अनिल कुमार देहरी की कविताएं

SHARE:

            1.समय समय बहुत बलवान और मूल्यवान इसे समझने वाले बनते सफल इंसान समय को समझना आसान है भी और है बहुत ही दुरूह कार्य भी खुद समय...

खुशी प्रसाद की कलाकृति
            1.समय
समय बहुत बलवान और मूल्यवान
इसे समझने वाले बनते सफल इंसान
समय को समझना आसान है भी
और है बहुत ही दुरूह कार्य भी
खुद समय के चाल को समझने की
कोशिश करते हैं जो होते विवेकी

जो इंसान समय की चाल समझ न पाए
मेरा अनुभव है वह शख्स सत्संग में जाए
सुनें, समझें और संतों से प्रश्न करे निर्भय
निश्चय ही मिलेगा उत्तर और होगा अभय

समय के भीतर ईश्वर ने छुपाए हैं अनमोल
अनेक प्रकार के खजाने, जो पाए खोल
जो समय का करें सम्मान और सदुपयोग
बनेगा सफल वह और हटेगा दुर्योग

बहाना बनाकर न करो समय का अपमान
समय ही बनाएगा तुम्हें सफल इंसान
करो सदा नेक काम बिना कोई कारण
ईश्वर की कृपा से सफलता करेगा वरण

मानो मेरा कहना सफल इंसान बनोगे
सुख, शांति और संतुष्टि के प्रतीक बनोगे
जो देते समय को धोखा समय भी उनको
देता है धोखा, कभी बहकावे में न बहको।

समय से कोई बलवान नहीं संसार में
समय एक बार ही रहता है हाथ में
सदुपयोग करो सदा सच्चे मन से
बिताओ सारा जीवन सदा महक से।

समय ने बनाया रावण और विभीषण
समय ने बनाया श्री राम और लक्ष्मण
समय ने किया सीता हरण
समय ने किया रावण मरण।


            
            2. अनुमान

जब कोई काम छिपकर करने का आए अवसर
तब समझ लेना वहां होता है खतरा अक्सर
कर लेना मन में अनुमान और
वहां से हो जाना रफूचक्कर

जब कोई समय से पहले कोई काम करने
  को कहे ,तो बात है जरूरत उससे बचने
समय से पहले कोई काम ठीक नहीं
गड़बड़ हो जाता है हर कहीं

जहां भी कुछ लगे शंका, करना वहां अनुमान
जो करता है विचार उसके साथ ही भगवान
ख़तरनाक लोग हैं हर तरफ,मानो मेरा कहना
किसी भी पल हो सकता है उनसे सामना

बुद्धि,शक्ति से खुद को बनाओ बलवान
बलवान को ही सहायता देते हैं इंसान
खतरे से पहले अनुमान करना
तो नहीं पड़ेगा बहुत पछताना।

अनुमान है बड़ा अच्छा हथियार
सदा ही रहना होशियार
दूसरों के अनुभवों से सीखो
कदम बढ़ाने से पहले देखो।

जब आये कोई भी परेशानी
अनुमान को बनाओ रोशनी
मेरा ये अनुभव पुराना है
आपके काम का है।

    3.विश्वास
किसी पर न करना ज्यादा विश्वास
पर खुद मैं रखना जरूर विश्वास
ज्यादा विश्वास खतरे वाला होता है
जहां अंधविश्वास है वहां खतरा है

विश्वास करने से पहले परख लेना
पर अंधविश्वास कभी न करना
धीरे-धीरे विश्वास परखना
खुद को जल्दी न खोलना

किसी पर हो जाए भरोसा पूरी
तब भी रखना कुछ दूरी
न जाने कब बात बिगड़ेगा
दोस्त भी दुश्मन बनेगा

एक सबक मन में याद रखना
सच्चे दोस्त को धोखा न देना
पहले सच्चे दोस्त बनना
तब दूसरों से उम्मीद करना।

जो वचन दूसरों को देना
उस पर सदा टिके रहना
जो देते हैं दूसरों को दगा
वो जाते हैं खुद ठगा।

