विनोद सिल्ला की 27 कविताएँ

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-विनोद सिल्ला 1. दंगों से पहले शांत माहौल था इस  शहर  का दंगों  से  पहले नाम  निशान नहीँ था वैर का दंगों  से  पहले अंकुरित नहीँ थ...

vinod sil​lā kí 27 kavitāeN

-विनोद सिल्ला


1.
दंगों से पहले

शांत माहौल था
इस  शहर  का
दंगों  से  पहले

नाम  निशान
नहीँ था वैर का
दंगों  से  पहले

अंकुरित नहीँ था
बीज  जहर  का
दंगों   से   पहले

सौहार्द-सदभाव का
हर   पहर   था
दंगों   से   पहले

न साम्प्रदायिकता
का   कहर  था
दंगों  से  पहले

सियासतदानों से
दूर   शहर  था
दंगों   से   पहले

असलम रामलाल से
कहाँ   गैर  था
दंगों  से   पहले

चुनाव  ने  ही
घोला जहर था
दंगों  से  पहले

-विनोद सिल्ला©

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2.
मैं हूँ साक्षी

बन रहे हैं
वक्त के
नए-नए सांचे
ढल रहा है इंसान
इन नए-नए
सांचों में
गुजर रहा है इंसान
परिवर्तन के दौर से
बदल रही हैं
पुरातन परम्पराएं
आमजन की मान्यताएं
सबकी आकांक्षाएं
हो रहे हैं परिवर्तन
सुखद व दुखद
मैं हूँ साक्षी
इन परिवर्तनों का

-विनोद सिल्ला©

3.
मैं क्या लिखता हूँ

मैं
भूगोल लिखता हूँ
इतिहास लिखता हूँ
आम लिखता हूँ
खास लिखता हूँ
अंधकार लिखता हूँ
उजास लिखता हूँ
भूख लिखता हूँ
प्यास लिखता हूँ
मर्म लिखता हूँ
रंग रास लिखता हूँ
कल्पित लिखता हूँ
अहसास लिखता हूँ
उम्मीद लिखता हूँ
विश्वास लिखता हूँ
दिल को छूने वाले
हसीं प्रयास लिखता हूँ

-विनोद सिल्ला©

4.
"जुदाई"

मैं
कितनी दूर से
उससे मिलने आया
पर वो रो रहा था
उसे गम था
किसी से बिछङने का
वो आँसू बहा रहा था
उसकी पीड़ा को
कोई नहीं समझ रहा था
सभी उसके बहते आँसू
रोमांच से देख रहे थे
और कह रहे थे
क्या खूबसूरत झरना है
पर वास्तव में
नदी से बिछुङने के गम में
पहाङ रो रहा था

-विनोद सिल्ला©

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5.
प्रमाण

वो समझता है
खुद को सर्वश्रेष्ठ
कर रखे हैं उसने
गवाह तैयार
जो दे रहे हैं
उसके पक्ष में
सर्वश्रेष्ठ होने की गवाही
तमाम प्रमाण
हैं उसके पास
जिनसे वह
हो जाएगा साबित
सर्वश्रेष्ठ
परन्तु वास्तव में
कितना आशंकित है वो
अपनी श्रेष्ठता को लेकर
जो किए उसने
तमाम प्रमाण एकत्रित
श्रेष्ठ होने के
क्या श्रेष्ठता को भी
आवश्यकता है
प्रमाण की

-विनोद सिल्ला©

6.
मेरा भारत महान

कोई अपनी जात पे
मेहरबान था
कोई अपनी बात पे
कुर्बान था
किसी का अपने धर्म पे
बलिदान था
किसी को मराठी होने का
गुमान था
किसी को अपनी पंजाबियत
का मान था
तो कोई अपने गुजरात
की शान था
किसी के भाषावाद पे
मैं हैरान था
किसी का अलगाववादी
बयान था
सबका अपना-अपना
अलग जहान था
लाचार उपेक्षित 
मेरा भारत महान था

-विनोद सिल्ला©

7.
कह गया अलविदा

हाड़तोड़ मेहनत ने
बेढंग कर दी चाल
पर नहीं जुटा पाया
ढंग के वस्त्र ताउम्र
अपने और परिवार के
नहीं लगवा पाया पैबंद
अपने फटे कमीज पर
जिससे झांकते रहे
लू के नस्तर
शीतलहर के अस्त्र-शस्त्र
वो नहीं करा पाया
बीमार पत्नी का उपचार
नहीं दिला पाया
अपने बच्चों को तालीम
ताउम्र करता रहा
कड़ा परिश्रम
फिर भी रहा अभावग्रस्त
देता रहा दोष
अपने कर्मों को
नहीं ढूंढ पाया
अपनी परेशानियों के
वास्तविक कारण
इसी उहा-पोह में
एक दिन
कह गया अलविदा
जहान को

