पुस्तक समीक्षा // हम असहिष्णु लोग

SHARE:

असहिष्णुता के सुनियोजित प्रोपेगंडा के बरक्स डॉ. आशीष द्विवेदी ( निदेशक, इंक मीडिया इंस्टीट्यूट, सागर) आज के जमाने में लिखा और कहा तो बहुत क...

Book-Cver page 1

image

असहिष्णुता के सुनियोजित प्रोपेगंडा के बरक्स

डॉ. आशीष द्विवेदी ( निदेशक, इंक मीडिया इंस्टीट्यूट, सागर)


आज के जमाने में लिखा और कहा तो बहुत कुछ जा रहा है पर उसमें उतना असर दिखता नहीं है। कारण अंतस से मन, वचन और कर्म को एकाकार कर लिखने वाले गिनती के हैं। शायद इसीलिए वह लेखन शाम ढलते ही किसी अंधेरे कोने में दुबक जाता है। लेखन में मारक क्षमता तभी आती है, जब आपने उस लिखे को जिया हो या महसूस किया हो। अपनी बात को कैसे दस्तावेज बनाकर, तथ्य और तर्क के साथ संप्रेषणीय अंदाज से प्रमाणित तरीके से कहा जाता है, वह कला सिखाती है होनहार लेखक लोकेद्र सिंह की ‘हम असहिष्णु लोग’ यह पुस्तक उस वक्त के घटनाक्रमों का चित्रण है, जिसने अमूमन एक साजिश के तहत इस देश की महान समरस एवं अतिउदारवादी छवि को विकृत करने का कुत्सित किंतु असफल प्रयास किया। इसमें लोकेन्द्र सिंह ने दौ सौ पृष्ठों में 73 घटनाक्रमों की जिस सटीक ढंग से व्याख्या की है, वह हर उस भारतीय को पढ़ना चाहिए जो इस राष्ट्र से प्रेम करता है। मानस के अंर्तद्वंद को खत्म कर ये लेख आपके ज्ञानचक्षु खोल देंगे।

लेखकीय ईमानदारी का हर पृष्ठ गवाह है। कैसे-कैसे प्रपंच रचकर कथित बुद्धिजीवियों द्वारा इस राष्ट्र की अस्मिता को तार-तार करने की शकुनि चालें खेली गईं। वह भी केवल इसलिए कि वे सब ‘असहिष्णु‘ थे- एक विचार, एक व्यक्ति, एक परिवर्तन के प्रति। सो सारे कुंए में ही भांग डालने का काम पूरे प्राणपण से किया गया। क्या साहित्यकार, क्या पत्रकार, क्या फिल्मकार, क्या रंगकर्मी, क्या शिक्षक सभी पिल पडे़ कि देश खतरे में है बचाओ। लोकेन्द्र सिंह ने उन सबकी जमकर खबर ली है, पुस्तक का शीर्षक ही सबको डंक मारता है, उसके शब्दार्थ, निहितार्थ और गूढ़ार्थ सबकी कलई खोल देते हैं। उनके लेखों के शीर्षक भी देखिए क्या सवाल छोड़ जाते हैं- मुसलमानों की पहचान कौन, औरगंजेब या कलाम? जेएनयू के शिक्षकों और नक्सलवादियों का क्या रिश्ता है? उपराष्ट्रपति बताएं कौन-सा भेदभाव दूर करना होगा? ये प्रश्न सिर्फ लेखक के मन में उपजे प्रश्न नहीं, वरन् उन सभी भारतीयों के हैं, जिनके प्रतिनिधि बन उठाए गए हैं। अभिव्यक्ति की आड़ में जिस तरह का देशद्रोह का खेल रचा गया, उस पर लेखक का आक्रोश फूट पड़ा है।

