पुस्तक समीक्षा - कृति:-स्वेटर(कहानी संग्रह) लेखक:- अशोक जमनानी प्रकाशक:-संदर्भ प्रकाशन,भोपाल समीक्षक:- राजेश कुमार शर्मा"पुरोहित"

SHARE:

पुस्तक समीक्षा कृति:-स्वेटर(कहानी संग्रह) लेखक:- अशोक जमनानी प्रकाशक:-संदर्भ प्रकाशन,भोपाल समीक्षक:- राजेश कुमार शर्मा"पुरोहित"   ...

पुस्तक समीक्षा

कृति:-स्वेटर(कहानी संग्रह)

लेखक:- अशोक जमनानी

प्रकाशक:-संदर्भ प्रकाशन,भोपाल

समीक्षक:- राजेश कुमार शर्मा"पुरोहित"

   अशोक जमनानी जी के इस कहानी संग्रह में कुल पन्द्रह कहानियाँ हैं। 128 पृष्ठ की इस कृति की कहानियों को आकाशवाणी भोपाल ने पिछले कुछ वर्षों में प्रसारित किया था। आकाशवाणी के कार्यक्रम अधिकारी साकेत अग्निहोत्री  का लेखक को पूर्ण मार्गदर्शन व आत्मीयता मिली।इस कृति की आमुख कथा स्वेटर में अमोल के स्वेटर व प्रेम प्रसंग की चर्चा हर जुबान पर हो जाती है। कोई कहता ये स्वेटर उसकी माँ की आखरी निशानी है। कोई कहता अमोल तांत्रिक के चक्कर मे आ गया। बुरी नज़र से बचने के लिए भद्दा स्वेटर पहनता है। असल मे अमोल ने वह स्वेटर फुटपाथ से खरीदा था। अगली कहानी चोर में सेठ द्वारा लड़को को गश्त लगाने के लिए तुरंत रुपये देने की हाँ भरने की बात पर सभी को आश्चर्य हुआ। खुद अपनी धर्मपत्नी को भी वे सच बात नहीं बताते हैं कि कम्बल ओढ़कर बैठा वह व्यक्ति खुद सेठ जी ही थे।  सेठानी जब पूछती है तो वे कहते हैं घबराहट का कारण ये है कि पुराना मकान जो बिक गया उसकी पूरी रकम सेठ घर ले आये थे। जुगल को लग रहा था कि चोर सेठ की हवेली में है। लाला कितना समझदार निकला। अगली कहानी सुन्दर में बुआ कहानियाँ सुनाती है ।उनकी कहानियों में भूत प्रेत चुड़ैलों को सुंदर बताती थी। कार्तिक कहता बुआ भला चुड़ैल बहुत डायन भी सुंदर रहती है क्या ?

  कार्तिक बुआ से कहता है कि वह एक दिन गक्त सिद्ध करके ही दम लेगा की बुआ गलत बताती है। कार्तिक सिविल सर्विसेस की तैयारी करता है। कार्तिक कहता भूत प्रेत रूप बदलकर सुन्दरता का धोखा दे सकते हैं लेकिन सुन्दर नहीं होते। बुआ उसे माँ का स्नेह भी देती और दोस्त का साथ भी। कार्तिक नये शहर चला जाता है। उसे सिविल सर्विसेस में सफलता मिल जाती है। उसकी शादी हो जाती है। उसके बच्चे बड़े हो जाते है। बुआ से मिलने कार्तिक जा नहीं पाया। दस बरस बीत गए। एक दिन वह बच्चों से वादा करता है कि मैं तुम्हें दुनिया की सबसे बेहतरीन कहानियां कहने वाली हस्ती से तुम्हें मिलवाऊंगा। तब बुआ बताती है कि ये मेरे पति और उस औरत की तस्वीर है जिसे मेरे पति ने मुझसे शादी के बाद रिश्ता जोड़ लिया था। पुरानी होने के बावजूद तस्वीरों में चेहरे बेहद स्पष्ट थे। बुआ की कहानियों मे जितने भूत प्रेत चुड़ैलें सुन्दर होती है।

