संस्मरण लेखन पुरस्कार आयोजन - प्रविष्टि क्र. 99 : संस्मरणात्मक कहानी : सिग्नल के पार जिन्दगी // डॉ. लता अग्रवाल

SHARE:

प्रविष्टि क्र. 99 सिग्नल के पार जिन्दगी डॉ. लता अग्रवाल लगभग हर रोज मेरा उससे सामना होता, मैला सा पेटीकोट उस पर कभी कमीज तो कभी कंधों उतरता ...

प्रविष्टि क्र. 99

सिग्नल के पार जिन्दगी

डॉ. लता अग्रवाल

लगभग हर रोज मेरा उससे सामना होता, मैला सा पेटीकोट उस पर कभी कमीज तो कभी कंधों उतरता ब्लाउज, जो किसी की मेहरबानी को दर्शाता। किसी साड़ी के टुकड़े को लज्जा वस्त्र बना खुद को उसमें समेटने का असफल प्रयास करती वह , वैसे पुरूषों की नजर से देखूँ तो कोई विशेष आकर्षण नहीं था उस देह में, या फिर रहा भी हो तो गरीबी का ग्रहण डस गया था । कंधे पर कपड़े की मैली सी झोली लटकाए, नंगे पैर सड़क पर आवाजाही करती, फटी एडियां, पक्का रंग, दुबली काया.... गोद में कुपोषित बच्चा लिए जिसके चेहरे पर शायद जूठन लगने की वजह से मक्खियां भिनभिना रही होतीं। बोर्ड ऑफिस पर सिग्नल के लाल होते ही वह किसी अदृष्य शक्ति की भांति प्रकट हो कार के कांच पर दस्तक देती, जैसे ही नजर उस पर उठती, मन कसैला ही होता। पूरे बदन पर मैल की मोटी सी परत जमी दिखाई देती लगता काफी अरसे से उसने कपड़ों की तरह खुद को भी नहीं धोया । उम्र कोई 22 से 25 के बीच रही होगी।

उस वक्त उसकी मुद्रा दयनीय होती, कभी बच्चे की ओर तो कभी अपने उभार लिए हुए पेट की ओर इशारा कर दया की पात्र बन भिक्षा पात्र आगे कर देती | अधिकांश कार में बैठी सवारी उसकी ओर नजर उठाकर भी नहीं देखतीं, वह इसके लिए पहले से ही तैयार रहती ,शायद ये उनके लिए रोजमर्रा की बात हो, या फिर वह जानती है कि कार की तरह उनके दिल और आँखों में भी शीशे चढ़े हैं । फिर भी उसके प्रयास में कहीं कोई हताशा नहीं झलकती | कभी -कभार कोई संवदनशील व्यक्ति कार का कांच खोलकर उसकी हथेली में एक सिक्का रख देता। सिग्नल के हरा होते ही फिर गाडियां उसके दाएं बाएं से निकल जाती। वहीं ट्रेफिक पुलिस सीटी से उसे अवश्य सचेत करता।

वह पुनः अपने नियत स्थान पर आ खड़ी होती और फिर अगले सिग्नल का इंतजार करती। ठंड हो गर्मी या बरसात वह अपनी ड्यूटी पर तैनात रहती। बारिश में अवश्य एक बड़ी सी पोलीथीन ओढे उसमें बच्चे को सिमटाए सिग्नल से अपना तालमेल बैठाती। चिलचिलाती घूप में जहाँ हम अपने बच्चों को घर की चार दीवारी से बाहर नहीं देखना नहीं चाहते, सोचती ये कैसी माँ है जो अपने बच्चे को साथ ले सड़कों पर लोगों के आगे हाथ पसारे खड़ी रहती है। क्या हमदर्दी भी एक व्यवसाय हो सकता है इस कलयुग में...? क्या ये अबोध बच्चे उसके इस व्यवसाय का जरिया हैं...? पता नहीं। मेरा रोज ही उस ओर से आना जाना रहता। सोचती क्यूं करती है ये ऐसा, आखिर क्या मजबूरी है...?, यूँ हादसों से लोहा लेती, क्या कोई और काम नहीं करने योग्य...? अनगिनत सवाल जेहन में उठते और वह इन सबसे बेफिक्र अपनी ही धुन में रत ...।

