डाल डाल की दाल (व्यंग्य) -दिलीप कुमार

SHARE:

डाल डाल की दाल    (व्यंग्य)                                                                                                  "दाल रोटी ...

डाल डाल की दाल    (व्यंग्य)                                                                                               

  "दाल रोटी खाओ

प्रभु के गुण गाओ "

बहुत-बहुत वर्षों से ये वाक्य दोहरा कर सो जाने वाले भारतीयों का ये कहना अब नयी और मध्य वय की पीढ़ी को रास नहीं आ रहा है। दाल की वैसे डाल नहीं होती लेकिन ना जाने क्यों फीकी और भाग्य से प्राप्त चीजों की तुलना लोग दाल से ही करते हैं और अप्राप्त चीजों मीनू में दिख रही महंगी बिरयानी की तरह ललचाकर देखते हैं। उसी तरह काली दाल,पीली दाल और तरह तरह की दालें होती हैं लेकिन भारतीय लोग आम तौर पर दाल का मतलब पीली दाल ही समझते हैं। और मूंग की दाल को तभी याद करते हैं जब बाहर की शौकिया बिरयानी लगातार खाकर बीमार पड़ जाते हैं। दालों के रंग ढंग सभी की समझ से बाहर है।

[post_ads]

दालें हमारे इतिहास में तो रहीं ,मगर हमारा भूगोल ऐसा है कि दालें हिंदुस्तान में कम पैदा होती हैं  ,शायद इसीलिये बड़े बुजुर्ग कह गए हैं कि घर की दाल से काम चलाओ। बहुत दूर तक मत जाओ। "घर की मुर्गी दाल बराबर" से शायद बुजुर्गों का आशय ये रहा होगा की अगर कभी किसी को बिरयानी की जरूरत हो तो घर के आसपास की मुर्गी देखो ना कि बटेर जो कि ना सिर्फ महंगी है और गैर कानूनी भी। दालों को लेकर अर्थशास्त्र के पंडित भी हैरान हैं कि आखिर दालों की कमी के बावजूद बाजार में दाल की कीमतें बढ़ क्यों नहीं रही हैं। सट्टा वाले, कमोडिटी एक्सचेंज के मार्केट के लोग भी हैरान हैं कि दाल रोटी से खुश रहने वाले लोगों के देश में इतनी बिरयानी की खपत क्यों बढ़ रही है।

"सादा जीवन,उच्च विचार वाक्य दोहरा कर सो जाने वाले भारतीयों की नयी और मध्य वय की पीढ़ी को अब घर की दाल क्यों रास नहीं आ रही है। वैसे दाल के रंग ढंग सभी की समझ से बाहर है। इतिहास गवाह है कि हमारे ऊपर जब भी हमले हुए तो मसालों के लिये हुए जो बिरयानी में जायका लाते थे  ,दालों हमारे पास कम रहीं लेकिन किसी ने हमसे छीनने की कोशिश भी नहीं की। हमारे देश पर अतीत में मसालों की खुश्बू की वजह से हमले हुए ,प्याज ने सरकारें गिरायी मगर हमारा जुग्राफिया ऐसा है कि दालें हिंदुस्तान में कम पैदा होती रहीं मगर अमीर गरीब सबका पेट पालती रहीं। अमीरों ने दालों को छोड़कर बिरयानी की शरण ली तब तक तो ठीक था लेकिन जब आम आदमी भी दाल छोड़कर बिरयानी की तरफ लपका तो स्यापा खड़ा हो गया। वैसे भी अर्थशास्त्र के पंडित हैरान हैं कि आखिर दालों की कमी के बावजूद बाजार में दाल की कीमतें बढ़ क्यों नहीं रही हैं।

सट्टा वाले, कमोडिटी एक्सचेंज के मार्केट पंडित, जमाखोर, आढ़ती सब परेशान हैं कि आखिर कम उत्पादन के बावजूद और हर भारतीय के घर में खायी जाने वाली दाल की कीमत क्यों नहीं बढ़ रही है। दाल की कालाबाज़ारी करने वाले लोग सोने के बिस्किट की तरह दाल को दबाये बैठे हैं ,सूखे की फसल माने जाने वाली दालों की फसल बाढ़ की विभीषिका से हर साल तहस-नहस हो जाती हैं ,फिर आखिर दालों की कालाबाजारी करने वालों की दाल क्यों नहीं गल रही है। आखिर क्या कारण है कि नब्बे रूपये में जो दाल किसानों से सरकार खरीदती है ,वही दाल सत्तर रूपये की खुले बाजार में बिकती पायी गयी। इसके कारण जानने के लिये बॉलीवुड के 49 लोगों ने एक कमेटी बनाई। इन लोगों को दालों की ये असहिष्णुता नागवार गुजरी सो इनकी इनर वॉइस (अंतरात्मा की आवाज़) जाग उठी। ये और बात है कि इस कमेटी में ऐसे लोगों को रखा गया जिन्होंने बरसों से दाल नहीं खायी ,कुछ ऐसे हैं जो दाल रोटी भर का भी नहीं कमा पाते सो दालों से निपटने की तैयारी में हैं। कुछ इतने उम्रदराज लोग हैं इस कमेटी में कि उन्हें डॉक्टर ने दाल खाने से मना कर दिया है क्योंकि इस उम्र में अगर उनके शरीर में ज्यादा प्रोटीन जमा हो गया तो फिर उन्हें दादी नानी के संभावित रोल के बजाय घुटना प्रत्यारोपण के लिये अस्पताल में भर्ती होना पड़ेगा।

