कहानी - अमलतास - रिन

SHARE:

हवा चलती और हर बार अपने साथ झाड़ देती ढेर सारे फूल! जमीन ढकती गई उन पीले फूलों से! झुक उठाया एक फूल.. 'अरे कितना मुलायम और हल्का है ये तो...

हवा चलती और हर बार अपने साथ झाड़ देती ढेर सारे फूल! जमीन ढकती गई उन पीले फूलों से! झुक उठाया एक फूल.. 'अरे कितना मुलायम और हल्का है ये तो,सर!'

नीलेश फूल को हैरानी से उलटता पलटता हुआ बोला!

'अमलतास है ये...तुमने पढ़ा होगा साइंस में...अरे हाँ तुम तो एंथ्रोपोलॉजी पढ़ रहे हो!' प्रोफेसर केदार भी एक फूल उठाते हुए बोले!

पूरे रास्ते सड़क के दोनों ओर अमलतास के पेड़ लगे हुए थे और लदे थे ढेर पीले फूलों से! जब भी चलती हवा तो मानो पीले फूलों की बारिश होने लगती!

'कासिया फिसतुला!' प्रो केदार बोले!

'जी सर!' नीलेश ने हैरान हो प्रो केदार की तरफ देखा!

'इसका नाम है.... इसे गोल्डन रेन ट्री भी कहते है!' केदार फूलों के लटकते गुच्छों को छूते हुए चल रहे थे!

'पर सर इतने पेड़.. आप का फार्म हाउस तो बस इन्ही से ढका हुआ है!' नीलेश चारों ओर देखता हुआ बोला!

'आओ वहां बैठते हैं!' एक बेंच की तरफ इशारा कर केदार बोले!

दोनों बेंच पर बैठे चलती हवा और झड़ते फूलों को खामोशी से देख रहे थे!

'आपको अमलतास के पेड़ बहुत अच्छे लगते हैं!' नीलेश एकटक पेड़ों की तरफ देखता हुआ बोला मानो विश्वास करना चाहता हो कि किसी को कोई पेड़ इतना कैसे अच्छा लग सकता है कि उसने कोई ओर पेड़ ही न लगाया हो!

केदार भी एकटक पेड़ों की तरफ देख रहे थे!

'बचपन में हम बच्चे इन फूलों को खाया करते थे,बकरियों की तरह!' कह कर हँसे केदार!

'पर इन्हें उगाने का कभी सोचा नहीं था... पर आज से कई साल पहले... शायद 1960 की ही बात है,मैं एम एस सी के तीसरे साल में था(आँखें बंद कर जाने कहाँ खोये से बोले रहे थे प्रो.केदार, चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कराहट आयी उनके) अब की तरह कोई इंटरनेट या मोबाइल तो होते नंही थे...बस मैगजीन्स होती थी और किसी कोने में कोई एक फ़ोन बूथ होता था और जिसके बाहर जी टी रोड जैसी लम्बी लाइन होती थी और वो उस रोड की तरह पुरानी होती जाती थी!' कहते कहते रुक गए केदार!

नीलेश ध्यान से प्रो केदार को सुन रहा था, अचानक उनके चुप होने पर उसने उनकी तरफ पलट कर देखा! वो एकटक ऊपर पेड़ों की तरफ देख रहे थे!

'एक दिन डिपार्टमेंट में मेरे नाम एक चिट्ठी आयी... किसी लड़की की थी! मैं तो बस हैरान देखता रह गया! मैं तो अपने डिपार्टमेंट की लड़कियों से तक ठीक से बात नहीं कर पाता था और मुझे कोई चिट्ठी लिखे...और वो भी लड़की... मैं हैरान सा सोचता रह गया और चिट्ठी ले घर आ गया!' केदार कह कर हल्के से हँसे !

'बहुत ही धड़कते हुए दिल के साथ मैंने चिट्ठी खोली...आदरणीय केदारजी, आप का लेख पढ़ा सरसों के फूलों पर! बहुत अच्छा लगा! मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हूँ! शुभकामनाओं के साथ, कादंबरी..... पते के नाम पर पोस्ट बॉक्स नम्बर था.. आदरणीय केदार को ज्यादा नही तो सौ बार मैंने पढ़ा होगा! इतना आदर मैंने अपने आप को कभी नहीं दिया जितना उस दिन दिया था! मैंने चिट्ठी का जवाब उसी दिन फटाफट दिया साथ ही घर का पता भी, मैं नहीं चाहता था कि फिर से डिपार्टमेंट में कोई चिट्ठी आये!' केदार फिर वैसे ही रूके, पर नीलेश ने ज्यादा सोचा नहीं वो वैसे ही पेड़ों की ओर देखता रहा!