-विनोद सिल्ला©


8.
झूठ की चकाचौंध

चीखते हैं
टी. वी. चैनल
एक सुर में
मिला रहे हैं ताल
सभी समाचार-पत्र

इनके मालिक हैं
सरकार में साझेदार
या हैं नतमस्तक
विज्ञापन के नाम पर
मिले धन के समक्ष

बोला जाता है
एक ही झूठ
हजार चैनल पर
हजार बार
बना दिया जाता है
सच को झूठ
बड़ी कलाकारी से

सत्य नहीं दे पाता
विज्ञापनों का शुल्क
हो जाता है शिकार
उपेक्षा का

झूठ की
चकाचौंध में
जो दिखता है
वही बिकता है

-विनोद सिल्ला©

9.
सफाई अभियान

आज मलीन बस्ती में
थी गहमागहमी
जो बड़े वाले नेता
उठा के झाड़ू
आए थे शुरु करने
सफाई अभियान
बस्ती का रामू
जो हमेशा से
सफाई कार्य
करता रहा है
उसके पूर्वज भी
करते रहे सफाई
मन ही मन
रहा था सोच
कभी क्यों नहीं मिली
इतनी इज्जत उन्हें
कभी क्यों नहीं
अख़बार में छपी फोटो
खूब जोर दिया दिमाग पर
लेकिन उसे समझ न
आया ढकोसला

-विनोद सिल्ला©

10.
  ----15 अगस्त----

उपमंडल प्रशासन द्वारा
झंडा फहराया गया
बच्चों द्वारा राष्ट्रगान
गाया गया
हर एक हाथ तिरंगा
लिए हुए था
हर एक देशभक्ति का
ढोंग किए हुए था
वो व्यापारी भी जो
टैक्स चोरी करता है
वो भी जो अखबार में
झूठी तहरीर लिखता है
वो भी जो कार्यालय में
रोज बिकता है
वो स्कूल संचालक भी
जो अभिभावकों को ठगता है
हर शोषित उपेक्षित था
जो हर रोज नपता है
ये कैसी स्वतंत्रता है

-विनोद सिल्ला

11.
स्वतंत्रता दिवस

पन्द्रह अगस्त
आ रही है
मना लेना
स्वतंत्रता दिवस पर
घोषणा कर देना
अपनी आजादी की
तोड़ देना
जाति-धर्म की
गुलामी की
जंजीरों को
मिटा देना
साम्प्रदायिकता की
लकीरों को
घोषणा कर देना
कि मैं मात्र इंसान हूँ

-विनोद सिल्ला©


12.
करके तो देखिए

उनकी दाढ़ी
ऐसे क्यूं
उनकी मूंछें
ऐसी क्यूं
उनकी चोटी
उनकी टोपी
ऐसे क्यूं
उनका ये क्यों
उनका वो क्यों
इनके अलावा भी
अनेकों हैं गंभीर मुद्दे
संसद में जिन पर
हो सकती है चर्चा
हो सकता है विकास
नेता जी
सांप्रदायिकता ही नहीं
विकास भी
दिलवा सकता है वोट
करके तो देखिए

-विनोद सिल्ला©


13.
पास-पास रहते भी

मिट्टी
वैसी ही
अटारी की है
वैसी ही बाघा की है
वैसी ही जलवायु
अटारी की है
वैसी ही बाघा की है
अनेकों बार
इकट्ठे झेला दोनों ने
सूखा, ओलावृष्टि, अतिवृष्टि
और भी अनेकों प्रकार की
प्राकृतिक आपदाएं
आज भी
अटारी की
गुरबाणी की आवाजें
गूंजती हैं बाघा में
बाघा की अजान
सुनती है अटारी में
दोनों गांवों के नागरिक
होते थे शामिल
एक-दूसरे की
गमी-खुशी में
लेकिन कांटेदार तारों की
बाड़ ने
कर दिया बहुत दूर
पास-पास रहते भी

-विनोद सिल्ला©

14.
देशभक्ति

छब्बीस जनवरी के बाद
आज स्वतंत्रता दिवस पर
पूरे यौवन पर थी देशभक्ति
खूब बजे
देशभक्ति के गीत
जो आज शाम को
रख दिए गए
संभाल कर
छब्बीस जनवरी तक

खूब दिए गए भाषण
देशभक्ति से ओत-प्रोत
तमाम वक्ता
कल फिर खो जाएंगे
रोजमर्रा के
कार्यकलापों में