हर साल उसकी स्थिति में इजाफा यह होता कि गोद का बच्चा गले में बँधी झोली में आ जाता, झोली का बच्चा उँगली थामें माँ का हमराह बनता, और पेट में एक नया बीज अंकुरित हो चुका होता। पिछले तीन वर्षों का यह मेरा अनुभव रहा। मगर उसका व्यवसाय न बदला। वह यूँ ही कारों के आगे दस्तक देती दिखाई देती। मेरी नजर अक्सर सिग्नल पर रूकते ही उसे खोजती। सोचती क्या मुझे संवेदना है उस औरत के प्रति....? शायद नहीं... । फिर क्यों हर रोज वहाँ से निकलते मेरी नजर उसे खोजती...?फिर क्यों उसे लेकर कई सवाल जेहन में कुदबुदाने लगते हैं... ? मुझे चिंता थी इस बात की कि कहीं किसी कार का पहिया उसे रोंदता हुआ न निकल जाए। कहीं उसकी अंतिम सांसें इन्हीं सड़कों पर किसी गाड़ी के पहिये तले तो नहीं लिखी ...? उफ़ ! जाने क्या मजबूरी है इसकी जो ये जोखिम उठाए है। प्रतिदिन सैंकड़ों लोग जो सुरक्षा के साथ सफर करते हुए भी हादसों का शिकार हो जाते हैं और यह औरत खतरों से बेपरवाह अपने साथ अपने बच्चों का जीवन भी दाव पर लगाए है। हम शायद इसलिए डरते हैं कि हमारे बाद हमारे परिवार क्या होगा , जतन से बसाया घर, तिनका-तिनका जोड़ी पूँजी का क्या होगा। लगता है इसके पास खोने को कुछ है ही नहीं इस तन के सिवा। जब पेट खाली होगा तो इस तन का भी क्या करेगी।...? सिग्नल बंद था या शायद खराब उस दिन, सिग्नल की लाइट के साथ भागने की जल्दबाजी जो नहीं थी संयोग से उसका सामना कार वालों के बाद मुझसे हो गया। मैं मानों भरी बैठी थी...उलट पड़ी।

‘‘तुम्हें डर नहीं लगता रोज इस तरह वाहनों के आगे आती हो। कोई रोकता नहीं तुम्हें...? तुम्हारा पति कुछ नहीं कहता...?’’ वह चुप हो गई। शायद उसके पास मेरे इस प्रश्न का कोई उत्तर ही न हो....? शायद उसका कोई पति ही न हो...? या..या..उसने मेरे सवालों के जवाब देना उचित न समझा...? फिर ये बच्चे...? क्या इन बच्चों का कोई बाप नहीं...? तो क्या वह....? ,ऐसे कैसे हो सकता है उसमें तो ऐसा कोई आकर्षण नहीं.... यदि ऐसा है तो क्या पुरूष सिर्फ स्त्री देह का प्यासा है चाहे वह किसी की भी हो...? क्या इन बच्चों की तकदीर में इस फुटपाथ पर जन्म लेकर इसी पर उम्र काटना लिखा है...? क्या उनकी जिन्दगी इसी सिग्नल के आस पास है...? अगर ऐसा है तो क्या चंद पैसों की खातिर यह अपनी देह से खिलवाड़ नहीं कर रही...? अपने साथ बच्चों के भाग्य को भी धिक्कार नहीं रही ...? अफसोस! मेरे सारे प्रश्न अनुत्तरीय रहे।

‘‘ ओ! मेडम....! जरा सम्हल कर ....क्या घर से अनबन कर निकली हो ...? सामने का वाहन नजर नहीं आ रहा....।’’ अचानक सामने से आते वाहनवाले ने चिल्लाते हुए कहा ।

‘‘उफ! ..इसका कुछ हो न हो इसके चक्कर में मैं जरूर हादसे की शिकार हो जाउँगी।’ सॉरी भैया , कहते हुए मैने अपनी राह ली ।

फिर बहुत दिनों तक वह वहाँ दिखाई नहीं दी। मैंने सोचा शायद बीमार हो गई होगी। गुरूवार का दिन था वहाँ से गुजरते मैं साईं बाबा के दर्शन करती हूँ, घर जाकर निकल पाना संभव नहीं। दर्शन कर जैसे ही बाहर निकली कतारबद्ध बैठे मांगने वालों पर नजर गई तो देखा वह तो यहाँ बैठी है| ओह ! उसका फूला हुआ पेट...तो क्या फिर...? हाँ ! मेरा शक सही था। पास में एक बच्चा फटी और मैली सी शर्ट पहने हाथ में कटोरा पकडे़ उसमें चंद सिक्के डाल उन्हें उछालकर खुश हो रहा है, यही तो है गीता का ज्ञान, कोई भी काम करो खुशी और पूरे मनोयोग से। विद्वान कहते हैं,जीवन के हर कोने में दर्शन समाया है। गोद में साल सवा साल का बच्चा नंगे बदन, बहती नाक लिए उसके सूखे स्तनों को चूस रहा है। संभवतः बड़े पेट के कारण वह ठीक से बैठ भी नहीं पा रही थी। पैरों पर काफी सूजन थी देखकर लगता था प्रसव का समय निकट आ गया है। मैंने उसके करीब जाकर बच्चे के हाथ में दो लड्डू प्रसाद स्वरूप रखे और उससे कहने लगी,

