कहानी - मंगो - प्रियंका कौशल

SHARE:

आज वैसे ही मुझे ऑफिस जाने में देर हो गई है और ये मंगो है कि अभी तक नहीं आई। मेरे जाने के बाद आएगी तो खामखां बवाल मचेगा। पहले ही सासूमां आई ह...

आज वैसे ही मुझे ऑफिस जाने में देर हो गई है और ये मंगो है कि अभी तक नहीं आई। मेरे जाने के बाद आएगी तो खामखां बवाल मचेगा। पहले ही सासूमां आई हुई हैं, उनके सामने वो रसोई में चली गई तो मेरी खैर नहीं। और अगर सासूमां ने उसे उन्हीं बर्तनों में खाते-पीते देख लिया, जिसे हम खुद के लिए इस्तेमाल करते हैं तो फिर तो जलजला ही आ जाएगा। गीतिका इन्हीं विचारों में डूबी हुई, जल्दी-जल्दी घर के जरूरी काम निपटाने में लगी हुई थी। फिर उसने सोचा कि चलो खुद ही मंगों को फोन कर आज आने के लिए मना कर देती हूं। मेरे रहते आती, तो सासूमां को पता भी नहीं चलता कि वो इस घर के सभी काम करती है। मेरे पीछे आएगी तो सारा राज खुल जाएगा। मंगो का फोन उसके पति ने उठाया। मैडम, मंगो फिसलकर गिर गई है, सिर पर चोट आई है, तीन-चार दिन काम पर नहीं आ पाएगी। मेरे पूछने के पहले ही उसने सारा किस्सा बयान कर दिया। ठीक है, किसी चीज की जरूरत हो तो मुझे फोन करना। कहकर मैंने फोन रख दिया।

मंगो के बगैर चार दिन पहाड़ जैसे बीते। उसके रहते कभी अहसास ही नहीं हुआ कि मैं वर्किंग वूमेन हूं। लेकिन इन चार दिनों में घर-ऑफिस की जिम्मेदारी संभालते-संभालते मैं पस्त हो गई। ठीक पांचवें दिन मंगो आ गई। माथे पर चोट अभी भरी नहीं थी। मैंने मंगो से कहा कि थोड़े दिन और आराम कर लेती। कहां बाईसाहब, आराम हमारे नसीब में कहां। चार दिन भी बड़ी मुश्किल से कटे हैं घर पर। आप भी तो परेशान हो रही होगीं। घर और दफ्तर दोनों के बीच तालमेल बैठाने में दिक्कत हो रही होगी आपको। फिर आराम भी नहीं मिल पा रहा होगा। मंगो ऐसे बोल रही थी, जैसे मेरी मां हो। हां, कभी-कभी वो मेरी मां ही बन जाती है, कभी शिक्षक तो कभी सहेली। अपने सुख-दुख मैं उसी के साथ बांट लेती हूं। मैंने एक बात पर गौर किया कि उसकी दी हुई सलाह कभी गलत नहीं साबित हुई। शायद उसे दुनियादारी का तर्जुबा मुझसे ज्यादा था। मंगों पिछले पांच सालों से मेरे घर में सेवाएं दे रही थी। उसके भरोसे कई बार अपने घर-अपने बच्चों को छोड़कर मैंने कार्यालयीन यात्राएं की हैं। मेरे पति विनीत भी मंगों के साथ बेहद सहज रहते हैं। वो उन्हें छोटी बहन जैसी लगती है। बेहद ईमानदार, सौम्य, सेवाधारी और निश्चल, कुछ ऐसी है मंगो। आप सोचेंगे कि मैं मंगों का चित्रण क्यों कर रही हूं? केवल इसलिए कि आप जान सकें कि अभी भी दुनिया में अच्छी कामवाली मिल जाती है और अगर व्यवहार दोनों तरफ से ठीक हो, तो उसे परिवार का हिस्सा बनने में भी देर नहीं लगती है।

