जिम्मेदारी की चादर - विनोद सिल्ला की कविताएँ

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1. जिम्मेदारी की चादर मैं हूँ अध्यापक बच्चों को इतिहास-भूगोल राजनीति-शास्त्र पढ़ाता हूँ अनेक बार अध्यापन में देश को कृषि प्रधान बत...

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1.
जिम्मेदारी की चादर

मैं हूँ अध्यापक
बच्चों को
इतिहास-भूगोल
राजनीति-शास्त्र
पढ़ाता हूँ
अनेक बार अध्यापन में
देश को
कृषि प्रधान बताता हूँ
उन्हीं छात्रों को
छुट्टी के बाद
दुकानों पर
बाल श्रमिक पाता हूँ
हालात पाठ्य-पुस्तकों को
गलत साबित करते हैं
कितने नौनिहाल
भीख मांग कर
पेट भरते हैं
अक्सर ये बच्चे
वक्त से पहले ही
बड़े हो जाते हैं
जिम्मेदारी की चादर ओढ़
बचपन की चारपाई से
खड़े हो जाते हैं

-विनोद सिल्ला©

2.
करके तो देखिए

उनकी दाढ़ी
ऐसे क्यूं
उनकी मूंछें
ऐसी क्यूं
उनकी चोटी
उनकी टोपी
ऐसे क्यूं
उनका ये क्यों
उनका वो क्यों
इनके अलावा भी
अनेकों हैं गंभीर मुद्दे
संसद में जिन पर
हो सकती है चर्चा
हो सकता है विकास
नेता जी
सांप्रदायिकता ही नहीं
विकास भी
दिलवा सकता है वोट
करके तो देखिए

-विनोद सिल्ला©

3.
पास-पास रहते भी

मिट्टी
वैसी ही
अटारी की है
वैसी ही बाघा की है
वैसी ही जलवायु
अटारी की है
वैसी ही बाघा की है
अनेकों बार
इकट्ठे झेला दोनों ने
सूखा, ओलावृष्टि, अतिवृष्टि
और भी अनेकों प्रकार की
प्राकृतिक आपदाएं
आज भी
अटारी की
गुरबाणी की आवाजें
गूंजती हैं बाघा में
बाघा की अजान
सुनती है अटारी में
दोनों गांवों के नागरिक
होते थे शामिल
एक-दूसरे की
गमी-खुशी में
लेकिन कांटेदार तारों की
बाड़ ने
कर दिया बहुत दूर
पास-पास रहते भी

-विनोद सिल्ला©

4.
देशभक्ति

छब्बीस जनवरी के बाद
आज स्वतंत्रता दिवस पर
पूरे यौवन पर थी देशभक्ति
खूब बजे
देशभक्ति के गीत
जो आज शाम को
रख दिए गए
संभाल कर
छब्बीस जनवरी तक

खूब दिए गए भाषण
देशभक्ति से ओत-प्रोत
तमाम वक्ता
कल फिर खो जाएंगे
रोज मर्रा के
कार्यकलापों में

छब्बीस जनवरी तक
देशभक्ति भी करेगी
विश्राम

-विनोद सिल्ला©

5.
बेटी

जीवन की
सबसे अनमोल
नियामत है बेटी
कुदरत की
सबसे हसीं
अमानत है बेटी
तपते मरुस्थल में
शीतल जल है बेटी
आज है बेटी
कल है बेटी
भीषण गर्मी में
ठंडी बयार है बेटी
अंतिम सांस तक
मां बाप की
खिदमतगार है बेटी
प्यार है बेटी
झंकार है बेटी
पूरा संसार है बेटी

-विनोद सिल्ला©

6.
बेपरवाह

हम
प्राकृतिक आपदाओं से
हो कर बेपरवाह
करते हैं प्रकृति का
अंधाधुंध दोहन
झेलते हैं उसका
दुष्परिणाम
सबसे पहले इंसान ने
किया खिलवाड़
खुद के साथ
हो कर बेपरवाह
बांट लिया
असंख्य जातियों में
अनेक धर्मों में
उन जातियों-धर्मों ने
कर लिया
विकराल आपदा का
रूप धारण
आज झेल रहा है इंसान
भेदभाव के रूप में
या दंगों के रूप में

-विनोद सिल्ला©

7.
ताजा खबर

बिलकुल
ताजा खबर है
जो अखबार में भी
नहीं आई
किसी चैनल ने भी
नहीं बताई
आकाशवाणी ने भी
नहीं सुनाई
चौपालों में भी
जिसकी चर्चा
नहीं चली
यह खबर
सोशल मीडिया पर भी
नहीं आई
किसी वेब चैनल
पर भी नहीं
खबर यह है कि
गुम हो गया भाईचारा
इस नवदौर में