[post_ads_2]

वैसे भी इस कमेटी में देश के उन प्रान्तों के गायक और कलाकार काफी संख्या में हैं जहाँ हाल -फ़िलहाल चुनाव होने वाले हैं। उन्हें उम्मीद है कि भले ही फिल्म इंडस्ट्री में उनकी दाल नहीं गली ,लेकिन इस दाल के आंदोलन से अगर राज्यों में उनके पसंदीदा दल की सरकार बन गयी तो उनको कोई पद ऐसा जरूर मिल जायेगा कि जिससे ज़िन्दगी भर उनकी दाल रोटी चलती रही। वैसे इस दाल पीड़ित कमेटी में ऐसे लोग हैं जो घर की दाल बरसों से नहीं खाये हैं ,बाहर की बिरयानी ही खाते रहे हैं। अपने घर यदि मजबूरी में कभी दाल खा भी ली तो बाहर की बिरयानी ही खाते रहे हैं। कुछ तो इतने साहसी निकले कि घर पर जब बिरयानी का मनपसन्द लेग पीस नहीं ला सके तो लेगपीस वाली बिरयानी का शौक पूरा करने के लिये दूसरे के घर में ही रहने लगे। जैसे दाल के तड़के की खुश्बू घर की दहलीज के अंदर ही महसूस होती है मगर बिरयानी की जाफरानी खुश्बू दूर से ही आकर्षित कर लेती है ,ठीक उसी तरह इन दाल पीड़ित लोगों की अजब सी अदाएं हैं ये जिस राज्य में रहते हैं वहां की समस्या से ये वाबस्ता नहीं होते बल्कि बहुत दूर की घटनाएं इनको उद्वेलित कर देती हैं। मसलन पश्चिम बंगाल में रह रहा गायक उत्तर प्रदेश की घटना से इतना दुखी होता है कि बुक्का फाड़ के रोता है ,दूसरा महाराष्ट्र में रह रहा बन्दा झारखण्ड की घटना से इतना आहत होता है कि भारत उसे सीरिया से भी बदतर नजर आता है लेकिन अपने प्रान्त में" यहां पे सब शांति -शांति है "गाते हैं।

image

उससे ज्यादा ख़ास बात ये है कि इस "पावर ऑफ़ 49"में ऐसे ऐसे लोग भी हैं जो आठ -दस बाउंसर के साथ चलते हैं मगर जब तब उनको देश में बमुश्किल दो वक्त की दाल रोटी कमा पाने वाले व्यक्तियों से डर लगने लगता है। कुछ ऐसी भी वीरांगनायें हैं जो राम राम करने की उम्र में देश के हालात सुधारने का बीड़ा उठा चुकी हैं। उम्र के सारे बन्धन टूट चुके हैं जिन्होंने इस मुल्क में सब दिन देखे हैं तब या तो वे अपनी घर गृहस्थी की दाल रोटी चला रही थीं या सिंगार -पटार कर गुमनामी की ज़िन्दगी जी रही थीं। लेकिन अब वो सबको बता रही हैं ना दाल खाओ,ना बिरयानी खाओ और प्रभु के गुण तो हर्गिज़ ना गाओ। क्योंकि प्रभु पर एक पार्टी का पेटेंट हो चुका है। उधर प्रभु भी परेशान होंगे कि पहले उनके रहने की जगह को लेकर मुकदमेबाजी हो रही थी ,अब उनके नाम को लेकर भी बवाल शुरू हो गया है। इस पावर ऑफ़ 49 को लेकर एक ज्योतिषी ने कहा है कि विषम संख्या दालों की कालाबाज़ारी बढ़ा ना सकेगी इसलिये किसी ऐसे बिरयानी प्रेमी को इस लिस्ट में शामिल कर लिया जाए जिसने लंबे समय तक घर की दाल रोटी की सुधि ना ली हो ,बीवी बच्चों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। इस 49 की विषम संख्या को सम करने के लिये एक अवार्डधारी की खोज शुरू हुई। एक ऐसा व्यक्ति जो तुरंत अवार्ड लौटा सके ,अपने बाप -दादा की कुर्बानियों का सिला देकर इस मुल्क में रहने को अपना एहसान माने ,मुल्क से ज़िन्दगी भर कमाया हो ,मुल्क को दिन भर कोसे, मगर मुल्क को छोड़ कर भी ना जाये।

