प्याऊ पर बोतल का पानी भारी - मनोज कुमार - वरिष्ठ पत्रकार एवं मीडिया विश्लेषक

SHARE:

  भारतीय परम्परा में दान का सबसे ऊंचा स्थान रहा है. जन्म से लेकर मृत्यु तक हमारी परम्परा में दान का उल्लेख आता है. तथाकथित सभ्य समाज कई बार ...

 

भारतीय परम्परा में दान का सबसे ऊंचा स्थान रहा है. जन्म से लेकर मृत्यु तक हमारी परम्परा में दान का उल्लेख आता है. तथाकथित सभ्य समाज कई बार इस परम्परा पर आक्षेप करता है लेकिन यह भूल जाता है कि दान से आशय भीख देना नहीं होता है अपितु एक संस्कार होता है. एक सभ्यता का जन्म होता है और एक मनुष्य के प्रति मनुष्यता का भाव होता है. आज हम विकास के नए प्रतिमान गढ़ रहे हंै लेकिन इसके साथ ही परम्परा का विनाश भी कर रहे हैं. परम्पराओं के साथ समाज की वर्जनाएं टूट रही हैं. इससे व्यक्ति का नहीं, समाज का नुकसान हो रहा है. समाज का तानाबाना बिखर रहा है. रिश्तों में कड़़ुवाहट घुल रही है. यकीन ना हो तो अपने आसपास देख लीजिए. अंग्रेजी के एक शब्द हाईजीन ने ऐसी घुसपैठ की है जिसने रिश्तों की आपसी मिठास में खटरस डाल दी है. हाईजीन कोई गलत चीज या गलत सोच नहीं है लेकिन हरेक की अपनी मर्यादा होती है और मर्यादा टूटती है तो समस्या विकराल होती है.

इस हाईजीन ने हमारी परम्परा को घात किया है. यकीन ना हो तो ज्यादा नहीं अपने घर से आप किलोमीटर पैदल घूम आइए, आपको सच का पता चल जाएगा. एक जमाना था कि अप्रेल महीने की तपिश के साथ ही सडक़-चौराहों पर प्याऊ सज जाते थे. सुंदर मटकों के साथ उसमें स्वच्छ और निर्मल जल से राहगीर को ठंडक का अहसास होता था लेकिन हाईजीन ने नई पीढ़ी को प्याऊ से दूर कर दिया है. जिस तरह वे पारम्परिक खान-पान से दूर होकर फास्ट फूड के सहारे हो गए हैं. फास्ट फूड ने सेहत का कितना कबाड़ा किया है और कर रहा है, इस बात की गहराई में जाने की जरूरत नहीं है लेकिन फास्ट फूड ने पारम्परिक खान-पान को अपूरणीय नुकसान पहुंचाया है. नयी पीढ़ी के लिए पारम्परिक खानपान उनके सेहत के लिए नुकसानदेह है. घी और मक्खन उनके लिए फैट बढ़ाने के कारक हैं. ऐसा सोचते और व्यवहार में लाते हुए वे भूल जाते हैं कि फास्ट फूड के सेवन के चलते अनन्य बीमारियों के शिकार हो रहे हैं.

हाईजीन की चिंता करती युवा पीढ़ी बोतलबंद पानी में घुलती जा रही है. बोतल में बंद पानी कितना पुराना है और उसका उनके शरीर पर क्या दुष्परिणाम होगा, इससे वे बेफ्रिक हैं. वे तो बोतल बंद पानी में पैकिंग और उसकी एक्सपायरी डेट देखकर तसल्ली कर लेते हैं कि यह पानी फिलहाल तो पीने लायक है. उन्हें कौन समझाए कि जिन बोतलों में बंद पानी की मृत्यु तारीख लिखी है, उस छपी तारीख के बाद पानी का कम्पनी क्या उपयोग करती है, इसका युवा पीढ़ी को पता नहीं होता है. क्या बोतलों में बंद पानी की मृत्यु तारीख के बाद उसे विसर्जित किया जाता है अथवा उसे पुर्नउपयोग में लाया जाता है? चूंकि बाजार अपने उत्पाद को रिसायकल कर एक बार नहीं अनेक बार उपयोग में लाने के लिए उपभोक्ताओं को विवश करता है. ऐसे में यह तय करना मुश्किल सा है कि बोतलों में बंद पानी की मृत्यु तारीख को देखकर जिस जल का हम उपयोग कर रहे हैं, वह कितना सुरक्षित है. बाजार का पूरा गणित लाभ-हानि पर टिका होता है और इस गणित को बाजार कभी कमजोर होते नहीं देख सकता है.