भगवान पर करना विश्वास
हैं सदा ही हमारे पास
जो जैसे काम करेगा
वैसा ही फल पाएगा।

विश्वास करना सदा मेहनत पर
विश्वास करना अपने गुरुओं पर
पर हर पल रहना सतर्क होकर
तब ख़ुश रहोगे जीवन भर।

4.आज के गांव

कहते हैं गांवों के लोग होते है बहुत सीधे-साधे
अगर आप भी ऐसा मानते हैं तो जानते हैं आधे
आज के गांव वाले अधिकतर हैं चालू
  उनसे ठगा जाएंगे लोमड़ी और भालू
 
समय बदल गया है
गांव माडर्न हो गया है
बाप अब भी बास है
परंपरा बहुत हावी है

गांव के लोग अब भी अपनी बेटी को
भेजने की बात करते हैं पराए घर को
पढ़ाई-लिखाई में ध्यान कम देते
लड़के के सामने कमजोर मानते

एक सच लिख रहा हूं कुछ हिम्मत से
बाप के सामने बेटे चुप रहते हैं डर से
गांव में अब भी रिवाज है
बाप घर का न्यायाधीश है

विश्वास न हो तो आकर सब पता कर लो
छत्तीसगढ़ और ओडिशा की सैर कर लो
मेरा लिखा गलत नहीं है
कमजोर का न्याय नहीं है

बच्चे अधिकार के लिए मांग नहीं कर सकते
क्योंकि की बच्चों की बातें सयाने नहीं मानते
गांव में  नियम है कि शादी होने तक
बाप के पक्ष में न्याय देते हैं अभी तक

मैं चाहता हूं कि अब बदलाव चाहिए
बच्चों को अधिकार मिलनी चाहिेए
कमजोरों को रखते हैं गुलामों जैसे
बताएं गांव के लोग सीधे-साधे कैसे

गांव कभी शांत और खुशहाल था
सच्चे और अच्छे लोगों का समूह था
अब गांव कुछ और हो गया
आधुनिक व सभ्य हो गया

टीबी,कमप्यूटर आदि जब से आया
तब से गांव में अक्सर सन्नाटा छाया
बच्चों के हाथों में मोबाईल
भूल रहे अब बच्चे स्माईल

परिवार बिखरना अब आम हो गया
मेरे गांव को क्या नया रोग लग गया
धर्म कर्म अब दिखावा हो गया
आदमी अंदर से पत्थर हो गया

शराबियों को देख ऐसा लगा
सबेरे ही माहौल शाम का गया
शातिरों का अब गुंडा राज हो गया
खासियत गांव का खत्म हो गया

पहले जैसे गांव अब शांत नहीं
शायद आप को पता भी नहीं
कर्तव्य से अब मतलब नहीं
अधिकार की चर्चा हर कहीं

पहाड़ का झरना सुख रहा है
गन्ने का रस मिलना कठिन है
जवानी में ही कमर में दर्द है
डिब्बाबंद माल हर हाथ में है

अब दिखावा है भाई चारा
ईमानदार हो गया बेचारा।
     5. वर्षा

पहले जैसी वर्षा नहीं
सुना -सुना हर कहीं
ये खतरे की शुरूआत अब लगती है
अब न चेते हम तो कितनी गलती है

खतरा सामने आ गया है
  हमें पता नहीं क्या हो गया है
कितने तैयार हैं हम पता नहीं
बेतुकी हरकतें ही हर कहीं

लगायें जल्दी पेड़ पौधे आस- पास
जो फलों से बुझाएं भूख व प्यास
तब हम बच सकते हैं
धरती को बचा सकते हैं

मैं तो पेड़ लगाया हूं
आप कब लगा रहे हैं
बहुत लोग सोए हुए हैं
क्या आप जाग रहे हैं?