-विनोद सिल्ला©

8.
समझ से परे

मरने के बाद
स्वर्ग से
या फिर
नर्क से
कोई नहीं आया
वापस लौट कर
फिर
स्वर्ग का मजा
और
नर्क की सजा
का वर्णन
किसने किया
ग्रंथों में
समझ से परे है

-विनोद सिल्ला©

9.
बैंक मूर्छित हैं

सरकार संग
आती थी
हर रोज
उनकी फोटो
संचार के माध्यम से
बैंक हिम्मत न
जुटा पाया
कर्ज देने से
इंकार करने की
आज सभी बैंक
मूर्छित हैं
उनके विदेश गमन से
थोड़ी-थोड़ी संजीवनी
चोरी-छुपे
ली जा रही है
आम-जन के
खातों से
ताकि होश में
लाए जा सकें बैंक

-विनोद सिल्ला©

10.
तब अवतार नहीं लिया

असुर व राक्षस
थे यहीं के वासी
समय-समयपर
आते रहे भगवान
लेकर अवतार
असुरों का
राक्षसों का
करते रहे संहार
बताते रहे
उसे धर्मयुद्ध
लेकिन यहीं पर आए
मुगल, फिरंगी,
गुण, शक, डच
फ्रांसीसी, पुर्तगाली व
अन्य विदेशी आक्रमणकारी
तब नहीं लिया
किसी ने अवतार
तब नहीं किया
धर्मयुद्ध का ऐलान
होने दिया
देश गुलाम
जाने क्यों?

-विनोद सिल्ला©

11.
श्रृंगार

मेरी मां
नहीं देखीं मैंने
कभी भी
श्रृंगार किए

मैंने देखा
सदैव उनको
ममता, मैत्री,
करूणा के
श्रृंगार लिए

बहुएं नहीं
आईं उसके घर
आई हैं दो बेटियाँ
जिन्हें मां ने
मां के ही
स्नेह-दुलार दिए

सासु नहीं
बनी कभी भी
रही तत्पर
मां का
प्यार लिए

मेरी मां
नहीं देखीं मैंने
कभी भी
श्रृंगार किए

-विनोद सिल्ला©

12.
बहुत देखे हैं

उसने मुझसे
ईर्ष्या-वश कहा
तेरे जैसे
बहुत देखे हैं
मैंने कहा
उपयोगी वस्तुओं का
उत्पादन
बड़ी मात्रा में
होता है
सुनकर वो
अवाक रह गया

-विनोद सिल्ला©

13.
आंसू

आँसू
नहीं छोड़ते साथ
उम्रभर
हर गमी-खुशी में
दे देते हैं दस्तक
सबसे पहले

ये नहीं आते
औपचारिकता निभाने
या मात्र दिखावा करने

ये शायद नहीं जानते
दुनियादारी की बातें
औपचारिकता
दिखावा
आदि-आदि

-विनोद सिल्ला©

14.
मेरी जेब के रुपए

उन्हें
मैं स्वीकार्य नहीं
लेकिन मेरी जेब के
रुपए स्वीकार हैं

उन्हें
मुझसे परहेज है
मेरी जेब के
रुपयों से नहीं

उन्हें
मुझसे नफरत है
मेरी जेब के
रुपयों से नहीं

वो नहीं चाहते
मेरी देहली लांघना
लेकिन चाहते हैं
मेरी जेब के
रुपए पाना

-विनोद सिल्ला©

15.
डरा-डरा हूँ

डरा-डरा हूँ
भीड़ से
सहमा-सहमा हूँ
भीड़ से
जाने कौन
भीड़ का हिस्सा
घड़ दे कोई
नया-सा किस्सा
ठहरा दे मुझे
बच्चा चोर
या ठहरा दे
गौ मांस खोर
या लगा दे
आरोप कोई और
बन न जाऊं
जनसमूह का ग्रास
अमन-चैन का न
हो जाए ह्रास
डरा-डरा हूँ
भीड़ से
सहमा-सहमा हूँ
भीड़ से

-विनोद सिल्ला©

16.
जिम्मेदारी की चादर

मैं हूँ अध्यापक
बच्चों को
इतिहास-भूगोल
राजनीति-शास्त्र पढ़ाता हूँ
अनेक बार अध्यापन में
देश को कृषि प्रधान बताता हूँ
उन्हीं छात्रों को छुट्टी के बाद
दुकानों पर
बाल श्रमिक पाता हूँ
हालात पाठ्य-पुस्तकों को
गलत साबित करते हैं
कितने नौनिहाल
भीख मांग कर
पेट भरते हैं
अक्सर ये बच्चे
वक्त से पहले ही
बड़े हो जाते हैं
जिम्मेदारी की चादर ओढ़
बचपन की चारपाई से
खड़े हो जाते हैं

