विज्ञान कथा - अंक 60 - भर्तृहरि 2.0 - अभिषेक मिश्र

SHARE:

भर्तृहरि 2.0 विज्ञान-कथा अभिषेक मिश्र रा ज अपने शोध की पूर्णता के काफी करीब था। वह यह सोच कर ही रोमांचित था कि इस प्रयोग के सफल होते ही मानव...

image_thumb1

भर्तृहरि 2.0

विज्ञान-कथा

अभिषेक मिश्र

रा ज अपने शोध की पूर्णता के काफी करीब था।

वह यह सोच कर ही रोमांचित था कि इस प्रयोग के सफल होते ही मानव प्रजाति की सहस्त्राब्दियों पुरानी एक समस्या का समाधान हो जाएगा और वो वृद्धावस्था की जीर्ण कर देने वाली अवस्था से सदा-सर्वदा के लिए मुक्त हो जाएगी। इस समय अपनी इस कल्पना को साकार रूप में देखते उसके खयालों में जो छवि उभर रही थी वो आराधना की थी। आराधना उसके बचपन का प्रेम थी। रूप, गुण, बुद्धि में उसकी दृष्टि में वो अद्वितीय थी। राज स्वप्न में भी इस छवि से पृथक वृद्धावस्था में उसके स्वरूप की कल्पना नहीं कर पाता था। इस प्रयोग की प्रेरणा के पीछे कहीं-न-कहीं आराधना ही थी। राज ने मन-ही-मन तय कर लिया था कि उसकी प्रिय आराधना उन सर्वप्रथम लोगों में होगी जो इस पृथ्वी पर सदा युवा रहेंगे। उसने इसके बारे में बताने को झट आराधना को फोन लगाया। उसने ये भी न सोचा कि रात 11 बजे आराधना जागी भी होगी या नहीं! वह बेखुदी से बाहर तब आया जब पाया कि उसका फोन इंगेज आ रहा था। उसने घड़ी देखी, इतनी रात किससे बात कर रही होगी वो! फिर उसके ध्यान में आया कि आराधना की साहित्य में काफी रुचि थी। तकरीबन रोज ही कोई-न-कोई लेखक उसका क्रश बन जाया करता था। पहले तो पत्र-मित्रता का दौर था, अब फेसबुक आदि सोशल मीडिया से पसंदीदा लेखकों से सम्पर्क तथा घनिष्ठता काफी सरल हो गई थी।

लेखक गण भी अपने प्रशंसकों से अब पहले जैसी गरिमामय दूरी न रख खुल कर घुलमिल के बातें किया करने लगे थे।

वो आजकल ऐसे ही कुछ नामचीन लेखकों के संपर्क में थी, जिनसे फेसबुक से व्हाट्सऐप होते अब फोन पर भी लंबी चर्चाएँ होती रहा करती थीं। सोचते-सोचते उसकी तंद्रा आराधना की आवाज से टूटी। - ”राज! इस वक्त!“ ”हाँ आराधना, तुम तो जानती ही हो कि मैं अपने जीवन की हर छोटी-बड़ी बात सबसे पहले तुम्हें बताना चाहता हूँ। आज की यह खास बात भी मैं सबसे पहले तुम्हें ही बताना चाहता था, पर तुम्हारा फोन व्यस्त आ रहा था! किससे बातें कर रही थी इस वक्त!“- ”वो...वो... शोभित था। उसकी एक नई कहानी पर बात हो रही थी।“ आराधना की आवाज में एक लड़खड़ाहट थी, पर अपने उत्साह के अतिरेक में राज ने उसे नजरअंदाज कर दिया और बताना शुरू किया- ”मैंने तुम्हें अपने शोध के विषय में बताया था न कि जल्द ही मैं एक ऐसी वैक्सीन का निर्माण कर लूँगा जिसके प्रभाव से मानव शरीर में वृद्धावस्था का प्रभाव समाप्त हो जाएगा और वो चिरयुवा रह सकेगा। मैंने चूहों पर कई प्रयोग करने के बाद अब इसे वानरों पर भी आजमा लिया है। इस प्रयोग में मैंने उन वृद्ध जीवों की रक्त कोशिकाओं में एक दीर्घायु जीन को प्रविष्ट करा दिया। इससे उसकी वृद्ध और कमजोर कोशिकाओं में नवीन ऊर्जा आ गई और वो फिर से नई ब्लड कोशिकाएँ निर्मित करने लगी।