'दिन बीतने लगे, मैं हिसाब लगता रहा कि आज चिट्ठी भेजी है दो दिन बाद मिलेगी वगैरह वगैरह... पर एक हफ्ता फिर दो... फिर महीना बीत गया, मैं सोचने लगा कि भला 'थैंक यू' का भी कोई जवाब आता है! मैंने अपना ध्यान वापस अपने में लगाया और इंतज़ार करना बंद कर दिया! पर एक दिन जब डिपार्टमेंट से घर आया तो टेबल पर चिट्ठी देख मुझे

इतनी खुशी हुई मानो गोल्ड मेडल मिला हो बोटनी में!' हँस पड़े केदार बोल कर साथ ही नीलेश भी!

'मैं समझ सकता हूँ सर, जैसे हमें खुशी होती है फोन में मैसेज देख कर!' नीलेश, केदार की तरफ देख मुस्कराया और बोला!

'नहीं शायद उससे भी ज्यादा... वो भी बोटनी में पढ़ाई कर रही थी... बस हम दोनों फूल-पत्तियों से जो शुरू हुए तो साल भर में दिल और यादों पर पहुंच गये! मेरा दिल मिलने का करने लगा था पर कादम्बरी ने मना कर दिया,उसने मुझे कहा कि उसे लड़कों पर भरोसा नहीं होता है(नीलेश ने हैरान हो प्रो केदार की तरफ देखा तो वो चौंक कर बोले) अरे नहीं-नहीं, दरअसल उसके पिता ने उनकी माताजी को छोड़ दिया था तो इसलिए वो मुझे अच्छे से आज़मा लेना चाहतीं थी! तो जी उन्होंने मुझे अपनी एक चिट्ठी में दस-बीस अमलतास के बीज भेजे और कहा कि इन्हें उगाओ! जब वो मेरे घर आयें तो रस्ते में दोनों ओर अमलतास के पेड़ हो! इस बीच मेरी पढ़ाई पूरी हो जायेगी और मैं जॉब में भी आ जाऊंगा! मतलब के अगले पांच छ: साल तक न हम मिल पाएंगे और न एक दूसरे की फोटो ही देख पायेंगे!'

केदार बोले तो नीलेश यह सुन हँसते हुए बोला कि -

'ये तो रिस्क वाली बात हो गई न सर... छ: साल तक वेट किया और एक दिन सामने सरप्राइज़ में से सर गायब हो गया और टुनटुन प्राइज़ में मिली!' सुन कर केदार इतनी जोर से हँसे की उनके आँसू निकल आये!!

'हाँ हो सकता था पर मुझे ये सब ख्याल ही नहीं आया...मुझे तो बस कादम्बरी की वो प्यारी बातें ही याद रहती थी जो वो हर चिट्ठी में मुझे लिख कर भेजा करती थी! यूँही एक साल और निकल गया! ऍम एस सी  के लिए अब ज्यादा पढ़ना पढ़ता था! हाँ इस बीच ऐसा हुआ कि हमारे डिपार्टमेंट में एक नई प्रो. आई! बेहद खूबसूरत और अच्छी प्रो. थी वो! उनका नाम था सुरबाला! ये उनका पहला जॉब था! मुझसे ये कोई छ: या सात साल वो बड़ी थी, पर दिखने में छोटी लगती थी! हम लोग बहुत ही जल्द अच्छे दोस्त बन गये!' केदार बोले, वो कुछ बोलने ही वाले थे कि नीलेश  हँसते हुए बोला -

'देखा सुंदर लड़की देख कर आप भी अपनी गर्ल फ्रेंड भूल गये!'