-विनोद सिल्ला©

17.
वक्त

वक्त
नहीं करता
किसी की परवाह
और उनकी तो
बिल्कुल नहीं करता
जो वक्त की
परवाह नहीं करते

वक्त
सबका आता है

जो करता है
वक्त की कदर
वक्त भी करता है
उसकी कदर

ये वक्त ही है
जो निकल रहा है
मुट्ठी से
बालू रेत की तरह

-विनोद सिल्ला©

18.
सूर्य के सात घोड़े

अनेकों
पौराणिक कथाओं में
वर्णित है
सूर्य के रथ को
खींचते हैं
सात घोड़े
परन्तु सूर्य है स्थिर
करता है सिद्ध
विज्ञान का शोध
करती है परिक्रमा
सूर्य के चारों ओर पृथ्वी
समझ नहीं आता
विज्ञान सही है
या पुराण
अपेक्षित है
आपका मार्गदर्शक

-विनोद सिल्ला©

18.
पायल

नहीं लगती पायल
गहनों सी
कदम-कदम पर
लगती है पर्यायवाची
बेड़ी की
जो स्नेह से
डाली गई
नारी के पाँव में
लगाने को अंकुश
उनकी गति पर
करने को सीमित
उनकी स्वतंत्रता
लांघ न दे
घर की देहली
कहीं निकल न जाए
पुरुषों से आगे
बेड़ी को दे दिया
आकर्षक नाम
पायल

-विनोद सिल्ला©

1.
अमरता

ढूंढ़ता है इंसान
अमरता का रहस्य
पूजा-पाठ में
धर्म-स्थलों में
धर्म-ग्रंथों में
तंत्र क्रियाओं में
नाना प्रकार के
क्रिया-कलापों में
जबकि अमरता मिलती है
रोजमर्रा के कार्य
संजींदगी से करने से
भले ही देह
हो जाती है नष्ट
लेकिन कार्य
रहते हैं
अजर-अमर
इंसान के
जाने के बाद भी

-विनोद सिल्ला©
2.
सरकारों के बाप

जब भी
बदलती है सरकार
बदल जाती हैं नीतियाँ
नई नीतियाँ
बनाती है सरकार
अपने बाप के नाम पर
बदल जाती हैं
पुरानी नीतियाँ
जो थीं
पुरानी सरकार के
बाप के नाम पर
बदल जाती हैं
छात्र-छात्राओं की पुस्तकें
हो जाते हैं शामिल
पाठ्यक्रम में
नई सरकारों के बाप
निकाल दिये जाते हैं
पाठ्यक्रम से
पुरानी सरकारों के बाप
राष्ट्रहित सदैव
रहता है उपेक्षित

-विनोद सिल्ला©
3.
शहर में विधायक

शहर की सभी सड़कें
जा रही थीं बुहारी
सफाईकर्मी थे
तर-ब-तर पसीने में
प्रशासनिक अमले की गाड़ियाँ
लगा रही थी गश्त
पत्रकार भी
कैमरा उठाए
थे भागमभाग
सफेदपोश भी
शहर में जुटते से
हुए प्रतीत
आम लोगों में थी चर्चा
शायद आज विधायक
शहर में ही है

-विनोद सिल्ला©
4.
राजनीति

उनका व्यवहार
एकान्त में
था बड़ा आकर्षक
जैसे वो
अपने हैं मेरे
और लोगों के सामने
बदले-बदले
आए नज़र
मैं देखकर
यह बदलाव
रह गया आवाक
शायद इसी को
कहते हैं
राजनीति

-विनोद सिल्ला©
5.
सरपंच का चुनाव

वो मुंहफट
कटुभाषी
व झूठ फरेब वाला
जीत गया
गाँव में
सरपंच का चुनाव

हरा दिया
लोगों ने
एक मृदुभाषी
न्यायप्रिय
सत्यवादी को

जाने क्यों
सभी उससे
डरते थे?

-विनोद सिल्ला©
6.
गणतन्त्र दिवस

आज था
गणतन्त्र दिवस
सरकार के साथ ही
बदल गए
आयोजन के तौर-तरीके
बदल गए
मुख्यवक्ता के वक्तव्य
बदल गई
मंच की गरिमा
जबकि गणतन्त्र दिवस
हमेशा की तरह
वही था
संविधान का
लागू होना
बदल गया था
बाकी सब कुछ

-विनोद सिल्ला©
7.
जन सेवा

किए जाते हैं खर्च
कई-कई लाख रुपए
छपवाए जाते हैं इश्तिहार
लगवाए जाते हैं होर्डिंग
किया जाता है दावा
ईमानदार होने का
होती है मारो-मार
किए जाते हैं वादे
जनसेवा के
हो जाते हैं दंगें
घुल जाता है ज़हर
गाँव की फिजां में
चुनाव जीतने पर
मिलता है वेतन
नाममात्र ही
बांटी जाती हैं फिर भी
बोतलें शराब की
इतना सब
मात्र जनसेवा के लिए तो
कोई नहीं कर सकता