‘‘तुम्हें तकलीफ है तो क्यों बैठी हो ...घर क्यों नहीं जातीं...? आराम करो जाकर ।’’

मेरी बात सुन वह हल्के से हंस दी....जिसमें मुझे हंसी कम पीड़ा अधिक नजर आ रही थी।

‘‘घर! घर कहां है हमार...?’’

‘‘फिर कहाँ रहती हो..?’’

‘‘इ हा....ई हैं।’’

‘‘तुम्हारा पति भी.... ?’’

‘‘वह खामोश हो इधर-उधर देखने लगी।

‘‘तो क्या इनका संसार यूँ ही सड़कों पर ....? उसकी खामोशी चुभ रही थी मुझे

‘‘क्या वह कुछ नहीं करता ...?

‘‘उ कहां कुछ करता है । दारू पीके पड़ा रहता है।’’

‘‘कितना कमा लेती हो इस तरह से....।’’

‘‘बस 25-50 रूपया , कभी उ भी नहीं।’’

‘‘क्या इससे पूरा पड़ जाता है..?’’

‘‘कहां.....।’’

‘‘फिर क्यों इस तरह सड़क पर मारी-मारी फिरती हो, खुद को और बच्चों को भी जोखिम में डालती हो। कोई टक्कर मार गया तो जिन्दगी भर को अपाहिज हो जाओगी। जानती हो ना....!’’

वो मेरा मुंह तक रही थी,

‘‘इससे तो अच्छा हो किसी के घर झाडू बर्तन कर कमा लोगी।’’

‘‘कौन देगा हमें काम....? आप देंगी काम....?’’

मैं आवाक ! इसकी तो उम्मीद ही नहीं की थी। अपने पर दाव देख झुंझला गई मैं ,खुद को कोसती वहाँ से चल दी। नाटकबाज औरत है ..., जानबूझकर ऐसा जीवन जी रही है, लोगों से सहानुभूति पसंद है उसे, मरने दो मुझे क्या...? दिन भर में इतना भी नहीं कमा पाती कि खुद का पेट भर सके उस पर पति की दारू.... छाती से चिपका वह कृश्काय बालक, पेट में धड़कती नन्हीं जान..., भूख से व्याकुल खुद उसका शरीर...,अपना पेट भर नहीं पा रही...बच्चे को पोषण कैसे मिलेगा...? ये जीवन में कभी नहीं उभर पाएंगे...। जाने दो मुझे क्या... अब नहीं पूछूंगी। खुद को भाषण देती वहाँ से चल पड़ी, जानती जो थी भाषण से पोषण नहीं होता।

अब वह सिग्नल के पास दिखाई नही देती ,उसने कारों का पीछा करना छोड़ दिया था, शायद! उसे मंदिर के अहाते की पनाह भली लगी ...!, या फिर यहाँ-वहाँ भागने की शक्ति नहीं रही उसमें...शायद! चैराहों से अधिक यहाँ कमा लेती है...या फिर दो-दो बच्चों के साथ भारी पेट लेकर भाग दौड़ नहीं कर पा रही ...? या फिर एक माँ अपने साथ अपने बच्चों की जिन्दगी खतरे में नहीं डाल सकती ...? पता नहीं क्यों मंदिर ही उसका मुकाम हो गया था।

उस दिन भी गुरूवार था। मैंने देखा वह बैठी है पेट का वह बालक जो अब डेढ़-दो माह का हो गया होगा उसे कपड़े में कुछ इस तरह लपेट रखा था कि बस आँख ही दिखाई दे रही थी। वह उस बालक की दुहाई देकर भीख मांग रही थी इतने नन्हें बालक को देख लोगों कीं सवेदना जाग रही थी। लोग पास बिछे कपड़े पर कुछ सिक्के डाल रहे थे। छोटा बच्चा उन्हें सहेजकर ढिग लगा रहा था। औरत बार-बार हथेली को सिर पर लगा, देने वालों का शुक्रिया अदा कर रही थी। मैंने उसे प्रसाद देते हुए पूछा,

‘‘ क्या हुआ, बेटा या बेटी...?’’

