घुमा लिया और पीठ उसके सामने कर दिया। “अरे का हो गवा...? मुंह काहे फेर ली...आदमी ने कहा,”हमका ई सफेद वाला बिल्कुल्ले नीक नहीं लगता... गुलाबी वाला दो”-रज्जो ने मुंह बनाते हुए कहा। वो आदमी हंस पड़ा और अपने सर पर हाथ मारते हुए बोला-अरे बाप रे गलती हो गई अभी लिए आता हूँ,वो आदमी वापस गया और गुलाबी वाली आइसक्रीम निकालकर ले आया रज्जो के चेहरे पर मुस्कान तैर गयी उसने झट से आइसक्रीम ली और ऐसे खाने लगी जैसे उस आइसक्रीम का कितनी सदियों से उसे इंतज़ार था वो आदमी रज्जो को आइसक्रीम खाते देखता तो कभी उसके अगल बगल नज़रें दौड़ाता जैसे वो कुछ खोज रहा हो। मेरा हलवा ??? आदमी ने कहा। रज्जो एकदम से ठिठक गई उसने बिना बोले आइसक्रीम मुंह में दबाये अपने पल्लू से बंधे 25 पैसे को निकाल उसके ओर बढाते हुए बोली- “आज गैस ख़तम हो गया रहा और घर मा कोई था भी नहीं इसलिए बना नहीं पाई’। ये सुन कर वो आदमी हल्की मुस्कान मुस्काते हुए वो पैसा उससे ले लिया और उदास मन से अपनी साइकिल लेकर आगे बढ़ गया । रज्जो जानती थी कि आज के समय में 25 पैसे की आइसक्रीम कौन देता है। हलवा बनता कहा से ?छोटी बहु ने तो आज सूजी के लिए घर में बवाल खड़ा कर दिया था।

रज्जो के आदमी को मरे काफी वक़्त गुजर गया था,वो एक सरकारी मुलाज़िम था । घर में कोई रज्जो के आदमी के मरने के बाद सरकारी कागजात या पेंशन के लिए आगे नहीं आया नहीं तो शायद आज रज्जो को पेंशन मिल रही होती । बड़ा बेटा दुर्गेश और छोटा ब्रिजेश दो बेटे थे घर मे, दोनों की शादी हो गयी थी। प्राइवेट अस्पताल में साफ़ सफाई का काम कर के अपने दोनों बच्चों को पाल कर बड़ा किया था रज्जो ने,खुद की ख़ुशी क्या होती है उसे नहीं पता । जितना पैसा पाती अस्पताल से या फिर कोई न्योछावर दे देता तो सारा पैसा बच्चों पर ही खर्च कर डालती। छोटे बेटे की शादी के बाद दोनों बेटों ने बटवारा कर लिया... बटवारा घर का तो पहले ही हो गया था ये बटवारा तो बिलकुल ही अलग था। माँ का बटवारा,माँ किसके हिस्से में गयी ये तो रज्जो को खुद नहीं पता था। एक ही घर में दो हिस्से हुए घर के.. बीच उठी हुयी एक छोटी सी दीवार...ये दीवार ऐसी थी जैसे दो अलग अलग किसान अपने खेत को मेड़ से अलग कर देते है ताकि कोई और उस पर अपना हल न चला सके पर रज्जो ने कभी उस मेड़ का ध्यान नहीं दिया उस छोटी सी दीवार से कभी बड़े बेटे के घर में तो कभी छोटे बेटे के घर में,माँ के लिए कौन सी सरहद होती है जो उसे अपने बच्चों से अलग कर दे अलग करने की प्रथा तो बच्चों ने ही बनाई है बस बोलते कुछ नहीं लेकिन मन ही मन अलग कर देते हैं।

आइसक्रीम वाला जो हर बुधवार और शनिवार को उसके घर के ठीक सामने आइसक्रीम का ठेला लगा देता और रज्जो हलवा लेकर आती उसे देने के लिए आइसक्रीम के बदले। कौन था वो ? एक अनजाना रिश्ता जो न रज्जो को ठीक से जानता था न उसके परिवार को...पर था एक ऐसा सम्बन्ध जो दुनिया की नज़र में भले ही गलत हो लेकिन उनका नजरिया बिलकुल साफ़ था....आइसक्रीम के बदले हलवा ....बस...कुछ और भी था दोनों के बीच जिसको दोनों में से किसी ने न तो कोई नाम दिया था न कोई रूप ।

