आत्मकथात्मक उपन्यास - पथ - भाग 6 - राजेश माहेश्वरी

SHARE:

आत्मकथात्मक उपन्यास पथ - राजेश माहेश्वरी भाग 1 || भाग 2 || भाग 3   || भाग 4   || भाग 5 भाग 6 उद्योगपति को स्थानीय चेम्बर ऑफ कामर्स से भी न...

image

आत्मकथात्मक उपन्यास

पथ


- राजेश माहेश्वरी


भाग 1 || भाग 2 || भाग 3  || भाग 4  || भाग 5


भाग 6

उद्योगपति को स्थानीय चेम्बर ऑफ कामर्स से भी निरन्तर संपर्क में रहना चाहिए। शासन द्वारा किये जाने वाल नीतिगत परिवर्तनों की जानकारी उद्योगपति को लगातार मिलती रहना चाहिए जो चेम्बर के माध्यम से ही संभव है। चेम्बर ऑफ कामर्स प्रायः सभी प्रमुख शहरों में स्थानीय स्तर पर स्थापित हैं। ये कुटीर एवं लघु उद्योगों एवं राज्य सरकार के बीच के सेतु का कार्य करते हैं। मध्यम एवं बड़े उद्योगपति तो स्वयं के साधनों से अपनी कठिनाइयां दूर कर लेते हैं। परन्तु छोटे उद्योग अपनी आवाज एवं सुझाव चेम्बर ऑफ कामर्स के माध्यम से शासन के पास पहुँचाकर उसका निदान कर पाते हैं। चेम्बर को भी अपने क्षेत्र के एक ही व्यापार या उद्योग में लगे व्यापारियों अथवा उद्योगपतियों को एक निश्चित समय सीमा में एक बार एक साथ बैठाकर सामूहिक रुप से उनकी चर्चा करना चाहिए और उसका निदान भी खोजना चाहिए।

चेम्बर ऑफ कामर्स का अपना कोई आय का स्त्रोत नहीं होता है। सरकार को चाहिए कि वह व्यापारी अथवा उद्योगपति द्वारा यदि कोई राशि चेम्बर को दी जाती है तो उस राशि पर उसे आयकर में छूट प्रदान करना चाहिए।

देश के सभी चेम्बर ऑफ कामर्स को इस विषय पर भी चिन्तन करना चाहिए कि वह आगे आने वाले पांच या सात वर्षों में अपने क्षेत्र के व्यापार और उद्योग के विकास की योजना अपने सामने रखकर काम करे। यह योजना देश के विकास के साथ समन्वय स्थापित कर तैयार की जाना चाहिए।

जापान और चीन में किये जाने वाले कुल निर्यात का पचास प्रतिशत से भी अधिक उनके यहां के कुटीर और लघु उद्योगों का उत्पादन होता है। हमें भी इस दिशा में आगे आने की आवश्यकता है। इसके बिना हम देश की बेरोजगारी की समस्या का निदान कभी भी नहीं कर पाएंगे। इस संबंध में यदि हम तुलनात्मक रुप से देखें तो जिस प्रकार हमारे यहां बीड़ी का व्यवसाय कुटीर उद्योग के रुप में चल रहा है उसी प्रकार वहां लाइटर उद्योग कुटीर उद्योग के रुप में चल रहा है और उनके यहां का बना हुआ दस रूपये का लाइटर आज पूरी दुनियां में मिल जाता है और उस पर यह भी नहीं लिखा होता है कि वह मेट इन चाइना है या मेड इन जापान।

किसी भी उद्योग को स्थानीय प्रशासन, आयकर विभाग, उत्पाद एवं वाणिज्य कर विभाग, विक्रय कर विभाग, सेवा कर विभाग, पर्यावरण विभाग, उद्योग विभाग आदि से निरन्तर संपर्क में रहना चाहिए। इसके लिये यदि आवश्यकता हो तो अपने पास एक अधिकारी की नियुक्ति करके यह कार्य उसे सौंपना चाहिए। हमें समय-समय पर चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट, विधि सलाहकार आदि की भी आवश्यकता पड़ती है।