छब्बीस जनवरी तक
देशभक्ति भी करेगी
विश्राम

-विनोद सिल्ला©

15.
बेपरवाह

हम
प्राकृतिक आपदाओं से
हो कर बेपरवाह
करते हैं प्रकृति का
अंधाधुंध दोहन
झेलते हैं उसका
दुष्परिणाम
सबसे पहले इंसान ने
किया खिलवाड़
खुद के साथ
हो कर बेपरवाह
बांट लिया
असंख्य जातियों में
अनेक धर्मों में
उन जातियों-धर्मों ने
कर लिया
विकराल आपदा का
रूप धारण
आज झेल रहा है इंसान
भेदभाव के रूप में
या दंगों के रूप में

-विनोद सिल्ला©

16.
आज का द्रोण

एकलव्य को
कटवाना पड़ा
अपना अंगूठा
क्योंकि
कुटिल द्रोण ने
कर रखा था
अनुबंध
राजघराने से
उनके राजकुमार को
सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर
बनाने का
आज द्रोण
हो चुका है
और अधिक खूंखार
अब वह
अंगूठा नहीं
गला काटता है

-विनोद सिल्ला©

17.
  छूवन

नहीं लिखा जाता
रक्त की थैलियों पर
रक्तदाता का जाति-धर्म
लिखा जाता है
रक्त का समूह
सकारात्मक व नकारात्मक
नहीं की जाती
जानने की कोशिश
रक्तदाता का जाति-धर्म
ले ली जाती है किडनी
निम्न वर्ग के गरीब की
नहीं होती घृणा
निम्न वर्ग की
किडनी से
जो रहेगी ताउम्र
उसके शरीर में
जीवन का
आवश्यक अंग बनकर
लेकिन उसी
निम्न वर्ग का
बाह्य छूवन
देता है झटके
ग्यारह हज़ार वॉट के
जाने क्यों?

-विनोद सिल्ला©

18.
ताजा खबर

बिलकुल
ताजा खबर है
जो अखबार में भी
नहीं आई
किसी चैनल ने भी
नहीं बताई
आकाशवाणी ने भी
नहीं सुनाई
चौपालों में भी जिसकी चर्चा नहीं चली
यह खबर
सोशल मीडिया पर भी
नहीं आई
किसी वैब चैनल
पर भी नहीं
खबर यह है कि
गुम हो गया भाईचारा
इस नवदौर में

-विनोद सिल्ला©

19.
समझ से परे

मरने के बाद
स्वर्ग से
या फिर
नर्क से
कोई नहीं आया
वापस लौट कर
फिर
स्वर्ग का मजा
और
नर्क की सजा
का वर्णन
किसने किया
ग्रंथों में
समझ से परे है

-विनोद सिल्ला©

20.
चुप्पी

मेरा फक्कड़पन
कर देता है नाराज
कई बार
मेरी जीवन-संगीनी को
वो हो जाती हैं उदास
कर देती हैं
बोलना कम
तरस जाते हैं मेरे कान
सुनने को
मेरी अपनी शिकायत
लगती है कचोटने
उसकी चुप्पी
कर देती है बेचैन

उसके क्रोध भरे शब्द भी
शायद इतना बेचैन
नहीं कर सकते
जितनी बेचैनी
उसकी चुप्पी से होती है

-विनोद सिल्ला©

21.
बैंक मूर्छित हैं

सरकार संग
आती थी
हर रोज
उनकी फोटो
संचार के माध्यम से
बैंक हिम्मत न
जुटा पाया
कर्ज देने से
इंकार करने की
आज सभी बैंक
मूर्छित हैं
उनके विदेश गमन से
थोड़ी-थोड़ी संजीवनी
चोरी-छुपे
ली जा रही है
आम-जन के
खातों से
ताकि होंस में
लाए जा सकें बैंक

-विनोद सिल्ला©

22.
तब अवतार नहीं लिया

असुर व राक्षस
थे यहीं के वासी
समय-समयपर
आते रहे भगवान
लेकर अवतार
असुरों का
राक्षसों का
करते रहे संहार
बताते रहे
उसे धर्मयुद्ध
लेकिन यहीं पर आए
मुगल, फिरंगी,
गुण, शक, डच
फ्रांसीसी, पुर्तगाली व
अन्य विदेशी आक्रमणकारी
तब नहीं लिया
किसी ने अवतार
तब नहीं किया
धर्मयुद्ध का ऐलान
होने दिया
देश गुलाम
जाने क्यों?