खैर एक बार फिर मंगो के हवाले घर छोड़कर मैं ऑफिस चली गई। बहुत दिन पहले मैंने एक फैलोशिप के लिए आवेदन दिया था। ऑफिस पहुंचते ही पता चला कि मेरा सिलेक्शन फैलोशिप के लिए हो गया है। अब मुझे 30 दिन के लिए श्रीलंका जाना होगा। दरअसल फैलोशिप के विषय के मुताबिक मुझे श्रीलंका में विस्तारित हुए बौद्ध धर्म पर अध्ययन करना था। मेरी खुशी का कोई ठिकाना ना था, लेकिन अगले ही पल किसी विचार ने मुझे डरा दिया। खुशी में मैं तो भूल ही रही हूं कि सासूमां आई हुई हैं। ऐसे कैसे में 30 दिन के लिए बाहर जा सकती हूं। मैंने फैलोशिप लौटाने का निर्णय लिया। लेकिन दफ्तर के लोग सलाह देने लगे कि ऐसे कैसे छोड़ सकती हो। इस ऑफिस से पांच लोगों ने इस फैलोशिप के लिए अप्लाई किया था, किस्मत से तुम्हें मौका मिला। नहीं तुम ऐसे कैसे कर सकती हो। आखिरकार मुझे फैलोशिप पूरी करने के लिए हामी भरनी ही पड़ी।

मंगो तो है, सब संभाल लेगी। लेकिन सासूमां के रहते ये संभव नहीं है। रुढीवादी सोच वाली मेरी सासूमां अपना पूरा जीवन देश के अलग-अलग शहरों में रही हैं। मेरे ससुर आईएएस अफसर थे। उनका तबादला कई शहरों में हुआ। सासूमां उनके साथ सब जगह घूमती रही। लेकिन उनकी सोच कभी नहीं बदल पाई है। हमेशा नीची जाति-ऊंची जाति जैसे जुमले उनके घर में गूंजते रहे। लेकिन शुक्र है उनके बच्चे यानि मेरे पति विनीत और मेरी ननद विशाखा दीदी पर कभी भी ये सोच हावी नहीं हुई। वे सभी से सामान्य व्यवहार करते हैं। मेरे मायके में भी किसी तरह की छुआछूत या जाति विभेद कभी नहीं रहा। तो मेरी सोच भी समभाव की रही।

अब मंगों को कैसे कहूं कि तुम मेरे पीछे रसोई में नहीं घुसना। उन बर्तनों को हाथ भी नहीं लगाना, जिनमें वो हमारे साथ खाती-पीती रही है। क्या सोचेगी मंगों। बड़ी ऊहापोह के साथ मैं घर पहुंची, मंगों निकलने को ही थी। मैंने उसे अपने कमरे में बुलाया। अपने हाथों में उसका हाथ लेकर बड़े प्यार से कहा, मंगों एक बात बोलूं, तू दिल पर तो नहीं लेगी। क्या हो गया दीदी, मुझसे कोई गलती हो गई। मंगों चौंकी। नहीं-नहीं पगली, तुझसे कभी गलती होती है क्या, मैं तो तुझे कई बार मजाक में अपनी मां भी कह देती हूं। सुन, मेरी जो सासूमां हैं ना थोड़े पुराने ख्यालात की हैं। बुरे मन की नहीं है, बस उनका माहौल ही वैसा रहा बचपन में, जिसकी छाप वे जीवनभर नहीं धो पाईं। मैं तुझे ये सब इसलिए कह रही हूं कि मुझे 30 दिन के लिए बाहर जाना है। दूसरे देश। इन 30 दिनों में तू घर का वैसे ही ख्याल रखना, जैसे रखती आई है। बस रसोई की जिम्मेदारी सासूमां खुद ही संभाल लेंगी या हो सका तो मैं विशाखा दीदी को बुला लूंगी। तू समझ रही है ना, मैं क्या समझाना चाह रही हूं। मंगों मेरी बात सुनकर जोर से हंसी। क्या दीदी, मैं क्यों दिल पर लूंगी इस बात को। मुझे पता है कि आपकी सोच अलग है। इसलिए आप मुझे इतना प्यार, मान-सम्मान देते हो। मेरे लिए कितना करते हो। कभी मुझे कामवाली बाई नहीं समझते। आपको एक बात बताऊं, मैं आपके यहां आने के पहले दिनभर में दस घरों में काम करती थी। वे मुझसे काम तो पूरा करवा लेते थे, लेकिन बात-बात में मुझे तुच्छ होने का अहसास भी बराबर कराते थे। एक घर में तो मुझे रसोई और पूजाघर में घुसने की इजाजत भी नहीं थी। मुझे अलग कप में चाय दी जाती थी, जिसे कोई हाथ नहीं लगाता था। घर के बाहर आंगन में एक कोने में उस कप मैं चाय पीकर रख दिया करती थी। मुझे पता कि भले ही संविधान ने हमें समानता का अधिकार दिया है, लेकिन हर कोई उसे माने ये जरूरी तो नहीं है।