हम जब भी कोई नया उद्योग डालें तो कम से कम दो साल तक हम किसी भी लाभ की आशा न करें। जब हम किसी भी वित्तीय संस्थान से ऋण लेते हैं, तो वे आपको आश्वासन दे देते हैं कि आपको वे कुछ ही दिनों में ऋण उपलब्ध करा देंगे किन्तु उनकी जो औपचारिकताएं होती हैं वे काफी समय लेती हैं। इसलिये हमें यह बात किसी भी उद्योग को डालते समय और भविष्य की योजना बनाते समय ध्यान में रखना चाहिए वरना हम परेशानी में पड़ सकते हैं। हमें अपने समस्त कर्मचारियों की बीमा और चिकित्सा बीमा सहित समस्त योजनाओं को क्रियान्वित करना चाहिए क्योंकि ये विपत्ति के समय न केवल श्रमिकों को लाभ प्रदान करती हैं हमें भी ऐसे समय में सहायता पहुँचाती हैं।

एक उद्योगपति को काले धन से सदैव दूर रहना ही चाहिए। तभी वह सुख और शान्ति के साथ अपना काम कर सकता है। वैसे भी इस काम को प्रमुख रुप से हमारे नेता और अफसर घूसखोरी के माध्यम से कर रहे हैं। हमें यह कार्य उन्हीं पर छोड़ देना चाहिए। काला धन एक उद्योगपति के जीवन मे उसकी प्रगति के मार्ग में सबसे बड़ी रूकावट है। आज सरकार ने आयकर

कम करके लगभग तीस प्रतिशत कर दिया है। अब काले धन का उद्योगपति या व्यापारी के लिये कोई औचित्य नहीं रह गया है। यदि आप ईमानदारी पूर्वक कर देते हैं तो तीस प्रतिशत कर जाने के बाद भी सत्तर प्रतिशत आपको बचता है। जिससे आप बैंक में या अन्य वित्तीय संस्थानों में अपनी साख स्थापित करके कही अधिक रकम का प्रबंध करने में सक्षम हो जाते हैं। इस रकम से आप उद्योग को विकसित करके अपनी आय को और अधिक बढ़ा सकते हैं। सरकार को भी आयकर को कुछ और भी कम कर देना चाहिए ताकि लोग काले धन के चक्कर में ही न पड़ें। इससे सरकार का राजस्व भी कम नहीं होगा बल्कि वह और बढ़ जाएगा। वैसे भी आज देश में जो कालाधन है वह अधिकारियों और नेताओं के पास ही अधिक है।

हम दिन भर काम के उपरान्त विश्राम एवं मनोरंजन के लिये क्लब आदि जाते हैं तो हमें अपने सहयोगियों से अवसर देखकर उद्योग में आने वाली कठिनाइयों के विषय में विचार-विमर्श अवश्य करना चाहिए।

एक उद्योगपति के विषय में सभी यह जानते हैं कि उसके पास धन होता है। ऐसी स्थिति में चोर-लुटेरों का भय सदैव रहता है। इसलिये हमें अपनी संपत्तियां बैंक लाकर आदि में सुरक्षित रखना चाहिए।

विभिन्न शासकीय संस्थानों से संपर्क के कारण यदि किसी संस्थान के किसी भी प्रकार के विवाद हों तो हमें समझौतावादी दृष्टिकोण अपनाते हुए अपना काम निकाल लेना चाहिए। इससे समय की भी बचत होती है और हम व्यर्थ के विवादों से बचकर न्यायालयीन चक्करों से बच जाते हैं।

हमारा ड्राइवर और रसोइया जो महत्वपूर्ण होते हैं, जब हम किसी से वार्तालाप कर रहे होते हैं तो वे सबसे अधिक करीब होते हैं। इसलिये ड्राइवर

और रसोइया ऐसा होना चाहिए जिसे अंग्रेजी भाषा का ज्ञान न हो और उनके सामने या तो हम गोपनीय मुद्दों पर बात ही न करें अथवा करें तो अंग्रेजी में करें ताकि हमारी बात की गोपनीयता बनी रहे।

जीवन में अच्छी और बुरी घटनाएं होती रहती हैं। हमें प्रत्येक घटना का विश्लेषण करना चाहिए। इस विश्लेषण के द्वारा हमें जीवन के प्रत्येक पहलू को ध्यान में रखते हुए इनका साकारात्मक सृजन में उपयोग करना चाहिए।