अर्थात, कोशिका की कार्यप्रणाली में वृद्धावस्था के साथ आने वाली जर्जरता न सिर्फ रुक गई, बल्कि उनके पुनर्जीवित होने की संभावना भी बढ़ गई। यह शोध न सिर्फ मानव शरीर को स्वस्थ, दीर्घायु बल्कि चिरयुवा भी रखेगा।...“

राज अपनी धुन में बोलता जा रहा था, किन्तु आराधना का ध्यान तो कहीं और ही था। उसका ध्यान तब टूटा जब राज ने जोर देकर कहा- ”हैलो आराधना, सुन रही हो न! मैं तुम्हें यह वैक्सीन कूरियर कर रहा हूँ। सोमवार तक तुम तक पहुँच जाएगा। मैं इसके प्रयोग के प्रति बिल्कुल आश्वस्त हूँ। मगर जब तक इसकी मान्यता से जुड़ी तमाम औपचारिकताएँ पूरी नहीं हो जातीं, और यह आम जनता के लिए उपलब्ध नहीं हो जाताय मैं चाहता हूँ कि इसे तुम और सिर्फ तुम ही प्राप्त करो। ताकि, मेरी कल्पना सदा-सर्वदा के लिए मेरी कल्पना सी ही सौंदर्य का प्रतिमान बनी रहे....।“ कहते-कहते राज ने फोन रख दिया।

यह प्रोजेक्ट उसके बचपन का सपना था। अपने नाना से बचपन में पुराणों की कहानियाँ सुनते उसे इस साहित्य में दिलचस्पी जगी थी, और उन्हीं दिनों उसने राजा भर्तृहरि की कथा पढ़ी थी। उसमें सेब खा चिरयुवा बने रहने की परिकल्पना से वह प्रभावित था। वह मानता था कि पौराणिक कहानियों को इतिहास मान लेना उचित नहीं, किन्तु उनसे भविष्य के शोधों के लिए प्रेरणा पाई जा सकती है। उसका यह शोध भी इसी से प्रेरित था। मनुष्य की मृत्यु अटल है वह जानता था, किन्तु सदा युवा और सामर्थ्यवान रहते हुये मृत्यु के द्वार तक पहुँच सकें यह भी उसके शोध का लक्ष्य था। इसी प्रेरणा से उसने अपने शोध का नामकरण भर्तृहरि 2.0 रखा था।

आज सोमवार था। राज की भेजी वैक्सीन आराधना के हाथों में थी, परन्तु उसके मनोमस्तिष्क में कुछ और ही चल रहा था। वो एक व्यवहार कुशल आधुनिक नारी थी, राज की तरह भावुकता भरी सोच से अलग उसके स्वतंत्र विचार थे। वो सोच रही थी- ”माना आज मेरे पास रूप है, गुण है जिसकी राज प्रशंसा करता है। परंतु क्या मात्र ये दीर्घ जीवन का आनंद उठाने के लिए यथेष्ट है! शोभित एक उभरता लेखक है और मुझे अत्यंत प्रेम भी करता है। नीरस विज्ञान की जगह कला-साहित्य जैसे आदि हर रसमय विषय पर उसका अथाह ज्ञान है। जिसके वक्त के साथ और बढ़ने तथा विस्तार पाने की पूरी संभावना है। वैक्सीन जब सभी के लिए उपलब्ध होगी मैं तो तब भी ले सकती हूँ। अभी क्यों न इसे शोभित को ही दे दूँ!“ - उसने मोबाईल खोल व्हाट्सऐप ऑन किया। शोभित ऑनलाइन ही था। उसने मैसेज टाईप करना शुरू किया।