सच मायनो में ऐसे मामलों में बेबाकी से अपनी बात कहना लेखकीय धर्म भी होना चाहिए। यह आनंद का विषय है कि इन तमाम मुद्दों पर वे लगभग बरस पड़ते हैं, किसी को नहीं बख्शते। सभी के मुखौटे बारी-बारी से गिराए गए हैं। वे एक लेख में स्पष्ट करते हैं कि यह देश गांधी और बुद्ध की धरती है, यहां असहिष्णुता जैसे शब्द की कोई जगह ही नहीं बनती। इस दुष्प्रचार के खिलाफ लेखकीय प्रयास अभिनंदनीय है और अनुकरणीय भी। यह पुस्तक सवाल छोड़ती है कि क्या वाकई मीडिया, साहित्य, शिक्षक, कलाकार निष्पक्षता से अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं? क्या महावीर, बौद्ध और गांधी के देश में वाकई असहिष्णुता का माहौल रहा या एक सुनियोजित पटकथा गढ़ी गई? क्या इस तरह के प्रोपेगंडा से वैश्विक मंचों पर भारत की छवि को जो आघात लगा, उसकी भरपाई हो पाएगी? क्या वाकई उपराष्ट्रपति जैसे अहम् पद पर बैठे एक संवैधानिक व्यक्ति द्वारा जो असहिष्णु टिप्पणी की गई, उचित थी? इस तरह के अनेकानेक प्रश्नों को छोड़ती यह पुस्तक नई पीढ़ी के साथ उन सभी को पर्याप्त सामग्री मुहैया कराती है जो असहिष्णुता के आरोपों पर ज्यादा कुछ बोल नहीं पाते, बचाव की मुद्रा में आ जाते हैं। लोकेन्द्र ने उनके और सबके लिए अपने लेखन से क्रमवार उन सारे प्रकरणों को सामने रखा है, जिसे पढ़कर आप उन तमाम असहिष्णु लोगों की बोलती बंद कर सकते हैं, जो अपने नापाक एजेण्डे से राष्ट्र को विखंडित करने की नाकाम कोशिशों में लगे हैं।

प्रियवर लोकेन्द्र ने जिस समर्पण, निष्ठा, कौशल एवं पवित्र भाव से इस पुस्तक की रचना की है, उसके लिए वे बारंबार साधुवाद के पात्र हैं। आमतौर पर इन माध्यमों पर लेखन और टीका-टिप्पणीयों से परहेज ही करता हूं पर इस किताब को पढ़कर लिखने का मोह संवरण नहीं कर सका। आपकी किसी भी तरह की प्रतिक्रियाओं की परवाह किए बगैर।

कृति- 'हम सहिष्णु लोग'

कृतिकार- लोकेंद्र सिंह

पृष्ठ संख्या- 200

मूल्य- 200 रुपये

प्रकाशक- अर्चना प्रकाशन, भोपाल

-----

नाग को दूध पिलाते- "हम असहिष्णु लोग"

समीक्षक- डॉ. विकास दवे (समीक्षक प्रख्यात साहित्यकार हैं।)

युवा कलमकार लोकेंद्र सिंह की सद्य प्रकाशित कृति 'हम असहिष्णु लोग' हाथों में है। एक-एक पृष्ठ पलटते हुए भूतकाल की कुछ रेतीली किरचें आंखों में चुभने लगी हैं। संपूर्ण विश्व जब घोषित कर रहा था कि - 'मनुष्य जाति ही नहीं अपितु प्राणी जगत और प्रकृति के प्रति मानवीय व्यवहार की शिक्षा विश्व का कोई देश यदि हमें दे सकता है,तो वह केवल और केवल भारत है।' ऐसे समय में इसी भारत के कुछ कपूत अपनी ही जांघ उघाड़कर बेशर्म होने का कुत्सित प्रयास कर रहे थे। आश्चर्य है कि जन-जन की आवाज होने का दंभ पालने वाले इन वाममार्गी बधिरों को भारत के राष्ट्रीय स्वर सुनाई ही नहीं दे रहे थे। 'अवार्ड वापसी गैंग' की भारत के गांव-गांव, गली-गली में हुई थू-थू को गरिमामयी शब्दों में प्रस्तुत करने का नाम है-'हम असहिष्णु लोग'।