जागो जल्दी जग के जन
पेड़ लगाओ दे तन मन
पर्यावरण है सबसे बड़ा धन
तब बचेगा धरती में जीवन

वर्षा को बुलाना है तो पेड़ -पौधे लगाना
वर्षा नहीं हुआ तो पड़ेगा बहुत पछताना
नहीं तो समुद्र भी सुख जाएगा
तब बताओ इंसान कैसे बचेगा

वर्षा ही धरती का अमृत है
पेड़ लगाएं तो अभी समय है
जल से ही जीव जगत जन्मा है
वर्षा हमें बचाता है और मारता भी है।

     6.प्रार्थना

बता रहा हूं प्रार्थना की अलौकिक शक्ति
कभी भी अनुभव कर सकता है व्यक्ति

जब जीवन में जब आई बड़ी परेशानी
प्रार्थना की शक्ति से दूर हुई परेशानी

अनुभव अनेक बार हुआ है मेरे जीवन में
वह हुआ जो न सोचा था कभी सपने में

पेट के रोग से परेशान था
हर तरफ से निराश था
प्रार्थना से राह मिला था तब
त्रिफला चूर्ण बनाया जब

पेट के रोग से यदि है बचना
सदा शुद्ध सात्विक भोजन लेना
खुद को दूर रखना मिलावट खाद्य से
बचके रहना हर प्रकार के नशे से

बचपन से अच्छी आदत डालना
बुरी संगत में कभी न रहना
स्वास्थ्य पत्रिकाएं सदा पढ़ना
उचित दिनचर्या का पालन करना

भगवान ही तब मेरे एक मात्र आस थे
घर वाले केवल स्वार्थ के साथी बने थे
 
इंसान के जब बुरे दिन आते हैं
अपने लोग भी दुश्मन बनते हैं
सुख के साथी सब बन जाते हैं
दुख में वही तिरस्कार करते हैं


प्रार्थना की शक्ति से एक रिश्तेदार आए
एक आयुर्वेद पुस्तक के विषय में बताए

उसे पढ़ बनाया त्रिफला चूर्ण
खाकर तब आराम पाया पूर्ण

घर के पास ही है प्राकृतिक जंगल
मुफ्त में मिले मुझे त्रिफला के फल
कुछ भी नहीं हुआ खर्चा मेरा
तब था फैला चर्चा गांव सारा

आंवला,हर्रा व बहेड़ा सबको सुखाया
निकाल गुठली, समान वजन में मिलाया
चूर्ण बनाकर सुरक्षित एक डिब्बे भर दिया
दो -दो चम्मच गुनगुने पानी से दो बार लिया
 
पेट का रोग हो गया दूर बस कुछ ही दिनों में
अगले साल फिर हुआ, ठीक हुआ त्रिफला में
जीभ पर निकलते दाने होता बहुत जलन
भूख मर गया था घटने लगा था मेरा वजन

आयुर्वेद है अमृत समान इसे अपनाएं
छोटी-मोटी दवाएं सदा घर में बनाएं
अपने ऋषियों का ज्ञान अपनाएं
उनके अनुभव का लाभ उठाएं

कहानी नहीं यह सच है ऐसा ही हुआ
प्रार्थना की शक्ति का अनुभव मुझे हुआ

सच लिखा हूं आप मानो न मानो
प्रार्थना में शक्ति है प्रमाण जानो

सबसे जरूरी है अच्छे कर्म करना
साथ में प्रार्थना भी अवश्य करना

लोग कहते हैं यह प्रार्थना का फल नहीं है
तुम्हारे जीवन के एक  संयोग का फल है

यह ईश्वर का न्याय है या मेरी प्रार्थना
सच लिखा रहा हूं ,मुझे माफ कर देना

किसी के साथ अन्याय कभी न करना
ईश्वर हैं सबके साथ इतना याद रखना


यह चमत्कारी सत्य अनुभव  है मेरे लिए
अब प्रार्थना करता हूं लोक मंगल के लिए
सब आज लिखना ठीक नहीं समझता हूं
प्रार्थना का फल मिलता है में मानता हूं