आज कार्यक्षेत्र इतने व्यापक और विस्तृत हो गए हैं कि हमें लगातार सफर करना पड़ता है। हमें सफर में सदैव सावधान रहना आवश्यक है। हमारा सहयात्री कैसा है इसका ध्यान रखते हुए सतर्क रहने की जरूरत है। सफर में हमारे महत्वपूर्ण सामान की सुरक्षा का हमें विशेष ध्यान रखना चाहिए। मैंने पंकज को बताया कि हमारे आसपास का वातावरण हमारे मन व मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डालता है। इससे हमारे निर्णय लेने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। मैंने उसे एक उदाहरण बतलाया- यमलोक में यमदूतों ने यमराज से निवेदन किया कि महाराज पृथ्वी लोक का वातावरण बहुत खराब हो गया है। पहले लोगों में ईमानदारी, सदाचार एवं विनम्रता थी इसलिये उनका समय पूरा हो जाने पर जब हम उन्हें लाते थे तो वे सज्जनता के साथ आ जाते थे। अब जब हम जीवों को लाते हैं तो वे रास्ते में हमें बरगलाने का प्रयास करते हैं। तरह-तरह के बहाने बताते हैं, यहां तक कि वे यमलोक की व्यवस्थाओं के प्रति भड़काने तक का प्रयास करते हैं। यमराज बोले- जैसा वातावरण होता है वैसा प्रभाव अवश्य पड़ता है पृथ्वी लोक के ऐसे वातावरण पर मैं अवश्य विचार करुंगा। हमें जीवन में अच्छे लोगों के बीच अच्छे वातावरण में रहना चाहिए। तभी हमारे मन व चेतन में सकारात्मकता आती है और हमें जीवन में सफलता मिलती है।

भारतीय संस्कृति में प्रायः प्रत्येक शुभ अवसर पर दीपक प्रज्ज्वलित किये जाने की परम्परा है। मिट्टी के बने दीपक में तेल भरकर जब बाती प्रज्ज्वलित की जाती है तो वह प्रकाश बिखराती है। वह अंधेरे को दूर करती है। जब तक तेल रहता है बाती जलती रहती है जब तेल समाप्त हो जाता है तो दीपक बुझ जाता है। मानव जीवन भी किसी जलते हुए दीपक के समान होता है। जन्म के बाद हमारी स्थिति मिट्टी के दीपक के समान होती है। हमारी शिक्षा-दीक्षा और हमारे संस्कार इस दीपक में डाले गये तेल के समान होते हैं। हमारे कर्म बाती के समान हैं जिनमें हमारी

शिक्षा और संस्कारों के तेल का प्रभाव होता है और समाज को प्रकाशित करता है। यह हमारे जीवन के अंधकार को दूर करता है। बाती जल जाए या तेल खत्म हो

जाए तो जीवन भी समाप्त हो जाता है। इसी तरह एक दिन यह शरीर कार्य करना बन्द कर देता है और जीवन समाप्त हो जाता है। यह एक निरन्तर चलने वाली स्वाभाविक क्रिया है। मानव एक दिन यह तन छोड़कर अपने धर्म और कर्म को साथ लेकर अनन्त में विलीन हो जाता है। मानव जीवन और दीपक का जीवन एक समान है। हमारा जीवन दीपक के समान ज्योतिपुंज बनकर समाज एवं राष्ट्रहित के काम में आये यही अपेक्षा है।