उसने मेरी बात को अनसुना कर दिया और मुझे अनदेखा। मैं एक बार फिर आहत हुई। एक अनपढ़ गंवार, मैली-कुचैली, जाहिल औरत से बार – बार अपमानित हो मन चोटिल हो गया। खुद को कोसने लगी , आखिर क्यों चली आती हूँ बार -बार अपना अपमान कराने ?’’

तभी एक औरत जो शायद उसी की बिरादरी की थी। उसके पास बैठ भीख मांगती हो , उसकी प्रतियोगी शायद ... , एक वर्दी वाले को साथ लेकर आयी ।

‘‘देखो साब! इस बच्चे को , यही है वह जिसके बारे में मैं बता रही थी ।’’

वर्दी वाला डंडा ठोकर कर औरत को घमकाते हुए कह रहा था,

‘‘किसका है ये बच्चा ?’’

‘‘साहब मेरा बच्चा है , सच्ची कह रही , भरोसा नहीं तो पूछ लो सबसे ।’’

‘‘साली ! मुझे कानून बताती है। खोल इस बच्चे को....इस तरह क्यों लपेट रखा ?’’

देखते ही देखते भीड़ जमा हो गई।

‘‘खोलती है कि लगाऊं डंडा...?’’

‘‘खोलती है .... साब खोलती है ... ।’’

कहते हुए उसने प्रतिशोध भरी आंखों से उस औरत को घूरा...वह जो मानो अपनी जीत पर इठला रही थी। हाँ ! उसकी प्रतिद्वंदी थी, बच्चे पर से कपड़ा हटते ही कुछ बदबू सी महसूस की लोगों ने नाक पर कपड़ा लगा लिया।

तभी वह औरत चिल्ला पड़ी,

‘‘देखा साहब! मैं सही थी , ये बच्चा मर चुका है। कैसी कुलटा औरत है अभी भी उसके नाम पर मांग रही है।’’

लोग अचंभित थे.... वर्दी वाला चिल्लाया,

‘‘क्या ये सच है...? बोल सच क्या है...?’’ उसके डंडा खड़खडाने से दोनों बच्चे सहमकर उससे चिपक गए।

‘‘सच बताती है कि ले चलूं बड़े साहब के पास।’’ वर्दी वाले ने ऊँचे स्वर में कहा ।

इस बार वह कांपते हाथों को जोड़ बोली,

‘‘नहीं साब बड़े साब के पास नहीं.... वो मुझे बंद कर देगा....मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं साब कोई नहीं है उनका....मैं बताती हूँ साब! सच्ची-सच्ची बताती हूँ । ये बच्चा जिंदा नहीं है साब......।

‘‘क्या....?’’

सभी के चेहरे पर आश्चर्य के भाव थे।

‘‘हाँ साब! ये मर गया है।’’

‘‘कब मरा....?’’

‘‘कल ।’’

‘‘फिर इसे दफनाया क्यों नहीं। इस तरह लेकर क्यों घूम रही हैं ..?’’

‘‘क्या करती साब! तीन पेट खाली है। इस बच्चे को दिखाकर कुछ मांग लेती थी । सो परसों रात ये भी मर गया। सोचा एक दो दिन और मांग लूँ फिर तो दफनाना ही है।’’

........000......

डॉ लता अग्रवाल

73 यशविला, भवानीधाम फेस-1

नरेला शंकरी

भोपाल-462041


लेखिका परिचय

नाम- डॉ लता अग्रवाल

शिक्षा - एम ए अर्थशास्त्र. एम ए हिन्दी, एम एड. पी एच डी हिन्दी.