सबसे पहले एक बड़े फिल्म स्टार से सम्पर्क किया गया। उन साहब की खासियत ये थी कि जिस महिला को ज़िन्दगी भर दो जून की दाल रोटी देने का वादा किया था उसको दाना पानी देने के लिये हाथ झटक लिया। सबको भारत के टूरिस्ट स्पॉट्स की विशेषता बताते बताते अचानक उनको भारत में डर लगने लगा ,अपने आठ -दस बाउंसर और वाई श्रेणी की सुरक्षा के बावजूद। बेचारे इतना डरे कि किसी और देश में जाकर बसने का इरादा कर बैठे। लोग भी अपने इस चहेते फिल्म स्टार से इतना डरने लगे कि उनके द्वारा बेचे जाने वाले सामानों की खरीदारी से डरना शुरू कर दिया। सिर्फ दसवीं तक पढ़े इस फिल्मवाले को बांधों की ऊंचाई की खासी समझ है इसलिये लोगों ने इनकी फिल्मों और इनके द्वारा विज्ञापित सामानों को समझना बन्द कर दिया। व्यापारिक वेबसाइट ने इन्हें निकाला और काम मिलना कम हो गया तब से बेचारे सिर्फ अपनी फिल्मों या विज्ञापनों की चिंता करते हैं। आजकल देश की चिंता कम करते हैं ,लोगों से पानी बचाने की अपील कर रहे हैं क्योंकि पानी तो दाल में भी पड़ता है और बिरयानी में भी। सो उन्होंने कहा कि फिलहाल दाल पकने दो सही समय पर मैं पानी लेकर हाज़िर हो जाऊँगा। लेकिन पचासवें नाम के लिए दो अदद नाम सामने तो आये लेकिन उनके अपने ईगो थे ,इस पचासवें दस्तखती बनने की सारी योग्यता होने के बावजूद उन्होंने इस ग्रुप के अगुआ के पीछे चलने से इंकार कर दिया आखिर उनकी भी सीनियोरिटी है ,वो दगे कारतूस ही सही मगर उनकी नजरों में उनका स्टार स्टेटस है। सो वो इस मुहिम को चलायेंगे जरूर मगर एकला चलो रे के सिद्धांत पर।

चुनांचे कि एक ही प्रेस कॉन्फ्रेंस में अगर वो भी बैठते, गोया कि उनकी स्टार स्टेटस की इमेज को धक्का पहुंच सकता था। सो वो कुछ दिन बाद डरेंगे बाउंसरों से घिरे रहने के बाद भी,वो कुछ दिन बाद मुल्क के आम आदमी के दाल रोटी की चिंता करेंगे बिरयानी खाते हुए ग्लिसरीन लगाकर आंसू बहाएंगे। इधर हिंदी बेल्ट के एक हिंदी लेखक जो हर किस्म की दाल और हर किस्म की बिरयानी खा चुके हैं बेचारे हिंदी में उनकी अवहेलना से दुखी हैं। किसी दोस्त ने पूछा इन सभी से कि

"दिले नादान तुझे हुआ क्या है

आखिर इस मर्ज की दवा क्या है "

नेपथ्य में कहीं से एक आम हिंदुस्तानी को दिलासा देती हुई एक आवाज़ आयी

"दोस्त अपने मुल्क की किस्मत पर रंजीदा ना हो

उनके हाथों में है पिंजरा,उनके हाथों में शुआ"

--दिलीप कुमार

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: डाल डाल की दाल (व्यंग्य) -दिलीप कुमार
डाल डाल की दाल (व्यंग्य) -दिलीप कुमार
https://2.bp.blogspot.com/-A2WW1Np-63c/XT6DBrpvFOI/AAAAAAABPqk/6WbJ-x8PzdAzvsxTffpD35SVALspdNBeACK4BGAYYCw/s320/IMG_20190723_194824-760425.jpg
https://2.bp.blogspot.com/-A2WW1Np-63c/XT6DBrpvFOI/AAAAAAABPqk/6WbJ-x8PzdAzvsxTffpD35SVALspdNBeACK4BGAYYCw/s72-c/IMG_20190723_194824-760425.jpg
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2019/07/blog-post_21.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2019/07/blog-post_21.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content