मित्रों किसी दुखी को सहायता करना
  थोड़ा सहायता ही बहुत है याद रखना

जो देता है उसे अवश्य ही मिलता है
भगवान सब के कर्मों को जानता है

 
प्रार्थना के अनुभव हुए हैं और चमत्कारी
लिखूंगा वादा है--(मैं) अनिल कुमार देहरी।


         7.विचार शक्ति और आकर्षण के नियम

विचार हैं संसार में बहुत महान
विचारों का सदा रखो ध्यान
विचार अवश्य करते हैं काम
कुछ दिनों में बनाते हैं गुलाम

विचार करो जरा सम्हल कर
वर्ना गुलाम बनोगे जीवन भर
विचारों का ही परिणाम है यह वर्तमान
जैसा विचार करोगे वैसा ही होगा विधान

मन में जैसा विचार होगा
ब्रह्माण्ड में वैसा सृजन होगा
विचार के साथ रहो हर्षित
तभी परिणाम होंगे आकर्षित

विचार का यदि देखना है असर
एक ही विचार करो अक्सर
विचार करो सोच समझकर
ब्रह्माण्ड पर होगा तुरंत असर

विचार हैं संसार में सार
ब्रह्माण्ड को करते हैं तैयार
नये तरीके अपनाओ वक्त के अनुसार
एक दिन अवश्य होंगे विचार साकार

कोई महाशक्ति है ब्रह्माण्ड में
इसे मानो सदा परम सत्य
वैज्ञानिकों ने पाया है
सबूत के अनेकों तथ्य

पिण्ड और ब्रह्माण्ड में नहीं है अंतर
जो ब्रह्माण्ड में है वही है पिण्ड के अंदर
विचार करते ही जुड़ता है तुरंत ब्रह्माण्ड से
प्रभावित होता है ब्रह्माण्ड मानव के विचार से

शुरूवात करें शून्य से
सहयोग मिलेगा ब्रह्माण्ड से
आपका एहसास ही
राह निकालेगा शून्य से

सीमित सोच ही देता है
सीमित सफलता
असीमित सोच बनाएं
तब मिलेगा असीमित सफलता

गिलास को आधा भरा देखो
आधा खाली नहीं
निराशा पाप है
कभी निराश होना नहीं

विचार फैलता है ब्रह्माण्ड में
तरंगों के माध्यम से
करो विचार सदा पूरे मन से
न रहे मतलब संसार से

धैर्य रखो विवेक से
साहस से सदा काम करो
ब्रह्माण्ड देगा सहयोग
मन से डर दूर करो

छोटी चीजों से विचार शक्ति का करो प्रयोग
आकर्षण के नियम का जीवन में करो उपयोग
ब्रह्माण्ड नहीं जानता क्या है उचित या अनुचित्त
वह तो उत्तर देता है जैसा विचारता है चित्त

विचार आकर्षित करता है समान विचारों को
प्रकट करता है विचार इच्छित घटनाओं को
अच्छे विचार से बढ़ता है मन का आत्मविश्वास
मन असीमित शक्ति है मन भगवान का निवास

ब्रह्माण्ड की अनंत उर्जा सब में होगी प्रकट
हर पल समझो अपने को ईश्वर के निकट

अंधेरे में  दीया भी राह दिखा सकता है
  सकारात्मक विचार जीवन संवार सकता है
विचारों के कारण ही हुए इतने आविष्कार
समझो विचारों को विचारों से होंगे चमत्कार

विचार जुड़ता है ब्रम्हाण्डीय ऊर्जा के साथ
अच्छे विचार करो सदा विश्वास के साथ।

       8.इंसानियत

अक्सर मेरे मन में विचार आता है कि---
क्या होता होगा उन बच्चों का
जो यतीम होते हैं
घर तो दुनिया में
बहुत होते हैं
पर उनका कोई अपना
घर नहीं होता
अनुमान है कि वे महफूज घरों के
तलाश में होते हैं
मगर उन्हें महफूज घर
अक्सर नहीं मिलता
जिसे वे शरीफ समझते हैं,शायद?
वह शरीफ नहीं होता
आइए एक प्रयास हम भी करें
उनके मन में एक विश्वास पैदा करें
इस दुनिया में कोई एक कोना
अवश्य है,
जिसे देख लगे कि इंसानियत
अब भी कायम है।