अरे तुझे संविधान समझ में आता है। किसने बताया संविधान के बारे में। मैंने चौंककर पूछा। अरे वो पिक्चर आई है ना आर्टिकल-15, वो देखी मैंने अपने आदमी के साथ। फिर मैंने अपनी लड़की की टीचर से स्कूल जाकर पूछा कि ये संविधान क्या होता है। तो उसने मुझे बताया कि एक किताब है संविधान, जिसके मुताबिक देश चलता है। मैं मंगला यानि मंगों की बात सुनकर हतप्रभ रह गई। जी हां, मंगला नाम ही रखा था, उसकी मां ने उसका। घरों में काम करते-करते वो कब मंगों हो गई, उसे भी नहीं पता चला। खैर, उसकी समझ और अभिव्यक्ति ने मुझे फिर उसके सामने नतमस्तक कर दिया। खैर, मंगों मेरी बात समझ गई थी, उसे कोई आपत्ति भी नहीं थी। मैं निश्चिंत होकर पैकिंग करने लगी। शाम को विनीत आए, उन्हें पूरी बात बताई तो उन्होंने भी कहा कि तुम्हें जाना चाहिए। घर की चिंता मत करो, मैं संभाल लूंगा। सासू मां ने भी सहर्ष सहमति दे दी। विनीत और सासूमां से सकारात्मक आश्वासन मिलने के बाद अब मैं निश्चिंत हो गई थी। धीरे-धीरे वो दिन भी पास आ गया। मैंने दिल्ली के लिए उडान भरी। दिल्ली से कोलंबों के लिए फ्लाइट लेनी थी। 30 दिन कब गुजर गए पता ही नहीं चला। मैंने सबके लिए ढेर सारी शॉपिंग कर ली थी। सोमवार की सुबह फ्लाइट भोपाल पहुंचने वाली थी, विनीत दोनों बच्चों के साथ एयरपोर्ट पहुंच गए थे, मेरा इंतजार कर रहे थे। एयरपोर्ट के बाहर निकलते ही अपने शहर पहुंचने का सुखद अहसास हो रहा था। विनीत बोले, घर चलो, तुम्हारे लिए एक सरप्राइज है। मैं चौंकी, सरप्राइज। विनीत हौले से मुस्कुरा दिए, आगे कुछ नहीं कहा। घर पहुंचने की उत्सुकता तो विनीत बढ़ा ही चुके थे। बच्चे भी कुछ बोलने को तैयार नहीं थे। बस वो तो ये जानना चाहते थे कि मैं उनके लिए क्या-क्या लाई हूं।