रज्जो का पति सुधीर सरकारी मुलाजिम था तहसील में,बड़ा ही नेक आदमी था किसी का काम होता तो बिना पैसे लिए ही करा देता सब उसे बहुत मानते। ये आइसक्रीम वाला विनोद भी उसे वही तहसील के ऑफिस में मिला था। उसके बेटे को फ़ौज में जाने के लिए कुछ कागजात सरकारी ऑफीसर से attested करने थे तो किसी ने उसको सुधीर के पास जाने बोला । कहते है कि सरकारी कर्मचारी तब तक काम नहीं करते जब तक उनके टेबल पर 50 और 100 का नोट न रख दे। लेकिन सुधीर उनमें से बिलकुल नहीं था।

“अच्छा तो फ़ौज में जाना है तुम्हारे बेटे को”सुधीर ने कहा ।

हां साहब अगर आप लोगों की दुआ रहेगी तो चला ही जाएगा- विनोद ने कहा ।

“हमारी दुआ में इतनी ताक़त होती न भाई तो सबको दुआएं दे देता”-हँसते हुए सुधीर ने कहा।

विनोद ने अपने रुमाल से 5 का नोट सुधीर की तरफ बढ़ाते हुए कहा-साहब ई पांच रूपया रख लो और साईन कर दो । सुधीर ने उसे देखा तो विनोद डर गया।

काम क्या करते हो-सुधीर ने पूछा

बड़े संकोच में रहकर जवाब दिया विनोद ने- साहब उ. आइसक्रीम बेचते है।

आइसक्रीम की बात सुन वो उसके पेपर मेज से उठाकर आगे बढ़ने लगा और रास्ते भर उससे सवाल पूछता गया सुधीर। सवाल...... किस कम्पनी की आइसक्रीम देते हो? कौन कौन सी आइसक्रीम देते हो? वो लाल और गुलाबी वाली भी देते हो ? इन सब बातों के बीच विनोद ने सिर्फ हां में ही जवाब दिया उसके पीछे पीछे चलते हुए एक दरवाज़े के पास आकर सुधीर उससे बोला रुक जाओ मैं अभी आता हूं । थोड़े देर इंतज़ार के बाद सुधीर बाहर आया और विनोद से बोला-चलो। फिर वही सवाल दोहराते हुए वो अपने केबिन में गया जहां से वो उठकर आया था और विनोद ने भी फिर से सारे जवाब हां में ही दिया। ये लो अपने कागजात हो गये साईन-सुधीर ने आगे बढाते हुए कहा। विनोद उसे 5 रूपये फिर दिखाए। तो विनोद ने हँसते हुए कहा ये पैसे तुम रख लो लेकिन एक बात..मुझे तुम्हारी आइसक्रीम चाहिए मेरी बीवी को बहुत पसंद है बोलो दे पाओगे?

अरे साहब का बात कह दिए- विनोद ने बोला

तुम्हें हर बुधवार और शनिवार को उसे आइसक्रीम देना होगा बोलो दे पाओगे- सुधीर ने बोला।

अरे काहे नाही साहब,आपको शिकायत का मौका नहीं देंगे कभी..छोटे लोग हैं पर अपने जबान के पक्के कह दिया तो मरते दम तक निभाएंगे,लेकिन हमरी भी एक शर्त है पैसा नहीं लेंगे - विनोद ने बोला ।

सुधीर हंस पड़ा और बोला-लेकिन कभी भी मुफ़्त में नहीं देना चाहे जैसी भी बात हो वैसे मेरी बीवी हलवा बहुत अच्छा बनाती है।