-विनोद सिल्ला©

23.
श्रृंगार

मेरी मां
नहीं देखीं मैंने
कभी भी
श्रृंगार किए

मैंने देखा
सदैव उनको
ममता, मैत्री,
करूणा के
श्रृंगार लिए

बहुएं नहीं
आईं उसके घर
आई हैं दो बेटियाँ
जिन्हें मां ने
मां के ही
स्नेह-दुलार दिए

सासु नहीं
बनी कभी भी
रही तत्पर
मां का
प्यार लिए

मेरी मां
नहीं देखीं मैंने
कभी भी
श्रृंगार किए

-विनोद सिल्ला©

24.
मुस्कान

मुझे बाजार में
एक आदमी मिला
जिसके चेहरे पर
न था कोई गिला
जो लगातार
मुस्करा रहा था
बङा ही खुश
नजर आ रहा था
मैंने उससे पूछा कि
कमाल है आज
जिसको भी देखो
मुंह लटकाए फिरता है
तनावग्रस्त-सा दिखता है
आपकी मुस्कान का
क्या राज है
मुस्करा रहे हो
कुछ तो खास है
उन्होंने कहा
मुझपे भी
महंगाई की मार है
मुझपे भी
गम सवार है
यहाँ दुखदाई
भ्रष्टाचार है
ऐसे में
खुश रहना कैसा
मुस्कराता नहीं
मेरा मुंह ही है
ऐसा

-विनोद सिल्ला

25.
जन्नत

ऊँचे-ऊँचे पेड़
छोटे-छोटे पौधे
अलबेली हवा में
हिल-हिल कर
रहे हैं झूम
एक-दूसरे को
रहे हैं चूम
आवाजें हैं सांय-सांस
टकरा रहे हैं पत्ते
आपस में
कितना मनोरम है दृश्य
इससे अलग
कोई और जन्नत
नहीं हो सकती

-विनोद सिल्ला©

26.
मैं हूँ पहाड़

मैं हूँ पहाड़
तुम्हारे आकर्षण का
हूँ केन्द्र
शक्ति का
विशालता का
हूँ परिचायक
नदियाँ हैं
मेरी सुता
जो हैं पराया धन
हो जाती हैं
मुझसे जुदा
होती हैं बेताब
समुद्र से मिलने को
समुद्र में
विलीन होने को
होती हैं
मुझसे जुदा
नई दुनिया
बसाने को

-विनोद सिल्ला©

27.
बहुरूपी प्रकृति

जिस प्रकार
बहरूपिया
बदल लेता है नित
अपना रूप
इसी प्रकार
प्रकृति भी
लेती है बदल
नित नया रूप
कभी हवा सुहावनी
कभी धूल भरी आंधी
कभी शीत-लहर
  कभी झुलसाती लू
कभी धुंध
कभी बरसात
कभी ओलावृष्टि
कितने रूप
बदलती है प्रकृति

-विनोद सिल्ला©


परिचय

नाम - विनोद सिल्ला
शिक्षा - एम. ए. (इतिहास) , बी. एड.
जन्मतिथि -  24/05/1977
संप्रति - राजकीय विद्यालय में शिक्षक

प्रकाशित पुस्तकें-

1. जाने कब होएगी भोर (काव्यसंग्रह)
2. खो गया है आदमी (काव्यसंग्रह)
3. मैं पीड़ा हूँ (काव्यसंग्रह)
4. यह कैसा सूर्योदय (काव्यसंग्रह)


संपादित पुस्तकें

1. प्रकृति के शब्द शिल्पी : रूप देवगुण (काव्यसंग्रह)
2. मीलों जाना है (काव्यसंग्रह)
3. दुखिया का दुख (काव्यसंग्रह)


सम्मान

1. डॉ. भीम राव अम्बेडकर राष्ट्रीय फैलोशिप अवार्ड 2011
2. लॉर्ड बुद्धा राष्ट्रीय फैलोशिप अवार्ड 2012
3. ज्योति बा फुले राष्ट्रीय फैलोशिप अवार्ड 2013
4. ऑल इंडिया समता सैनिक दल द्वारा जून 2014 को ऊना हि. प्र. में
5. अम्बेडकरवादी लेखक संघ द्वारा 06 जुलाई 2014
6. लाला कली राम स्मृति साहित्य सम्मान 2015
7. प्रजातंत्र का स्तंभ गौरव सम्मान 2018
8. रक्तदान के क्षेत्र में अमर उजाला समाचार पत्र द्वारा जून 2018 को
पता :-

विनोद सिल्ला

गीता कॉलोनी, नजदीक धर्मशाला
डांगरा रोड़, टोहाना
जिला फतेहाबाद (हरियाणा)

पिन कोड-125120

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नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड 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पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi 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रचनाकार: विनोद सिल्ला की 27 कविताएँ
विनोद सिल्ला की 27 कविताएँ
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