एयरपोर्ट से घर पहुंचने में 30 मिनट लगे। गेट से कार अंदर घुसी तो लॉन का नजारा देखकर सहज विश्वास ही नहीं हुआ। सासूमां आराम कुर्सी पर बैठी हुईं थी और मंगों उनके बाल बना रही थी। मंगों को दूर ही रहने की हिदायत देने वाली सासूमां उससे अपनी कंघी करवा रही हैं। कुछ समझ नहीं आया। विनीत की तरफ देखा तो उन्होंने आंखों से इशारा किया, कि अंदर तो चलो सब बताता हूं।

तुम्हारे जाने के दूसरे ही दिन मां बाथरूम में फिसलकर गिर पड़ीं। विनीत ने बताना शुरु किया। तुम्हें इसलिए इत्तला नहीं दी, कि तुम बेकार ही परेशान हो जाती। तुम्हारी वापसी भी आसान नहीं थी, फिर अध्ययन में भी तुम्हारा मन नहीं लगता। इसलिए मैंने फैसला किया कि तुम्हें बताया ही ना जाए। मां के गिरने के बाद विशाखा को फोन किया, तो पता चला कि वो खुद टायफाइड से पीड़ित है। अब क्या करूं, यही सोच रह था कि मंगों बोली, भैया परेशान ना हो, घर का काम तो मैं संभाल ही लूंगी, आप मांजी को संभालों। लेकिन मां को भी मैं कैसे संभालता, डाक्टर ने उन्हें बिस्तर से उठने को मना कर दिया। दैनिक कार्यों के लिए वे उठने-बैठने की स्थिति में ना थीं। ऐसे में फिर मंगों आगे आई। मांजी से उसने गुजारिश की, कि आप मुझे आपके काम करने दो। मां भी मना करने की स्थिति में नहीं थी। फिर क्या था, मंगों के सेवाभावना से मां इतनी प्रभावित हुई कि सारे भेद ही मिट गए। अब दोनों दिन भर गप्पे भी लडाती हैं, मां मंगों के हाथ का बना खाती भी है और उस पर प्यार भी लुटाती है। विनीत बताते जा रहे थे और सुनते हुए मेरे लिए ये सारी बातें किसी धारावाहिक की कहानी की तरह लग रही थी। पानी पीते हुए मैंने विनीत से कहा, चलो मजबूरी में ही सही, कम से कम मांजी को सोच तो बदली। मंगो अब तक तो मेरी ही शिक्षक थी, अब वो मांजी की भी गुरु बन गई। मेरी बात सुनकर विनीत जोर से ठहाका लगाकर हंस दिए, हाहाहा।

--

प्रियंका कौशल
संक्षिप्त लेखक परिचय -लेखिका पिछले 15 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। नईदुनिया, दैनिक जागरण, लोकमत समाचार, जी न्यूज़, तहलका जैसे संस्थानों में सेवाएं दे चुकी हैं। वर्तमान में भास्कर न्यूज़ (प्रादेशिक हिंदी न्यूज़ चैनल) में छत्तीसगढ़ में स्थानीय संपादक के रूप में कार्यरत् हैं। मानव तस्करी विषय पर एक किताब "नरक" भी प्रकाशित हो चुकी है।

ईमेल आई.डी-priyankajournlist@gmail.com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: कहानी - मंगो - प्रियंका कौशल
कहानी - मंगो - प्रियंका कौशल
https://1.bp.blogspot.com/-To2Ui-zSot0/XRr7WxBhZ0I/AAAAAAABPWY/2lEnHsthjZUcVAFH9sJHS22QsQPuu1TdgCK4BGAYYCw/s320/priyanka-769584.jpg
https://1.bp.blogspot.com/-To2Ui-zSot0/XRr7WxBhZ0I/AAAAAAABPWY/2lEnHsthjZUcVAFH9sJHS22QsQPuu1TdgCK4BGAYYCw/s72-c/priyanka-769584.jpg
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2019/07/blog-post_99.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2019/07/blog-post_99.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content