  परकम्पा वासिनी कहानी में बताया कि माँ घर परिवार के लिए कितने रूप धारण करती है जब बेटे माँ को घर से बाहर निकाल देते हैं उस समय वह माँ आत्महत्या करने के लिए नर्मदा मैया में डूबने के लिए तैयार हो जाती है। अचानक वह परिक्रमा के साथी से मिल जाती है। अपने मधुर कंठ का मोल उसे जान पड़ता है। वह गाँव गाँव भजन सुनाती अब परिक्रमा में आगे चलती पीछे उसके भीड़ चलती। वह परकम्पा वासिनी बन परिवार तार देती है। लफ्फाज कहानी भी इस कृति की श्रेष्ठ कहानी लगी।

   टिकिट कहानी में गोकुल के पास टिकिट नहीं रहता है। दस रुपये में कंडक्टर अंदर बिठाते हैं पाँच रुपये में बस के पीछे लटक कर जाना पड़ता है। पन्द्रह किलोमीटर। सड़क पर हाथ छूटे तो गिरने का डर। किसानों की समस्या अतिवृष्टि होने पर खेत मे बीज गल जाता है। बारिश समय पर नहीं होती। बीज के लिए उधार लेने पड़ते हैं। कर्ज़ नहीं चूकता। अस्पताल में इलाज के लिए कर्ज लेना पड़ता है। मुसीबत के दो नहीं बीस हाथ होते हैं। ये जो बस का कंडक्टर है ना वो ही मेरा बेटा है। अतीत में यही गोकुल सब्जियाँ बेचता था। वर्तमान में इसके पास केवल पाँच रुपये हैं।

  रंग कहानी में शिशिर व मेघना के रिश्तों का रंग इसमें बताया है। इस कहानी में बताया कि होली प्राकृतिक रंगों से खेलना चाहिए। पलाश में इत्र मिलाकर होली खेलिए। केमिकल के रंगों से त्वचा को बहुत नुकसान होता है। रिश्तों के रंग आपसी प्रेम व अपनत्व से गहरे होते हैं। एक अच्छी कहानी।

   उल्टी चप्पले कहानी में छोटी बिटिया को पिताजी कहते है बेटे गिर जाओगे चप्पल उल्टी है। वही बेटी बड़ी हो जाती है। पिताजी वृद्धावस्था में आते हैं तो बिटिया कहती है पिताजी चप्पलें उल्टी है आप सही पहनों गिर जाओगे।

    झुर्रियाँ कहानी में सगुनी दस लीटर दूध मे चोरी छिपे एक लीटर पानी मिलाती है। बारिश में गांव कैसे अस्त व्यस्त हो जाते हैं। रास्ते बन्द हो जाते हैं ।आवागमन ठप्प हो जाते हैं। सुन्दर चित्रण कहानी में किया है । सगुनी आजी की गोद मे सर रखती है तो दमकते सगुनी के चेहरे पर झुर्रियां दिखती हैं।

   अलग कहानी में सुगंधा आत्महत्या की कोशिश करती है। वह निलय से कहती है। तुम मेरा व विक्रम का तलाक करा दो। मेरा और विक्रम का साथ रहना असंभव है। वकील हाँ भर लेता है। वकील कहता है पति पत्नी सहमत है तो तलाक हो जाएगा।

विचारों का मेल नहीं होने से परिवार कैसे बिखरते हैं। इस कहानी में लेखक ने बताने का प्रयास किया है

   अलमारी कहानी में वितान और नव्या शहर के छोटे मकान में रहते हैं। वितान को धूल से एलर्जी है। नव्या बार बार सफाई करती है। लेकिन शयन कक्ष में रसोई घर होने से पिछले कमरे में सामान रखने जाती। कोई आ जाता तो साफ करती। फिर रसोई का काम करना हो तो सामान लाती। एक दिन वितान उसे पीहर भेज देता है।  नव्या नई अलमारी पर एक चिट्ठी छोड़ चल जाती है।दस दिन बाद नव्या का फोन आता है। नई अलमारी से सभी सामान व्यवस्थित जम जाते हैं। अलमारी लक्की निकली। मेरी पगार दस हज़ार बढ़ गई। फोन पर नव्या को सुना कर दोनों के चेहरे खिल गए।