जीवन में बुद्धिमानी एवं अवसरवादिता में टकराव होता है। समय और भाग्य भी ठहर गये हैं ऐसा प्रतीत होता है। मानव अपने उद्देश्यों से भटककर कल्पनाओं में खो जाता है और वास्तविकता के धरातल से दूर होकर खुशी व प्रसन्नता से विमुख हो जाता है। इसे ध्यान से समझो- बुद्धिमानी आकाश के समान विशाल है, जिसका प्रारम्भ एवं अन्त हम नहीं जानते। परन्तु अवसरवादिता का प्रारम्भ एवं अन्त दोनों हमारे हाथों में ही रहते हैं। अवसरवादिता बुद्धिमानी पर कभी हावी नहीं हो सकती। केवल वह कुछ क्षण के लिये मानसिक तनाव कम कर सकती है। क्योंकि बुद्धिमानी एवं चतुराई हमारा पूरा जीवन सुखी एवं समृद्धशाली बनाती है। यह जीवन के अन्त तक हमारा साथ देती है। बुद्धिमत्ता जहां पर है वहां पर आत्मा में ईमानदारी व सच्चाई रहेगी। जहां ये गुण हैं वहीं पर लक्ष्मी जी व सरस्वती जी का वास होगा। इससे यह स्पष्ट है कि हमें चतुराई एवं बुद्धिमानी पर निर्भर रहना चाहिए तथा अवसरवादिता का त्याग करना चाहिए। यही जीवन का यथार्थ है।

मैंने पंकज को बतलाया कि वक्त एवं वाणी की मार तलवार की धार से भी तेज होती है। तलवार की चोट तो तन पर लगती है जो ठीक भी हो सकती है परन्तु वाणी की मार दिल पर लगती है और यह चोट आजीवन कसकती है। यदि हम समय रहते हुए नहीं संभल सके तो यह निकल जाता है और हम असफलताओं को सफलताओं में परिवर्तित नहीं कर पाते। इसलिये इन दोनों से सावधान रहो तथा अपने विवेक एवं चिन्तन मनन से इनको अपने ऊपर हावी मत होने दो। जीवन चिन्ताओं से मुक्त रखकर चिन्तन तुम्हारा मित्र बन जाता है। चेतना तुम्हें नयी दिशा का मार्गदर्शन देगी और तुम अपने ध्येय में अवश्य सफल होगे।

जीवन में मस्तिष्क से ज्ञान मन में इसके मन्थन से दिशा और हृदय और आत्मा से जीवन जीने के सिद्धांतों का उदय होता है। यह महत्वपूर्ण नहीं है कि हम कितने वर्ष जीवित रहते हैं महत्व इस बात का है कि हमारी सांसें कितने समय तक सद्कार्यों में व्यस्त रहती है। यदि इस पर गम्भीरता पूर्वक सोचोगे तो तुम पाओगे कि जीवन का दस प्रतिशत समय ही जीवन जीने पर तुमने दिया होगा। बाकी नब्बे प्रतिशत समय ऐसा बीतता है जिसका कोई उपयोग एवं उद्देश्य हमारे स्वयं के लिये एवं समाज के लिये नगण्य रहना है। इसका अर्थ यह है कि समय कम है और काम बहुत अधिक। इसलिये प्रत्येक क्षण का उपयोग करो। जीवन में तीन महत्वपूर्ण परिस्थितियां आती हैं। जिनसे प्रभावित होकर जीवन परिवर्तित हो सकता है। ये हैं शिक्षा, विवाह और धनोपार्जन की कला।

शिक्षा एवं जीवन की वास्तविकता में बहुत अन्तर होता है। जीवन वास्तविकता में एक कर्मभूमि है। जिसमें तुम्हें आघात एवं प्रतिघात करने एवं सहने का ज्ञान होना चाहिए। यह किताबों में पढ़ने से प्राप्त नहीं होता है। यह जीवन में घटित होने वाली घटनाओं एवं अनुभवों से प्राप्त होता है। विवाह में सिद्धांतों से समझौता कभी मत करना। अन्यथा तुम्हारा व्यवहारिक जीवन कभी सफल नहीं होगा और उसका दुष्परिणाम आजीवन तुम्हारी सुख-शान्ति एवं समृद्धि पर पड़ेगा। धनोपार्जन जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष है। इसकी प्राप्ति उसका अपने ऊपर उपयोग तथा परहित में व्यय इन तीनों में समन्वय होना आवश्यक है। धन एक ऐसी मृगतृष्णा है जिसका अन्त कभी नहीं होता है। इसकी वृद्धि के साथ-साथ हमारी भौतिक आवश्यकताएं बढ़ती जाती हैं। हमें बुद्धि समय की आवश्यकता समाज में मान-सम्मान इन सभी का ध्यान रखते हुए धन खर्च करना चाहिए। तभी जीवन सफल होगा।