'अरे बिलकुल नहीं, बल्कि सुरबाला मेरी चिठ्ठियों को सुंदर बनाने में मेरी मदद करती थी और गिफ्ट छांटने में भी! बस समय जा रहा था! सुरबाला का दुनियाँ में कोई नहीं था तो बार-त्यौहार पर हमारे यहाँ आती थी और मेरी माताजी को बेहद पसंद आने लगी थी! इतनी कि उन्हें सुरबाला का मुझसे उम्र में बड़ा होना भी बुरा नहीं लगता था! पर मेरा दिल तो कहीं और था! तीन साल बीत गये थे अब तक!पर जाने क्या हुआ कि धीरे-धीरे कादम्बरी की चिट्ठियाँ कम होने लगी! जो पहले हफ्ते में दो होती थी एक होने लगी फिर पंद्रह दिन में एक और फिर महीने में एक फिर दो महीने में एक! पूछने में पता चला पढ़ाई की वजह से! मैंने भी मान लिया! अमलतास के पेड़ अब काफी बड़े हो चुके थे और उनमें फूल आने लगे थे! ये सारी हमारी पुश्तैनी ज़मीन है, और मैंने इसे अमलतास गार्डन बनाना शुरू कर दिया! मेरे माँ पिताजी मुझे इतना प्यार करते थे कि किसी ने कुछ नहीं पूछा इस पागलपन के बारे में!फिर धीरे-धीरे मेरी चिठ्ठियों के जवाब आने ही बंद हो गये! एक साल हो गया पर कोई जवाब ही नहीं आया! अगर सुरबाला नहीं होती तो मैं शायद दीवाना हो जाता! इलाहाबाद गया तो पता चला कि वो बॉक्स बंद हो चुका है! जिनका था उन्होंने बंद करवा दिया है! पता पूछने पर मना कर दिया कि नहीं बता सकते! चार साल हो चुके थे मुझे यूँ अमलतास बोते और उनकी देखभाल करते हुए! चिट्ठियाँ बंद हुए अब दो साल बीत गये! माँ अब ज़िद पर ऊतर आयी थी और उनकी ज़िद के आगे मुझे झुकना पड़ा और सुरबाला से शादी हो गई! लाइफ बिलकुल बदल गई! सुरबाला इतनी अच्छी थी कि मुझे धीरे धीरे कादम्बरी की याद कही भी दिखाई देनी बंद हो गई! हाँ पर अमलतास

उगाना मेरी आदत बनती गई!' केदार कहते कहते रुके मानों थक गये हों!

हवा अभी भी फूलों को बिखेर रही थी! तभी फ़ोन बज उठा!

'चलो खाना लग चुका है!' केदार नीलेश से बोले और दोनों बंगले की ओर चल पड़े!

'रात को बहुत सुनसान हो जाता होगा यहाँ!' नीलेश आस-पास देखता हुआ बोला!

'हाँ, पर इतना नहीं, वर्कर्स है...गार्ड्स है और ये पेड़ है...सब है!' केदार अपनी ही बात पर हँसे! नीलेश भी हँस पड़ा!

खाना खा कर दोनों फिर बाहर घूमने आ गये!

'सर, हम दोनों ही थे खाने की मेज़ पर और कोई नहीं था!' नीलेश  बोला!

'हाँ, यहाँ अब मैं ही रहता हूँ... बेटा हमारा विदेश,अमेरिका में रहता है!' केदार बोले!

'और मैडम?'नीलेश ने पूछा!

'वो और हम शादी के दस साल बाद अलग हो गये थे!' केदार कहते कहते रुके और फिर चलने लगे!

'अलग!' नीलेश  हैरान था!

'हाँ,अलग... ज़िन्दगी कभी-कभी कैसे-कैसे मोड़ दिखाती है पता नहीं चलता कि किस तरफ का रास्ता मंज़िल तक ले जायेगा! दिल्ली एक सेमिनार में देश-विदेश से प्रोफेसर आये थे.. वहीं अमेरिका से आयी एक प्रोफेसर के.के.सिन्हा से मुलाकात हुई! मुझे देख वो इतनी खुश हुई कि उनकी आँखों से आँसू निकल आये! मुझे हैरानी हुई,पर मैंने कुछ कहा नहीं!

मेरे साथी ने बताया कि उनका पूरा नाम कादम्बरी केदार सिन्हा है! सुनते ही मेरी आँखें भर आयी! ये मेरी ही कादम्बरी थी! उसने मुझसे कहा था कि वो अपने नाम में मेरा नाम जोड़ लेगी अगर कभी वो मिल न पाये तो! उसने वही किया! मैं रोना चाहता था! जानना चाहता था कि वो मुझे छोड़ कर क्यों गई! वो मिली भी और जो कुछ मुझे पता चला वो इतना घिनौना था मेरी नज़र में कि मैं बयाँ नहीं कर सकता! कोई इतना खुदगर्ज़ कैसे हो सकता था! कादम्बरी वापस चली गई! मैंने उसे बताया कि मैंने ढेर अमलतास लगाएं है! तो जानते हो उसने क्या कहा ... उसे पता हैं क्योंकि वो एक बार मेरे घर आयी थी जब मैं इलाहाबाद उसे देखने गया था! गेट के जाले से लगे-लगे उसने अंदर पीले फूलों का जंगल देखा था और वो बहुत खुश हुई थी!' केदार एकटक फूलों की तरफ देख बोल रहे थे!