विनोद मुस्कुराते हुए अपने कागजात लेकर वहाँ से चल पड़ा और फिर हर बुधवार और शनिवार को रज्जो को हलवा के बदले आइसक्रीम देता रहा। उस किये गए वादे के अनुसार जो सुधीर से विनोद ने किया था..विनोद आज भी उसे निभा रहा रहा है। उसने 10 सालो में आइसक्रीम का धंधा नहीं छोड़ा क्यूंकि उसे रज्जो का हलवा बहुत पसंद था और सुधीर को दिया गया वचन भी निभा रहा था ।

रज्जो चुपचाप कमरे में बैठी रहती है कोई पूछने वाला नहीं न कोई बात करने वाला सुबह से शाम कब हो जाती है उसे पता ही नहीं चलता उस आशियाने में जी रही थी क़ैद होकर..बंटवारे में माँ को दोनों बेटों ने ऐसे बाटा था जैसे घर का सारा पैसा अनाज उसी पर खर्च हो जाता...। हर महीने –महीने दोनों अलग से माँ की दवा लायेंगे...एक महीना माँ बड़े बेटे के घर में तो दूसरे महीने छोटे बेटे के घर में...अगर गलती से छोटे बेटे के जगह बड़े बेटे के घर में रात बितानी होती तो रज्जो के लिए दरवाज़ा उसके घर में घुसने से पहले बंद हो जाता .... होली दिवाली दशहरा के कपडे जैसे बन पाए दोनों मिल बांट कर हो जाएगा ऐसा बटवारा हुआ रज्जो का... आज याद कर रही अभी कुछ साल पहले की बातें जब गाँव की एक ज़मीन को दोनों भाई बेचना चाहते थे उस वक़्त तक रज्जो को किसी चीज़ की कोई कमी नहीं होती थी। दवाइयां समय से पहले आ जाती थी। खाना पहले ही मिल जाता था और जिस सूजी के लिए बहु ने घर में बवाल खड़ा किया था वो एक ड्रम भर कर रख दिया गया था सिर्फ रज्जो का एक अंगूठा नीला होना बाकी था..और फिर सब रिवेर्स गेयर की तरह वापस। और हुआ भी यही....छोटी बहु ने साफ़ साफ़ मना कर दिया कि घर में वैसे ही इतना खर्चा बढ़ गया है और आपके आइसक्रीम के चक्कर में हलवा के लिए हम सूजी नहीं ला पायेंगे..यहाँ दाल चावल रोटी के लिए भरी पड़ रहा और आपको अपने आइसक्रीम की पड़ी है चुपचाप जो मिल रहा है खाओ..नहीं मिलेगा खाना तो आइसक्रीम खाकर जिंदा नहीं रहोगी और घर से भी बाहर जाने की जरुरत नहीं है बिलकुल...पूरे मोहल्ले में नाक कटा दी है...लोग कैसी कैसी बाते करते हैं कि दो दो बहुए हैं पर सास को ऐसे रखते हैं जैसे कोई नौकर...हमने तो कभी आपसे कुछ नहीं कहा..फिर हमें क्यों सुनना पड़ता है..इन बातों से रज्जो को कुछ नहीं फर्क पड़ता... अगर फर्क पड़ता भी तो कहती किससे... अगर किसी से कुछ कहती भी तो घर से निकाला हो जाता इसलिए चुपचाप सुनना ही उसकी मजबूरी थी।

आइसक्रीम वाला इधर कुछ दिनों से बीमार था उठ नहीं पा रहा था...उसने सोमवार को एक डॉ को भी दिखाया था ...जिसने बुधवार को मिलने को कहा था ..उसके कुछ टेस्ट भी हुए थे । आज बुधवार है..उसने सोचा की डॉ. को से मिल लेगा फिर आइसक्रीम ले कर रज्जो के पास जाऊँगा उसने वो पों-पों वाली मशीन अपने साथ ही ले गया डॉ. के पास। रज्जो को भी अजीब लग रहा था। डॉ. के पास गया तो रिपोर्ट देखकर डॉ. ने बड़ी लम्बी सांस भरी और कहा-देखो भाई हिम्मत कर के सुनना ।

आइसक्रीम वाला बोला- क्या हुआ साहब ?

डॉ ने कहा- तुम्हें lung कैंसर है..और ये काफी critical condition में है तुम्हें पता नहीं चला क्या?