प्रकाशन - शिक्षा. एवं साहित्य की विभिन्न विधाओं में 53  पुस्तकों का प्रकाशन. जिनमें 2कविता 2कहानी 2समीक्षा संग्रह , ५ बाल संग्रह, २० रोल प्ले , 79 कहानियों का अब तक लेखन, लगभग 400 पेपर्स. कहानी . कविता. लेख प्रकाशित आकाशवाणी में पिछले 9 वर्षों से सतत कविता, कहानियॉं का प्रसारण . दूरदर्शन पर संचालन. पिछले 22 वर्षों से निजी महाविद्यालय में प्राध्यापक एवं प्राचार्य ।

सम्मान -

1. पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी शिलांग (मेघालय) द्वारा साहित्यक अवदान पर “महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान “

2. उद्गार मंच द्वारा लघु कथा “साँझ बेला” को सर्वश्रेष्ठ कथा पुरस्कार |

3. वनिका पब्लिकेशन (गागर में सागर) मंच द्वारा लघुकथा “अधूरा सच” को सर्वश्रेष्ठ कथा का पुरस्कार

4. उद्गार मंच द्वारा कविता “एक पाति प्रधानमंत्री के नाम ” को उत्कृष्ट कविता पुरस्कार |

5. प्रतिलिपि द्वारा आयोजित कहानी प्रतियोगिता में कहानी “ हादसा” को द्वितीय पुरस्कार |

6. लघुकथा “मैं ही कृष्ण हूँ” को वनिका पब्लिकेशन एवं नव लेखन मंच द्वारा श्रेष्ठ लघुकथा

7. मध्यप्रदेश लेखिका संघ भोपाल द्वारा कृति ‘पयोधि होजाने का अर्थ’ को श्रीमती सुषमा तिवारी सम्मान |

8. विश्व मैत्री मंच द्वारा गुजरात यूनिवर्सिटी अहमदाबाद में , कृति तू पार्थ बन’ को ‘राधा अवधेश स्मृति सम्मान |

9. छत्तीसगढ़ साहित्य मंडल रायपुर द्वारा साहित्यिक अवदान हेतु ‘ प्रेमचंद साहित्य सम्मान

10. " साहित्य रत्न" मॉरीशस हिंदी साहित्य अकादमी ।

11. "श्रीमती सुशीला देवी भार्गव सम्मान " हरप्रसाद शोध संस्थान आगरा।

12. " कमलेश्वर स्मृति सम्मान" कथा बिंब मुम्बई।

13. "श्रीमती सुमन चतुर्वेदी श्रेष्ठ साधना पुरस्कार  " अखिल भारतीय भाषा परिषद भोपाल।

14. "श्रीमती मथुरा देवी सम्मान " सन्त बलि शोध संस्थान उज्जैन।

15. "तुलसी सम्मान " तुलसी मांस संस्थान भोपाल।

16. "डा उमा गौतम सम्मान" बालकल्याण शोध संस्थान भोपाल।

17. "कौशल्या गांधी पुरस्कार  " समीर पत्रिका भोपाल।

18. "विवेकानंद सम्मान" विपिन जोशी मंच इटारसी।

19. " शिक्षा रश्मि सम्मान" ग्रोवर मंच होशंगाबाद ।

20. "प्रतिभा सम्मान " अग्रवाल महा सभा भोपाल।

21. "माहेश्वरी सम्मान " कला मंदिर परिषद भोपाल।

22. "सारस्वत सम्मान " समानांतर साहित्य संस्थान आगरा।

23. "स्वर्ण पदक " राष्ट्रिय समता मंच दिल्ली।

24. " मनस्वी सम्मान" हिंदी साहित्य सभा आगरा।

25. अन्य की सम्मान एवं प्रशस्ति पत्र।

निवास - 73 यश बिला भवानी धाम फेस  - 1 , नरेला शन्करी . भोपाल - 462041

--------------०००-----------

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: संस्मरण लेखन पुरस्कार आयोजन - प्रविष्टि क्र. 99 : संस्मरणात्मक कहानी : सिग्नल के पार जिन्दगी // डॉ. लता अग्रवाल
संस्मरण लेखन पुरस्कार आयोजन - प्रविष्टि क्र. 99 : संस्मरणात्मक कहानी : सिग्नल के पार जिन्दगी // डॉ. लता अग्रवाल
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhVebHQyAXlqWOAzNwf1WbIR0XyrcrWA3fehQ-LPLayByWEmSuZBpiq8qjiQNzpOc8FvsqXQwFIdrgpaXDxVFHbsDTP_r7wvBJLhp6HpLJTe-XOsTcsGeFQ9etHg4A7GbUUIAjx/?imgmax=200
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhVebHQyAXlqWOAzNwf1WbIR0XyrcrWA3fehQ-LPLayByWEmSuZBpiq8qjiQNzpOc8FvsqXQwFIdrgpaXDxVFHbsDTP_r7wvBJLhp6HpLJTe-XOsTcsGeFQ9etHg4A7GbUUIAjx/s72-c/?imgmax=200
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/03/99.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/03/99.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content