'पर वो आपको छोड़ कर क्यों गई सर?' नीलेश ने पूछा!

'वो छोड़ कर नहीं गई थी .... सुरबाला ने झूठ बोल कर छुड़वा दिया, ये कह कर कि कादम्बरी हम दोनों के बीच में आ रही हैं! जाने क्या क्या लिख कर सब बर्बाद कर दिया!' कहते हुए केदार की आँखें भर आयी!

फिर हँसते हुए बोले - 'हाँ, वो टुनटुन बिलकुल नहीं थी बेहद ही प्यारी सी लड़की थी! लगता ही नहीं था कि मैं किसी छत्तीस सैंतीस साल की महिला से मिल रहा हूँ! उस दिन मेरा दिल बहुत दुखा था! मुझे लग रहा था कि मैं अपनी ही नज़रों से गिर गया! जबकि मेरी कोई गलती नहीं थी फिर भी!' केदार फिर दुखी हो बोले!

'फिर कादम्बरीजी ने आपसे शादी की?' नीलेश ने पूछा तो केदार रुके और पेड़ का सहारा ले घास पर बैठ गये!

'सेमीनार के कुछ ही हफ्ते पहले कादम्बरी ने शादी कर ली थी, वहीं के अपने साथी प्रोफेसर से और वो बहुत खुश थी अपनी ज़िंदगी में! अपने बेटे को मैंने बाद में उन्हीं के पास भेजा पढ़ने के लिए! कादम्बरी से अच्छा कौन देख पता मेरे बेटे को!' केदार कहते हुए अब घास पर लेट गये! उनकी देखा-देखी में नीलेश भी लेट गया!

'सर, लाइफ भी अजीब चीज है, हैं न ... हम जिन्हें क्या समझते है वो क्या निकलते है और फिर क्या निकलते है... कुछ समझ नहीं आता है!'

नीलेश आसमान में उड़ती चीलें देखते हुए बोला!

'अब बस मैं हूँ और ये मेरा अमलतास का जंगल है!' प्रो केदार बोले और उन्होंने आँखें बंद कर ली थी, शायद वो थक गये थे!

हवा अभी भी अमलतास के फूल बिखेर रही थी और दूर ऊपर आसमान में चीलें गोल-गोल घूमती हुई उतर रही थी! कोई कविता थी जो केदार सोच रहे थे-

जब हवा ठहर जायेगी

पीले फूलों पर

तुम रुक जाना कहीं 

बस कहीं चलते हुए

उन पीले फूलों के

किनारों पर..

और मैं अमलतास बन

बिखेरती रहूंगी

तुम पर ढेर फूल

दिन की हवाओं

और रात की

चांदनी के साथ...

और ये फूल..

पीले फूल बस

झड़ते रहेंगे

बस झड़ते रहेंगे...

मानो कोई याद हो

किसी की... जो ठीक से

पहुंची नहीं थी

किसी की यादों तक!! 

अगले दिन मैं वहां से चला आया! कुछ टाइम बाद पता चला कि सर जो खोये-खोये से अक्सर रहते थे अपने उस अमलतास के जंगल में, एक दिन वहीं उन पीले फूलों के बीच हमेशा के लिए खो गये! इस बात को आज बरसों बीत गये हैं! मैं कभी कभी जाता हूँ सर के उस जंगल को देखने! सर की कविता की तरह मुझे भी लगता है कि .. मानों कोई याद है किसी की ..जो ठीक से पहुंची नहीं थी किसी की यादों तक!

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: कहानी - अमलतास - रिन
कहानी - अमलतास - रिन
https://2.bp.blogspot.com/-4HWE51s3WoI/XNPNGw6VE6I/AAAAAAABPAg/jj2eKWx8nGAtoAMIFmw7jLIhtD_tQHkBwCK4BGAYYCw/s320/IMG-038%2B%2528Large%2529-773487.JPG
https://2.bp.blogspot.com/-4HWE51s3WoI/XNPNGw6VE6I/AAAAAAABPAg/jj2eKWx8nGAtoAMIFmw7jLIhtD_tQHkBwCK4BGAYYCw/s72-c/IMG-038%2B%2528Large%2529-773487.JPG
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2019/05/blog-post_50.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2019/05/blog-post_50.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content