तो क्या मैं ठीक नहीं हो पाऊंगा-आइसक्रीम वाले ने कहा।

सिर्फ एक महीना...अगर ये एक महीना भी जी लिए तो समझ लेना की तुमने अपने जीवन का 5 साल जी लिया डॉ. ने कहा।

आइसक्रीम वाले की आँखें यूँ भर आई जैसे उससे कितनी बड़ी गलती हो गयी... वह वहां से चल दिया। रास्ते भर डॉ. की ये बात उसे खयालों में सुनाई दे रही थी। वो खुद से सवाल किये जा रहा था। रज्जो को आइसक्रीम कौन खिलायेगा..? मर कैसे सकता हूँ मैं ..? मैंने तो वादा किया था ...? ..और तो और रज्जो के हाथ का हलवा कैसे खाऊंगा...अब किसके लिए वो बनाएगी हलवा ....। नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता..वो डॉ. तो पैसे कमाने के लिए ऐसे ही बोल रहा होगा। ये सब सोचते सोचते उसकी आँखों से आंसू अपने आप निकल पड़े। वो दौड़ पड़ा तेज़ी से और और रज्जो के घर सामने पहुच कर पों-पों बजाने लगा आज उसकी साइकिल नहीं थी और न ही आइसक्रीम का बड़ा डब्बा उसकी आँखों में आंसू थे साथ ही रज्जो को जी भर देखने का इंतज़ार भी था। रज्जो ने दरवाज़ा खोला और सीढियों से उतारते हुए नीचे आई। अरे आज आइसक्रीम नहीं लाये-रज्जो ने पूछा। उसने दूसरी ओर मुह घुमा लिया और अन्दर ही अन्दर बच्चों की तरह फूट पड़ने को जी हुआ उसका .... अपने आपको सँभालते हुए ... बोला.. “वो आज साइकिल ख़राब हो गयी थी तो नहीं ला पाया सोचा की आकर बता दूँ कई दिनों से आया नहीं था न”....आइसक्रीम वाले ने कहा। हां मैं भी कई दिनों से यही सोच रही थी-रज्जो ने सांस भरते हुए कहा। एक बात कहूं ....उसने कहा .. हां कहो .. रज्जो बोली ... मैं पूरे महीने आऊंगा एक दिन भी नागा नहीं करूँगा-आइसक्रीम वाले ने कहा। पर मैं रोज़ रोज़ हलवा नहीं खिला सकती तुम्हें- रज्जो ने कहा । कोई बात नहीं मैं फिर भी आऊंगा-आइसक्रीम वाले ने कहा। रज्जो कुछ बोलती इसके पहले ही वो चला गया।