   लाल चीटियां कहानी में पुराने स्कूल की प्राकृतिक छटा का सुंदर वर्णन किया जिसमें बताया कि स्कूल में बरगद पीपल नीम के पेड़ हैं।कनेर गुलमोहर भी है। राजीव  गौरी को स्कूल की सबसे पुरानी टीचर माधवी से मिलाता है। गौरी कॉलेज में पढ़ाती है। रिसर्च करती है। उसके पांच साल की बेटी स्नेहा भी है। माधवी उसे पढ़ाने के लिए तैयार हो जाती है।

इस कहानी में बताया कि नोकरी के लिए प्रिंसिपल जो बेटी कह कर पुकारता था। आज शर्त रखता है कि तीन चार दिन उसके साथ घूमने जाए तो नोकरी पक्की कर देगा। जब माधवी घर आकर ये बात बताती है वह पति सास ससुर से साथ देने की कहती है । वह थाने में रिपोर्ट लिखाने की कहती है। मगर रात भर परिवार के सदस्य फैसला कर सुबह उसे बुलाकर कहते है  न्याय मिलते मिलते तेरी उम्र बीत जाएगी । तू प्रिंसिपल के साथ जा। हमे नोकरी पक्की चाहिए। उसके पाँव से जमीन खिसक गई। वह कॉलेज में लाल चींटी के डर से आलथी पालथी मारकर बैठती थी। आज तो घर पर लाल चींटी ने काटा। उसके पूरे शरीर पर लाल चकते हो गए।

  ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ इस कहानी में बताया है। और उससे होने वाले नुकसान भी। फाल्गुन में गर्मी पड़ रही है। जबकि किसी जमाने मे ठण्ड पड़ती है। शास्त्र जिसे प्रलय कहते है उसे ही विज्ञान में ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं। धर्म और विज्ञान में अंतर बताया है। विज्ञान प्रमाण पर आधारित है। धर्म तर्क पर। तर्क और प्रमाण में अंतर होता है। गाँव मे पंडित आज भी पुरानी रूढ़ियों को मानते है। मधेसर के सिधारने पर उसकी पत्नी सोलह सिंगार कर रहती है। पति की मृत्यु दुर्घटना में होती है। अधोगति में जाने वाले कि सदगति नहीं होती। पूजा पाठ कराना चाहिए। ऐसा व्यक्ति अधम योनि में जाता हैं। विधवा को श्रृंगार नहीं करना चाहिए। आज भी गांवों में ये रूढ़ियाँ है जिन्हें बन्द करने की जरूरत है।मृत्यु भोज में जमीन बिक जाती है। कहानी में बताया कि पन्द्रह बीघा जमीन कैसे इलाज व क्रिया कर्म में खर्च किए जाने पर बिक जाती है। मृत्यु भोज बन्द करना चाहिए। इस पर सरकारी कानून के तहत रोक भी है।