-विनोद सिल्ला©
8.
शब्दों का अर्थ

उनके शब्द
स्पष्ट थे
परन्तु
उन शब्दों के
नहीं थे
अर्थ स्पष्ट
सबने अपने-अपने
विवेक से
निकाले अर्थ
उन शब्दों के
अर्थ का
कर दिया अनर्थ
वो शब्द
किसी को भाए
तो किसी को
कचोटते नजर आए

-विनोद सिल्ला©
9.
नहीं सिखाई मोहब्बत

बच्चे खेलते-खेलते
लगते हैं लड़ने
हो जाते हैं
आधे इधर
आधे उधर
हो जाती है गुटबन्दी
जब वो होंगे बड़े तो
गुटबन्दी भी
होगी बड़ी
अगर वो सीख जाते
मोहब्बत
जो उनकी
उम्र के साथ-साथ
हो जाती बड़ी
फिर न कोई
हिन्दू होता
न कोई मुसलमान
सभी होते इंसान

-विनोद सिल्ला©
10.
व्यक्ति का मूल्यांकन

व्यक्ति वही था
बस आज
नहीं था पैदल
बदल गया
लोगों का नजरिया

व्यक्ति वही था
बस पैंट-कोट में था
अपरिचित भी
इज्जत से पेश आए

व्यक्ति वही था
बस आज
बड़े आदमी को साथ था
परिचित भी बदले-बदले
नजर आए

मुझे लगा व्यक्ति का मूल्यांकन
उसके गुणों से नहीं
बाहरी आवरण से
होता है

-विनोद सिल्ला©

 



परिचय

नाम - विनोद सिल्ला
शिक्षा - एम. ए. (इतिहास) , बी. एड.
जन्मतिथि -  24/05/1977
संप्रति - अध्यापन

प्रकाशित पुस्तकें-

1. जाने कब होएगी भोर (काव्यसंग्रह)
2. खो गया है आदमी (काव्यसंग्रह)
3. मैं पीड़ा हूँ (काव्यसंग्रह)
4. यह कैसा सूर्योदय (काव्यसंग्रह)
5. जिंदा होने का प्रमाण(लघुकथा संग्रह)

संपादित पुस्तकें

1. प्रकृति के शब्द शिल्पी : रूप देवगुण (काव्यसंग्रह)
2. मीलों जाना है (काव्यसंग्रह)
3. दुखिया का दुख (काव्यसंग्रह)

सम्मान

1. डॉ. भीम राव अम्बेडकर राष्ट्रीय फैलोशिप अवार्ड 2011
(भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा)
2. लॉर्ड बुद्धा राष्ट्रीय फैलोशिप अवार्ड 2012
(भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा)
3. उपमंडल अधिकारी (ना) द्वारा
26 जनवरी 2012 को
4. दैनिक सांध्य समाचार-पत्र "टोहाना मेल" द्वारा
17 जून 2012 को 'टोहाना सम्मान" से नवाजा
5. ज्योति बा फुले राष्ट्रीय फैलोशिप अवार्ड 2013
(भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा)
6. ऑल इंडिया समता सैनिक दल द्वारा
14-15 जून 2014 को ऊना (हिमाचल प्रदेश में)
7. अम्बेडकरवादी लेखक संघ द्वारा
कैथल  में (14 जुलाई 2014)
8. लाला कली राम स्मृति साहित्य सम्मान 2015
(साहित्य सभा, कैथल द्वारा)
9. दिव्यतूलिका साहित्य सम्मान-2017
10. प्रजातंत्र का स्तंभ गौरव सम्मान 2018
(प्रजातंत्र का स्तंभ पत्रिका द्वारा) 15 जुलाई 2018 को राजस्थान दौसा में
11. अमर उजाला समाचार-पत्र द्वारा
'रक्तदान के क्षेत्र में' जून 2018 को
12. डॉ. अम्बेडकर स्टुडैंट फ्रंट ऑफ इंडिया द्वारा
साहब कांसीराम राष्ट्रीय सम्मान-2018
13. एच. डी. एफ. सी. बैंक ने रक्तदान के क्षेत्र में प्रशस्ति पत्र दिया, 28, नवंबर 2018

पता :-

विनोद सिल्ला

गीता कॉलोनी, नजदीक धर्मशाला
डांगरा रोड़, टोहाना
जिला फतेहाबाद (हरियाणा)
पिन कोड-125120

ई-मेल vkshilla@gmail.com

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नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड 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पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi 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रचनाकार: जिम्मेदारी की चादर - विनोद सिल्ला की कविताएँ
जिम्मेदारी की चादर - विनोद सिल्ला की कविताएँ
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