लोकेंद्र पत्रकारिता धर्म के निर्वाह के लिए यायावर की तरह समाज में घूमे हैं, भारत का मन पढ़ने का प्रयास वह सदैव करते रहे हैं। यह देश का दुर्भाग्य ही है कि यहां का बहुसंख्य समाज समकाल पर जो विचार करता है, उसे अभिव्यक्त करने वाले कलमकार नहीं मिल पाते और जिन बातों को यह जन मन घृणा करता है, उसे कलमबद्ध कर भारत का स्वर बताने वाली एक पूरी की पूरी 'बड़ी बिंदी गैंग' छपाई अभियान में लग जाती है। ऐसे में लेखक ने सामान्यजन के हृदय-स्वर को जिस 'स्टेथस्कोप' के माध्यम से उन्हीं के कानों तक पहुंचाने का प्रयास किया है, उस यंत्र का नाम है-'हम असहिष्णु लोग'।

विषय अवार्ड वापसी का हो, असहिष्णुता का हो या जेएनयू का हो, लेखक की कलम चुन-चुनकर खलनायकों को निर्वस्त्र कर सड़क पर लाने का उपक्रम करती है। खलनायकों की यह चांडाल चौकड़ी जब मर्यादित जननायक को, संगठनों और सामाजिक उपक्रमों को खलनायक घोषित करने का षड्यंत्र रचती है, तब लेखक की लेखनी उन नायकों को अपेक्षित सम्मान प्रदान करने में कोताही नहीं बरतती। जब समाज व्यथित होता है, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की आईएसआईएस से तुलना से जब भारत का मन कांटों पर लोटता है, अपने ही संवैधानिक नेतृत्व उपराष्ट्रपति को 'मज़हबी' होते देख, तब लेखक अपनी स्याही को मरहम का फोहा बनाकर समाज देवता के इन घावों को ठंडक पहुंचाने का काम करता है। ममता का विदेशी घुसपैठियों के प्रति ममत्व, सेना पर प्रश्न खड़े करते बुद्धिजीवी, पत्थरबाजों पर मेहरबान पत्रकार, कैराना से हकाले गए हिंदुओं पर मौन चैनल, केरल के 'लाल हिंसा' के शिकार एक ही विचार के कार्यकर्ताओं की संगठित हत्या, गौ मांस भक्षक के पक्ष में अपनी स्क्रीन काली करते व्यावसायिक चैनल, शिक्षा और कला संस्थानों पर किसी भी राष्ट्रवादी को सहन न करने वाले संकीर्ण 'ढपली गिरोह', आजादी समर्थक और 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' का स्वप्न देखने वाली कुटिल आंखें, सबको उनके हमाम से बाहर निकालता है, यह युवा पत्रकार लोकेंद्र। उनकी इस जीवटता को यह कहकर ही प्रकट किया जा सकता है- 'किन्तु डूबना मझधारों में, साहस को स्वीकार नहीं है।'

सचमुच जिस युवा भारत की कल्पना हम सब कर रहे हैं वह देहाकार में प्रकट होता है, लेखक लोकेंद्र सिंह के रूप में । प्रारंभ में भूमिका रूप में लेखक को आशीर्वाद देते हुए प्रख्यात चिंतक डॉ. रामेश्वर मिश्र पंकज ठीक ही कहते हैं- "लेखक ने इस राष्ट्रद्रोही गिरोह के साथ भाषायी संयम बरता है, अन्यथा वह तो इससे अधिक गरियाए जाने योग्य है।"

अर्चना प्रकाशन भोपाल के अनेक यशस्वी प्रकाशनों में इस कृति का उल्लेख सदैव रेखांकित किया जाता रहेगा।

कृति- 'हम सहिष्णु लोग'

कृतिकार- लोकेंद्र सिंह

पृष्ठ संख्या- 200

मूल्य- 200 रुपये

प्रकाशक- अर्चना प्रकाशन, भोपाल

------


COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: पुस्तक समीक्षा // हम असहिष्णु लोग
पुस्तक समीक्षा // हम असहिष्णु लोग
https://lh3.googleusercontent.com/-MScW21oLBuQ/WyDzhXCBANI/AAAAAAABCoM/kUtl34c9m70ZmgwdNJuxSn2i9xnWNDNcQCHMYCw/Book-Cver%2Bpage%2B1_thumb?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-MScW21oLBuQ/WyDzhXCBANI/AAAAAAABCoM/kUtl34c9m70ZmgwdNJuxSn2i9xnWNDNcQCHMYCw/s72-c/Book-Cver%2Bpage%2B1_thumb?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/06/blog-post_38.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/06/blog-post_38.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content