      9.ख्वाब

मीठे ख्वाब जीवन के सजाकर काले पंखों पर
छूना चाहूं सितारों को या उनसे ऊपर
उड़ना चाहूं दूर तक उनमुक्त गगन में
जहां से पृथ्वी तो दिखे मगर उस पर डरती जिंदगी नहीं

देखा है एक ख्वाब मन में
कि पंछी की तरह ऊपर उड़ू एक दिन
मुक्त होकर संघर्ष- चक्र से
शुद्ध ताजी आक्सीजन के साथ,साथ हों तो सिर्फ
अपने ख्वाब और न सुनाई दे
ये शोर लगातार मशीनी हुई जिंदगियों का

गुजरे हैं यों दिन और रात निहारते हुए ऊपर
और घिसते हुए उसी भंवर में
ख्वाबों को संभाले मन में

नजर फंसी हुई दुनिया के संघर्ष चक्र में
और पांव नित गतिमान इसी आशा में
कि मिलेगा वो एक लम्हा कभी जीवन में
जब पंछी की तरह उड़ूंगा और नीचे रह जाएगा
ये दर्द ये जख्म ये भ्रमित हुए करोड़ों चेहरे

यकीन अभी भी उतनी ही कमसिन है क्योंकि
सितारे अब भी उतने ही चमकीले हैं।

   10.तुम

जब तुम्हारी याद आती है तो
जानती हो
सबसे ज्यादा क्या याद आता है?
--क्या कोयल को लजाती हुई तुम्हारी बोली?
--क्या गुलाब को फीका करता हुआ मुख?
--क्या चंदन-चंदन महकता बाहुपाश?
--क्या मेघों के बीच चमकती बिजली सी हंसी?
--क्या झील सी गहरी आंखें?
--क्या खजुराहो को शिल्प सिखाता हुआ कोई
    महाप्रणय?
    नहीं! नहीं
     यह सब तो
     मेरी कल्पना भर है।
     मुझे याद आती है
     बीते समय की वह संशय की घड़ी
     जब यह आशा कभी-कभी टूट जाती थी कि-
     इस संसार में
    अब भी ऐसा प्रेम हो सकता है कि---
     मिलन के बिना भी
     प्रेम का कोई और रूप हो सकता है।

                  2.

केवल मृगमरि चींका नहीं तुम्हारी यादें
खुले मन की भुमि में
कांटों भरे यादों में
एक पुष्प की तरह ताजा है याद तुम्हारा
अब अधिक स्पष्ट दिखाई दे रहा है
यहां तक कि
धुंध में भी
अब ज्यादा स्वच्छ -सुन्दर दिखने लगा है
रात में तो
खुमारी सपने में चमक ही उठती है
यदि तुम भी यही सोचती हो
तो आओ कभी या आता हूं में
सारी सृष्टि को ले चलें अपने साथ
नफरत मिटा
नये विश्वास का नया
इश्क रचें
इसी दुनिया में
कि जीवन के बाद भी जाये
यह विश्वास के साथ
जैसे जाता है बसंत
नये -नये ......नये -नये रूपों में आने के लिए।

             11.मंजिल

कौन कहता है कि मंजिल मिलता नहीं
लोग भरपूर मेहनत कभी करते नहीं
मंजिल पाने को क्यों तरशते हैं
कठिन मेहनत से क्यों बचते हैं
नदी की तरह चलते रहना
रूकावटों को पार करते रहना
मन में सदा उत्साह बनाए रखना
राह में मिले असफलताओं से सीखना
मंजिल के लिए पैशन जरूरी है
दूसरों की बातों में आना नहीं है
मंजिल के लिए लक्ष्य बनाओ
धीरे-धीरे पग आगे बढ़ाओ
कौन कहता है काम कठिन लगेगा
यदि मन पर विवेक का लगाम होगा
चिंता छोड़ो कर्म कुशलता से करो
हार जीत जो भी मिले  प्यार करो
मेरा सच्चा अनुभव यही है
सफलता की चाबी आपके पास है
अपने बुद्धि का सदुपयोग करो
यही सबसे बड़ा गुरू है यकीन करो
सफलता का कोई बिशेष राज नहीं है
विवेक,मेहनत व धैर्य का परिणाम है
कौन क्या करता है ये नहीं देखना
सदा अपने लक्ष्य पर नजर रखना
गुणियों का संग है फायदे मंद
गुणी पाओगे हजारों में चंद।