आराधना के घर से निकलते शोभित के मन में कुछ और ही भावनाएँ उमड़ रही थीं। आराधना की अपने प्रति भावनाओं से वो प्रभावित था तो उसके प्रति ये जानते हुये भी कि वो राज से प्रेम करती है अपनी भावनाएँ उसने कभी छुपाई नहीं थीं। किन्तु आज वो आराधना के दिये इस वैक्सीन के प्रयोग को लेकर विचारमग्न था। अपने अन्तर्मन को मथने पर उसने पाया कि वह लेखन के क्षेत्र में एक अच्छे मुकाम पर है, उसका एक प्रशंसक वर्ग है। जिनमें काफी संख्या में महिलाएँ भी हैं। उसकी लेखनी से वशीभूत हो कई ने उसे प्रणय निवेदन किया है, और कई को उसने और कई बार दोनों ही ने परस्पर स्वीकार भी किया है। परंतु कहीं-न-कहीं वह अब इस जीवन से उकता भी गया है। आखिर यह सिलसिला कब तक चलता रहेगा! मेरे ख्याल से इस शोध का लाभ किसी ऐसे व्यक्ति को मिलना चाहिए, जिसके लिए यह ज्यादा उपयोगी हो। यह सोचते-सोचते उसने अपनी बाईक रेशमा के घर की ओर मोड़ दी।

रेशमा एक कॉल गर्ल थी, जिसके पास शोभित अकसर अपनी शारीरिक, मानसिक थकान मिटाने जाता रहता था। वह सुंदरता और बौद्धिकता का भी अनूठा संगम थी। परिस्थितियों ने उसे इस व्यवसाय में जरूर ला खड़ा किया था, किन्तु उसने शोभित के दिल में एक खास जगह बना ली थी। इतनी कि आज उसके दिल में इस वैक्सीन को देने के लिए बस एक ही नाम ध्यान में आ रहा था। उसे लग रहा था कि रेशमा इस वैक्सीन का उपयोग कर अपनी जिंदगी को ज्यादा बेहतर रूप दे पाएगी। यह वैक्सीन सर्वाधिक उसके ही हित में होगी। रेशमा उसकी बातों को ध्यान से सुनती और उसके इस समर्पण से प्रभावित थी। उसने शोभित को गले से लगा लिया। थोड़ी देर बाद दोनों जब प्रेम की लहरों से बाहर निकले तो उसने शोभित को शुक्रिया कहते विनम्र नजरों से विदा किया।

उसके जाने के बाद वो सोच में पड़ गई। क्या यह वैक्सीन उसे लेनी चाहिए! माना परिस्थिति ने उसे जिस स्थिति में ला खड़ा किया है वहाँ यह वैक्सीन उसके लिए काफी सहायक सिद्ध हो सकती है। मगर क्या ऐसा न होगा कि इसके बाद वो सदा इस नारकीय स्थिति में ही रहने को अभिशप्त हो रह जाएगी। क्या वो मृत्यु पर्यंत मात्र शोभित और ऐसे ही रूप के पुजारियों के मन बहलाव का साधन मात्र बनी रह जाए! यदि समय के साथ जब उसका रूप उसके साथ न रहेगा उस स्थिति में भी यदि वह कोई अन्य उपयुक्त राह पर चलना भी चाहे तो इस वैक्सीन का प्रभाव उसे उस राह पर चलने से रोकने में एक प्रलोभन ही बन सकता है। मुझे लगता है इस वैक्सीन को किसी ऐसे व्यक्ति के हाथों में होना चाहिए जो इन क्षुद्र मानसिकताओं से उपरा उठता मानवता के लिए कुछ बेहतर करने के लिए प्रयासरत हो। उसके दिमाग में एक ही नाम उभर रहा था। उसने ऑटो वाले को रोका और चल पड़ी। थोड़ी ही देर में वो राज के घर के सामने थी।