उसके बाद आइसक्रीम वाला हर रोज़ आइसक्रीम लेकर आता रहा और और अपना पों-पों बजाता रहा कुछ देर तक रज्जो को देखता फिर चला जाता। छोटी बहू को बिलकुल भी पसंद नहीं आ रहा था ये सब वो बस मौके की तलाश में थी कि कब रज्जो को फटकार लगाए। कई दिन बीत गए रज्जो रोज़ ग्रिल के पास बैठ उस आइसक्रीम वाले का इंतज़ार करती लेकिन वो नहीं दिखता उस दिन रज्जो ने छोटी बहु से कहा आज हलवा बनाने का जी कर रहा... बहू ने अपना दिमाग चलाया और बोली ठीक है बना लो ... रज्जो आज बड़े दिनों बाद हलवा बना रही थी और इंतज़ार कर रही थी कि कब पों-पों बजेगा। आज घडी भी रुक गयी थी। वो हलवा बनाने के बाद ग्रिल के पास आकर बैठ गई। घंटों बीत गए आइसक्रीम वाला नहीं आया। वो उठकर जाने लगी तभी एक लड़का आया और बोला- आप रज्जो काकी है। रज्जो रुकी और बोली- तुम कौन हो? जी मैं पास वाले गाँव का ही हूँ वो जो आपको आइसक्रीम देने आते थे न...रज्जो के चेहरे पर मुस्कान तैर गई—हां हां...क्या हुआ बताओ..? वो बहुत बीमार हैं बचेंगे नहीं शायद... मुझे उन्होंने ये आइसक्रीम आपको देने को कहा था... ये लीजिये ..लड़के ने कहा.. । इतना सुनते ही रज्जो बदहवास सी हो गयी..लड़के के हाथ से आइसक्रीम ले ली और हलवा को देखने लगी उसकी आँखों में आंसू तैर गये पर निकल नहीं पाए वो सोच रही थी की करे तो क्या करे....लड़का अपनी बात कहकर वापस लौट रहा था और रज्जो जाने कहा खोयी थी ... उसने हलवे की तरफ देखा और तेज़ी से सीढियों से होते हुए कमरे से बाहर उस लड़के के पीछे जाने लगी जाने लगी। तभी छोटी बहू ने दरवाज़ा बंद कर दिया और उसे उल्टा सीधा बोलने लगी यहाँ तक की आइसक्रीम वाले से उसका गलत रिश्ता भी जोड़ने लगी...तभी ... चटाक की जोर से आवाज़ आई... आज रज्जो ने तमाचा मारा--- छोटी बहू को.....,”रिश्ता क्या होता है?तुम सब क्या जानो.....? अब जाने दो हटो मेरे रास्ते से। ” रज्जो का ये रूप देखकर छोटी बहू सन्न रह गयी और कुछ नहीं बोल पाई। रज्जो दरवाज़ा खोल कर बाहर निकल पड़ी उस आइसक्रीम वाले के पास हाथ में अखबार में लपेटा हलवा लेकर.... दौड़ती जा रही थी.. रोती जा रही थी...उसके हाथ में आइसक्रीम बंद डब्बे से बूंद बूंद टपकती जा रही थी .... अपने आप से बाते करती...”अगर आज ये हलवा नहीं दिया तो जीवन भर उधार के बोझ से दब जाएगी तू रज्जो..उसने तो अपनी हर बात पूरी की सुधीर का दिया हुआ वचन निभाने के लिए। मुझे जल्दी जाना होगा। नंगे पाँव दौड़ी जा रही थी रज्जो। पहुंच गयी पहुंच गयी हांफते हुए कहा रज्जो ने अपने आप से। लेकिन ये क्या...वो आइसक्रीम वाला दुनिया छोड़ के जा चुका था ..उसकी अर्थी उठने को तैयार थी कोई नहीं था उसके आगे पीछे 6,7 लोग आइसक्रीम वाले को उठा कर अर्थी पर रख रहे थे रज्जो उसके पास पहुंची..और बैठ गई...ए देखो हलवा लायी हूँ तुम्हारे लिए आइसक्रीम वाले... अब बिना खाए मत जाना....आंसू नहीं थे रज्जो की आँख में...लोग उसे हटाने लगे और जैसे ही अर्थी उठाई आइसक्रीम वाले के कपड़ों की जेब में रखा 25 पैसा रज्जो के अखबार में रखे हलवे पर गिर गया। रज्जो की आँखों से आंसू निकल पड़े।

गुलाम हुसैन

दिल्ली -92

COMMENTS

BLOGGER: 1
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: संस्मरण लेखन पुरस्कार आयोजन - प्रविष्टि क्र. 16 : हलवा // गुलाम हुसैन
संस्मरण लेखन पुरस्कार आयोजन - प्रविष्टि क्र. 16 : हलवा // गुलाम हुसैन
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjqHyKDmrUvP7JItgeWTF3KkAdroITSTtlXMwtB2BAzOdFSVg6Alpc0dujwntxS_M-1lnH7Hs-NjC0Uit-W32XHKWEANnht1T0lTljfqD7I7-bkguCPKRuZaoVprkJ2D-2zNcGw/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjqHyKDmrUvP7JItgeWTF3KkAdroITSTtlXMwtB2BAzOdFSVg6Alpc0dujwntxS_M-1lnH7Hs-NjC0Uit-W32XHKWEANnht1T0lTljfqD7I7-bkguCPKRuZaoVprkJ2D-2zNcGw/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/02/16.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/02/16.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content