  जमीन कहानी में बरसात के साथ रात भर जागने का अर्थ बताया।नलिनी कहती है इस बारिश के पास बरसने के लाइट कोई जमीन नहीं है।मुझे अपनी जमीन चाहिए। आलोक शादी शुदा है। उसकी पत्नी नेहा बेटे सुशांत के साथ दिल्ली रहती है। बेटे को होस्टल का खाना रास नहीं आया। बेटा बीमार रहने लगा। पति पत्नी दोनों ने निर्णय लिया कि नेहा जब तक वह पढ़ेगा साथ रहेगी। नलिनी का इधर एक्सीडेंट हो जाता है। आठ दिन बाद आलोक उससे मिलता है।नलिनी उसे जवानी से लेकर पूरी कहानी सुनाती है। कैसे एक अमीर लड़के से उसकी शादी घर वालों के कहने पर हुई। पावस नाम का वह लड़का जिस लड़की को चाहता था उसने पावस से शादी नहीं कर दूसरे लड़के से शादी कर ली थी। पावस को दुनिया की कोई भी लड़की हो नफरत हो गई थी। मानसिक रूप से पावस बीमार रहने लगा था घर वालों ने नलिनी जैसे सुशील लड़की से इस विश्वास से शादी कर दी कि सब ठीक हो जाएगा। लेकिन पावस नलिनी से मात्र हवस पूरी करता। उसे मारता पीटता था। पावस विदेश चल जाता है  इधर नलिनी की नोकरी सरकारी अधिकारी की मिल जाती है। दो वर्षोज में वह पावस को चिढ़ाती। दोस्तों के साथ वक़्त बिताती। खुशी मनाती। पावस जेल चला जाता है। जेल से आने के बाद एक दिन पता चलता है कि पावस सारी जायदाद नलिनी के नाम कर आत्महत्या कर लेता है। रिश्तों का सच बयां करती कहानी अच्छी लगी।

  इस कृति की अंतिम कहानी कुम्भ दादी में कुम्भ स्नान का महत्व समझाने का प्रयास किया है। दादी चमडे का काम करने वाले रैदास के हाथ से उज्जैन की शिप्रा नदी से भर कर लाए कलश से नोवाँ कुम्भ स्नान आँगन में बैठ करती है। दादी की आंखें छलक उठी। दोनों कुलों में उजियारा हो गया।

  कहानियों की भाषा सीधी,सरल व बोधगम्य है। मुहावरों व लोकोक्तियों का प्रयोग सुन्दर ढंग से किया है।विवरणात्मक, वर्णनात्मक शेली देखते ही बनती है। घटनाक्रम के अनुसार सजीव चित्रण मिलता है। कहानियों में गजब का कोतुहल पढ़ने को मिलता है। पूरी कहानी पढ़ने की जिज्ञासा होती है।

  पारिवारिक,सामाजिक कहानियों का सुन्दर गुलदस्ता है यह स्वेटर कहानी संग्रह। जमनानी जी को इस कृति से साहित्य जगत में नई पहचान मिले। इसी कामना के साथ हार्दिक बधाई।

- राजेश कुमार शर्मा"पुरोहित"

शिक्षक एवम साहित्यकार

98,पुरोहित कुटी,श्रीराम कॉलोनी,भवानीमंडी जिला झालावाड़ राजस्थान

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. अशोक जमनानी जी का कहानी संग्रह 'स्वेटर' वास्तव में रोचक कहानियों का संग्रह है। सभी कहानियाँ पठनीय है।
    - गुरप्रीत सिंह, श्री गंगानगर, राजस्थान
    www.svnlibrary.blogspot.in

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: पुस्तक समीक्षा - कृति:-स्वेटर(कहानी संग्रह) लेखक:- अशोक जमनानी प्रकाशक:-संदर्भ प्रकाशन,भोपाल समीक्षक:- राजेश कुमार शर्मा"पुरोहित"
पुस्तक समीक्षा - कृति:-स्वेटर(कहानी संग्रह) लेखक:- अशोक जमनानी प्रकाशक:-संदर्भ प्रकाशन,भोपाल समीक्षक:- राजेश कुमार शर्मा"पुरोहित"
https://1.bp.blogspot.com/-fEG86pHXYw0/XGpmzwXVRpI/AAAAAAABM_A/GLiW0Ts6nTAAhmLlLurzEhkD31xo00ezgCK4BGAYYCw/s320/sweater-705708.jpg
https://1.bp.blogspot.com/-fEG86pHXYw0/XGpmzwXVRpI/AAAAAAABM_A/GLiW0Ts6nTAAhmLlLurzEhkD31xo00ezgCK4BGAYYCw/s72-c/sweater-705708.jpg
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2019/02/blog-post_25.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2019/02/blog-post_25.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content