बाजारी खान-पान को लेकर अक्सर शिकायतों का अंबार होता है लेकिन हम बेखबर होते हैं. या यूं कह लीजिए कि अपनी अलाली के कारण इसकी खबर नहीं रखते हैं. इस बेखबरी के आलम में हमारी सामाजिक परम्पराओं का ताना-बाना टूट रहा है. बोतलबंद पानी या प्लास्टिक के पाउच में बंद पानी ने हमारी प्याऊ परम्परा को नुकसान पहुंचाया है. एक समय था जब चौक-चौराहे पर हर पचास गज की दूरी को नापते ही सुंदर मटके अपने भीतर रखे गए शीतल जल से प्यासे राहगीर को ठंडक पहुंचाता था. प्याऊ शुरू होने के पहले का नेग भी होता था. पूजा अर्चना के बाद नेग के तौर पर मटकों में सिक्के रखे जाते थे और फिर उस पर खूबसूरत लाल रंग का कपड़ा ऐसे लपेट दिया जाता था कि आते-जाते राहगीर को मोह ले. कहीं तीन तो कहीं पांच मटके रखे जाने का प्रचलन था. विषम संख्या में मटके क्यों रखे जाते थे, यह तो स्पष्ट नहीं हो पाया लेकिन सुविधा के लिहाज से भी इसे माना जाता था. जिस हाईजीन की बात हम कर रहे थे, वह प्याऊ के मटके में पाया जाता था. पहले से छना हुआ निर्मल जल मटके में डाले जाने से पहले सफेद कपड़े की एक जाली रखी जाती थी, जिसमें छनकर पानी मटके में रखा जाता था. मटके में हाथ डालकर पानी निकालने पर रोक थी. किसी लोटे या किसी अन्य बर्तन से पानी निकाला जाता था और राहगीर को गिलास में भरकर पानी पीने के लिए दिया जाता था. अक्सर राहगीर पानी के बर्तन को मुंह से जूठा नहीं करता था बल्कि अंजुली में भरकर या फिर ऊपर से पी लिया जाता था. बर्तन और घड़े की सफाई भी नियमित की जाती है.

प्याऊ में सफाई का खयाल हाईजीन की नजर से तो रखा जाता ही है बल्कि इसे धर्म-कर्म से भी जोडक़र देखा जाता है. प्यासे को पानी पिलाना एक पवित्र कार्य माना जाता है और जब भावना पवित्र हो तो स्वच्छता रखना कर्तव्य हो जाता है. बोतलबंद पानी ने प्याऊ को बंद हो जाने के लिए मजबूर कर दिया है. यह उन लोगों के लिए प्रताडऩा है जो बोतलबंद पानी खरीदकर पी नहीं पाते हैं. सार्वजनिक नल और हैंडपम्प के हाल इतने बिगड़े हुए हैं कि प्यासे मुसाफिर को वहां भी पानी मयस्सर नहीं. बाजार का पानी पर यह आक्रमण भारतीय परम्परा पर आक्रमण है. अक्सर शासकीय बैठकों में बोतलबंद पानी रख दिया जाता है. बाजार ने देखा कि बड़ी बोतलों का विरोध हो रहा है तो सुविधा के लिए छोटी बोतलों को उतार दिया. बाजार अपना रास्ता तलाश लेती है लेकिन हम अपनी परम्परा को बचाने के लिए कोई रास्ता नहीं तलाश पाए. गिलास भर पानी पिलाने की जगह पर आधा गिलास पानी का चलन शुरू कर दिया. यह फैसला अच्छा है लेकिन बोतलों को मेज और बच्चों के बैग से बाहर फेंकने की यह प्रक्रिया आरंभ कर दी जाए तो शायद प्याऊ के बिसरे दिन लौट सके. परम्परा की ओर लौटना ही होगा क्योंकि जीवन परम्परा से है, समाज का ताना-बाना परम्परा से है और परम्परा ही रिश्तों की पहचान है. मैं बेस्रबी से उस वक्त की प्रतीक्षा कर रहा हूं जब हमारा समाज प्याऊ की ओर लौटेगा. फिर एक बार लाल कपड़े में लिपटा मटका कहेगा-रे मुसाफिर ठहर जरा, कर ले गला तर. मैं तेरे इंतजार में हूं.

--

3, जूनियर एमआयजी, द्वितीय तल अंकुर कॉलोनी, शिवाजीनगर, भोपाल-462016

मोबा. 9300469918    

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्याऊ पर बोतल का पानी भारी - मनोज कुमार - वरिष्ठ पत्रकार एवं मीडिया विश्लेषक
प्याऊ पर बोतल का पानी भारी - मनोज कुमार - वरिष्ठ पत्रकार एवं मीडिया विश्लेषक
https://lh5.googleusercontent.com/-btLrMWkM8Uw/AAAAAAAAAAI/AAAAAAAAATE/tEouu00i3xc/s120-c/photo.jpg
https://lh5.googleusercontent.com/-btLrMWkM8Uw/AAAAAAAAAAI/AAAAAAAAATE/tEouu00i3xc/s72-c/photo.jpg
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2019/05/blog-post_85.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2019/05/blog-post_85.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content