जीवन में कर भला तो हो भला यह जीवन का यथार्थ है। तुम किसी का भला करोगे तो उसका आशीर्वाद तुम्हें प्राप्त होगा। यही तुम्हारे जीवन में समय आने पर तुम्हारा भला करेगा। इसको सदैव जीवन में याद रखना एवं किसी का भला कर सकते हो तो तुम कभी पीछे मत हटना। उसकी मदद अवश्य करना।

मैंने पंकज को बताया कि एक दिन रात्रि का समय था। चांद की दूधिया चांदनी मन को प्रसन्न कर रही थी। मैं अपने विचारों पर चिन्तन कर रहा था कि परोपकार व सदाचार का जीवन यापन करना हमारा कर्तव्य है। हमारे मन में ऐसी भावना का आना धर्म के प्रति आस्था है एवं इसे कार्य रुप में परिवर्तित करना धर्म है। धर्म कर्म और कर्तव्य में सामन्जस्य हो तभी जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह विलक्षण रुप से सकारात्मक रहती है। एवं नकारात्मकता को समाप्त कर देती है। तुम्हारे मन में अब नया प्रश्न आएगा कि मैं कौन हूँ चेतना हूँ या चेतन मन की कल्पना हूँ धर्म से कर्म है या जीवन में कर्म ही हकीकत में सुख है धर्म एक सिद्धांत है इसका जीवन में अनुसरण करना धर्मपथ है। यह कर्मपथ को मोक्ष की ओर मोड़ता है। धर्म के लिये हम आपस में लड़ते हैं। विश्व में अनेक संग्राम धर्म के लिये धरती पर हुए हैं। किन्तु कर्म के लिये सोचने का समय किसी के पास नहीं है। ऐसी परिस्थिति में धर्म व कर्म दोनों मानव पर उपहास करते हैं। धर्म एक शाश्वत सत्य है जिसकी हार नहीं होती है। तुम यदि धर्म एवं कर्म को समझदारी के साथ सम्पन्न करो तो यह जीवन में यह सुख समृद्धि व शान्ति का आधार बनेगी। मेरे विचार एवं चिन्तन कठिन थे किन्तु उनमें सत्यता एवं गम्भीरता थी ।

किसी भी उद्योग में सबसे अधिक महत्वपूर्ण समय होता है। जब एक उद्योगपति अपने उत्तराधिकारी को अपना कार्यभार सौंपकर सेवामुक्त होता है तो उसे यह कार्य अत्यन्त धैर्यपूर्वक और धीरे-धीरे करना चाहिए। वास्तव में यह भूतकाल के द्वारा वर्तमान के हाथों में भविष्य को सौंपने की प्रक्रिया है। यह सुनहरे भविष्य की आधार शिला है।

सागर की गहराई सी गम्भीरता हो

आकाश के विस्तार सा हो धैर्य

वृक्ष और नदी सी हो

हृदय में उदारता

जीवन में हो

कठोर श्रम

लगन में हो सच्चाई

कर्म में हो सकारात्मक सृजन

तो

सुख, समृद्धि, वैभव और यश का

बनता है आधार।

यह आधार जितना सुदृढ़ होगा

उतना ही सफल होगा

जीवन का यथार्थ।

अपनी कल्पनाओं को

हकीकत में बदलकर

अपनी मदद

स्वयं करो।

सृजन को चुनकर

बनो आत्मनिर्भर

बढ़ते चलो

आत्मनिर्भरता की राह पर।


(समाप्त)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: आत्मकथात्मक उपन्यास - पथ - भाग 6 - राजेश माहेश्वरी
आत्मकथात्मक उपन्यास - पथ - भाग 6 - राजेश माहेश्वरी
https://lh3.googleusercontent.com/-Cdyh73pNNFo/W4KyrdSMoRI/AAAAAAABEBc/t_RRcrp_hCsohaNY9yAb7UQqkEt3XXmfgCHMYCw/image_thumb?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-Cdyh73pNNFo/W4KyrdSMoRI/AAAAAAABEBc/t_RRcrp_hCsohaNY9yAb7UQqkEt3XXmfgCHMYCw/s72-c/image_thumb?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/08/6_26.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/08/6_26.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content