12.असली प्राचीन महाइन्द्रजाल

जब मैं पढ़ता था कक्षा दसवीं में
उस समय था कुछ परेशानी में
मां बाप में होता था तकरार बहुत
मुझे घबराहट होती थी बहुत

घरवालों की बातें पिता नहीं मानते
कामचोरी भी करते और हमें डराते
  सुना था इंन्द्रजाल में बहुत मंत्र होते हैं
साधना करने से  देवी -देवता आते हैं

एक दिन बाजार में बहुत भीड़ था
मढ़यी मेला में एक पुस्तक वाला था
वहां गया देखा -असली प्राचीन इंन्द्रजाल
सोचा इसकी साधना से बनूंगा मालामाल

पुस्तक खरीद कर घर लाया, करने लगा साधना
सोच रहा था सिद्ध होकर, दिखाउंगा अब देखना

पागलपन का शिकार हुआ घर वाले हैरान
तब एक तांत्रिक बाबा ने बचाया मेरी जान
तांत्रिक बाबा के घर जब ले गये मेरे परिजन
  ऐसी साधनाएं और न करने का लिया वचन


गांव के तांत्रिक ठीक न कर पाए
मेरे कारण घर वाले भी दुख पाए
अजीब हरकत करता था
बातें किसी से नहीं करता था
खान पान पर ध्यान नहीं था
नींद कभी आता नहीं था

खाने पीने की अजीब मांगें करता में जब
हरकत देख परेशान हुए थे घरवाले सब

बच्चे आप ऐसा जीवन में कभी न करना
  मंत्र-तंत्र साधनाओं में मुश्किल है बचना
बड़ों से सलाह लेना, अच्छी पुस्तकें पढ़ना
कुछ करने से पहले विचार अवश्य करना

यह मेरे जीवन की है सत्य घटना
बहुत खतरनाक है ये तंत्र साधना

रहस्यमय है असली प्राचीन महाइन्द्रजाल
खेल समझने पर बन सकता है यह काल

ब्रह्माण्ड में हैं कुछ पारलौकिक शक्तियां
इनको साधने व पाने की हैं कुछ विधियां

बना है इन्हें समझने बाबत महाइन्द्रजाल
सहज में कभी नहीं होता कोई मालामाल

  जब आए जीवन में कभी विकट समस्या कोई
   तब अच्छे लोगों से सलाह लेना न डरना भाई।        


        अनिल कुमार देहरी
        
गांव -भोजपल्ली ,पो.-लोईंग,
जिला -रायगढ़,(छग)
anildehari2986@gmail.com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: अनिल कुमार देहरी की कविताएं
अनिल कुमार देहरी की कविताएं
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgbZMHLoGUR4OCIhlCMH2fddRYJCQW2ucT4D3hoZmNO5mGoEeNC4ocUzKAHZt11Akes2CLLDiuu7wFr652TqN-hodWVD0p8YKkEdrbF6GH6eRvGYnL_h0xHKSWeoUEqxT4QNtYB/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgbZMHLoGUR4OCIhlCMH2fddRYJCQW2ucT4D3hoZmNO5mGoEeNC4ocUzKAHZt11Akes2CLLDiuu7wFr652TqN-hodWVD0p8YKkEdrbF6GH6eRvGYnL_h0xHKSWeoUEqxT4QNtYB/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/11/blog-post_31.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/11/blog-post_31.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content