उसने राज के कई वैज्ञानिक योगदानों के बारे में पत्रिकाओं में पढ़ा था। विभिन्न पत्रिकाओं-अखबारों आदि में उसके लेख आदि वो पढ़ती रही थी। वो राज के प्रति एक मूक आकर्षण महसूस करती थी, परंतु उसे कभी न पता एक आम प्रशंसिका के रूप में ही उसके संपर्क में थी। पत्र व्यवहार आदि द्वारा उसके लेखों आदि पर वो चर्चा या विचार व्यक्त करती रहती थी। आज उसे अपने घर पर देख राज हतप्रभ था।

रेशमा ने अपने आने का कारण बताते हुये राज से कहना जारी रखा- ”आप एक वैज्ञानिक हैं, शोधरत हैं, आपका स्वास्थ्य और दीर्घ जीवन विज्ञान और मानवता के लिए ज्यादा उपयोगी हो सकता है। मेरी दृष्टि में इस वैक्सीन के सबसे उपयुक्त पात्र आप ही हैं। इसे स्वीकार मुझे अपने जीवन में एक सार्थक कार्य की अनुभूति का तो अवसर दे दीजिये...।“ वो कुछ और भी कहती जा रही थी। पर राज सुन ही कहाँ रहा था! वो तो इस चक्र से हतप्रभ था। उसकी आँखों से भ्रम का आवरण हटता जा रहा था। विज्ञान के रहस्य के अलावे मानव मन के रहस्य का भी एक नया आवरण उसके सामने से हटा था। परिदृश्य बिल्कुल स्पष्ट हो चुका था। भर्तृहरि के लिखे एक श्लोक की भूली-बिसरी सी कोई पंक्ति उसके मन-मस्तिष्क में गूँज रही थी-

”जल्पन्ति साद्रधमन्येन पश्यंत्यन्यं सविभ्रामः

हृदये चित्यन्त्यन्यंप्रियः को नाम योषिताम...“

अर्थात, स्त्रियों का यथार्थ में कोई प्रिय नहीं है, ये किसी से बात करती हैं, तो किसी और को ही विलास भरी दृष्टि से देखती हैं और हृदय में किसी और को ही चाहा करती हैं...

वह समझ गया था कि हर व्यक्ति अपूर्ण है और इस अपूर्णता की पूर्ति वह किसी अन्य से करना चाहता है। पूर्ण तो सिर्फ ईश्वर ही है। अतः या तो ईश्वर से पूर्णता की प्रार्थना करे या इसे अपने अंदर तलाशे। स्रोत एक ही है। उसने तय कर लिया था कि यह पृथ्वी अभी इस आविष्कार के योग्य नहीं हुई है। छल, कपट, ईर्ष्या, धोखा आदि जैसी भावनाओं के रहते प्रेम यहाँ कभी साकार रूप नहीं ले पाएगा। उसने निर्णय ले लिया था कि इस प्रयोग को यही बंद कर वह शेष जीवन छात्रों के मध्य विज्ञान की शिक्षा देते व्यतीत करेगा। युवाओं का उत्साह, जिज्ञासा, जागरूकता आदि ही उसे उनके मध्य चिरयुवा रखेगी.

.... ❒ ई मेल : abhi.dhr@gmail.com

image

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: विज्ञान कथा - अंक 60 - भर्तृहरि 2.0 - अभिषेक मिश्र
विज्ञान कथा - अंक 60 - भर्तृहरि 2.0 - अभिषेक मिश्र
https://lh3.googleusercontent.com/-LgmjF1qmURg/W7R2rA41tGI/AAAAAAABEeo/8wp3HXLYap0wdNaAn0dskbLMXi0d2PfLwCHMYCw/image_thumb1_thumb?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-LgmjF1qmURg/W7R2rA41tGI/AAAAAAABEeo/8wp3HXLYap0wdNaAn0dskbLMXi0d2PfLwCHMYCw/s72-c/image_thumb1_thumb?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/10/60-20.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/10/60-20.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content